Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

Love You जिंदगी – 67

Love You Zindagi – 67

Love you Zindagi
love-you-zindagi-67

नैना जैसा चाहती थी वैसा हो चुका था। सार्थक ने सबके सामने , अपनी फॅमिली के सामने मान लिया की वह शीतल से प्यार करता है। शीतल के सामने राज का घिनोना सच सामने आ चुका था। सब राज और शीतल को छोड़कर सब खुश थे लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा दिल किसी का दुखा तो वो थी शीतल , सबके सामने राज ने उसके और अपने रिश्ते का जो मजाक बनाया वो शीतल एक्सेप्ट ही नहीं कर पा रही थी। शीतल ऊपर चली आयी फूट फूट कर रोने लगी रुचिका और नैना भी वहा चली आयी दोनों ने शीतल को सम्हाला। नैना उसके पास बैठी और उसके आंसू पोछते हुए कहा,”जितना रोना है आज रात रो लो क्योकि कल से मैं ये सब बिल्कुल नहीं देखने वाली हूँ , वैसे भी तुम किसके लिए आंसू बहा रही हो वो इंसान जिसे तुम्हारी परवाह नहीं तुम्हारी कोई कदर नहीं उसके लिए ,, जिसने कभी तुम्हे नहीं समझा , तुम्हारे प्यार को नहीं समझा उस लड़के के लिए तुम आंसू बहा रही हो।”
“नैना सही कह रही है शीतल , राज को भूल जाओ अभी तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है राज से भी अच्छा लड़का तुम्हे मिलेगा।”,रुचिका ने भी बगल में बैठते हुए कहा। नैना और रुचिका मिलकर शीतल को चुप करवाने लगी और साथ ही साथ उसे समझाने भी लगी लेकिन दिल टूटने का दर्द क्या होता है ? इस वक्त शीतल अच्छे से समझ रही थी। शीतल को समझाते समझाते नैना की नजर दरवाजे पर खड़े सार्थक पर चली गयी , सार्थक अंदर चला आया उसे देखकर नैना अपनी जगह से उठ खड़ी हुई तो सार्थक आकर बिल्कुल शीतल के सामने आकर बैठ गया और कहने लगा,”मैं जानता हु इस वक्त तुम्हारे दिल पर क्या गुजर रही है , ये भी जानता हूँ की सबके सामने मैंने जो कुछ भी कहा हमारे रिश्ते के बारे में कहा वो भी गलत था ,, शीतल तुम भले मेरे प्यार को एक्सेप्ट करो या ना करो मुझे बुरा नहीं लगेगा लेकिन राज जैसे इंसान के साथ तुम कभी खुश नहीं रह सकती। ऐसा प्यार किस काम का जिसमे इंसान को अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट तक दांव पर लगानी पड़ जाये।”
कहते कहते सार्थक की नजर शीतल के हाथ पर चली गयी जिसमे चूड़ी का टुकड़ा धंसा हुआ था। सार्थक ने नैना से मेडिकल बॉक्स लाने को कहा। नैना ने डिब्बा लाकर सार्थक को दे दिया और रुचिका से आँखो ही आँखों में वहा से चलने का इशारा किया। सार्थक और शीतल को अकेला छोड़कर नैना और रुचिका वहा से चली गयी। सार्थक ने शीतल का हाथ अपने हाथ में लिया और पूरी सावधानी से उस कांच के टुकड़े को खींचकर निकाल दिया। दर्द के मारे शीतल ने अपनी आँखे मीच ली और उसकी आँखों में भरे आंसू गालो पर लुढ़क आये। सार्थक ने कॉटन को जख्म पर रखा और फिर उसे अच्छी से साफ करके दवा लगा दी ! सार्थक इस वक्त शीतल के मन और जख्म दोनों का दर्द महसूस कर रहा था। पट्टी बांधते हुए वह कहने लगा,”जब रिश्ते चुभने लगे और मन को तकलीफ पहुँचाने लगे तो उन रिश्तो को भी इन कांच के टुकड़ो की तरह खींचकर अपनी जिंदगी से निकाल फेंकना चाहिए। जिंदगीभर के रोने से एक बार रोना अच्छा है शीतल ,, मैं नहीं जानता तुम राज के साथ क्यों हो ? और जानना चाहता भी नहीं ,,, मैंने हमेशा तुम्हे रिस्पेक्ट की नजर से देखा है आगे भी देखूंगा ,,,मन से किये फैसले हमेशा सही नहीं होते है कई बार दिमाग भी सही रास्ते पर ले जाना चाहता है। एक बार अपने दिल का ना सुनकर अपने दिमाग की सुनो शायद अपने लिए कुछ बेहतर फैसला कर पाओ। भले तुम्हारे साथ कोई ना हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा , क्योकि एक प्रेमी होने से पहले मैं तुम्हारा अच्छा दोस्त भी हूँ। चलता हूँ अपना ख्याल रखना”
कहकर सार्थक उठा और जाने लगा तो शीतल भी उठकर उसके पीछे आयी और दर्दभरी आवाज में कहा,”उसने मुझे छुआ है सार्थक , हमारे बिच वो सब संबंध है जो एक शादीशुदा जोड़े के बिच होने चाहिए थे और यही वजह है की मैंने कभी उसे छोड़ा नहीं और किसी और को अपने करीब नहीं आने दिया। तुम्हे क्या लगता है ये सच जानने के बाद कोई मुझे अपनाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं कोई नहीं अपना पायेगा !”
सार्थक पलटा और शीतल के पास आया उसने शीतल के गालो पर आये आंसुओ को अपनी उंगलियों से पोछा और कहा,”तुमसे प्यार करने वाला इंसान तुम्हारे आज को देखेगा तुम्हारा बीता हुआ कल नहीं , उसने तुम्हारे शरीर को तो छू लिया पर वो कभी तुम्हारा मन छू ही नहीं पाया। खुद को थोड़ा वक्त दो शीतल और तय करो की तुम्हारे लिए क्या सही है ? जब तक तुम खुद अपनी इज्जत नहीं करोगी दूसरा भी नहीं करेगा।”
सार्थक की बात सुनकर शीतल को अहसास हुआ की वह अब तक बहुत बड़ी गलती कर रही थी उसने कुछ नहीं सोचा और आकर सीधा सार्थक के गले लग गयी। सार्थक ने उसका सर सहलाया और कहा,”चुप हो जाओ शीतल जितना सहना था , रोना था रो लिया , आज से सिर्फ अपने लिए जीना शुरू करो , उन लोगो के लिए जीना शुरू करो जो तुमसे प्यार करते है , तुम्हारा अच्छा चाहते है और सबसे पहले खुद से प्यार करना सीखो तुम कमजोर नहीं हो ना ही तुम बेबस लाचार हो , जिस दिन तुमने खुद को अहमियत देना सीख लिया उस दिन कोई भी लड़का तुम्हे रुला नहीं पायेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं भी नहीं !”
शीतल सार्थक से दूर हुई और रुंधे गले से कहा,”मैं बहुत बड़ी बेवकूफ थी सार्थक मैंने हमेशा गलतिया की है , मैं भूल गयी थी की मैं भी एक लड़की हूँ मेरी भी जिंदगी है। जाने अनजाने में मैंने तुम्हारा , नैना , रुचिका और अपने भैया भाभी का भी बहुत दिल दुखाया है। मैं इन सब बातो से खुद को दूर करना चाहती हूँ ,, मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है !”
सार्थक ने शीतल के चेहरे को अपने हाथो में थामा और कहने लगा,”जो होना था हो गया उसे बुरा सपना समझकर भूल जाओ , कल का सवेरा तुम्हारी जिंदगी में नयी जिंदगी लेकर आएगा। तुम आराम करो और ज्यादा मत सोचो ,, हम सब तुम्हारे साथ है।”
शीतल की आँखे रोने से लाल हो चुकी थी सार्थक ने उसे लेटाया और उसके सर के निचे तकिया लगाकर उसे कम्बल ओढ़ा दी।

सार्थक कमरे से बाहर चला आया नैना और रुचिका बालकनी के पास खड़ी कुछ बाते कर रही थी सार्थक उनके पास चला तो नैना ने कहा,”कैसी है वो ?”
“हम्म्म ठीक है , मैंने उसे सुला दिया है। उठे तो खाना खिला देना”,सार्थक ने उदास होकर कहा
नैना ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”टेंशन मत ले यार सब ठीक हो जाएगा , आज जो हुआ अगर वो नहीं होता न तो शायद कभी नहीं होता। शीतल के सामने उस राज का सच आना बहुत जरुरी था।”
“वो सब तो ठीक है यार लेकिन तुम दोनों अब उसका ख्याल रखना मैं निचे जाता हूँ पता नहीं मम्मी पापा का क्या रिएक्शन होगा इस पर”,सार्थक ने कहा
“रुको हम लोग भी चलते है , वैसे भी बात तो थोड़ी बिगड़ गयी ही है सबके सामने ,,, तू चलकर माफ़ी मांग लेना।”,रुचिका ने कहा
“हम्म्म , ठीक है !”,सार्थक ने कहा और रुचिका शीतल के साथ निचे चला आया। जैसे ही तीनो अंदर आये सार्थक के पापा की नजर सार्थक पर पड़ी और वे उसकी और चले आये उन्होंने एक खींचकर थप्पड़ सार्थक को मारा और गुस्से से कहा,”शर्म नहीं आयी तुझे सबके सामने ये सब कहते हुए ,एक लड़की जिसे तू ठीक से जानता तक नहीं है , सबके सामने उस से प्यार करने की बात कहता है।”
“लेकिन अंकल,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने जैसे ही कहना चाहा सार्थक के पापा ने उसकी और पलटकर कहा,”आप चुप रहो बेटा मेरे घर के मामलो में बोलने की आप लोगो को जरूरत नहीं है।”
सार्थक ने नैना की और देखकर ना में गर्दन हिला दी।
“सुनिए ऐसे जवान बेटे पर हाथ उठाना सही नहीं है , उसने ऐसा क्यों किया एक बार उसकी बात तो सुन लीजिये”,सार्थक की मम्मी ने बीच में पड़ते हुए कहा लेकिन सार्थक के पापा ने नहीं सूना उन्होंने पास पड़ा डंडा उठाया और सार्थक को पीटना शुरू कर दिया , सार्थक के मुंह से एक आह तक नहीं निकली ना ही उसके चेहरे के भाव बदले नैना और रुचिका को ये देखकर बुरा लग रहा था रुचिका तो चुप रही लेकिन नैना ने आगे बढ़कर मिस्टर शर्मा को रोका और कहा,”बस कीजिये , जान ले लेंगे क्या उसकी ? क्या गलती है इसकी एक अच्छे घर की लड़की को पसंद करता है , उस से प्यार करता है क्या गलत है इसमें ?और अंकल जी बहुत हिम्मत चाहिए होती है सबके सामने ये एक्सेप्ट करने के लिए”
“अच्छा तो तुम मुझे सिखाओगी क्या सही है क्या गलत ?”,मिस्टर शर्मा ने कहा
“नहीं अंकल आप उम्र में , तजुर्बे में मुझसे बड़े है मैं भला आपको क्या सीखा सकती हूँ मैं बस इतना कह रही हूँ की सार्थक की इन सब में कोई गलती नहीं है। शीतल अच्छी लड़की है वह उसे पसंद करता है और आंटी को भी तो शीतल पसंद है”,नैना ने कहा
“नैना प्लीज यहाँ से जाओ !”,सार्थक ने नैना से कहा
“लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने हैरानी से सार्थक की और देखकर कहा
“प्लीज नैना मैं बाद में मिलता हूँ , अभी के लिए जाओ !”,सार्थक ने रिक्वेस्ट की तो नैना रुचिका के साथ वहा से चली गयी। फ्लैट से बाहर आते ही मिस्टर शर्मा की आवाज आने लगी वे शायद फिर सार्थक पर गुस्सा हो रहे थे !


नैना ऊपर चली आयी। उसने रुचिका से खाना खा लेने को कहा और खुद अपने लिए चाय लेकर बालकनी में चली आयी। नैना के साथ हमेशा से यही होता आया था वह एक परेशानी से निकलती तो दूसरी में आ गिरती। चाय पीते हुए नैना निचे देखने लगी सभी अपनी मस्ती में मस्त थे कुछ देर पहले जो तमाशा हुआ था उस से किसी को कोई खास फर्क नहीं पड़ा था ! नैना वहा खड़े होकर चाय पीती रही और चाय ख़त्म होने के बाद किचन एरिया की और चली आयी। दरवाजा देखकर नैना उस और आयी तो नजर अवि के फ़्लेट पर चली गयी , नैना बाहर आयी अवि का फ्लैट बाहर से लॉक देखकर नैना ने खुद से कहा,”शायद वो निचे होगा , मैंने उसे थैंक्यू तक नहीं बोला यार ! पहले जाकर चेंज कर लेती हूँ और उसके बाद उसे ढूंढती हूँ”
नैना वापस अंदर आयी कपडे बदले और निचे चली आयी लेकिन निचे अवि कही नहीं था। नैना को याद आया की रात में अवि अक्सर टैरेस पर रहता है वह लिफ्ट के अंदर आयी और सीधा टैरेस पर चली आयी। अवि वही ऊपर दिवार के पास खड़ा फोन पर बात कर रहा था ! नैना को देखकर उसने नैना से दो मिनिट रुकने का इशारा किया और बात करता रहा। कुछ देर बाद अवि नैना के सामने आया और कहा,”ह्म्म्मम्म हां कहो”
“किस से बाते हो रही थी ?”,नैना ने भँवे चढ़ाकर पूछा
अवि ने फोन की स्क्रीन सामने कर दी लास्ट डायल्ड नंबर “My First Love” के नाम से सेव था , नैना ने देखा और अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा लिया और फिर कहा,”ओह्ह्ह लव , हॉट है क्या ?”
“शट अप , मेरी मॉम है !”,अवि ने घूरते हुए कहा
“आई नो देट !”,नैना ने कहा
“अच्छा तुम्हे कैसे पता ?”,अवि ने फोन जेब में रखते हुए कहा
“आज तक तुम्हारे मुंह से सिर्फ एक ही लड़की की तारीफ सुनी है , और वो है तुम्हारी मॉम सो आइडिया लगा लिया !”,नैना ने कहा
“स्मार्ट ! अच्छा शीतल ठीक है अभी ? उसे छोड़कर तुम यहाँ क्या कर रही हो ?”,अवि ने पूछा
“एक्चुअली मैं तुम्हे कुछ कहने आयी थी !”,नैना ने कहा
“क्या ?”,अवि ने पूछा
“थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू सो मच पडोसी , तुमने तो कमाल कर दिया ,,,, आई ऍम सो हैप्पी मैं तुम्हे बता नहीं सकती तुमने मेरी कितनी बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व की है। राज का खेल खत्म ,, उसका सच शीतल के सामने आ गया एंड ये सब सिर्फ तुम्हारी वजह से हुआ है ,,, सो थैंक्यू सो मच !!!”,नैना ने खुश होकर कहा
“इट्स ओके , बट आई हॉप अब तुम ऐसे किसी झमेले में ना फंसो और कोई दूसरी प्रॉब्लम ना आये”,अवि ने कहा
“प्रॉब्लम तो मेरे लिए बाँहे फैला कर खड़ी है पडोसी”,नैना ने मन ही मन कहा और मुस्कुरा कर वहा से चली गयी !

क्रमश – love-you-zindagi-68

Read More –

Follow Me On – facebook

Follow Me On – instagram

संजना किरोड़ीवाल

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!