बदलते अहसास – 7

Badalte Ahasas – 7

Badalte Ahasas
Badalte Ahasas

कमरे गहरी ख़ामोशी में डूबा हुआ था ! दिवार पर लगी घडी की टिक टिक साफ साफ सुनाई दे रही थी ! कुर्सी पर बैठा ऋषभ अपनी उदास आखो से जमीन को देख रहा था और सुजैन उसे , पहली बार ऋषभ के मन में दबा दर्द वह उसके चेहरे पर देख रही थी ! तभी सुजैन का फोन बजा उसने किसी से बात की और देर से आने का कहकर फोन काट दिया ! फोन की आवाज से ऋषभ की तंद्रा टूटी उसने सुजैन की और देखा और फिर खिड़की की और देखते हुए आगे की कहानी सुनाने लगा !

माही के सामने खड़ा ऋषभ ख़ामोशी से उसे देखता रहा ऋषभ को अपनी और देखता पाकर माही ने कहा,”जबसे आयी हु तबसे खड़ी हु , बैठने को नहीं कहोगे !” माही की आवाज से ऋषभ की आवाज टूटी तो उसने कहा,”ओह्ह सॉरी , आओ बैठो !” माही मुस्कुराते हुए वहा से हटकर सोफे पर आकर बैठ गयी ! ऋषभ बिल्कुल उसके सामने आकर बैठ गया और कहा,”कुछ लोगी तूम , चाय या कॉफी”
“नहीं मैं यहाँ सिर्फ आपसे मिलने आयी हु !”,माही ने अपने निचले होंठ को दांतों तले दबाते हुए कहा !
“मुझसे मिलने , क्यों ?”,ऋषभ ने हैरानी से कहा
“वो इतने दिनों से आप मुझे कही दिखे नहीं ना , सो आ गयी ! मेरा आना अच्छा नहीं लगा आपको ?”,माही ने ऋषभ की आँखों में देखते हुए कहा !
“नहीं ऐसी बात नहीं ! काम में बिजी रहता हु इसलिए”,ऋषभ ने माही से नजरे हटाकर कहा !
“सो टेल मी !”,माही ने अपना एक पांव का पंजा टेबल के शीशे से लगाते हुए कहा !
“क्या ?”,माही ने कहा !
“यही की आपने शादी क्यों नहीं की ?”,माही ने ऋषभ की दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा
“तुम ये सब जानकर क्या करोगी ? तुम बच्ची हो तुम्हे इन सब बातो से दूर रहना चाहिए”,ऋषभ ने आवाज भारी करते हुए कहा
“ओह्ह डोंट बी सीली री , आई ऍम मेच्योर सो टेल मी क्यों नहीं की शादी ?”,माही ने बच्चो की तरह पूछा
“बस नहीं की !”,ऋषभ ने माही के सवाल को टालते हुए कहा !
“कोई खास वजह ?”,माही ने फिर पूछा
माही ने इतने प्यार से पूछा की ऋषभ खुद को बताने से रोक नहीं पाया और कहने लगा,”जब मैं भोपाल में था अपने परिवार के साथ तब मेरी सरकारी महकमे में नयी नयी नौकरी लगी थी ! पिताजी ने मेरे लिए अपने दोस्त की बेरी शैलजा को पसंद किया था ! पहली मुलाकात में शैलजा भी मुझे पसंद आ गयी और हम दोनों की शादी तय हो गई ! घर में सभी बहुत खुश थे , पिताजी ने अपने दोस्त को वचन दिया हुआ था इसलिए वो सबसे ज्यादा खुश थे की उनका दिया वचन पूरा हो रहा है ! घर में शादी की धूमधाम से तैयारियां हो रही थी ! शादी के एक दिन पहले शैलजा ने बताया की वह किसी और को पसंद करती है , उसे मुझसे शादी करने के लिए मजबूर किया गया है ! उसने कहा वह अपनी जान दे देगी पर ये शादी नहीं करेगी !! मैं कभी नहीं चाहता था की मेरी वजह से किसी लड़की की जिंदगी ख़राब हो या वो अपनी जान दे लेकिन मैं ये भी नहीं चाहता था की किसी लड़की के दामन में कोई दाग लगे और वह समाज की कड़वी बातो का आधार बन जाये ! मैंने सबसे कह दिया की मैं ये शादी नहीं करना चाहता !”
“बट इट्स रोंग , तुमने बताया क्यों नहीं उसके बारे में ?”,माही ने बिच में बेचैनी से कहा
“हर बार सच बोलना सही नहीं होता माही , कुछ चीजों , घटनाओ और परिस्तिथियों को ध्यान में रखकर सच को छुपाना पड़ता है ! शैलजा से मेरी शादी हो भी जाती तो उसे जिंदगीभर मेरे और मेरे घरवालों के सामने मुस्कुराने का खुश रहने का नाटक करना पड़ता ! वो नाटक तो कर सकती थी पर कभी मुझे प्यार नहीं कर पाती ! उस वक्त वो फैसला लेना शायद जरुरी था ! वरना लोग उसे जीने नहीं देते !”,ऋषभ ने अपनी भारी आवाज में कहा ! “आई डोंट केयर लोग मेरे बारे में क्या सोचते है ? मुझे जो पसंद है वो मैं किसी के लिए नहीं बदलती !”,माही ने कहा
“वो इसलिए क्योकि तुम अलग हो”,ऋषभ ने कहते हुए माही की और देखा जो की इस वक्त अपनी ऊँगली को दांतो के निचे दबाये कुछ सोच रही थी ! ऋषभ ने देखा तो उसकी मासूमियत पर नजरे जम सी गयी ! वह कुछ पल माही को एकटक देखता रहा माही ने देखा तो कहा,”फिर आगे क्या हुआ ?”
ऋषभ कुछ पल के लिए खामोश हो गया और कहने,”जब मैंने शादी से इंकार किया तो मेरी वजह से पिताजी का बहुत अपमान हुआ वो इस अपमान को सहन नहीं कर पाए और हम सबको छोड़कर चल गए ! सबने इसका जिम्मेदार मुझे समझा , भाईयो ने भी मुंह फेर लिया ! जब अपने ही परायो जैसा बर्ताव करने लगे तो दिल टूट गया ! अपने टूटे दिल के साथ मैं शहर से दूर चला गया बस कभी कभी सबसे मिलने चला जाता ये सोचकर की कभी तो वो लोग मुझे माफ़ करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ , गुजरते वक्त के साथ उनकी नफरत बढ़ती गयी ! 20 साल की नौकरी के बाद मैं हमेशा के लिए यहाँ चला आया अब ये शहर ही मेरा घर है !”
ऋषभ कहकर चुप हो गया ! माही ने सोफे पर अपने पैर फैलाये और सर टिकाते हुए कहा,”तुम बहुत बड़े बेवकूफ हो , जो लोग तुमसे नफरत करते है तुमने उनके बारे में इतना सब सोचा , ऐसा तो कोई बेवकूफ ही करेगा !”
“जरुरी नहीं ऐसा करने वाला हर इंसान बेवकूफ हो , कई बार खून के रिश्तो बंधा इंसान भी ऐसा कर देता है ! मैंने जो किया वो किसी पर रहम खाकर या फिर खुद को महान साबित करने के लिए नहीं किया बल्कि जो जिसका हक़दार था वो हक़ उन्हें दिया , तो इसमें क्या गलत किया !”,ऋषभ ने माही की और देखकर कहा !
” कैसे कर लेते हो ये सब ?”,माही ने गंभीरता से ऋषभ से कहा
“वक्त सब सीखा देता है ! अक्सर इंसान वो नहीं होता जो वह दिखाई देता है , मैं भी कुछ ऐसा हु !”,ऋषभ ने दूसरी और देखते हुए कहा
“तुम बहुत अच्छे हो”,माही ने मुस्कुराते हुए कहा !
“कभी कहती हो बेवकूफ हु , कभी कहती हो अच्छा हु ! मैं कुछ समझा नहीं”,ऋषभ ने व्यंग करते हुए कहा
“कभी कभी मैं खुद भी नहीं समझ पाती जो मैं कहती हु , बस जो अच्छा लगता है वो कह देती हु”,माही ने आँखों में ख़ुशी भरते हुए कहा !
माही की बात पर ऋषभ बस देखता रहा कुछ कहा नहीं तो माही ने कहा,”तो आगे ?”
“आगे क्या ?”,ऋषभ ने चौंककर पूछा
“मतलब कोई चक्कर चला किसी से ?”,माही ने शरारत से कहा
“ये कैसा सवाल है ?”,ऋषभ ने थोड़ा नाराज होकर कहा !
“रिलेक्स , कोई मिली नहीं होगी ! हैं ना”,माही अब भी शरारत से मुस्कुरा रही थी !
“व्हाट डू यू मीन कोई मिली नहीं , मैं खुद औरतो से दूर रहता हु”,ऋषभ ने कहा !
“देट्स लाईक माय बॉय !”,माही ने कहा
माही के इस बचपने पर ऋषभ मुस्कुराने लगा और कहा,”तुम्हारा कोई बॉयफ्रेड ?”
“बॉयफ्रेंड नहीं है , पर हां 4 एक्स रह चुके है !”,माही ने बेपरवाही से कहा
“4 ? , तुम्हारा मतलब तुमने 4 बार अलग अलग लड़को से प्यार किया है”,ऋषभ ने उलझन भरे स्वर में कहा !
“नो , उनके साथ कोई सीरियस रिलेशनशिप नहीं था बस जस्ट ऐसे ही”,माही ने कहा
“क्या मतलब जस्ट ऐसे ही ?”,ऋषभ ने माही को घूरकर कहा !
“मतलब टाइम पास किसी साथ रहते हुए कभी स्पेशल फील ही नहीं हुआ”,माही ने कहा !
“ओहके !”,ऋषभ ने कहा
“तुम्हारे लिए प्यार का मतलब क्या है ? आई मीन तुम उसे किस वे में देखते हो !”,माही ने अचानक से सवाल किया
“प्यार के बारे में हर किसी का अपना अपना नजरिया होता है माही , हम उसे किस नजर से देखते है ये मायने रखता है !”,ऋषभ ने कहा
“क्या प्यार कभी भी हो सकता है ?”,माही ने कहा
“हां , इसका कोई वक्त तय नहीं होता , ये कभी भी किसी से भी हो सकता है”,ऋषभ ने कहा !
“वाओ कितना अच्छा बोलते हो ना आप ! वैसे प्यार आजकल फैशन जैसा है आज इस से कल उस से”,माही ने कहा
“ऐसा नहीं है माहि , मैंने बताया ना हर इंसान का अपना अपना नजरिया होता है ! कोई अलग अलग लोगो के साथ वक्त बीताता है तो कोई जिंदगीभर एक ही इंसान से प्यार करते हुए जिंदगी गुजार देता है”,ऋषभ ने अपनी भारी आवाज में कहा , माही बस उसके चेहरे को देखती रही और फिर कहा,”अगर एक 24 साल की लड़की एक 45 साल के लड़के से प्यार करे तो उसे क्या कहेंगे ?”
“तो उसे बेवकूफी कहा जाएगा”,ऋषभ ने साफ शब्दों में कहा !
“व्हाई ,, तुमने वो गाना सूना है , ना उम्र की सीमा हो ना कोई बंधन , व्हेन समवन इन लव , लुक ऐट ओनली मन “,माही ने कहा !
“नहीं वो ऐसे नहीं है , वो ऐसे है ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन , जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन”,ऋषभ ने कहा
“हां ऐसा ही कुछ ! और दुनिया में हर किसी को प्यार करने का हक़ है , एज इज जस्ट अ नंबर !”,माही ने कहा !
ऋषभ ने माही की आँखों में उस वक्त एक अलग ही आकर्षण देखा , एक गहराई जो ऋषभ को बहा ले जाना चाहती थी ! ऋषभ उठा और कहा,”मैं तुम्हारे लिए कुछ ले आता हु”
माही कुछ कहती इस से पहले ही ऋषभ किचन की और बढ़ गया ! किचन में आकर उसने गैस पर बर्तन रखा और कॉफी बनाने लगा ! बर्तन में दूध डाला , चीनी डाली और कॉफी पाउडर डाल दिया ! ऋषभ का मन बातो में उलझा हुआ था उसके कानो में रह रह कर माही की आवाज गूंजती रहती ! तभी माही के कहे आखरी शब्द उसके कानो को छूकर गुजरे,”दुनिया में हर किसी को प्यार करने का हक़ है , एज इज जस्ट अ नंबर !”
ऋषभ एक बार फिर माही के बारे में सोचने को मजबूर हो गया ! कुछ तो बात थी उस लड़की में जो ऋषभ उसकी और ना चाहते हुए भी खींचता चला जा रहा था ! वह खुद इस बदलते अहसास को नहीं समझ पा रहा था की आखिर क्यों वह अपने से कम उम्र की लड़की की और आकर्षित हो रहा है ! आज से पहले उसके घर में कोई लड़की या औरत नहीं आयी थी सुजैन जो की उसकी अच्छी दोस्त थी उस से भी वह बाहर ही मिलता था पर माही को वह अंदर आने से रोक नहीं पाया ना ही रोक पा रहा था उसे अपनी जिंदगी में आने से ! माही किसी शांत तूफान की तरह बस उसकी जिंदगी में आती जा रही थी और ऋषभ को कुछ पता नहीं था !!
ऋषभ वही खड़ा माही के बारे में उलझता रहा उसे कॉफी का कोई ध्यान नहीं था ! तभी माही की आवाज उसके सर्द कानो में पड़ी,”मेरे बारे में सोच रहे हो !”
माही को अपने सामने देखकर ऋषभ पीछे हटा वह अंदर ही अंदर हैरान था की माही ने उसका दिमाग कैसे पढ़ लिया ? उसने हकबकाते हुए कहा,”तुम यहाँ , कॉफी बन चुकी मैं लेकर आता हु”
“बिना गैस जलाये कॉफी कैसे बनेगी ?”,माही ने बंद गैस की और इशारा करते हुए कहा
ऋषभ ने देखा वह गैस जलाना भूल गया है ! उसने बेचारगी से माही की और देखा जो की इस वक्त उसे ही देख रही थी उसने कहा,”इंसान ऐसा तभी करता है जब वो किसी के प्यार में हो , क्या आपको भी किसी से प्यार हो गया है”
माही की नजरे ऋषभ के सीने में धसती चली जा रही थी माही के इस सवाल से उसका मन बैचैन हो उठा ! वह बस ख़ामोशी से माही को देखता रहा तो माही थोड़ा उसके करीब आयी और फुसफुसाकर कहा,”आपकी आँखों में दिखता है” ऋषभ दंग था आज से पहले किसी ने भी उसे इतना गहराई से नहीं समझा था जितना माही समझने लगी थी उसके माथे पर पसीने की बुँदे झलक आयी जिन्हे देखकर माही दूर हटी और हसते हुए कहा,”हालत देखो अपनी , तुम डर गए ना , अरे मजाक कर रही हु मैं ! लेकिन तुम डर गए”
माही इतना कहकर फिर से जोर जोर से हसने लगी ! ऋषभ ने उसे हँसता देखा तो बस देखता ही रह गया हां वो हँसते हुए उस वक्त दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की दिखाई दे रही थी ! माही हसते हुए वहा से आकर सोफे पर बैठ गयी ऋषभ ने मुस्कुराते हुए कॉफी बनायीं इस वक्त उसके दिल की हालत वैसी ही थी जैसे एक 18 साल के लड़के की होती है ! मन खुश था और पेट में जैसे तितलियाँ घूम रही थी ! ऋषभ ने कॉफी बनाकर उसे दो कप में उड़ेल दिया ! कप लेकर वह बाहर आया एक माही को दिया और दूसरा खुद लेकर बैठ गया ! कॉफी पीते हुए नजरे बार बार माही पर चली जाती !
कॉफी पीकर कप रखते हुए माही ने कहा,”वैसे तुम करते क्या हो ?”
“ऊटी के एक अख़बार में आर्टिकल्स लिखने का काम करता हु”,ऋषभ ने अपनी कॉफी ख़त्म करते हुए कहा
“किस बारे में ?”,माही ने दिलचस्पी लेते हुए पूछा !
“हर तरह के विषय पर !”,ऋषभ ने कहा
“क्या आपने कभी भूतो के लिखा है ?”,माही ने अपनी आँखों को बड़ी बड़ी करके कहा
“नहीं मैं सिर्फ उन्ही घटनाओ के बारे में लिखता हु जो मैंने देखी या महसूस की है !”,ऋषभ ने सधी हुई आवाज में कहा
“ओहके , क्या तुमने कभी कोई पोएम लिखी है ?”,माही ने कहा
“हम्म्म बहुत पहले मैंने एक लिखी थी ! उसके बाद नहीं”,ऋषभ ने कहा
“ओह्ह प्लीज मुझे वो पोयम सुनाईये ना ! प्लीज”,माही ने छोटी बच्ची की तरह कहा
“नहीं , वो पोयम मैंने सिर्फ अपने लिए लिखी है , मैं उसे किसी को सुना नहीं सकता !”,ऋषभ ने कहा
“व्हाई ? लोग कुछ इसलिए लिखते है की चार लोग उसे पढ़े !”,माही ने हैरानी से कहा
“हां लेकिन तब जब वो पढ़ने लायक हो !”,ऋषभ ने कहा
“तुम बुरा लिख ही नहीं सकते , प्लीज सुनाओ ना , प्लीज प्लीज प्लीज”,माही बच्चो की तरह जिद करने लगी तो ऋषभ ने कहा,”ओके मैं सुनाता हु !”
माही ख़ुशी से आलथी पालथी मारकर सोफे पर बैठ गयी ! ऋषभ ने देखा ख़ुशी और चमक दोनों माही के चेहरे से एक साथ झलक रहे है ऋषभ ने सुनाना शुरू किया !
“कुछ इस तरह से ये शहर की हवाएं
मेरे कानो को छूकर गुजरती है !
लगता है तुमने कुछ कहा हो जैसे
तुम्हारे होने का अहसास ,
मैं अपने आस पास महसूस करता हु
इक अरसे बाद कुछ हुआ हो जैसे
मैं ख़ामोशी की चददर लपेटे सोया हुआ था
उसकी हंसी के शोर ने मुझे , जगाया हो जैसे
मैं भीगी पलके लिए अकेले में रोया करता था
उसकी मुस्कराहट ने फिर से हँसना सिखाया हो जैसे !
उसका शहर में आना कोई इत्तेफाक नहीं है , वो एक हसीन ख्वाब हो जैसे
वो अलह्ड़ सी , बेपरवाह है खुद से , वो पुरानी सी कोई शराब हो जैसे
वो उजली सी सुबह है , मैं अँधेरे में डूबी कोई रात हु
एक रोज मिले दोनों इस कदर की मिलकर दोनों शाम हो जाये !
अब तक छुपाते थे जिन अहसासों को सबसे
क्यों न अब वो अहसास सरेआम हो जाये !!”

ऋषभ चुप हो गया माही तो बस जैसे उसके शब्दों में खो सी गयी थी , वह ख़ामोशी से ऋषभ की और देखते हुए उन शब्दों में खुद को तलाश रही थी ! ऋषभ की भारी आवाज और उसका वो कविता सुनाने का अंदाज माही के दिल में उतरता जा रहा था ! माही ने एक गहरी साँस ली और कहा,”वाओ तुम बहुत अच्छा लिखते हो , इतना खूबसूरत की कोई भी इसमें डूब जाये !”
ऋषभ ने सूना तो उसके होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी , उसके गाल शर्म से लाल हो गए जिन्हे देखकर माही ने कहा,”आर यू बल्शिंग ?” ऋषभ ने माही की और देखा और कहा,”तुम नहीं लिखती कुछ ?”
“मैंने एक पोयम लिखी है सुनाऊ ?”,माही ने कहा
“हम्म्म्म !”,ऋषभ ने कहा
माही ने सुनाना शुरू किया –
I like your smile but you’re less smiling
I like to hear your voice, but I love your silence
I love spending time with you, but you don’t have time
That’s why I write this poem remembering you in free time
I do not know what love is?
What are its rules and The rumor ?
But i know that
When people are in love, age is just a number !!”

माही ने अंग्रेजी भाषा में लिखी कुछ लाईने ऋषभ को सुनाई , ऋषभ हैरान था माही जैसी लड़की से उसे ये सुनने को मिलेगा उसने कभी सोचा नहीं था ! ऋषभ को चुप देखकर माही ने कहा,”यू डोंट लाइक दिस ?”
“बहुत अच्छा था !”,ऋषभ ने धीरे से कहा
“तुम्हे सच में पसंद आया ?”,माही ने आँखों में ख़ुशी भरते हुए कहा !
“हम्म्म्म !”,ऋषभ ने कहा
“पता है मैं कभी किसी के लिए ये सब नहीं लिखती , बट तुम्हारे लिए लिखा’,माही ने अपने नाख़ून को दांतो से चबाते हुए कहा
“फिर मेरे लिए क्यों ?”,ऋषभ ने धड़कते दिल के साथ पूछा
“बिकॉज यू आर स्पेशल फॉर मी !”,माही ने ऋषभ की आँखों में देखते हुए कहा ! माही का इस तरह देखना ऋषभ के दिल को और ज्यादा धड़का गया वह कुछ देर अपलक माही की आँखों में देखता रहा और फिर कहा,”तुम्हे कुछ दिखाऊ !”
“या स्योर !”,माही ने कहा
“आओ !”,कहकर ऋषभ सामने वाले कमरे की और बढ़ गया माही भी उसके पीछे पीछे चली आई ! जैसे ही माही अंदर आयी उसका मुंह खुला का खुला रह गया ! कमरे में ऋषभ के बनाये ढेर सारे पोर्ट्रेट रखे थे ! कुछ दीवारों पर लगे थे और कुछ निचे दिवार से लगाकर जमीन पर रखे थे ! एक कैनवास भी रखा हुआ था जिसपर ऋषभ की बनाई वो चाय के बागानों वाला पोर्ट्रेट था ! माही एक एक करके उन्हें देखने लगी और सबसे आखिर में वह कैनवास के सामने आयी और काफी देर तक उस पोर्ट्रेट को देखती रही उसे ऋषभ के साथ वो ऊटी का टूर याद आ गया ! माही मुस्कुरा उठी उसने अपने उंगलिया उस पोर्ट्रेट पर घुमाते हुए ऋषभ से कहा,”तुम बहुत टेलेंटेड हो , पर इन्हे इस तरह कैद क्यों कर रखा है ! इन्हे बाहर निकालो लोग तुम्हारे फैन हो जायेंगे !”
“यही तो मैं नहीं चाहता की लोग मुझे जाने ! मैं अपनी जिंदगी का बचा हुआ वक्त अकेले गुजरना चाहता हु , अपनी ख्वाहिशो , अपने शौक और अपने सपनो के साथ !”,ऋषभ ने भारी आवाज में कहा
“तुम बहुत अजीब हो , तुम्हे पता है तुम्हारी पेंटिंग अगर एग्जीबिशन में जाये तो तहलका मचा दे ! पर तुम हो के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, खैर वो तुम्हारा फैसला लेकिन मैं तो तुम्हारी फैन हो चुकी हु ! क्या तुम मुझे पेंटिंग करना सिखाओगे “,माही ने आखरी शब्द बड़े प्यार से कहे
ऋषभ कुछ देर खामोश रहा और फिर कहा,”हम्म्म ! “
माही की आवाज के सामने वह सम्मोहित था वह चाहकर भी उसे ना नहीं कह पाया ! ऋषभ ने माही को बताना शुरू किया ! ऋषभ बताते जा रहा था और माही ख़ामोशी से सब सुनते जा रही थी ! जैसे जैसे ऋषभ बोल रहा था माही का ध्यान ऋषभ की आँखों और होंठो पर था ! ऋषभ उसे सभी बारीकियां बता रहा था जिन्हे देखकर माही ने महसूस किया की पोर्ट्रेट बनाना ऋषभ को इतना क्यों पसंद है ? ऋषभ ने साइड में पड़ी कलर प्लेट उठायी और माही को रंगो के बारे में बताने लगा ! माही ने ऋषभ के हाथ से प्लेट छीनी और कहा,”मैं बनाती हु !”
माही प्लेट लेकर जैसे ही आगे बढ़ी उसका पैर फिसला और प्लेट का सारा रंग उसके कपड़ो पर आ गिरा और प्लेट निचे जा गिरी जिससे उसके दो टुकड़े हो गए ! ऋषभ ने देखा तो उसने गुस्से से कहा,”व्हाट आर यू डूइंग ? सब ख़राब कर दिया तुमने !”
“ये गिर गया , इसमें मेरी क्या गलती है ?”,माही ने भी गुस्से से कहा
“हां तुम्हारी कोई गलती नहीं है , मेरी गलती है”,ऋषभ की आवाज थोड़ी तेज हो गयी
“डोंट टॉक टू मी लाईक देट , मेरा पैर फिसल गया और ये गिर गयी ! दिस इज ओनली ब्लडी कलर्स”,माही ने कहा
“इट्स नॉट अबाउट कलर , तुम्हारा बचपना है ये जो तुम इस तरह बिहेव कर रही रही हो !”,माही ने कहा
“लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं “,माही ने लगभग चीखते हुए कहा
“शटअप , यू जस्ट शटअप !”,ऋषभ ने कहा !
“यू शटअप , आई डोंट टॉक टू यू !”,माही ने आँखों में आंसू भरकर चिल्लाते हुए कहा
ऋषभ ने कोई ध्यान नहीं दिया वह जमीन पर गिरी प्लेट के टुकड़े उठाने लगा ! माही बाहर निकल गयी माही के जाते ही ऋषभ को अहसास हुआ की उसने इतनी छोटी सी बात पर माही पर गुस्सा किया ! उसे अब खुद पर ही खीज हो रही थी वह उठा और बाहर आया ! उसने देखा माही बाहर ही डायनिंग के पास खड़ी है ! ऋषभ उसके पास आया और कहा,”मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नहीं चाहिए था , आई ऍम सॉरी !”
माही मुस्कुरायी और ऋषभ की और पलटकर कहा,”टेक इट ईजी !”
“तुम्हे बुरा नहीं लगा !”,ऋषभ ने हैरानी से कहा
“कोई और होता तो लगता , तुम्हारे डाटने का बुरा नहीं लगता !”,माही ने कंधे उचकाकर कहा
“तुम्हारे कपडे ख़राब हो गए , मैं तुम्हारे लिए कुछ कपडे ले आता हु”,कहकर ऋषभ वहा से चला गया ! माही उसे जाते हुए देखते रही ! कुछ देर बाद ऋषभ अपनी सफ़ेद शर्ट और एक पेण्ट ले आया और माही को दे दी ! माही कपडे लेकर बाथरूम की और चली गयी जो की ऋषभ के कमरे में बना था ! ऋषभ बालकनी में आया बाहर अँधेरा हो चुका था और मौसम भी ख़राब था ! ठंड बढ़ने लगी थी ऋषभ ने कलाई पर बंधी घड़ी में देखा उसमे 8 बज रहे थे ! ऋषभ ने एक सिगरेट सुलगा ली और कश लेते हुए मन ही मन सोचा,”मुझे माही से अब जाने के लिए कह देना चाहिए !”
ऋषभ गहरे चिंतन में डूबा हुआ था ! हवाएं चलने लगी और उन्ही के साथ बारिश शुरू हो गयी ! बारिश की ठंडी बौछारे ऋषभ को भिगाने लगी ऋषभ अंदर चला आया माही कही नजर नहीं आई उसे लगा वो चली गयी है सोचकर ऋषभ अपने कमरे में आया जैसे ही नजर सामने पड़ी ऋषभ जड़ हो गया ! खिड़की के पास माही खड़ी थी उसी सफ़ेद रंग की शर्ट में निचे उसने वही शॉर्ट्स पहने हुए था ! उसके लम्बे घने बाल कमर से निचे झूल रहे थे ! माही खिड़की के पास खड़ी बाहर देख रही थी ! ऋषभ के दिमाग में सेकड़ो ख्याल एक साथ आ जा रहे थे ! वह तेजी से वहा से बाहर निकला और दौड़ता हुआ अपने आर्ट रूम में आया ऋषभ ने कुछ रंग उठाये और एक खाली कैनवास लेकर अपने कमरे में आया ! माही इस से बेखबर खिड़की के पास खड़ी बारिश देखने में गुम थी ! ऋषभ ने केनवास लगाया और रंगो को प्लेट में निकालकर ब्रश से केनवास पर चलाने लगा ! लेकिन आज ब्रश उसका साथ नहीं दे रही थी ऋषभ ने ब्रश फेंक दी उसने अपनी उंगलियों को कलर में डुबोया और हाथो से ही वह माही की तस्वीर बनाने लगा ! ऋषभ ने तस्वीर का कुछ हिस्सा ही बनाया था की तभी माही पीछे पलटी ऋषभ को केनवास के साथ देखकर माही बहुत हैरान थी जैसे ही वह ऋषभ की और बढ़ने को हुई ऋषभ ने कहा,”वैसे ही खड़ी रहो माही प्लीज़ और जब तक मैं ना कहु वहा से हटना मत”
माही किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह वापस जाकर खड़ी हो गयी ! ऋषभ की उंगलिया एक बार फिर कैनवास पर चलने लगी ! वह इतनी सिद्धत से माही की तस्वीर बना रहा था ! उसने बड़ी ही बारीकी से उस तस्वीर में रंगो को उतारा ये पहली तस्वीर थी जो उसने अपनी उंगलियों से बनाई थी शायद इसलिए ऋषभ उस अहसास को अंदर तक महसूस कर रहा था ! माही एकटक ऋषभ के चेहरे पर आते जाते भावो को देख रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी !

कहानी सुनाकर ऋषभ खामोश हो गया ! बाहर बारिश होने लगी थी पानी के गिरने की आवाज अंदर तक सुनाई दे रही थी ! माहौल में गंभीरता लिए हुए एक ख़ामोशी फैली हुई थी ! ऋषभ के चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था उसकी आँखे शून्य में ताक रही थी लेकिन सुजैन की आँखों में इस वक्त ख़ुशी थी ! सुजैन ऋषभ की कहानी सुनते हुए वैसा ही महसूस कर रही थी जैसे एक बच्चा अपनी मनपसंद किताब पढ़ते हुए करता है ! ऋषभ और माही का करीब आना उसे एक सुखद अहसास की अनुभूति करवा रहा था ! ऋषभ ने खिड़की के बाहर गिरती हुयी पानी की बूंदो को देखकर बोलना शुरू किया,”उस रात भी ऐसे ही पानी बरस रहा था ! ना चाहते हुए भी मैंने माही को अपने अतीत के बारे में वो सब कुछ बता दिया जो मैंने आजतक कीसी से नहीं कहा था ! उसके साथ साथ रहते रहते कब मैं उसकी तरह सोचने लगा , पता ही नहीं चला ! मेरी बढ़ती नजदीकियों से मुझे अहसास हुआ की माही का मेरे आस पास रहना मुझे एक अनजानी ख़ुशी देता है ! उसकी और आकर्षित होने का कारण उसका जवान शरीर नहीं था बल्कि वो भावनाये थी जो मुझे अपने वर्तमान वक्त से बहुत पीछे ले आयी थी ! उसके साथ रहते हुए मैं अपनी आने वाली उम्र की परेशानिया और बढ़ती उम्र का डर भूल चुका था , मुझे जैसे अपनी जवानी जीने का एक अवसर और मिल चुका था ! उस रात जो माही की तस्वीर मैंने बनायी थी वो मेरी जिंदगी की सबसे खूबसूरत तस्वीर थी क्योकि उसमे रंग मैंने अपनी उंगलियों से भरे थे और वो अहसास आज भी उस तस्वीर में है !”

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संजना किरोड़ीवाल

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