Sanjana Kirodiwal

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“हाँ ये मोहब्बत है” – 39

Haan Ye Mohabbat Hai – 39

Haan Ye Mohabbat Hai – 39

अक्षत की आँखों में आँसू देखकर जीजू ने उसे अपनी तरफ किया और गले लगाते हुए कहा,”ऐसे हालातों में तुम्हे कमजोर नहीं पड़ना चाहिए आशु , हम लोग अमायरा को कुछ नहीं होने देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,तुमने कभी हार नहीं मानी है इस बार भी तुम्हे हिम्मत से काम लेना होगा। अमायरा को कुछ नहीं होगा वह इंसान तुमसे क्या चाहता है ये तो वही बता सकता है बस उस के अगले फोन का इंतजार है”


“अमायरा उसके पास है जीजू वो उसके साथ कुछ भी कर सकता है , मैंने उसका ध्यान नहीं रखा इन दिनों मैं इतना बिजी था की उस से बात तक नहीं कर पाता था।

उसे कुछ नहीं होगा मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा उसे बचाने के लिए मैं कुछ भी करूंगा जीजू जो वो इंसान कहे बस एक बार अमायरा घर आ जाये”,अक्षत ने तकलीफ भरे स्वर में कहा तो जीजू उसकी पीठ सहलाने लगे। कुछ देर बाद अक्षत जीजू से दूर हटा तो उन्होंने कहा,”तूने सुबह से कुछ खाया नहीं है चल थोड़ा खा ले ऐसे हालातों में तुझे अमायरा के साथ साथ खुद के बारे में भी सोचना होगा”
“मुझे भूख नहीं है जीजू”,अक्षत ने उदासीभरे स्वर में कहा


“आशु पागल मत बन , मैं समझ सकता हूँ इस वक्त तुझ पर क्या गुजर रही है लेकिन प्लीज थोड़ा सा खा ले”,सोमित जीजू ने कहा
“मीरा ने कुछ खाया ? उसने नहीं खाया होगा मैं उसे खिलाकर आता हूँ”,अक्षत ने कहा और वहा से चला गया। जीजू ने सूना तो उनकी आँखों में नमी उतर आयी और उन्होंने हाथ जोड़कर ईश्वर को याद करते हुए मन ही मन कहा,”हे ईश्वर इन दोनों को इनकी जिंदगी वापस लौटा दे”
अक्षत तनु के कमरे में आया देखा राधा मीरा को खाना खिलाने की कोशिश कर रही थी

लेकिन मीरा नहीं खा रही थी वह बस एक ही बात बार बार कहे जा रही थी “हमे हमारी बेटी चाहिए माँ , वो बहुत तकलीफ में है”
अक्षत ने सूना तो उसके दिल में एक टीस उठी उसने राधा के पास आकर कंधे पर हाथ रखा तो राधा ने भर्राये गले से कहा,”देख ना आशु मीरा कुछ सुन ही नहीं रही है , इसे दो चार निवाले खिला दे”
“माँ प्लेट मुझे दे दीजिये”,अक्षत ने कहा तो राधा उठी और प्लेट अक्षत को देकर अपने आँसू पोछते हुए वहा से चली गयी। अक्षत मीरा के बगल में बैठा और एक निवाला तोड़कर मीरा की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”मीरा थोड़ा सा खा लो”


“हमारी बेटी ने कुछ खया होगा या नहीं ? वो इस वक्त कहा होगी किस हाल में होगी ? हमे अमायरा के पास जाना है अक्षत जी , उसे हमारी जरूरत है वो इस वक्त बहुत तकलीफ में होगी”,मीरा ने रोते हुए कहा तो अक्षत का दिल भर आया उसने प्लेट साइड में रख दी और मीरा को अपने सीने से लगाते हुए कहा,”उसे कुछ नहीं होगा मीरा , मैं उसे लेकर आऊंगा हमारी बेटी को कुछ नहीं होगा”


अक्षत के सीने से लगी मीरा देर तक सिसकती रही , इस वक्त अक्षत के जहन में सेंकडो ख्याल आ जा रहे थे। अक्षत ने तनु से मीरा का ख्याल रखने को कहा और खुद बाहर चला आया।

शाम के 4 बज रहे थे अक्षत ने बाइक की चाबी उठायी और बाहर निकल गया। अर्जुन ने अक्षत को अकेले जाते देखा तो उसे रोकने के लिए उसके पीछे आया लेकिन तब तक अक्षत अपनी बाइक लेकर जा चुका था।


“आशु,,,,,,,,,,,,,,,,,आशु,,,,,,,,,,,,!!!”,अर्जुन चिल्लाते  ही रह गया लेकिन अक्षत ने नहीं सूना। अर्जुन जैसे ही जाने के लिए मुड़ा दूसरी तरफ से एक गाडी आकर घर के सामने रुकी अर्जुन ने देखा वो गाड़ी मीरा के पापा “अमर प्रताप सिंह” की थी। अर्जुन साइड हटा तो गाड़ी अंदर चली आयी। ड्राइवर ने गाड़ी साइड में लगा दी , अमर जी गाड़ी से उतरे और अर्जुन को बाहर देखकर कहा,”कैसे हो अर्जुन बेटा ?”


“मैं ठीक हूँ अंकल , आप ?”,अर्जुन ने पूछा
“हम भी ठीक है आज सुबह ही किसी जरुरी काम से अजमेर से आये थे तो सोचा जाने से पहले मीरा से मिलकर जाए , उसे एक अच्छी खबर भी देनी है”,अमर जी ने मुस्कुरा कर कहा। अमर जी को खुश देखकर अर्जुन ने उन्हें अमायरा के बारे में नहीं बताया और उन्हें लेकर अंदर चला आया। अमर जी अंदर आये उन्होंने दादू और विजय जी से नमस्ते की और उनके पास आ बैठे। दादू और विजय जी ने एक दूसरे की तरफ देखा दोनों के मन में एक ही बात चल रही थी की अमर जी को अमायरा के बारे में बताये या नहीं ?


“मीरा कही दिखाई नहीं दे रही है , दरअसल हम उसी से मिलने आये थे और हमारी नातिन से भी कहा है दोनों ?”,अमर जी ने कहा
“मीरा अंदर है मैं अभी उसे बुलाकर लाती हूँ”,तनु ने कहा और वहा से चली गयी। तनु ने मीरा को उसके पापा के आने के बारे में बताया तो मीरा जल्दी से उठकर कमरे से बाहर आयी। मीरा को देखते ही अमर जी उठे और उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुये कहा,”मीरा कैसी है आप ? हम आज ही अजमेर से वापस आये वहा सब सही रहा , सौंदर्या ने आपको प्यार भेजा है और साथ ही हम आपके लिए कुछ लेकर आये है”


कहते हुए अमर जी ने अपने कोट के जेब से एक लिफाफा निकाला और मीरा की तरफ देखते हुए कहा,”हमारी नातिन ने एक बार हमसे कहा था ना कि उसे महल चाहिए , हमने अपनी अजमेर वाली हवेली अमायरा के नाम कर दी है। जब उन्हें पता चलेगा तो वो बहुत खुश हो जाएगी,,,,,,,,,,,,,,कहा है वो हम उसे ये पेपर देना चाहते है ?”
मीरा ने जैसे ही सूना रोते हुए अमर जी के गले लग गयी।

मीरा को यू रोते देखकर अमर जी घबरा गए उन्होंने मीरा को सम्हाला और उसे चुप कराया। विजय जी ने अमर जी को सब बात बताई तो अमर जी ने थोड़ा गुस्से से कहा,”इतना सब हो गया हमे किसी ने बताया क्यों नहीं ?”
“माफ़ करना समधी जी घर में तनाव का माहौल है ऐसे में,,,,,,,,,,,,,,,किसी ने अमायरा को किडनैप कर लिया है और वो हम सब से क्या चाहता है ये भी उसने नहीं बताया,,,,,,,,,,,,,,कुछ समझ नहीं आ रहा है।”,विजय जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा तो अमर जी ने उनके हाथो को थामा और कहा,”चिंता मत कीजिये हम हमारी नातिन को कुछ नहीं होने देंगे”


अमर जी ने अपने मैनेजर को फोन लगाया और उन्हें पूरी जानकारी देने के बाद कहा,”पूरा शहर छान मारो लेकिन अमायरा को ढूंढो।”
मीरा की खराब होती तबियत को देखते हुए अमर जी तनु से उसे अंदर ले जाने को कहा। अमर जी वही रुक गए और फोन पर फोन करते रहे , अमायरा को ढूंढने के लिए वो हर सम्भव कोशिश कर रहे थे।

अक्षत बाइक लेकर घर से निकला दिमाग में काफी कुछ चल रहा था। अक्षत के हिसाब से अमायरा को किडनेप करने के पीछे एक ही इंसान का हाथ हो सकता था और वो थे सिंघानिया जी। अक्षत बाइक लेकर सिंघानिया हॉउस के सामने पहुंचा। गुस्सा उसकी आँखों से साफ झलक रहा था गार्ड ने उसे रोका तो अक्षत बाइक लेकर सीधा अंदर चला आया। अक्षत बाइक से जैसे ही उतरा सिंघानिया जी के यहाँ तैनात बॉडीगार्ड्स ने उसे घेर लिया जो की 5 थे। अक्षत इस वक्त गुस्से में था और उसके दिमाग में बस अमायरा घूम रही थी

उसने उन सबको मारना शुरू कर दिया। कुछ चोटें अक्षत को भी आयी लेकिन उसे परवाह नहीं थी। अक्षत ने उन्हें बुरी तरह पीटा और अंदर चला आया। अक्षत ने देखा घर के अंदर बस कुछ नौकर थे जब उन्होंने अक्षत को रोकने की कोशिश की तो अक्षत ने उन्हें भी मारना शुरू कर दिया। सिंघानिया जी अपने घर में बने बार काउंटर के पास बैठकर शराब पी रहे थे। जब उन्होंने शोर सुना तो ग्लास रखकर हॉल में आये अक्षत को वहा देखते ही उनकी भँवे तन गयी  


अक्षत ने सिंघानिया जी को देखा तो उनकी तरफ आया और उनकी कॉलर पकड़ते हुए कहा,”मेरी बेटी कहा है ?”
“बेटी ? मुझे उसके बारे में कैसे पता होगा ?”,सिंघानिया जी ने हैरानी से कहा तो अक्षत ने उन्हें एक घुसा दे मारा सिंघानिया जी का सर नीचे पड़े शीशे के टेबल से जा टकराया और सर से खून बहने लगा। अक्षत ने उनकी कॉलर पकड़ कर उन्हें उठाया और गुस्से से कहा,”मेरी बेटी कहा है ?”


“मैं तुम्हारी बेटी के बारे में कुछ नहीं जानता मिस्टर व्यास”,सिंघानिया जी ने अपना सर पकड़कर कहा तो अक्षत ने कॉलर से पकड़कर उन्हें दूर फेंका और चिल्लाते हुए कहा,”अगर तुम्हे नहीं पता तो किसे पता है हां ?”


“उन्हह उन्हह मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता”,सिंघानिया जी ने खाँसते हुए कहा तो अक्षत उसके पास चला आया और उसकी कॉलर दोनों हाथो से पकड़ते हुए कहा,”तुम्हे पता है , मुझे इस केस से हटाने के लिए मेरे घर रिश्वत लेकर तुम ही आये थे और जब मैंने मना किया तो तुमने मेरी बेटी को किडनेप कर लिया , कहा है मेरी बेटी बताओ वरना मैं तुम सबको मार डालूंगा,,,,,,,,,,,जवाब दो”


“अगर तुम्हारी बेटी को मारना ही होता तो मैं कब का मार देता लेकिन फॅमिली का मतलब मैं जानता हूँ इसलिए अपने बेटे को बचाने की हर कोशिश कर रहा हूँ , तुम्हारी बेटी कहा है मैं नहीं जानता ना ही मैंने उसे अगवा किया है।”,सिंघानिया जी ने मुश्किल से कहा क्योकि सर में चोट लगने की वजह से अब वो धीरे धीरे बेहोशी की तरफ जा रहे थे। अक्षत ने झुंझलाकर उनकी कॉलर छोड़ी और खड़े होकर अपना सर पकड़ते हुए चिल्लाया,”अमु , कहा हो तुम ?”
अक्षत को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह अपनी बेटी को कहा ढूंढे।


अक्षत वहा से निकल गया वह हर उस जगह गया जो इस केस की इन्वेस्टिगेशन का हिस्सा थी अमायरा को ढूंढते हुए उसे अपनी परवाह भी नहीं थी। सिंघानिया जी के घर में मार-पीट करते हुए उसे भी कनपटी पर चोट लगी थी जिस से निकला खून अब उसके कनपटी और गालों पर सुख चुका था। शाम से रात हो गयी लेकिन अक्षत वैसे ही हर जगह अमायरा को ढूंढ़ता रहा। रात के 2 बज चुके थे लेकिन अक्षत को होश नहीं था। थककर अक्षत ने बाइक झील किनारे रोक दी। वह बाइक से उतरा देखा दूर दूर तक वहा कोई नहीं था।

अमायरा को याद करते हुए अक्षत की आँखों में आँसू भर आये वह घुटनो के बल गिर पड़ा और अमायरा का नाम लेकर जोर से चिल्लाया लेकिन इस वक्त उसे सुनने वाला कोई नहीं था। अक्षत ने अपना चेहरा अपनी हथेलियों में छुपा लिया आज से पहले उसने खुद को इतना बेबस कभी महसूस नहीं किया था।


अगले ही पल अक्षत का फोन बजा उसने जेब से फोन निकाला देखा उसी आदमी का फोन था अक्षत ने जल्दी से फोन कान से लगाकर कहा,”मेरी बेटी ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? वो कहा है तुम मुझे बताते क्यों नहीं ?”


“चचचचच तुम्हे ऐसे देखकर तुम पर तरस आ रहा है , तुम्हे क्या लगा सिंघानिया तुम्हारी बेटी को किडनेप करेगा। अक्षत व्यास क्रिमिनल लॉयर हो थोड़ा तो दिमाग लगाना चाहिए तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह वैसे फॅमिली के नाम पर तुम्हारा दिमाग कम ही चलता है आई नो,,,,,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने अक्षत की बेबसी का मजाक उड़ाते हुए कहा


“मेरी बेटी मुझे लौटा दो , तुम जो कहोगे मैं करने के लिए तैयार हूँ बस मुझे मेरी बेटी चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,देखो तुम जो भी हो मैं नहीं जानता तुम्हारी मुझसे क्या दुश्मनी है लेकिन उसका बदला तुम मेरी बेटी से मत लो।

मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ता हूँ , तुमसे भीख माँगता हूँ मेरी बेटी को छोड़ दो,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे जो करना है मेरे साथ करो बस मेरी बेटी को कुछ मत करना वो सिर्फ 3 साल की है , उसे तकलीफ मत दो”,कहते कहते हुए अक्षत रो पड़ा
अक्षत को रोते देखकर आदमी हसने लगा और फिर एकदम से गंभीर होकर कहा,”कल सुबह 11 बजे मैं तुम्हे फिर फोन करूंगा और बताऊंगा कि क्या करना है ? अगर तुमने मेरी बात मानी तो मैं तुम्हारी बेटी तुम्हारे हवाले कर दूंगा”


“मैं तुम्हारी हर बात मानूंगा बस मेरी,,,,,,,,,,हेलो हेलो”,अक्षत आगे कुछ कहता इस से पहले ही फोन कट गया। अक्षत ने अपने शर्ट की बाँह से अपने आँसू पोछे और उठकर बाइक के पास आया। उसने घडी में टाइम देखा उसे बस कल का इंतजार था। अक्षत ने बाइक स्टार्ट की और वहा से घर के लिए निकल गया। अक्षत घर आया तो देखा राधा , विजय जी , सोमित जीजू , तनु और अर्जुन जाग रहे है और हॉल में बैठे है। अक्षत थके कदमो से अंदर आया उसे देखते ही राधा उसके पास आयी और कहा,”कहा चला गया था तू और ये चोट कैसे लगी तुझे ?”


“मैं अमायरा को ढूंढने गया था माँ लेकिन वो नहीं मिली,,,,,,,,,,,,,,,,मैं उसे नहीं ढूंढ पा रहा हूँ माँ”,कहते हुए अक्षत की आँखों में आँसू भर आये और चेहरे पर दर्द उभर आया जिसे देखरक राधा का दिल कट सा गया। अक्षत को ऐसे उसने दूसरी बार ऐसे देखा था। उन्होंने अक्षत को अपने सीने से लगाया और कहा,”वो मिल जाएगी उसे कुछ नहीं होगा बेटा , मीरा के पापा घर आये थे उन्होंने अपने आदमी लगाए है अमायरा को ढूंढने में वो जल्दी ही मिल जाएगी”


राधा के सीने से लगकर अक्षत को थोड़ी तसल्ली मिली। राधा उसे सोफे की तरफ ले आयी तो अक्षत ने कहा,”माँ मीरा ?”
“वो अभी सो रही है नीता है उसके साथ , तुम्हे देखेगी तो फिर से अमायरा के बारे में पूछेगी अभी तुम उसके पास मत जाओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,तनु जरा टेबल से दवाई वाला डिब्बा लेकर आना”,राधा ने अक्षत को सोफे पर बैठाते हुए कहा।


“हिम्मत से काम लो बेटा”,विजय जी ने अक्षत के कंधे पर अपना हाथ रखा तो अक्षत ने अपने दूसरे हाथ से उनके हाथ को छू लिया। तनु ने दवाई वाला डिब्बा लाकर राधा को दे दिया और खुद अक्षत के लिए कुछ खाने को लेने चली गयी। राधा ने अक्षत की कनपटी पर लगी चोट को साफ करके वहा बेंडेज लगा दी। अक्षत खामोश बैठा रहा जीजू और अर्जुन भी वही थे। अर्जुन ने विजय जी से जाकर आराम करने को कहा।

तनु एक प्लेट में थोड़ा सा खाना ले आयी लेकिन अक्षत ने उसे छुआ तक नहीं , दर्द उसकी आँखों से टपक रहा था राधा से जब देखा नहीं गया तो वे सिसकते हुए वहा से चली गयी। अर्जुन ने तनु दी से भी जाकर बच्चो के साथ सोने को कहा और खुद सोमित जीजू के साथ वही रुक गया।


अमायरा सिर्फ व्यास हॉउस की बेटी नहीं थी बल्कि घर के हर इंसान के दिल में उसकी अलग ही जगह थी। अपनी बातो से , अपनी केयर से , अपनी मुस्कराहट से वह हमेशा घर में हंसी ख़ुशी वाला माहौल रखती थी। अर्जुन ने अक्षत को देखा और उसके कंधे पर हाथ रख दिया तो अक्षत ने अपना सर अर्जुन के कंधे पर टिका दिया उसकी आँखों में नींद नहीं थी बस था तो अमायरा के लौट आने का इंतजार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

अगली सुबह अमर जी व्यास हॉउस आये और अक्षत से मिले , उनके आदमी भी अमायरा का कुछ पता नहीं लगा पाए थे। अमर जी ने अक्षत से सारी बातें पूछी तो उन्हें समझ आया की कोई था जो अक्षत से बदला लेने के लिए ये सब कर रहा था। अमर जी ने पुलिस कंप्लेंट करने की बात कही तो अक्षत ने मना कर दिया वह नहीं चाहता था अमायरा की जान को खतरा हो। मीरा का रो रोकर बुरा हाल था वो बस अपनी बेटी की रट लगाये हुए थी।

बाकि सबके साथ परेशान सा बैठा था की उसका फोन बजा उसने देखा माथुर साहब का फोन है अक्षत सब के बीच से उठा और साइड में आकर फोन उठाते हुए कहा,”हेलो”
“अक्षत कहा हो तुम ? कल भी तूम कोर्ट नहीं आये थे तुम्हे याद है ना आज छवि दीक्षित केस की लास्ट डेट है , आज का दिन इस केस के लिए कितना इम्पोर्टेन्ट है ये जानते हो ना तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,11:30 बजे से केस की सुनवाई शुरू हो जाएगी तुम वक्त से कोर्ट पहुँच जाना”,माथुर साहब ने अक्षत को याद दिलाते हुए कहा
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने कहा और फोन काट दिया


अक्षत वापस हॉल में आया तो विजय जी ने पूछा,”किसका फोन था बेटा ?”
“आज छवि दीक्षित केस की लास्ट डेट है , आज जज साहब अपना फैसला सुनाएंगे और मेरा वहा होना बहुत जरुरी है इसलिए मुझे कोर्ट जाना होगा पापा”,अक्षत ने बुझे स्वर में कहा
अमर जी को अक्षत की ये बात अच्छी नहीं लगी तो उन्होंने कहा,”वहा आपकी बेटी मुसीबत में है और आपको अपने केस की पड़ी है”
“मैंने एक माँ से वादा किया है पापा,,,,,,,,,,,,,,,,मैं उस लड़की को इंसाफ दिलाने से पीछे नहीं हट सकता”,अक्षत ने कहा


“लेकिन आशु हो सकता है ये सब इसी केस की वजह से हो रहा हो , तुम्हे रिस्क नहीं लेना चाहिए”,अर्जुन ने कहा
“नहीं भाई ये केस और अमायरा की किडनेपिंग दोनों अलग चीजे है अगर ये केस उस से जुड़ा होता तो अब तक वह मुझे इस केस से हटने के लिए बोल चुका होता। उसकी दुश्मनी मुझसे है,,,,,,,,,,मैं चलता हूँ”,अक्षत ने कहा
“दामाद जी उस लड़की को इंसाफ जरूर मिलना चाहिए”,अमर ने खड़े होकर कहा तो अक्षत ने हामी में गर्दन हिला दी और वहा से चला गया

अक्षत अपने कमरे में चला आया अमायरा की डॉल देखकर उसे अपनी बेटी की याद आ गयी उसने बिस्तर पर पड़ी डॉल को उठाया और अपने सीने से लगाते हुए कहा,”पापा तुम्हे ढूंढ लेंगे अमु , तुम्हे कुछ नहीं होगा मैं तुम्हे वापस जरूर लाऊंगा”
कहते हुए अक्षत की आँख से आँसू बहकर गालों पर लुढ़क आये। वह उस डॉल को सीने से लगाए बैठा रहा और फिर उसे अच्छे से साइड में रखकर नहाने चला गया।

अक्षत नहाया , कोर्ट जाने के लिए तैयार होने लगा। इस केस से जुड़े सभी पेपर्स और फाइल्स लेकर अक्षत नीचे चला आया। नीचे आकर उसने देखा की मीरा भी हॉल में ही है। अक्षत को देखते ही मीरा उसके पास चली आयी और कहा,”हमारी बेटी वापस कब आएगी अक्षत जी ? उस उस किडनेपर ने आपको फोन किया था ना उसने बताया आपको हमारी बेटी के बारे में ? उसने कुछ तो कहा होगा आपसे,,,,,,,,,,,,,,आप चुप क्यों है जवाब दीजिये ना ?”


“आज शाम मैं हमारी बेटी को ले आऊंगा मीरा”,अक्षत ने कहा तो मीरा की आँखों में ख़ुशी के आँसू भर आये
“आप आप सच कह रहे है , माँ पापा अर्जुन जी आपने सूना ना अक्षत जी ने क्या कहा ? हमारी अमायरा शाम में घर आ जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत जी उसे ले आएंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप सच बोल रहे है ना ? हमने कल सुबह से उसे एक बार भी नहीं देखा है , उसकी आवाज तक नहीं सुनी है,,,,,,,,,,,आप उसे लेकर आएंगे ना अक्षत जी ?”,मीरा ने ख़ुशी और दुःख के मिले जुले भावो के साथ कहा


“हाँ मीरा मैं उसे लेकर आऊंगा”,अक्षत ने कहा तो मीरा ने अपने आंसुओ को पोछा और कहा,”हम अब बिल्कुल नहीं रोयेंगे , अमु को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं है अक्षत जी,,,,,,,,,,बस एक बार वो घर आ जाये उसके बाद हम उसे कही नहीं जाने देंगे हमेशा उसके साथ रहेंगे”
अक्षत ने महसूस किया की एक ही दिन में अमायरा के बिना मीरा की क्या हालत हो गयी थी उसने मीरा के गाल को छुआ और कहा,”मैं जल्दी वापस आऊंगा”
“हम्म्म”,मीरा ने कहा तो अक्षत बाकि सबसे मिलकर कोर्ट के लिए निकल गया

अक्षत कोर्ट पहुंचा छवि को इंसाफ दिलाने की उसकी सारी कोशिशे आज पूरी होने वाली थी। तय समय पर छवि अपनी माँ और मामा के साथ कोर्ट पहुँच गयी। इंस्पेकटर कदम्ब विक्की को हथकड़ी पहनाये उसे अपने साथ लेकर बैठे थे। आज कोर्ट में भीड़ रोजाना से ज्यादा थी। मिडिया के कुछ लोग भी शामिल थे। सिंघानिया जी के हाथ में फेक्चर हो चुका था वे अक्षत को घूरते हुए चोपड़ा जी के साथ कोर्ट रूम की तरफ चले गए। अक्षत अमायरा को लेकर काफी परेशान था लेकिन उसने खुद को नार्मल रखा।

अक्षत जैसे ही कोर्ट रूम की तरफ जाने लगा उसका फोन बजा अक्षत ने फोन देखा और जल्दी से उठाकर कान से लगा लिया दूसरी तरफ से आवाज आयी,”अक्षत व्यास आज की सुनवाई में तुम कोर्ट रूम में जाओगे जरूर लेकिन जीतने नहीं बल्कि ये केस हारने। आज की सुनवाई में तुम कुछ ना बोलकर खामोश बैठे सिर्फ तमाशा देखोगे और अगर तुमने होशियारी की तो याद रखना तुम्हारी बेटी तुम्हे जिंदगीभर नहीं मिलेगी”
अक्षत ने सूना तो उसका दिल कुछ पल के लिए जैसे धड़कना ही बंद हो गया एक तरफ उसकी बेटी थी तो दूसरी तरफ छवि की माँ से किया वादा,,,,,,!!

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क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 39

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संजना किरोड़ीवाल 

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