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Haan Ye Mohabbat Hai – 84

Haan Ye Mohabbat Hai – 84

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

सोमित जीजू को मुस्कुराते देखकर सौंदर्या का चेहरा गुस्से से और लाल हो गया। वह खा जाने वाली नजरो से सोमित जीजू को देखने लगी तो सोमित जीजू अर्जुन के साथ अमर जी के कमरे की तरफ चले गए। सौंदर्या ने उन से ध्यान हटाया और अपनी फाइल ढूंढने लगी लेकिन फाइल उन्हें कही नहीं मिली। मुँह लटकाये सौंदर्या हॉल में चली आयी तब तक सोमित जीजू अमर जी की व्हील चेयर का हत्था पकडे उनके साथ वहा चले आये।

प्रत्याशा और जिज्ञाषा भी नीचे हॉल में चली आयी। कुछ देर बाद मीरा आयी और अपने हाथ में पकड़ी फाइल सौंदर्या के सामने करके कहा,”क्या आप इसे ढूंढ रही है ?”
सौंदर्या ने मीरा के हाथ में फाइल देखी तो ख़ुशी से उसकी आँखे चमक उठी उसने फाइल लेकर कहा,”हाँ ! ये तुम्हे कहा मिली ? मैं कब से इसे ढूंढ रही थी।”


“ये हमे आपके ही कमरे से मिली है भुआ जी , आपके ड्रॉवर से,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने बिना किसी भाव के सौंदर्या को देखते हुए कहा
“थैंक्यू मीरा,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“कुछ महीने पहले हमने आपको एक खत दिया राधा माँ को देने के लिये , आपने उस खत का क्या किया भुआजी ?”,मीरा ने फिर सहजता से पूछा
खत का नाम सुनकर सौंदर्या सपकपा गयी लेकिन अगले ही पल खुद को सम्हालते हुए कहा,”वो खत , वो खत तो मैं राधा को भिजवा दिया था मीरा”


मीरा ने सुना तो उसका दिल टूट गया वह सौंदर्या के थोड़ा करीब आयी और खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया।
सौंदर्या को कुछ समझ ही नहीं आया ये क्या हुआ ? मीरा ने उसे थप्पड़ मारा ये बात सौंदर्या स्वीकार ही नहीं कर पायी वह हैरान सी मीरा को देखते रही। जिज्ञाषा गुस्से में जैसे ही मीरा की तरफ जाने लगी उसकी बड़ी बहन प्रत्याशा ने उसे रोक दिया और ना में गर्दन हिला दी। सोमित जीजू के दिल को जो ठंडक मिली है उस वक्त वो शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे थे। अर्जुन खामोश था और अमर जी वे मन ही मन मीरा को शाबासी दे रहे थे।

हालाँकि बड़ो पर हाथ उठाना उन्होंने मीरा को नहीं सिखाया था लेकिन सौंदर्या ने जो किया उसके लिये एक थप्पड़ तो बनता था।
“झूठ बोल रही है आप,,,,,,,!!”,मीरा ने गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा


“नहीं , नहीं मीरा , मैंने वो खत राधा तक पहुंचाया था मैं , मैं झूठ,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने बौखलाते हुए कहा लेकिन वे अपनी बात पूरी कर पाती इस से पहले मीरा ने दुसरा थप्पड़ उनके गाल पर रसीद करते हुए कहा,”बस भुआ जी , एक शब्द और नहीं”
“मीरा,,,,,,,,,,,,,क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं है ?”,सौंदर्या ने फ़टी आँखों से मीरा को देखकर कहा

मीरा ने गुस्से से सौंदर्या को देखा और तकलीफ  भरे स्वर में कहने लगी,”भरोसा , हमने आप पर भरोसा किया और आपने क्या किया ? आपने हमारा भरोसा ही तोड़ दिया। अमायरा को खोने के बाद जब हम यहाँ इस घर में आये तो माँ के रूप में आप हमे मिली ,, आपने जो कहा हम वो मानते गए क्योकि हमे लगा आप , आप हमे समझती है , हमारा दर्द समझती है लेकिन हम गलत थे भुआ जी ,, हम गलत थे। हमने आपको जो खत राधा माँ को देने के लिये दिया वो आपने कभी उन्हें दिया ही नहीं और बदले में तलाक के पेपर अक्षत जी को भिजवा दिये,,,,,,,,,,,,,,,,,

जब अक्षत जी यहाँ आये थे तब भी आपने उन्हें सच नहीं बताया उलटा हमारे मन में उनके खिलाफ जहर भरती रही। आपको अपना समझकर हमने आपसे व्यास हॉउस जाने के लिये कहा और आपने क्या किया ? आपने वहा जाकर गलतफहमियां और बढ़ा दी इतनी कि अक्षत जी हम से नफरत करने लग जाये। ये सब करके भी आपको चैन नहीं मिला तो आपने हमे हमेशा हमेशा के लिये उनसे दूर करने का सोचा और झूठे खत में शादी की बात लिखकर सबके बीच अखिलेश से हमारी शादी तय कर दी। क्यों किया आपने ऐसा  


आखिर किस बात का बदला ले रही थी आप हम से ? ऐसा क्या चाहिए था आपको जो आपने हमारी बसी बसाई जिंदगी को तबाह कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मीरा की आँखों में आँसू भर आये लेकिन उसने खुद को मजबूत रखा।
“मीरा , मीरा ऐसा नहीं है मैं , मैं तुम्हे सब बताती हूँ,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा के मुंह से सच्चाई सुनकर सौंदर्या ने हड़बड़ाते हुए कहा


मीरा ने जलती आँखों से सौंदर्या को देखा तो वे सहमकर पीछे हट गयी। मीरा ने गुस्से से कहना शुरू किया,”क्या बताएगी आप ? अब कौनसी नयी कहानी सुनाने वाली है आप हमे ? हम बताते है आपने ये सब क्यों किया ? ये सब आपने पापा की इस दौलत के लिये के लिये किया,,,,,,,,,,,,,,इस दौलत के लिये आपने अपनी बेटी जैसी भतीजी की पीठ में खंजर घोप दिया , इस दौलत के लिये आपने हमे अक्षत जी से दूर कर दिया , इस दौलत के लिए आपने दर्द में जीने के लिये मजबूर कर दिया ,

इस दौलत के लिये आपने हमे हमारे अपनों से दूर कर दिया और इस दौलत के लिये आपने हम से हमारी बेटी तक को छीन लिया,,,,,,,,,,,,,उस नन्ही सी बच्ची की जान ले ली आपने , उसे मारते हुए एक बार भी आपके हाथ नहीं काँपे ,, एक बार भी आपको हम पर दया नहीं आयी भुआजी,,,,,,,,,,,,,,,, आपने हम से हमारी अमायरा छीन ली,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए मीरा की आँखों में भरे आँसू उसके गालो पर लुढ़क आये।

सौंदर्या ने सुना तो मीरा के पास आयी और कहने लगी,”मैं मानती हूँ मीरा मैंने तुम्हारे और अक्षत के बीच ग़लतफ़हमी पैदा की , मैं दौलत के लालच में अंधी हो गयी थी लेकिन मैंने , मैंने अमायरा को नहीं मारा,,,,,,,,,,,,,मेरा विश्वास करो मीरा मैंने उसे नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!”


सौंदर्या इतना ही कह पायी कि गुस्से में आकर मीरा ने फिर उन्हें एक थप्पड़ मारा सौंदर्या आगे कुछ बोल ही नहीं पायी और मीरा ने गुस्से से कहा,”और कितना झूठ बोलेंगी आप भुआजी , आप जानती थी जिस महल में आप रह रही है वो महल पापा ने अमायरा के नाम कर दिया था,,,,,,,,,,,,,,,,,अमायरा के जीते जी आपको वो महल आपको नहीं मिलता इसलिए आपने मार दिया उसे,,,,,,,,,,,,,,,एक मामूली से महल के लिये आपने उसकी जान ले ली,,,,,,,,,,,!!”
मीरा तड़पते हुए आखिर मे चिल्ला उठी

मीरा को तकलीफ में देखकर अर्जुन की आँखों में नमी तैर गयी। सोमित जीजू भी उदास हो गए मीरा इस वक्त जिस दर्द से गुजर रही थी वहा मौजूद किसी को भी  अच्छा नहीं लग रहा था। मीरा को तकलीफ में देखकर अमर जी का दिल भी भर आया लेकिन वे इतना मजबूर थे कि मीरा के आँसू भी नहीं पोछ सकते थे।


सौंदर्या ख़ामोशी से मीरा को देखते रही मीरा ने टेबल पर रखी फाइल को उठाया और उसमे रखे पन्ने निकालकर सौंदर्या के सामने आकर कहा,”ये सब आपने इस दौलत के लिये किया ना भुआ जी , तो ये लीजिये ले लीजिये ये दौलत”
कहते हुए मीरा ने वो सारे पेपर सौंदर्या के मुंह पर दे मारे , सारे कागज उड़कर चारो तरफ फ़ैल गए
मीरा ने गुस्से से सौंदर्या को देखा और आगे कहा,”पर क्या आप इसके बदले हमारी अमायरा को वापस ला सकती है , आप अक्षत जी को वापस ला सकती हैं , ये घर , ये महल , ऑफिस , ये गहने सब आप रख लीजिये पर क्या आप हमे हमारा बीता हुआ कल वापस लौटा सकती है ?”


कहते हुए मीरा ने हाथो मे पहने कंगन , उंगलियो में पहनी अँगूठिया निकालकर सौंदर्या भुआ के मुँह पर फेंक दी। सौंदर्या खामोश खड़ी थी वह कुछ नहीं बोली,,,,,,,,,,!!
मीरा घुटनो के बल नीचे आ बैठी और अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर फफक कर रो पड़ी। सोमित जीजू ने देखा तो वे मीरा की तरफ आये और उसे सम्हालते हुए कहा,”मीरा , मीरा सम्हालो अपने आप को,,,,,,,,,हम सब है ना , हम सब तुम्हारे साथ है।”


“आपने सुना ना जीजू इन्होने हमारे साथ क्या किया ? दौलत के लिये इन्होने हमारी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद कर दी , हमारी बेटी हम से छीन ली , हमे सबसे दूर कर दिया जीजू,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने रोते हुए कहा उसका रोना इतना तकलीफ देह था कि वहा खड़े नौकर और गार्ड की आँखों में भी आँसू आ गए लेकिन सौंदर्या का दिल फिर भी नहीं पसीजा।
मीरा ने सौंदर्या की तरफ देखा और उठते हुए कहने लगी,”हमने इन्हे अपनी माँ समझा , इन पर भरोसा किया , इनकी बात मानी और इन्होने ये सब किया,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों किया ?

आपने तो हमारे और अक्षत जी की शादी के लिये दुआ मांगी थी न ? हमे एक दूसरे से मिलाने वाली आप ही थी ना तो फिर आज आपने ही हमे हमेशा के लिये दूर क्यों कर दिया ? क्यों आपने हमारे दिल में उनके लिए जहर घोल दिया कि हम , हम उन्हें समझ ही नहीं पाए,,,,,,,,,,,,,,,,क्यो भुआ जी आखिर क्यों किया आपने ऐसा ?”

“इसका जवाब तुम्हे मैं दूंगा मीरा”,एक जानी पहचानी मर्दाना आवाज सबके कानों में पड़ी। सौंदर्या ने वो आवाज सुनी तो उसका दिल धड़कने लगा। सीढ़ियों से नीचे आते राजकमल जी को जब सबने देखा तो हैरान रह गए।
राजकमल जी हॉल में चले आये। प्रत्याशा ने उन्हें देखा तो दौड़कर उनके पास आयी और कहा,”पापा आप यहाँ ? लेकिन मम्मा ने तो कहा था वापस चले गए है ?”


“हाँ बेटा ! अगर सही वक्त पर आकर दामाद जी ने मुझे बचाया नहीं होता तो शायद मैं हमेशा के लिये चला जाता”,राजकमल जी ने कहा और सौंदर्या के पास चले आये। सौंदर्या ने राजकमल जी को देखा तो उसकी घिग्गी बंध गयी। मीरा के चक्कर में वह राजकमल जी को तो भूल ही गयी थी और अब उन्हें सामने देखकर सौंदर्या को समझ नहीं आ रहा था वह क्या कहे लेकिन फिर भी सौंदर्या ने हिम्मत करके कहा,”वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


सौंदर्या ने इतना ही कहा कि राजकमल जी ने खींचकर एक थप्पड़ सौंदर्या के गाल पर मारा और कहा,”शर्म आती है मुझे तुम्हे अपनी पत्नी कहने में,,,,,,,,,,,,,,,तुम जैसी लालची और घटिया औरत कभी किसी की नहीं हो सकती , अरे जब मैंने तुम्हारा सच बताने की बात कही तो तुमने मुझे ही जान से मारने की कोशिश की ,, दौलत के लालच में तुम इतनी अंधी हो गयी सौंदर्या की अपने रिश्तो को भूल गयी,,,,,,,!!”


सौंदर्या ने सुना तो शर्म से उसकी आँखे झुक गयी  
वहा खड़े सभी लोग हैरानी से सौंदर्या को देख रहे थे। प्रत्याशा की आँखों से तो आँसू बहने लगे और जिज्ञाषा वो नफरत से सौंदर्या को देखने लगी।

राजकमल जी मीरा के सामने आये और हाथ जोड़कर कहने लगे,”मुझे माफ़ कर दो मीरा , मैंने बहुत देर कर दी अगर सही वक्त पर मैंने इसे ये थप्पड़ मारा होता तो , तो आज तुम्हे और दामाद जी को इस दर्द से गुजरना नहीं पड़ता। ये औरत कभी तुम्हारी सगी थी ही नहीं इसने हमेशा तुम से प्यार करने का दिखावा किया है।

अरे ! इसके दिल में तो हमेशा से तुम्हारे लिये जहर भरा था। पहले इसने तुम्हारी माँ “सावित्री जी” और अमर जी के बीच गलतफहमियां पैदा की उन्हें अलग कर दिया और अब तुम्हारी और दामाद जी की जिंदगी में जहर घोल दिया। इसने ये सब बस तुम्हारे पिता की इस दौलत के लिये किया मीरा , इस दौलत के लिये इसने हँसते खेलते परिवार को तबाह कर दिया। इसे तो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए राजकमल जी जैसे ही सौंदर्या की तरफ जाने लगे सोमित जीजू ने उन्हें रोकते हुए कहा,”अंकल प्लीज,,,,,,,!!”

सौंदर्या ने देखा उसका सच सबके सामने आ चुका है तो वह धीमे स्वर में कहने लगी,”हाँ मैंने ये सब दौलत के लिये किया। हमेशा से ही मेरे भाई और उनका परिवार अच्छे घरो में ऐशो आराम की जिंदगी जीता रहा और मेरे पिता ने मेरी शादी एक क्लर्क से कर दी। मेरे बाकि भाई अपने अपने परिवार को लेकर चले गए लेकिन अमर भाईसाहब ने पिताजी के पास रुकना जरुरी समझा , आर्थिक तंगी की वजह से तब मैं भी वही रहती थी।

सावित्री भाभी की संताने जब मरने लगी और भाईसाहब का कोई वंश नहीं था तो मुझे लगा उनके हिस्से की जायदाद पिताजी मेरी बड़ी के नाम कर देंगे लेकिन एक दिन पता चला कि भाभी गर्भवती है और जब तुम्हारा जन्म हुआ तो पिताजी ने भाईसाहब के हिस्से की जायदाद तुम्हारे नाम कर दी। मैं उसी दिन से तुम से नफरत करने लगी थी मीरा ,  तुम्हारी माँ तुम्हे लेकर चली गयी और फिर कभी लौटकर नहीं आयी। भाईसाहब ने भी वो घर छोड़ दिया और पिताजी के गुजरने के बाद मैं अपने परिवार के साथ उसी महल में रहने लगी।


भाईसाहब की कोई औलाद नहीं थी इसलिये वे मुझे ही अपना वारिस मानने लगे लेकिन एक दिन तुम्हारे बारे में पता चला और ये भी पता चला कि भाईसाहब ने अपनी पूरी जायदाद तुम्हारे नाम की है। उस रात अक्षत जब तुम्हे भगाने के लिये आया था तब मैंने ही उसे रोका था , मैंने उसे दूसरे लड़को जैसा समझा और कहा कि वो कामयाब होकर तुम से शादी करे,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे लगा वो लौटकर नहीं आएगा ,

ना ही भाईसाहब कभी उसे स्वीकार करेंगे और मेरा रास्ता साफ हो जाएगा लेकिन उसने मुझे गलत साबित कर दिया , वो लौटकर आया एक बड़ी कामयाबी के साथ और भाईसाहब ने उसे दिल से स्वीकार भी किया अपने दामाद के रूप में,,,,,,,,,,,,,,,,सब भूलकर वापस अजमेर जाने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था।

 सौंदर्या की बात सुनकर मीरा का बचा हुआ दिल भी टूट गया। अब तक वह इस खुशफहमी में जी रही थी कि अक्षत और उसकी मोहब्बत मुकम्मल होने में  सौंदर्या का भी हाथ है लेकिन सौंदर्या बचपन से उस से नफरत करती थी ये जानकर मीरा की आँखों में आँसू भर आये।

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