Sanjana Kirodiwal

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A Broken Heart – 27

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A Broken Heart
A Broken Heart

A Broken Heart – 27

ईशान के लैंडलॉर्ड ने उसे फ्लेट खाली करने को कहकर परेशानी में डाल दिया। ईशान को अब अपने लिए नया घर देखना था इसलिए वह नहाया और तैयार होकर घर से निकल गया। पैसे की जरूरत थी क्योकि 2 हफ्ते बाद उसका ऑडिशन था और उसे बैंगलोर भी जाना था। ईशान ने अपने दोस्त निर्मल को फोन किया और कहा,”हाय निर्मल !”
“हे ईशान बड़े दिनों बाद फोन किया , कहा हो तुम ?”,निर्मल ने कहा


“मुझे तुमसे मिलना है ! एक्चुअली मिलकर कुछ बात करनी है।”,ईशान ने कहा
“हम्म्म या ओके लंच टाइम में मिलते है।”,निर्मल ने कहा और कुछ देर बाद फोन काट दिया
लंच के समय ईशान निर्मल से एक रेस्त्रो में मिला। निर्मल ने दोनों के लिए खाना आर्डर किया और ईशान से कहा,”हाँ बता क्या बात करनी थी तुझे ?”


“दरअसल बात ये है कि 2 हफ्ते बाद बैंगलोर में मेरा ऑडिशन है और आज सुबह ही मेरे लैंडलॉर्ड ने मुझे फ्लेट खाली करने को कहा है। मुझे तेरी छोटी सी एक हेल्प चाहिए यार,,,,,,,,,,!!”,ईशान ने झिझकते हुए कहा
“हाँ बोल ना,,,!!”,निर्मल ने कहा
“ऑडिशन तक क्या मैं तेरे साथ रुक सकता हूँ ? बस सिर्फ दो हफ्ते बाकि वहा से आने के बाद मैं अपने लिए नया घर ढूंढ लूंगा।”,ईशान ने रिक्वेस्ट की


निर्मल ने सूना तो थोड़ी देर चुप रहा और फिर कहने लगा,”देख यार मैं तुझे बिल्कुल मना नहीं करता लेकिन मैं अपने फ्लेट में गर्लफ्रेंड के साथ लिव इन में रहता हूँ एंड तू तो जानता ही है लड़किया अपनी प्रायवेसी को लेकर कितना सीरियस होती है। मुझे बहुत बुरा लग रहा है लेकिन मैं,,,,,,,,,,,,,,!!”
“इट्स ओके मैं समझ सकता हूँ,,,,,,,,,,,मैं कही और ट्राय करता हूँ।”,ईशान ने बुझे मन से कहा
“तू दो हफ्तों के लिए अपने घर क्यों नहीं चला जाता ? फिर वही से अपने ऑडिशन के लिए भी निकल जाना।”,निर्मल ने ईशान से कहा


“मैं घर नहीं जा सकता,,,,,,,,,बाय द वे थेंक्स फॉर कमिंग”,ईशान ने कहा
“क्या तुमने फिर अपने डेड से लड़ाई की है ? ईशान इसलिए मैं कहता था माया का चक्कर छोड़ दे और अपनी जॉब अपने करियर पर ध्यान दे लेकिन तुमने नहीं सूना,,,,,,,,,,,,,,,आज अगर तुम्हारे पास जॉब होती तो तुम्हे इस तरह परेशान होना नहीं पड़ता।”,निर्मल ने कहा


“जब जेब में पैसा हो तो दुसरो को सलाह देना आसान है निर्मल,,,,,,,,,,,,,,,मैं चलता हूँ इंजॉय योर लंच”,कहते हुए ईशान उठा और वहा से चला गया
“हे ईशान मेरा इरादा तुम्हे हर्ट करने का नहीं था,,,,,,,,,,,हे सुनो ! खाना तो खाकर जाओ”,निर्मल ने कहा लेकिन तब तक ईशान वहा से जा चुका था।
इस पुरे शहर में एक निर्मल ही था जो ईशान का दोस्त था और उसने भी ईशान की मदद करने से मना कर दिया।

ईशान माया से मदद लेना नहीं चाहता था और ना ही किसी और से,,,,,,,,,,,,,,,!! रेस्त्रो से निकलकर वह सड़क पर चला आया उसने सामने से गुजरती टेक्सी रोकी लेकिन अगले ही पल उसे अपने पर्स का ख्याल आया जिसमे मुश्किल से कुछ पैसे थे ईशान ने टेक्सी वाले को जाने को कह दिया और पैदल ही चल पड़ा। ईशान अपने लिए घर ढूंढता रहा लेकिन दिल्ली जैसे शहर में उसे कही भी रहने को जगह नहीं मिली। एक दो जगह देखी भी लेकिन वो बहुत महंगी थी।

घर देखने में दो दिन निकल गए पर ईशान को कही भी घर नहीं मिला। दो दिन बाद लैंडलॉर्ड आया और ईशान से फ्लेट खाली करने को कहा। पिछले महीने का किराया न देने की वजह से लैंडलॉर्ड ने ईशान का सामान वही रख लिया सिर्फ उसे उसके कपडे और जरुरी सामान ले जाने की इजाजत दी। लैंडलॉर्ड ने कहा कि जब ईशान उस फ्लेट का किराया चुका देगा तब उसे उसका ले जाने दिया जाएगा।


निराश होकर ईशान ने अपना बैग और सूटकेस उठाया और बिल्डिंग से बाहर निकल गया। वह ना अपने घर जा सकता था ना ही दिल्ली में ऐसा कोई था जिसके घर ईशान जा सके। इस शहर में आने के बाद माया के अलावा उसने किसी और से ना दोस्ती की ना ही जान पहचान,,,,,,,,,,,,,,,,,!!


उम्मीद लेकर ईशान अपने कुछ पुराने ऑफिस में भी गया नौकरी के लिए ;लेकिन हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी। जॉब और घर की इम्पोर्टेंस उसे अब समझ आ रही थी। माया के साथ रहते हुए उसने ना कभी अपनी जॉब को सीरियस लिया न ही कभी खुद के लिए बचत की बस जो कमाया उसे माया पर लुटा दिया और आज हालात ये थे कि ना माया उसके साथ थी ना ही जॉब,,,,,,,,,,,,,,!!

 सुबह से शाम होने को आयी ईशान अपने बैग्स लिए दिल्ली की सड़को पर घूमता रहा लेकिन अपने लिए घर नहीं ढूंढ पाया। मायुस सा ईशान विंग रेस्त्रो के सामने से गुजरा तो उसे भूख का अहसास हुआ और वह अंदर चला आया। उसने एक बाउल नूडल्स आर्डर किये और बीते वक्त में की गयी अपनी गलतियों के बारे में सोचने लगा। सब ईशान की आँखों के सामने किसी फिल्म की तरह चल रहा था।


“सर आपका आर्डर,,,,,,,,,,,एन्जॉय योर फ़ूड”,वेटर की आवाज से ईशान की तंद्रा टूटी और वह अपने ख्यालो से बाहर आया।
“थैंक्यू !”,ईशान ने कहा तो वेटर वहा से चला गया। ईशान नूडल्स खाने लगा। वह बहुत टेंशन में था और समझ नहीं पा रहा था कि सब कैसे ठीक करे और इस वक्त कहा जाए। ईशान ने नूडल्स खत्म किये और बिल देकर बाहर चला आया।

ईशान बैग्स लेकर फुटपाथ पर चला आया सहसा ही उसे उस पिल्ले का ख्याल आया उसने पलटकर देखा वह पिल्ला गमले के पास बैठा आते जाते लोगो को देख रहा था। ईशान आकर डिवाइडर पर बैठ गया तो पिल्ला उसके पास चला आया और उसके इर्द गिर्द घूमने लगा।


ईशान ने पिल्ले के गले में पड़ा पेन्डेन्ट देखा तो कहा,”ये तुम्हे किसने पहना दिया ? वैसे ये नाम काफी अच्छा है डेस्टिनी,,,,,,,,,,मैं तुमसे किस्मत से ही मिला था वैसे भी जब मैं जब अकेला होता हूँ या परेशान होता हूँ तो मेरी किस्मत मुझे यहाँ ले आती है। किसी से ज्यादा बात ना करने वाला मैं तुम्हारे सामने अपने दिल की हर बात कह देता हूँ शायद इसलिए क्योकि तुम कभी मुझे सलाह नहीं देते बस मेरी बात सुन लेते हो।”


ईशान की बात सुनकर पिल्ला अपनी पूंछ हिलाने लगा और फिर आकर ईशान के बगल में बैठ गया। ईशान ने उसे एक नजर देखा और कहने लगा,”वैसे आज मैं भी तुम्हारी तरह हो गया,,,,,,,,बेघर,,,,,,,,,,,मेरे मकानमालिक ने मुझे घर से निकाल दिया और अब मेरे पास रहने को घर भी नहीं है ना ही मेरा कोई दोस्त है सिवाय तुम्हारे,,,,,,,,,,काश तुम बोल पाते तो मैं तुमसे बात करता और मेरा दर्द कम हो सकता। तुम बहुत अच्छे हो डेस्टिनी मुझे जब भी किसी की जरूरत होती है तुम हमेशा मेरे सामने आ जाते हो। वैसे इतनी सारी बुरी खबरों के बाद मेरे पास एक अच्छी खबर भी है क्या तुम जानना चाहोगे ?”


ईशान की बात सुनकर पिल्ला अपनी आँखे मिचमिचाने लगा।
“अच्छी खबर ये है कि दो महीने बाद मेरा ऑडिशन हैं जिसके लिए मुझे बैंगलोर जाना है। वो मेरा सबसे बड़ा ड्रीम है उसके बाद तुम मुझे इंडिया के सबसे बड़े रेडिओ चैनल पर सुन पाओगे”,ईशान ने आँखों में चमक भरते हुए कहा


ईशान की ख़ुशी में खुश होकर पिल्ला एक बार फिर उसके सामने घूमने लगा। ईशान ने उसका सर सहलाया और वही बैठा घंटो उस से अपने दिल की बाते  करता रहा आज ईशान को घर जाने की जल्दी भी नहीं थी।

रेस्त्रो का काम खत्म करके जिया और सोफी बाहर आयी। जिया अपनी साईकिल पर आ बैठी और सोफी से पीछे बैठने को कहा। सोफी उसके पीछे आ बैठी जिया ने साईकिल आगे बढ़ा दी। ठंड थी और दोनों ने उस से बचने के लिए ऊनी स्वेटर पहन रखे थे साथ में लंबा कोट भी। कुछ दूर चलकर जिया ने साईकिल विंग रेस्त्रो जाने वाले रास्ते की तरफ मोड़नी चाही तो सोफी ने उसे रोकते हुए कहा,”हम इस रस्ते क्यों जा रहे है ?”


“आह्ह्ह्ह बस ऐसे ही,,,,,,,!!”,जिया ने रुककर कहा
“कही तुम्हे फिर से उस पिल्ले से तो नहीं मिलना ? देखो जिया रात बहुत हो चुकी है और हमे घर चलना चाहिए और मैं तुम्हे उस पिल्ले के पास तो बिल्कुल नहीं जाने दूंगी”,


“मैं तो बस,,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने कहना चाहा लेकिन सोफी ने उसकी बात बीच में काट दी और कहा,”बस वस कुछ नहीं घर चलते है वैसे भी आज बहुत ठण्ड है। लिली आंटी हमारा वेट कर रही होगी उन्होंने कहा था आज वो डिनर में वेज बिरयानी बनाने वाली है और हो सकता है वो कुछ हिस्सा हमारे लिए भी बचा के रखे,,,,!!”
“क्या तुम सच कह रही हो ?”,वेज बिरयानी का नाम सुनते ही जिया के मुंह में पानी आने लगा


“हाँ मैं कभी झूठ नहीं बोलती,,,,,,,,,,,,अब जल्दी चलो वरना हमे डिनर में ठंडी बिरयानी खानी होगी !”,सोफी ने जिया की भूख को और बढ़ाते हुए कहा
जिया ने साईकिल घर जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ा दी।

काफी रात हो चुकी थी इसलिए ईशान भी उठा और अपना बैग लिए वहा से चल पड़ा। सुनसान सड़क पर वह अपने बैग सम्हाले चला जा रहा था। आज ईशान को घर की बहुत याद आ रही थी। इसे इत्तेफाक कहे या ईशान की किस्मत वह लिली आंटी के घर के बिल्कुल सामने आकर रुका। उसके शूज के लेस खुल चुके थे जिन्हे बांधने के लिए वह नीचे झुका और उन्हें बांधने लगा। जिया और सोफी घर पहुँच चुकी थी।

जिया खिड़की पर आयी और जैसे ही खिड़की खोली उसे नीचे दो बैग के साथ एक लड़का दिखा जो की झुककर अपने जूतों के लेस बांध रहा था। जिया उसकी शक्ल नहीं देख पायी। वह लड़का काफी देर तक वैसे ही रहा तो जिया खुद में बड़बड़ाई और कहा,”क्या ये चोर हो सकता है ? कही ये लिली आंटी के घर चोरी करने तो नहीं आया,,,,,,,,,,,,,,मुझे इसे पकड़ना चाहिए फिर लिली आंटी खुश हो जाएगी और हो सकता है वो हमे थोड़ी ज्यादा बिरयानी दे दे”


सोचते सोचते जिया खिड़की से गिरने को हुई लेकिन खुद को सम्हाल लिया और जल्दी से नीचे चली आयी।
ईशान अपने जूतों के लेस बांध चुका था और जैसे ही जाने को हुआ जिया ने उसे आवाज दी,”हे तुम कौन हो और इतनी रात में यहाँ क्या कर रहे हो ?” 


जिया की आवाज ईशान को जानी पहचानी लगी उसने पलटकर देखा वो जिया ही थी। ईशान को वहा देखकर जिया भी हैरान थी। वह ईशान के पास आयी और कहा,”तुम ? तुम इतनी रात में यहाँ क्या कर रहे हो ? आह्ह्ह्ह क्या तुम मुझसे मिलने आये हो ?”


जिया की बात सुनकर ईशान खामोश रहा। जिया की नजर जब ईशान के बैग्स पर पड़ी तो उसने हैरानी से पूछा,”तुम इतनी रात में ये बैग लेकर कहा जा रहे हो ?”
“मेरे लैंडलॉर्ड ने मुझे घर से निकाल दिया है।”,ईशान ने बुझे स्वर में कहा
“हाँ ? लेकिन क्यों ? वो भी इतनी रात में,,,,,,,,,!”,जिया ने पूछा


“मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी,,,,,,,,,,और मुझे नहीं लगता तुम्हारे पास मेरी प्रॉब्लम का सोल्यूशन होगा इसलिए मैं चलता हूँ।”,ईशान ने कहा और जैसे ही जाने को हुआ जिया ने कहा,”हे तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ,,,,,,,,,,,,,,बिना किसी रिटर्न फेवर के”
“मैं उम्मीद करता हूँ ये कोई बेहूदा मजाक नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,क्योकि सुबह से मैं अपने लिए घर ढूंढते ढूंढते परेशान हो चुका हूँ।”,ईशान ने कहा


“नहीं मैं कोई मजाक नहीं कर रही तुम चाहो तो मेरे साथ इस घर में रह सकते हो,,,,,,,,,,,,,,,,मैं और सोफी वहा रहते है उस कमरे में,,,,,,,!”,जिया ने अपने कमरे की खिड़की की तरफ इशारा करके कहा।
ईशान ने सूना तो उलझन में पड़ गया जिया उसे अपने साथ रहने के लिए इन्वाइट कर रही थी। वो लड़की जिसके साथ ईशान थोड़ी देर भी नहीं रह सकता था उसके साथ 2 हफ्ते कैसे रह सकता था ?


“क्या हुआ ? क्या तुम ये सोच रहे हो कि तुम्हे वहा रहने का किराया देना होगा ? अरे नहीं मैं तुम से किराया कैसे ले सकती हूँ ?”,जिया ने शरमाते हुए कहा
ईशान ने हलके हाथ से एक मुक्का जिया के सर पर मारते हुए कहा,”तुम कितनी बेवकूफ लड़की हो , एक अनजान लड़के को अपने कमरे में रहने के लिए तुम कैसे इन्वाइट कर सकती हो ? क्या तुम में इतनी भी समझदारी नहीं है ?’


“पर तुम अजनबी नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,हम तो एक दूसरे को जानते है ना”,जिया ने मासूमियत से कहा
“इसका मतलब ये नहीं है कि आधी रात में तुम मुझे अपने कमरे में आने को कहो”,ईशान ने जिया को घूरते हुए कहा
“हाहहहह क्या तुम्हे लगता है मैं तुम्हारा फायदा उठा लुंगी,,,,,,,,,,,,मैंने बस उस दिन तुम्हारे घर से वो बिस्किट खाये इसके अलावा कोई फायदा नहीं उठाया”,जिया ने कहा


“ओह्ह तो वो जार तुमने खाली किया ,, वो मैंने अपने लिए रखे थे।”,ईशान ने कहा
“तो क्या अब तुम्हे मुझसे उनके पैसे चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम उन बिस्किट के बदले में मेरे घर क्यों नहीं रुक जाते ? इस से मेरा गिल्ट भी कम हो जायेगा और तुम्हारे बिस्किट की भरपाई भी,,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने आँखे मिचमिचाते हुए कहा
“आह तुम सच में पागल हो,,,,,,,!!”,ईशान ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा  

सोफी ने देखा जिया कमरे में नहीं है तो वह खिड़की के पास आयी और नीचे झाँका तो उसे जिया दिखाई दी। सोफी ने धीमी आवाज में कहा,”हे जिया इतनी रात में तुम वहा क्या कर रही हो ? ऊपर आ जाओ लिली आंटी ने तुम्हे बाहर देखा तो गुस्सा होंगी,,,,,,,,,,,और ये तुम्हारे साथ में कौन है ?”
“ओह्ह्ह लगता है सोफी ने हमे देख लिया,,,,,,,,,,तुम्हे यहाँ रुक जाना चाहिए , तुम चाहो तो सुबह चले जाना नया घर ढूंढने,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने कहा


“नहीं तुम्हारा शुक्रिया !!”,ईशान ने कहा और आगे बढ़ गया
“वैसे लिली आंटी कहती है यहाँ से आगे जाने वाला रास्ता काफी सुनसान है और इस वक्त वहा बुरी आत्माये भी घूमती है। अपना ख्याल रखना”,जिया ने थोड़ा ऊँची आवाज में कहा जिसे सुनकर ईशान के कदम ठिठके। ईशान इन दिनों काफी परेशानियों में घिरा हुआ था वह अपनी जिंदगी में और परेशानी नहीं चाहता था इसलिए वापस आया और कहा,”क्या मैं आज रात यहाँ रुक सकता हूँ ?”


“हाँ क्यों नहीं ? चलो !”,जिया ने खुश होकर कहा और ईशान को लेकर दरवाजे के पास चली आयी। जिया ने होंठो पर ऊँगली रखकर ईशान को चुप रहने का इशारा किया और उसे अपने पीछे आने को कहा। जिया नहीं चाहती थी लिली आंटी ईशान को देखे और उसे वहा आने से मना कर दे। जिया चुपचाप ईशान को लेकर अंदर आ ही रही थी कि तभी उसकी नजर सामने पड़ी लिली एंटी उसे ही घूरकर देख रही थी।


लिली आंटी को देखकर ईशान और जिया दोनों रुक गए। जिया अब कौनसा नाटक करने वाली है सोचकर ही ईशान मन ही मन परेशान होने लगा

लिली आंटी को देखकर जिया मुस्करायी। वह कुछ कहती इस से पहले ही लिली आंटी ने कहा,”इस वक्त कहा से आ रही हो तुम ? और तुम्हारे साथ ये लड़का कौंन है ?”
“अह्ह्ह्हह लिली आंटी ये,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये लड़का,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए जिया ने जैसे ही सीढ़ियों की तरफ देखा उसे सोफी आती दिखाई दी और उसने जल्दबाजी में कहा,”ये लड़का भाई का सोफी है,,,,,,,,,,,!!”


लिली आंटी ने सूना तो वह हैरानी से देखने लगी और सोफी ईशान ने अपना सर पीट लिया
‘क्या ? क्या कहा तुमने ?”,लिली आंटी ने पूछा
“मतलब ये सोफ़ी का भाई है,,,,,,,,,,,,,,,आज ही गांव से आया है बेचारा लेट हो गया तो यहाँ चला आया।”,जिया ने झूठी कहानी सुनाते हुए कहा
सोफी ने सूना तो हैरानी से जिया को देखने लगी। जिया ने तो सच में ईशान को उसका भाई बना दिया


“वो सब ठीक है लेकिन तुम्हे पता है ना इस घर में लड़को का आना मना है,,,,,,,,,,,,,,इस से कहो ये बाहर कही होटल में रुक जाएगा”,लिली आंटी ने कठोरता से कहा तो जिया का मुंह बन गया और उसने कहा,”ओह्ह्ह लिली आंटी आप कितनी बेरहम है , इतनी रात में ऐसी ठंड में ये बेचारा कहा जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,जरा इसकी शक्ल देखिये इसे देखकर कही से भी लगता है इसके पास इतने पैसे होंगे कि ये अपने लिए होटल में कमरा ले सके। प्लीज लिली आंटी आज आज इसे यहाँ रुकने दीजिये ना।”


जिया की बाते सुनकर सोफी ने जिया की टांग खींचते हुए कहा,”हाँ लिली आंटी जिया सही कह रही है ये इस वक्त कहा जाएगा , आज रात इसे यहाँ रुकने दीजिये ना वैसे भी मेरा भाई जिया का भा,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
जिया ने जैसे ही सोफी की बात सुनी उसकी बात पूरी होने से पहले ही जिया ने थोड़ा तेज आवाज में कहा,”लिली आंटी आपकी बिरयानी तैयार हुई या नहीं ? मुझे लगता है वो जल गयी है,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


“ओह्ह्ह जीसस मैं देखकर आती हूँ , सोफी तुम्हारा भाई आज रात यहाँ रुक सकता है लेकिन कल ये अपने लिए घर ढूंढ ले तो बेहतर है।”,लिली आंटी ने कहा और चली गयी।
उनके जाते ही जिया पलटी और सोफी की बांह पर मुक्का मार फुसफुसाते हुए कहा,”क्या तुम इसे मेरा भाई बताने वाली थी , कितनी बुरी हो ना तुम।”


सोफी ने जिया की बात का जवाब नहीं दिया और ईशान की तरफ पलटकर कहा,”भैया आप ऊपर कमरे में चलकर आराम कीजिये मैं जरा आती हूँ।”
ईशान ने सूना तो उसे लगा जैसे सोफी उसे ताना मार रही है। उसने अपना बैग उठाया और ऊपर कमरे मे चला आया।

छोटा सा कमरा लेकिन काफी प्यारा था। ईशान ने सूटकेस साइड में रखा और अपनी पीठ से बैग उतारकर बिस्तर पर रख दिया। वह खुद भी बिस्तर पर आ बैठा। दिवार पर सोफी और जिया की कुछ तस्वीरें लगी हुई थी। ईशान ने देखा उन सब तस्वीरो में एक चीज कॉमन थी और वो थी जिया की आँखों की चमक और उसकी प्यारी सी स्माइल,,,,,,,,,,,,,,,!


ईशान की आँखों के सामने जिया से मुलाकात के पल आने लगे। जिया जब भी उसके सामने आती हमेशा स्माइल करती रहती थी और ईशान हमेशा उस से रखा बर्ताव करता रहता था। ईशान बीते वक्त के बारे में सोचने लगा और फिर एकदम से उसे माया की याद आ गयी।  
 जिया और सोफी नीचे खड़ी एक दूसरे से बहस कर रही थी।


“उस दिन मैंने उसे भाई जैसा क्या कहा तुमने तो सच में उसे मेरा भाई बना दिया।”,सोफी ने कहा
“तो तुम क्या चाहती हो मैं उसे अपना भाई बना लू,,,,,,,,,,,,,,,,हरगिज नहीं,,,,,,,,,,,,!!”,जिया ने मुंह बनाते हुए कहा
जिया और सोफी बहस कर ही रही थी कि लिली आंटी आयी और प्लेट सोफी की तरफ बढाकर कहा,”ये लो ये तैयार है,,,,,,,,,!!”


जिया ने जल्दी से ढक्कन हटाया और बिरयाँनी की महक लेते हुए कहा,”आह्ह्ह ये काफी खुशबूदार है,,,,,,,,,,,,,इतना ही टेस्टी भी होगा।”
जिया ने वही खड़े खड़े हाथ बढाकर जैसे ही निवाला उठाना चाहा लिली आंटी ने उसके हाथ पर मारते हुए कहा,”इसे ऊपर लेकर जाओ और बैठकर खाओ और हाँ सोफी इसमें मैंने थोड़ा तुम्हारे भाई के लिए भी रखा है।”
“थैंक्यू आंटी,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए जिया और सोफी ऊपर चली आयी।

जिया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था आज ईशान उसके साथ था। कमरे में आते ही उसने सोफी के हाथ से प्लेट ली और कहा,”तुम्हे नहीं लगता मुझे उसके सामने थोड़ा इम्प्रेशन जमाना चाहिए।”
सोफी ने सूना तो अपने कंधे उचका दिए। जिया पूरी प्लेट लेकर ईशान के सामने आयी और कहा,”हे क्या तुम ये खाना चाहोगे ? ये लिली आंटी ने बनाया है और मुझे लगता है तुम्हे भूख लगी होगी।”


जिया नहीं जानती थी कि ईशान को बिरयानी बहुत पसंद है। उसने प्लेट उठाया और खाने लगा। ईशान ख़ामोशी से बिरयानी खाने लगा ,बेचारी सोफी और जिया इंतजार में थे की ईशान उन दोनों से भी पूछेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और दोनों उसका मुँह तकते रही,,,,,,,,,,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल  

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