Sanjana Kirodiwal

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A Broken Heart – 39

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A Broken Heart – 39

A Broken Heart
A Broken Heart

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ईशान की मदद करके जिया खुश थी वह ख़ुशी ख़ुशी सोफी के साथ रेस्त्रो आयी और अपना काम करने लगी। कुछ आर्डरस आये थे जिन्हे सोफी कूक के साथ मिलकर तैयार कर रही थी और उनके तैयार होने तक जिया को इंतजार करना था। जिया एक चंचल लड़की है जो ज्यादा देर तक एक ही जगह टिककर नहीं बैठ सकती इसलिए वह कुछ देर काउंटर के पास रुकी और फिर रेस्त्रो में आने वाले कस्टमर को सर्व करने लगी लेकिन ये करके भी वह थोड़ी देर में बोर हो गयी। वह वापस काउंटर के पास चली आयी और कुर्सी पर बैठकर काउंटर पर पसरते हुए कहा,”ओह्ह्ह सोफी इसे तैयार होने में और कितना टाइम लगेगा ?”


“बस 5 मिनिट और ये बस तैयार है।”,सोफी ने आर्डरस को पैक करते हुए कहा
जिया कुर्सी पर बैठे बैठे इधर उधर घूमने लगी तभी उसकी नजर अपने केबिन में बैठे मिस्टर दयाल पर चली गयी। उन्हें देखते ही जिया को मिस्टर दयाल का गुस्सा याद आ गया और वह बड़बड़ाई,”लगता है मैंने कल मिस्टर दयाल को कुछ ज्यादा ही नाराज कर दिया और बाद में उनसे माफ़ी भी नहीं मांगी , मुझे अभी जाकर उन्हें कल के लिए सॉरी बोलना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ ये ठीक रहेगा।”


जिया कुर्सी से नीचे उतरी और सोफी से कहा,”हे सोफी क्या मुझे एक कप कॉफी मिलेगी ?”
“हाँ जब तक ये ऑर्डर्स तैयार होते है तब तक तुम इसे खत्म कर लोगी , हम्म्म्म ये लो।”,सोफी ने मग से कॉफी कप में भरते हुए कहा
सोफी ने कप जिया के सामने रखा और वहा से चली गयी। जिया ने कप उठाया और लेकर सीधा मिस्टर दयाल के केबिन की तरफ बढ़ गयी। वह दरवाजा खोलकर अंदर आयी और अपने शब्दों में चीनी घोलते हुए कहा,”मिस्टर दयाल क्या मैं अंदर आ जाऊ ?”


मिस्टर दयाल ने जिया को देखा तो उनकी भँवे तन गयी , उन्हें बीती बात याद आयी लेकिन उन्होंने अपने गुस्से को निगलते हुए कहा,”तुम पहले ही अंदर आ चुकी हो अब क्या मेरे सर पर बैठने का इरादा है ?”
“ओह्ह्ह नहीं मिस्टर दयाल आजकल आप कुछ ज्यादा ही मजाकिया हो गए है , हीहीहीहीही,,,,,,,,,,,,!”,जिया ने दांत दिखाते हुए कहा
“बकवास बंद करो और ये बताओ कि तुम यहाँ क्यों आयी हो ?”,मिस्टर दयाल ने चिढ़ते हुए कहा


“मैं आपके लिए ये कॉफी लेकर आयी हूँ और मैं कल के लिए शर्मिन्दा हूँ , मुझे माफ़ कर दीजिये मिस्टर दयाल वो सब मैंने जान बुझकर नहीं किया।”,जिया ने कहा
“तुम्हे क्या मैं बेवकूफ लगता हूँ ? तुमने सबके सामने मेरा कचरा कर दिया , मैं तुम्हे माफ़ नहीं करूंगा”,मिस्टर दयाल ने बच्चो की तरह गुस्सा होकर कहा


“क्या मिस्टर दयाल क्या आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है , मैं सच में शर्मिंदा हूँ देखिये,,,,,!”,जिया ने मुंह लटका कर कहा हालाँकि मिस्टर दयाल को जिया की बातो पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं होता था लेकिन उसकी मासूम शक्ल देखकर कोई भी धोखा खा जाता था। मिस्टर दयाल भी पिघल गए और कहा,”ठीक है मैंने तुम्हे माफ़ किया और आगे से जरा ध्यान से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारा बॉस हूँ , रेस्त्रो में आने वाले कस्टमर्स के बीच मेरी इज्जत है जानती हो न तुम,,,,,,,,,,,,,,पर मुझे लगता है तुमने भी ये जान बुझकर नहीं किया होगा। हम इंसान है और अक्सर इंसानो से गलती हो जाती है।”


जिया ने सूना तो मन ही मन खुश हो उठी उसने कितनी आसानी से मिस्टर दयाल को अपनी बातो में फंसा लिया। वह मिस्टर दयाल की तरफ आयी और कॉफी से भरा कप उनके टेबल पर रखते हुए कहा,”ओह्ह्ह मिस्टर दयाल आप कितने अच्छे है सच में आप मेरी इंस्पिरेशन है , मैं तो कहूँगी आपको इस पुरे शहर की इंस्पिरेशन होना चाहिए। आपका दिल कितना बड़ा है मिस्टर दयाल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“हीहीही बस करो जिया इतनी तारीफ सुनकर अब मुझे शर्म आ रही है।”,मिस्टर दयाल ने कॉफी का कप उठाते हुए कहा
“मैं सच कह रही हूँ मिस्टर दयाल सच में आप जैसा कोई नहीं है। आप कॉफी पीजिये ये मैंने खुद अपने हाथो से आपके लिए बनायीं है,,,,,,,,,,,,,,,!”,जिया ने लम्बी लम्बी फेंकते हुए कहा।
“अरे तुमने तकलीफ क्यों की ? कूक से कहा होता तुम्हे तो डिलीवरी करने जाना होगा न ?”,मिस्टर दयाल ने जिया की तरफ देखकर कहा


डिलीवरी का नाम सुनते ही जिया को ऑर्डर्स की याद आयी और उसने एकदम से कहा,”मिस्टर दयाल आपकी घडी में टाइम क्या हुआ है ?”
मिस्टर दयाल ने जैसे ही अपनी घड़ी में टाइम देखा उनके हाथ में पकड़ा कप उलट गया और उसमे भरी कॉफी उनके ऊपर आ गिरी। जिया ने देखा तो वहा से जाते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह मुझे माफ़ करना मिस्टर दयाल , मैं चलती हूँ हम फिर मिलेंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


” जियाआआआआआ,,,,,,,,,,,,,,,!”,गुस्से से मिस्टर दयाल चिल्लाये लेकिन जिया तब तक वहा से भाग चुकी थी।
जिया मिस्टर दयाल के केबिन से बाहर आयी उसने जल्दी से बैग उठाया और रेस्त्रो से बाहर निकल गयी।    

दिनभर ईशान अपने काम में बिजी रहा। ईशान ने महसूस किया कि पहले दिन ही उसने काफी बेहतर किया था और वह अपने काम से खुश भी था। शाम में तैयार होकर ईशान बार जाने के लिए निकल गया। शुरुआत में ईशान को एक बार में काम करने में परेशानी हो रही थी लेकिन अब उसे यहाँ काम करना अच्छा लगने लगा था।

ऑटो बार से कुछ दूर पहले आकर रुका ईशान नीचे उतरा और पैदल ही चल पड़ा। चलते चलते ईशान की नजर सड़क के उस पार अपनी गाड़ी के खड़ी माया पर पड़ी। ईशान के कदम ठिठक गए वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन खुद को माया की यादो से दूर नहीं कर पाया था।

ईशान सड़क के इस पार खड़े माया को देख ही रहा था कि तभी उसने देखा देवांश वहा आया है। माया और उसके बीच एक तीखी बहस होने लगी , बहस इतनी बढ़ गयी कि आखिर में ईशान ने माया को एक थप्पड़ मारा और उसे कुछ शब्द कहकर अपनी गाड़ी में जा बैठा। देवांश ने अपनी गाड़ी पीछे ली और वहा से चला गया। ईशान ख़ामोशी से ये नजारा देख रहा था उसे गुस्सा तो बहुत आया जब देवांश ने माया पर हाथ उठाया लेकिन उसने इस वक्त कुछ ना कहना ही बेहतर समझा।  


देवांश से थप्पड़ खाने के बाद माया अपने गाल से हाथ लगाए जैसे ही पलटी उसकी नजरे सड़क किनारे खड़े ईशान से जा मिली। ईशान को वहा देखकर माया की आँखों में आँसू भर आये। दोनों खामोश खड़े एक दूसरे को देखते रहे और फिर ईशान आगे बढ़ गया। पहली बार उसने ऐसे दिखाया जैसे उसे कोई फर्क ही ना पड़ा हो और पहली बार माया को ईशान का ये रूप देखकर तकलीफ हुई।

उसकी एक आवाज पर दौड़कर आने वाला ईशान आज उसे ऐसे इग्नोर करके चला गया। माया की आँखों में नमी उतर आयी उसने सड़क पर गुजरते ऑटो को रोका और उसमे बैठकर वहा से चली गयी।

रात मे जिया अपना काम खत्म करके काउंटर के पास आयी और कुर्सी पर बैठ काउंटर पर पसरते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह आज तो मैं बहुत ज्यादा थक गयी हूँ , क्या हम घर जा सकते है सोफी ?”
“कुछ कस्टमर्स आये है मुझे उनके आर्डर तैयार करने होंगे , तुम थोड़ी देर इंतजार करो फिर चलते है।”,सोफी ने कहा और वहा से चली गयी।


“अह्ह्ह्ह किसी को मेरी परवाह नहीं है , ये लोग इस वक्त क्यों आये है क्या ये कुछ घंटे पहले नहीं आ सकते थे ? कभी कभी तो लगता है मेरा काम ही मेरा दुश्मन है। वैसे मुझे बहुत नींद आ रही है आह्ह्ह्हह और मुझे भूख भी लगी है मुझे बाहर जाकर कुछ खाना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं यहाँ भी तो खा सकती हूँ लेकिन यहाँ का खाना बहुत महंगा है और मिस्टर दयाल तो मुझसे अच्छा खासा नाराज है उन्हें पता चला तो वो मेरे सारे पैसे काट लेंगे , मुझे बाहर ही कुछ खाना चाहिए। हाँ ये ठीक रहेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,जिया काउंटर पर पसरे पसरे बड़बड़ाई।


“क्या तुम कुछ लोगी ?”,सोफी ने जिया के पास आकर पूछा
“नहीं मैं बाहर जा रही हूँ , तुम अपना काम खत्म कर लो फिर घर चलते है।”,जिया ने उठते हुए कहा
“बाहर कहा ?”,सोफी ने पूछा
“रेस्त्रो के सामने जो चाट वाला है उसके पास,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्या है न मुझे बहुत भूख लगी है और आज मेरा कुछ अच्छा खाने का मन है।”,जिया ने अपने गले में पड़े बैग को झुलाते हुए कहा
“तो क्या यहाँ का खाना अच्छा नहीं है ?”,सोफी ने हैरानी से पूछा


“अच्छा है लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं जाती हूँ तुम अपना काम खत्म करके बाहर आ जाना , मिस्टर दयाल ने मुझे देखा तो कही उनका गुस्सा फिर ना बढ़ जाये।”,जिया ने जाते हुए कहा
“ओह्ह्ह ये लड़की भी ना कब क्या करती है कुछ समझ नहीं आता ? जरूर इसने मिस्टर दयाल के साथ फिर कोई बहस की होगी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सोफी बड़बड़ाई
“एक्सक्यूज मी मेम , वेयर इज माय आर्डर ?”,कस्टमर की आवाज से सोफी की तंद्रा टूटी और वह चली गयी।

रेस्त्रो से बाहर निकलकर जिया चाट खाने लगी और फिर वही बाहर पड़ी बेंच पर बैठकर सुस्ताने लगी। बेंच पर बैठी वह आती जाती गाड़ियों को देखती रही।  कुछ देर बाद सोफी आयी और दोनों घर जाने के लिए निकल गयी। घर आते ही जिया बिस्तर पर गिर गयी और कुछ वक्त बाद उसे नींद आ गयी। सोफी ने अपने लिए खाना बनाया और खाकर सोने चली गयी।


ईशान सुबह बार से घर आया। आते ही वह लेपटॉप लेकर बैठ गया और उस पर अपना काम करने लगा। ये बात सच थी कि जब ईशान अपने सपनो को लेकर गंभीर हो जाये तो उसे नींद कम ही आती है। रात भर बार में काम करने के बाद भी ईशान बिल्कुल फ्रेश फील कर रहा था। उसने अपनी प्रेक्टिस शुरू की और महसूस किया ये धीरे धीरे पहले से बेहतर होने लगी थी।

देखते ही देखते एक हफ्ता गुजर गया। एक सुबह ईशान अपनी किसी स्क्रिप्ट को रिकॉर्ड करने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो उतनी परफेक्ट नहीं थी जितनी होनी चाहिए थी। उसने डेमो कुछ रेडिओ स्टेशन पर भेजे लेकिन वो रिजेक्ट हो गए जिस से ईशान काफी अपसेट हो गया। सुबह से दोपहर , दोपहर से शाम हो गयी लेकिन ईशान अपने काम से निराश ही रहा। उसे हर जगह से रिजेक्शन मिल रहा था। थककर ईशान ने लेपटॉप बंद किया और उठकर किचन एरिया की तरफ आकर अपने लिए कॉफी बनाने लगा।

कॉफी बनाते हुए ईशान के दिमाग में कई बाते चल रही थी। जिया ने उस पर जो भरोसा किया था वह उसे टूटने देना नहीं चाहता था। ईशान जिया को मिस कर रहा था। जिया की बातो से हमेशा उसे एक पोसिटिविटी मिलती थी। इन दिनों ईशान जिया से नहीं मिल पाया था और अपने काम और बार में ज्यादा बिजी रहा

ईशान ने अपने लिए कॉफी बनायीं और लेकर बाहर बरामदे में चला आया। शाम का समय था और ठंडी हवाएं चल रही थी। मौसम भी काफी अच्छा था और आसमान में बादल छाये हुए थे जिन्हे देखकर ईशान का मन खुश हो गया। ईशान ने जैसे ही कप को होंठो से लगाकर एक घूंठ भरा घर का दरवाजा खोलकर जिया अंदर आयी। जिया को देखते ही ईशान का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा।

कुछ देर पहले ही वह जिया को काफी मिस कर रहा था और जिया उसके सामने थी। कंधे पर अपना बैग डाले जिया ईशान के पास आयी और कहा,”अच्छा हुआ तुम मिल गए ।”
“क्या हुआ ? क्या तुम पहले भी मुझसे मिलने आयी थी ?”,ईशान ने हैरानी से पूछा क्योकि इन दिनों उसने जिया को यहाँ नहीं देखा था।
“हाँ दो दिन पहले ही मैं यहाँ आयी थी पर तुम नहीं थे,,,,,,,,,,,,,,वो सब छोडो ये बताओ तुम्हारा काम कैसा चल रहा है ? ओह्ह्ह्ह मुझे यकीन है तुमने जरूर कमाल कर दिया होगा,,,,,,,,,,,,है न ?”,जिया ने चहकते हुए पूछा 


जिया की बात सुनकर ईशान का मुँह उतर गया और उसने धीमे स्वर में कहा,”नहीं मैं खुद से डिसअप्पोइंटेड हूँ आज पूरा दिन मैंने बहुत ही बेकार काम किया।”
“हो सकता है तुम्हारा मूड ना हो , तुम फिर से कोशिश करो मुझे यकीन है इस बार तुम अच्छा करोगे,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ तुम कर सकते हो।”,जिया ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“मैं फिर कोशिश करूंगा , यहाँ आने के लिए तुम्हारा शुक्रिया,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने कॉफी का घूंठ भरते हुए कहा

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“मेरी मॉम कहती है जब हम अपने काम से निराश होते है तब अपने पसंदीदा इंसान की कही एक पॉजिटिव बात भी हम में साहस भर देती है।”,जिया ने कहा
“हाँ तुम्हारी मॉम ठीक कहती है,,,,,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने कहा
“क्या ठीक कहती है ये कि पॉजिटिव बातें हम में साहस भर देती है या फिर ये कि मैं तुम्हारी पसंदीदा इंसान हूँ,,,,,!!”,जिया ने ईशान की आँखों में देखते हुए पूछा
ईशान ने सूना तो खामोश हो गया उसके पास जिया की इस बात का कोई जवाब नहीं था। उसे खामोश देखकर जिया ने ईशान के हाथ से कप लेते हुए कहा,”तुम अकेले अकेले इसे कैसे पी सकते हो ?”


“अरे ये मेरी जूठी है तुम रुको मैं तुम्हारे लिए और बना देता हूँ।”,ईशान ने कप लेने की कोशिश की तो जिया ने पीछे हटते हुए कहा,”आह नहीं ये ठीक है,,,,,,,,,,,,,तुम बताओ तुम आज खुद से डिसअप्पोइंटेड क्यों थे ?”
“मैं जो रिकॉर्ड कर रहा हूँ वो अच्छा जा रहा है लेकिन उसमे वो फील नहीं है जो मैं चाहता हूँ।”,ईशान ने जिया कहा
“ह्म्म्मम्म , वैसे मुझे तुम्हारे काम की ज्यादा जानकारी तो नहीं है फिर भी तुम चाहो तो मैं तुम्हे एक आईडिया दे सकती हूँ।”,जिया ने कॉफी पीते हुए कहा
“क्या सच में तुम्हारे पास कोई आईडिया है ? तुम मुझे बता सकती हो।”,ईशान ने कहा उसे अब जिया की बातो पर भरोसा होने लगा था।


“तुमने कभी नोटिस किया है जब हम किसी को काल्पनिक कहानी सुनाते है तो उसके हाव भाव नार्मल होते है लेकिन जब हम किसी को असल कहानी सुनाते है तब सुनने वाले के हाव भाव कैसे चेंज हो जाते है ? तुम्हे भी कुछ ऐसा ही करना है , लोगो को कुछ ऐसा सुनाना होगा जो सच है , जिस से लोग कनेक्ट हो,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने कहा तो ईशान ख़ामोशी से जिया के चेहरे को देखने लगा और मन ही मन खुद से कहा,”इतनी मासूम शक्ल और इतनी गहरी बात,,,,,,,,,,,,,,क्या ये सच में वही लड़की है जो उस रोज मुझे लिफ्ट में मिली थी।”

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क्रमश – A Broken Heart – 40

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संजना किरोड़ीवाल

A Broken Heart – 39 A Broken Heart – 39

“तुमने कभी नोटिस किया है जब हम किसी को काल्पनिक कहानी सुनाते है तो उसके हाव भाव नार्मल होते है लेकिन जब हम किसी को असल कहानी सुनाते है तब सुनने वाले के हाव भाव कैसे चेंज हो जाते है ? तुम्हे भी कुछ ऐसा ही करना है , लोगो को कुछ ऐसा सुनाना होगा जो सच है , जिस से लोग कनेक्ट हो,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने कहा तो ईशान ख़ामोशी से जिया के चेहरे को देखने लगा और मन ही मन खुद से कहा,”इतनी मासूम शक्ल और इतनी गहरी बात,,,,,,,,,,,,,,क्या ये सच में वही लड़की है जो उस रोज मुझे लिफ्ट में मिली थी।”

“तुमने कभी नोटिस किया है जब हम किसी को काल्पनिक कहानी सुनाते है तो उसके हाव भाव नार्मल होते है लेकिन जब हम किसी को असल कहानी सुनाते है तब सुनने वाले के हाव भाव कैसे चेंज हो जाते है ? तुम्हे भी कुछ ऐसा ही करना है , लोगो को कुछ ऐसा सुनाना होगा जो सच है , जिस से लोग कनेक्ट हो,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने कहा तो ईशान ख़ामोशी से जिया के चेहरे को देखने लगा और मन ही मन खुद से कहा,”इतनी मासूम शक्ल और इतनी गहरी बात,,,,,,,,,,,,,,क्या ये सच में वही लड़की है जो उस रोज मुझे लिफ्ट में मिली थी।”

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