Sanjana Kirodiwal

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“हाँ ये मोहब्बत है” – 37

Haan Ye Mohabbat Hai – 37

Haan Ye Mohabbat Hai – 37

छवि दीक्षित केस में एक अनचाहा मोड़ आ गया जिसने अक्षत के साथ साथ बाकि सबको भी परेशानी में डाल दिया। चोपड़ा जी इंदौर के जाने माने वकील थे और वे इतनी जल्दी हार मानने वालो में से नहीं थे। अदालत ने विक्की सिंघानिया को 48 घंटे की मोहलत और दे दी।

अक्षत ने छवि को घर जाने को कहा साथ ही उसे अपना ध्यान रखने को कहा क्योकि अक्षत जानता था अपने बेटे को बचाने के लिए गौतम सिंघानिया किसी भी हद तक जाएगा। अक्षत अपने केबिन में चला आया। कोर्ट की सुनवाई ख़त्म होने के बाद कदम्ब ने विक्की को वापस जेल भेज दिया और खुद अक्षत से मिलने उसके केबिन में चला आया।


“इंपेक्टर कदम्ब प्लीज कम इन”,अक्षत ने कदम्ब को देखा तो उठते हुए कहा
कदम्ब अंदर आया अक्षत ने उन्हें बैठने को कहा तो कदम्ब अक्षत के सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठा। अक्षत ने केबिन में मौजूद सचिन और चित्रा को बाहर जाने का इशारा किया। दोनों वहा से चले गए। उनके जाने के बाद कदम्ब ने कहा,”मिस्टर व्यास क्या लगता है आपको चोपड़ा जी अब कौनसा नया नाटक करने वाले है ? मैंने विक्की से काफी पूछताछ की लेकिन वो कुछ बताने को तैयार ही नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है आखिर ये केस किस दिशा में जा रहा है ?”


“इंस्पेक्टर विक्की को ये याद ही नहीं है की उसने नशे में क्या किया है ? ऐसे में वो अपने बयान में कैसे मंजूर करेगा की उसने उस लड़की के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जिस तरह से गौतम सिंघानिया और चोपड़ा जी उसे बचाने की कोशिश कर रहे है उस से ये साफ जाहिर होता है की विक्की ने ही उस लड़की का रेप किया है।

आज जज साहब अपना फैसला सूना भी देते लेकिन लास्ट मोमेंट पर चोपड़ा जी ने वक्त मांगकर इस केस को 48 घंटो के लिए विराम दे दिया। इन 48 घंटो में वो भले विक्की की बेगुनाही का सबूत ना ला पाए लेकिन मुझे छवि को उन लोगो से बचाना होगा। गौतम सिंघानिया पैसो के दम पर कुछ न कुछ जरूर करेगा”,अक्षत ने कहा


“डोंट वरी मिस्टर व्यास मैं छवि की सिक्योरिटी के लिए दो कॉस्टेबल उसके उसके घर भेज चुका हूँ”,कदम्ब ने कहा
“थैंक्यू इंस्पेक्टर इस केस में आपने मेरी बहुत मदद की है , अगर हर पुलिस वाला आपकी तरह सोचने लगे तो किसी लड़की को इंसाफ के लिए सालो साल कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,माफ़ करना मैंने आपसे पूछा नहीं आप चाय लेंगे या कॉफी ?”,अक्षत ने कहा


“दोनों में से कुछ भी नहीं मिस्टर व्यास अभी मुझे एक इन्वेस्टिगेशन के लिए बाहर जाना है , लेकिन हां इस केस के बाद मैं आपके साथ एक कप चाय जरूर पिऊंगा,,,,,,,,,,अभी चलता हूँ”,कहते हुए कदम्ब उठा और केबिन से बाहर चला गया।


अक्षत फिर अपने काम में लग गया , उसके लिए छवि दीक्षित केस बहुत इम्पोर्टेन्ट था और वह नहीं चाहता था उसकी एक छोटी सी गलती भी इस केस को कमजोर बना दे। चित्रा और सचिन भी केबिन में चले आये और अपने अपने काम में लग गए। सचिन अपना काम कर रहा था लेकिन चित्रा का ध्यान बार बार अक्षत पर चला जाता।

चित्रा अक्षत को दिल ही दिल में पसंद करने लगी थी लेकिन अक्षत के सख्त रवैये के कारण उसने अभी तक अक्षत से अपने दिल की बात जाहिर नहीं की थी। चित्रा ये भी नहीं जानती थी कि अक्षत शादीशुदा है ना ही अक्षत ने कभी उसे इस बारे में बताया था। चित्रा को अपनी और देखता पाकर अक्षत को थोड़ा असहज लगा तो उसने कहा,”मिस चित्रा मुझे इस केस की फाइल्स चाहिए , प्लीज स्टडी करके दीजिये”


“जी सर”,चित्रा ने कहा और उठकर स्टडी टेबल पर बैठकर फाइल्स देखने लगी। अक्षत कुछ देर वहा रुका और फिर वहा से नींचे चला आया। अक्षत माथुर साहब के केबिन में आया माथुर साहब किसी क्लाइंट के साथ बिजी थे इसलिए अक्षत को बैठने का इशारा किया। क्लाइंट से फ्री होकर माथुर साहब अक्षत की तरफ आये और बगल में बैठते हुए कहा,”पुरे कोर्ट में तुम्हारे ही चर्चे हो रहे है जिस तरह से तुमने छवि दीक्षित केस का रुख मोड़ा है वाकई ये काबिले-तारीफ है”


“थैंक्यू सर लेकिन मैं आपसे इस बारे में बात करने नहीं आया हूँ , मुझे आपसे चित्रा के बारे में बात करनी है”,अक्षत ने गंभीरता से कहा
”चित्रा के बारे में ? क्या हुआ उस से कुछ गलती हुयी है क्या ? देखो अगर ऐसा है तो तुम मुझे बताओ मैं उस से बात करूंगा”,माथुर साहब ने परेशानी भरे स्वर में कहा। अक्षत कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा,”नहीं सर ऐसा कुछ नहीं हुआ है दरअसल कुछ दिनों से मैं देख रहा हूँ मिस चित्रा का बर्ताब कुछ ठीक नहीं है , उनका ध्यान काम में कम होता है।

मुझे लगता है मेरे साथ काम करते हुए वो अपनी इंटर्नशिप और प्रेक्टिस से भटक रही है। मैं एक क्रिमिनल लॉयर हूँ और आये दिन मुझे ऐसे लोगो से मिलना-जुलना होता है जो मुझे किसी भी वक्त नुकसान पहुंचा सकते है , मैं नहीं चाहता मेरे साथ प्रेक्टिस करते हुए मिस चित्रा को कोई ऐसी किसी परिस्तिथि का सामना करना पड़े इसलिए मैं चाहूंगा कि वो अपनी आगे की प्रेक्टिस किसी और लॉयर के साथ करे और अपनी इंटर्नशिप कम्प्लीट करे।”,अक्षत ने साफ शब्दों में माथुर साहब के सामने अपनी बात रखी


माथुर साहब ने ख़ामोशी से सूना और कहने लगे,”मैं समझ सकता हूँ वो एक लड़की है और ऐसे में उसका तुम्हारे प्रति आकर्षित होना भी सामान्य बात है जो कि तुम्हारे काम को प्रभावित कर रहा है। मैं चित्रा से इस बारे में बात करूँगा लेकिन फ़िलहाल तुम्हे अपने केस पर फोकस करना चाहिए। मिस्टर चोपड़ा के दिमाग में जरूर कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही है। याद रखो अगर इस केस में छवि दीक्षित को इंसाफ मिल गया तो कितनी ही लड़कियों का कोर्ट और कानून के प्रति विश्वास बढ़ जाएगा और आने वाले समय में लोग वकीलों की इज्जत करना शुरू कर देंगे।”


“मैं पूरी कोशिश करूंगा सर”,अक्षत ने कहा
वह कुछ देर माथुर साहब के साथ बैठकर केस के बारे में डिस्कस करता रहा। अक्षत माथुर साहब को बहुत मानता था इंदौर कोर्ट ज्वाइन करने के बाद उसने दो साल उन्ही के साथ रहकर प्रेक्टिस की थी और आज भी वह उन्हें उतना ही मान सम्मान देता था। माथुर साहब भी अक्षत का पूरा साथ देते थे और हमेशा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।

उसी रात सिंघानिया जी के घर में –
“चोपड़ा अगर मेरे बेटे को कुछ भी हुआ तो किसी को नहीं छोडूंगा ये याद रखना तुम सब,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे भरोसे मै अपने बेटे की जिंदगी दांव पर नहीं लगा सकता। तुम लोगो पर लाखों रूपये मैंने इसलिए खर्च नहीं किये है की अपने बेटे को फांसी चढ़ते देखू,,,,,,,,,,,,,,,,,48 घंटे बाद अगर तुम उसे बेगुनाह साबित नहीं कर पाए तो उसे सजा हो जाएगी ये जानते हो ना तुम”,सिंघानिया जी ने गेस्ट रूम में अपने सामने बैठे चोपड़ा जी पर चिल्लाते हुए कहा


“तो और क्या करता मैं ? तुम्हारे बेटे ने घटना वाले दिन ड्रग्स लिए है इस बात की खबर अक्षत व्यास को है लेकिन आपको और मुझे नहीं पता,,,,,,,,,,,ये कैसे पॉसिबल है ? इंस्पेक्टर कदम्ब भी इस केस में मिस्टर व्यास की तरफ है , मिडिया और न्यूज चैनल भी उस लड़की के सपोर्ट में है और तो और पब्लिक भी ऐसे में मुझे जो सही लगा वो मैंने किया अगर मैं कुछ नहीं बोलता तो आज ही आपके बेटे को सजा हो चुकी होती,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कोर्ट से 48 घंटो का टाइम मिला है इसमें कोई ना कोई हल ढूंढ लेंगे आप चिंता मत कीजिये”,चोपड़ा जी ने चिढ़ते हुए कहा


“देख चोपड़ा विक्की मेरा इकलौता बेटा है अगर उसे कुछ हुआ तो मैं इस पुरे शहर को बर्बाद कर दूंगा ये याद रखना तुम सब”,सिंघानिया जी ने काँपती आवाज में कहा
“सर विक्की ने जो किया है वो छोटी बात नहीं है , पूरा शहर इस वक्त उनके खिलाफ है। विक्की सर को तो ये याद भी नहीं है की उन्होंने उस लड़की का रेप किया है उस पर ये ड्रग्स वाली बात ने इस केस को और उलझा दिया है। सारे सबूत उनके खिलाफ है उस पर वैभव की गवाही ने उन सबूतों को और स्ट्रांग बना दिया है”,सिंघानिया जी के मैनेजर ने कहा


“मेरे ही टुकड़ो पर पलने वाले लोग आज मेरे खिलाफ हो गए है एक बार विक्की इन सब से बाहर निकल जाये फिर इन सबसे निपटना चाहूंगा , उस वैभव को कल सुबह रिजाइन भिजवा दो कह दो की उसे ऑफिस आने की कोई जरूरत नहीं है”,सिंघानिया जी ने गुस्से से कहा
“रिलेक्स मिस्टर सिंघानिया विक्की के खिलाफ कितने भी सबूत हो एक स्ट्रांग एविडेंस उन सब पर भारी पड़ जाएगा,,,,,,,,,,,,,,आप चिंता मत कीजिये”,चोपड़ा जी ने कहा


“पिछली बार भी तुमने यही कहा था चोपड़ा , लेकिन क्या हुआ ? तुमने कहा सामने वाले वकील को खरीद लो लेकिन वो अक्षत व्यास बिकाऊ नहीं निकला। मैंने अपनी जिंदगी में बहुत लोग देखे है जो पैसो के सामने अपने घुटने तक देते है लेकिन वो अक्षत व्यास उसने मेरे पैसे मेरे मुंह पर मार दिए , तुम्हे लगता है तुम उसे हरा पाओगे ?”,सिंघानिया जी ने कहा
“मुझे अक्षत व्यास को हराने से ज्यादा विक्की को इस केस से बाहर निकालने के बारे में सोचना चाहिए”,चोपड़ा जी ने कहा


“आसान है , तुम्हारा बेटा भी बच जाएगा और अक्षत व्यास भी हार जाएगा”,एक अनजानी आवाज सिंघानिया जी , चोपड़ा जी और मैनेजर के कानों में पड़ी तो तीनो की नजर दरवाजे की तरफ चली गयी। काले रंग का कोट पहने एक आदमी गेस्ट रूम के दरवाजे पर खड़ा था उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी और चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। तीनो को खामोश देखकर आदमी अंदर आया और खाली पड़े सोफे पर बैठ गया।

एक अनजान आदमी को बिना परमिशन अंदर आकर बैठा देख सिंघानिया जी ने कहा,”कौन हो तूम ? और ऐसे अंदर कैसे चले आये ?”
“मैं कौन हूँ ये जानने से ज्यादा जरुरी है की तुम अपने बेटे को कैसे बचा सकते हो ?”,आदमी ने जेब से सिगरेट निकालकर मुंह में रखी और जलाते हुए कहा  


“सिंघानिया जी एक मिनिट”,चोपड़ा जी ने सिंघानिया जी को रुकने का इशारा किया और आदमी की तरफ पलटकर कहा,”देखो अगर तुम मजाक कर रहे हो तो मैं तुम्हे बता दू की यहाँ कोई मजाक नहीं चल रहा है और अगर वाकई में तुम विक्की को बचा सकते हो तो बताओ कैसे ?”
“हाँ लेकिन उस से पहले कुछ लेन देन की बात हो जाये”,आदमी ने सिगरेट के कश लगाते हुए कहा
“कितना पैसा चाहिए तुम्हे ?”,सिंघानिया जी ने रूखे स्वर में कहा


“पैसा नहीं मुझे ये जगह चाहिए”,आदमी ने एक पेपर निकालकर टेबल पर रखते हुए कहा
सिंघानिया जी ने पेपर देखा ये उनका गोदाम था जो कि नेशनल कॉलेज से दो किलोमीटर दूर था और काफी सालो से बंद होने की वजह से खंडर में तब्दील हो चुका था। सिंघानिया जी ने आदमी की तरफ देखा और हैरानी से कहा,”तुम्हे ये जगह क्यों चाहिए ? अगर तुमने मेरे बेटे को बचा लिया तो मैं तुम्हारे नाम आलिशान बंगला गाड़ी सब कुछ कर दूंगा फिर ये खंडर क्यों ?”


“मैंने आपसे पूछा की आपके बेटे ने छवि दीक्षित का रेप क्यों किया ?”आदमी ने घूरते हुए कहा।
चोपड़ा जी समझ गए की वह क्या कहना चाहता है इसलिए उन्होंने सिंघानिया जी के हाथ से पेपर लिया और कहा,”ठीक है सिंघानिया जी तुम्हे वो जगह दे देंगे लेकिन तुम विक्की को कैसे बचाओगे ? क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है ?”
“मेरे पास कोई सबूत नहीं है”,आदमी ने टेबल पर ऐशट्रे में सिगरेट बुझाते हुए कहा


“चोपड़ा ये सिर्फ बकवास कर रहा है इसके भरोसे पर मैं अपने बेटे की जिंदगी दांव पर नहीं लगा सकता”,सिंघानिया जी ने गुस्से से कहा लेकिन चोपड़ा को आदमी पर भरोसा हो रहा था इसलिए उसने कहा,”देखो बातो को घुमाओ मत जो कहना है साफ साफ कहो , क्या तुम विक्की को बचा सकते हो ?”


“चोपड़ा साहब विक्की सिंघानिया गलती कर चुका है लेकिन उसे कुछ याद नहीं और कोर्ट में सबके सामने बार बार वह एक ही बात कह रहा है की उसने ये रेप नहीं किया,,,,,,,,,,,,अदालत को भी यही दिखाना होगा कि अगर विक्की ने नहीं किया तो फिर किसी और ने किया होगा ? अब वो कोई और ढूँढना आपका काम है”,आदमी ने कहा तो चोपड़ा जी मुस्कुरा उठे और कहा,”ये आइडिआ मेरे दिमाग में क्यों नहीं आया ?”


“लेकिन वो अक्षत व्यास क्या वो चुप बैठेगा ? विक्की को सजा दिलाने के लिए वो पूरी कोशिश करेगा”,सिंघानिया जी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“और अगर वो अदालत में कुछ कहे ही नहीं तो ?”,आदमी ने कहा
“तो विक्की को बेगुनाह साबित मैं कर दूंगा,,,,,,,,,,,,लेकिन तुम ये कैसे करोगे ?”,चोपड़ा जी ने कहा


“उसी के लिए तो ये सौदा कर रहा हूँ ? आप एक ऐसे इंसान का बंदोबस्त कीजिये जो विक्की का इल्जाम अपने सर ले और कोर्ट में ये गवाही दे की ये रेप उसने किया है , अक्षत व्यास कुछ नहीं करेगा इसकी गारंटी मैं देता हूँ बस बदले में मुझे ये जगह चाहिए”,आदमी ने पेपर सिंघानिया जी की तरफ खिसकाकर कहा
“समझो दे दी लेकिन ऐसा कौन होगा जो विक्की का इल्जाम अपने सर लेगा ?”,सिंघानिया जी ने कहा


 “सर चाय”,रॉबिन ने अंदर आकर ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा। जब तक रॉबिन वहा था आदमी की नजर उस पर टिकी रही। रॉबिन के जाने के बाद सिंघानिया जी का सवाल चोपड़ा जी ने दोहराया तो आदमी ने कहा,”राजा की जान बचाने के लिए अक्सर सिपाही को क़ुरबानी देनी पड़ती है”
आदमी की बात सुनकर सिंघानिया जी और चोपड़ा जी दोनों समझ गए की उसका इशारा किसकी तरफ था।

सिंघानिया जी ने उसी वक्त उस पेपर पर साइन किये और आदमी की तरफ बढ़ा दिया। आदमी उठा पेपर को अपने कोट की जेब में रखा और जाने लगा तो चोपड़ा जी अपनी जगह खड़े हुए और आदमी से कहा,”वैसे एक बात मुझे समझ नहीं आयी तुम अक्षत व्यास को हराना क्यों चाहते हो ?”
आदमी ने कोट के जेब से सिगरेट निकालकर मुँह में रखी और जलाते हुए कहा,”दुश्मनी जितनी पुरानी हो बदला लेने का मजा उतना ही ज्यादा आता है , 48 घंटे बाद आपका बेटा आपके घर में होगा और अक्षत व्यास की बर्बादी शुरू”


आदमी वहा से चला गया। उसके जाने के बाद सिंघानिया जी ने कहा,”ये आदमी कुछ टेढ़ा लगता है ,मैनेजर इस पर नजर रखना”
“ओके सर”,मैनेजर ने कहा और कुछ देर वह भी चोपड़ा जी के साथ अपने घर चला गया।

अक्षत कोर्ट से घर आया जैसे ही अमायरा ने अक्षत को देखा वह चीकू की किताब लेकर उसके पास आयी और कहा,”पापा , पापा देखो बुक,,,,,,,,,,,,,!!”


“हम्म्म”,अक्षत ने कहा और जाने लगा तो अमायरा उसके पीछे आते हुए कहने लगी,”पापा ये मैं ये आप,,,,,,,,,,,,,,ये मम्मा,,,,,,,,,,,,,,देखो न पापा,,,,,,,,,,,,,,भाई ने कहा ये मेरा बुक है,,,,,,,,,,,,,,,पापा,,,,,,,,,,,पापा,,,,,,,,!!”
“अमु पापा थके हुए है ना मैं फ्रेश होकर आता हूँ हम्म तब तक आप भाई के साथ खेलो”,अक्षत ने कहा तो अमायरा के चेहरे पर उदासी छा गयी। वह बुझे मन से किताब लिए सोफे की तरफ चली आयी। इन दिनों केस की वजह से अक्षत उसे बिल्कुल टाइम नहीं दे पा रहा था। सुबह जल्दी निकल जाता और रात में भी देर से घर आता था।

अमायरा उसके प्यार और साथ के लिए दिनभर तरसती रहती। अमायरा ने बुक टेबल पर रख दी और वहा से चली गयी। वह अक्षत के पीछे जाने के लिए सीढियो की तरफ जाने लगी तभी उसकी नजर मंदिर पर पड़ी और उसे मीरा की कही बात याद आ गयी “अमु प्रार्थना करने से सब ठीक हो जाता है”
अमायरा अक्षत के पीछे ना जाकर मंदिर के सामने चली आयी उसने अपने नन्हे नन्हे हाथो को आपस में मिलाया और प्रार्थना करने लगी,”भगवान जी मम्मा कहती है,,,,,,,,,,,,,,,,प्राना करने से,,,,,,,,,,,,,,सब ठीक ठीक हो जाता है।

आप देखते है न,,,,,,,,,पापा अब मुझसे बात नहीं करते,,,,,,,,वो मेरे साथ खेलते भी नहीं,,,,,,,,,,वो मुझसे नाराज है क्या भगवान जी,,,,,,,,,,,,,,मेरे पापा बहुत अच्छे है,,,,,,,,,,,वो अमु से नाराज नहीं होते,,,,,,,,,,आप उनको पहले जैसा कर दो,,,,,,,,,,,,,प्लीज,,,,,,आप मेरी प्राना सुनोगे न”
अमायरा अटक अटक कर भगवान से प्रार्थना कर रही थी बीच बीच में वह अपने ललाट पर आये बालों को साइड करती और ऐसा करते हुए वह बड़ी प्यारी लग रही थी।

मीरा अक्षत की चाय लेकर ऊपर जाने लगी तो उसने अमायरा को ये सब बोलते सूना और मुस्कुराने लगी पर जैसे ही अमायरा प्रार्थना करके मीरा की तरफ पलटी उसकी आँखों में आँसू देखकर मीरा का दिल भर आया। नन्ही सी बच्ची की आँखों में आये आँसू और उसका मुरझाया चेहरा देखकर मीरा के दिल में टीस उठी। उसने चाय का कप टेबल पर रखा और अमायरा के सामने घुटनो पर बैठ गयी।
“अमु आप रो रहे हो ?”,मीरा ने पूछा


“नहीं मैं नहीं रो रही मम्मा,,,,,,,,,,,,,,,,मैं स्टॉन्ग हूँ ना,,,,,,,,!!”,कहते हुए अमायरा की आँख में भरा पानी उसके गाल पर लुढ़क गया। मीरा ने देखा तो उसे अपने गले लगाते हुए कहा,”पापा काम में बिजी है ना बच्चा जैसे ही उनका काम खत्म होगा वो आपसे बहुत सारी बातें करेंगे , आपके साथ खेलेंगे , आपके साथ घूमने भी जायेंगे , ऐसे सेड नहीं होते पापा आपको बहुत प्यार करते है और हम भी हम्म्म्म”
“हम्म्म्म”,अमायरा ने अपनी आँखे मूंदते हुए कहा।


अमायरा को उदास देखकर चीकू ने अपना होमवर्क छोड़ा और उसके सामने घोड़ा बनते हुए कहा,”राजकुमारी तुम्हारा घोड़ा तैयार है चलो घर की सैर करने चलते है”
अमायरा ने सूना तो खुश होकर चीकू की पीठ पर चढ़ गयी और चीकू उसे पुरे घर में घुमाने लगा।  


अमायरा को चीकू के साथ हँसते देखकर मीरा को थोड़ी तसल्ली मिली उसने चाय का कप उठाया और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। मीरा ऊपर आयी तो देखा अक्षत बालकनी में खड़ा फोन पर किसी से बात कर रहा है और थोड़ा परेशान दिखाई दे रहा है मीरा उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी इसलिए चाय का कप वापस नीचे ले आयी।

अक्षत अमायरा से कहकर गया था की वह फ्रेश होकर नीचे आएगा लेकिन अक्षत ऊपर काम में बिजी हो गया और काम करते करते सो गया। रात में खाने के समय सब मौजूद थे बस अक्षत नहीं तो विजय जी ने मीरा से पूछा,”मीरा बेटा अक्षत घर नहीं आया है क्या ?”
“पापा वो ऊपर कमरे में है , शायद काम में बिजी है आप सब शुरू कीजिये हम उन्हें बुलाकर लाते है”,मीरा ने कहा। सभी खाना खाने लगे मीरा ऊपर कमरे में आयी तो देखा अक्षत काम करते करते सो गया है।

उसकी गोद में कुछ फाइल्स रखे थे और साइड में बेड पर लेपटॉप रखा था। मीरा ने अक्षत की गोद से फाइल्स उठायी , लेपटॉप बंद करके रखा और आहिस्ता से अक्षत के सर के पीछे तकिया लगा दिया जिस से उसकी नींद ना टूटे। मीरा एकटक अक्षत के चेहरे को देखने लगी। थकान अक्षत के चेहरे से साफ़ झलक रही थी , इन दिनों अक्षत कितना थक चुका था ये मीरा ही जानती थी। उसने अक्षत का सर चूमा और दरवाजा बंद करके नीचे चली गयी।

अगली सुबह अक्षत को इंस्पेक्टर कदम्ब का फोन आया। इंस्पेक्टर कदम्ब अक्षत से छवि दीक्षित केस के बारे में कुछ जरुरी बात करना चाहते थे इसलिए उन्होंने अक्षत को तुरंत थाने आने को कहा। अक्षत उठा उसने कपडे बदले और जल्दी से घर से निकल गया। अमायरा नीचे हॉल में ही बैठी थी। उसके हाथ में दूध का ग्लास था। अक्षत जल्दबाजी में हॉल में से गुजरा और जाते हुए उसके जेब से पर्स नीचे गिर गया जिसका ध्यान अक्षत को नहीं रहा।

उसने दरवाजे के पास लगे रेंक से गाडी की चाबी निकाली और बाहर निकल गया। अमायरा ने देखा तो अपना दूध का ग्लास टेबल पर रखा और हॉल में गिरे अक्षत के पर्स को उठाकर उसे देने उसके पीछे आयी। अक्षत तब तक गाड़ी लेकर वहा से जा चुका था , जाते जाते वह घर का गेट बंद करना भी भूल गया। अमायरा अक्षत को पर्स देने मेन गेट तक चली आयी लेकिन अक्षत वहा नहीं था।


अमायरा जैसे ही जाने के लिए वापस मुड़ी एक काले रंग की गाड़ी आकर मेन गेट के बाहर रुकी। उसमे से काले रंग का कोट पहने एक आदमी उतरा। वह अमायरा के पास आया और उसका मुँह बंद करके उसे अपने साथ लेकर गाड़ी में जा बैठा। अगले ही पल गाड़ी तेजी से वहा से निकल गयी। अक्षत का पर्स वही गेट पर छूट गया और घर में किसी को इस बात की खबर तक नहीं थी की अमायरा किडनेप हो चुकी है

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