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Haan Ye Mohabbat Hai – 104

Haan Ye Mohabbat Hai – 104

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

काफी वक्त बीत गया लेकिन घरवाले अक्षत के कमरे से जाने का नाम नहीं ले रहे थे। अक्षत ने इशारो इशारो में मीरा से कमरे से बाहर आने को कहा तो मीरा ने मना कर दिया। अक्षत ने थोड़े गुस्से वाले एक्सप्रेशन दिए और बाहर आने का इशारा कर कमरे से चला गया।
“ये आशु कहा गया ?”,अर्जुन ने पूछा


“अरे जाने दो उसे,,,,,,,,,,,,मीरा तुम मेरी बात सुनो उसके बाद नीता और तनु ने उस सौंदर्या भुआ को बाथरूम में बंद कर दिया,,,,,,,,,,,,,हहहहह पहली बार मेरी तनु ने कोई दिमाग वाला काम किया था”,सोमित जीजू ने कहा
“हाँ क्योकि आपसे शादी करने बाद मेरे दिमाग ने काम करना बंद जो कर दिया था”,तनु दी ने कहा तो अर्जुन और बाकि सब ठहाका मारकर हंसने लगे।


मीरा की नजरे बार बार दरवाजे की तरफ चली जाती ये देखकर सोमित जीजू ने कहा,”अच्छा मीरा ! एक गिलास पानी मिलेगा क्या गला बहुत सुख रहा है,,,,,!!”
“जी , हम ले आते है”,मीरा ने उठते हुए कहा और कमरे से बाहर चली गयी

“जीजू आपने मीरा से पानी लाने को क्यों कहा ? पानी का जग तो यहाँ पहले से रखा है।”,अर्जुन ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अरे मेरे भोले भंडारी , आज समझ आया चीकू की कोई बहन क्यों नहीं है ?,,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा तो हनी और निधि खी खी करके हंसने लगे।  
“मैं समझा नहीं,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा


“अरे वो दोनों इतने दिनों बाद एक दूसरे से मिले है , कितना कुछ होगा उन दोनों के पास एक दूसरे से कहने के लिए,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा तो अर्जुन को समझ आ गया सोमित जीजू ने मीरा को बाहर क्यों भेजा ? सभी वही बैठकर बातें करने लगे और कब एक एक करके वही सो गए किसी को ध्यान नहीं रहा।

मीरा कमरे से बाहर आयी तो छत पर जाने वाली सीढ़ियों के पास खड़ा अक्षत उसे दिख गया। मीरा अक्षत की तरफ चली आयी तो अक्षत ने दोनों हाथो से मीरा को ऊपर चलने का इशारा किया। मीरा छत पर चली आयी और पीछे पीछे अक्षत भी। छत पर हल्की ठंड थी और चांदनी रात में आसमान में चाँद चमक रहा था। मीरा दिवार के पास आकर खड़ी हो गयी। अक्षत भी उसके बगल में आकर खड़ा हो गया और कहा,”तुमने आने में इतनी देर क्यों की ?”


“वो सब बाते कर रहे थे तो,,,,,,,!!”,मीरा ने कहा
“मीरा , क्या अब अपने घर में भी मुझे तुमसे ऐसे मिलना पडेगा ?”,अक्षत ने थोड़ा गंभीरता से कहा
“नहीं , ऐसा नहीं है।”,मीरा ने कहा
अक्षत एकदम से मीरा के सामने चला आया और उसके चेहरे को अपने हाथो में थामकर , उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगा,”मैं जानता हूँ बिता हुआ वक्त बहुत बुरा था।

वो ऐसा वक्त था जिसमे एक दूसरे को समझने के बजाय हम दोनों एक दूसरे के खिलाफ हो गए लेकिन यकीन मानों मीरा उस वक्त हमारा एक दूसरे से दूर जाना बहुत जरुरी था। अगर हम दूर नहीं होते तो कभी जान ही नहीं पाते कि हमारे आस पास मौजूद लोगो के मन में हमारे लिये कितना जहर है। मैंने तुम्हे खुद से दूर किया लेकिन अपने दिल से कभी दूर नहीं कर पाया। मैं तुम्हारे बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता मीरा फिर तुमने ये कैसे मान लिया कि मैं,,,,,,,,मैं तुमसे नफरत कर सकता हूँ।

हाँ मेरा गुस्सा बहुत बुरा है , इतना बुरा कि कुछ भी करने से पहले नफ़ा नुकसान नहीं देखता लेकिन मेरी मोहब्बत , मेरी मोहब्बत तुम्हारे लिये झूठी नहीं है मीरा,,,,,,,,,,,,अक्षत व्यास ने सिर्फ तुम से प्यार किया है और तुम्हारी जगह मैं कभी किसी और को नहीं दे सकता। मेरा यकीन करो मीरा मैं हमारी मोहब्बत की कसम खाकर कहता हूँ मैंने अमायरा को बचाने की हर कोशिश की थी लेकिन मैं उसे नहीं बचा पाया,,,,,,,,,,,,,उसे बचाने के लिये मैंने वो सब किया जो मैं कर सकता था लेकिन मैं हार गया , मैं हार गया मीरा,,,,,,,,,,,,,,,पर अब मैं तुम्हे खोना नहीं चाहता ,

इस घर से तुम्हारे जाने के बाद ऐसा कोई पल नहीं था जब मैंने तुम्हे याद ना किया हो , तुम्हारे साथ बिताया हर पल मेरी आँखों के सामने रहता था , कितनी ही बार मैंने खुद पर गुस्सा किया , खुद से सवाल किया कि क्यों जाने दिया मैंने तुम्हे ? पर वो सब हमारी जिंदगी का एक बुरा दौर था जो गुजर चुका है।”
कहते हुए अक्षत की आँखों में आँसू भर आये और गालों पर लुढ़क गए। उसने मीरा के चेहरे से अपने हाथ हाथ लिये उसका गला भर आया और सीने में चुभन का अहसास होने लगा।

वह कमजोर पड़ने लगा था। ये देखकर मीरा ने अक्षत के चेहरे को अपने हाथो में थामा और उसके आँसू पोछते हुए कहा,”हम आपको और सुनना चाहते है अक्षत जी”
अक्षत ने भीगी आँखों से मीरा को देखा और कहने लगा,”जब मैंने तुम्हे इस घर से जाने को कहा तो सबने सिर्फ मेरा गुस्सा देखा लेकिन मेरा दर्द नहीं देख पाए ,, पर तुम देख पा रही थी इसलिये तो ख़ामोशी से बिना कोई शिकायत किये वहा से चली गयी।

यकीन मानो मीरा तुम्हे घर से जाने को कहकर मैं कभी सुकून से नहीं रह पाया लेकिन तुम्हारा जाना बहुत जरुरी था क्योकि मैं नहीं चाहता था यहाँ रहकर तुम मेरा गुस्सा मेरी बर्बादी देखो। मैंने तुम्हे बहुत दी है मीरा मुझे माफ़ कर दो , अपने अक्षत को माफ़ कर दो”
कहते हुए अक्षत ने अपने हाथो को जोड़ लिया


मीरा ने देखा तो उसने अक्षत के हाथो को थामा और आँखों में आँसू भरकर कहने लगी,”जो कुछ हुआ उसमे आप अकेले दोषी नहीं है , हमारी भी गलती है। हमने भी आपके साथ कहा सही किया अक्षत जी ? अपनों की झूठी बातो में आकर हमने खुद को आपसे दूर कर लिया , हमने सौंदर्या भुआ पर भरोसा किया लेकिन आपको समझ नहीं पाये। हम समझ ही नहीं पाये कि सिर्फ हमने अमायरा को नहीं खोया था सिर्फ हम उसकी माँ नहीं थे , आपने भी अपनी बेटी को खोया था ,

आप भी उसी तकलीफ उसी दर्द से गुजरे थे जिन से हम लेकिन उस वक्त हम स्वार्थी हो गए और आपको अकेला छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,,हमने आपको उस वक्त अकेला छोड़ दिया जब आपको हमारी सबसे ज्यादा जरूरत थी। हमने आपसे मिलने की आपसे बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन हम इतना उलझ चुके थे कि कुछ ठीक नहीं कर पाए और सब बिगड़ता चला गया। हम सब देख सकते थे लेकिन आपकी आँखों में अपने लिये नफरत नहीं,,,,,,,,,,,,

आपके बिना हम अधूरे थे अक्षत जी और ये अधूरापन हम हर पल तकलीफ दे रहा था पर हम जानते थे आप वापस आएंगे , आप वापस आएंगे और हमे समझेंगे,,,,,,,,,,,,,आपने हमे इस घर से निकाला , अपनी जिंदगी से निकाला उसका दुःख नहीं हुआ , हमे दुःख सिर्फ इस बात का था कि आपने ये कैसे मान लिया कि हम आपको तलाक देंगे , आपको तलाक के पेपर भेजेंगे,,,,,,,,,,,,,,वो पेपर हमने आपको नहीं भेजे थे अक्षत जी , हम सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकते थे।”


कहते कहते मीरा अपना सर अक्षत के थामे हाथो से लगाकर रो पड़ी। अक्षत ने मीरा को रोते देखा तो उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा,”बस मीरा , कुछ मत कहो ,, हमे एक दूसरे से कुछ कहने की जरूरत नहीं है। हमारा रिश्ता गलतफहमियों का शिकार था और जो कुछ हुआ वो बस हमारी मोहब्बत का इम्तिहान था जो हम जीत चुके है। तुम्हारा अक्षत तुम्हारे पास है और वो कभी तुम्हे छोड़कर नहीं जायेगा”
“हमे माफ़ कर दीजिये अक्षत जी , हम आपको समझ नहीं पाये,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने रोते हुए कहा


अक्षत सब देख सकता था लेकिन मीरा को रोते हुए नहीं उसने मीरा का चेहरा अपने हाथो में लिया और कहा,”मीरा , मीरा रोना बंद करो ,, मैं कही नहीं जा रहा जो हुआ उसे बुरा सपना समझ कर भूल जाओ,,,,,,,,,, मैं तुम्हारे साथ हूँ , हमेशा तुम्हारे साथ हूँ , मरते,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत अपनी बात पूरी करता इस से पहले ही मीरा ने उसके होठो पर अपना हाथ रखा और ना में गर्दन हिला दी। अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और मीरा के आँसू पोछे। मीरा को काफी हल्का महसूस हो रहा था।

अक्षत वहा से गया और पानी का गिलास लेकर मीरा के पास आया। मीरा ने पानी पीया और गिलास दिवार पर रख दिया। दोनों वही दिवार पर पास खड़े होकर बात करने लगे। आधी रात बीत गयी लेकिन दोनों की आँखों में नींद नहीं थी , उन्हें वक्त का अहसास भी नहीं था। आसमान में चमकते चाँद को देखकर मीरा थोड़ा सा आगे गयी और चाँद को देखने लगी। एक सुकून मीरा के चेहरे से झलक रहा था और आँखों में ख़ुशी के भाव थे। आज ये चाँद तकलीफ देने के बजाय राहत का अहसास दिला रहा था।

अक्षत मीरा के पास चला आया और पीछे से मीरा को बाँहो में भर लिया। अक्षत की छुअन से मीरा को सुकून का अहसास हुआ और उसने कहा,”आज की रात ये चाँद कितना खूबसूरत लग रहा है ना ?”
“हाँ बहुत,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने एकटक मीरा के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।

अक्षत की बात सुनकर मीरा ने उसकी तरफ देखा तो पाया अक्षत उसे ही देख रहा है। मीरा का दिल धड़क उठा , अक्षत की आँखों में उसे अपने लिये बेइंतहा मोहब्बत नजर आ रही थी। उसने खुद को अक्षत के सीने में छुपा लिया और अक्षत मुस्कुराते हुए आसमान में चमकते चाँद को देखने लगा।

अक्षत और मीरा की जिंदगी में सब सही हो चुका था। व्यास फॅमिली में एक बार फिर खुशियो भरा माहौल था। चित्रा और सचिन ने पुरे दिल से एक दूसरे का प्यार स्वीकार कर लिया और दोनों ने अक्षत के साथ रहकर काम करना शुरू कर दिया। विक्की सिंघानिया ने अपने पापा के बिजनेस को फिर से उठाने का जिम्मा लिया और दिन रात उस पर मेहनत भी करने लगा वही छवि घर में रहकर अपना और अपने आने वाले बच्चे का पूरा ख्याल रखने लगी।

कमल जी कुछ दिन माधवी जी के घर रुके और फिर अपने गांव चले गए। अक्षत अब पहले से ज्यादा शांत और खुशमिजाज रहने लगा था। कोर्ट से आने के बाद वह घरवालों के साथ वक्त बीताता , काव्या चीकू के साथ खेलता और मीरा का पहले से भी ज्यादा ख्याल रखने लगा था।


इसके अलावा अक्षत ने एक नयी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ली और वो थी अमर जी की सेवा , अक्षत रोज सुबह अमर जी को सैर करवाता , उन्हें एक्सरसाइज करवाता , उनके नाश्ते से लेकर खाने तक का ख्याल रखता , वक्त से उन्हें दवाये देना , खाली समय में उन्हें किताबे पढ़कर सुनाना , उनके साथ बैठकर चेस खेलना ,उनके मेडिकल चेकअप करवाना सब अक्षत ही किया करता था। ये कहना गलत नहीं होगा कि अक्षत मीरा से भी ज्यादा अपना वक्त अमर जी के साथ बिताया करता था  

देखते ही देखते एक महीना गुजर गया। अक्षत की मेहनत रंग ला रही थी अमर जी के हाथ पैरो में धीरे धीरे अब जान आने लगी थी। मुश्किल से ही सही पर ना समझ आने वाले शब्द वो बोलने लगे थे। अक्षत बहुत खुश था। एक शाम अक्षत सीढ़ियों से नीचे आ रहा था तभी उसका फोन बजा। अक्षत ने फोन उठाया और कान से लगाया दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा तो अक्षत के चेहरे पर परेशानी के भाव दिखाई देने लगे।

मीरा वही थी उसने अक्षत को परेशान देखा तो उसके पास आकर कहा,”क्या हुआ आप कुछ परेशान दिख रहे है ?”
अक्षत ने मीरा को देखा और घबराये हुए स्वर में कहा,”छवि,,,,,,,,,छवि हॉस्पिटल में है। मैं तुम से बाद में आकर मिलता हूँ।”
मीरा अक्षत को रोकती इस से पहले अक्षत वहा से चला गया।

गाडी हॉस्पिटल के सामने आकर रुकी , अक्षत गाड़ी से उतरा और अंदर चला आया। पहली मंजिल के प्राइवेट रूम के बाहर आया तो देखा माधवी जी और विक्की वहा मौजूद थे। अक्षत उनके पास आया और कहा,”क्या हुआ छवि को ?”
माधवी जी ने कुछ नहीं कहा बस दरवाजे की तरफ इशारा कर दिया। अक्षत घबराया हुआ सा अंदर आया तो देखा सामने बिस्तर पर छवि लेटी थी और उसके बगल में रखे पालने में बच्चा था।

अक्षत के चेहरे पर ख़ुशी के भाव थे लेकिन आँखे नम , छवि ने अक्षत को देखा तो मुस्कुरा उठी। वह कुछ कहता इस से पहले माधवी जी ने अंदर आते हुए कहा,”बधाई हो अक्षत , तुम मामा बन गए,,,,,,,,,छवि को बेटा हुआ है।”
अक्षत ने सुना तो पालने की तरफ आया उसने काँपते हाथो से बच्चे को उठाया और नम आँखों से उसे देखकर मुस्कुराने लगा।

उस बच्चे में कही न कही वह अपनी अमायरा को ढूंढ रहा था। छवि ने अक्षत को भावुक होते देखा तो कहा,”मैंने इसका नाम अक्षत रखा है सर”
अक्षत ने सुना तो छवि की तरफ देखा उसकी आँख में ठहरा आँसू गाल पर बह गया।

अक्षत ने अपने गले में पहनी सोने की चैन निकालकर बच्चे के गले में पहना दी और कहा,”महादेव इसे हर ख़ुशी दे,,,,,,,,,,,मुबारक हो छवि,,,,,,!!”
“आपको नहीं लगता इसकी आँखे बिल्कुल मेरे जैसी है,,,,,,,,,,,,!”,विक्की ने अक्षत के पास आकर बच्चे को देखते हुए कहा
अक्षत ने विक्की को वहा देखा तो अगले ही पल विक्की ने कहा,”मैं पुरे रीती रिवाज से छवि से शादी करना चाहता हूँ और अपने बच्चे के साथ उसे घर ले जाना चाहता हूँ लेकिन,,,,,,,,,!!”


“लेकिन माधवी जी को ये मंजूर नहीं है और तुम चाहते हो मैं उन्हें मनाऊ,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बिना किसी भाव के कहा
“आपने किसे पढ़ा है ?”,विक्की ने हैरानी से कहा
“मैंने इंसानो को पढ़ा है,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारे फैसले से बहुत खुश हूँ विक्की , छवि और उसके बच्चे को अपनाने का तुम्हारा ये फैसला बहुत सही है बस ये छवि को फिर से हर्ट करने के लिये ना हो। उसने बहुत दर्द देखा है वादा करो आगे जाकर तुम उसके दर्द की वजह नहीं बनोगे,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा


“सर ! मैं सच में छवि से बहुत प्यार करता हूँ , मेरी एक गलती की वजह से छवि को इतना सब झेलना पड़ा मैं जिंदगीभर उसका ख्याल रखूंगा , वादा करता हू मेरी वजह से कभी उसकी आँखों में आँसू नहीं आएंगे , मैं उसे और हमारे इस बच्चे को एक नयी जिंदगी दूंगा और उन्हें खुश रखूंगा,,,,,,,,,,,!!”,विक्की ने विश्वास से भरकर कहा


अक्षत ने विक्की के कंधे पर हाथ रखा और माधवी जी की तरफ आकर कहा,”माधवी जी ! क्या इसके बाद भी आपको लगता है विक्की छवि के लिये सही लड़का नहीं है ? छवि के साथ जो हुआ उसे भूलकर हम सब को आगे बढ़ना होगा। जब छवि ये सब भूलकर आगे बढ़ सकती है तो आप क्यों नहीं ? मुझे यकीन है छवि विक्की के साथ खुश रहेगी , विक्की को अपनी गलतियों का पछतावा है और वो इतना बुरा नहीं है जितना हम सबने मिलकर उसे बना दिया है।

विक्की को माफ़ कर दीजिये और उसे एक मौका दीजिये खुद को सही साबित करने का,,,,,,,,,,,,,,,ये मोहब्बत है माधवी जी , और मोहब्बत में बुरे से बुरा इंसान भी अच्छा बन जाता है। विक्की को अपना लीजिये,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत की बात सुनकर माधवी जी ने विक्की को देखा और थोड़ा गुस्से से कहा,”ये बाप बना है लेकिन इसमें इतनी समझ भी नहीं है कि आकर अपने से बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद ले”
“हाँ,,,,,,,,,!!”,विक्की ने हैरानी और ख़ुशी भरे स्वर में कहा


“अरे हाँ क्या ? इन्होने एक्सेप्ट कर लिया है आकर इनके पैर छुओ,,,,!!”,अक्षत ने कहा तो विक्की ने माधवी के पैर छुए। माधवी ने ख़ुशी ख़ुशी विक्की को आशीर्वाद दिया और उसे गले लगाते हुए कहा,”मेरी छवि का हमेशा ख्याल रखना , उसे कभी दुःख मत देना।”
विक्की माधवी जी दूर हटा और उनके हाथो को थामकर कहा,”मैं आपका और छवि दोनों का ख्याल रखूंगा”


अक्षत ने सुना तो छवि की तरफ देखकर अपनी पलकें झपका दी। विक्की माधवी के सामने हटा और आकर अक्षत के पैर छुए तो अक्षत ने कहा,”अरे ये क्या कर रहे हो ?”
“आप भी तो मुझसे बड़े है सर,,,,,,,,,,,,आप बहुत अच्छे इंसान है ये समझने में मुझे बस थोड़ा वक्त लग गया। अनजाने में मैंने आपको गलत कहा है तो मैं आपसे माफ़ी,,,,,,,,,,,,!!”,विक्की इतना ही कह पाया कि अक्षत ने कहा,”नहीं तुम्हे माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है। छवि के साथ एक नयी जिंदगी की शुरुआत करो और खुश रहो।”


“सर ! क्या मैं आपको एक हग कर सकता हूँ ?”,विक्की ने बच्चो की तरह खुश होकर कहा तो अक्षत ने आगे बढ़कर खुद ही उसे गले लगा लिया और कुछ देर बाद चला गया।
छवि को एक अच्छा जीवनसाथी मिल चुका है जानकर अक्षत बहुत खुश था।

कुछ दिन गुजरे सब सही चल रहा था सब अपनी अपनी जिंदगी में खुश थे। देर सवेर सिंघानिया जी भी छवि और विक्की की शादी के लिये मान गए और उन्हें अपना लिया।  

छवि और विक्की की शादी खूब धूमधाम से हुई और ये अनोखी शादी थी जिसमे उन दोनों का 1 महीने का बच्चा भी शामिल था। इस शादी में जज साहब से लेकर , कोर्ट के आधे से ज्यादा वकील , इंपेक्टर कदम्ब और पूरी व्यास फॅमिली मौजूद थी। सभी बहुत खुश थे।

एक सुबह अक्षत अमर जी के साथ घर के लॉन में था कि उसने मीरा को आवाज दी,”मीरा , मीरा , मीरा जल्दी यहाँ आओ , मीरा,,,,,,,,,,!!”
मीरा बाहर लॉन में आयी और कहा,”क्या हुआ अक्षत जी आपने हमे आवाज दी ?”
“हम्म्म !”,अक्षत ने अमर जी की तरफ इशारा करके कहा
मीरा ने व्हील चेयर पर बैठे अमर जी को देखा और फिर हैरानी से अक्षत को देखकर अपनी गर्दन उचकाई।


“मीरा,,,,,,,!!”,अमर जी की आवाज मीरा के कानों में पड़ी तो मीरा का दिल धड़क उठा पुरे 11 महीनो बाद वह अमर जी की आवाज सुन रही थी। उसने हतप्रभ होकर अमर जी की तरफ देखा तो आँखों में आँसू भर आये। अमर जी अपने पैरो पर खड़े मुस्कुरा रहे थे। मीरा ने अमर जी को देखा और रोने लगी। अक्षत ने देखा तो मीरा के पास आया और उसे सम्हालते हुए कहा,”जाओ,,,,,,!!”


मीरा अमर जी के पास आयी तो उन्होंने अपने हाथो को फैला दिया मीरा उनके सीने से आ लगी और फूट फूट कर रोने लगी मीरा को रोते देखकर अमर जी की आँखों में भी आँसू भर आये। वे मीरा का सर सहलाने लगे। गुजरे वक्त में मीरा को अक्षत के बाद सबसे ज्यादा जरूरत अपने पापा की ही थी लेकिन बेचारे अमर जी इन हालातो में नहीं थे कि मीरा का दर्द बाँट पाते।
रघु ने घर में सबको अमर जी के बारे में बताया तो सब दौड़कर बाहर आये और अमर जी को पहले जैसा देखकर सभी के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे।

सबसे अलग थलग अपने हाथो को बांधे खड़ा अक्षत मंद मंद मुस्कुरा रहा था। ये उसकी कड़ी मेहनत का ही तो फल था जो आज अमर जी अपने पैरो पर खड़े थे। विजय जी और घर के बाकी सब लोग आकर अमर जी से मिले और सब अंदर चले आये बस अक्षत मीरा लॉन में थे। मीरा अक्षत के पास आयी और जैसे ही उसके पैरो में झुकने को हुयी अक्षत ने पीछे हटते हुए कहा,”ये क्या कर रही हो मीरा ?”


“आपने हमारे लिये जो किया है वो हम कभी नहीं भूल पाएंगे अक्षत जी ,  आपने हमे हमारे पापा को लौटा दिया हम आपका ये अहसान कभी नहीं भूलेंगे।”,मीरा ने रोते हुए कहा
अक्षत मीरा के पास आया और उसका चेहरा अपने हाथो में थामकर कहा,”खुद से वादा किया था मीरा , अमायरा को तो मैं तुम्हे नहीं लौटा पाया लेकिन पापा को तुम्हे लौटाकर शायद मैं अपने अंदर के उस दर्द को कुछ कम कर पाऊ”


मीरा ने अक्षत को गले लगाया और कहा,”हमे यकीन है आपकी बेटी को आप पर गर्व होगा , यू आर द बेस्ट फादर”
अक्षत ने सुना तो नम आँखों से सामने देखा घर के झूले पर बैठी अमायरा मुस्कुराते हुए अक्षत को देख रही थी और फिर उसने अपने हाथ को अपने होठो से लगाकर अक्षत की तरफ कर दिया। अक्षत की आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क गए और अमायरा का साया हवा में धुंधला हो गया।

कुछ देर बाद दोनों अंदर चले आये। सभी घरवाले अमर जी के इर्द गिर्द हॉल में जमा थे अक्षत मीरा भी उनके बीच चले आये तो अर्जुन ने कहा,”पापा आज  घर में ख़ुशी का माहौल है , अमर अंकल ठीक हुए है इस ख़ुशी में क्यों ना आज शाम घर में कोई प्रोग्राम रखा जाये।”
“हाँ मौसाजी बहुत दिन हो गए , अर्जुन सही कह रहा है।”,सोमित जीजू ने भी कहा जिस से उन्हें भी थोड़ा मस्ती करने का मौका मिल जाये


विजय जी ने सबके हँसते मुस्कुराते चेहरे देखे और कहा,”हाँ हाँ करते है न , मेरे कव्वाली वाले ग्रुप को बुला लेते है। मजा आएगा”
“नहीं ईईईईईई “,विजय की बात पर सबने एक साथ कहा क्योकि विजय जी का कव्वाली वाला प्रोग्राम कितना बोरिंग होता था सब जानते है।
“पापा आप रहने दो , हम यंग जेनेरेशन के लोगो को भी कुछ करने दो,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा


“भाई आप अब यंग नहीं रहे,,,,,,,,चीकू बड़ा हो रहा है”,अक्षत ने अर्जुन को छेड़ने के लिए कहा
“चीकू के बड़े होने से मेरी उम्र का क्या कनेक्शन है और चीकू इतना भी बड़ा नहीं हुआ है कि कल ही उसकी शादी कर दी जाये”,अर्जुन ने चिढ़ते हुए कहा
शादी का नाम सुनकर चीकू शर्माने लगा तो सोमित जीजू ने कहा,”शादी के नाम से तुम क्यों शरमा रहे हो ? कही अपने बाप और चाचू की तरह तुम भी तो लव मैरिज करने के बारे में तो नहीं सोच रहे,,,,,,,,!!”


चीकू ने सुना तो विजय जी के बगल में सोफे पर आ बैठा और कहा,”मुझे नहीं करनी लव मैरिज ,, मुझे तो दादू के जैसी शादी करनी है,,,,,,,,,,,,,दादू कितना प्यार करते है दादी माँ से,,,,,,,,,मुझे तो इनके जैसे बनना है।”
चीकू की बात सुनकर सब हैरानी से उसे देखने लगे। खुद विजय जी भी उन्होंने चीकू की तरफ देखा तो चीकू ने कहा,”क्यों दादू मैंने ठीक कहा ना ? आप दादी माँ से प्यार करते है ना , जैसे सुबह उनके बाल में आप गुलाब का फूल लगा रहे थे मुझे भी अपनी वाइफ को ऐसे फूल लगाना है,,,,,,,,,,,,,!!”


“चीकू उउउउउ !”,अर्जुन ने चौंकते हुए कहा क्योकि चीकू में इतनी समझ नहीं थी कि वह क्या बोल रहा था उसने बस जो देखा वो बोल दिया। बेचारी राधा शर्म के मारे उनके गाल लाल हो गए और विजय जी झेंपते हुए वहा उठकर साइड में चले गए लेकिन बाकि सब घरवाले हंस पड़े।


“ये मौसाजी तो बड़े छुपे रुस्तम निकले,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने अर्जुन के कंधे पर अपनी कोहनी टीकाकर कहा
अमर जी ने चीकू को अपनी गोद में बैठाया और कहा,”अभी तुम बहुत छोटे हो जब बड़े हो जाओगे तब तुम्हारी शादी हम करवाएंगे,,,,,,,,,,,!!”
“सच्ची ?”,चीकू ने खुश होकर कहा
“हाहाहाहा सच्ची”,अमर जी ने कहा और सबके साथ बैठकर बातें करने लगे।

अर्जुन ने रघु को अपने फोन का कैमरा ऑन करके दिया और सभी घरवालों को बुला लिया। सभी जमा हो गए। दादू दादी अमर जी राधा और विजय सोफे पर बैठ गए। अर्जुन नीता , सोमित जीजू और तनु दी , अक्षत मीरा उनके पीछे खड़े हो गए। चीकू और काव्या घर में छोटे थे तो नीचे बैठ गए। रघु ने सबको मुस्कुराने को कहा तो अक्षत को ना जाने क्या सुझा उसने कहा,”एक मिनिट रघु !”


अक्षत रघु के पास आया और उसके हाथ से फोन लेकर उसे सेंटर टेबल लाने को कहा। रघु टेबल ले आया तो अक्षत ने फोन में टाइमर सेट किया और उसे टेबल पर रखकर रघु से कहा,” आप भी तो व्यास फॅमिली का हिस्सा है ना , आपके बिना ये फोटो अधूरी आयेगी,,,,,,,,,,,,चलो जल्दी आओ”
रघु ने सुना तो ख़ुशी से आँखे नम हो गयी कहने को वह इस घर का नौकर था लेकिन आज अक्षत ने ये बात कहकर उसकी अहमियत बढ़ा दी।

रघु ख़ुशी ख़ुशी सबकी तरफ चला आया तो अक्षत ने उसे अपने बगल में खड़े होने को कहा।
टाइमर ख़त्म हुआ और फोटो क्लिक हुई। अक्षत फोन के पास गया और फोटो को देखा तो मुस्कुरा उठा। फोटो बहुत प्यारा आया था। इस फोटो में एक खास बात थी और वो ये थी कि अमायरा सबके बीच ना होकर भी इस फोटो में मौजूद थे। चीकू के हाथ में अमायरा की फेवरिट डॉल थी जिसने अमायरा की कमी को पूरा कर दिया।

अक्षत ने एक बार फिर पलटकर घर के दरवाजे की तरफ देखा तो पाया अमायरा का साया सबको देखकर हाथ हिलाते हुए बाहर जा रहा था।

समाप्त

संजना किरोड़ीवाल

तो आप सबकी पसंदीदा कहानी “हाँ ये मोहब्बत है” हमेशा हमेशा के लिये यही खत्म होती है। इस कहानी को इतना लिखने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद था वो था पाठको का प्यार,,,,,,,,,,,,आप लोगो ने इस कहानी को अपना इतना प्यार दिया कि ये सफर आगे बढ़ता रहा लेकिन आज एक लेखक होने के नाते मैं इस सफर को यही खत्म करती हूँ ताकि इस कहानी की खूबसूरती बनी रहे। इस कहानी का अब कोई नया सीजन नहीं आयेगा बल्कि महादेव् और मेरी किस्मत ने चाहा तो ये सीधा अब टीवी पर देखने को मिलेगा और मुझे उस दिन का इंतजार है। तो सुनते रहिये कहानिया क्योकि हर कहानी कुछ कहती है। 

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