Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 74

Haan Ye Mohabbat Hai – 74

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अक्षत को याद ही नहीं रहा आज उसका जन्मदिन था। जब सब घरवालों ने एकसाथ उसे हैप्पी बर्थडे कहा तो वह थोड़ा हैरान रह गया। ख़ुशी और हैरानी के मिले जुले भाव उसके चेहरे पर झिलमिलाने लगे। नीता किचन में रखा केक ले आयी जो उसने खुद अक्षत के लिये बनाया था। अक्षत ने देखा सब वहा है बस मीरा और उसके पापा वहा नहीं है तो उसका मन भारी हो गया लेकिन घरवालों के चेहरों पर ख़ुशी देखकर उनका दिल रखने के लिये अक्षत ने केक काटा और सबको थोड़ा थोड़ा खिला दिया।
दादू दादी ने अक्षत को खूब आशीर्वाद दिया साथ में एक बहुत ही शानदार घडी तोहफे में दी।

राधा ने उसे एक सिल्वर चैन गिफ्ट की तो वही नीता ने उसे सिल्वर ब्रासलेट गिफ्ट किया। तनु ने अक्षत को उसके पसंदीदा परफ्यूम का सेट गिफ्ट किया। चीकू और काव्या भी मिलकर अक्षत के लिये एक प्यारा सा गिफ्ट लेकर आये थे। अर्जुन ने अक्षत को कोई गिफ्ट नहीं दिया बल्कि वह उसके पास आया और कहा,”तुम्हारे जन्मदिन का सबसे शानदार तोहफा तुम्हे आज रात मिल जाएगा।”


“सबने मेरे लिये इतना किया मेरे लिये उतना ही काफी है , थैंक्यू”,अक्षत ने कहा और डायनिंग के पास चला आया
सोमित जीजू वहा नहीं थे। अक्षत ने एक प्लेट उठायी उसमे थोड़ा सा केक रखा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। नीता बचा हुआ केक सबको सर्व करने लगी। राधा को उदास देखकर नीता ने कहा,”क्या हुआ माँ आप उदास नजर आ रही है ?”
“सब यहाँ है बस मीरा नहीं,,,,,,,,,!!”,राधा ने अपनी आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा


“माँ,,,,,,,,,उदास मत होईये मीरा को भी जरूर याद होगा आज देवर जी का जन्मदिन है और मेरा दिल कहता है मीरा जल्दी ही इस घर में वापस आएगी , अपनी पुरानी दुनिया मे”,नीता ने कहा तो राधा हल्का सा मुस्कुराइ और प्यार से उसका गाल छूकर वहा से चली गयी

अक्षत ऊपर आया उसने प्लेट लाकर अमायरा की तस्वीर के सामने रखी और कहा,”आज आपके पापा का बर्थडे है प्रिंसेज , तुम्हारी बहुत याद आ रही है। मेरे लास्ट बर्थडे पर तुम मेरे साथ थी पर आज नहीं तुम साथ नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,और ना मीरा मेरे साथ है। सबके होते हुए भी मैं अकेला हूँ प्रिंसेज,,,,,,,,,,,आई मिस्ड यू सो मच”
कहते हुए अक्षत की आँखों में आँसू भर आये। वह कमरे से बाहर निकल गया और बालकनी में चला आया। जब भी अक्षत उदास या परेशान होता अपने कमरे की बालकनी में चला आता। कुछ देर बाद सोमित जीजू वहा आये और कहा,”साले साहब”


सोमित जीजू की आवाज से अक्षत की तंद्रा टूटी वह पलटा और उनकी तरफ चला आया। सोमित जीजू के सामने आकर अक्षत ने कहा,”सबने मुझे कोई न कोई तोहफा दिया , आपने मुझे बर्थडे गिफ्ट नहीं दिया”
“दरअसल वो मेरा तोहफा थोड़ा मामूली था सबके सामने देने में थोड़ी झिझक महसूस हो रही थी तो मैं अकेले में देने चला आया।”,सोमित जीजू ने कहा
“हम्म्म दीजिये।”,अक्षत ने कहा


जीजू ने अपनी जेब से एक लेटर जैसा कुछ निकाला और अक्षत की ओर बढ़ा दिया। अक्षत ने उस लेटर को लिया और खोलकर पढ़ने लगा जैसे जैसे अक्षत उस लेटर को पढ़ते जा रहा था उसका मन भारी हो रहा था।


“प्रिय साले साहब !
जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाये। मैं जानता हूँ पिछले कुछ महीनो में आप जिन हालातो से गुजरे है वो आपके लिये बेहद तकलीफदेह थे लेकिन आपने हिम्मत नहीं हारी और हमेशा परिस्तिथियों के अनुसार खुद को ढालते रहे। हाँ कुछ चीजे हमारे हाथ में नहीं होती है और उन्हें हमे वक्त पर छोड़ देना चाहिए। हमने जो खोया उसक जख्म वक्त के साथ भर गया लेकिन आपने जो खोया उसका दर्द सिर्फ आप जानते है। जानता हूँ सबके होते हुए भी आज आपको दो लोगो की कमी सबसे ज्यादा महसूस हो रही है

एक वो जो आपकी जिंदगी का हिस्सा थी और दूसरी वो जो खुद आपकी जिंदगी थी। आपकी जिंदगी का हिस्सा हमेशा आपके साथ रहेगा आपकी यादो में क्योकि उसे वापस लाया नहीं जा सकता लेकिन मैं हमेशा दुआ करूंगा आपकी जिंदगी आपको मिल जाये। आपके जन्मदिन पर मैं ये दुआ करता हूँ कि इस साल आपका दर्द खत्म हो जाये और आप अपनी पुरानी दुनिया में वापस लौट जाये अपनी उसी असली मुस्कान के साथ जो इस घर का असली सुकून थी।”
सोमित जीजू !

अक्षत की आँख से बहकर आँसू उस लेटर पर आ गिरे वह फूटफूट कर रोने लगा। सोमित जीजू ने देखा तो आगे बढ़कर उसे गले लगाते हुए कहा,”ए ! पागल है क्या ? मैंने इस लेटर में कुछ गलत लिख दिया हो तो मुझे माफ़ कर देना।”


अक्षत ने कुछ नहीं कहा वह बस सोमित जीजू के गले लगकर रोता रहा और कुछ देर बाद उनसे दूर हटकर कहा,”आपसे किसने कहा ये मामूली है ? खत कभी मामूली नहीं होते है जीजू,,,,,,,,,,,ये हमेशा किसी खास इंसान के जरिये दूसरे खास इंसान के लिये लिखे जाते है और इस खत ने साबित कर दिया मैं आपके लिये खास हूँ , बहुत खास हूँ। थैंक्यू जीजू थैंक्यू सो मच,,,,,,,,,,!!”
अक्षत की बात सुनकर सोमित जीजू मुस्कुराने लगे और कहा,”और इतनी सी बात के लिये तूने अपने इतने कीमती आँसू बहा दिए , लेकिन ये आँसू सिर्फ आज के लिये है , अब से तेरी आँखों में ये आँसू नहीं आएंगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“हम्म्म,,,,,,,,,,,आपने मेरे लिये खत लिखा,,,,,,,,!!”,अक्षत ने अपने आँसू पोछकर मुस्कुराते हुए कहा
“हाँ पुरे दो घंटे लगे मुझे ये लिखने में , समझ ही नहीं आ रहा था क्या लिखू,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा
“मीरा भी मेरे लिये हर साल ऐसे ही खत,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत कहते कहते रुक गया लेकिन सोमित जीजू समझ गए उन्होंने अक्षत के कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा,”पक्का वो आज भी तुम्हारी लिये खत लिख रही होगी , तुम दोनों के जिस्म एक दूसरे से अलग हो सकते है मन नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!”


अक्षत ने सुना तो बुझी आँखों से जीजू को देखने लगा। वह हैरान था सोमित जीजू हर बार उसके दिल की बात कैसे जान लेते थे ? उसने सोमित जीजू से गुड नाईट कहा और वहा से चला गया
सोमित जीजू ने अक्षत को जाते देखकर मन ही मन कहा,”बस आज की रात साले साहब उसके बाद आपकी मीरा आपकी जिंदगी में वापस आ जाएगी हमेशा हमेशा के लिए , ये मेरा आपसे वादा है।”

रात के 12 बज रहे थे और अमर जी के घर में बस मीरा के कमरे की लाइट जल रही थी। घर के सभी लोग सो चुके थे बस मीरा जाग रही थी। अपने कमरे में रखे टेबल के पास बैठी मीरा बड़े इत्मीनान से खत लिख रही थी। उस खत को लिखते हुए मीरा की आँखों में नमी थी लेकिन चेहरे पर सुकून के भाव थे। मीरा ने उस खत को लिखा और बड़े प्यार से लिफाफे में डालकर लिफाफे में पैक कर दिया। उसने लिफाफे को ड्रॉवर में रखा और उठकर कमरे में लगी अक्षत की तस्वीर के सामने आकर खड़ी हो गयी।

मीरा प्यार भरी नजरो से एकटक अक्षत को देखते रही और फिर सहसा ही उसे वो पल याद आ गया जब चाइल्ड होम में अक्षत ने अखिलेश को थप्पड़ मारकर कहा था “she is still my wife” मीरा ने अपनी आँखे मूँद ली और कहने लगी,”हम जानते है आप आज भी हम से उतनी ही मोहब्बत करते है , शायद बीते हुए कल से भी ज्यादा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,फिर क्यों आप हम से दूर है। अनजाने में हम से जो गलतिया हुई है उन गलतियों का अहसास हमे है अक्षत जी , एक बार , सिर्फ एक बार हमे उन गलतियों के लिये आपसे माफ़ी मांगने का मौका दीजिये।

हम जानते है हम से दूर रहकर आप भी सुकून में नहीं है ,, जिन हालातों से हम दोनों गुजर रहे है उन हालातों में हमे सबसे ज्यादा जरूरत एक दूसरे की है। आप आज भी हम पर अपना हक़ समझते है  
आज आपका जन्मदिन है और हम आपसे दूर है हर साल की तरह हमने आज भी आपके लिये खत लिखा है पर इस बार वो खत आप तक पहुँच पायेगा भी या नहीं हम नहीं जानते,,,,,,,,,,,,,,बहुत कुछ है हमारे मन में जो हम आपसे कहना चाहते है , आपसे शिकायत करना चाहते है ,

आप पर गुस्सा करना चाहते है लेकिन आप हम से दूर चले गए है,,,,,,,दूर बहुत दूर,,,,,,,,हम इंतजार करेंगे आपके लौट आने का क्योकि हम आपसे बहुत मोहब्बत करते है , इतनी कि आपके इंतजार में पूरी जिंदगी निकाल देंगे। भले ही हम आपके साथ नहीं है लेकिन मीरा सिंह राजपूत सिर्फ अक्षत व्यास की थी , है और रहेगी,,,,,,,,,,!!”

“मीरा , मीरा , तुम्हारे कमरे की लाइट ऑन है , तुम सोई नहीं अब तक जाग रही हो ?”,सौंदर्या ने मीरा के कमरे में आते हुए कहा
सौंदर्या की आवाज से मीरा की तंद्रा टूटी उसने अपनी आँखे पोछी और सौंदर्या के पास चली आयी। मीरा का उदास चेहरा देखकर सौंदर्या ने कहा,”इस चाँद से चेहरे पर इतनी उदासी क्यों है ?”
“कुछ नहीं भुआजी बस ऐसे ही , आप इस वक्त यहाँ ?”,मीरा ने पूछा


“हाँ तुम्हारे कमरे की लाइट ऑन देखी तो चली आयी,,,,,,,वैसे भी मीरा ये उदासी सिर्फ आज के लिये है कल से तुम्हारी जिंदगी पूरी बदल जाएगी,,,,,,,,,,,कल से सिर्फ खुशिया ही खुशिया होगी।”,सौंदर्य ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“हम कुछ समझे नहीं भुआजी,,,,,,!!”,मीरा ने कहा


“कल का दिन तुम्हारी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन होगा मीरा,,,,,,,,,,सो जाओ वरना कल की पार्टी में तुम्हारा उतरा हुआ चेहरा अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,,,,हम्म्म गुड नाईट”,सौंदर्या ने प्यार से मीरा का गाल छुआ और वहा से चली गयी
जाते जाते वह मीरा को उलझन में डाल गयी

अगली सुबह मीरा उठी और तैयार होकर नाश्ता करने हॉल में चली आयी। उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर समझ आ रहा था कि वह रातभर ठीक से सोई नहीं है। राजकमल जी , सौंदर्या , प्रत्याशा और जिज्ञाषा सभी नाश्ते की टेबल के इर्द गिर्द बैठे थे। सौंदर्या को अमर जी की कुर्सी पर बैठा देखकर मीरा को अच्छा नहीं लगा आज से पहले अमर जी ही इस कुर्सी पर बैठा करते थे लेकिन आज सौंदर्या भुआ को वहा बैठे देखकर मीरा के दिल में एक टीस उठी। उसने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”भुआ जी ! ये जगह हँमारे पापा की है फिर इस पर आप,,,,,,,,,!!”


“ओह्ह्ह मीरा तो क्या हो गया ? क्या मैं इस घर में कुछ नहीं हूँ , वैसे भी मुझे नहीं लगता भाईसाहब अब कभी इस कुर्सी पर बैठ पाएंगे”,सौंदर्या ने मुँह बनाते हुए कहा
“भुआजी ! आप होश में तो है , आप ये क्या कह रही है ?”,मीरा के चेहरे पर गुस्से के भाव तैरने लगे।
“हाँ मीरा मैं बिल्कुल होश में हूँ , पर मुझे लगता है शायद तुम सच को देखना नहीं चाहती,,,,,,,,,,,,भाईसाहब का सच जानने के बाद भी तुम्हारे मन में उनके लिये सम्मान के भाव,,,,,,,,,,,मैं अगर तुम्हारी जगह होती तो शायद कभी उन्हें पलटकर ना देखती”,सौंदर्या ने पहेलियाँ बुझाते हुए कहा


“सौंदर्या ये क्या बकवास कर रही हो तुम ?”,राज कमल जी ने कहा
“आप बीच में मत बोलिये , चुपचाप अपना नाश्ता कीजिये”,सौंदर्या ने कहा
मीरा ने देखा उसके साथ इतने प्यार से पेश आने वाली और उसकी परवाह करने वाली सौंदर्या एकदम से इतना बदल कैसे गयी ? मीरा ने हैरानी से सौंदर्या भुआ को देखा और कहा,”आप किस सच्चाई की बात कर रही है ?”
“क्यों मीरा क्या तुम नहीं जानती अमायरा की मौत का सच ?”,सौंदर्या ने मीरा की आँखों में देखते हुए कहा।


मीरा ने सुना तो उसके हाथ में पकड़ा चम्मच प्लेट में आ गिरा। सौंदर्या अमायरा के कातिल के बारे में जानती है ये सुनकर मीरा को एक धक्का सा लगा। वह हैरानी से सौंदर्या को देखते रही। राजकमल जी और उनकी बेटियों को कुछ समझ नहीं आया वे चुपचाप अपना नाश्ता कर रहे थे।
“भुआजी आप , आप मुझसे कुछ छुपा रही है क्या ?”,मीरा ने घबराहट भरे स्वर में कहा , उसकी आँखों में लगभग आँसू भर आये थे


सौंदर्या ने देखा तो मीरा के हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”आज शाम सब सच तुम्हारे सामने होगा मीरा”
मीरा ने हामी में गर्दन हिला दी। सौंदर्या एक बार फिर नाश्ता करने लगी लेकिन मीरा के हलक से निवाले मुश्किल से नीचे उतरे। 

 सुबह का समय था विक्की अपने कमरे में गहरी नींद में सो रहा था। वह कोई सपना देख रहा था। सपने में विक्की को छवि का चेहरा नजर आया। उदास और बुझा हुआ चेहरा जो विक्की को ही देख रहा था। कोर्ट रूम में छवि की कही बाते उसके ख्वाब में घूम रही थी। विक्की करवटें बदलने लगा और फिर उठकर एकदम से बैठ गया। छवि की कही वो बातें उसके कानों में गूंजने लगी और आँखों के सामने घूमने लगा छवि का चेहरा,,,,,,,,,,,,,,


“,”क्या इंसाफ करेगा आपका कानून मेरे साथ ? मेरे साथ हुए अन्याय को आपका कानून जानता है उसके बाद भी आपके कानून ने क्या किया ? एक लड़की जब बड़ी होती है तो वो एक सपना देखती है कि वो भी एक दिन दुल्हन बनेगी , उसके हाथो में भी मेहँदी लगेगी , उसके घर में भी शहनईया बजेगी उसके सपनो का राजकुमार उसके घर की दहलीज पर आएगा और उसे ब्याहकर ले जाएगा लेकिन यहाँ तो ऐसा नहीं हुआ जज साहब ,,

मेरे हाथो में मेहंदी नहीं लगी , ना मेरे घर में शहनईया बजी , ना कोई राजकुमार मुझे ब्याहने आया। एक दरिंदा आया , मुझे नोचा और बिना शादी के मैं माँ बन गयी,,,,,,,,,,मेरी कोख में पल रही इस नन्ही सी जान को तो ये भी नहीं पता कि इसका पिता कौन है ?

विक्की पीठ के बल बिस्तर पर आ गिरा उसकी आँखों में भरे आँसू आँखों के किनारो से बह गए और वह धीरे से बुदबुदाया,”मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ छवि , मेरी वजह से आज तुम इन हालातो में हो लेकिन मैं वादा करता हूँ जिसने भी ये किया है मैं उसे ढूंढ निकलूंगा , तुम मुझे कभी माफ़ करो या न करो लेकिन मैंने जो किया उसके लिये मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगा”

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