मनमर्जियाँ – 1
Manmarjiyan – 1
“मनमर्जियाँ”
By Sanjana Kirodiwal
कानपूर शहर , आनंद मिश्रा जी का घर
आनदं मिश्रा कानपूर के जाने माने कपड़ो के व्यापारी है। कानपूर के मेन बाजार में उनका खुद का कपड़ो बड़ा शोरूम है जिसे वह 15 लोगो के स्टाफ के साथ सम्हालते है। घर में उनकी बुजुर्ग माताजी है , धर्मपत्नी सरिता जी है , एक बेटा है और एक बेटी है , दो मंजिला अच्छा मकान जिसमे सारी सुख सुविधाएं है , 5 लोगो का छोटा सा सुखी परिवार है। सुबह के 8 बज रहे थे आनंद मिश्रा जी नहा-धोकर पूजा पाठ में लगे थे , मिश्राइन घर के कामो में लगी थी साथ ही रसोई में काम करने वाली लाजो को बताती जा रही थी की आज नाश्ते में क्या बनेगा ? , लाजो पिछले 5 सालो से मिश्रा जी के घर में ही काम कर रही है , खाना बनाने में वह बहुत ही अच्छी है। दादी अपने कमरे में थी और मिश्रा जी की बेटी “वैदिका” अपने कॉलेज जाने की तैयारी में लगी थी , घर में सब उसे वैदि ही बुलाते थे । पूजा पाठ करके मिश्रा जी नाश्ते के लिए आ बैठे। नाश्ते में मिश्राइन ने आज उत्पम बनवाया था साथ में सांभर , मिश्रा जी ने भगवान को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और खाने लगे , कुछ देर बाद वैदि भी चली आयी और आकर नाश्ता करने लगी। मिश्राइन ने लाजो के हाथ अपनी सास के लिए भी सुबह का नाश्ता भिजवा दिया और खुद बैठकर मिश्रा जी को परोसने लगी। सभी नाश्ता कर ही रहे थे की बाहर से “गोलू” आया और कहा,”अरे , वैदि गुड्डू भैया कहा है ?”
“अभी सुबह कहा हुई है जनाब की ? खटिया तोड़ रहे होंगे ऊपर”,मिश्रा जी ने खाते हुए कहा
गोलू सीढ़ियों की और बढ़ गया , ऊपर आकर देखा गुड्डू कही नहीं दिखा। लाजो झाड़ू लगाते दिख गयी तो गोलू रुककर उसे निहारने लगा। जैसे ही लाजो की नजर गोलू पर पड़ी तो उसने गोलू को फटकारते हुए कहा,”का देख रहे हो ? शर्म नहीं आती लड़की लोगन को ऐसे घूरते हुए , रुको अभी जाकर मिश्रा जी से तुमई शिकायत करते है।”
“अरे लाजो लाजो लाजो , हम तो बस ऐसे ही गुड्डू भैया को ढूंढ रहे थे , तुम जो सोच रही हो वैसा कछु नहीं है”,गोलू ने डरते हुए कहा
“हम सब समझते है गोलू गुप्ता तुमको का लगता है तुम्हारी मेंढक जैसी आँखों के पीछे जो ठरक छुपी है हम देख नहीं पाएंगे”,लाजो ने कहा तो गोलू ने लाजो के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा,”अरे दीदी माफ़ी देइ दयो , आज के बाद तुमको तो का मोहल्ले की किसी लड़की को नहीं देखंगे”
“एक शर्त पर माफ़ करेंगे”,लाजो ने थोड़ा पिघलते हुए कहा
“का ?”,गोलू ने कहा
“शाम को हमारे लिए पपडी चाट लानी होगी”,लाजो ने मुंह में पानी लाते हुए कहा
“ठीक है ला देंगे , बस गुड्डू के बाप से कुछ मत कहना वरना पिपरी बजा देंगे हमाई”,गोलू ने कहा
“ठीक है नहीं कहेंगे”,कहकर लाजो जाने लगी तो गोलू ने कहा,”अच्छा सुनो , गुड्डू भैया कहा है इह तो बताती जाओ”
“ऊपर छत पर सो रहे होंगे”,कहकर लाजो वहा से चली गयी। गोलू एक बार फिर बड़बड़ाते हुए सीढ़ियों की और बढ़ गया , चलते चलते उसको ठोकर लगी उसने कहा,”पता नहीं सुबह सुबह किसका चेहरा देखे रहे ?”
गोलू ऊपर आया देखा गुड्डू आराम से सो रहा था , जींस और ब्लैक रंग की सेंडो पहने गुड्डू बिस्तर पर उल्टा लेटा था , उसकी सेंडो से झलकते उसकी पीठ के उभार काफी आकर्षक लग रहे थे। उसका गोरा रंग सुबह के समय और गोरा दिखाई देता था ,उसके बाल बिखर कर आँखों तक आ रहे थे और वह बड़े ही आराम से तकिये को अपने आगोश में लिए सो रहा था। गोलू उसके पास आया और कहा,”गुड्डू भैया , ओह्ह्ह गुड्डू भैया अरे उठ जाओ दादा सूरज निकल आया है”
गोलू की आवाज सुनकर गुड्डू ने करवट बदली और दूसरी और मुंह करके सो गया। गुड्डू की इस हरकत पर गोलू उसकी बगल में बैठा और गाल थपियाते हुए कहा,”गुड्डू भैया ओह्ह गुड्डू भैया”
गुड्डू जो की नींद में था गोलू का हाथ पकड़कर बड़बड़ाया,”का पिंकिया तुमरा हाथ इतना सख्त काहे हो गया है , गाल से लगायी हो तो लग रहा है साला हल चला दी हो”
गोलू ने जब सूना की गुड्डू नींद में उसे पिंकी समझ रहा है तो उसने अपना हाथ खिंचा और कहा,”अरे का कर रहे हो भैया ? पिंकी और पिंकेश में फर्क नहीं ना नजर आता तुमको”
गोलू की आवाज सुनकर गुड्डू उठा और कहा,”अरे गोलुआ सुबह सुबह हिया का कर रहे हो तुम ?”
“भैया जल्दी चलो मैच शुरू होने वाला है”,गोलू ने कहा
“कौनसा मैच ? हमहु कोई मैच वैच खेलने नहीं जा रहे सोने दो हमको”,गुड्डू ने कहा और जैसे ही तकिया लेकर सोने को हुआ गोलू ने उस से तकिया छीनते हुए कहा,”का भैया तुमाई वजह से 500 रूपये की शर्त लगी है , चलो ना यार”
“सुबह सुबह आके सारा मूड खराब कर दिए हो यार तुम , कहा हम पिंकिया के सपने देखे रहे और तुम हो के भक्क साला”,गुड्डू ने अंगड़ाई लेते हुए कहा
“अरे भैया तुम चलो तो मूड ठीक कर देंगे तुम्हारा”,गोलू ने कहा तो गुड्डू ने तार पर रखी अपनी टीशर्ट उठायी और पहनते हुए कहा,”दोस्ती की वजह से जा रहे है इह ना समझना 500 रूपये के लालच में जा रहे है”
“अरे भैया कोई भी वजह हो तुम चलो तो सही !”,कहते हुए गोलू गुड्डू के पीछे पीछे सीढ़ियों की और बढ़ गया !
दोनों नीचे आये , गुड्डू ने अपनी बुलेट की चाबी उठायी और गोलू के साथ जैसे ही मिश्रा जी के सामने से गुजरा मिश्रा जी ने कहा,”सुबह सुबह कहा जा रहे बमपिलाट होय के ?”
“मर गए मिश्रा जी को भी अभी टोकना था”,गोलू ने मन ही मन कहा और फिर मिश्रा जी की और पलटकर दाँत दिखाते हुए कहा,”हीहीहीही चच्चा वो घर में कोनो जरुरी काम हो गवा बस उसी के खातिर भैया को साथ लेकर जा रहे”
मिश्रा जी नाश्ता करके उठे ही थे उन्होंने कुल्ला करते हुए कहा,”देखो बेटा ऐसा है जिस स्कूल में तुम पढ़े हो ना वहा के मास्टर रह चुके है हम , सुबह सुबह रंगबाजी करने निकले हो”
“अरे नहीं पिताजी , मैच है उसी के लिए जा रहे है”,गुड्डू ने कहा
“बेटा मैच वैच से ध्यान हटे तो थोड़ा ध्यान पढाई पर भी लगाय ल्यो अगले महीने इम्तिहान है तुम्हारे , इस बार गड़बड़ हुई ना तो कॉलेज छोड़ के शोरूम पर आ जाना , हमाये पास कुबेर का खजाना नहीं रखा है जो तुम्हाई पढाई पर बर्बाद करेंगे”,मिश्रा जी ने कहा तो गुड्डू निचे देखने लगा और बड़बड़ाया,”सुबह सुबह इनके लेक्चर सुरु”
“मिश्राइन हम जा रहे है शोरूम और लड़के को भेजेंगे टिफिन भिजवा दीजियेगा उनके साथ”,कहकर मिश्रा जी स्कूटी लेकर वहा से चले गए।
उनके जाने के बाद गुड्डू और गोलू जाने लगे तो मिश्राइन ने कहा,”अरे गुडडुआ नाश्ता तो करते जाओ”
“अभी पिताजी थोड़ी देर पहले ही तो करवाए है”,गुड्डे ने भुनभुनाते हुए कहा
“अरे मिश्रा जी की तो आदत है , तुम काहे उनकी बात का बुरा मान रहे चलो आओ आकर नाश्ता कर लो”,मिश्राइन ने कहा
“हमे नहीं खाना”,कहकर गुड्डू ने अपनी बाइक स्टार्ट की और गोलू के साथ वहा से निकल गया !
गुड्डू और गोलू मैदान में पहुंचे जहा मैच होना था , उनकी बाकि की टीम पहले से वहा मौजूद थी। दोनों टीम के बीच टॉस हुआ और खेल शुरू हुआ। सबसे पहले सामने वाली टीम की बारी थी उन्होंने काफी अच्छा खेला और रन भी अच्छे बनाये। सामने वाली टीम ने 210 रन बनाये थे , अब गुड्डू की टीम को जितने के लिए चाहिए थे 211 रन ,, कड़ी मेहनत के बाद गुड्डू की टीम पहुंची 205 पर , लास्ट ओवर जिसकी 3 बॉल बची थी जितने के लिए गुड्डू की टीम को अब चाहिए थे 6 रन ,, सबकी उम्मीद अब गुड्डू से जुडी थी। गुड्डू की नजर सामने बॉलर पर थी और उसने अपने मन में तय कर लिया की उसे जीतना ही जीतना है , उसकी टीम के लड़के उसे चीयर अप कर रहे थे। पहली बॉल पर गुड्डू ने शॉट मारा लेकिन बॉल ज्यादा दूर नहीं गयी वह रन ले पाता इस से पहले ही बॉल वापस आयी और गुड्डू को वापस जाना पड़ा। दूसरी बॉल भी ऐसे ही चली गयी। आखरी बॉल और 6 रन अब तो सबकी नजर गुड्डू पर ही थी , गुड्डू ने भी नजरे बॉल पर जमा ली। जैसे ही बॉलर ने बॉल फेंकी गुड्डू की नजर सामने गली से गुजरती पिंकी पर चली गयी , बॉल सीधा जाकर स्टम्प पर लगी और दूसरी टीम चिल्लाई,”आऊट है !”
गोलू शर्त के 500 रूपये हार गया , गुड्डू की नजरे तो बस पिंकी पर टिकी हुयी थी और जैसे ही पिंकी ने पलटकर देखा गुड्डू के दिल की धड़कने बढ़ गयी। गोलू आया और गुड्डू को सुनाने लगा , गुड्डू ने उसकी गर्दन पर हाथ रखा और उसे साइड किया , उसकी नजरे बस सामने देखे जा रही थी , पिंकी जबी आँखों से ओझल हुई तब गुड्डू को होश आया। उसने देखा गोलू रोनी सी सूरत बनाकर बैठा है तो गुड्डू उसके पास आया और कहा,”का हुआ ? जीत गए”
“घंटा जीते हो , साला इतने लोगो के सामने हमाई बेइज्जती करवा दी , ऐसा का दिख गया तुमको ?”,गोलू ने पूछा
“अबे , पिंकिया दिख गयी थी , पिंक कलर के सूट में बिल्कुल स्ट्राबेरी लग रही थे बे”,गुड्डू ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“तुम्हारी स्ट्राबेरी के चक्कर में उह सब मिलके हमारे बेर बिखेर के चले गए , आज के बाद कोई मैच नहीं खेलेंगे तुम्हारे साथ”,कहकर गोलू वहा से चला गया
“अरे गोलुआ सुनो तो भाई , अरे सॉरी,,,,,,,,,,,,,,,,,अबे कहा जा रहे हो बे इरोप्लेन बनके,,,,,,,,,,,,रुक जाओ तनिक”,कहते कहते गुड्डू उसके पीछे आया लेकिन गोलू चला गया ! गुड्डू ने बेट लड़को को दिया और खुद अपनी बुलेट लेकर वहा से निकल गया। उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी सुबह सुबह उसने पिंकी का चेहरा जो देख लिया
“पिंकी शर्मा” मोहल्ले का चर्चित नाम , गुड्डू के मोहल्ले से कुछ दूर दूसरे मोहल्ले में सबसे आखरी मकान जुगल किशोर शर्मा का ही था और पिंकी उनकी लाड़ली बेटी , खूबसूरत इतनी की कोई देखे तो बस देखता ही रह जाये , मोहल्ले के हर लड़के की नजर थी पिंकी पर लेकिन पिंकी किसी को घास तक नहीं डालती थी , गुड्डू भी पिंकी को पसंद करता था लेकिन आज तक उसकी पिंकी से बात करने की हिम्मत नहीं हुई , हालाँकि गुड्डू भी बहुत सुन्दर था , उसकी भूरी आँखे , गठीला बदन , सुन्दर नैन नक्श देखकर कई लड़कियों के प्रपोजल आये लेकिन गुड्डू की नजरो को तो लड़ना था पिंकी से , पिछले 3 साल से वह पिंकी के सपने देख रहा था , कॉलेज जाने का सीधा रास्ता था लेकिन गुड्डू उसके घर के सामने से निकलता था ताकि उसे देख सके , हफ्ते में एक आध बार पिंकी उसे दिख ही जाया करती थी। आज भी घर जाने के लिए के वह उसी गली से निकला लेकिन जैसे ही पिंकी के घर से सामने से गुजरा दरवाजे पर जुगल शर्मा मिल गए और गुड्डू को जल्दी से वहा से निकलना पड़ा नुक्कड़ पर पहुंचकर आगे निकला और थोड़ा वापस पीछे आया , गुड्डू ने एक आसभरी नजर से पिंकी के घर की बालकनी की और देखा , कुछ सेकेण्ड बाद ही पिंकी बाल सुखाते हुए बालकनी में आयी ,,, गुड्डू की नजरे एक बार फिर उस पर जम सी गयी , पिंकी ने उस पर ध्यान ही नहीं दिया और अपने बालो को सुखाती रही और कुछ देर बाद अंदर चली गयी , पिंकी के जाते ही गुड्डू भी वहा से निकल गया !!
घर आकर गुड्डू सीधा दादी के कमरे में आया और उनकी गोद में लेटते हुए कहा,”और बुढ़ऊ कैसी हो ?”
“मैं ठीक हूँ तू सुबह सुबह अपनी फटफटिया के साथ कहा से आया है ?”,दादी ने कहा
“अरे हमहू चाँद देखने गए थे”,गुड्डू ने मुस्कुरा कर कहा तो दादी सोच में पड़ गयी और कहा,”चाँद ? दिन में कोनसा चाँद निकली है गुडुआ , तुम का हमको पागल समझ रहे हो”
“अरे बूढ़ा तुमको नाही पता , तुम जाय दयो”,कहते हुए गुड्डू उठा और जाने लगा तो दादी ने पूछा,”अब कहा चले ?”
“अरे नहाने जा रहे है कॉलेज भी तो जाना है , इम्तिहान देने है सुनी हो ना सुबह बड़का मिश्रा का कहे थे”,गुड्डू ने कहा
“अरे उह्ह तो ऐसे हो बकत रहे , पढाई करके उह्ह कौनसा झंडे गाड़ लिए कानपूर मा ,,, हमय पुरो भरोसा है तुमपे इह बार पास हो जाई हो तुम”,दादी ने जैसे ही कहा उधर से गुजरते हुए लाजो छींक दी।
“लो लग गया तुम्हारा आशीर्वाद बुढऊ”,कहते हुए गुड्डू वहा से चला गया नहाकर अपने कमरे में आया देखा घडी में 11 बज रहे है , देखकर गुड्डू ने खुद से कहा,”अब जा के क्या करेंगे ? आज आज रेस्ट कर लेते है।”
वह बिस्तर पर आकर गिर गया और सो गया। गुड्डू को दो चीजों से बहुत प्यार था एक सोने से दुसरा अपनी बाइक से। लड़को को वैसे भी अपनी बाइक्स से बहुत लगाव रहता है गुड्डू का भी यही हाल था। वह बेपरवाह सो रहा था। दोपहर बाद उठा और उठकर नीचे आकर कहा,”अरे अम्मा (माँ) खाना लगाय दयो”
मिश्राइन ने लाजो से कहकर गुड्डू के लिए खाना लगवा दिया। गुड्डू खाने लगा कुछ देर बाद मिश्राइन आकर बैठी और कहने लगी,”गुड्डू आज शाम को बगल वाले गुप्ता के पोते का जन्मदिन है , पहला जन्मदिन है इसलिए बड़ा फंक्शन कर रहे है इसलिए तुम मेरे साथ चलना”
“हम कही बड्डे वड्डे में नहीं जा रहे है , आप वेदी को ले जाना”,गुड्डू ने खाते हुए कहा
“अरे वेदी तो जाएगी ही पर तू भी चलना , गुप्ता भाईसाहब ने कहा है तुम्हे साथ लेकर आने को और सोनू भैया ने भी ,, चुपचाप चलना”,मिश्राइन ने कहा
“लेकिन हम का करेंगे हुआ जाकर , बड्डे ही तो है कौनसा नामकरण हमे करना है वहा जाकर”,गुड्डू ने कहा
“देखो गुडुआ जियादा जिदियाओ नहीं , जाना तो पडेगा”,मिश्राइन ने फरमान सुनाते हुए कहा तो लाजो गुड्डू का मुंह देखकर हंस पड़ी। खाना खाकर गुड्डू वही निचे बैठकर टीवी देखने लगा। कुछ देर बाद शोरूम से फोन आया और मिश्राइन ने टिफिन गुड्डू के सामने रखकर कहा,”अपने पिताजी के लिए टिफिन लेकर जाओ , आज शोरूम में भीड़ बहुत है लड़का नहीं आ पायेगा”
“हम नहीं जा रहे , पिताजी आज आज बाहर से खा लेंगे”,गुड्डू ने अपनी फेवरेट मूवी “रांझणा” देखते हुए कहा
“गुड्डू तुमको पता है ना तुम्हाये पिताजी घर के खाने के अलावा और कुछ नहीं खाते है , जाकर इह टिफिन देकर आओ”,मिश्राइन कहकर चली गयी। गुड्डू मन मारकर उठा और टिफिन को अपनी बाइक के हेंडल में लटकाया और घर से निकल गया। कुछ देर बाद शोरूम के सामने पहुंचा और टिफिन लेकर अंदर आया।
काउंटर पर मिश्रा जी हिसाब किताब में लगे थे , गुड्डू ने जैसे ही टिफिन उनको दिया मिश्रा जी ने कहा,”तुम यहाँ बैठो हम खाना खाकर आते है , जब तक आये नहीं हिलना मत यहाँ से”
“ठीक है”,गुड्डू बेमन से आकर केश काउंटर पर बैठ गया ! मिश्रा जी अंदर खाना खाने चले गए , गुड्डू वही बैठकर उनके आने का इंतजार करने लगा तभी उसकी नजर दरवाजे के बाहर गयी और उसे दिखी पिंकी , पिंकी अपनी सहेली के साथ वहा आस पास की दुकानों को ही देख रही थी गुड्डू ने मन ही मन भगवान से दुआ की और कहा,”प्लीज प्लीज भगवान इसे हमारी दुकान में भेज दो”
भगवान ने गुड्डू की सुन ली और पिंकी अपनी सहेली के साथ उसी शोरूम में चली आयी। जैसे ही पिंकी अंदर आयी गुड्डू का दिल फिर से धड़कने लगा। वह काउंटर के पास खड़े होकर पिंकी को देखने लगा। पिंकी ने अपने लिए दो कुर्ती पसंद की और लेकर गुड्डू के पास आयी और कहा,”इनके कितने पैसे हुए ?”
“फ्री है”,गुड्डू के मुंह से निकला तो आस पास खड़ा स्टाफ उसकी और देखने लगा
“फ्री है ? मतलब इसका पैसा नहीं चाहिए तुमको ?”,पिंकी की सहेली ने कहा लेकिन गुड्डू तो जैसे खो सा गया था पहली बार पिंकी को इतने करीब से देख रहा था इसलिए कहा,”हां फ्री है , वो शोरूम में सेल चल रहा है आप लकी कस्टमर है इसलिए ये सब आपको फ्री मिला है”
गुड्डू की बात पर पिंकी ने उसे हैरानी से देखा लेकिन उसकी सहेली ने चहकते हुए कहा,”वाह यार आज तो मजा आ गया , लकी कस्टमर”
“गुड्डू भैया क्या कर रहे हो ? मालिक को पता चलेगा तो सबकी क्लास लगा देंगे”,वहा काम करने वाले लड़के ने गुड्डू को साइड में लाकर कहा
“उनको कौन बताएगा ? और तुम बताये ना तो बेटा तोड़ देंगे तुमको चुपचाप जाकर उनको अटेंड करो”,गुड्डू ने कहा
“ठीक है भैया !”,लड़के ने कहा और पिंकी के पास आकर कहा,”लाईये हमे दीजिये पैक कर देते है”
पिंकी ने दोनों कुर्ती लड़के को दे दी लड़के ने दोनों को केरी बैग में डाला और पिंकी को पकड़ा दिया। पिंकी ने कुर्ती ली और गुड्डू से कहा,”थैंक्यू !”
गुड्डू को और क्या चाहिए था पिंकी वहा से चली गयी और कुछ देर बाद मिश्रा जी ने आये तो लड़के ने उन्हें बता दिया की गुड्डू ने किसी को फ्री में दो कुर्ती दे दी है। मिश्रा जी ने जैसे ही सूना गुड्डू के पास आये और कहा,”कहो तो शोरूम के पेपर देई दे तुम्हे उह्ह भी बाँट दो फ्री में , हम एक एक पैसा जोड़ के इह शोरूम खड़ा किये है और तुम हो की फ्री में लुटाने पर तुले हो”
“अरे पिताजी उह्ह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहना चाहा तो मिश्रा जी ने कहा,”घर के लिए निकलो शाम को बात करते है”
गुड्डू वहा से निकल गया , उसे पिताजी की डांट से ज्यादा पिंकी के थैंक्यू बोलने की ख़ुशी थी ,, बाइक को स्पीड में दौड़ाते हुए वह घर की और निकल गया !
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क्रमश – manmarjiyan-2
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संजना किरोड़ीवाल !
Bhut hi khoobsurat starting h maam mazaa aa gya guddu bhaiya to kamaal h pinki ko kurti free m de di ab ghr jaakr mishra ji bura haal krne wale h mazaa ayega kl k part m intezaar rahega
Kaafi achi story likhi h aapne .
Very beautiful kanpur ka pura bhasha aapne bhut acche se utara hai
Mjaa aa gya…kanpur language me to vese b bat hi alg hoti hh 😍😍😍 superb starting 👌👌
Beautiful story
गुड्डू और पिंकी की लव स्टोरी… पढ़ने में भी खूब मजा आने वाला है…नेक्स्ट पार्ट में गुड्डू की अच्छी खूप सी क्लास लगेगी…मुफ्त में कुर्ती देने के लिए…लेकिन ये पिंकी सच में कुछ भाव नही देती क्या गुड्डू को…और गोलू लाजो पे लाइन मार रहा है…कसम से बड़ा मजा आएगा इस कहानी को पढ़ने में…नेक्स्ट पार्ट का वेट है…संजना जी क्या रोज इसके पार्ट अपलोड करेगी आप
Ho gya bantadhar 😁😁😁😂 Guddu bhai free me shaam ko Mishra ji class lagayege 😂😂😂.supr di 👌
Nice starting
Ka gajab… Shuruwaat….. Mazaa aa gaya…. Ab dekhenge guddu aur pinki ki love story…😍😍😍😍😍
Mam fir se notification problem h
Nice👏
Such a nice start.😊😊
बहुत ही बढ़िया लगा यह लव स्टोरी पढ़कर अगले पार्ट का इंतज़ार रहेगा….🌹🌹🌹🌹
Nice beginning…🥰😍
मैम ये गुड्डू और पिंकी की मनमर्जियां बहुत ही धांसू हैं…और कनपुरिया स्टाईल सोने पर सोहागा जैसे हैं😊 superb start👌👌👌👌
Oye,,,hoye,,,,, guddu jii…k to kya kehne katai jeher,,,,lge hume to ar ye pinki kitni buddhu h kya use guddu k nazron me apne liye pyar nii dikhata???
gajab 🥰
Bahut hi achi story hai Pinki aur Guddu ki ab aage pata chalega ki Mishra jii kya chal machate hai
Nice story mam Pinki aur Guddu ki
Nice
कहानी तो आप बहोत ही बढ़िया लिखती है लगता है जैसे हम उस कहानी को अपनी आँखो के सामने देख रहे हो या यु कहिये की खुद जी रहे है आपने अपनी नई कहानी कनपुरिया स्टाइल मे लिख रही है तो थोड़ा कनपुरिया भाषा और अच्छे से लिखेंगी तो कहानी मे चार चाँद लग जायेंगे !
मै आपकी कहानी मे कोई ऐब नहीं निकाल रहा हू
आप हमेशा बहोत बढ़िया लिखती है आगे और भी अच्छी कहानियाँ लिखें हमारी तरफ से आपको बहोत सारी सुभकामनाये धन्यवाद
Awesome blossom starting.. bhai maja aai gava.. uhh guddu to sasura bavra bn k baitha hain pinkiya ke pyar ma.. eagerly waiting for next part
Awesome blossom starting.. bhai maja aai gava.. uhh guddu to sasura bavra bn k baitha hain pinkiya ke pyar ma..
Bht acha ma’am ab ranjhana ke baad koi toh dusri achi story likhi aapne aapke story mtlb bht badhiya 😍😍😍
Nice one
Sanjanaji Notification problem aa rahi hain isliye padh nahi paa rahe hain
Superb
Yeh story bahut hi achhi lag rahi hai didi ji.