Love You जिंदगी – 56
Love You Zindagi – 56
अवि अभी नैना को कोस ही रहा था की बेल फिर बजी अवि ने दरवाजा खोला तो सामने वही अंकल खड़े थे मुस्कुराते हुए। अवि उन्हें फिर से वहा देखकर हैरान था बेचारा पहले से इतना परेशान था तभी अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा,”अरे बेटा बताना चाहिए ना वो कपडे तुम्हारी बहन के है”
“बहन ?”,अवि ने आश्चर्या से कहा
“हां वो सामने वाले फ्लैट में तुम्हारे किसी दोस्त की बहन रहती है , क्या नाम बताया था वो लड़की ने शीतल हां कोई शीतल वो कपडे उसके थे ,, तुमने भी बताया नहीं और हम से गलती हो गयी अब दोस्त की बहन तुम्हारी भी बहन ही होगी ना। अभी तुम्हारे पापा से कह दिया होता तो बवाल हो जाता खैर सॉरी बेटा और हां शाम को मिलता हूँ ऑफिस में तुम्हारी एग्जीबिशन के लिए”,अंकल ने कहा और चले गए। अवि उन्हें छोड़ने गेट तक छोड़ने आया अंकल चले गए अवि जैसे ही जाने के लिए मुड़ा पीछे से आवाज आयी,”ओये पडोसी !”
अवि ने पलटकर देखा नैना खड़ी थी अवि ने भँवे उचकाई तो नैना ने कहा,”मजा आया ?”
नैना की बात सुनकर अवि उसके पास आया और कहा,”तुम सच में पागल हो , पता है वो डेड को सब बोल देते और मेरी इमेज के तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“L” लग जाते है ना ?”,नैना ने कहा
“शट अप और ऐसे बेहूदा मजाक मत किया करो , लड़ना है तो फेस टू फेस लड़ो ये बच्चो वाली हरकते मत करो ! तुम्हारे डेड फ्रेंक है मेरे वाले नहीं मैं उनकी बहुत रिस्पेक्ट करता हूँ और वो मुझसे ऐसी किसी हरकत की उम्मीद नहीं रखते”,अवि ने थोड़ा सीरियस होकर कहा
“सॉरी , मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था”,नैना को अपनी गलती का अहसास हुआ
“इट्स ओके , देखो नैना मस्ती मजाक तक हर चीज ठीक है लेकिन बात जब किसी की इमेज पर आये तो अपने ईगो को साइड रख देना चाहिए। मैं लफंगा आवारा नहीं हूँ जेनुअली तुम्हे पसंद करता हूँ और कोई जबरदस्ती नहीं है की तुम भी करो , ये तुम्हारी चॉइस है लेकिन खुद को थोड़ा सा मेच्योर बनाओ , दोबारा ऐसी हरकत मत करना।”,कहकर अवि जाने लगा जाते जाते रुका और पलटकर कहा,”वैसे तुम्हे शीतल को मेरी बहन बताया खुद को नहीं मतलब तुम्हारे दिल में भी कुछ तो है”
“व्हाट ? नो मेन आई मीन तुम्हे बचाने के लिए मैंने उनसे ये सब कहा”,नैना ने कहा अवि मुस्कुराया और उसके पास आकर कहा,”झूठ बोलते हुए तुम और भी प्यारी लगती हो” बेचारी नैना अवि की बातो से खामोश होकर वहा से चली गयी। अवि ने चैन की साँस ली अंकल ने उसे गलत नहीं समझा और वह वापस अपने फ्लैट में चला आया
नैना अंदर चली आयी और आकर शीशे के सामने खड़ी हो गयी। वह काफी देर तक खुद को देखती रही और फिर कहने लगी,”दिस इज टू मच नैना , अवि के साथ इतना बुरा सुलूक किसलिए ? वो इतना भी बुरा नहीं है जितना तुमने उसे समझ रखा है , वो तुम्हे पसंद करता है इसमें उसकी कोई गलती नहीं वो तो हर कोई कर सकता है ,, इन सब चीजों से ध्यान हटाओ और अपना माइंड अपने प्लान पर लगाओ। अवि को साइड करो एंड फोकस ऑन योर प्लान”
“ये अकेले में किस से बाते कर रही है तू ?”,शीतल ने नैना को बड़बड़ाते देखकर पूछ लिया
“खुद से ! कभी कभी इंसान को खुद से भी बातें कर लेनी चाहिए”, नैना ने मुस्कुराते हुए कहा
“पागल है यार तू , अच्छा सुन कल संडे है कल का क्या प्लान है ?”,शीतल ने नैना के बिखरे कपडे उठाकर अलमारी में रखते हुए कहा
“कल , कल तो बहुत कुछ करना है , कल मैं बहुत बिजी हूँ”,कहकर नैना वहा से चली गयी। शीतल को उसकी बात समझ नहीं आयी और वह भी वहा से बाहर चली आयी। ऑफिस के लिए तैयार होकर तीनो ने नाश्ता किया और ऑफिस के लिए निकल गयी। निचे आकर नैना की नजर अवि की बाइक पर चली गयी लेकिन अवि वहा नहीं था नैना ने शीतल और रुचिका को चलने को कहा और खुद उसकी बाइक के पास आयी उसने बैग से पेपर और पेन निकाला और कुछ लिखकर उसकी बाइक के हेंडल में फंसाकर चली गयी। शीतल रुचिका और नैना ऑफिस के लिए निकल गयी। कुछ देर बाद अवि आया उसने बाइक में चाबी लगाई तो नजर हेंडल पर चली गयी। अवि ने वहा से चिट निकाली और खोलकर देखा तो उस पर लिखा हुआ था “मैंने तुम्हे बहुत परेशान किया है , sorry” अवि मुस्कुरा उठा क्योकि नैना के अलावा ऐसी हरकते कोई नहीं कर सकता था। उसने वह चिट जेब में रख ली और वहा से चला गया।
ऑफिस आकर नैना कोई फाइल देने अनुराग के केबिन की और चली आयी चलते चलते वह सामने से आते जय से टकरा गयी तो जय ने कहा,”नैना कभी तो देखकर चला करो”
नैना ने जय को देखा आज उसे गुस्सा नहीं आया बल्कि वह मुस्कुराई और कहा,”बिल्कुल आज तुमने बता दिया वरना मुझे तो पता ही नहीं चलता , अबसे देख के चलूंगी ठीक है।”
जय ने सूना तो हैरानी से नैना को देखने लगा और नैना अनुराग के ऑफिस में चली गयी। शीतल अपनी डेस्क पर बैठकर काम कर रही थी रुचिका भी अपना काम करने में बिजी थी। शीतल की नजर खिड़की के बाहर गयी तो उसने देखा बाहर खड़ा सार्थक अपने दोनों हाथो को हिलाकर उसका ध्यान अपनी और खिंच रहा था। शीतल ने गर्दन उचकाकर पूछा तो सार्थक ने बाहर आने का इशारा किया। शीतल अपनी डेस्क छोड़कर ऑफिस से बाहर आयी। जींस टीशर्ट और शर्ट पहने सार्थक बाहर खड़ा था आज वह बड़ा क्यूट लग रहा था। लखनऊ से आने के बाद शीतल उस से मिली ही नहीं थी , शीतल उसके पास आयी और कहा,”तुम यहां क्या कर रहे हो ?”
“तुमसे ही मिलने आया था लेकिन तुम्हारे ये ऑफिस वाले गार्ड ने अंदर ही नहीं आने दिया था”,सार्थक ने मासूमियत से कहा
“सार्थक मुझसे तो तुम अपार्टमेंट में भी मिल सकते हो ना फिर यहाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा बताओ क्यों मिलना था ?”,शीतल ने कहा
“एक्चुअली एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में मेरा इंटरव्यू है लेकिन उनके एग्रीमेंट के पेपर्स पर मुझे किसी कम्पनी के सीनियर स्टाफ का रेफ़्रेन्स चाहिए था , स्योरिटी के लिए ,, सो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते सार्थक चुप हो गया
“इतनी सी बात लाओ पेपर कहा है ? मैं साइन कर देती हु”,शीतल ने मुस्कुरा कर कहा तो सार्थक ने पेपर्स शीतल की और बढ़ा दिए। शीतल ने पेपर लिए और उन पर सिग्नेचर करते हुए कहा,”वैसे लायब्रेरी वाली जॉब छोड़कर सॉफ्ट वेयर कम्पनी में क्यों जा रहे हो ?”
“शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ जाएगी ना”,सार्थक ने कहा
“तुम शादी कर रहे हो ?”,शीतल ने हैरानी से सार्थक की और देखकर कहा
“अ अ नहीं , अभी कहा , अभी नहीं मतलब जब होगी तब ,, फ्यूचर प्लानिंग भी तो जरुरी है ना”,सार्थक ने हिचकते हुए कहा
“ओह्ह अच्छा , ये लो हो गया और कोई हेल्प चाहिए हो तो बोल देना”,शीतल ने कहा तो सार्थक ने उसे थैंक्यू कहा और जैसे ही जाने लगा तो शीतल ने उसे आवाज दी,”सार्थक !”
“हां”,सार्थक ने पलटकर कहा तो शीतल ने उसे वापस आने का इशारा किया
सार्थक शीतल के सामने खड़ा हो गया तो शीतल ने उसके बालो को सही करते हुए कहा,”ऐसे जाओगे इंटरव्यू देने , कपडे ठीक है बस शर्ट के बटन बंद कर लेना”
“थैंक्स ! वैसे इंटरव्यू परसो है आज नहीं आज तो बस पेपर्स सबमिट करने है”,सार्थक ने कहा
“अच्छा ठीक है एडवांस में बेस्ट ऑफ लक”,शीतल ने कहा और वहा से चली गयी सार्थक उसे जाते हुए देखता रहा और मन ही मन कहा,”आई विश की तुम्हारा बेस्ट ऑफ़ लक काम करे क्योकि ये सब मैं तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूँ”
सार्थक वहा से चला गया शीतल भी अपने केबिन में चली आयी और काम करने लगी।
शाम को नैना घर आने के बाद से ही कुछ ढूंढने में लगी थी ये देखकर रुचिका ने कहा,”नैना कर क्या रही हो तुम ?
“अरे पांडा रुक ना कुछ जरुरी काम कर रही हूँ”,नैना ने कहा
रुचिका बैठकर अपना फोन देखने लगी गेलेरी में पड़ी पुरानी तस्वीरें देखते हुए एक तस्वीर पर उसकी नजर रुक गयी जिसमे वह और नैना साथ में थी और पीछे मोंटी मुंह बनाये खड़ा था , उस तस्वीर को देखकर रुचिका के होंठो पर मुस्कान तैर गयी। कितने दिन हो गए उसे यहां आये हुए लेकिन मोंटी ने तो उस से एक बार भी बात करना जरुरी नहीं समझा। रुचिका उसके बारे में सोच ही रही थी की तभी नैना का फोन बजा नैना ने सूना तो रुचिका से कहा,”पांडा वो फोन उठाना जरा किसका है ? आई ऍम स्योर रिश्तेदारों का ही होगा कल संडे है ना”
रुचिका उठकर टेबल के पास आयी और देखा की फोन मोंटी का आ रहा था। रुचिका ने उठाया उसके बोलने से पहले ही मोंटी बोल पड़ा,”यार नैना ये शर्मा जी ने बेंड बजा रखी है मेरी , रिश्ते पे रिश्ता देख रहे है यार मेरा। समझ में नहीं आ रहा क्या करू ? ऐसा नहीं है की मुझे शादी नहीं करनी लेकिन पता नहीं क्या हुआ है ? कोई पसंद ही नहीं आ रही है। लखनऊ मे कोई नहीं मिला तो शर्मा जी ने बाहर देखना शुरू कर दिया यार , मैं क्या करू ?”
रुचिका ने सूना तो उसने धीरे से कहा,”मोंटी मैं रूचिका बोल रही हूँ नैना बिजी है कुछ काम में , बात करवाऊ तुम्हारी ?”
“हे हाय रूचि ! इट्स ओके मैं बाद में बात कर लूंगा , तुम कैसी हो ?”,मोंटी ने कहा
“मैं ठीक हूँ , तुम शायद ठीक नहीं हो ?”,रुचिका ने कहा
“या वो पापा ने थोड़ा उलझा रखा है , अभी बीकानेर हूँ और वो चाहते है दिवाली पर घर आकर उनकी पसंद के रिश्ते देखू”,मोंटी ने थोड़ा अपसेट होकर कहा
“इसमें क्या उलझना , वैसे भी शादी तो एक दिन करनी ही है”,रुचिका ने कहा
“या राईट लेकिन कोई होना भी तो चाहिए ना अपनी पसंद का जिसके साथ पूरी लाइफ बिता सके। अरेंज मैरिज से मुझे प्रॉब्लम नहीं है लेकिन एटलीस्ट लड़की को मैं और मुझे लड़की समझ सके इतना तो होना चाहिए”,मोंटी ने कहा
“अच्छा तो कैसी लड़की पसंद है तुम्हे ?”,रुचिका ने सीधा ही पूछ लिया
मोंटी कुछ देर शांत रहा और फिर कहा,”इनोसेंट हो , समझदार हो मतलब ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ी तो समझ हो उसमे बात करने की , कॉंफिडेंट हो खुद को लेकर खुद की लाइफ को लेकर , मिस्टर शर्मा और मिसेज शर्मा के साथ थोड़ा एडजस्ट हो सके बस !”
“हम्म्म्म , मिल जाएगी”,रुचिका ने कहा
“क्या बेच रही है तू ?”,नैना ने रुचिका से फोन लेकर कहा और कान से लगाकर कहा,”हेलो कौन बोल रहा है ?”
“मिल गयी फुर्सत , मेसेज कॉल का कोई जवाब नहीं”,मोंटी ने नाराज होकर कहा
“अरे मोंटी सॉरी सॉरी मैं ना तुझसे बाद में बात करती हूँ , अभी हम सब लोग बहुत बिजी है”,कहते हुए नैना ने फोन काट दिया और रुचिका को वहा से लेकर चली गयी। शीतल और रुचिका दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था की आखिर नैना कर क्या रही है ?
अगली सुबह नैना जल्दी उठी और तैयार होकर निचे चली आयी उसने अपार्टमेंट के सभी बच्चे अपनी मण्डली में शामिल किये। 8-10 बच्चे और उनके बिच नैना खड़ी थी। एक बच्चे ने पूछ लिया,”दीदी संडे के दिन सबको यहाँ जमा क्यों किया है ?”
नैना ने अपने हाथ में पकड़ी “जय माता दी” लिखे फ़रे सबको दिए और बांधने को कहा और खुद बांधते हुए कहने लगी,”इस बार माता रानी को हम अपने अपार्टमेंट में लाएंगे और उसके लिए पैसे भी तो चाहिए ना , तो चलके सबसे डोनेशन मांगेंगे”
बच्चे मन के भोले होते है जैसा नैना ने कहा उन्होंने मान लिया और नैना के साथ चल पड़े। सबसे पहले मेहता साहब के घर की बेल बजायी। दरवाजा भी मेहता जी ने खोला समाने नैना को देखकर थोड़ा हैरान भी थे लेकिन खुश भी थे की सुबह सुबह नैना के दर्शन हो गए। उन्होंने कहा,”अरे सुबह सुबह तुम सब ?”
“मेहता जी इस साल दुर्गा पूजा का कार्यक्रम हमारे अपार्टमेंट में होगा और उसकी तैयारी के लिए डोनेशन चाहिए तो निकालो मातारानी के नाम पर 1001 और शुभारम कीजिये”
मेहता जी ने बिना किसी ऐतराज के पैसे डिब्बे में डाल दिये।
“बोल सांचे दरबार की जय”,कहते हुए नैना अपनी मण्डली के साथ आगे बढ़ गयी।
क्रमश – love-you-zindagi-57
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संजना किरोड़ीवाल !