Haan Ye Mohabbat Hai – 97
Haan Ye Mohabbat Hai – 97
अक्षत के कहने पर सोमित जीजू ने फ्लाइट रुकवा दी। सोमित जीजू ने झूठ बोला जिसके लिये उन्हें कुछ घंटो के लिये कस्टडी में रखा। अक्षत इंस्पेक्टर कदम्ब के साथ दूसरी तरफ चला आया जहा फ्लाइट में मौजूद लोगो की चेकिंग की जा रही थी। अक्षत एक एक पैसेंजर से पूछ-ताछ करने लगा। पैसेंजर इस अचानक हुई पूछताछ के लिये गुस्सा भी हो रहे थे लेकिन अक्षत और इंस्पेक्टर कदम्ब ने उन्हें कुछ नहीं बताया।
अक्षत का फोन बजा तो वह साइड में आ गया। फ़ोन पर बात करके वह वापस आया तो देखा इंस्पेक्टर कदम्ब एक महिला से उलझे हुए है। अक्षत उनके पास आया तो महिला को देखकर कहा,”आप यहाँ ?”
“अरे अक्षत तुम ! देखो न मैं यहाँ अपने किसी रिलेटिव को सी ऑफ करने आयी थी और इंस्पेक्टर साहब मुझसे ही पूछताछ कर रहे है।”,महिला ने परेशानी भरे स्वर में कहा
वह महिला कोई और नहीं बल्कि अक्षत की जबरदस्ती की प्रेमिका रह चुकी मोनालिसा की माँ थीं। अक्षत उन्हें अच्छे से जानता था इसलिए इंस्पेक्टर कदम्ब से कहा,”इंस्पेक्टर इन्हे जाने दीजिये ये मेरे नॉन ही है प्लीज,,,,,,!!”
“आप कहते है तो मैं इन्हे जाने देता हूँ,,,,,,,,,,आपको परेशानी हुई उसके लिये माफ़ी चाहूंगा। आप जा सकती है”, इंस्पेक्टर कदम्ब ने कहा
“थैंक्यू अक्षत , कभी वक्त मिले तो मीरा के साथ घर जरूर आना”,मोनालिसा की माँ ने कहा और वहा से चली गयी।
अक्षत इंपेक्टर कदम्ब के साथ एक बार फिर पूछताछ में लग गया। लगभग दो घंटे चली इस जांच पड़ताल में अक्षत के हाथ कुछ नहीं लगा। जिस फ्लाइट को रोका गया था उसने 2 घंटे बाद फिर उड़ान भरी और चली गयी। मायूस होकर अक्षत उसे जाते हुए देखता रहा।
सोमित जीजू से पूछताछ अभी भी चल रही थी इसलिए अक्षत और इंस्पेक्टर कदम्ब को को वही रुकना पड़ा। दोनों बाहर बैठकर सोमित जीजू का इंतजार करने लगे। रात के 2 बजे जाकर एयरपोर्ट वालो को सोमित जीजू की बात का विश्वास हुआ और उन्होंने सोमित जीजू को छोड़ दिया।
अक्षत उनके साथ बाहर जाने लगा तो इंस्पेक्टर कदम्ब ने कहा,”मिस्टर व्यास !”
अक्षत रुका और उनकी तरफ पलटा तो इंस्पेक्टर कदम्ब ने एक छोटा बैग अक्षत की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”ये शायद तुम्हरी उस जानकर का है , पूछताछ के दौरान यहाँ रह गया था। इसमें कुछ पैसे और दवाईया है , क्या तुम ये उन तक पहुंचा दोगे ?”
“हाँ मैं ये उन्हें दे दूंगा,,,,,,थैंक्यू इंस्पेक्टर”,अक्षत ने बैग लेते हुए कहा
“थैंक्यू तो मुझे आपसे कहना चाहिए , आप इसमें मेरी जो मदद कर रहे है मैं इसे कभी नहीं भूलूंगा,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
“ओह्ह्ह प्लीज मिस्टर व्यास आप मुझे थैंक्यू तब कहना जब हम अमायरा के कातिल को पकड़ ले,,,,,,,तब मैं पुरे दिल से आपके थैंक्यू को स्वीकार करूंगा , बहुत देर हो गयी है अब मैं चलता हूँ और आप भी अपना ख्याल रखे , गुड नाईट”,इंस्पेक्टर कदम्ब ने अक्षत के कंधे पर हाथ रखकर कहा और वहा से चले गए।
अक्षत सोमित जीजू को साथ लेकर गाड़ी में आ बैठा। सोमित जीजू उसके बगल में ही बैठे थे और दर्द से कराह रहे थे। अक्षत किसी सोच में डूबा था। अमायरा के कातिल के इतना पास होकर भी वह उसे पकड़ नहीं पाया। अभी भी कुछ तो था जो अक्षत के दिमाग में खटक रहा था लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था क्या ? अक्षत को परेशान देखकर सोमित जीजू ने कहा,”परेशान मत हो वो मिल जायेगा”
“नहीं जीजू मैंने इसे जितना आसान समझा था ये उतना आसान नहीं है ,, अमायरा का कातिल वही आदमी है जो मुझे बार बार कॉल कर रहा है लेकिन वह किसी और का नाम लेकर मुझे इसमें भटकना चाहता है ताकि मैं उसे भूलकर अपना वक्त बर्बाद करता रहु और वह अपने इरादों में कामयाब हो जाये”,अक्षत ने सोचते हुए कहा
“कौनसे इरादे अक्षत ?”,सोमित जीजू ने पूछा
“बहुत ही भयानक जो शायद सब बर्बाद कर सकते है।”,अक्षत ने कहा
“लेकिन हो सकता है वो सच बोल रहा हो , वो तुम्हारी मदद इसलिए भी तो कर सकता है ना कि तुम उस तक पहुँच सको,,,,,,,,,,,,तुम्हे रिस्क नहीं लेना चाहिए , क्या पता वो अमायरा के कातिल को जानता हो और चाहता हो तुम उस तक पहुंचो,,,,,,,!”,सोमित जीजू ने कहा
“मान लेते है कि ये सच है लेकिन मेरे पास इतना वक्त नहीं है जीजू , अगर आज की फ्लाइट में अमायरा का कातिल मौजूद भी था तो मैं उसका पता कैसे लगाऊं कि वो कौन था ?”,अक्षत ने परेशानी भरे स्वर में कहा
सोमित जीजू ने एक कागज निकालकर अक्षत की तरफ बढ़ाया और कहा,”शायद इस से तुम्हारी मुस्किले कुछ कम हो जाये।”
अक्षत ने कागज लेकर देखा उसमे आज की फ्लाइट में जाने वाले पैसेंजर्स की लिस्ट थी। अक्षत ने सोमित जीजू की तरफ देखा कहा,”ये आपको कहा से मिली ?”
“मैने आते टाइम इंक्वायरी ऑफिस से चुरा ली”,सोमित जीजू ने कहा तो अक्षत हंसने लगा और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया
अक्षत की गाड़ी घर के बाहर आकर रुकी उसने सोमित जीजू से कहा,”चलिए जाईये”
“ये तुम मुझे घर क्यों लेकर आये हो ? मैं भी चलता हूँ ना तुम्हारे साथ,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा
“नहीं , यहाँ से आगे का सफर मुझे अकेले तय करना होगा मैं आप लोगो की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकता। आप अंदर जाकर आराम कीजिये”,अक्षत ने गंभीरता से कहा
“मैं ठीक हूँ !”,सोमित जीजू ने कहा
“मैं फिर भी आपको अपने साथ आने की परमिशन नहीं दूंगा , आप अंदर जाईये प्लीज”, अक्षत ने इस बार थोड़ा कठोरता से कहा तो सोमित जीजू गाड़ी से नीचे उतरकर अंदर चले गए। अक्षत ने गाड़ी वापस घुमाई और वहा से चला गया।
सोमित जीजू को घर छोड़कर अक्षत झील किनारे चला आया। चांदनी रात थी और ठंडी हवाएं चल रही थी। उसने गाड़ी साइड में लगाई और नीचे उतरकर पुल के पास चला आया। रात का गहरा सन्नाटा था और आस पास कोई नहीं,,,,,,,,,,,,,,अक्षत ख़ामोशी से खड़ा हाथ में पकडे उस कागज पर लिखे नामो को देख रहा था। अक्षत के लिये इनमे से कोई भी नाम ऐसा नहीं था जिस पर वह शक करे या जिसे वह जानता हो लेकिन एक नाम ऐसा था जिसे देखकर अक्षत का दिमाग ठनका , इस कागज में उस नाम का होना अक्षत के मन में उलझने पैदा कर रहा था।
कुछ देर बाद उसने नवीन का नंबर डॉयल किया। नवीन गहरी नींद में था और सो रहा था उसने फोन उठाया और उन्मांद भरे स्वर में कहा,”हेलो , हाँ अक्षत क्या हुआ , तुमने इतनी रात में फोन क्यों किया ?”
“नवीन , आई ऍम सॉरी बट मुझे तेरी हेल्प की जरूरत है। मैंने तुझे एक लिस्ट भेजी है मुझे उन सब का एड्रेस और फोन नंबर चाहिए प्लीज,,,,,,,,,ये मेरे लिये बहुत जरुरी है प्लीज ,, आखरी बार मेरी मदद कर दे प्लीज,,,,,,,,,,प्लीज मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ।”,अक्षत ने नवीन से रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“अह्ह्ह्ह ठीक है मैं करता हूँ , मुझे 10 मिनिट दे मैं फ्रेश अप होकर लेपटॉप ऑन करता हूँ।”,नवीन ने कहा
“थैंक्स,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा और फोन रख दिया। उसने समय देखा सुबह के 4 बज रहे थे और उसके पास सिर्फ 6 घंटे बचे थे। अक्षत के लिये एक एक मिनिट भी इस वक्त बहुत इम्पोर्टेन्ट था। वह गाड़ी के बोनट पर आ बैठा और कुछ देर बाद अपने हाथो को सर के पीछे लगाकर वही लेट गया लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी।
अक्षत समझ नहीं पा रहा था आखिर वह उस आदमी को कहा ढूंढे ,, कुछ देर बाद वह गाड़ी से नीचे उतरा और वही गाड़ी के आस पास घूमते हुए घटनाओ को फिर से एक दूसरे मिलाने लगा। कही ना कही अक्षत चीजे मिस कर रहा था और यही वजह थी कि वह उस आदमी तक पहुँच नहीं पाया।
वक्त गुजरता रहा और सुबह के 6 बज गए। नवीन का फोन आया अक्षत ने पहली ही रिंग में नवीन का फोन उठाया और कहा,”कुछ पता चला ?”
“मैंने उन सभी पैसेंजर्स की डिटेल्स तुम्हे व्हाट्सप्प कर दी है ,, शायद तुम्हे उसमे कुछ मिल जाये”, नवीन ने कहा
“हम्म्म थैंक्स यार , थैंक्यू सो मच”,अक्षत ने कहा
“लेकिन मुझे एक डाउट है,,,,,,,,,,,,!!”,नविन ने कहा
“क्या ? और कैसा डाउट ?”,अक्षत ने कहा
“ये सब में तुम सिर्फ अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो , मैंने जो लिस्ट तुम्हे भेजी है उसमे 52 पैसेंजर्स है और हैरानी की बात ये है कि 48 पैसेंजर्स इंदौर से बाहर के है ,, तुम्हे ये कुछ अजीब नहीं लगता ,, बाकि 4 इंदौर से ही है,,,,,,,,,वो आदमी सिर्फ तुम्हे भटका रहा है अक्षत,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा
“शायद लेकिन मुझे फिर भी पता लगाना होगा,,,,,,,,,,,थैंक्स , मैं जल्दी ही तुमसे मिलूंगा”,अक्षत ने कहा और फोन काट दिया
अक्षत गाड़ी में आ बैठा और व्हाट्सप्प पर आयी लिस्ट को देखने लगा। अक्षत एक एक करके सब देखता जा रहा था लेकिन उसे कोई क्लू नहीं मिला। 8 बज चुके थे अक्षत ने अपना फोन गाड़ी के डेशबोर्ड पर डाला और गाड़ी स्टार्ट की तो नजर बगल वाली सीट पर पड़े पर्स पर चली गयी।
“इसमें उनकी दवाईया भी है मुझे उन्हें ये पर्स लौटाना चाहिए,,,,,,,,नवीन ने जिन चार लोगो की डिटेल्स भेजी है उनमे से एक वही आस पास में है।”,अक्षत खुद में बड़बड़ाया और वहा से निकल गया।
सुबह छवि नहा-धोकर घर से जैसे ही जाने लगी माधवी जी ने कहा,”छवि तुम कही जा रही हो क्या ?”
छवि पलटी और कहा,”हाँ माँ , मैं मंदिर जा रही हूँ भगवान का शुक्रिया अदा करने,,,,,,,,,,,,,,आखिर उन्होंने हमारी सुन ली और मुझे इंसाफ मिल गया। मैं मंदिर होकर आती हूँ माँ,,,,,,,!!”
“ठीक है बेटा , ध्यान से जाना”,माधवी जी ने कहा और किचन की तरफ चली गयी। छवि के मामा हॉल में बैठे अख़बार पढ़ रहे थे उन्होंने कहा,”छवि आते हुए मेरे लिये भी भोलेनाथ का थोड़ा प्रशाद ले आना।”
“जी मामाजी ! जरूर”,छवि ने मुस्कुरा कर कहा और वहा से चली गयी
छवि आज खुश थी और उसके मन में अब किसी तरह की कोई उलझन नहीं थीं। वह ख़ुशी ख़ुशी मंदिर पहुंची। उसने मंदिर पहुंचकर महादेव का शुक्रिया अदा किया और उसी मंदिर में राधा कृष्ण की परिक्रमा की,,,,,,,,,परिक्रमा करने के बाद छवि आकर उनकी मूर्ति के सामने खड़ी हो गयी और आँखे मूँदकर अपने हाथ जोड़ लिये। कुछ पल बाद ही छवि को अहसास हुआ जैसे कोई बहुत सटकर उसके साथ खड़ा है।
छवि ने आँखे खोली तो पाया मोहल्ले का वही लड़का उसके बगल में खड़ा था जिसे कुछ रोज पहले छवि ने सबके सामने थप्पड़ मारा था। छवि उस से दूरी बनाकर खड़ी हो गयी तो लड़का दूसरी तरफ से आकर फिर छवि से सटकर खड़ा हो गया।
“ये क्या बदतमीजी है ? लगता है उस दिन का थप्पड़ तुम भूल गए हो ?”,छवि ने जलती आँखों से लड़के को देखकर कहा
“तुम्हे मैं कैसे भूल सकता हूँ छवि , तुम तो मेरी आँखों में बस गयी हो,,,,,,,,,,,,,,उस दिन तुमने मुझे थप्पड़ मारा इस बात का मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा लेकिन जब तुम मेरे साथ ऐसे अजनबियों जैसा बर्ताव करती हो तब बुरा लगता है। सुना कोर्ट से तुम्हे इंसाफ मिल गया है लेकिन तुम्हारे इस बच्चे का क्या ? उसे तो बाप का साया नहीं मिला ना ,, सोच रहा हूँ तुम पर और तुम्हारे बच्चे पर एक छोटा सा अहसान कर दू,,,,,,,,,,मैं तुम्हे अपनाने के लिये तैयार हूँ छवि,,,,,,,,,,,,
बिन ब्याही माँ बनकर इस समाज में रहने से अच्छा है तुम मेरे साथ चलो,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे इस बच्चे को बाप भी मिल जायेगा और तुम्हे,,,,,,,,तुम्हे पति भी,,,,,,,!!”,लड़के ने बेशर्मी से कहा उसका कहा गया एक एक शब्द छवि के कानों में गर्म शीशे की तरह उतर रहा था।
छवि ने लड़के को कोई जवाब नहीं दिया और वहा से जाने लगी तो लड़के ने छवि का हाथ पकड़कर रोक लिया।
“मेरा हाथ छोडो,,,,!!”,छवि ने गुस्से से कहा
“किस बात का घमंड है तुम में हां ? तुम्हारी इज्जत लुट चुकी है , पुरे शहर में समाज में तुम बदनाम हो चुकी हो , तुम्हारे पेट में एक नाजायज बच्चा पल रहा है ये सब जानते हुए भी मैं तुम्हे अपनाने को तैयार हूँ और तुम,,,,,,,,तुम मुझे नजरअंदाज करके जा रही हो,,,,,,,,,,इतना गुरुर अच्छा नहीं है छवि , अरे तुम जैसी लड़कियों को अपनाना तो दूर रिश्ता भी रखना नहीं चाहेगा लेकिन मैं तुम पर ये अहसान कर रहा हूँ,,,,,,!!”,लड़के ने बेशर्मी से कहा
“हाथ छोडो उसका,,,,,,,,!!”,एक जानी पहचानी आवाज छवि के कानो में पड़ी उसने नम आँखों से देखा तो पाया उसके बगल में विक्की खड़ा था। छवि का दिल
धड़कने लगा ,, विक्की को वहा देखकर छवि हैरान थी उसके मुँह से बोल नहीं फूटे वह बस विक्की को देखते रही।
लड़के ने छवि के बगल में खड़े विक्की को देखा तो धीरे से छवि का हाथ छोड़ दिया। विक्की लड़के के सामने आया और कहा,”अभी इस से क्या कहा तुमने ? इसकी इज्जत लुट चुकी है , ये समाज में बदनाम हो चुकी है,,,,,,,,,,,,,,,,,, समाज में जब तक तुम जैसी गंदगी मौजूद है छवि जैसी लड़कियों को वो लोग गिरी हुई नजर से ही देखेंगे,,,,,,,,,,,इसके साथ जो हुआ वो हादसा था और अगर यही हादसा तुम्हारी बहन के हुआ होता तब भी क्या तुम यही कहते ?”
विक्की की बात सुनकर लड़के का सर शर्म से झुक गया विक्की ने एक नजर छवि को देखा और लड़के से कहा,”और क्या कहा तुमने ? इसके जैसी लड़कियों को कोई अपनाना नहीं है,,,,,,,,,,,,,,!!”
छवि और लड़के को कोई अंदाजा नहीं था विक्की क्या करने वाला है ? उसके चेहरे से लड़के के लिये गुस्सा लेकिन आँखों में छवि के लिये प्यार साफ झलक रहा था। छवि खामोश खड़ी थी।
विक्की ने अपने बगल से गुजरते पंडित जी की थाली से सिंदूर उठाया और छवि की सूनी मांग में भर दिया। छवि की आँखे फटी की फटी रह गयी। लड़का और पंडित जी भी विक्की को देखते ही रह गए।
“लो अपना लिया मैंने इसे बिना तुम्हारे इस घटिया समाज की परवाह किये,,,,,,,,,,,और अगर आज के बाद तुमने छवि की तरफ आँख उठाकर भी देखा तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा,,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने लड़के की आँखों में देखते हुए कहा।
लड़का वहा से चला गया
अक्षत मोनालिसा के घर पहुंचा उसने डेशबोर्ड से अपना फ़ोन और सीट से बैग उठाया और गाड़ी से नीचे उतर गया। अक्षत घर के अंदर आया और मोनालिसा की माँ को आवाज लगायी लेकिन वे शायद ऊपर थी अक्षत सीढिया चढ़ते हुए ऊपर आया। कमरे से बाहर आती मोना की मम्मी उन्हें मिल गयी और हैरानी से खुशी भरे स्वर मे कहा,”अरे अक्षत तुम , सुबह सुबह यहाँ कैसे आना हुआ ?”
“दरअसल मैं आपका ये बैग लौटाने आया था आप इसे कल एयरपोर्ट पर भूल आयी थी , इसमें कुछ दवाईया और जरुरी सामान रखा है मुझे लगा आपको जरूरत पड़ सकती है।”,अक्षत ने सहजता से कहा
“थैंक गॉड ये मिल गया मैं इसे ही ढूंढ रही थी , तुम कुछ लोगे चाय या कॉफी ?”,मोना की मम्मी ने पूछा
“नहीं शुक्रिया ! मुझे कुछ जरुरी काम है , मैं निकलता हूँ।”,कहकर अक्षत वहा से चला गया मोना की मम्मी पर्स लेकर वहा से चली गयी।
सीढ़ियों से उतरकर अक्षत नीचे चला आया। दरवाजे की तरफ जाते हुए अक्षत की नजर हॉल के रेंक में पड़ी गुड़िया पर पड़ी। अक्षत के कदम रुक गए और दिल धड़कने लगा। उस गुड़िया के सर पर एक बो क्लिप लगा था जो अक्षत हमेशा अमायरा के बाल बनाकर उन पर लगाया करता था। अमायरा की बो यहाँ क्या कर रही थी सोचते हुए अक्षत जैसे ही उस गुड़िया की तरफ बढ़ा अक्षत का फोन बजा।
अक्षत ने फोन देखा अर्जुन का था अक्षत ने फोन उठाकर कान से लगाया तो दूसरी तरफ से अर्जुन ने घबराये हुए स्वर में कहा,”मीरा हॉस्पिटल से गायब है।”
अक्षत ने सुना तो अपने फोन को देखा जिसमे 10 बजकर 5 मिनिट हो रहे थे। 24 घंटे पुरे हो चुके थे और किडनेपर का अगला टारगेट थी “मीरा सिंह राजपूत”
अक्षत ने अर्जुन को जवाब दिए बिना ही फोन जेब में डाला और तेजी से वहा से भागा।
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संजना किरोड़ीवाल
Ok…to kya Monalisa ki ne Amarya ko mara hai ya uski beti Monalisa ne…lakin itna to tai hai ki yeh inn dono maa beti ya sirf Monalisa ki maa ne Amarya ko mara hai…lakin Meera ko kisne gayab kar diya…ab kidnapr ka agla target Meera hai aur usne usi ko kidnap kar liya…ab to Akshat hee hai jo Meera ko bachayega
Ohh my god hum sb soch re the shub ne mara hh par yha to nya turn aa gya monalisa or uski maa.. pr shub bhi involve to hh 🙄🙄🙄
Meera ko kidnap kr liya ab 😰😰
🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐
Monalisa ye kaha se aa gai ??
May be subh bhi sath m ho… kyoki Meera n hostpital m subhi ko dekha tha..
shubh to ha..
Akshat Amaira ke khatil ke bahut nazdik hai aur voh kuch miss kar raha hai isliye voh Khatil tak nahi paunch pa raha hai aur ab usne Meera ko bi kidnap kar liya hai i hope ab Akshat uska khel hamesha ke liye khatam kar de kyu ki voh Amaira ko kho chuka hai aur voh ab Meera ko kuch nahi hone dekha…Vicky ne Chavi ki mang bar di jisse usse ladke ki bolti band hogayi …Kya monalisa zinda hai i hope Monalise ke ghar akar Akshat ko kuch clue mil inke piche kaun hai…interesting part Maam♥♥♥♥♥♥♥
Oohh god itni badi baat dhyaan kaise nhi aayi Mona mar chuki hai lekin Akshat Mona ki maut ke samay Akshat Meera vahi the Amaira ko bachate hue Akshat Mona ko nahi bacha paya tha kidnapper ya murderer male kyu female bhi to ho akti hai Mona ki mom unhone apni beti khoi sabko ye pata Mona mar Akshat bacha nhi paya par ye bhi to ho skta hai unki beti ki maut ka zimmedar vo Akshat aur Meera ko man rahi ho isiliye Amaira ko…..
Very very👍👍👍👍👍 🤔🤔🤔😥