मेरी आख़री मोहब्बत – 6
Meri Aakhari Mohabbat – 6
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Meri Aakhari Mohabbat – 6
पाखी ने जैसा सोचा था वैसा कुछ नही हुआ उसके साथ , विनीत के पास उसके लिए वक्त ही नहीं होता था l
कुछ महीने ससुराल में गुजारने के बाद पाखी ने अपने मायके जाने की बात कही तो विनीत कुछ दिनों के लिए पाखी को उसकी माँ के घर छोड़ आया !! घरवालों से मिलकर पाखी का चेहरा एक बार के लिए खिल गया , वो ससुराल की सारी कड़वी बाते भूल गयी ,, सब पाखी के आने से खुश थे ,
माँ तो उसके लिए नया नया खाना बना रही थी .. कुछ दिन बाद अचनाक से पाखी की तबियत बिगड़ गयी , उसे उल्टिया होने लगी और सरदर्द भी हो रहा था
पाखी अपनी छोटी बहन के साथ डॉक्टर के पास गयी , डॉक्टर ने पाखी का चेक अप किया और पाखी के कुछ टेस्ट किये !!
रिजल्ट पॉजिटिव देख डॉक्टर ने कहा – तुम माँ बनने वाली हो , लेकिन तुम्हे अपना ध्या रखने की जरुरत है , बिलकुल स्ट्रेस नहीं लेना है और दवाईया टाइम पर लेनी है !!
पाखी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा , शादी के बाद आज वो पहली बार दिल से खुश थी वो बार बार अपने पेट को हाथ से छूकर देख रही थी ,, पाखी ने बहन को कुछ नहीं बताया और घर आ गयी वो सबसे पहले ये बात विनीत को बताना चाहती थी ,, शाम को उसने विनीत को फ़ो किया पाखी उसे कुछ बताती उस से पहले ही विनीत ने किसी बात को लेकर पाखी से झगड़ा कर लिया ….
पाखी रोने लगी , उसने फोन काट दिया !! और फिर से रोने लगी पाखी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर विनीत उस से चाहता क्या है !! उसका सर दुखने लगा उसने पास रखी सरदर्द की दवा खायी और आँख बंद कर लेट गयी पर नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी ,, वो बेचैनी से करवटे बदलने लगी , कुछ देर बाद उठी और सरदर्द की दवाईया और खा ली सो गयी सुबह उठी तो उसके पेट में बहुत दर्द हो रहा था
पाखी अकेले ही डॉक्टर के पास चली गयी डॉक्टर ने पाखी का चेक अप करने के बाद जो कहा पाखी उसे सुनकर सुन्न रह गयी एक पल के लिए उसे यकीं ही नहीं हुआ की ऐसा भी कुछ होगा ,, अब तक जिस बच्चे को लेकर वो सपने बुन रही थी वो पाखी की गलती के कारन टूट गए
पाखी का पहला बच्चा इस दुनिया में आने से पहले ही चला गया , वो उसके लिए खुद को दोषी मानने लगी जैसे तैसे वो घर पहुंची घर पर उसने किसी को इस बारे मे नहीं बताया , बस झूठी मुस्कान लेकर घूमती रही ,, एक माँ के लिए अपने बच्चे को खोना क्या होता है ये सिर्फ एक माँ ही जान सकती है .. अपने कमरे में आकर पाखी रोने लगी .. एक ख़ुशी का पल आया उसकी जिन्द्गी में और वो भी उसे दर्द दे गया ,, पाखी ने विनीत को मेसेज किया
“हमने आज हमारा पहला बच्चा खो दिया , तुम्हे किसी की परवाह नहीं है विनीत किसी की भी नहीं , और इसके लिए मैं तुम्हे कभी माफ नहीं करुँगी “
मेसेज करके पाखी फिर से रोने लगी , विनीत ने मेसेज पढते ही पाखी को फोन किया पाखी जोर जोर से रोने लगी .. विनित पाखी से अपनी गलती की माफ़ी माँगने लगा .. पाखी कुछ नहीं बोल पायी बस रोती रही !! पाखी कुछ दिन अपनी माँ के पास रही और फिर विनीत उसे लेंने आ गया … माँ पाखी का सामान जमाने लगी पाखी साड़ी पहन रही थी की अचानक उसकी आँखे भर आयी माँ ने जब पाखी को देखा तो प्यार से उसके हाथ अपने हाथो में लेकर बोली
– अगर जाने का मन नहीं है तो कुछ दिन और रुक जाओ , विनीत जी से मैं बात कर लुंगी !
पाखी ने अपनी आँखे पोछते हुए कहा – नहीं माँ एक न एक दिन तो जाना ही है , ….
कुछ देर बाद पाखी उदास चेहरा लिए वापस विनीत के साथ चली गयी l उस हादसे ने पाखी को अंदर तक तोड़कर रख दिया था ,, अब वो पहल से कई ज्यादा गुमसुम और चुप रहने लगी थी उस घर में उसकी सुनने वाला कोई नहीं था , वो बस घुटती रहती अकेले , बेवजह बेइंतहा !! और फिर उसने उसी को अपनी किस्मत मान लिया
बच्चे के जाने के बाद विनीत को कुछ खास फर्क नहीं पड़ा , वो अब भी पहले जैसे ही था , उसने नौकरी छोड़ दी और दोस्तों के साथ पूरा पूरा दिन घर से बाहर रहता , अब रोज शराब पिने लगा था , पाखी बस सब देख रही थी कुछ बोल नहीं पाती थी किसी को, और को उसकी सुनता भी नहीं
जैसे पाखी ने अपने पिता को बर्बाद होते देखा था , वैसे ही वो विनीत को अपनी आँखों के सामने बर्बाद होता देख रही थी .. पर कुछ नहीं कर पा रही थी , विनीत कर्ज में डूबा जा रहा था , कर्ज के चलते उसने पाखी के सब गहने गिरवी रख दिए ,, पाखी ने अपनी जॉब से कमाए पेसो में से कुछ सेविंग्स की थी ! एक दिन उसने विनीत से जाकर कहा
– विनीत मैने कुछ पैसे बचाये है जिनसे मैं अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहती हु ,, मैं एल एल बी करना चाहती हु विनीत ..
पाखी की बात सुनकर विनीत ने पाखी का मजाक उड़ाते हुए कहा – एल एल बी कोई बच्चो का खेल नहीं है , वैसे भी प्राइवेट जॉब का ही तुझे इतना घमंड है तो एल एल बी कर लोगी तो हम लोगो को तो कुछ समझोगी ही नहीं ,, घर में रहो और घर का काम करो इतना काफी है
विनीत की बाते सुन पाखी को विस्वास नहीं हुआ की ये वो ही विनीत है जो शादी से पहले उस से हजारो बड़े बड़े वादे करता था ,, पाखी की आँखे भर आयी वो अपने कमरे में चली गयी ..
उसका एक ही सपना था एक काबिल वकील बनना लेकिन विनीत ने उसके सब सपनो को अहंकार की ठोकर मार दी l पाखी और विनीत के बिच दूरिया बढ़ती जा रही थी .. वजह था विनीत का स्वभाव और उसकी सोच ,,
शादी को 1 साल हो गया था , अब पाखी की सास पाखी पर बच्चे के लिए दबाव बनाने लगी पाखी ने जब विनीत से इस बारे में कहां तो उसने ज्यादा धयान नहीं दिया , और हर बार बात को टाल देता .. पाखी की सास एक अंधविश्वासी महिला थी वो पाखी को कभी कही तो कभी कही लेकर जाती कभी घर में पूजा रख्वा लेती , उसे पाखी की परवाह नहीं थी उसे सिर्फ अपना वंश चलाने वाला चाहिए था l
विनीत घर एक औरत अक्सर आया जाया करती थी वो रिश्ते में विनीत की दूर की मौसी लगती थी , वो खुद को भगवान् की सेविका बताती थी , और लोगो की समस्या का समाधान बताती विनीत और उसकी माँ उस औरत को बहुत मानते थे , विनीत की माँ के कहने पर वो हमेशा पाखी को कुछ न कुछ प्रशाद के रूप में खाने को दिया करती थी , जिस से पाखी बीमार रहने लगी ,,
उसे तेज सर दर्द रहने लगा पर उसकी तकलीफ से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा … सास और ननद उसे कामचोर बताती और विनीत उसे वक्त नही था ये जानने का .. वो सारि सारी रात सो नहीं पाती ,,कई बार दर्द इतना तेज होता था की वो रो पड़ती ,, सारी रात करवटे बदलती रहती , विनीत मुँह फेरे सोया रहता ,,,
पाखी रात रात भर बाथरूम में जाकर पानी के नल के निचे बैठी रहती ,, एक महीने वो इस दर्द से झुंझती रही पर किसी ने ु पर धयान नहीं दिया ,, न ही उसकी कभी घरवालों को बताने की हिम्मत हुयी
जॉब पर जाना , वापस आकर घर का सारा काम करना बस अब यही उसकी दिनचर्या बन गयी थी , वो अपना ज्यादातर समय रसोईघर में बिताया करती थी ,, जबरदस्ती हसने के लिए अपन फोन में विडिओ चला कर देखती रहती
इधर कुछ दिनों से विनीत अन्धविश्वास के चलते एक बाबा के पास जाने लगा , विनीत के साथ साथ उसकी माँ भी उसके पास जाने लगी l विनीत और उसकी माँ ने एक फैसला किया जो की पाखी की जिंदगी का सबसे बड़ा यु टरन था , पाखी इन लोगो की सोच से अभी बिलकुल अनजान थी वो जानती ही नहीं थी की उसके अपने ही उसके लिए कोनसा खड्डा खोदने में लगे है
वो घटने वाला था जिसने पाखी की जिंदगी पूरी तरह बदल के रख दी
अगले दिन पाखी अपने ऑफिस चली गयी शाम को घर जाने से पहले विनीत का फोन आया की वो उसे लेने आ रहा है
पाखी के पूछने पर उसने कहा की मार्किट जाना है ,, पाखी ने विनीत की बात मान ली विनीत के साथ चली गयी ,, विनीत ने बाइक शहर के एक बड़े मंदिर के सामने रोक दी और पाखी को लेकर अंदर चल गया !!
पाखी बार बार पूछे जा रही थी – हम यहाँ क्यों आये है
विनीत ने कहा – क्युकी मम्मी भी यही है , तुम्हारी कुण्डली बनवानी है इसलिए
पाखी चुपचाप मंदिर को देखती रही ,, वो यहाँ पहले भी कई बार भगवन के दर्शन करने आ चुकी है लेकिन आज उसे अजीब लग रहा था , एक अनहोनी का डर , कुछ गलत होने का आभास ना जाने क्यों उसे बार बार हो रहा था , एक अजीब सी बेचैनी उसके मन में थी ..
पर वो चुपचाप अपनी जिज्ञाषा को दबाये वही खड़ी रही !!
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