Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

Haan Ye Mohabbat Hai – 48

Haan Ye Mohabbat Hai – 48

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

महादेव के मंदिर की सीढ़ियों पर अक्षत और मीरा एक दूसरे से टकराये और अक्षत के हाथ में पकड़ी पूजा की थाली हवा में उछल गयी जिस से उसमे रखा सिंदूर मीरा की मांग में जा गिरा। एक बार फिर मीरा की सुनी मांग अक्षत के हाथो भरी गयी। मीरा ने जैसे ही अक्षत को देखा उसका दिल जोरो से धड़कने लगा।  आँखे गुड्डू के चेहरे पर ठहर गयी। उस पल मीरा को पलकें झपकाना भी जैसे कोई गुनाह लग रहा था। अक्षत ने मीरा को देखा तो उसका दिल धड़क उठा। वह मीरा की मांग में भरे सिंदूर को एकटक देखने लगा।


मीरा को रोकने के लिये राधा उसके पीछे आते हुए सीढ़ियों की तरफ आयी। राधा ने जब सीढ़ियों पर अक्षत और मीरा को आमने सामने खड़े पाया तो उसका दिल ख़ुशी से भर गया लेकिन अगले ही पल उन्हें मीरा के लिये अक्षत की नफरत याद आ गयी। सीढ़ियों से गुजरती कुछ औरतो ने मीरा को सिंदूर में रंगे देखा तो अक्षत से कहा,”अरे देखकर नहीं चल सकते क्या ? बेचारी के पुरे कपडे खराब कर दिए।”
“देखने से तो अच्छे घर का लगता है फिर मंदिर जैसी पवित्र जगह पर आकर औरतो से ऐसे बर्ताव करना सही है क्या ?”,दुसरी महिला बड़बड़ाई


अक्षत ने सूना तो उसने महिला की तरफ देखकर कहा,”पत्नी है मेरी , आपको कोई परेशानी है ?”
अक्षत को गुस्से में देखकर महिला ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहा से चली गयी। मीरा ने अक्षत के मुंह से अपने लिये पत्नी शब्द सुना तो अपनी आँखों में आये आंसुओ को रोक नहीं पायी और आँखे मूँद ली जिस से आँसुओ की बुँदे आँखों से निकलकर गालो पर बह गए।

राधा सीढ़ियों से उतरकर अक्षत के पास चली आयी और कहा,”आशु ! तू यहाँ ?”
राधा की आवाज से अक्षत की तंद्रा टूटी वह पलटा और देखा राधा खड़ी है। अक्षत ने नीचे गिरी थाली को उठाया और राधा की तरफ बढ़ाकर कहा,”श्रृंगार की  थाली आप गाड़ी में ही भूल गयी थी मैं आपको वही देने आया था लेकिन,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए अक्षत की नजरे एक बार फिर मीरा पर चली गयी। राधा ने मीरा को देखा और कहा,”माँ गौरी के लिये जो श्रृंगार मैं लेकर आयी थी वो माँ ने सही जगह पहुंचा दिया।”


राधा की आवाज सुनकर मीरा ने आँखे खोली देखा राधा मुस्कुराते हुए उसे ही देख रही है। मीरा का दिल किया आगे बढ़कर राधा को गले लगा ले लेकिन अक्षत को वहा देखकर खुद को रोक लिया। तीनो खामोश थे , मीरा का दिल नहीं माना तो उसने अक्षत की ओर देखकर कहा,”अक्षत जी,,,,,,,,,!!”
“माँ मुझे कोर्ट जाने में देर हो रही है , मैं चलता हूँ।”,कहकर अक्षत बिना मीरा की बात सुने वहा से चला गया।
इतने महीनो बाद अक्षत का गुस्सा और नफरत वैसी ही थी ये देखकर मीरा रोने लगी।

राधा ने देखा तो वह मीरा के पास आयी और उसे चुप करवाते हुए कहा,”मीरा ! नहीं बेटा ऐसे रोते नहीं है,,,,,,,,,,,चुप हो जाओ , दिल छोटा मत करो मीरा तुम्हारे महादेव सब ठीक कर देंगे।”    
“आपने देखा उन्होंने हमारी तरफ देखा तक नहीं माँ , उन्होंने हमारी बात तक नहीं सुनी”, मीरा ने रोते हुए कहा
“अरे वो तो गधा है मीरा तुम कब से उसकी बातो का बुरा मानने लगी हाँ,,,,,,,,,,,,,और किसने कहा उसने देखा नहीं ? तुम्हे इतने दिनों बाद देखा ना इसलिए भावुक होकर चला गया और तुम पागल कुछ भी सोच रही हो। चलो अपने आँसू पोछो,,,,!!”,राधा ने मीरा का चेहरा थामकर प्यार से उसे समझाते हुए कहा।


“अक्षत जी की तरह आप भी हम से नाराज है क्या माँ ?”,मीरा ने नम आँखों के साथ राधा के नाजुक हाथो को थामते हुए कहा
“माँ कभी अपने बच्चो से नाराज हो सकती है क्या मीरा ? बस मुझे तुमसे एक ही शिकायत है कि इतने दिन गुजर गए और तुमने एक बार भी मुझसे मिलने की कोशिश नहीं की ,, क्या मैं इतनी बुरी थी मीरा,,,,,,,,,,!”,राधा ने आँखे नम करते हुए कहा


“हम आपसे मिलना चाहते थे लेकिन अक्षत जी ने हमे,,,,,,,,,,,,,,,,,हमसे गलती हुई है माँ और हमे सजा देने का आपको पूरा हक़ है।”,मीरा ने कहा
“मैं जो सजा दूंगी मंजूर होगी ?”,राधा ने उम्मीद भरे स्वर में कहा
“आप जो सजा देगी हमे मंजूर है।”,मीरा ने कहा
“घर वापस आ जाओ मीरा”,राधा ने आँखों में आँसू भरकर कहा


मीरा ने सूना तो एकटक राधा को देखने लगी और कहा,”आप जानती है ना माँ उनके बिना हम घर वापस नहीं आ सकते , जब तक वो नहीं कहेंगे हम नहीं आ सकते माँ,,,,,,,,,,,नहीं आ सकते।”
राधा ने सूना तो तड़पकर कहा,”ये कैसी जिद पकड़ ली है तुम दोनों ने मीरा , तुम भी जानती हो वो घर , वो परिवार , तुम्हारे बिना अधूरा है,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे बिना सब अधूरा है मीरा तुम्हारा अक्षत भी,,,,,,,,,,,,,,,,,, उसने खुद को खुद तक सिमित कर लिया है मीरा , अपनी एक अलग दुनिया बसा ली है जिसमे सिर्फ वो है ,

अमायरा की यादें है और तुम्हारे जाने का गम,,,,,,,,,,,,,,,वो कहता नहीं लेकिन उसकी आँखों में दिखता है मीरा कि तुम्हारे बिना उसकी जिंदगी में कोई ख़ुशी नहीं है। मैं हाथ जोड़कर तुमसे रिक्वेस्ट करती हूँ मीरा वापस आ जाओ , वापस आ जाओ मीरा,,,,,,,,,,,,!!”


राधा को दर्द में देखकर मीरा को अच्छा नहीं लगा वह उनसे बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन शब्द उसके गले में अटक गए और सीने में एक चुभन का अहसास होने लगा। मीरा वहा और ना रुक सकी और दौड़ते हुए सीढ़ियों से नीचे चली गयी। राधा भी रोते हुए सीढ़ियों पर लगी रेलिंग पकड़कर वही सीढ़ियों पर बैठ गयी।

मीरा मंदिर के बाहर खड़ी गाड़ी में आकर बैठी और वहा से निकल गयी।

एक ही शहर में होते हुए भी पुरे 5 महीने बाद अक्षत ने मीरा को देखा था और आज मीरा को देखकर उसके दिल में फिर से वो अहसास जगने लगे। अक्षत ने गाडी की स्पीड बढ़ा ली और कोर्ट की तरफ जाने वाले रास्ते पर मोड़ दी। मीरा को देखकर आज उसके भरे हुए जख्म फिर से हरे हो गए। अक्षत की धड़कने बहुत तेज चल रही थी। अक्षत कोर्ट में आया और गाड़ी साइड में लगाकर कॉरिडोर की तरफ चल पड़ा। अपने काम को लेकर वह कुछ साथी वकीलों से मिला और ऊपर अपने केबिन में चला आया    


अक्षत ने देखा आज केबिन में सिर्फ सचिन है चित्रा नहीं,,,,,,,,,,,,चित्रा ने अक्षत का केबिन छोड़ दिया और अपनी आगे की प्रेक्टिस के लिये माथुर साहब पास चली आयी। अक्षत के पास कोई केस नहीं था इसलिए वह कोर्ट की लायब्रेरी में चला आया और वहा बैठकर क़ानून की किसी किताब के पन्ने पलटने लगा। किसी काम से चित्रा भी वहा आयी थी उसने जब अक्षत को लायब्रेरी में बैठे देखा तो एक किताब लेकर बिल्कुल उसके सामने आ बैठी। अक्षत ने चित्रा को अपने सामने बैठे देखा तो उसे देखने लगा।

चित्र ने अक्षत को अपनी ओर देखते पाया तो कहा,”क्या ? क्या अब मुझे यहाँ से भी चले जाना चाहिए ? एक काम करती हूँ मैं ये कोर्ट , ये शहर , ये देश ही छोड़कर चली जाती हूँ ताकि आपको किसी तरह से परेशानी ना हो।”
चित्रा ने ये सब चिढ़ते हुए कहा। अक्षत ने ख़ामोशी से सब सुना और कहा,”नहीं तुम्हे कही जाने की जरूरत नहीं है तुम यहाँ बैठ सकती हो।”
कहकर अक्षत ने अपना ध्यान वापस किताब में लगा लिया।


चित्रा ख़ुशी ख़ुशी अक्षत के सामने बैठकर अपनी किताब के पन्ने पलटने लगी , कुल मिलाकर वह बस टाइम पास कर रही थी। उसका असली मकसद तो अक्षत का दिल जीतकर उसके करीब आना था और यही वजह थी कि चित्रा का ध्यान किताब में कम और अक्षत पर ज्यादा था। जितनी बार वह अक्षत को देखती उतनी बार उसकी मोहब्बत अक्षत के लिये बढ़ते जा रही थी।

एक घंटा गुजर गया लेकिन चित्रा वही बैठी अक्षत को देखते रही और उस से बात करने का मौका ढूंढने लगी लेकिन अक्षत ने चित्रा पर कोई ध्यान नहीं दिया।
“अक्षत सर ,  माथुर जी आपसे मिलना चाहते है।”,सचिन ने आकर कहा तो अक्षत ने अपना ध्यान किताब से हटाया और उसे बंद कर उठते हुए चित्रा से कहा,”किताब को अगर सीधा करके पढ़ोगी तो ज्यादा अच्छे से समझ आएगा।”


अक्षत वहा से चला गया। चित्रा ने देखा जिस किताब को पढ़ने का वह ड्रामा कर रही थी वो किताब उसने उलटी पकड़ी थी। चित्रा ने किताब को उठाया और अपने ही सर पर मार लिया और मुस्कुरा उठी।

मीरा के कहने पर अखिलेश सुबह सुबह अमर जी से मिलने उनके घर आया था लेकिन मीरा घर में नहीं थी। उदास होकर बिना अमर जी से मिलने अखिलेश जैसे ही जाने लगा सौंदर्या भुआ की आवाज अखिलेश के कानो में पड़ी और अखिलेश रूक गया। एंट्रेस के पास ही बने कमरे में अखिलेश की तरफ पीठ करके खड़ी सौंदर्या फोन पर किसी से कह रही थी,”मुझे तो बस मीरा की चिंता हो रही है,,,,,,,,,इतनी प्यारी बच्ची है इसने किसी का क्या बिगाड़ा था लेकिन वो अक्षत व्यास उसे ज़रा भी शर्म नहीं आयी और उसने मीरा को यहाँ मरने के लिये छोड़ दिया।

अरे ! जब छोड़ना ही था तो फिर शादी क्यों की ? क्यों बेचारी हमारी मीरा की जिंदगी बर्बाद की,,,,,,,,,,,और अब तो मीरा भी धीरे धीरे उसे भूलने लगी है , भूलने क्या लगी है नफरत करने लगी है और उसकी वजह से अब वो उदास रहने लगी है। मेरा तो सोचकर ही दिल बैठा जा रहा है कि आगे उसके साथ क्या होगा ? भाईसाहब इस हाल में है और मुझे भी एक दिन अपने घर जाना होगा ,, मेरे बाद मीरा का कौन है जो उसका ख्याल रखे,,,,,,,,,,उसे सहारा दे।”


“मैं ख्याल रखूंगा मीरा का,,,,,मैं बनूंगा उसका सहारा”,दरवाजे पर खड़ा अखिलेश खुद में ही बड़बड़ाया
सौंदर्या ने आगे बोलना शुरू किया,”क्या ? ये क्या कह रहे हो आप ? मीरा की दूसरी शादी,,,,,,,,,,,,,,,मीरा इसके लिये कभी तैयार नहीं होगी , वो तैयार हो भी जाये तो ऐसा कौन लड़का होगा जो उसका पास्ट जानकर उसे अपना ले , उसे अक्षत से भी ज्यादा प्यार दे , उसका ख्याल रखे और कभी उसकी पुरानी जिंदगी याद ना आने दे।”
“मैं करूंगा मीरा से शादी , मैं एक्सेप्ट करूंगा मीरा का पास्ट और मैं उसे अक्षत व्यास से भी ज्यादा मोहब्बत दूंगा।”,अखिलेश ने खुद से कहा और वहा से चला गया।

अखिलेश के जाते ही सौंदर्या पलटी जैसे वह जानती हो कि अखिलेश कुछ देर पहले यही था। सौंदर्या ने कान से फोन हटाया और मुस्कुराते हुए कहा,”बंद फोन पर बात करने का हुनर कोई मुझसे सीखे,,,,,,,,,,,,मैंने कहा था ना मीरा ये खेल मुझे अब मोहब्बत से खेलना पडेगा। चिंगारी मैं लगा चुकी हूँ अब तो बस धमाका होना बाकि है,,,,,,,,,,,,,,,,मजा आएगा।”

अगली सुबह कोर्ट में गहमा गहमी का माहौल था। छवि दीक्षित केस जिसका फैसला अदालत सुना चुकी थी उसे सूर्या मित्तल ने फिर से रीओपन किया था। इस केस को लेकर अक्षत से  NOC पहले ही ले चुका था। सिंघानिया जी के कहने पर चोपड़ा जी ने सूर्या को खरीदने की कोशिश की लेकिन हमेशा बेईमानी कर पैसा कमाने वाले सूर्या ने इस बार साफ मना कर दिया। सूर्या अक्षत से तब से नफरत करता था जब से एक केस के दौरान दोनों में बहस हुई और बहस के दौरान अक्षत ने सूर्या पर हाथ उठा दिया बस तब से ही सूर्या अक्षत को नीचे दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता था।


छवि माधवी जी के साथ कोर्ट की सुनवाई होने से आधा घण्टे पहले ही कोर्ट चली आयी। वह अक्षत से मिलना चाहती थी लेकिन अक्षत अभी कोर्ट नहीं आया था।
चोपड़ा जी भी विक्की को साथ लेकर कोर्ट आ पहुंचे। विक्की के साथ सिंघानिया जी भी आये थे आखिर वे विक्की के पिता थे उसे अकेला कैसे छोड़ सकते थे। चोपड़ा जी विक्की को समझा रहे थे कि उसे क्या बोलना है और क्या नहीं लेकिन विक्की की निगाहे किसी को ढूंढ रही थी। उसकी आँखों में एक खालीपन पसरा था और चेहरे पर कोई भाव नहीं थे।

इंस्पेक्टर रोबिन को लेकर कोर्ट पहुंचा क्योकि इस केस की अहम् कड़ी अब रोबिन ही था। ऐसे तो सुनवाई से पहले मुजरिमो से मिलना अलाउड नहीं था लेकिन सिंघानिया जी की पहुँच पुलिस से लेकर वकील तक थी इसलिए उन्हें दो मिनिट के लिये रोबिन से मिलने का मौका मिल गया।
सिंघानिया जी रोबिन के पास आये और कहा,”रोबिन मेरी बात ध्यान से सुनो , कुछ भी हो जाये तुम्हे अपना स्टेटमेंट नहीं बदलना है।”


“डोंट वैरी सर विक्की बाबा को कुछ नहीं होगा , उन्हें बचाने के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं तैयार हूँ सर”,रोबिन ने सिंघानिया जी को विश्वास दिलाते हुए कहा। सिंघानिया जी ने रोबिन के कंधे पर हाथ रखा और वहा से चले गए।

अदालत की कार्यवाही शुरू हुई। चोपड़ा जी और सूर्या मित्तल के बीच खूब बहस हुई लेकिन अदालत में ये साबित ना हो सका असली गुनहगार विक्की है। सबको लगा सूर्या मित्तल के पास विक्की के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत होगा लेकिन सूर्या मित्तल बस जिरह कर रहे थे।
“आर्डर आर्डर , एडवोकेट सूर्या आप अदालत का वक्त जाया कर रहे है ,, अगर आपके पास पुख्ता सबूत नहीं है तो फिर आपने इस केस को दोबारा रीओपन क्यों किया है ? क्या आप जानते है ऐसा करके आप सिर्फ अदालत का अपमान कर रहे है।”,जज साहब ने कठोरता से कहा


“आई ऍम सॉरी जज साहब , मैं बस रोबिन को कटघरे में बुलाने की इजाजत चाहूंगा ?”,सूर्या मित्तल ने कहा
“इजाजत है,!!” जज साहब ने कहा तो विक्की कटघरे से बाहर चला गया और उसकी जगह रोबिन चला आया  
चोपड़ा जी और सिंघानिया जी निश्चिन्त थे कि रोबिन उनकी तरफ है वह उनके खिलाफ नहीं जाएगा और हुआ भी यही रोबिन ने अपना स्टेटमेंट नहीं बदला तो सूर्या ने कहा,”एक आखरी सवाल मैं रोबिन से पूछना चाहूंगा,,,,,,,,,,,,मिस्टर रोबिन आपने अदालत में ये क़बूल किया है कि छवि दीक्षित का रेप आपने किया ,, ठीक है मान लिया ,, ,जहा रेप हुआ क्या आप मुझे उस फार्म हॉउस का पता बताएँगे ?”


सूर्या मित्तल के इस सवाल पर रोबिन खामोश हो गया क्योकि उसे नहीं पता था सिंघानिया जी का फार्म हॉउस इंदौर में कहा था ? रोबिन की ख़ामोशी पर जज साहब ने केस को एक्सेप्ट कर लिया और दस दिन बाद अगली तारीख दे दी।
 सूर्या मित्तल ने अँधेरे में तीर चलाया और वह सही निशाने पर जा लगा , वह मुस्कुराये बिना ना रह सका और चोपड़ा साहब के माथे पर पसीने की बुँदे झलकने लगी।
अदालत में सबसे आखरी कुर्सी पर बैठा अक्षत जज साहब का फैसला सुनकर उठा और वहा से चला गया

Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48

Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48 Haan Ye Mohabbat Hai – 48

Continue With Part Haan Ye Mohabbat Hai – 49

Read Previous Part Here Haan Ye Mohabbat Hai – 47

Follow Me On youtube

संजना किरोड़ीवाल  

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

5 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!