हाँ ये मोहब्बत है – 36
Haan Ye Mohabbat Hai – 36
निहारिका ने मीरा बनने का एक दिन का चेलेंज लिया और वह इसमें बुरी तरह से फ़ैल हुई। अक्षत का गुस्सा तो दूर वह अक्षत की एक इग्नोरेंस तक नहीं झेल पायी थी। ना ही घरवालों का दिल जीत पाई। अक्षत के जाने के बाद निहारिका बुझे मन से नीचे चली आयी। शाम हो चुकी थी मीरा मंदिर में संध्या आरती कर रही थी और उसके बाद हॉल में आकर काव्या को पढ़ाने लगी। मीरा के साथ सबसे खूबसूरत चीज ये थी की उसके साथ हर उम्र का इंसान सहज और खुश रहता था। बच्चो के साथ मीरा बच्चो जैसी थी और बड़ो के साथ बड़ो जैसी ,, निहारिका ने मीरा को काव्या के साथ हँसते मुस्कुराते देखा तो मन ही मन कहने लगी,”मीरा जैसा बनने के लिए सबसे पहले मुझे मीरा को समझना होगा , उसके जैसी सोच , उसके जैसा बिहेवियर सब सीखना होगा मे बी इसके बाद मैं उसके जैसी बन पाऊ,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे गलत साबित करके रहूंगी मिस्टर अक्षत व्यास”
कहते हुए निहारिका अपने कमरे में चली गयी रात के खाने के बाद मीरा विजय जी के कमरे में आयी अगले दिन होली थी लेकिन निहारिका के आने की वजह से सब अपसेट थी और होली की भी कोई तैयारियां नहीं थी। मीरा ने दरवाजे पर खड़े होकर कहा,”क्या हम अंदर आ सकते है ?”
“मीरा तुम्हे इजाजत लेने की जरूरत नहीं है आओ बेटा”,विजय जी ने अपनी फाइल साइड में रखते हुए कहा
मीरा अंदर चली आयी और कहा,”हमे आपसे कुछ बात करनी थी पापा”
“हां कहो”,विजय जी ने कहा तो मीरा उनके पास आयी और कहने लगी,”हम जानते है की आपने कभी हमारी कोई बात नहीं टाली है। हम जानते है निहारिका के इस घर में आने की वजह से घर का माहौल बदल गया है और आप अक्षत जी से भी बहुत नाराज है। हम यहाँ अक्षत जी की शिफारिश लेकर नहीं आये है , कल होलिका दहन है पापा और शादी के बाद इस घर में हमारा पहला त्यौहार है जिसे हम आप सबके साथ मनाने वाले है। निहारिका के आने से इस घर की खुशियों पर फर्क नहीं पढ़ना चाहिए ना पापा”
“कल पुरे धूम धाम से होलिका दहन हो तुम यही चाहती हो ना मीरा ?”,मीरा की बात सुनकर विजय जी ने नरम स्वर में कहा
“हम्म्म”,मीरा ने धीरे से कहा
“यहाँ आओ”,विजय जी ने मीरा को अपने पास आकर बैठने को कहा तो मीरा आकर उनकी बगल में बैठ गयी। विजय जी ने प्यार से उसके सर पर हाथ रखा और कहने लगे,”इस घर की खुशियों के लिए तुमने हमेशा त्याग किया है मीरा और आज तुम्हारी खुशियों का मौका आया है तो मैं स्वार्थी नहीं हो सकता , कल होलिका दहन पूरी विधि से , धूमधाम से होगा। अक्षत की गलती की सजा तुम्हे क्यों मिले ?”
“थैंक्यू पापा”,मीरा ने मुस्कुरा कर कहा। मीरा को मुस्कुराते देखकर विजय जी भी मुस्कुरा दिए राधा कमरे में आयी विजय जी को मुस्कुराते देखा तो कहने लगी,”क्या बातें हो रही है दोनों बाप बेटी के बीच ?”
“कुछ नहीं माँ बस कल को लेकर बात हो रही थी , आप तो कहती है की पापा बहुत सख्त है लेकिन इन्होने तो हमारी बात मान ली”,मीरा ने राधा के पास आकर कहा तो राधा मुस्कुरा दी और मीरा का गाल छूकर कहा,”इस घर में कोई तुम्हे ना कह सकता है क्या मीरा ?”
“बिल्कुल मीरा तो हम सबका जैकपॉट है किसी भी बात को मनवाना हो तो इसे कह दो”,जीजू ने अर्जुन के साथ कमरे में आते हुए कहा
“वो इसलिए क्योकि मीरा हमेशा सबका अच्छा चाहती है”,विजय जी ने कहा
“और इस घर के सब लोग मीरा का अच्छा चाहते है”,कहते हुए तनु और नीता भी उनके कमरे में चली आयी
“मीरा नहीं ये हमारी एंजेल है , है न चीकू ?”,काव्या ने चीकू और निधि की ऊँगली पकड़ कर कमरे में आते हुए कहा तो चीकू ने भी हाँ में गर्दन हिला दी।
“और तुम सब इस घर की जान हो”,बाकि की कमी दादू और दादी ने कमरे में आकर पूरी कर दी। विजय जी ने देखा आज सारे घरवाले उनके कमरे में है तो उन्होंने ऑफिस की फाइल्स को साइड में रखते हुए कहा,”आज सब एक साथ मेरे कमरे मे”
“जैसे जैसे तेरी उम्र हो रही है तू और सख्त होता जा रहा है विजय , अरे कभी परिवार के लिए भी वक्त निकालना चाहिए”,दादू ने विजय जी की बगल में बैठते हुए कहा। अर्जुन जीजू भी बेड पर आ बैठे वही नीचे पड़े गद्दे पर नीता , तनु , निधि आ बैठी। दादी माँ और राधा पास पड़े दूसरे सोफे पर आ बैठी। मीरा ने नीचे बैठना चाहा तो राधा ने उसे मुड्ढे पर बैठने को कहा। सब बैठकर होलिका दहन की का प्लान बनाने लगे। वहा सब थे बस अक्षत नहीं था। मीरा ने देखा अक्षत नहीं है तो उसने उठते हुए कहा,”हम अभी आते है”
कहकर मीरा वहा से निकल गयी। मीरा ऊपर अपने कमरे में आयी , देखा अक्षत वहा नहीं है। मीरा छत पर चली आयी देखा अक्षत दिवार के पास खड़ा सामने आसमान में चमकते चाँद को देख रहा है। मीरा आकर उसके बगल में खड़ी हो गयी और कहा,”चाँद खूबसूरत लग रहा है ना ?”
“तुमसे थोड़ा कम”,अक्षत ने मीरा की तरफ देखकर कहा तो मीरा मुस्कुरा उठी और कहा,”आप यहाँ क्या कर रहे है ? नीचे सब कल होलिका दहन की बातें कर रहे है , आप भी चलो”
“मैं गया तो पापा को अच्छा नहीं लगेगा”,अक्षत ने कहा
“पर आपको वहा ना देखकर हमे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा”,मीरा ने अक्षत की तरफ देखते हुए कहा तो अक्षत मीरा की तरफ पलटा और कहने लगा,”मैं अभी सही फैसले नहीं ले पाता ना मीरा ?”
“और ऐसा आपको क्यों लगता है ?”,मीरा ने जवाब ना देकर सीधा सवाल किया
“निहारिका को इस घर में लेकर आने का मेरा फैसला शायद सही नहीं था”,अक्षत ने कहा
मीरा ने अक्षत के हाथो को अपने हाथो में थामा और उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगी,”अक्षत जी निहारिका को यहाँ लाने का फैसला सही है या नहीं नहीं हम नहीं जानते पर हां आपके इस फैसले की वजह से हमारे रिश्ते में एक चीज बढ़ जाएगी और वो है प्यार , निहारिका की वजह से ही सही आज हम दोनों ही एक दूसरे को खोने से डरेंगे और हर कोशिश करेंगे की हमे कोई अलग ना कर सके। मोहब्बत करना आसान है पर कभी कभी उस मोहब्बत को आजमाना भी पड़ता है। निहारिका हमारे जीवन में प्यार का नया रूप बनकर आयी है। निहारिका तो क्या दुनिया में कोई भी इंसान हमारा प्यार नहीं बाट सकता जानते है क्यों क्योकि हमारी मोहब्बत में सब है , रूठना-मनाना , लड़ाई-झगडे , अहसास , भरोसा बस नहीं है तो वो है अंत,,,,,,,,,,,!!!”
“तुम्हारी यही बातें ना मुझमे जीने की इच्छा और बढ़ा देती है मीरा , मैं जितना उलझा हुआ हूँ तुम उतनी ही सुलझी हुई हो और सच कहू तो मैं तुम्हे कभी खोना नहीं चाहता”,अक्षत ने मीरा का चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा। मीरा प्यार से अक्षत के चेहरे को निहारने लगी और कहा,”तो फिर हमारी बात मानिये , हमारे साथ नीचे चलिए। आपसे कोई नाराज नहीं है”
“मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहना चाहा तो मीरा ने कहा,”आप हम पर भरोसा करते है ना , अगर हां तो फिर चलिए”
अक्षत मीरा को ना नहीं कह पाया और उसके साथ नीचे चला आया। मीरा अक्षत को लेकर विजय जी के कमरे में आयी। अक्षत को देखकर सभी खुश हो गए सिवाय अर्जुन और विजय जी के क्योकि दोनों ही उस से नाराज थे। विजय ने सबके सामने अक्षत से कुछ नहीं कहा। अगले दिन होलिका दहन था इसलिए विजय जी ने सबको घर में ही रहने को कहा। सभी खुश थे अक्षत चुपचाप दिवार से पीठ लगाए खड़ा था। कुछ देर बाद सभी एक एक करके अपने अपने कमरों में चले गए। अक्षत जाने लगा तो विजय जी ने कहा,”आशु”
“जी पापा”,अक्षत ने पलटकर कहा
विजय जी अक्षत के पास आये और कहा,”तुमने जो किया वो क्यों किया मैं नहीं जानता और जानना चाहता भी नहीं हूँ , मैं बस इतना जानता हूँ की मीरा तुमसे बहुत प्यार करती है , उसके प्यार और उसके भरोसे को गलत साबित नहीं होने देना है। एक बाप होने के नाते मुझे तुम पर बहुत फक्र है बेटा लेकिन वही फक्र पत्नी होने के नाते मीरा की आँखों में भी देखना चाहता हूँ। वो बच्ची इतनी साफ दिल है की उसे कुछ बुरा भी लगेगा तो वो कभी आकर हम लोगो से नहीं कहेगी , उसके भरोसे को बनाये रखना बेटा”
कहकर विजय जी वहा से चले गये। उनकी बातो से अक्षत को अहसास हुआ की निहारिका को घर में लाना सही नहीं था। अक्षत बाहर चला आया और सोच में डूबा चलने लगा,”क्या होता अगर मैं मिस्टर सिन्हा से साफ साफ ना कह देता ? निहारिका का दिल टूट जाता और कुछ नहीं पर अभी भी तो मैं वही सब कर रहा हूँ एक नहीं ना जाने कितने दिल मेरी वजह से टूट रहे है”
“कहा खोये हो ?”,जीजू ने कहा तो अक्षत की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”क कुछ नहीं जीजू बस ऐसे ही”
“देख तू मुझसे कितना भी छुपाये तेरे चेहरे से मुझे सब पता चलता है,,,,,,,,,,,,,,,,निहारिका के बारे में सोच रहा है ना ?”,सोमित जीजू ने कहा तो अक्षत ने गर्दन झुका ली और कहने लगा,”मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है जीजू , निहारिका को यहाँ नहीं लाना चाहिए था”
“ह्म्म्मम्म एक गलती तुम कर चुके हो पर अब दूसरी गलती मत करो”,सोमित जीजू ने कहा
”दूसरी गलती मतलब ?”,अक्षत ने हैरानी से पूछा
“मतलब ये की जिस सोच के साथ तुम निहारिका को इस घर में लाये थे पूरा करो , उसके सामने कमजोर पड़े तो तुम हार जाओगे”,सोमित जीजू ने कहा
अक्षत खामोश रहा उसे जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। बात जब उसके और मीरा के प्यार पर आती थी तो वह डर जाता था , कितने दर्द और तकलीफ के बाद उसने मीरा को पाया था ये हर कोई जानता है। उसे खामोश देखकर जीजू ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”कल होली है मीरा को वक्त दे उसके साथ टाइम स्पेंड कर बाकि कोई हो ना हो मैं तुम्हारे साथ हूँ”
अक्षत ने सोमित की तरफ देखा तो सोमित ने कहा,”मीरा से कितना प्यार करता है ये तेरी आँखों में आज भी दिखता है , चल अब जा मीरा इंतजार कर रही हो”
कहकर सोमित जीजू अपने कमरे में चले गए और अक्षत ऊपर चला आया। कमरे में आकर अक्षत ने देखा मीरा सो चुकी थी अक्षत ने दरवाजा बंद किया और मीरा की तरफ चला आया। उसके सर के नीचे तकिया रखा , पास पड़ी कम्बल उसे ओढ़ाई और उसका सर चूमते हुए मन ही मन कहा,”मैं तुम्हे छोड़कर कही नहीं जाऊंगा मीरा”
मीरा सो चुकी थी अक्षत ने प्यार से उसका सर सहलाया और फिर उसकी बगल में लेट गया। कुछ देर बाद उसे भी नींद आ गयी।
सुबह सुबह घर में काफी चहल पहल थी सारे लोग घर में ही थे बड़े भी और बच्चे भी। दादू और विजय जी हॉल में बैठकर अख़बार पढ रहे थे। नीता और राधा किचन में थी। काव्या चीकू को अपनी बुक दिखा रही थी और चीकू खुश हो रहा था। दादी माँ मंदिर में पूजा कर रही थी। राधा रघु को काम समझा रही थी और रघु सब सुन रहा था। अर्जुन और जीजू बाहर से घूमकर आये थे।
वे दोनों भी आकर सोफे पर बैठ गए। विजय जी ने अर्जुन को शाम के फंक्शन की तैयारियों के बारे में बता दिया। नीता सबके लिए चाय ले आयी। कुछ देर बाद मीरा भी चली आयी तो विजय जी ने उसे अपने पास बुलाकर कहा,”मीरा सब तुम्हारे कहे मुताबिक हो गया अब खुश हो ना ?”
“हम्म्म !”,मीरा ने बड़ी सी स्माइल के साथ कहा और वहा से चली गयी। नाश्ते के वक्त अक्षत भी नीचे चला आया , उसने देखा सब बैठे है वह वापस जाने लगा क्योकि वह नहीं चाहता था की उसकी वजह से विजय जी एक बार फिर उठकर चले जाये। अक्षत जाने को हुआ तो विजय जी ने कहा,”आशु”
“हां पापा”,अक्षत ने रुकते हुए कहा
“कहा जा रहे हो बैठो नाश्ता करो”,विजय जी ने कहा तो वहा खड़ी मीरा और राधा एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दी। अक्षत मन से थोड़ा बोझ हल्का हो गया और वह आकर नाष्ता करने बैठा। जीजू और अर्जुन आपस में खुसर फुसर करते हुए कहने लगे,”क्या सख्त बनेंगे मौसाजी दो दिन में ही पिघल गए”
“अरे जीजू पापा न घूम फिर के उसकी तरफ हो ही जाते है”,अर्जुन ने कहा
“हम्म्म”,जीजू ने कहा
“वैसे आप किसकी साइड हो ?”,अर्जुन ने जीजू को शक की नजरो से देखते हुए कहा
“मैं तो तुम्हारी ही साइड हूँ”,कहते हुए जीजू ने अपना एक हाथ बगल में बैठे अक्षत के कंधे पर रख दिया। अर्जुन ने देखा तो कहा,”ये कैसा मेरी साइड है ? हाथ तो उसकी साइड है”
“अरे हाथ को छोडो पूरी बॉडी तुम्हारी साइड है यार , अच्छा छोडो ये सब और नाश्ता करो”,जीजू ने कहा तो अर्जुन चुपचाप खाने लगा। कुछ देर बाद निहारिका अपने कमरे से बाहर आयी। उसे देखते ही बाकि सबका मुंह बन गया लेकिन मीरा ने सहजता से कहा,”निहारिका आप वहा क्यों खड़ी है यहाँ आईये ?”
निहारिका आकर खाली कुर्सी पर बैठ गयी तो मीरा ने उसके लिए भी नाश्ता परोसा निहारिका चुपचाप खाने लगी इस बीच वह सिर्फ मीरा को ऑब्जर्व कर रही थी। उसके हाव भाव , उसका बात करना , उसका काम करना।
नाश्ता करने के बाद सभी अपने अपने दूसरे कामो में लग गए। अब अर्जुन , सोमित जीजू , निधि और अक्षत को कोई काम नहीं था इसलिए उन लोगो ने प्लान किया की वे लोग बैठकर कैरम खेलेंगे। चारो वहा से हॉल में आ गए लेकिन अर्जुन अक्षत से नाराज था इसलिए निधि के साथ टीम बना ली। अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस मन ही मन मुस्कुरा रहा था क्योकि वह जानता था अर्जुन उस से ज्यादा देर नाराज नहीं रह सकता।
नाश्ते के बाद राधा ने होली के लिए मिठाईया और गुजिया बनाना शुरू किया। गुजिया बनाने के लिए उन्होंने सारा सामान डायनिंग पर रख दिया नीता और तनु गुजिया बनाने लगी तो मीरा भी आकर उनके पास बैठ गयी और कहा,”हमे भी बनानी है”
“किसके लिए ?”नीता ने शरारत से पूछा
“क्या भाभी आप भी ? सबके लिए बनानी है”,कहते हुए मीरा गुजिया बनाने लगी। उस घर में सब अपने अपने कामो में लगे थे खुश थे। निहारिका को लग रहा था जैसे उसकी मौजूदगी से इन लोगो को कोई फर्क ही नहीं पड़ता। सबको देखकर अपसेट होने के बाद वह बाहर जाने लगी तो मीरा ने कहा,”निहारिका आप भी आ जाओ”
“मुझे कोई शौक नहीं है इन लोगो के लिए ये सब बनाने का ,,,,,,,,,,,,,,एक्चुअली दे डोंट डिजर्व माय अटेंशन”,कहकर निहारिका फोन कान से लगाए चली गयी
“इस चुड़ैल को तो ना मैं धक्के मारकर बाहर निकालूंगी”,नीता ने कहा
“भाभी जाने दीजिये वो अपसेट है”,मीरा ने कहां
“मीरा तुम्हारी ये अच्छाई ना तुम्हे ले डूबेगी एक दिन”,नीता ने कहा
“अच्छा होना बुरा तो नहीं होता न भाभी और वैसे भी हमारी माँ कहती थी गुस्सा और नफरत जिसे नहीं बदल सकता है उसे मोहब्बत से बदला जा सकता है”,मीरा ने कहा और फिर वापस गुजिया बनाने लगी
Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36 Haan Ye Mohabbat Hai – 36
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संजना किरोड़ीवाल
♥️♥️Nice part …Ab Akshat kya karega…yeh Niharika inki zindagi se kab jayegi…♥️♥️
Akshat se sabki narajgi khatm ho hi jayegi bus ab Niharika samjh jaye ki vo Jo Pana chahti h vo ab sambhav nhi h
Oho ye chudail Niharika ab kya krne waali…..ghrvalo ke prati Meera Ka pyaar or attention dekhkr age smjh jaati hai to thik h…..nhi to akshat hi Kuch krega ab….
Wakai meera ko jis tarah se aaj describe kia h wo bhut hi acha h, sab uski baat maan jate h bade bhi or bacche bhi, meera is amazing
Superb part… Meera sabko bahut acche se samjhti h… Vijay ji bhi meera ko apne baccho se Jayda pyar krte h… akshat se sabki narazgi khatam sivay arjun k…jiju to dogle nikle akshat k sath h or arjun ko bhi aashwasn diya hua h.. Meera ne sahi kaha jo kaam nafrat se nhi ho sakta wo Mohabbat se ho jata h…. waiting eagerly for next part
Heart touching
Beautiful part 🥰🥰
Yes lovely story
Nice part mam