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Haan Ye Mohabbat Hai – 51

Haan Ye Mohabbat Hai – 51

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

पुलिस ने मीरा को गिरफ्तार कर लिया। मीरा ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा लेकिन पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे पुलिस स्टेशन लेकर चले। थाने में आकर इंस्पेक्टर ने मीरा को वहा पड़ी बेंच पर बैठने का इशारा किया। मीरा ने देखा उसी बेंच के पास 8-10 लड़किया और बैठी थी जिन्हे देखकर मीरा को बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं हो रहा था। मीरा इंस्पेक्टर के पास आयी और कहा,”देखिये सर हमें नहीं पता हमारे बैग में ये सब कैसे आया ? हम सच कह रहे है हमारा यकीन कीजिये।”


“मैडम पकडे जाने के बाद सब यही कहती है , वो लड़किया देख रही है आप वो सब को मॉडल बताती है लेकिन सारी की सारी रंगरलिया मनाती होटल की रेड में पकड़ी गयीं है। शरीफ घर की लड़किया ऐसे ऐसे होटलो में नहीं जाती है।”,इंस्पेक्टर ने मीरा को देखते हुए कहा
इंस्पेक्टर की बात सुनकर मीरा का दिल किया अभी खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दे लेकिन उसने खुद को शांत रखा और कहा,”देखिये इंस्पेक्टर आपको कोई ग़लतफ़हमी हुई है। हम ऐसे नहीं है हम नहीं जानते ये पैकेट हमारे बैग में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


कहते कहते मीरा रूक गयी और उसे लिफ्ट वाला पल याद आ गया जब वो आदमी उसके करीब आकर उस से कुछ कह रहा था। मीरा ने अंदाजा लगाया हो ना हो मीरा को फ़साने के लिये ये हरकत उसी ने की होगी,,,,!!
 मीरा ने इंस्पेक्टर की ओर देखा और कहा,”सर , सर ये पैकेट उस आदमी ने हमारे बैग में रखा है हम दावे के साथ कह सकते है।”
“कौन आदमी ? देखो तुम मेरा बर्बाद कर रही हो,,,,,,,,,,,,,,कॉन्स्टेबल लेकर जाओ इसे यहाँ से और इन्ही लड़कियों के साथ में इनका भी नाम डाल दो।”,इंस्पेक्टर ने कहा और वहा से चला गया।


लेडी कॉन्स्टेबल ने मीरा की बांह पकड़ी और उसे वहा से लेकर चली गयी। मीरा ने उस से भी रिक्वेस्ट की लेकिन उसने मीरा को झड़प दिया
लेडी कॉन्स्टेबल ने मीरा को बेंच की तरफ धकियाया और कहा,”अगर ज्यादा नखरे किये तो इस बार उठाकर जेल में डाल दूंगी समझी,,,,,,,,,,,!!”


मीरा ने कुछ नहीं कहा , उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे ? उसका बैग और फोन भी उसके पास नहीं था जिस से वह मदद के लिये किसी को वहा  बुला सके। उसने अपने दोनों हाथ जोड़े और अपने महादेव से सब ठीक करने की प्रार्थना करने लगी।  

मीरा के बैग में रखा फोन जब बार बार बजने लगा तो लेडी कॉन्स्टेबल ने उसे स्विच ऑफ करके बैग में डाल दिया। उधर अखिलेश मीरा को फोन किये जा रहां था लेकिन मीरा ने उसका फोन नहीं उठाया और जब अखिलेश ने फिर से फोन लगाया तो फोन स्विच ऑफ था। अखिलेश को हैरानी हुई साथ ही मीरा किसी मुसीबत में ना हो सोचकर अखिलेश खुद में बड़बड़ाया,”ये मीरा मैडम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रही है ?

कही वो किसी मुसीबत में,,,,,,,,,मुझे उनके घर जाकर देखना चाहिए कही उनके पापा को तो कुछ नहीं हो गया ?”
अखिलेश ने फोन जेब में रखा और गाड़ी में आ बैठा। वह तुरंत वहा से निकल गया और रास्ते भर मीरा के बारे में सोचता रहा।

 विक्की से हुई मुलाकात के बाद छवि का मन उदास हो गया साथ ही उसे बीती बाते याद आने लगी। उसने सामने से गुजरते ऑटो को रुकवाया और उसमे आ बैठी। छवि ने ऑटोवाले को अपने घर का एड्रेस बताया और चलने को कहा। रास्तेभर छवि विक्की के बारे में सोचते रही और मन ही मन खुद से कहने लगी,”मेरी जिंदगी बर्बाद करने के बाद वो इंसान मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों जाता रहा है ? क्या वो सच में बदल गया है ? क्या उसे सच में अपने किये पर पछतावा है या फिर से वो मुझसे बदला लेना चाहता है ?

कही ऐसा तो ये केस बंद करवाने के लिये वो ये सब कर रहा हो , वो मुझसे हमदर्दी जताये और मैं ये केस वापस ले लू,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं छवि तुम्हे किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए , उस विक्की पर तो हरगिज नहीं,,,,,,,,,,,मत भूलो आज तुम जिन हालातो में हो वो उसी की वजह से हो,,,,,,,,!!”
छवि ने खुद से कहा और कड़वाहट के भाव उसके चेहरे पर झलकने लगे। बाहर की तरफ देखते हुए छवि अपने घर आने का इंतजार करने लगी

छवि घर आयी देखा माधवी बाहर लगे पोधो को साफ़ कर रही थी। छवि को देखते ही माधवी उसके पास चली आयी और उसके हाथ से बैग लेते हुए कहा,”पागल हो गयी हो क्या छवि , ऐसे वक्त में तुम्हे ये सब काम नहीं करने चाहिए इस से बच्चे पर बुरा असर पडेगा ,, लाओ ये सब मुझे दो,,,,!!”
“ठीक है ना माँ मैं उठा लुंगी ये सब,,,,,,,,,दीजिये”,छवि ने कहा लेकिन माधवी ने उसकी एक नहीं सुनी


माधवी बैग लेकर जैसे ही जाने लगी मोहल्ले में रहने वाली कुछ औरते और एक दो आदमी वहा एक साथ आये और कहा,”आखिर ये सब हो क्या रहा है माधवी बहन ? ये शरीफो का मोहल्ला है इसमें अब आप जैसे लोग रहने लगे तो हम सब कहा जायेंगे ?”
माधवी ने सूना तो बैग नीचे रखे और हैरानी से कहा,”ये क्या कह रहे है आप लोग ?”
“ये देखो बन तो ऐसे रही है जैसे इसे कुछ पता ही नहीं है ,, अरे ज़रा देखो अपनी बेटी को पेट से है वो भी बिना शादी के,,,,,,,,,,,

और मोहल्ले भर में घूमती ऐसे है जैसे कोई बहुत महान काम किया हो। ये देखकर हमारे घर की लड़कियों पर क्या असर पडेगा कभी सोचा है आपने ?”,माधवी की पड़ोसन ने कहा जो कि हमेशा से माधवी और छवि से जलती थी।
छवि ने सूना तो उसका खून खौल गया लेकिन माधवी ने आँखों आँखों में उसे कुछ ना बोलने का इशारा किया और बाकि लोगो से कहा,”आप सब लोग भी जानते है छवि के साथ जो हुआ है उसमे छवि की कोई गलती नहीं है। मैं आप सब लोगो से हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करती हूँ ये सब बाते मत कहिये,,,,,,,,,,,,

मेरी बेटी ने कभी कोई गलत काम नहीं किया वो आज भी मेरी नजर में पवित्र है।”
अपनी माँ को मोहल्ले वालो के सामने हाथ जोड़ते देखकर छवि को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।
माधवी की बात सुनकर वहा खड़ी एक महिला ने कहा,”अरे पवित्र है तो फिर क्यों किसी और का पाप अपने पेट में लेकर घूम रही है ? गिरा क्यों नहीं देती इस बच्चे को,,,,,,,,,,,,!!”
“लक्षिता आंटी,,,,,,,,,,,!!”,छवि ने तड़पकर कहा उसकी आँखों में गुस्सा और आँसू एक साथ भर आये


“सही तो कह रही है ये तुम्हारी लड़की पुरे मोहल्ले को खराब कर देगी,,,,,,,,,,,,इसलिए हम सबने मिलकर ये फैसला किया है कि तुम अपनी बेटी को लेकर यहाँ से चली जाओ। हम नहीं चाहते इस मोहल्ले में ये रहे,,,,,,,,,,,,ये शरीफो का मोहल्ला है।”,इस बार वहा खड़े बुजुर्ग ने कहा
माधवी ने सूना तो उसे बहुत गुस्सा आया फिर भी उसने खुद को संयत रखते हुए कहा,”छवि को इस हाल में लेकर कहा जाउंगी मैं ?”


“कही भी जाओ माधवी बहन लेकिन आप दोनों इस मोहल्ले में अब नहीं रह सकती,,,,,,,,,,,,,,!”, एक औरत ने कहा
छवि का सब्र अब जवाब दे चूका था वह उन सबकी तरफ पलटी और कहा,”क्यों नहीं रह सकते ? सिर्फ इसलिए कि किसी ने मेरा रेप कर दिया और उस से मैं अपवित्र हो गयी या इसलिए कि मेरे पेट में उसका बच्चा पल रहा है ? क्यों नहीं रह सकते ? सिर्फ इसलिए कि मैं एक लड़की हूँ और मेरे साथ खड़े होने के लिये कोई मर्द नहीं है। आज अगर मेरे पिता ज़िंदा होते या मेरा कोई भाई होता तो क्या आप लोग यहाँ खड़े होकर ये सब बाते बोल पाते , हमे यहाँ से जाने के लिये बोल पाते,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


कहते कहते छवि अपनी पड़ोसन की तरफ पलटी और कहा,”और आंटी आप , आप तो खुद एक औरत है , फिर एक औरत होकर दूसरी औरत के लिये ऐसी घटिया बातें करते आपको शर्म नहीं आती,,,,,,,,,,,,,क्या कहा आपने मुझे देखकर आपके घर की लड़कियों पर क्या असर पडेगा ? ये कहने से पहले एक बार अपने घर में झांककर तो देख लेती आपकी डिम्पी कल रात किस के साथ घर से गयी,,,,,,,,,,,,!!”
 छवि की बाते सुनकर पड़ोसन बगले झाँकने लगी  


” लेकिन छवि बेटा ज़रा सोचो जो बच्चा तुम्हारे पेट में पल रहा है , कल इस दुनिया में आने के बाद उसने जब पूछा उसका बाप कौन है तो तुम क्या जवाब दोगी उसे ? जिंदगीभर ये बच्चा इस जिल्लत के साथ कैसे जियेगा कि वह नाजायज है ?”,बुजुर्ग आदमी ने कहा
छवि ने सूना उसने अपने कानो पर हाथ रख लिया और आँखे मूंद ली। उसका दिल किया इसी वक्त धरती फ़टे और वह उसमे समा जाये। छवि को दर्द में देखकर माधवी उसके पास आयी और कहा,”भगवान के लिये मैं आप सबके आगे हाथ जोड़ती हूँ चले जाईये यहाँ से,,,,,,,,,,,,,!!”


“हमारे जाने से सच्चाई नहीं छुप जाएगी माधवी बहन , बताओ कौन करेगा इस से शादी ? कौन अपनाएगा इसे और इसके नाजायज बच्चे को ? कहना बहुत आसान है कि अकेले जिंदगी जी लेगी लेकिन जब जीना पड़ता है तब समझ आता है।  बिना मर्द के साथ और सहारे के क्या ये दुनिया जीने देगी इसे ?”,भीड़ में खड़ी एक महिला ने कहा
माधवी ने छवि को अपने सीने से लगाया और आँखों में गुस्सा भरकर कहा,”मैं करुँगी अपनी बेटी की शादी , और ऐसे इंसान से करुँगी जो पुरे सम्मान के साथ इसे और इसके बच्चे दोनों को स्वीकार करेगा।”


“माँ,,,,,!!”,छवि ने तड़पकर कहा लेकिन माधवी ने उसे बोलने से रोक दिया
“ठीक है माधवी बहन अगर तुम छवि बिटिया की शादी कर दो तो हमे कोई ऐतराज नहीं तुम्हारे यहाँ रहने से,,,,,,,,,,,,!!”,बुजुर्ग आदमी ने फिर से कहा
माधवी ने कुछ नहीं कहा बस छवि को अपने सीने से लगाए वहा खड़ी रही। सभी एक एक करके वहा से चले गए लेकिन छवि के घर के बाहर दिवार के पास खड़े विक्की पर किसी का ध्यान नहीं गया।

विक्की छवि के पीछे पीछे यहाँ उस से माफ़ी मांगने आया था लेकिन उसके घर में भीड़ देखकर बाहर ही रुक गया और जब उसने छवि के लिये ऐसी बाते सुनी तो उसका दिल टूट गया।
विक्की चुपचाप वहा से चला गया और कुछ दूर खड़ी अपनी गाड़ी में आकर बैठ गया। लोगो की कही बाते उसके कानों में गूंज रही थी। गुस्से में विक्की ने अपना गाडी के स्टेयरिंग पर दे मारा। छवि के इन हालातो का जिम्मेदार वह खुद था।
विक्की ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से चला गया  

कोर्ट में अपना काम निपटाकर अक्षत पुलिस स्टेशन के लिये निकल गया। इत्तेफाक से अक्षत उसी पुलिस स्टेशन आया था जिसमे मीरा थी। अक्षत जब अंदर आया तब इंस्पेक्टर मीरा समेत वहा मौजूद लड़कियों का नाम पता लिख रहा था। अगली बार मीरा की थी इंस्पेक्टर ने कहा,”हाँ तो मैडम क्या नाम है आपका ?”
“मीरा सिंह राजपूत”,बेंच पर बैठी मीरा ने सर झुकाये कहा


जैसे ही मीरा ने अपना नाम लिया अक्षत ने अंदर कदम रखा और कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”मीरा अक्षत व्यास’ लिखिए इंस्पेक्टर साहब , मैडम आपको अपना पूरा नाम बताना भूल गयी।”
अक्षत की आवाज सुनकर मीरा ने सर उठाकर सामने देखा। अक्षत को वहा देखकर मीरा की आँखों में आंसू भर आये।

अक्षत ने कुर्सी खिसकायी और आकर इंस्पेकटर के सामने बैठ गया। अक्षत को वहा देखकर इंस्पेक्टर ने कहा,”अरे वकील साहब आप ? आपने यहाँ आने की तकलीफ क्यों की ? मुझसे कहा होता मैं आ जाता , वैसे क्या नाम बताया इन मैडम का आपने ?”
अक्षत ने एक नजर इंस्पेक्टर को देखा और एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा,”मीरा अक्षत व्यास , she is my wife,,,,,,,,,,,,,!!”


इंस्पेक्टर ने सुना तो उसने एक नजर मीरा को देखा और फिर अक्षत की तरफ देखते हुए कॉन्स्टेबल से कहा,”कॉन्स्टेबल ! मैडम को साइड में बैठाओ”
“क्या मैं जान सकता हूँ आपने किस जुर्म में इनको गिरफ्तार किया है ?”,अक्षत ने पूछा
“आप तो जानते ही है वकील साहब आजकल इंदौर के यूथ में ड्रग्स के मामले ज्यादा बढ़ गए है। ऐसे ही किसी होटल की रेड में इन मैडम के पर्स से ड्रग्स का पैकेट मिला है।

देखकर लगता नहीं ये ऐसे काम भी कर लेती है।”,इंस्पेक्टर ने मीरा को देखकर अफ़सोस जताते हुए कहा
“इंस्पेक्टर वकालत करना मेरा काम है आपका नहीं,,,,,,,,,,,,,वैसे ज़रा दिखाएंगे वो ड्रग्स का पैकेट कहा है ?”,अक्षत ने बिना किसी भाव के कहा
“ये देखिये,,,,!!”,इंस्पेक्टर ने अपनी टेबल के ड्रावर को खोलकर जैसे ही उसमे हाथ डाला उसमे कोई पैकेट नहीं था। इसंपेक्टर ने हैरानी से पुरे ड्रॉवर में देखा लेकिन वो पैकेट वहा नहीं था।

परेशान से इंस्पेक्टर ने अक्षत की तरफ देखा तो पाया पैकेट टेबल पर ही रखा है और ये देखकर उसे और ज्यादा हैरानी हुई और उसने कहा,”ये ये यहाँ कैसे आया ?”
“वैसे ही जैसे आपके हाथ से उन मैडम के बैग में गया”,अक्षत ने इस बार भी बिना किसी भाव के कहा
“ये आप क्या बोल रहे है ? मैं मैं ऐसा क्यों करूंगा ?”,इंस्पेक्टर ने घबरा कर कहा


अक्षत थोड़ा सा इंस्पेक्टर की तरफ झुका और कहा,”जिस गेम का आप खुद को विनर समझ रहे है उस गेम का मैं मास्टर माइंड रह चुका हूँ।”
अक्षत की बात सुनकर इंस्पेक्टर झेंप गया। अक्षत अपनी जगह बैठा इसंपेक्टर ने देखा पैकेट टेबल पर नहीं है और ये देखकर वह और परेशान हो गया। उसने इधर उधर देखा और जैसे ही नजर ड्रॉवर पर पड़ी उसका दिल धड़कने लगा क्योकि वह पैकेट ड्रावर में पड़ा था 

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