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“हाँ ये मोहब्बत है” – 7

Haan Ye Mohabbat Hai – 7

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

Haan Ye Mohabbat Hai – 7

अक्षत कोर्ट पहुंचा और गाड़ी को पार्किंग में लगाया। वह गाड़ी से उतरा और अपना बैग और फाइल्स लेकर अपने केबिन की तरफ बढ़ गया। इंदौर कोर्ट में उसे 4 साल होने वाले थे और इन चार सालो में वह अपना काम बखूबी कर रहा था। कोर्ट में काम करने वाले दूसरे वकील अक्षत के सख्त रवैये से वाकिफ थे इसलिए कोई उस से ज्यादा बात नहीं करता था।

वैसे भी अक्षत जब तक कोर्ट रहता काम में लगा रहता और जब फ्री होता तब कोर्ट की लायब्रेरी में नजर आता। पार्किन से  अपने केबिन की तरफ जाते हुए अक्षत ने देखा आज कोर्ट में काफी भीड़ थी। अक्षत ने घडी में टाइम देखा और आगे बढ़ गया।
“अरे शर्मा जी माथुर साहब के साथ आयी नयी इंटर्न को देखा आपने , बला की खूबसूरत है”,एक उम्रदराज वकील ने अपने साथी वकील से कहा


“अच्छा अच्छा इसलिए ये सब इतना बौराये घूम रहे है , वैसे वो है कहा ज़रा हम भी तो दर्शन करे उनके”,दूसरे वकील ने कहा
“हो ना हो माथुर जी के केबिन में ही होंगी , चलिए देखते है”,पहले वकील ने कहा और दोनों साथ साथ वहा से आगे बढ़ गए और कुछ देर बाद दोनों माथुर जी के केबिन के बाहर पहुंचे। दोनों ने देखा की वहा पहले से काफी भीड़ है और हर कोई केबिन के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा है।

कुछ देर बाद काले रंग की साड़ी में लिपटी 24-25 साला एक खूबसूरत लड़की अपने हाथ में डाक्यूमेंट्स फाइल लेकर माथुर जी के केबिन से बाहर निकली। गोरा रंग , अच्छी हाईट , पतली कमर , खुले बाल , सुराही सी गर्दन , होंठो पर हल्की लिपस्टिक , आँखों में गहरा काजल , नाक में नगीना , होंठो के बीच दूध से सफ़ेद दाँत ,बाँये हाथ पर बना मोरपंख का टैटू और पैर इतने नाजुक की उन्हें देखकर कोई दिलफेंक आशिक़ कह उठे “इन्हे जमीन पर ना रखिये मैले हो जायेंगे”


उस लड़की को देखकर वहा खड़े लोगो की आँखे चमक उठी , हर किसी की नजरे बस उसी पर थी। वह लड़की अदा से मुस्कुराते हुए बरामदे में चली जा रही थी , उसकी पर्सनालिटी और ऐटिटूड ऐसा की उसने किसी को नजर भर देखा तक नहीं लेकिन उसे देखने के चक्कर में एक वकील ने दूसरे वकील पर अपनी स्याही उड़ेल दी , एक आदमी चलते चलते उसे देखकर सामने खड़े खम्बे से टकरा गया ,

चायवाला चाय को कप के बजाय नीचे छानने लगा और एक वकील साहब ने अपने हाथ में पकडे पेन को अपने ही फाइल पर चलाकर पेंटिंग बना दी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक लाइन में कहे तो कुल मिलाकर उस लड़की ने सब के होश उड़ा दिए थे। वह बरामदे में चलते हुए आगे बढ़ती रही , बरामदे में खड़े कुछ इंटर्न्स ने उसे देखकर हाय हेलो भी कहा लेकिन लड़की ने ध्यान नहीं दिया वह सबको इग्नोर करते हुए आगे बढ़ गयी और इंटर्न्स खिंसिया कर रह गए।


अक्षत जैसे ही अपने केबिन की तरफ जाने लगा उसके साथ काम करने वाले जूनियर वकील ने आकर कहा,”सर आपको माथुर साहब ने बुलाया है”
अक्षत ने हाथ में पकड़ा बैग और फाइल लड़के को दी और कहा,”ठीक है मैं मिलकर आता हूँ तब तक तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“सर मैंने आज की सुनवाई की फाइल तैयार कर दी है , यादव जी वाले केस की सभी डिटेलस भी चेक कर ली है , 4 महीने से जो केस पेंडिंग में था उसके लिए कल की डेट भी मिल गयी है और उसकी नकल भी मैंने निकलवा ली है”,लड़के ने कहा जिसका नाम सचिन त्यागी है
“गुड , आज की सुनवाई के लिए दो गवाह बुलाये थे वो आये ?”,अक्षत ने कहा


“सॉरी सर मैं उन्हें फोन करना भूल गया”,सचिन ने कहा तो अक्षत ने उसकी ओर देखा और कहा,”1 घंटे बाद सुनवाई है उन्हें तुरंत आने को बोलो”
सचिन ने हाँ में गर्दन हिलायी और वहा से चला गया। अक्षत बरामदे से होकर माथुर साहब के केबिन की ओर जाने लगा। इसे इत्तेफाक कहे या किस्मत का खेल जिस बरामदे से होकर वो लड़की आ रही थी उसी बरामदे में चलकर सामने से अक्षत आ रहा था।

अक्षत सामने देखते हुए चला आ रहा था। लड़की की नजर अक्षत पर पड़ी , लड़की उसे देखते हुए आगे बढती रही। अक्षत बिल्कुल उसके बगल से निकला लेकिन उसे देखा तक नहीं और आगे बढ़ गया। लड़की रुकी और पलटकर अक्षत को देखते हुए मन ही मन कहा,”ये कौन है जिसने मुझे देखा तक नहीं ?”
“मिस चित्रा,,,,,,,,,,,,,,,!”,वहा से गुजरते अखिल ने आवाज दी तो चित्रा की तंद्रा टूटी और उसने पलटकर देखा।

वह अखिल की तरफ चली आयी और उस से हाथ मिलाते हुए कहा,”हेलो सर मायसेल्फ चित्र अग्रवाल , मैं यहाँ इंटनर्शिप के लिए आयी हूँ”
“हेलो चित्रा ! माथुर सर का कॉल आया था मेरे पास उन्होंने बताया आप क्रिमिनल लॉयर के लिए तैयारी कर रही है , वैसे मुझे फीमेल लॉयर से ये उम्मीद नहीं थी”,अखिल ने चित्रा के साथ जाते हुए कहा
“क्यों सर ? क्या लड़किया क्राइम के खिलाफ वकालत नहीं कर सकती ?”,चित्रा ने पूछा


अखिल ने एक नजर चित्रा को देखा और कहा,”हाँ बिल्कुल कर सकती है लेकिन माथुर सर ने जिस क्रिमिनल लॉयर के साथ तुम्हे रिकमेंड किया है वो थोड़ा टेढ़ा आदमी है”
“फिर तो और मजा आएगा , वैसे भी मुझे सीधे लोग पसंद नहीं”,चित्रा ने कहा और हंस पड़ी। अखिल उसे लेकर लॉयर चेंबरस की तरफ चला गया।

“में आई कम इन सर ?”,माथुर साहब के केबिन के बाहर खड़े अक्षत ने पूछा
“अरे अक्षत आओ अंदर आओ , कितनी बार कहा है तुम्हे ऐसे पूछकर आने की जरूरत नहीं है लेकिन तुम नहीं सुनते,,,,,,,,,,,,,,आओ बैठो”,माथुर साहब ने अपने हाथ में पकड़ी फाइल को साइड रखते हुए कहा।
“गुड मॉर्निंग सर , सचिन ने बताया की आपने मुझे बुलाया है”,अक्षत ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा


“गुड मॉर्निंग , दरअसल मैंने तुम्हे इसलिए बुलाया है की एक नयी इंटर्न है जिन्होंने क्रिमिनल लॉ से L.L.B. किया है और अब प्रैक्टिस के लिए यहाँ आयी है। सब जानते है तुम अपने काम में बेहतर हो और मैं चाहता हूँ की ये नयी इंटर्न तुम्हारे अंडर में प्रेक्टिस करे”,माथुर साहब ने चाय का कप अक्षत की ओर बढ़ाते हुए कहा। अक्षत ने चाय ली और एक घूंठ भरते हुए कहा,”क्या ये एक फीमेल इंटर्न है ?”


“अक्षत तुम्हे फीमेल इंटर्न से कोई परेशानी है क्या पिछले 3 सालो में कितनी ही इंटर्न्स तुम्हारे साथ काम करना चाहती है लेकिन तुम मना कर देते हो , ऐसा क्यों ?”,माथुर साहब ने हैरानी से कहा


अक्षत ने माथुर साहब की बात का कोई जवाब नहीं दिया उलटा सामने से कहा,”नाम चित्रा अग्रवाल , उम्र 25 साल , पिछले साल ही उसने अपनी L.L.B की पढाई कम्प्लीट की है , क्रिमिनल लॉ में उसकी काफी दिलचस्पी है और ये दिलचस्पी शायद इसलिए है क्योकि उनके पिता भोपाल की एक बड़ी लॉ फर्म में काम कर चुके है जिनकी कुछ महीनो पहले ही एक कर एक्सीडेंट में मौत हुयी है”


माथुर साहब ने सूना तो हैरानी से अक्षत की तरफ देखने लगे और कहा,”तुम्हे ये सब कैसे पता ?”
अक्षत ने अपनी चाय खत्म की और उठते हुए कहा,”मुझसे जुड़ने वाले हर इंसान की जानकारी रखना मेरा पैशन है सर , चलता हूँ”
अक्षत केबिन से बाहर निकल गया अखिल चित्रा को लेकर एक केबिन में आया और कहा,”सचिन ! ये चित्रा है और आज से ये प्रेक्टिस के लिए तुम्हारे साथ ही काम करेगी। वैसे अक्षत दिखाई नहीं दे रहा”


“सर माथुर जी से मिलने गए है”,सचिन ने चित्रा को देखते हुए कहा जिसका ध्यान केबिन में देखने में था।
“ओके देन मैं चलता हूँ , मेरी एक केस की सुनवाई है अक्षत आये तो उस से कहना लंच टाइम में मुझसे मिले”,कहते हुए अखिल वहा से चला गया।
“आप खड़ी क्यों है बैठिये न”,सचिन ने कहा तो चित्रा ने पास पड़ी कुर्सी खिसकाई और उस पर आ बैठी।

उसने सामने रखी नेम प्लेट को देखा जिस पर लिखा था “एडवोकेट अक्षत व्यास” चित्रा को ये नाम बड़ा ही दिलचस्प लगा वह हल्का सा मुस्कुराई और केबिन का जायजा लेने लगी। छोटा सा केबिन काफी व्यवस्तिथ रूप से जमा हुआ था। कुछ देर बाद अक्षत अपने केबिन में आया उसने कुर्सी पर बैठी चित्रा पर ध्यान ही नहीं दिया और सचिन से कहा,”आज जितने भी केस की सुनवाई है उनकी फाइल्स मुझे चाहिए और मेहता जी वाले केस की नकल निकलवा कर मुझे दो”


“जी सर”,सचिन ने कहा और अपने काम में लग गया। अक्षत अपनी कुर्सी पर आकर बैठा और चित्रा की तरफ देखकर कहा,”क्या मैं जान सकता हूँ तुमने ये फिल्ड क्यों चुना ?”
चित्रा कुछ देर तक एकटक अक्षत को देखते रही और फिर कहा,”मेरे पापा एक क्रिमिनल लॉयर थे , बचपन से ही मैंने अपने आस पास बहुत से लोगो को क्राइम करके बचते देखा है और तब मुझे बहुत बुरा लगता था और तभी मैंने ठान लिया था की मैं एक क्रिमिनल लॉयर बनूँगी”


अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और अपनी नजरे झुकाकर कहने लगा,”हमारी लाइन में एक बहुत बड़ा फेक्ट है की वकील बनने के लिए झूठ बोलना आना चाहिए ये सच भी है और झूठ भी,,,,,,,तुमने ये फिल्ड सिर्फ इसलिए चुना क्योकि तुम्हारे पिता एक क्रिमिनल लॉयर थे और तुम्हे लगता है उनकी मौत के बाद उन्हें जस्टिस नहीं मिला और उनका केस बस एक कर एक्सीडेंट बोलकर बंद कर दिया गया। एक क्रिमिनल लॉयर बनकर तुम अपने पिता के सपनो को पूरा करना चाहती हो , सिर्फ इसलिए मैं तुम्हे एक मौका दूंगा। तुम अपनी इंटर्नशिप के लिए प्रेक्टिस कर सकती हो”


“थैंक्यू अक्षत”,चित्रा ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा
चित्रा के मुंह से अक्षत का नाम सुनकर पीछे काम करते सचिन ने हाथ में पकड़ी अपनी बुक से अपना सर पिट लिया क्योकि जब वह नया नया आया था तब उसने भी यही गलती की थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपने सीनियर को नाम से बुलाने की  


अक्षत ने अपनी पलके उठायी और चित्रा की तरफ देखकर कहा,”आई ऍम नॉट योर क्लासमेट,,,,,,,,,,,,,,,,कॉल में सर or मिस्टर व्यास”
“आ आई ऍम सॉरी सर,,,,,,,,,,!”,चित्रा ने झेंपते हुए कहा हालाँकि अक्षत उसे अपना हमउम्र ही लगा था लेकिन था वो चित्रा का सीनियर। अक्षत ने घडी में वक्त देखा और फाइल उठाते हुए कहा,”मेरी बार काउन्सिल के साथ एक मीटिंग है , सचिन तुम्हे काम के शुरूआती तौर तरीके समझा देगा,,,,,,,,,,,,,,,,तुम आज से अपना काम शुरू कर सकती हो”


कहकर अक्षत दरवाजे की तरफ बढ़ गया उसने चित्रा के जवाब का इंतजार भी नहीं किया। दरवाजे पर जाकर अक्षत रुका और पलटकर कहा,”मिस चित्रा”
“यस सर”,चित्रा ने जल्दी से उठकर कहा
“कल से ढंग के कपडे पहनकर आना , ये वर्किंग प्लेस है”,कहकर अक्षत वहा से चला गया। सचिन ने सूना तो हंस पड़ा बेचारी चित्रा जिसके पीछे कोर्ट के आधे से ज्यादा लोग पागल हुए थे उसे अक्षत ने भाव तक नहीं दिया। चित्रा सचिन की तरफ चली आयी।

मीरा चाइल्ड होम पहुंची। कुछ मीटिंग्स थी और उसके बाद मीरा को कुछ लोगो से मिलना था। मीटिंग के बाद मीरा अपने ऑफिस रूम में चली आयी। मीरा ने आते ही वहा बैठे दम्पति को हाथ जोड़कर नमस्ते की और फिर उनके साथ आ बैठी। अखिलेश भी हाथ बांधकर वही खड़ा था। मीरा के आने के बाद उसने कहना शुरू किया,”मेम ये है मिस्टर सिद्धार्थ और ये इनकी धर्मपत्नी आशा जी , ये लोग यही इंदौर से है।”


“नमस्ते मीरा जी आपके बारे में बहुत सूना है , आपने जब इस चाइल्ड होम को शुरू किया था तब मैं इसके इनोग्रेशन में आया था तब मैंने सोचा नहीं था कि आपसे फिर मुलाकात होगी वो भी इस तरह,,,,,,,,,!!”,कहते कहते मिस्टर सिद्धार्थ उदास हो गए
मीरा ने देखा तो सहजता से कहा,”आप बेफिक्र होकर अपनी बात हमारे सामने रख सकते है”


“दरअसल पिछले साल ही मुझे पता चला की मेरी पत्नी कभी माँ नहीं बन सकती है , शादी के बाद एक औरत के लिए सबसे बड़ी ख़ुशी की बात होती है माँ बनना लेकिन आशा को ये ख़ुशी नसीब नहीं हुई। मैं अपनी वाइफ से बहुत प्यार करता हूँ और इसे तकलीफ में नहीं दे सकता , हम अपने बच्चे को जन्म नहीं दे सकते लेकिन किसी बच्चे को गोद लेकर उसे माँ बाप का प्यार तो दे ही सकते है सोचकर मैं यहाँ आया हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,उम्मीद है आप हमे निराश नहीं करेंगी”,सिद्धार्थ ने उम्मीदभरे स्वर में कहा


“हमे जानकर ख़ुशी हुई , यहाँ रहने वाले बच्चो को किसी चीज की कमी नहीं है अगर उन्हें एक बेहतर भविष्य के साथ साथ माँ-बाप का प्यार भी मिलता है तो हमे अच्छा लगेगा,,,,,,,,,,,,,,,,यहाँ रहने वाले बच्चे हमारे अपने बच्चे जैसे है इसलिए पहले हम पूरी तसल्ली करेंगे उसके बाद ही आपको बच्चा गोद देंगे। आप अपना नाम और अड्रेस अखिलेश जी को दे दीजिये जैसे ही वक्त मिलेगा हमारे मैनेजर आपको इन्फॉर्म कर देंगे”,मीरा ने फिर सहजता से कहा


“थैंक्यू सो मच मीरा जी , हम कोशिश करेंगे हम उस बच्चे को एक बेहतर जिंदगी दे सके”,सिद्धार्थ ने उठते हुए कहा
मीरा आशा के पास आयी और प्यार से उसका हाथ थामकर कहा,”क्या हुआ जो आप किसी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती बल्कि किसी बच्चे की माँ कहलाना भी उतना ही सुकूनभरा है , जब आप उसके मुंह से अपने लिए माँ शब्द सुनेंगी तो आपकी तकलीफ कम हो जायेगी”


मीरा की बात सुनकर आशा की आँखों में आँसू भर आये वह खुद को रोक नहीं पायी और मीरा के गले आ लगी। सिद्धार्थ ने अखिलेश को अपनी सभी जानकारी  दे दी। मीरा उन्हें लेकर बच्चो के पास चली आयी। आशा और सिद्धार्थ ने कुछ वक्त बच्चो के साथ बिताया। बच्चो  आकर आशा के चेहरे की खोयी मुस्कान लौट आयी। मीरा भी वही खड़ी मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगी। ऑफिस रूम में काम करते अखिलेश की नजर मुस्कुराती हुई मीरा पर चली गयी तो उसने मन ही मन कहा,”आप बहुत अच्छी है मीरा मैडम , बस हमेशा ऐसे ही खुश रहना”

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क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 8

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