Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी – 49

Shah Umair Ki Pari – 49

Shah Umair Ki Pari

Shah Umair Ki Pari – 49

दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-

उमैर का घर बहुत ही खूबसूरत मोतियों और चमेली के फूलों से सजाया हुआ रहता है। शाह ज़ैद अपने हाथों से अपने घर को अपने बेटे की शादी के ख़ुशी में सजाते है ! क़बीले के लोग नाचने गाने और पकवान खाने में मगन रहते है ! नफिशा उमैर के पीछे उसे हल्दी लगाने के लिए दौड़ती है मगर वो नहीं मानता  है !

”उमैर भाई इंसानो की दुनिया में शादी से पहले हल्दी लगाई जाती है।  जब इंसान से शादी कर रहे हो तो वैसे ही रस्में करो। चलो आओ आकर चुप चाप बैठ जाओ अब आप। हल्दी लगाना है आप को !” नफिशा ने कहा !

”पागल हल्दी रंग खिलने के लिए लगाया जाता है। मैं तो पहले से ही इतना गोरा हूँ, भला मुझे क्या जरुरत? जाओ ले जाओ यह सब बेकार की चीज़ें !”  उमैर कमरे में रखी मिठाई उठा कर खाते हुए कहता है !

”ओफ्फो उमैर भाई लगा लो थोड़ा सा क्या  हो जायेगा? आप भी बेकार की ज़िद्द कर रहे है। वैसे भी कहते हैं कि हल्दी अच्छी दवा का काम करती है। शादी के बाद दवा ही काम आती है, लगवा लो आप !” अमायरा ने समझाते हुए और हँसते हुए कहा!

”अच्छा ठीक है लो तुम, लगा दो  मगर सिर्फ थोड़ा सा और हाँ सुनो वो आईना कहा रखा है, दादा अब्बू ने जरा पता करो हम भी तो जरा देखे परी को हल्दी लगते हुए !” उमैर ने हल्दी के लिए बैठते हुए कहा !

”उमैर भाई इतनी भी क्या जल्दी है? मिल लेना एक ही बार शादी के बाद आप परी  भाभी से। वैसे भी कल तो शादी है ही आप दोनों की !” नफिशा ने उमैर को हल्दी लगाते हुए कहा !

”और परसो तेरी भी है तो तुम क्यों हनीफ के साथ घूमती हो !” उमैर ने नफिशा के गालों पर हाथ से मारते हुए कहा जिससे उसके गालों पर भी हल्दी लग जाती है ! !

”उमैर भाई मुझे क्यों लगा रहे हो हल्दी और हनीफ से तो मैं दो दिन से नहीं मिली !” नफिशा ने अपने गाल पोछते हुए कहा !

”सही तो कह रहे है उमैर भाई नफिशा तुम भी तो  दिन भर हनीफ के साथ बागों में घूमती रहती हो और आज सुबह में ही  उमैर भाई यह हनीफ को अपने हाथों से मिठाई खिला रही थी क्यों नफिशा !” अमायरा ने नफिशा को कोहनी मारते हुए कहा !

”अअअ… आपी आप भी उमैर भाई की तरह होते जा रही हैं !” नफिशा  ने कहा !

तभी हनीफ सब के कपड़े लेकर आता है नफिशा से कहता है !

” लो नफिशा तुमने जो जो जैसे जैसे कहा सारे कपड़े वगैरह वैसे ही बना कर ले आया मैं। उम्मीद है तुम्हे ख़ुशी होगी इन्हे देख कर !”

”लो आ गया तुम्हारा हनीफ झूठी कही की ? कहती है दो दिन से नहीं मिली। मगर हनीफ की बातों से तो ऐसा नहीं लग रहा कि….वैसे चलो तुम्हे भी शादी मोबारक।” उमैर कहते हुए पूरी हल्दी नफीशा  और हनीफ के चेहरे पर लगा देता है !

”भाई उमैर मैंने क्या किया जो मेरे चेहरे को गन्दा कर दिया आप ने ?” हनीफ हल्दी पोछते हुए कहता है !

अमायरा उन तीनों  के चेहरे देख कर हंसती है तो उमैर अमायरा के चेहरे पर भी हल्दी लगा देते है !  फिर किया नफिशा उमैर अमायरा तीनो एक दूसरे को पुरे घर में दौड़ा दौड़ा कर हल्दी लगाते है !

”क्या कर रहे हो तुम तीनों? पूरा घर गन्दा हो जाएगा अभी सजाया है  मैंने। ना जाने कब अक़्ल आएगी मेरे इन तीनो बच्चो को ? अब्बा अब आप ही समझाओ इन्हे !”शाह ज़ैद ने कहा !

”हँसने खेलने दो उन्हें समझदार होकर तुमने क्या हासिल कर लिया जैद? !” शाह कौनैन ने कहा !

”अब्बा आप भी ना कोई मौका नहीं छोड़ते मेरा मज़ाक उड़ाने का। वैसे आप तो लड़की वालों के तरफ से हो फिर यहाँ क्या कर रहे हो ?” शाह ज़ैद ने कहा !

”ऐसी ही मज़ाक नहीं उड़ाता मैं तेरा? तू हकीकत में गधा है ,मेरा घर है यह  जब  चाहे  आ जा  सकता  हूँ । वैसे  मैं  एक  बात  बता  दूँ  तुझे  मैं मोहब्बत के तरफ से हूँ मतलब मुझे जितना प्यार अपने पोते से है, उतना नुरैन की पोती से भी है। एक मेरी जान है और दूसरी मेरी जान की पोती। इसलिए कभी इधर कभी उधर वैसे हमे कौन सा वक़्त लगता है आने जाने में मिनटों में यहाँ से वहाँ ! चलो मैं जो काम करने आया हूँ वो कर लूँ। तुम भी जरा अच्छे से काम करो सारे इंतजाम अच्छे से रखना !” शाह कौनैन कहते हुए उमैर की तरफ चल देते है !

”मेरे अब्बा और मेरे बच्चे सब एक जैसे है ! वैसे सही कहा है किसी ने मोहब्बत में कुछ भी सही और गलत नहीं लगता इन्हे यह भी समझ नहीं आता के इंसान और जिन की शादी उफ्फ मुझे सोच कर ही अजीब लगता है । खैर देखते है आगे क्या होगा? फिलहाल मैं गुलाब के फूल ले आता हूँ कमरे वगैरह सजाने के लिए !” शाह ज़ैद खुद में ही बड़बड़ाते है ।

“उमैर बेटा कैसी चल रही शादी की तैयारी? अब तुम खुश होना !” शाह कौनैन ने शफकत व मोहबब्त से उमैर के सर पर हाथ रखते हुए कहा !

”हाँ दादा अब्बू मैं बहुत खुश हूँ और मेरी ख़ुशी मुझे आप के वजह से मिली है इसलिए आप का शुक्रिया बस एक काम कर दो मेरा !” उमैर ने कहा !

”हाँ बोलो कैसा काम मेरे बच्चे !” शाह कौनैन ने कहा !

”वो परी का आईना उसके कमरे में जो था वो कहा है उसे आप परी के कमरे में रख दो ताके मैं उसे देख सकूँ !” उमैर ने मासूमियत से कहा !

”मेरे बच्चे कल शादी है कल मिल लेना परी से वैसे मैं बताता जाऊँ के कल कुछ भी ऐसा मत करना जिससे किसी को हमारे बारे में शक हो ठीक है !”

”मगर दादा अब्बू !” उमैर कहता रह जाता है और शाह कौनैन चले जाते है !

अगले  दिन  उमैर  सुबह  सुबह  ही  नहा  कर  टॉवेल  लपेटे आईने के सामने खड़े होकर अपने  बाल  सवारने  लगता  है तभी उसे  दूसरी  तरफ  कुछ  अक्श दिखता  है वो जैसे ही वो शीशे पर हाथ मारता अचानक  दूसरी तरफ गिर जाता है सामने शाह कौनैन  बेड पर बैठे मरयम और परी से बात कर रहे होते है ! उमैर को इस तरह देख परी और मरयम की हँसी निकल जाती है !

”बेटा उमैर तुम इस हालत में यहाँ क्यों आये हो ? कपड़े कहा है तुम्हारे !” शाह कौनैन ने कहा !

”दादा अब्बू कपड़े बदन पर पहने है मैंने और मैं जान बुझ कर नहीं आया गलती से गिर गया था  !” उमैर बेख्याली में परी के तरफ देखते हुए उठते हुए कहता है !

”उमैर मुझे लगा के तुम सहरा बांध कर आओगे परी को लेने मगर तुम तो तौलिये में ही चले आये !” शहजादी मरयम ने हँसते हुए कहा !

”मुझे पता था के अगर दोनों आइनो को  मैं पहले की तरह एक दूसरे से जोड़ कर कमरे में रखूँगा तो यह शैतान जरूर इधर आ जायेगा। लो वही हुआ, चले आये शहजादे तौलिये में मिलने अपनी परी से। अब जाओ और जाकर तैयार हो जाओ और हाँ आईने से नहीं सामने दरवाज़े से आना है बारात लेकर !” शाह कौनैन ने उमैर को डांट लगाते हुए कहा !

”जा रहा हूँ – जा रहा हूँ। आप लोग तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैं पूरा नंगा हूँ तौलिया तो है ही बदन पर और मैं वैसे भी कौन सा परी से मिलने आया हूँ। मैं तो बस गलती से इधर गिर गया था अब जब आ ही गया हूँ तो अपने बेटे नूर और उसकी अम्मी से मिल लेता हूँ । बस थोड़ी देर में मिल के चला जाता हूँ। आप गुस्सा ना करे दादा अब्बू  और हाँ शहजादी इस तरह हँसने की जरुरत नहीं है आप को। शर्म आ रही तो आँखे बंद कर ले !” उमैर कहता हुआ परी के पास बैठता है और नूर को गोद  में लेकर उसे प्यार करते हुए परी से कहता है अच्छा परी सुनो कुछ कहना है तुम्हे !

”हाँ कहो क्या बात है? वैसे उमैर तुम्हे कपड़े पहन कर आना चाहिए इस तरह !” परी ने कहा !

”हाँ ठीक है पहले मेरी बात तो सुनो ‘अधूरा सा हूँ मैं तुम्हारे बिना जल्द ही आता हूँ तुम्हे हमेशा हमेशा के लिए अपना बनाने के लिए तैयार रहना !” उमैर कहता है फिर पहले नूर के पेशानी को चूमता है एक बार सब की तरफ देखता है उसे शाह कौनैन जाने का इशारा करते है तो जल्दी से परी के गालों को चूमता है और तेज़ रफ़्तार से आईने से दूसरी तरफ निकल जाता है बेचारी परी शर्मा सी जाती है उसकी इस हरकत पर !

“यह नहीं सुधरेगा !” शाह कौनैन मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चले जाते है !

”शहर धनबाद में ” :-

”नदिया जी बारात दरवाज़े पर आ चुकी है आप क्या कर रही है अभी तक? जल्दी आइए सवागत नहीं करयेगा रफ़ीक भाई जरा आप फूलों की माला ले आना समन्धियों के लिए  !” हसन जी ने कहा !

”आ रही हूँ पान की थाल सजा रही थी अपने दामाद के गाल सेकने के लिए !” नदिया जी पान के थाल हाँथ में लिए आते हुए कहती है ! उनके साथ साथ सभी रिस्तेदार और मोहल्ले के लोग बारात के सवागत के लिए खड़े हो जाते है , शहजादी मरयम और शाह कौनैन भी खड़े इंतज़ार करने लगते है !

ढोल और बाजो के साथ दरवाज़े के साथ नाचते हुए अमायरा , नफिशा , शहजादे इरफ़ान , हनीफ , शहजादे अल्तमश और कुछ और जिन लड़के और लड़कियाँ होते है उनके पीछे सफ़ेद घोड़े पर सवार शाही नीले रंग के शेरवानी ,गले में बड़े बड़े मोतियों से बने हार  उस पर सफ़ेद चूड़ीदार पायजामा , सफ़ेद और नीले रंग की मोतियों से सजी पगड़ी जिस पर मोर के पंख लगे होते है बदन पर नीली सफ़ेद बॉर्डर की सॉवल ,पैरों में शाही नीले रंग की मोजड़ी पहने उमैर बिलकुल एक शहजादे की तरह लग रहा होता है ! उसके पीछे काले रंग की बड़ी सी गाड़ी  में शहंशाह फरहान , उनके साथ शाह ज़ैद और कुछ लोग होते है  बारात इतनी शानदार होती है के सभी लोग हैरत से देख रहे होते है। हर एक ने शाही लिबास पहना  होता है ! नफिशा शहजादी मरयम का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने साथ नाचने का इशारा करती है ! सब खूब नाचते है ! हनीफ और शहजादे इरफ़ान उमैर को घोड़े से उतार ते है उमैर वहां पर मौजूद सभी लोगों को सलाम करता है हंसन रफ़ीक साहब और शाह कौनैन सब ही बारातियों को फूलों की माला पहनाते है नदिया जी पहले उमैर के नाक खींचती है फिर दिये में पान गरम करके उसके गाल पांच बार सेंकती है ! फिर प्यार से उसकी बलाये लेती हुई बेहद ही मोहब्बत वा सफ़कत से उमैर की पेशानी चूमती है !

हॉल रूम में दो बड़े बड़े शाही सोफे बिछे होते है जिसमे एक साइड में उमैर  को बैठाया जाता फिर बीच में फूलों का परदा लगा दिया जाता है दूसरी तरफ परी के लिए होती है , शाह कौनैन के कुछ जिन दोस्त बारातियों की खिदमत में लगे होते है और कुछ सरातियों की ताके किसी को भी किसी तरह का शिकायत का मौका ना मिले महफ़िल में अगर एक सौ इंसान  होते है  तो उससे ज्यादा जिन भी शामिल होते है मगर कोई भी उन्हें पहचान नहीं पाता है !

“नफिशा जाओ अपनी भाभी को लेकर आओ कब से मैं आया हुआ हूँ और वो नज़र ही नहीं आ रही बाद में खाना पीना। कितनी भूखी हो  तुम ?!” उमैर ने महफ़िल में इधर उधर नज़र घुमाते हुए नफिशा से कहा !

”उमैर भाई खाने दो बड़ी लज़ीज़ मिठाई है और ठंडी भी बस खा कर जाती हूँ !” नफिशा ने कहा !

”यह मिठाई नहीं आइस क्रीम है जल्दी खा और जा वरना तेरी खैर नहीं समझी !” उमैर ने धीमे से नफिशा को डांट लगाते हुए कहा !

”हाँ हाँ जाती हूँ बिलकुल भी सब्र नहीं होता आप को !” नफिशा कहती हुई शहजादी मरयम को अपने साथ लिए परी को लेने जाती है !

”चल बेटा नीचे सब तेरे इंतज़ार कर रहे है ला नूर को मुझे दे दे !” नदिया जी परी की गोद से नूर को लेते हुए कहा  !

”मम्मी अब कुछ गड़बड़ नहीं होगी ना ? मेरा दिल बहुत घबरा रहा है !” परी ने परेशान होते हुए कहा !

”ठीक है बेटा परी जब से यह लोग हमारी ज़िन्दगी में आये है सब अच्छा ही हो रहा है। तुम परेशान ना हो अब चलो !” नदिया जी ने समझाते हुए कहा ! 

”नदिया जी आप जाये नूर को लेकर मैं और नफिशा परी को लेकर नीचे आते है ! शहजादी मरयम ने कमरे में आते हुए कहा !

”माशाल्लाह परी भाभी आप तो चाँद के टुकड़ा लग रही है चलिए चलिए अब देर मत करिए नीचे सब निकाह का इंतज़ार कर रहे खास कर मेरे उमैर भाई !” नफिशा शरारत से कहती है !

”पायल की मदहोश कर देने वाली आवाज़ की सिमत उमैर की नज़र उठती है उसके चेहरे पर ना खतम होनी वाली एक मुस्कराहट छा जाती है ,मरून और सुनहरे रंग के लहंगे पूरा जिस्म गहनों से लदा हुआ सर पर घूँघट लिए उसकी मोहब्बत चल कर उसके सामने आ रही होती है उमैर बार बार परी के चेहरे को देखने की कोशिश करता है मगर घूँघट की वजह से उसका चेहरा नहीं दिख रहा होता है ! परी नफिशा और मरयम के साथ चलती हुई उमैर के बगल में फूलों के परदे के दूसरे तरफ बैठ जाती है !

निकाह पढ़ाने के लिए भी शाह कौनैन अपने दुनिया के कारी जिन को लाते है ! जो पहले परी और उमैर को चंद इस्लामिक आयत पढ़ाते है ! फिर कहते है

”परी हसन खान वालिद हसन अहमद खान ,और शाह उमैर वालिद शाह ज़ैद , मैं अल्लाह को हाज़िर वा नज़ीर जान कर आप दोनों का निकाह तीन गवाह जिनके नाम फरहान अब्बास , इरफ़ान अब्बास , शाह कौनैन है उनकी मौजूदगी में होने जा रहा है ! क्या आप को यह निकाह क़ुबूल है?”  कारी साहब तीन बार यह अल्फ़ाज़ दोहराते है मगर परी खामोश रहती है कोई भी जवाब नहीं देती है !

”बेटा क्या हो गया है? तू कुछ बोल क्यों नहीं रही ! सब देख रहे है !” नदिया जी ने कहा !

”मम्मी निकाह से पहले मैं कुछ कहना चाहती हूँ मेरी एक शर्त है अगर इन सब को पसंद आयेगी तब ही मैं निकाह करुँगी !” परी ने कहा !

”कैसी शर्त बेटा !” नदिया जी ने कहा !

”यही के मैं शादी के बाद यही रहूंगी आप लोगों के साथ और उमैर भी यही रहेगा अगर इन्हे मेरी शर्ते मंज़ूर है तभी मैं शादी करुँगी !” परी ने कहा तो सब एक दूसरे की शक्ल देखने लगते है पुरे महफ़िल में लोग बातें बनाना शुरू कर देते है !

तभी उमैर कहता है

” परी तुम मेरी होने वाली बीवी ही नहीं बल्के मेरी पूरी दुनिया हो और तुम्हारे मम्मी पापा आज के बाद से मेरे भी माँ बाप होंगे। मुझे मालूम है, तुम डर रही हो के तुम्हारे चले जाने के बाद इनकी देख भाल कौन करेगा? तो मैं तुमसे वादा करता हूँ के जब तक मैं ज़िंदा हूँ तुम्हे किसी भी बात की फिक्र करने की जरुरत नहीं है वैसे दादा अब्बू मैं घर जमाई बन जाऊँ तो आप को कोई हर्ज़ तो नहीं है ना !” उमैर ने कहा !

”नहीं मेरे बच्चे मुझे किया दिक्कत होगी बस तुम दोनों खुश रहो हमेशा !”शाह कौनैन ने कहा !

”चलो हो गयी तुम्हारी शर्त पूरी अब क़ुबूल है के नहीं बोलो?”  उमैर ने फूलों का पर्दा हटाते हुए कहा ! तो परी हाँ में सर हिला देती है !

“ऐसे थोड़ी होता है मुँह बोलो क़ुबूल है के नहीं !” उमैर ने कहा !

”जी हाँ कुबूल है ,कुबूल है , कुबूल है !” परी ने धीमे से कहा !

”मुझे भी कुबूल है !” उमैर ने कहा ! पूरा महफ़िल मुबारक हो मोबारक हो की आवाज़ से गूंज उठता है !

”निकाह मुबारक हो मेरे बच्चों हमेशा खुश रहो आज मेरी नुरैन की रूह को सुकून मिल गया होगा !”शाह कौनैन ने परी और उमैर को दुवाये देते हुए कहा !

”हाँ दादा अब्बू अब हम  चले अपने घर शहजादी मरयम और नफिशा की शादी के बाद मुझे वापस भी तो आना है !” उमैर ने कहा !

”इतनी भी क्या जल्दी है बेटे अभी कुछ देर में चलेंगे खाना तो खा लेने दो सब को फिर बिदाई भी हो जायेगी !” शाह कौनैन ने कहा !

”शहजादी मरयम एक पानी से भरे बर्तन को लाकर उमैर और परी के सामने रखती फिर परी के घुंघट को चेहरे से हटा कर सर पर रखती है और दोनों को उसमे देखने का इशारा करती है ! दोनों एक दूसरे के अक्स को पानी में देख रहे होते है !

”देख लो भाई वैसे तो आप ने कई बार देखा है भाभी को मगर आज की बात ही कुछ और है !”नफिशा ने उमैर के बगल में बैठते हुए कहा !

”माशाल्लाह आज तो तुम बला की खूबसूरत लग रही हो परी बिलकुल पारियों की तरह !” उमैर ने परी को आँख मारते हुए कहा तो परी  शर्मा जी जाती है !

”उमैर तुम तो बड़े बेशर्म हो , चलो अब मुँह दिखाई का तोहफा दो परी को !” शाहजादी मरयम ने कहा !

”परी को तोहफे की क्या जरुरत वैसे मैं तो हूँ ही एक कीमती तोहफा इसके लिए क्यों परी सही कहा ना ?” उमैर ने अपने कंधे से परी के कंधे को टक्कर मारते हुए कहा !

”इश्क़ वाली बातें अकेले में फ़रमायेगा उमैर साहब पहले तोहफा निकालो । तब बिदाई होगी वरना दुल्हन आप की यही रहेगी आप अकेले चले जाना बारात लेकर !” शाहजादी मरयम ने कहा !

”दे रहा हूँ देरहा हूँ उमैर कहता हुआ !”अपने शेरवानी के जेब से एक हीरे की लॉकेट निकाल कर परी के गले में पहना देता है !

”वाह लॉकेट तो बहुत ही खूबसूरत है बाज़ी मार गए तुम !” शहजादी मरयम ने कहा !

”अब मेरा तोहफा आखिर मेरी भी तो मुँह दिखाई हुई है आज !” उमैर ने परी के सामने हथेलियाँ करते हुए कहा !

तो परी नफिशा के कान में कुछ कहती है , नफिशा मुस्कुराते हुए नादिया के पास जाती है और नूर को उनके गोद से लेकर परी की गोद में दे देती है !

”यह रहा मेरी तरफ से तुम्हारा तोहफा तुम्हे एक साथ अब कई रिश्ते निभाने पड़ेंगे !” परी ने उमैर के हाथों में नूर को थमाते हुए कहा ! मासूम सा नूर उमैर को देख कर मुस्कुराने लगता है !

”शुक्रिया यह तो अनमोल तोहफा है और मैं वादा करता हूँ के मैं अपना हर फ़र्ज़ ईमानदारी से निभाऊँगा !” उमैर ने नूर को प्यार करते हुए कहा !

”घर भराई के रश्म के बाद परी की बिदाई कर दी जाती है ! अपने गोद में अपने बेटे नूर को लिए परी कुछ ही दिनों के लिए ही सही चली जाती है !

“हसन भाई हम सब भी चलते है वाक़ई बहुत ही शानदार शादी थी आप के बेटी की हमारे खानदान की पहली शादी होगी जो इतनी शानदार रही होगी बस हम दोनों आप से इतना कहना चाहते है के पिछली बातों को भूल कर क्यों ना हम भाई फिर से मिल कर रहे !” हसन जी के भाइयों ने कहा !

“उसकी कोई जरूरत नहीं है मुझे अब किसी से भी ज्यादा तालुकात नहीं रखनी है तुम सब अब जा सकते हो और हाँ नदिया जी इन्हे मिठाई के डब्बे लाकर  दे दीजीए !” हसन जी कहा !

एक एक कर  सारे महमान भी चले जाते है पूरा घर खाली हो जाता है !

”वाक़ई किसी ने सच ही कहा है बेटी पराया धन होती है, एक ना एक दिन उसे जाना ही होता है आज हमारी परी भी चली गयी और नूर भी और यह महलों सा घर उनके बिना विरान सा हो गया !” हसन जी ने रोते  हुए कहा !

”हाँ आप ने सही कहा बचपन से लेकर यह पहली बार है जब हमारी बेटी कुछ दिन हमसे दूर रहेगी !” नदिया जी ने कहा !

”हसन भाई इसमें रोने वाली कौन सी बात है? कुछ ही दिनों में आप की बेटी वापस आजायेगी वैसे अपने पोते की याद तो मुझे भी आ रही है मगर मुझे इस बात की ख़ुशी है के परी ने इंसानी दुनियाँ  में रहने का फैसला लिया वरना उन जिनो का क्या भरोसा वो परी को कभी यहाँ वापस आने ही ना दे !” रफ़ीक साहब ने कहा !

”क्यों रफ़ीक तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ? ऐसे क्या कर दिया हमने जो हम तुम्हे भरोसे के लायक नहीं लग रहे ?”  शाह कौनैन ने आते हुए कहा !

”जी आप यही है अभी तक वापस अपनी दुनिया में नहीं गए मुझे लगा के आप चले गए होंगे !” रफ़ीक साहब ने कहा !

”इसलिए तुम मेरे बारे में इस तरह की बातें कर रहे हो? खैर तुम यह मत सोचना के हम तुम लोगों के साथ कभी गलत करेंगे साल भर पहले जो हुआ वो भी कभी नहीं होता अगर तुम्हारे बेटे ने अपनी हदें पार ना की होती। छोड़ो इन सब बातों को कुछ नहीं रखा इनमे मैं जरा सफाई करवा दूँ और हाँ कल तैयार रहना तुम सब हमारी दुनिया में जाने के लिए उमैर के वलीमा के साथ साथ नफिशा और मरयम की शादी भी है…!” शाह कौनैन ने कहा!

“मैं सब के लिए चाय बना कर ले आती हूँ थकान दूर हो जायेगी!” नदिया जी कहते हुए चाय बनाने चली जाती है…!

”हसन बेटा दिल छोटा मत करो, आ जायेगी तुम्हारी बेटी…!” शाह कौनैन ने उदास बैठे हसन जी को देख कहा…!

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Written By – Shama Khan

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इज़हार , इक़रार , तुमसे प्यार

का यह जो सफर रहा तेरा मेरा

जुदाई , आँसू , दरद फिर करार

यह जो सफर रहा तेरा मेरा

आज वो मंज़िल को पाचुकि है !

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