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हाँ ये मोहब्बत है – 26

Haan Ye Mohabbat Hai – 26

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अपने गाल से हाथ लगाए अखिलेश बौखलाया सा अपने सामने खड़े अक्षत व्यास को देख रहा था। अक्षत ने अपने सामने मीरा को देखा और वहा से चला गया।
“मैडम देखिये ना उन्होंने मुझे थप्पड़,,,,,,,,,,,,,!!”,अखिलेश ने इतना ही कहा कि मीरा ने उसकी बात काटते हुए कहा,”उनकी तरफ से हम आपसे माफ़ी चाहते है , आपको उनके सामने नहीं आना चाहिए था। आप यहाँ से जाईये,,,,,,,,,,,!!”


“लेकिन मैडम,,,,,,,,,,,!”,अखिलेश ने कहना चाहा लेकिन मीरा बिना सुने ही वहा से चली गयी। अखिलेश ने जाती हुई मीरा को देखा और मन ही मन कहा,”इस थप्पड़ का बदला तो मैं अक्षत व्यास से जरूर लूंगा मैडम ,, बहुत घमंड है ना उसे आपका पति होने का , एक दिन उसका ये घमंड मिट्टी में ना मिला दिया तो मेरा भी नाम अखिलेश नहीं,,,,,,,,,,,,!!”
अखिलेश पैर पटकते हुए वहा से चला गया।

मीरा अक्षत से बात करने उसके पीछे आयी लेकिन तब तक अक्षत डॉक्टर मेहता के साथ ICU अंदर जा चुका था। ICU के अंदर आकर अक्षत ने जब मशीनों से घिरे अमर जी को देखा तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। अमर जी अक्षत के लिये सिर्फ मीरा के पिता ही नहीं बल्कि उसे वकालत का पहला सबक सिखाने वाले शख्स भी थे जिन्हे अक्षत हमेशा सम्मान की नजर से देखता था। अक्षत की आँखो में नमी तैर गयी वह ज्यादा देर वहा रुक नहीं पाया और बाहर आते हुए डॉक्टर से कहा,”अब कैसे है वो ?”


“खतरे से बाहर है लेकिन उनकी कंडीशन अभी तक क्रिटिकल है। अगर जल्दी उन्हें होश नहीं आता है तो वो कोमा में भी जा सकते है,,,,,,,,,,,उनकी 90% बॉडी पैरालाइज हो चुकी है।”,डॉक्टर मेहता ने अक्षत के साथ साथ चलते हुए कहा
अक्षत ने सूना तो उसे एक धक्का सा लगा।  अक्षत इतना तो समझ चुका था कि ये एक्सीडेंट नहीं बल्कि एक सोची समझी चाल थी जिसे बहुत ही होशियारी से अंजाम दिया गया था।

अक्षत को ICU के बाहर छोड़कर डॉक्टर अपने केबिन में चले गए। सोच में डूबा अक्षत ICU के बाहर खड़ा था।    
 मीरा ने अक्षत को अकेले खड़े देखा तो उसके पास चली आयी और कहा,”अक्षत जी,,,,,,,,,,,,!!”
मीरा की आवाज से अक्षत की तंद्रा टूटी , उसने मीरा की तरफ देखा रोने की वजह से उसकी आँखे सूज चुकी थी , होंठो पर पपड़ी जम चुकी थी , चेहरा पीला पड़ चुका था।

उसकी बुझी आँखे और उदास चेहरा देखकर अक्षत का दिल किया अभी आगे बढ़कर उसे अपने सीने से लगा ले लेकिन अक्षत ने खुद को रोक लिया और कठोरता से कहा,”तुम्हे अगर ये लगता है मैं यहाँ तुम्हारे लिये आया हूँ तो अपनी इस खुशफहमी को दूर कर लेना,,,,,,,,,,,,,,,मैं यहाँ सिर्फ तुम्हारे पापा के लिये आया हूँ,,,,,,,,,,जिसने भी ये किया है मैं उसे ढूंढ लूंगा।”
मीरा ने अक्षत की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया उसकी नजरे तो अक्षत के हाथ में बंधे उस सफ़ेद रूमाल पर थी जो की खून की वजह से जगह जगह से लाल हो गया था।

मीरा ने आगे बढ़कर अक्षत के हाथ को अपने नाजुक हाथो में लिया और कहा,”ये चोट , ये चोट आपको कैसे लगी ?”
अक्षत ने अपना हाथ मीरा के हाथो से खींच लिया और पीछे हट गया। मीरा ने हैरानी से अक्षत को देखा और कहा,”अक्षत जी आपके हाथ में चोट लगी है , हमे देखने तो दीजिये ,, हम इस पर दवा,,,,,,,,,,,,!!”
मीरा ने इतना ही कहा कि अक्षत मुस्कुरा उठा ,उसकी मुस्कराहट मीरा के दिल को गहरे तक जख्मी कर गयी क्योकि इस मुस्कुराहट में मोहब्बत नहीं बल्कि हिराकत थी।

अक्षत मीरा के करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,” जख्म देने वाले , मरहम लगाने की बातें नहीं करते”
अक्षत की बात कड़वी थी और मीरा को तकलीफ पहुँचाने के लिये काफी थी फिर भी मीरा ने बिना इसकी परवाह किये अक्षत के जख्मी हाथ को अपने हाथो में लिया और खुले हुए रुमाल को सही करके बांधने लगी। अक्षत ने देखा उसकी कड़वी बातो का भी मीरा पर कोई असर नहीं पड़ा है तो वह ख़ामोशी से अपने हाथ को देखने लगा।

मीरा ने रूमाल को बांधा और पीछे हटते हुए कहा,”हर घाव चोट से नहीं होता कभी कभी अपनों के जहर शब्द भी काफी होते है।”
अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से मीरा को देखता रहा ,अक्षत का यू देखना मीरा को बैचैन करने लगा तो वो वह वहा से चली गयी।  अक्षत वही खड़ा रहा। मीरा को जाते देखकर उसने अपने हाथ पर बंधे रुमाल को अपने होंठो से लगा लिया।
कुछ दूर खड़ी सौंदर्या ये सब देख रही थी।

वह अक्षत मीरा को अलग करना चाहती थी और इसलिए उसने अखिलेश को मीरा के करीब जाने को कहा लेकिन यहां तो नजारा कुछ और ही था। अक्षत वहा से चला गया। मीरा ने चलते चलते पलटकर अक्षत को देखा और उसकी आँखों में ठहरे आँसू उसके गालों पर बह गए।
सौंदर्या ने देखा अखिलेश कही नजर नहीं आ रहा तो उसने बेंच की तरफ आते हुए कहा,”ये अखिलेश कहा मर गया , इस वक्त उसे मीरा के पास होना चाहिए था।”


सौंदर्या मीरा के पास आयी और कहा,”वो अक्षत यहाँ क्यों आया था ?”
“पापा से मिलने,,,!!”,मीरा ने उदास लहजे में कहा
“और तुमने उसे मिलने दिया ?”,सौंदर्या ने हैरानी से पूछा
मीरा सौंदर्या की तरफ पलटी और कहा,”उन्हें हक़ है भुआ जी,,,,,!!”


मीरा की बात सुनकर सौंदर्या और ज्यादा हैरानी हुई और कहा,”ये तुम कह रही हो मीरा , सब जानते हुए भी तुमने अक्षत को भाईसाहब से मिलने दिया,,,,,,,,,,,,,,,,उसने तुम्हारे साथ जो किया भूल गयी उसे,,,,,,,,,,,,,,!!”
मीरा ने नम आँखों से सौंदर्या को देखा और कहा,”पापा क्या हम उन्हें खुद से मिलने से रोक पाए इतना हक़ तो हमने खुद को भी नहीं दिया है भुआजी,,,,,,,,,,!!
मीरा की आँखों में अब भी अक्षत के लिये बेइंतहा मोहब्बत नजर आ रही थी , जिसे सौंदर्या साफ़ देख पा रही थी।

मीरा को उन पर शक ना हो जाये सोचकर  उन्होंने बात बदलते हुए कहा,”मैं तो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो , तुम वरुण के साथ घर चली जाओ और आराम करो,,,,,,,,,,,,ऐसी हालत में तुम्हारा हॉस्पिटल में रुकना सही नहीं है।”
“नहीं भुआजी , हम घर नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,जब तक पापा को होश नहीं आ जाता , हम पापा से बात नहीं कर लेते तब तक हम यहाँ से नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहा  


“पागल मत बनो मीरा , अपनी हालत देखो तुम बीमार हो यहाँ रहकर और बीमार हो जाओगी,,,,,,,,,,भाईसाहब का ख्याल रखने के लिये मैं हूँ ना यहाँ , जैसे ही उन्हें होश आएगा मैं तुम्हे बुला लुंगी !!”,सौंदर्या ने चिंता जताने का नाटक करते हुए कहा
“नहीं हम नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,,,!”,मीरा ने रोते हुए कहा
“अगर मीरा यहाँ से नहीं जाना चाहती तो आप उसके साथ जबरदस्ती क्यों कर रही है ?”,एक जानी पहचानी आवाज मीरा और सौंदर्या दोनों के कानो में पड़ी।

मीरा ने सर उठाकर देखा तो पाया सामने विजय जी खड़े है। विजय जी के साथ राधा , तनु , सोमित जीजू , अर्जुन , नीता , दादू , दादी भी खड़े थे। मीरा ने अपनी व्यास फैमिली को वहा एक साथ देखा तो उसका दिल भर आया। वह उठी और रोते हुए विजय जी के सीने से आ लगी। उनके सीने से लगी मीरा फफक कर रोने लगी। विजय जी उसका सर सहलाने लगे और कहा,”मीरा , बस बेटा , कुछ नहीं हुआ है देखो हम सब है ना यहाँ तुम्हारे साथ,,,,,,,,,,,तुम्हारे पापा को कुछ नहीं होगा।”


व्यास फैमिली को एक साथ वहा देखकर सौंदर्या के कलेजे पर जैसे सांप लौट गए। उसने मीरा की तरफ आते हुए कहा,”मीरा ये क्या कर रही हो तुम ?”
सौंदर्या मीरा की तरफ जाती इस से पहले ही तनु ने सौंदर्या भुआ की बांह पकड़कर उन्हें रोक लिया और कहा,”अरे अरे भुआजी आप कहा जा रही है , आप मेरे साथ आईये ना वो मुझे ज़रा वाशरूम बताईये ना कहा है ?”
“तनु दी मैं भी चलती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,मुझे भी बहुत ज्यादा जरूरत है।”,कहते हुए नीता सौंदर्या के दूसरी तरफ आ गयी और दोनों जबरदस्ती उसे वहा से ले गयी  


अर्जुन ने नीता और तनु के मुंह से बाथरूम जाने की बात सुनी तो सोमित जीजू से कहा,”ये दी और नीता को अभी बाथरूम जाने की क्या जरूरत पड़ी ? वो दोनों घर से करके नहीं आ सकती थी क्या ?”
सोमित जीजू ने सूना तो उन्होंने बेचारगी से अर्जुन की तरफ देखा और कहा,”तुमसे ज्यादा तो तुम्हारी बीवी समझदार है”
“मतलब ?”,अर्जुन को अभी भी कुछ समझ नहीं आया तो उसने पूछा


“कुछ नहीं चुप रहो,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर सोमित जीजू विजय जी और मीरा की तरफ चले आये। दादी ना ने मीरा को सम्हाला और सब वहा पड़े सोफे और बेंच पर आ बैठे। सुबह से दोपहर होने को आयी लेकिन मजाल है व्यास फॅमिली का एक भी सदस्य वहा से हिला हो। मीरा राधा के कंधे पर सर रखे उदास नजरो से सामने दिवार को देख रही थी। सबके बुझे चेहरे देखकर सोमित जीजू ने अर्जुन को वहा से चलने का इशारा किया।
अर्जुन को साथ लेकर सोमित जीजू नीचे हॉस्पिटल की केंटीन में आये।

उन्होंने सबके लिये चाय ली और ऊपर चले आये। अर्जुन ने सबको चाय दी। मीरा ने मना कर दिया तो राधा ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा,”बस बहुत हो गयी तुम्हारी मनमानी मीरा , चुपचाप ये कप पकड़ो और पीओ इसे”
राधा की डांट का असर था या मीरा को उनकी आँखों में अपने लिए प्यार नजर आया कि उसने चाय का कप लिया और चुपचाप पीने लगी। सोमित जीजू ने देखा तो मुस्कुराये बिना ना रह सके उन्हें मुस्कुराते देखकर अर्जुन ने कहा,”क्या हुआ जीजू ?”


“आज जैसे मौसीजी ने मीरा को डांट लगाई ऐसी ही दो-चार डांट साले साहब को भी लगा दे तो मजा ही आ जायेगा नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने चाय पीते हुए कहा
“और उस आग में हाथ कौन डालेगा ?”,अर्जुन ने अक्षत के गुस्से को याद करते हुए कहा  
“हम्म्म्म बात तो सही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे सौंदर्या भुआ कहा है ? कही दिखाई नहीं दे रही,,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने इधर उधर नजर दौड़ाते हुए कहा


“ए नीता,,,,,,,,,,,,,,इधर आओ”,अर्जुन ने धीरे से नीता को आवाज दी। नीता अर्जुन के पास चली आयी तो उसने फुसफसाते हुए कहा,”सौंदर्या भुआ कहा है ? वो तुम दोनों के साथ गयी थी ना,,,,,,,,,!!”
“उन्हें तो मैंने बाथरूम में बंद कर दिया है।”,नीता ने खुश होकर कहा तो सोमित जीजू ने बदले में उसे एक हाई-फाइव दिया।
“पागल हो गयी हो क्या ? तुमने उन्हें बाथरूम में बंद क्यों किया ? अगर मीरा को पता चला तो,,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने फुसफुसाते हुए कहा


“तो मीरा को भी पता चल जाएगा उसकी भुआ कितनी कलेशी है”,नीता ने मुंह बनाते हुए कहा और वहा से चली गयी
अर्जुन ने सोमित जीजू की तरफ देखा तो वे भी अपने कंधे उचकाकर वहा से चले गए।

हॉस्पिटल से निकलकर अक्षत दिनभर अपने किसी जरुरी काम को लेकर यहाँ से वहा घूमता रहा। दरअसल अक्षत उस शख्स को ढूंढ रहा था जिसने उसे फोन किया था। अमायरा की किडनेपिंग और उसे फोन करने वाला शख्स एक ही है ये बात अक्षत जान चुका था। अक्षत ये भी जानता था कि वो शख्स इसी शहर में था लेकिन इतने बड़े शहर में अक्षत उसे कहा ढूंढता। दोपहर से शाम हो गयी लेकिन अक्षत कुछ पता नहीं लगा पाया और थककर घर के लिये निकल गया।

घर के दरवाजे के सामने अक्षत की बाइक आकर रुकी। रघु दरवाजा खोलने आया तभी अक्षत की नजर घर के सामने पड़ी बेंच पर बैठी माधवी जी पर गयी जिनकी गोद में सर रखे छवि सो रही थी। अक्षत को अपना सुबह का बर्ताव याद आ गया। वह बाइक से उतरा और रघु से अंदर ले जाने को कहकर खुद माधवी जी की तरफ चला आया। अक्षत को अपने सामने देखकर माधवी जी ने छवि को उठाया। छवि ने अक्षत को देखा तो और उठ खड़ी हुई।

माधवी जी कुछ कहती इस से पहले अक्षत बोल पड़ा,”मैं आपसे पहले ही कह चुका हूँ कि मैं आपकी मदद नहीं कर सकता , मेरा लायसेंस जा चुका है अब मैं कोई केस नहीं लड़ सकता। आप दोनों खामखा अपना वक्त बर्बाद कर रही है।”
“मैं यहाँ छवि के केस के लिये नहीं बल्कि तुम से अपने कहे की माफ़ी मांगने आयी हूँ। मैंने तुम्हे बहुत कड़वे शब्द कहे अक्षत , माँ हूँ ना अपनी औलाद के साथ अन्याय होते नहीं देख पाई पर मैं नहीं जानती थी तुम किन हालातो से गुजर रहे थे , मैंने तुम्हे बद्दुआ दी कि तुम कभी खुश नहीं रहोगे मुझे अपने कहे का बहुत अफ़सोस है।

तुम्हारे साथ अच्छा नहीं हुआ तुमने तो वो खोया है जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती। वो दिन हम दोनों के लिये ही कहर का दिन था,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन आज मैं तुम से अपने कहे की माफ़ी चाहती हूँ ,, मुझे माफ़ कर दो अक्षत,,,,,,,,,,,,अनजाने में मैंने तुम्हे बहुत गलत कहा मुझे माफ़ कर दो।”,कहते कहते माधवी जी हाथ जोड़कर रो पड़ी
अक्षत ने माधवी के हाथो को अपने हाथो में थामा और कहा,”आपको माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है , मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है,,,,,,,,,,,आप लोग घर जाईये।”


माधवी ने देखा अक्षत का दिल कितना बड़ा था उसने एक झटके में उन्हें माफ़ कर दिया। माधवी ने अपने आँसू पोछे और छवि के साथ वहा से आगे बढ़ गयी।
“छवि,,,,,,!!”,अक्षत ने आवाज दी तो छवि रुक गयी और अक्षत की तरफ पलटी


अक्षत ने अपने पर्स से एक कार्ड निकाला और छवि की तरफ बढाकर कहा,”कल कोर्ट जाकर इनसे मिल लेना , इन्हे कहना तुम्हे मैंने भेजा है।”
छवि को कार्ड देकर अक्षत वहा से चला गया और छवि कार्ड हाथ में थामे अक्षत को जाते हुए देखते रही,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

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