Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 26

Haan Ye Mohabbat Hai – 26

अक्षत मीरा को साथ लेकर उसे मायके छोड़ने जा रहा था। मीरा का जाना उसे थोड़ा अच्छा नहीं लग था लेकिन वह मीरा पर किसी तरह की पाबंदिया भी नहीं चाहता था। मीरा के हाथ को अपने हाथ में थामे अक्षत गाड़ी चला रहा था। उसे खामोश देखकर मीरा ने कहा,”वैसे आज जी हमारे घर लड़की आयी थी वो बहुत खूबसूरत थी”
“तुमसे ज्यादा नहीं”,अक्षत ने सामने देखते हुए कहा
“आपने सॉरी कहा उनसे ?”,मीरा ने सवाल किया तो अक्षत ने ने गाड़ी रोक दी और मीरा की और पलटकर कहा,”मीरा क्या तुम्हे सच में लगता है मुझे उस से माफ़ी मांगने की जरूरत है ? वो लड़की पैसे के घमंड में चूर है मीरा उसे कुछ भी कहना या समझाना मैं अपना टाइम वेस्ट करना समझता हूँ”
“हम्म्म ठीक है”,मीरा ने कहा तो अक्षत ने गाड़ी वापस आगे बढ़ा दी। आधे घंटे बाद ही अक्षत मीरा को लेकर अपने ससुराल पहुंचा। अमर जी ने अपने भाईयो और उनके परिवार को भी बुला लिया ताकि सभी मीरा से मिल सके। गाड़ी घर के अंदर आयी अक्षत और मीरा नीचे उतरे और दरवाजे की और बढ़ गए। मीरा के सभी घरवाले गेट पर ही खड़े थे। बड़ी चाची के हाथ में पूजा की थाली थी। अक्षत और मीरा के आने पर उन्होंने उनकी आरती उतारी तिलक किया और फिर दोनों को लेकर अंदर चले आये। मीरा और अक्षत सबसे मिले , सबके पैर छूते छूते अक्षत की तो कमर ही अकड़ गयी लेकिन मीरा के परिवार से मिलकर वह खुश था। अपने सब घरवालों से मिलने की ख़ुशी मीरा के चेहरे पर साफ झलक रही थी। मीरा अपने कजिन्स के साथ बैठी थी और बेचारा अक्षत अपनी तीन तीन सास और मीरा की भाभियो के बीच फंसा हुआ था सब उसे एक एक करके अपने हाथो से जो खिला रही थी। अक्षत का पेट भर चुका था जैसे ही वह उठने को हुआ मीरा के चाचाओं ने आकर कहा,”अरे जमाई सा हमने तो आपको कुछ खिलाया ही नहीं , लीजिये हमारे हाथो से भी खाइये”
कहते हुए दोनों चाचा भी अक्षत को खिलाने लगे , अक्षत मुश्किल से उन सब के बीच से निकला और मीरा की और आकर कहा,”मीरा रोको ना इन्हे मेरा पेट फट जाएगा”
“जीजू रसमलाई”,कहते हुए अक्षत की सबसे छोटी साली ने एक चम्मच उसे खिला दिया। अक्षत भी मना नहीं कर पाया लेकिन मीरा उसकी हालत समझ गयी और उसका हाथ पकड़कर ले जाते हुए कहा,”अक्षत जी हमे आपसे कुछ बात करनी है”
मीरा अक्षत को लेकर साइड में आयी , अक्षत खाने से बच गया तो मीरा ने कहा,”सब यहाँ है आज आप भी यहाँ रुक जाईये ना”
“मीरु मैं जरूर रुकता लेकिन कल सुबह ही मुझे कोर्ट जाना होगा , कुछ पेपर्स के सिलसिले में और रात भर बैठकर मुझे काम भी करना है , जब मैं तुम्हे लेने आऊंगा तब रुक जाऊंगा”,अक्षत ने कहा
“अच्छा ठीक है हम आपको फ़ोर्स नहीं करेंगे ,पर आप अपना ख्याल रखियेगा वक्त,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने जैसे ही कहा अक्षत ने उसकी बात काटते हुए कहा,”हाँ हां मीरा वक्त से खाना है , सोना है , देर रात नहीं जागना , सिगरेट नहीं पीनी है , और तुम्हे ज्यादा मिस भी नहीं करना है,,,,,,,,,यही कहना चाहती हो न तुम”
“आप भी ना कभी कभी बच्चे बन जाते है , चलिए जाईये”,मीरा ने कहा
“पक्का जाऊ ?”,अक्षत ने शरारत से मीरा को देखते हुए कहा
“हाँ जाईये”,मीरा ने कहा
“जाने से पहले एक किस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,जैसे ही अक्षत ने कहा अमर जी वहा चले आये और कहा,”मीरा पंडित जी आने वाले है तो उनसे मिलना है आपको , चले”
मीरा ने अक्षत की और देखा तो अक्षत ने इशारे से उसे जाने को कहा और कुछ देर बाद खुद भी चला आया। पंडित जी ने आने में अभी वक्त था इसलिए अमर जी और बाकि घरवालो से मिलकर अक्षत जाने लगा। अमर जी उसे छोड़ने गाड़ी तक आये। अक्षत वहा से चला आया। गाड़ी में अकेले अक्षत को बहुत अजीब लग रहा था लेकिन वह खुश था की कुछ दिन मीरा अपने परिवार के साथ रहेगी। अमर जी भी तो पहले से कितना बदल चुके थे। अक्षत घर चला आया और आकर अपने कमरे के बाहर बने हॉल में बैठकर अपना काम देखने लगा
अमर जी ने अपने घर के पंडित जी को बुलवाया था मीरा के लिए पंडित जी आये अमर जी से मिले और फिर बैठकर मीरा का हाथ देखने लगे। उन्होंने मीरा के खुशहाल जीवन क बारे में बताया तो सबको तसल्ली हुई , पर पंडित जी के माथे की सलवटों ने अमर जी को चिंता में डाल दिया। सबके सामने अमर जी ने कुछ नहीं कहा। पंडित जी एक धागा मीरा के बाजू पर बांधते हुए कहा,”बच्चे के जन्म होने तक इस इसे अपनी बाजु पर बांधे रखना बिटिया”
“जी पंडित जी”,मीरा ने कहा
जलपान करके पंडित जी जाने लगे तो अमर जी उन्हें छोड़ने बाहर चले आये और चलते चलते कहा,”मीरा का हाथ देखते हुए आपके माथे पर चिंता के भाव उभर आये सब ठीक है न पंडित जी ?”
“अमर जी मीरा बहुत भाग्यशाली लड़की है , वो जहा रहेगी वहा खुशिया बाटेगी पर एक चिंता है”,पंडित जी ने अमर जी की और देखते हुए कहा
“कैसी चिंता पंडित जी ?”,अमर के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये
“मीरा की जान को खतरा है और चिंता की बात ये है की ये खतरा किसी जान पहचान वाले से ही है। कुछ महीने अगर शांतिपूर्वक निकल जाते है तो खतरा टल सकता है”,पंडित जी ने तो अमर जी का दिल धकड़ने लगा। वे सोच में पड़ गए भला ऐसा कौन हो सकता है जो मीरा को नुकसान पहुंचाएगा। अमर जी को सोच में डूबा देखकर पंडित जी ने कहा,”मीरा से कहियेगा की वह माँ काली की पूजा करे , सब ठीक होगा”
“जी पंडित जी”,अमर जी हाथ जोड़ते हुए कहा और अंदर चले आये। अंदर आकर देखा मीरा अपने सभी घरवालों के साथ बैठी हंस मुस्कुरा रही थी। पंडित जी वाली बात मीरा को बताकर अमर जी उसे परेशान करना नहीं चाहते थे। वे अपने कमरे में चले गए। मीरा के प्रेग्नेंट होने की बात सुनकर सभी घरवाले बहुत खुश थे।
मीरा के चले जाने से घर एक दम सूना सूना लगने लगा था। सभी उसे मिस कर रहे थे और सबसे ज्यादा तो अक्षत , आज उसका अपने कमरे में जाने का मन नहीं कर रहा था खाना खाकर वह बाहर सोफे पर ही सो गया। अक्षत से कुछ बात करने राधा जब ऊपर आयी तो देखा अक्षत सोफे पर ही सो गया है। राधा ने कमरे से कम्बल लाकर उसे ओढ़ा दी और प्यार से उसका सर सहलाते हुए कहा,”अपनी मीरा के बिना कितना अधूरा लगता है ये लड़का”
राधा उठकर वापस जाने लगी तभी उनके कानो में कुछ आवाजे पड़ी जो की अर्जुन और नीता के कमरे से आ रही थी। राधा उस और चली आयी तो नीता की आवाज उनके कानो में पड़ी,”मैं इस घर में सिर्फ कामवाली बनकर रह गयी हूँ अर्जुन , इस घर में सब लोग बस मीरा के आगे पीछे घूमते है मेरा तो जैसे कोई वजूद ही नहीं है आखिर मैं भी इस घर की बहू हूँ”
“चिल्लाओ मत नीता और ये आजकल तुम खुद को मीरा से कम्पेयर क्यों करने लगी हो ? वो हमेशा सबके बारे में सोचती है , सबका ख्याल रखती है और इन दिनों उसे सबके प्यार और केयर की जरूरत है”,अर्जुन ने दबी आवाज में कहा
“लेकिन भेदभाव तो तुम्हारे साथ भी हो रहा है ना अर्जुन , पापा जी ने नया ऑफिस अपने और सोमित जीजू के लिए रखा और तुम्हे क्या दिया ? वो पुराना ऑफिस , देवर जी से उनके खर्चे का कोई हिसाब किताब नहीं लिया जाता जबकि आपको पापाजी को हर बात का जवाब देना होता है ये भेदभाव ही है अर्जुन”,नीता ने कड़वाहट के साथ कहा। बाहर खड़ी जब राधा ने सूना तो उसे बहुत दुःख हुआ वे वहा से चली गयी
सोच में डूबी राधा अपने कमरे में आयी विजय ही उस वक्त बैठकर अपनी कोई फाइल देख रहे थे। राधा को देखकर उन्होंने कहा,”राधा जरा वहा टेबल पर रखा मेरा चश्मा तो देना” लेकिन राधा ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और कमरे में रखी कुर्सी पर आकर बैठ गयी। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे और आँखों में भी उदासी नजर आ रही थी।
“राधा मेरा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए विजय जी ने राधा की तरफ देखा तो पाया की वे काफी परेशान है। विजय जी ने फाइल साइड में रखी और उठकर राधा के पास आये और कहा,”राधा क्या हुआ तुम ठीक हो ना ?”
“क्या हमने कभी भी हमारे बच्चो में फर्क किया है ?”,राधा ने शून्य में ताकते हुए कहा
“नहीं,,,,,,,,,,,,,,पर तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो ?”,विजय जी ने राधा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो राधा की आँखों में नमी तैर गयी। उन्होंने विजय जी की और देखकर पूछा”,क्या मैंने कभी भी अर्जुन और अक्षत में भेदभाव किया है ? क्या मैंने कभी नीता और मीरा में भेदभाव किया है ? मैंने अपने हर बच्चे को बराबर चाहा है कभी किसी को कम ज्यादा नहीं , अपनी बहुओ को भी हमेशा अपनी निधि की तरह समझा है फिर भी आज नीता आज अर्जुन से कहती है की उसके साथ इस घर में भेदभाव हो रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आप बताईये क्या मैंने घर के सदस्यों से कभी किसी तरह का भेदभाव किया है ?”
विजय जी ने सूना तो उन्हें थोड़ी हैरानी हुई और उन्होंने राधा को सम्हालते हुए कहा,”राधा हो सकता है तुम्हे कोई ग़लतफ़हमी हुई हो , नीता ऐसी बातें कभी नहीं करेंगी”
“मैंने खुद अपने कानो से सूना है , अर्जुन और उसके बीच इन्ही बातो को लेकर झगड़ा हो रहा था ,, मैं इस परिवार को टूटने नहीं दे सकती मुझे मेरे बच्चे हमेशा
साथ चाहिए”,कहते कहते राधा रो पड़ी। विजय जी ने उसे अपने सीने से लगाया और कहने लगे,”चिंता मत करो राधा मैं कल ही अर्जुन से बात करता हूँ”
“नीता के मन में ऐसे ख्याल क्यों आये सोचकर ही अजीब लग रहा है , उसे इस घर में अपने साथ भेदभाव लगा भी था तो वो एक बार मुझसे कहती , शायद मुझसे कोई गलती हुई हो”,राधा ने सिसकते हए कहा
“कैसी बातें कर रही हो राधा ? तुम इस घर की नींव हो तुमसे कोई गलती हो ही नहीं सकती , चलो चलकर सो जाओ मैं सुबह अर्जुन और नीता दोनों से बात करता हूँ”,विजय जी ने प्यार से राधा का सर सहलाते हुए कहा
राधा आकर बिस्तर पर लेट गयी लेकिन उसके मन में अभी भी नीता के कहे शब्द चल रहे थे। देर रात उसे नींद आ गयी। ……

सुबह अक्षत हॉल में सो रहा था , चीकू जल्दी उठ गया था वह वही हॉल में खेल रहा था जब उसने अक्षत को सोये हुए देखा तो उसके पास आया और कहने लगा,”चाचू,,,,,,,,,,,,,,,,,चाचू,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
चीकू की आवाज से अक्षत की नींद खुल गयी उसने अधखुली आँखों से देखा चीकू उसके पास खड़ा था तो वह थोड़ा सा झुका और चीकू के गाल को चूमकर कहा,”गुड़ मॉर्निंग चैम्प”
चीकू अक्षत क बालो से खेलने लगा तो अक्षत उठकर बैठ गया उसने जैसे ही चीकू को गोद में लेना चाहा नीता आयी और चीकू को वहा से लेकर चली गयी। पहली बार अक्षत को नीता का ये व्यवहार बहुत अजीब लगा। अक्षत ने ज्यादा माइंड नहीं किया और उठकर नहाने चला गया आज उसे किसी जरुरी काम से कोर्ट जाना था।
विजय जी बाकि सबके साथ डायनिंग टेबल पर बैठे अर्जुन के आने का इंतजार कर रहे थे। कुछ देर बाद अर्जुन आया और विजय जी के पैर छूते हुए कहा,”गुड़ मॉर्निंग पापा”
“गुड़ मॉर्निंग”,विजय जी ने कहा। नीता भी वही थी और अक्षत को छोड़कर बाकि घरवाले भी , विजय जी ने यही सही वक्त समझा और अर्जुन से कहा,”अर्जुन तुम्हारी पत्नी को लगता है की तुम्हारे और उसके साथ इस घर में भेदभाव किया जा रहा है , क्या तुम्हे भी ऐसा लगता है ?”
अर्जुन ने जैसे ही सूना उसने गुस्से से नीता की और देखा तो नीता ने नजरे झुका ली , अर्जुन ने अपने पापा की और देखा और कहने लगा,”नीता की तरफ से मैं आप सबसे माफ़ी मांगता हूँ पापा , पता नहीं किसने इसके दिमाग में ये सब उलटी सीधी बाते भर दी है।”
“नीता इस घर की बड़ी बहू है बेटा और बड़ी बहू होने के नाते उसका फर्ज बनता है वह अपनी बातें खुलकर कहे। इस घर में ख़ुशी , दुःख , तीज , त्यौहार हमेशा सब साथ साथ मनाये जाते है बेटा मैं कभी नहीं चाहूंगा इस घर का बटवारा हो इसलिए आज से नए ऑफिस का काम तुम देखोगे”,विजय जी ने कहा
“लेकिन पापा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहना चाहा तो विजय जी ने उसके सामने हाथ करके उसे बीच में ही रोक दिया और नीता की और देखकर कहने लगे,”और आप बेटा जी आपको इस घर में किसी से कोई भी शिकायत थी तो आप मुझसे आकर कहती राधा से कहती आपने ये कैसे मान लिया की इस घर में आपका कोई वजूद नहीं है ? जैसे अर्जुन और अक्षत में आज तक कोई फर्क नहीं किया गया वैसे ही तुम्हे और मीरा को भी पूरी आजादी है ,, रही बात घर के कामो की तो आज से किचन का काम पूजा और राधा देख लेंगी , आपका मन हो तो आप किचन में जाना वरना कोई जबरदस्ती नहीं है”
विजय जी की बाते सुनकर नीता का सर शर्म से झुक गया। अर्जुन को ये सब सुनकर बहुत बुरा लग रहा था उसने अपने पापा की और देखा और कहा,”पापा ये नया ऑफिस आपका सपना है,,,,,,,,!”
“मेरे सपने इस घर की शांति और ख़ुशी से बढ़कर नहीं है अर्जुन , मैं पुराने ऑफिस जा रहा हु तुम सोमित जी के साथ नए ऑफिस चले जाना”,कहते हुए विजय जी उठे और चले गए

क्रमश : हाँ ये मोहब्बत है – 27

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संजना किरोड़ीवाल

Haan Ye Mohabbat Hai
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