Sanjana Kirodiwal

Category: Short Story

“तेरे शहर में”

Tere shahar me आख़िरकार हाथ जोड़कर पैर पड़कर मैंने घरवालों से अपनी दोस्त के शहर जाकर उस से मिलने की परमिशन ले ही ली ! ‘कोमल गुप्ता’ मेरी दोस्त जो की दूसरे शहर नहीं बल्कि दूसरे राज्य से है – कानपूर...

मेरा पहला और आखरी सावन

Mera Pahla Or Aakhri Sawan मेघा की शादी के दो दिन बाद ही विक्रम उसे छोड़कर चला गया। ऐसा नहीं था की वह अपनी नयी नवेली दुल्हन से प्यार नहीं करता था या उसके साथ वक्त नहीं बिताना चाहता था लेकिन...

मेरे पापा – बचपन की नांव

Mere Papa-Bachpan Ki Naw मेरे पापा – बचपन की नांव – My Dad And Childhood Boat 30 साल के अभिमन्यु को उस वक्त गुस्सा आ गया जब उसके पापा ने अपना नजर वाला चश्मा तीसरी बार तोड़ दिया था। वह टूटा...

‘एक लड़की भीगी-भागी सी’

Ik Ladki Bhigi-Bhagi Si शाम के 4 बजे , चित्रा ऑफिस में बैठकर अपना काम कर रही थी। फोन की रिंग बजी तो चित्रा ने फोन उठाकर कहा,”हेलो ! हां माँ कहो कैसे फोन किया ?”‘चित्रा तुझे देखने लड़के वाले आये...
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