“हाँ ये मोहब्बत है” – 34
Haan Ye Mohabbat Hai – 34
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Haan Ye Mohabbat Hai – 34
अक्षत एक बार फिर विक्की के सामने था और उसने दूसरा सवाल किया,”विक्की सिंघानिया छवि दीक्षित ने आपको पुरे स्टाफ के सामने थप्पड़ मारा था क्यों ?”
“ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था”,विक्की ने अपने दाँत पीसते हुए कहा
“ओके , मिस्टर विक्की आप अभी महज 24 साल के है और कॉलेज में पढ़ते है , आपका कॉलेज एक्सपीरियंस भी कुछ खास अच्छा नहीं है। आपको देर रात पार्टीज करना पसंद है , और अक्सर आप इंदौर के क्लब में ही रहते है। लड़को से ज्यादा आपकी लड़किया दोस्त है और हर बार आप नयी नयी लड़कियों के साथ ही नजर आते है।
देखा जाये तो आप अमीर बाप के बेटे है जो अक्सर अपने पैसो का घमंड दिखाते है। आपके ऑफिस में आपका बिहेवियर भी कुछ खास ठीक नहीं है क्या ये सच है ?”,अक्षत ने पूछा
“ऐसा कुछ भी नहीं है , तुम अपनी हद से आगे बढ़ रहे हो”,विक्की ने अक्षत को घूरते हुए कहा
अक्षत ने भी उसे देखा और हल्का सा मुस्कुराते हुए अगला सवाल पूछा,”मिस्टर विक्की आपका फॅमिली बेकग्राउड क्या है ? मतलब आपकी फॅमिली में कौन कौन है ?”
“मेरे डेड और मैं , हमारे घर में कुछ नौकर भी है”,विक्की ने कहा
“और आपकी माँ ? वो कहा है ?”,अक्षत ने पूछा विक्की को उसके ऐसे सवाल सुनकर अब झुंझलाहट होने लगी थी इसलिए उसने कहा,”वो जहा भी है खुश है , नन ऑफ़ योर बिजनेस”
“अरे आप तो गुस्सा हो गए , खैर छोड़िये और ये बताईये की छवि दीक्षित से आप क्यों नाराज थे और उन्हें कम्पनी से क्यों निकाला ?”,अक्षत ने पूछा
“ये बार बार मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थी ऑफिस का माहौल ख़राब ना इसलिए मैंने इसे निकाल दिया”,विक्की ने कहा
“आप झूठ बोल रहे है मिस्टर विक्की , छवि एक बहुत ही होशियार और मेहनती लड़की है। VS कम्पनी में उसका सेलेक्शन होना इस बात का सबूत है की वो अपने वर्क में काफी अच्छी है। आपको नयी नयी लड़कियों से दोस्ती रखने का शौक है और कम्पनी के MD के बेटे होने के नाते आपको लगा की मिस छवि भी आपके प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लेगी। आप बार बार लगातार उसके साथ बदतमीजी करते रहे और आखिर में मजबूरन छवि को आप पर हाथ उठाना पड़ा जिसका सबूत है
आपके ऑफिस के लोग आप कहेंगे तो मैं उन्हें गवाही के लिए बुला सकता हूँ। उस थप्पड़ के बाद मिस छवि ने अपनी नौकरी से रिजाइन दे दिया लेकिन उसके बाद भी आप उसका पीछा करते रहे और उस से बदला लेने के लिए पहले उसे अगवा किया और
फिर उसे अपने फार्म हॉउस लेकर गए जिसके सारे सबूत मैं अपनी फाइल में पेश कर चुका हूँ।”,अक्षत ने कहा
केस को बिगड़ते देखकर चोपड़ा जी ने कहा,”ऑब्जेक्शन माय लार्ड”
“ऑब्जेक्शन ओवररुड”,जज साहब ने कहा उन्होंने अक्षत को अपनी बात पूरी करने का मौका दिया।
“थैंक्यू माय लार्ड , विक्की सिंघानिया एक आवारा किस्म के इंसान है जो अपनी मौज मस्ती के लिए देर रात घर से बाहर रहते है और गुस्सैल प्रवृति के है जो अपने ईगो के लिए कुछ भी कर सकते है और वही उस शाम हुआ माय लार्ड छवि दीक्षित ने जब सरे आम इन्हे थप्पड़ मारा तो ये बर्दास्त नहीं कर पाए और बदला लेने के इन्होने छवि की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया। मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा की विक्की सिंघानिया को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये और छवि दीक्षित को इंसाफ मिले। देट्स ऑल माय लार्ड”
अक्षत अपनी बात पूरी करके एक तरफ हो गया।
अक्षत की बात सुनकर चोपड़ा जी के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। केस जिस स्तिथि में था उसमे जज साहब का फैसला काफी मायने रखता था। सबकी नजरे जज साहब पर चली गयी।
अक्षत की बात सुनकर विक्की ने गुस्से से दबी जबान में कहा,”तू जानता नहीं है तू कितनी बड़ी गलती कर रहा है।”
अक्षत ने सूना तो विक्की की तरफ देखकर उसी के लहजे में कहा,”मैं बस तुम्हे तुम्हारी सही जगह दिखा रहा हूँ , मैं क्या हूँ ये वहम किसी दिन बाहर मिलकर दूर कर लेना,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर यहाँ से बच गए तो”
“यू बास्टर्ड,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने गुस्से से कहा
“आर्डर आर्डर,,,,,,,,,दोनों पक्षों की बहस और बयान सुनने के बाद लिहाजा ये अदालत इस नतीजे पर पहुंची है की छवि दीक्षित पर लगाए गए इल्जाम सबूत ना होने के कारण ख़ारिज होते है
वही विक्की सिंघानिया ने अदालत में झूठ बोलकर अदालत का अपमान किया है साथ ही इनके फार्म हॉउस पर छवि के साथ होने के सबूत भी सच है लेकीन ये बात अभी तक साबित नहीं हो पायी है कि विक्की सिंघानिया ने ही विक्टिम के साथ दुष्कर्म किया है। अदालत को छवि दीक्षित के साथ पूरी हमदर्दी है लेकिन बिना जुर्म साबित हुए अदालत किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सकती,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इस केस की अगली सुनवाई 5 दिन बाद होगी ताकि
विक्टिम विक्की सिंघानिया के खिलाफ ठोस सबूत पेश कर सके। साथ ही ये अदालत अगली सुनवाई तक विक्की सिंघानिया को पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश देती है,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,जज साहब ने अपना फैसला सुनाया और वहा से चले गए।
विक्की सिंघानिया के साथ साथ चोपड़ा जी और सिंघानिया जी के चेहरे उतर गए उन्होने सोचा नहीं था ऐसा कुछ होगा। छवि ने सूना तो अपनी माँ का हाथ कसकर पकड़ लिया उसकी आँखों में आँसू थे , उसे अभी इंसाफ नहीं मिला था लेकिन इंसाफ की ओर उसका ये पहला कदम था। अक्षत छवि के पास आया और कहा,”बस हिम्मत रखना तुम्हारे गुनाहगारो को सजा जरूर मिलेगी”
“थैंक्यू सर”,छवि ने कहा तो अक्षत वहा से चला गया।
इंपेक्टर कदम्ब ने विक्की को हथकड़ी पहनाई और लेकर जाने लगे। जैसे ही विक्की चोपड़ा जी और अपने पापा के सामने से गुजरा चोपड़ा जी ने अफ़सोस से अपना सर हिलाया।
“पापा मैंने कुछ नहीं किया है , मुझे बचा लीजिये”,विक्की सिंघानिया जी के सामने गिड़गिड़ाया।
“मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा”,सिंघानिया जी ने कहा कदम्ब विक्की को लेकर वहा से चला गया। सिंघानिया जी भी अपने मैनेजर के साथ वहा से चले गए
छवि दीक्षित केस एक बार फिर सुर्खियों में आ चुका था। विक्की सलाखों के पीछे था और उसे बाहर निकालने के लिए सिंघानिया जी हर कोशिश कर रहे थे लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। उनका पैसा और रूतबा कोई काम नहीं आ रहा था। अक्षत ने जब इस केस को अपने हाथ में लिया तो मीडिआ और दूसरे लोग भी छवि के सपोर्ट में आ गए। मीरा ने भी कुछ फाउंडेशन और महिला संगठनों के साथ मिलकर छवि को इंसाफ दिलाने को लेकर मोर्चे निकालने शुरू कर दिए। शहर में हर गली हर घर में बस यही चर्चा थी।
सिंघानिया जी की कम्पनी के शेयर्स दिन-ब-दिन नीचे गिरते जा रहे थे। विक्की सिंघानिया के विरोध में नारे लगने शुरू हो गए। लोगो से मिले सपोर्ट के बाद छवि की खोयी हुई हिम्मत भी वापस लौट आयी। उसके साथ जो हुआ उस हादसे को तो वह नहीं भूल सकती थी लेकिन अपने लिए इंसाफ की लड़ाई जरूर लड़ सकती थी। छवि के केस में अक्षत दिन रात पूरी मेहनत कर रहा था ताकि उसे इंसाफ दिला सके
अगली सुनवाई में अभी दो दिन बचे थे। अक्षत अपने केबिन में बैठा काम कर रहा था। अपनी टेबल पर बैठी चित्रा प्यार से अक्षत को देखे जा रही थी। छवि दीक्षित केस में उसने अक्षत का एक अलग ही रूप देखा था। इम्प्रेस तो वह उस से पहले ही थी अब उसे और ज्यादा पसंद करने लगी थी। अक्षत अपना काम कर ही रहा था की उसका फोन बजा। अक्षत ने देखा कोई अनजान नंबर है उसने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
“हेलो मिस्टर व्यास मैं सिंघानिया जी का मैनेजर बोल रहा हूँ , सिंघानिया जी आपसे मिलना चाहते है”,दूसरी तरफ से मैनेजर की आवाज आयी जिसे सुनकर अक्षत की भँवे तन गयी और उसने कहा,”आप शायद भूल रहे है की मैं सिंघानिया जी के बेटे के खिलाफ ही केस लड़ रहा हूँ”
“हाँ हाँ मैं जानता हूँ इसलिए तो वो आपसे मिलना चाहते है , आज शाम 6 बजे सनशाइन होटल”,मैनेजर ने कहा
“अपने मालिक से कहना मैं उनका नौकर नहीं हूँ”,कहकर अक्षत ने फोन काट दिया और साइड में रख दिया।
चित्रा ने सूना तो समझ गयी की अक्षत का मूड ऑफ है वह चुपचाप उठी और अक्षत के लिए चाय ले आयी। चित्रा ने जैसे ही चाय का कप अक्षत के सामने रखा अक्षत ने कहा,”मैंने कहा तुमसे चाय के लिए ?”
“नहीं बस मैं वो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने कहना चाहा लेकिन अक्षत ने उसकी बात काट दी
“मिस चित्रा क्या आप मेरे साथ सिर्फ मेरी जूनियर और प्रेक्टिस लॉयर के तौर पर पेश नहीं आ सकती। ये चीजे मैं अपने लिए खुद कर सकता हूँ सो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,छवि दीक्षित केस की जो फाइल है उसे स्टडी करके उसकी कॉपीज मुझे दीजिये”,अक्षत ने कठोरता से कहा
“यस सर”,चित्रा ने कहां और अपने टेबल की तरफ चली गयी। अक्षत अपने काम में इतना उलझा हुआ था की उसे टेबल पर रखी चाय का ध्यान नहीं रहा और वह ठंडी हो गयी। अक्षत ने घडी में टाइम देखा उसे बाहर किसी से मिलना था इसलिए उसने अपना बैग उठाया और चित्रा से कहा,”सचिन से कहना मैं घर जा रहा हूँ और तुम भी वक्त से निकल जाना”
“ओके सर”,चित्रा ने छवि केस की फाइल अक्षत को देते हुए कहा ऐसा करते हुए हुए सहसा ही चित्रा की उंगलिया अक्षत की उंगलियों को छू गयी और एक सिहरन सी चित्रा को महसूस हुयी लेकिन अक्षत ने ध्यान नहीं दिया और वहा से चला गया। अक्षत को जाते देखकर चित्रा ने मन ही मन खुद से कहा,”क्या तुम्हारा दिल इतना सख्त है अक्षत , मैं इस पत्थर दिल के मोम होने का इंतजार करुँगी”
चित्रा के चेहरे पर उदासी के भाव आ गए और मन भारी हो गया।
अक्षत घर आया जैसे ही वह अंदर दाखिल हुआ हॉल में बैठे सिंघानिया जी और उनके मैनेजर को देखकर अक्षत के कदम ठिठके। सिंघानिया जी को अपने घर में देखकर अक्षत को मन ही मन बहुत गुस्सा आया लेकिन राधा , दादू , दादी माँ , मीरा , नीता , तनु और बच्चे वहा मौजूद थे। विजय जी , अर्जुन और सोमित जीजू अभी घर नहीं आये थे।
अक्षत ने अपना बैग वहा खड़े रघु को दिया और सिंघानिया जी की तरफ चला आया। अक्षत को देखकर सिंघानिया जी उठे और उसकी तरफ पलटकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”मेरे बुलाने से तुम नहीं आये तो देखो मैं तुमसे मिलने चला आया”
अक्षत ने धीरे से सिंघानिया जी के हाथ को नीचे किया और कहा,”बाहर चलकर बात करे ?”
“हाँ बिल्कुल , चाय के लिए शुक्रिया”,सिंघानिया जी ने पलटकर राधा से कहा तो राधा हल्का सा मुस्कुरा देती है
अक्षत सिंघानिया जी और उनके मैनेजर के साथ बाहर लॉन में आया और गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा,”मेरे घर आने की आप लोगो की हिम्मत कैसे हुयी ?”
“मिस्टर व्यास ये गुस्सा लड़ाई झगड़ा कोर्ट में अच्छा लगता है कोर्ट के बाहर तो हम सब एक ही है , मैनेजर”,सिंघानिया जी ने कहा तो उनके मैनेजर ने अपने कोट से एक लिफाफा निकालकर अक्षत की तरफ बढ़ा दिया
“ये क्या है ?”,अक्षत ने भँवे तन गयी।
“मिस्टर व्यास मेरी तरफ से एक छोटा सा गिफ्ट पुरे 2 करोड़ , ऐसे गिफ्ट आते रहेंगे बस इस केस से हट जाईये”,सिंघानिया जी ने जैसे ही कहा अक्षत ने उनकी तरफ देखा उसने मैनेजर के हाथ से लिफाफा लिया। मैनेजर मुस्कुरा उठा लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे के भाव बदल गए अक्षत ने उसे लिफाफे के टुकड़े टुकड़े किये और मैनेजर के मुंह पर फेंकते हुए कहा,”आपने क्या मुझे मणिशंकर समझा है जो वकील तो सरकार का है लेकिन काम आपके लिए करता है”
अक्षत की बात सुनते ही सिंघानिया जी के चेहरे से मुस्कराहट गायब हो गयी। अक्षत उन्हें घूरते हुए आगे कहने लगा,”मणिशंकर का एक्सीडेंट करवाकर आपको लगा की आप ये केस जीत जायेंगे और विक्की सिंघानिया जेल के बाहर होगा। आप कितने घटिया और पहुंचे हुए हो ये समझने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगा। गलती करने पर अपने बेटे को सुधारने के बजाय उसे बढ़ावा देने वाले आप है ,
वो शराब पीकर कानून तोड़े तो उस कानून को रिश्वत देकर खरीदने वाले आप है , वो लड़कियों से बदतमीजी करे उनका फायदा उठाये तो इज्जत के नाम पर उन लड़कियों का मुंह बंद करने वाले आप है और जब कोई आपके खिलाफ आवाज उठाये तो पैसे के दम पर उसका मुंह बंद करने वाले भी आप ही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं बिकाऊ नहीं हूँ।”
इस बार अक्षत की आवाज थोड़ी तेज हो गयी। बाहर क्या हो रहा है अंदर ये किसी को पता नहीं था वे सब अपने कामो में लगे थे। सिंघानिया जी ने अक्षत की आँखों में गुस्सा और बातो में सच्चाई देखी तो खामोश हो गए। अक्षत उनके करीब आया और उनकी आँखों में देखते हुए कहने लगा,”वो लड़की जिसे तुम्हारे बेटे ने वो दर्द दिया है जिसे वो जिंदगीभर नहीं भूल पायेगी आप चाहते है मैं उसका भरोसा तोड़ दू ,
वो माँ जिसने अपनी बेटी के साथ बुरा सुलूक होते देखा आप चाहते है मैं उस माँ का भरोसा तोड़ दू। आपके बेटे ने उस लड़की का रेप किया है उसे सजा दिलाना मेरा काम है और उसे सजा मिलकर रहेगी”
“विक्की से अनजाने में गलती हो गयी , मैं उसके लिए माफ़ी मांगता हूँ , मैं उस लड़की छवि से भी माफ़ी मांगने को तैयार हूँ। विक्की मेरा इकलौता बेटा है प्लीज उसे माफ़ कर दो,,,,,,,,,,,तुम ही हो जो उसे बचा सकते हो ,, तुम जितना कहोगे मैं उतना पैसा दूंगा , तुम्हे जो चाहिए वो दूंगा बस मेरे बेटे को बचा लो”
अक्षत ने सूना तो उसने नफरतभरे स्वर में कहा,”पैसा ? क्या आपका ये पैसा उस लड़की की इज्जत वापस ला सकता है ? क्या आपका ये पैसा उस लड़की की आत्मा पर लगे जख्मो को भर सकता है ?
क्या ये आपका ये पैसा उस माँ के आँसुओ की कीमत चुका सकता है जिसकी बेटी की जिंदगी खराब कर दी तुम सबने ? क्या कर सकता है आपका पैसा हां ? आपके पैसे ने आपके बेटे को अच्छी जिंदगी दी लेकिन उसे संस्कार नहीं दे पाए , आपके पैसे ने उसे किताबे दी लेकिन सही गलत में फर्क करना नहीं सीखा पाए , आपके पैसे ने उसे ऐशो आराम की जिंदगी दी लेकिन किसी दूसरे का दर्द और तकलीफ महसूस करना नहीं सीखा पाए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या है ये पैसा कुछ भी नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इस से पहले मैं कुछ और कहू निकल जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,,!”
अक्षत की बात सुनकर सिंघानिया जी खामोश हो गए कही ना कही उसकी ये बातें सच थी
“मिस्टर व्यास,,,,,,,,!!”,मैनेजर ने जैसे ही कहना चाहा अक्षत गुस्से में उसकी तरफ पलटा और दाँत भींचते हुए कहा,”मैंने कहा जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,!”
अक्षत का गुस्सा देखकर मैनेजर पीछे हट गया घबराहट उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। सिंघानिया जी वहा से चले गए। दरवाजे पर खड़ी मीरा ने देखा तो अक्षत के पास चली आयी। गुस्से में अक्षत को सम्हालना अक्सर थोड़ा मुश्किल हो जाता था। अक्षत को बहुत गुस्सा आ रहा था उसने शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल लिए स्लीव्स ऊपर चढ़ा ली।
उसने लॉन की जमीन पर एक दो बार पैर मारे और खुद से ही कहा,”हाह मुझे पता था ये ऐसी घटिया हरकत जरूर करेगा। मुझे खरीदने की बात करता है इसकी औकात क्या है हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो अपने पैसे का घमंड दिखा रहा है मुझे वो अपने पैसे से सब खरीद सकता है लेकिन अक्षत व्यास का जमीर नहीं,,,,,,,,,,,!!”
“अक्षत जी,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने धीरे से कहा अक्षत उसकी तरफ पीठ किये खड़ा था उसने अपने बालों में से दोनों हाथ निकाले और धीरे से कहा,”मीरा अंदर जाओ”
“अक्षत जी लेकिन आप,,,,,,,,,,,,,,!”,मीरा ने जैसे ही कहना चाहा अक्षत गुस्से में पलटा और थोड़ा चिल्लाकर कहा,”मैंने कहा अंदर जाओ,,,,,!!”
अक्षत को गुस्से में देखकर मीरा सहम गयी उसकी आँखों में डर के साथ साथ नमी तैर गयी। वह तुरंत वहा से चली गयी अक्षत लॉन में रखे झूले पर आ बैठा उसका सर भारी हो रहा था और धड़कने सामान्य से तेज थी।
अक्षत के चेहरे पर कठोर भाव थे और वह झूले पर बैठा बस सिंघानिया जी के बारे में सोच रहा था। आज से पहले किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई थी की वह ऐसे घर आ जाये। अक्षत को अपना परिवार बहुत प्यारा था और वह हमेशा अपनी फॅमिली को ऐसे लोगो से दूर रखता था।
अक्षत के चिल्लाने से मीरा ख़ामोशी से अंदर चली आयी उसे अक्षत के चिल्लाने का इतना दुःख नहीं था बस वह उसे तकलीफ में देखकर परेशान थी। परेशानी से घिरी मीरा पूजा घर में पूजा करते हुए अक्षत के बारे में सोच रही थी उसे ध्यान नहीं रहा और दीपक का घी नीचे गिरने लगा। राधा ने देखा तो मीरा के हाथ से पूजा की थाली लेते हुए कहा,”मीरा,,,,,,,,,,बेटा ध्यान कहा है तुम्हारा ? देखो दीपक का सारा घी तुम्हारे दुप्पटे पर गिर गया”
“माफ़ करना माँ वो हम,,,,,,,,,,,,,,,,हमे ध्यान नहीं रहा”,मीरा ने कहा
“कोई बात नहीं पूजा मैं कर देती हूँ , तुम जाकर ये दुपट्टे को मशीन में डाल दो वरना ये दाग रह जाएगा”,राधा ने कहा तो मीरा वहा से चली गयी। राधा पूजा करने लगी। पूजा करते हुए उसकी नजर मीरा पर चली गयी जिसके चेहरे पर परेशानी के भाव थे। राधा का ध्यान तब टुटा जब अमायरा ने आकर कहा,”दादी माँ पसाद दो”
“छोटी मीरा प्रशाद सुबह की पूजा में मिलता है शाम में नहीं”,राधा ने कहा तो अमायरा ने अपना निचला होंठ बाहर निकाल लिया। राधा फिर पूजा करने लगी।
अमायरा वही मंदिर की सीढ़ी पर आ बैठी उसने सामने भगवान की कटोरी में रखा लड्डू देखा तो उठाया और खाने लगी। राधा ने पूजा करके जैसे ही थाली रखी अमायरा को लड्डू खाते हुए देखा और कहा,”अरे अमायरा तुमने भगवान जी का लड्डू खा लिया”
“दादी माँ,,,,,,,,,,,,आप ही तो कहती है बच्चे भगवान का रूप होते है”,अमायरा ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों को मिचमिचाते हुए कहा तो राधा मुस्कुराने लगी और फिर अमायरा को साथ लेकर वहा से चली गयी।
अँधेरा हो चुका था अक्षत अभी भी लॉन में बैठा था उसका गुस्सा अब कम हो चुका था लेकिन कुछ देर वह अकेले ही रहना चाहता था इसलिए अंदर ना जाकर बाहर ही बैठा रहा। विजय जी अर्जुन और सोमित जीजू घर चले आये। अर्जुन और विजय जी तो सीधा अंदर चले गए लेकिन सोमित जीजू की नजर झूले पर बैठे अक्षत पर चली गयी। सोमित जीजू उस तरफ चले आये और अक्षत के बगल में बैठते हुए कहा,”और भई साले साहब ऐसे अँधेरे में अकेले बैठकर किसे याद कर रहे हो ?”
अक्षत ने सूना तो कोई जवाब नहीं दिया बस खामोश रहा सोमित जीजू ने देखा अक्षत खामोश है तो कहा,”क्या हुआ आशु तू इतना चुप क्यों है ? सब ठीक है ना ?”
“मुझे बहुत बुरा लग रहा है”,अक्षत ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा
“बुरा लग रहा है लेकिन क्यों और किस बात का ?”,जीजू ने हैरानी से पूछा
“कुछ देर पहले मैं गुस्से में मीरा पर बेवजह चिल्लाया इसलिए अब मुझे बुरा लग रहा है”,अक्षत ने जीजू की तरफ देखकर कहा
जीजू कुछ देर अक्षत को देखते रहे और फिर उसे एक टाइट हग करते हुए कहा,”तू बेवजह नहीं चिल्लाया होगा , तू किसी बात से परेशान होगा और वो गुस्सा मीरा पर निकल गया। अंदर जाकर उसे सॉरी बोल देना वो इतनी अच्छी है की तुझसे कभी नाराज नहीं होगी”
अक्षत ने सूना तो हल्का सा मुस्कुरा दिया। जीजू को गले लगाकर उसे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था साथ ही महसूस हुआ की एक इंसान के लिए फॅमिली का होना कितना जरुरी है।
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क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 34
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संजना किरोड़ीवाल
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Singhaniya ji ko apni aulad ko sanskar Dene chahiye the jab vo phli galati karta us din use thappad mar deta to aaj ye din nhi dekhana padta unko
Interesting part chavi ko insaf dila de achat kanhe ye Chitra achat ko lekar aage kuch gadbad n kare
Somit Jiju toh Humesha Akshat ko sambhal lete hai…❤️❤️
Very nice part
Singhania ji jante the ki unka beta galat hai aur Akshat usse punish karvayega toh unhone apne bete ko bachane ke liye usse rishvat dene ki koshish ti toh Akshat ne lene ne man kardiya aur kaha ki voh bikau nahi hai aur unka gussa Meera per nikal diya aur ab bura lag raha ki Meera per kyu chilaya..
Akshat hi h jo chavi ko insaaf dila skta h
Aashu ko bura lag rha h ki singhania uske ghar tk aa gya or aashu k liye uski family important h…wo bhi chahta ki aise logo ko Nazar uski family pr pade…
Kya singhaniya hi amarya ko kidnap krega ya akshat ka dost shub 🙄🙄