Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 69

Love You Zindagi – 69

Love you Zindagi
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नैना के गाल पर दूसरी बार थप्पड़ पड़ा और इस बार भी शीतल ने बिना सोचे समझे उस पर हाथ उठाया। नैना ने कुछ नहीं कहा बस शीतल की और देखने लगी अंदर ही अंदर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन उसने खुद को कंट्रोल किया। वह जैसे ही शीतल से कहने के लिए आगे बढ़ी शीतल ने कहा,”बस नैना अब क्या कहोगी तुम ?,,,,,,,,,,,,,,ये कहोगी की ये सब तुमने मेरे लिए किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दुःख इस बात का नहीं है नैना की राज ने मेरे साथ ऐसा किया है दुःख इस बात का है की उसने जो कुछ किया उसमे शामिल तुम भी थी। उसे यहाँ बुलाना वो सब सिचुएशन खड़ी करना सब तुम्हारा प्लान था। तुमने एक बार भी नहीं सोचा की मेरे दिल पर क्या बीतेगी ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे क्या लगता है जिंदगी सच में उतनी अच्छी है जितनी तुम देखती हो ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सबकी लाइफ में कुछ ना कुछ प्रोब्लेम्स होती है लेकिन तुम हर प्रॉब्लम को खत्म नहीं कर सकती हो। राज ने ही नहीं बल्कि तुमने भी मेरा दिल तोड़ दिया नैना”
कहते हुए शीतल फफक पड़ी। नैना को अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन इस वक्त वह कर भी क्या सकती थी उसने एक नजर अवि की और देखा और फिर शीतल से कहने लगी,”तुम्हे क्या लगता है शीतू ये सब मैंने तुम्हे दुःख पहुंचाने के लिए या फिर परेशान करने के लिए किया है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं बल्कि मैं तुम्हे अब और दर्द में नहीं देखना चाहती थी इसलिए ऐसा किया। जब कभी हमारे पैरो में कोई कांटा चुभ जाये तो हमसे चला नहीं जाता और उसे निकालना जरुरी हो जाता है ,राज भी तुम्हारी जिंदगी में वही कांटा था जिसे निकाल फेकना मुझे सही लगा। तुमने सही कहा जिंदगी उतनी आसान नहीं है जितना मैं देखती हूँ लेकिन एक चीज के पीछे जिंदगीभर रोना भी तो बेवकूफी है ना। हां मानती हूँ मैंने जो किया उस से तुम्हे तकलीफ हुई है लेकिन ट्रस्ट मी शीतू इसके बाद तुम्हारी जिंदगी सही ट्रेक पर आ जाएगी ! “लेकिन तुमने मुझे बिना बताये क्यों किया ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम तो मेरी दोस्त थी ना फिर मुझसे ये सब क्यों छुपाया ?”,शीतल ने कहा तो नैना की खिसक गयी और उसने कहा,”अच्छा तो क्या करती मैं , ढिंढोरा पीटती तुम सबके सामने की मैं सब करने वाली हूँ। समझाने से जब तुम्हे समझ नहीं आया और मुझे ऐसा करना पड़ा लेकिन नहीं तुम्हे तो अब भी उसमे अपना शाहरुख़ खान नजर आता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चू#या साला,,,,,,,,,,,,,,,,,रिप्सेक्ट है उसकी कोई और तूझे और रुचि को ये साले चमनचू#ये ही पसंद क्यों आते है ?,,,,,,,,,,,,,,कुछ अच्छा करो तो गलत,,,,,,,,,,,,,,,कुछ बुरा करो तो और प्रॉब्लम
दोस्त थी ना इसलिए जमीर गवाही नहीं देता दोस्तों के साथ गलत होता देखने की,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे प्रॉब्लम राज से नहीं उसकी घटिया सोच से है प्यार करना गलत नहीं है लेकिन प्यार के नाम पर तुम लोग जो ये चू#यापा करते हो ये बर्दास्त के बाहर है मेरे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं अपने दोस्तों को उसी रस्ते पर जाने दे सकती हूँ जो उनके लिए सही है सुरक्षित है लेकिन नहीं तुम्हे तो जानबूझकर खड्डे में कूदना है , कूदो फिर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं ही चू#या हूँ जो ये सब देख नहीं पाती , झेल नहीं पाती लेकिन तुम सबको तो आदत है पहले अपना कटवाओ और फिर बैठकर रोना रोवो,,,मुझे कोई शौक नहीं बार बार तुम सबसे बहस करने का तुम्हे जो करना है करो , जिसके साथ जाना है जाओ लेकिन मुझसे ये उम्मीद कतई ना करो की मैं चुप रहूंगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जो गलत है वो गलत है फिर चाहे वो दोस्त हो या प्यार मुझे घंटा फर्क नहीं पड़ता।”
कहते कहते नैना का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा , उसकी आवाज सुनकर रुचिका भी वहा चली आयी। नैना का गुस्सा देखकर अवि ने सहजता से कहा,”शांत हो जाओ नैना”
नैना अवि की और पलटी और कहा,”अरे यार पडोसी क्या शांत हो जाओ ? तुम बताओ ये अंधी है क्या जो इसे कुछ दिखाई नहीं देता या बच्ची है जो बार बार इसे समझाना पड़ता है। उसका सच जानने के बाद भी इसको दुःख इस बात का है की मेरे बनाये प्लान की वजह से राज का असली चेहरा सामने आया ,,,,,,अब या तो ये बहुत ज्यादा समझदार है या है चू#या क्योकि दोनों ही किसी की नहीं सुनते है।”
“तुम्हे ये बाते समझ नहीं आती है क्योकि तुम्हारी जिंदगी में प्यार नहीं है , ये रिश्ते कितने नाजुक होते है इसका तुम्हे अंदाजा भी नहीं नैना। राज से जिंदगी में भले अब मैं दोबारा ना मिलु पर एक दोस्त होकर तुमने जो किया सही वो भी नहीं था। जो तकलीफ आज मुझे हो रही है उसका अंदाजा तुम्हे नहीं है ना कभी होगा क्योकि तुम्हारे लिए ये सब खेल है , प्लान है और ड्रामा है।”,शीतल भी गुस्से में फुट पड़ी
नैना ने अपना सर पीटते हुए कहा,”मतलब हद है , तुम्हारे कहने का मतलब है जिसने चिकन नहीं खाया वो बता नहीं सकता की वो वेज है या नॉनवेज ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अजीब इंसान हो यार। हां नहीं है मुझे प्यार मोहब्बत का कोई एक्सपीरियंस अगर बन्दे बुखार हो तो उसे पेरासिटामोल दूंगी , मुह्हा मुह्हा
करके खुद को डॉक्टर नहीं समझूंगी मैं। और तुम लोग जिस प्यार में हो ना उसे प्यार नहीं सिर्फ और सिर्फ चुतियापा कहते है जिसमे ना कोई सेल्फ रिस्पेक्ट है , ना कोई इज्जत है और प्यार तो है ही नहीं प्यार के नाम पर बस से,,,,,,,,,,,,,,,,,!” नैना आगे कहती इस से पहले ही अवि ने उसके मुंह पर हाथ रखकर ना में गर्दन हिला दी नैना ने अवि का हाथ हटाया और कहा,”सॉरी !’
फिर पलटकर शीतल से कहा,”यू नो व्हाट ? , जिंदगी एक बार मिलती है उसे राज जैसे इंसान के पीछे बर्बाद मत करो ,, बहुत से राज और मिल जायेंगे लेकिन प्यार की नाम पर अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट का गला घोंटना बंद करो !”


नैना की बाते शीतल को अच्छी नहीं लगी वह चुपचाप वहा से चली गयी। रुचिका भी शीतल के पीछे पीछे चली गयी नैना को अच्छा नहीं लगा उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर वो कहा गलत थी। वह खामोश खड़ी देखती रही अवि उसके सामने आया और कहा,”तुम्हे शीतल पर इस तरह चिल्लाना नहीं चाहिए था नैना”
“क्या मैंने कुछ गलत कहा ?”,नैना ने अवि की आँखों में देखकर कहा
अवि ने देखा नैना की आँखो में इस वक्त सिर्फ खालीपन नजर आ रहा था वह कुछ बोल ही नहीं पाया उसने बस ना में अपनी गर्दन हिला दी। नैना वहा से चली गयी अपने फ्लैट में आयी तो देखा शीतल अपने सुइटकेस में अपने कपडे भर रही थी। नैना ने देखा तो उसकी बांह पकड़कर उसे अपनी और करके कहा,”कहा जा रही हो ?”
“मैं कही भी जाऊ तुम्हे उस से कोई मतलब नहीं है नैना , अपने घर जा रही हूँ अपने भैया भाभी के पास , थक चुकी हूँ मैं दिल्ली की इस चकाचोंध से , रोजमर्रा की इन परेशानियों से , घुटन होने लगी है मुझे यहाँ , मुझे अब यहाँ नहीं रहना है”,कहते हुए शीतल फिर अपना सामान पैक करने लगी नैना ने देखा तो अच्छा नहीं लगा वह रुचिका के पास आयी और कहा,”यार रूचि समझा ना इसे क्या कर रही है ये ?”
“तुमने बताया था जब तुमने ये सब किया ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नैना हम तीनो अच्छे दोस्त थे , हमारे बिच कभी कोई बात छिपी नहीं थी लेकिन इस बार तुमने मुझे बताना तक जरुरी नहीं समझा”,रुचिका भी नैना के प्लान के बारे में जानने के बाद उस से नाराज थी।
“यार मैं क्या बताती ? और कोनसा कुछ हो गया सब अच्छा ही तो हुआ और तू भी चाहती थी ना राज उसकी जिंदगी से चला जाये फिर आज ये सब क्यों ?”,नैना ने झुंझलाकर कहा
“हां मैं चाहती थी राज उसकी जिंदगी से चला जाये लेकिन उसकी आँखों में आंसू देकर नहीं”,कहकर रुचिका वहा से चली गयी नैना की झुंझलाहट अब बेबसी में बदल गयी थी। उसने कुछ नहीं कहा और वहा से चली गयी निचे आकर उसने सार्थक की बाइक की चाबी ली और बाइक लेकर अपार्टमेंट से बाहर निकल गयी। नैना का मन इस वक्त बहुत अशांत था और ऐसे में उसका सबसे दूर रहना बहुत जरुरी था क्योकि नैना खुद अपने गुस्से से बहुत डरती थी। अपने गुस्से की वजह से वह रुचिका और शीतल की दोस्ती को खोना नहीं चाहती थी !
दिनभर बाइक से यहाँ वहा घूमने के बाद नैना शाम को घर आयी तो देखा शीतल अपने घर जा चुकी थी। रुचिका भी अपना बैग जमाये खड़ी थी नैना को देखकर उसके पास आयी और कहा,”कल दशहरा है उसके बाद दिवाली तक ऑफिस की छुट्टियां है , मम्मी पापा भी काफी दिनों से घर आने को कह रहे है इसलिए मैं घर जा रही हूँ ,, 1 घंटे बाद मेरी ट्रेन है।”
“हम्म्म्म ओके !”,नैना ने बुझे मन से कहा
“मैं चलती हूँ अपना ध्यान रखना और हां तुम भी घर चली जाना”,रुचिका ने कहा और अपना बैग लेकर वहा से चली गयी ! रुचिका और शीतल का इस तरह चले जाना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। वह सोफे पर आकर लेट गयी आँखों के आगे शीतल और रुचिका के साथ बिताये सारे खूबसूरत पल किसी फिल्म की तरह चलने लगे। नैना घंटो सोफे पर पड़ी रही और जब घुटन होने लगी तो उठकर वाशबेसिन के सामने आयी और मुंह धोया। घडी में देखा रात के 10 बज रहे थे आज पहली बार नैना को भूख का अहसास नहीं हुआ था। नैना ने कपडे बदले शॉर्ट्स और टीशर्ट पहना और ऊपर टेरेस पर चली आयी। दिवार पर बैठी नैना सामने खाली पड़े सुने आसमान को देखने लगी। आज चाँद अपनी पूरी रौशनी में नहाया हुआ था , नैना की आँखों में खालीपन पसरा हुआ था और चेहरा उदास वह काफी देर तक एकटक आसमान को निहारती रही और फिर दूसरी और नजर घुमाई तो उसकी नजर दिवार से लगाकर रखे गिटार पर चली गयी। नैना दिवार से निचे उतरी और गिटार के पास आयी उसने उसे उठाया इधर उधर देखा लेकिन वहा कोई नहीं था नैना उसे लेकर दिवार के पास चली आयी और उसे हाथो में थामकर उंगलिया चलाई। कॉलेज टाइम में नैना ने गिटार सीखा था लेकिन उसके बाद कभी बजाने का मौका नहीं मिला। नैना ने कोई धुन छेड़ी और फिर धीरे धीरे खुद से गुनगुनाने लगी
“खुशनुमा था वो पल , जब हम मिले थे,,,,,,,,,,,,,!!!!!
ना शिकवे थे किसी से , ना कोई गीले थे,,,,,,,,,,,,,,!
क्यों तू इतना ? , अब खफा हो गयी है,,,,,,,,,,!!
हां ये कैसी ? , मुझसे खता हो गयी है,,,,,,,,,,,,,,,,!!!!
मिल जाओ ना फिर से मुझे , इन रास्तो में,,,,,,,,,,,,,,!!
क्या रखा है ? , गुस्से की इन बातो में,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
तुम थे , हम भी थे , एक दूजे के जज्बातो में,,,,,,,,,,,,,!!!
अब ना रहा मजा , किसी से मुलाकातों में ए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ए !!
जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब ना रही है जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जो थी उलझी सी तेरी मेरी जिंदगी
यारियां,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खामोश हुई ये यारियां,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बोलती थी खामोशियाँ भी जिनकी कभी
तेरी बेरुखी पर हारा दिल कहेगा ना कभी
Love You जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब ना मिलेंगे हम कभी
Love You जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,टूटे है दिल , टूटे सभी
Love You जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दुनिया थी बुरी बस हम ना थे कभी
Love You जिंदगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,येहहहह !!!
गाते गाते नैना का गला रुंध गया। उसकी आँखों में नमी तैर गयी और उसके हाथ गिटार पर रुक गए तभी अवि वहा आया और उसकी बगल में दिवार पर बैठकर चाय से भरा बड़ा सा कप उसकी और बढाकर कहा,”चाय !”
नैना ने देखा उसने गिटार साइड में रखा और कप ले लिया , एक घूंठ भरकर कहा,”हम्म्म अच्छी है !”
“मैंने सोचा नहीं था तुम इतना अच्छा गाती भी हो !”,अवि ने कहा
“बस यु ही !”,नैना ने कहा
“रुचिका और शीतल के जाने से अपसेट हो , मिस कर रही होगी ना उन्हें”,अवि ने कहा
“एक्चुअली आई मिस माय डेड !”,नैना ने अवि की और देखकर कहा तो अवि थोड़ा हैरानी से नैना को देखने लगा और नैना ने नजरे घुमाकर कहा,”जब भी मैं परेशान होती हूँ वो मेरे साथ होते है , बस आज नहीं है !”
अवि उठा और नैना के सामने आकर एकदम से कहा,”ओके वैसे मैं तुम्हारा डेड नहीं हूँ लेकिन तुम चाहो तो 10 मिनिट के लिए मुझे अपना डेड मान सकती हो ,, नाउ यू शेयर एवरीथिंग !”
नैना ने सूना तो उसे अच्छा लगा और वह चाय का कप साइड में रखकर निचे उतरी और अवि के गले लगकर कहा,”आई नीड़ अ हग !”
बेचारा अवि जिसे ऐसा कुछ होने का अंदाजा भी नहीं था बस खामोश खड़ा रहा।”

क्रमश – love-you-zindagi-70

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संजना किरोड़ीवाल !!

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