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Haan Ye Mohabbat Hai – 59

Haan Ye Mohabbat Hai – 59

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अखिलेश मुस्कुराते हुए एकटक मीरा को देखे जा रहा था तो मीरा ने कहा,”अखिलेश जी , अखिलेश जी,,,,,,,,!!”
“हाँ , हाँ मैडम ,, सॉरी वो मैं,,,,,,,,,,,,आज आप अचानक यहाँ , मुझे बुला लिया होता आपने क्यों तकलीफ की”,अखिलेश ने कहा
मीरा वापस चाइल्ड होम की तरफ जाने लगी और अखिलेश भी उसके साथ साथ चल पड़ा। चलते चलते मीरा ने कहा,”इसमें तकलीफ कैसी ? वैसे भी आज हम यहाँ किसी जरुरी काम से आये है।”


“मतलब ?”,अखिलेश ने हैरानी से पूछा
“मतलब ये कि अगले हफ्ते पापा की कम्पनी को 25 साल पुरे हो जायेंगे और उसी की ख़ुशी में एक पार्टी है। हम चाहते है आपके साथ चाइल्ड होम का पूरा स्टाफ भी वहा आये,,,,,,,,,,,,,आप सब लोग आएंगे तो हमे ख़ुशी होगी।”,मीरा ने अखिलेश की तरफ देखकर कहा


“अरे वाह ! कोन्ग्रेचुलेशन मेम,,,,,,,,ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है। हम सब जरूर आएंगे ,, कोई भी काम हो आप मुझसे कहेंगी,,,,,,,,,,,,,,!!”,अखिलेश ने कहा तो मीरा हंस पड़ी और अखिलेश की बांह छूकर कहा,”अरे नहीं ! आप तो खास मेहमान होंगे और आपके लिये हमारे पास एक गुड न्यूज भी है।”
“गुड न्यूज,,,,,,,,,,,बताईये ना मीरा मैडम क्या गुड न्यूज है ?”,अखिलेश ने बेसब्री से कहा


“अखिलेश जी वो हम आपको सबके सामने उसी दिन बताएँगे,,,,,,,,,,,,,,,हम बाकि स्टाफ से मिलकर आते है।”,कहकर मीरा वहा से चली गयी।

गुड न्यूज के नाम से ही अखिलेश का चेहरा खिल उठा। वह ख़ुशी से उछला और खुद में ही बड़बड़ाया,”लगता है मीरा मेडम भी मुझे पसंद करने लगी है इसलिए तो उन्होंने मुझे ख़ास कहा और पार्टी में इन्वाइट किया,,,,,,,,,,,,,,,वो गुड न्यूज क्या हो सकती है ?”
अखिलेश अभी ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। अखिलेश ने फोन देखा , फोन सौंदर्या का था उसने फोन उठाकर कान से लगाया और खुश होकर कहा,”हेलो ! हाँ सौंदर्या मैडम,,,,,,,,,,,!!”


“क्या बात है अखिलेश ? बड़े खुश नजर आ रहे हो ?”,सौंदर्या ने सामने से सवाल किया
“हाँ मैडम ! वो मीरा मैडम अपने पापा के साथ चाइल्ड होम आयी है , उन्होंने मुझे ऑफिस की ग्रेंड पार्टी में इन्वाइट किया है और कहा मेरे लिये कोई गुड न्यूज है।”,अखिलेश ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा
“ये लो मैंने सोचा मैं तुम्हे सरप्राइज दूंगी लेकिन मीरा ने तो पहले ही तुम्हे बता दिया,,,,,,,,,,,,,वैसे क्या मीरा ने तुम्हे उस गुड न्यूज के बारे में बताया ?”,सौंदर्या ने कहा  


“नहीं उन्होंने नहीं बताया , लेकिन शायद आपको पता है ,, मैडम बताईये ना वो क्या है ?”,अखिलेश ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“हाँ क्यों नहीं लेकिन एक शर्त पर , तुम मीरा को नहीं बताओगे तुम्हे ये बात पता है।”,सौंदर्या ने कहा
“हाँ मैं नहीं बताऊंगा , अब बताईये वो क्या बात है ?”,अखिलेश ने बेसब्री से कहा


“अखिलेश मैं तुम्हे बताकर गुड न्यूज का मजा ख़राब करना नहीं चाहती , तुम्हे एक हफ्ते इंतजार करना ही होगा,,,,,,,,,,,हाँ बस तब तक तुम एक अच्छी सी डायमंड रिंग का इंतजाम कर लो ,, क्या पता उस शाम के बाद तुम्हारी जिंदगी बदल जाये ?”,सौंदर्या ने हँसते हुए कहा
“ठीक है मैं इंतजार करूंगा।”,अखिलेश ने मुस्कुरा कर कहा

 इंस्पेक्टर कदम्ब विक्की और रॉबिन को लेकर सिटी हॉस्पिटल के लिये निकल गए। उन्होंने छवि से भी हॉस्पिटल आने को कहा ताकि उनकी देख रेख में सभी टेस्ट हो सके। छवि माधवी जी के साथ जैसे ही जाने लगी सूर्या मित्तल ने उसके सामने आकर गुस्से से कहा,”छवि अभी के अभी मेरे केबिन में आकर मुझसे मिलो।”
छवि कुछ कहती इस से पहले सूर्या वहा से चला गया। छवि और माधवी दोनों हैरान थी आखिर सूर्या इतना गुस्से में क्यों है ? माधवी जी ने छवि को चलने को कहा।

दोनों सूर्या के केबिन में आयी तो सूर्या ने छवि के सामने आकर गुस्से से कहा,”तुम क्या मुझे बेवकूफ समझती हो छवि ? मैं अपनी वकालत , अपना लायसेंस दाव पर लगाकर , दिन रात मेहनत करके तुम्हारे लिये ये केस लड़ रहा हूँ और तुम सब मिटटी में मिला रही हो।”
माधवी जी ने सूना तो छवि की तरफ देखने लगी। छवि को भी समझ नहीं आया आखिर सूर्या मित्तल ऐसी बातें क्यों कर रहा है ?


“आप ये क्या कह रहे है सर ? मैं कुछ समझी नहीं,,,,,,, क्या मुझसे कोई गलती हुई है ?”,छवि ने पूछा
“गलती , तुम बहुत बड़ी गलती कर रही हो छवि , जिस विक्की सिंघानिया के खिलाफ मैं ये केस लड़ रहा हु तुम उसी से दोस्ती बढ़ा रही हो,,,,,!!”,सूर्या ने गुस्से से कहा
“ये आप क्या कह रहे है , छवि ऐसा क्यों करेगी ?”,माधवी जी ने हैरानी से कहा


“ये बात आप छवि से पूछिए , पूछिए इस से कल शाम ये हॉस्पिटल के बाहर विक्की सिंघानिया के साथ क्या कर रही थी ?”,सूर्या ने माधवी जी से कहते हुए छवि की तरफ देखा तो छवि ने नजरे झुका ली
माधवी छवि के पास आयी और कहा,”छवि !  वकील साहब जो कह रहे है क्या वो सच है ? क्या तुम सच में विक्की सिंघानिया से मिली थी ?”
“हम्म्म्म,,,,,,,!!”,छवि ने कहा


माधवी जी ने सुना तो उन्हें धक्का सा लगा जिस लड़के ने छवि की जिंदगी बर्बाद की छवि उसी लड़के से मिल रही थी। सूर्या ने सुना तो छवि के पास आया और कहा,”क्या मैं जान सकता हूँ तुम उस से क्यों मिली थी ? ये जानते हुए भी कि उसने तुम्हारा,,,,,,,,,,,,,,,तुम बहुत बड़ी बेवकूफी कर रही हो छवि,,,!!”
” विक्की ने ये रेप नहीं किया है सर,,,,,,,!!”,छवि ने सहजता से कहा

“व्हाट ? छवि तुम जानती हो तुम क्या कह रही हो ? अदालत में ये कहते हुए तुम कितनी बेवकूफ लगोगी क्या तुम्हे इस बात का अंदाजा भी है ? माधवी जी  समझाइये इसे,,,,,,,,,,,,,,,,,जब तुम्हे लगता है विक्की ने ये सब नहीं किया तो फिर तुमने इस केस को रीओपन क्यों करवाया ?”,सूर्या ने गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा ताकि बातें केबिन के बाहर ना जाये


“क्योकि मेरे लिये ये जानना अब बहुत जरुरी हो गया है कि आखिर मेरे साथ ये सब किसने किया ?”,छवि ने चिल्लाकर कहा
सूर्या मित्तल खामोश हो गया उसे कुछ समझ नही आ रहा था इस वक्त वह क्या कहे ? वह छवि के पास आया और उसके कंधो को पकडकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”सुनो छवि ! विक्की सिंघानिया एक बहुत ही चालाक और शातिर किस्म का इंसान है वो सिर्फ तुम्हे अपनी बातो से बहला रहा है तुम उसकी बातो में आकर कोई भी गलत फैसला मत कर लेना।

मैं तुम्हारे साथ हूँ और अंत तक साथ हूँ मैं पूरी कोशिश करूंगा कि असली गुनहगार को सबके सामने ला सकू लेकिन तब तक तुम्हें विक्की सिंघानिया से दूर रहना होगा। मैं नहीं चाहता जज साहब के कोई भी फैसला सुनाने से पहले तुम विक्की सिंघानिया के नापाक इरादों का शिकार बनो ,, तुम समझ रही हो ना छवि ?”
सूर्या मित्तल की बात सुनकर छवि को अहसास हुआ उसे इतनी जल्दी विक्की पर भरोसा नहीं करना चाहिए था। छवि की आँखों में आँसू भर आये और उसने हामी में अपनी गर्दन हिला दी।

सूर्या मित्तल पीछे हटा और कहा,”इंस्पेक्टर कदम्ब हॉस्पिटल में तुम्हारा इंतजार कर रहे है , मैं अपने असिस्टेंट को तुम्हारे साथ भेज देता हूँ ,,,!!”
छवि ने फिर हामी में गदर्न हिला दी। सूर्या ने अपने असिस्टेंट को अपनी गाड़ी की चाबी दी और छवि माधवी जी को हॉस्पिटल लेकर जाने को कहा और खुद अपनी कुर्सी पर आ बैठा। माधवी जी खामोश थी उन्हें छवि से ये उम्मीद नहीं थी वे चुपचाप छवि के साथ हॉस्पिटल के लिये निकल गयी।

अपनी कुर्सी पर बैठा सूर्या मित्तल सोच में डूबा था। उसने सामने पड़ी छवि दीक्षित केस की फाइल को खोला और उसमे रखा पेपर उठाकर उसे देखते हुए कहा,”आज आखरी वक्त पर अगर ये कागज इस फाइल में नहीं मिलता तो शायद जज साहब अपना फैसला सूना चुके होते और मै ये केस हार गया होता लेकिन ये कागज इस फाइल में आया कैसे ? आखिर कौन है जो छवि के केस में मेरी मदद कर रहा है ?”


सूर्या के पास सवाल थे लेकिन जवाब नहीं,,,,,,,,,,,,,,उसने कागज को अपनी टेबल के ड्रॉवर में रखा और आगे के बारे में सोचने लगा। सूर्या सिर्फ DNA रिपोर्ट्स के भरोसे नहीं रह सकता था उसे इस केस से जुड़ा कोई पुख्ता सबूत भी चाहिए था जिस से वह असली गुनहगार का चेहरा सबके सामने ला सके।

 चित्रा से टकराने के बाद अक्षत अपने केबिन में आया देखा अखिल वहा पहले से मौजूद है। अक्षत ने एक नजर अखिल को देखा और अपनी कुर्सी पर आ बैठा।
“तुम आज की सुनवाई में क्यों नहीं आये ? तुम्हे पता है लास्ट मोमेंट पर सूर्या ने क्या बाजी पलटी है , उसके एक वार से ही सब शांत हो गए,,,,,,चोपड़ा जी के चेहरे का तो रंग ही उड़ गया। वैसे तुम जब छवि का केस लड़ रहे थे तब तुमने DNA रिपोर्ट्स की बात क्यों नहीं रखी ? रखते तो शायद तुम ये केस जीत जाते,,,,,,,,,,,,,!!”


“मेरे लिये केस जीतने से ज्यादा जरुरी है किसी बेगुनाह को सजा से बचाना”,अक्षत ने अखिल की तरफ देखकर कठोरता से कहा
“और इसलिए तुमने अपनी बेटी को दांव पर लगा दिया ?”,अखिल ने भी उसी कठोरता से कहा
अक्षत ने  सुना तो उसकी भँवे तन गयी और उसने अपनी कुर्सी से उठते हुए कहा,”बकवास बंद करो , मेरी बेटी की मौत के बारे में तुम जानते क्या हो ?”


अखिल ने अक्षत को हिराकत भरी नजरो से देखा और कहा,”बस यही , यही रवैया तुम्हे कभी आगे बढ़ने नहीं देगा अक्षत ,, तुम्हारा ये ऐटिटूड तुम्हे कभी कामयाब नहीं होने देगा। अगर उस वक्त तुमने अपने इस घमंड को साइड में रखकर किसी की मदद ली होती तो तुम छवि को इंसाफ भी दिला पाते और शायद आज तुम्हारी बेटी भी ज़िंदा होती,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारा ये घमंड एक दिन तुम्हे बर्बाद कर अक्षत”


अक्षत ने सुना तो उसे गुस्सा आया कि अखिल की जान ले ले लेकिन उसने खुद को रोक लिया और अखिल की तरफ देखकर कहा,”अगर तुम जैसे दोस्त साथ हो इंसान को दुश्मन की जरुरत क्या है ? चले जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,गेट आउट फ्रॉम हियर”
“अरे रुकना भी कौन चाहता है ? मैं तो बस तुम्हारे चेहरे पर हार और जिल्लत का ये अफ़सोस देखने आया था।”,अखिल ने फीका सा मुस्कुराकर कहा और वहा से चला गया।


अक्षत इस वक्त इतना गुस्से में था कि सामने कोई और होता तो शायद वह उस पर हाथ उठा देता लेकिन सामने उसका दोस्त था और इसी वजह ने अक्षत को रोक लिया लेकिन गुस्सा कही तो निकालना था इसलिए उसने गुस्से में अपना हाथ पास ही की दिवार पर दे मारा जिस से अक्षत के हाथ में चोट लग गयी लेकिन चोट से ज्यादा दर्द उसे अखिल की बातो का था। ना चाहते हुए भी अमायरा के साथ हुआ हादसा अक्षत की आँखों के सामने आ गया और उसकी आँखों में आँसू भर आये।

उसकी आँखों के सामने बार बार वो पल आने लगा जब अमायरा का निर्जीव शरीर उसकी बांहो में था। अक्षत लड़खड़ाते हुए अपनी कुर्सी की तरफ आया और उस पर बैठकर गर्दन पीछे झुका ली। आँखों के किनारो से गर्म आँसू बहने लगे और अक्षत ने अपनी आँखे मूंद ली।  

शाम में अक्षत घर आया तो उसकी कलाई में प्लास्टर बंधा था। डायनिंग टेबल पर बैठे सभी लोग खाना खा रहे थे। राधा ने जब अक्षत के हाथ पर प्लास्टर देखा तो घबराते हुए उसके पास जाने लगी लेकिन विजय जी नजरे खुद पर पाकर वही रुक गयीं। अक्षत खाना खाने नहीं आया और सीढ़ियों की ओर जाने लगा। राधा के चेहरे पर आये परेशानी के भाव दादू समझ गए इसलिए उन्होंने अक्षत से कहा,”अरे आशु ! खाना खाये बिना जा रहे हो ? और ये तुम्हारे हाथ को क्या हुआ ? चोट कैसे लगी ?”


अक्षत कुछ जवाब देता इस से पहले विजय जी बोल पड़े,”फिर कही झगड़ा करके आया होगा। इसके लिये ये सब आम बात है ,, लेकिन ये शायद भूल चुका है कि ये शरीफो का घर है। ये वकील कम और गुंडा ज्यादा लगता है।”
अक्षत ने सुना तो अपमान का घूंठ पीकर रह गया और वहा से चला गया। डायनिंग पर बैठे सभी लोगो को पहली बार विजय जी की कही बात बुरी लगी

लेकिन उनके सामने कुछ कहने की हिम्मत किसी में नहीं थी इसलिये सब चुपचाप खाना खाने लगे लेकिन दादू से रहा नहीं गया और उन्होंने कहा,”विजय ये क्या हरकत थी ? अपने ही बच्चे के लिये कोई ऐसी बात कहता है भला ?”
“बच्चे इस लायक होने भी चाहिए पापा कि उनके लिए कुछ अच्छा कहा जाये। क्या क्या नहीं देखा है इसकी वजह से हम सबने और अब भी उसमे कोई सुधार नहीं है।”


“वो परेशान है विजय , तू तो उसका बाप है तुझे तो उसे समझना चाहिए”,दादू ने प्यार से कहा
“बहुत समझ लिया मैंने उसे और उसके फैसलों को , अगर उसे किसी की परवाह नहीं है तो इस घर में भी किसी को उसकी परवाह करने की जरूरत नहीं है।”,कहते हुए विजय जी ने राधा की तरफ देखा और गुस्से में वहा से उठकर चले गए।
विजय जी के जाते ही सबके हाथ रुक गए। राधा नम आँखों के साथ किचन की तरफ चली गयी।

दादू ने देखा सब उदास हो गए है तो उन्होंने माहौल को हल्का करते हुए अर्जुन से कहा,”अरे तुम लोगो ने खाना क्यों बंद कर दिया ? अरे तेरे बाप की तो आदत है,,,,,,,,,,,,,,जैसे जैसे उम्र होती जा रही है सठियाने लगा है।”
सोमित जीजू ने सुना तो सीरियस मोमेंट में भी मजाक करते हुए कहा,”उस हिसाब से आप तो आपकी दोबारा सठियाने की उम्र हो चुकी है।”
दादू को छोड़कर बाकि सब हंस पड़े , खुद दादी माँ भी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


दादू ने सोमित जीजू की तरफ देखा और नाराज होते हुए कहा,”आज से आपका सेटरडे पेग बंद,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे दादू,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा लेकिन दादू तब तक वहा से जा चुके थे और बेचारे जीजू मुंह लटका कर अर्जुन की तरफ देखने लगे।

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