हाँ ये मोहब्बत है – 12
Haan Ye Mohabbat Hai – 12
अक्षत दिल्ली आ चूका था और सोमित जीजू इसी बात से परेशान थे की कही अक्षत को उनके बुरे हालातो के बारे में पता ना चल जाये। ऑफिस में किसी बात को लेकर सोमित जीजू की नौकरी जा चुकी थी। घर गिरवी था और कुछ लॉन की किश्ते भी बाकि थी। इतनी परेशानियों के बाद भी सोमित सबके सामने हसने मुस्कुराने का नाटक कर रहा था। अक्षत से उन्होंने इसलिए नहीं कहा क्योकि अभी अभी उसकी शादी हुई थी और वे उसे किसी परेशानी में डालना नहीं चाहते थे वही विजय जी से भी इस बारे मे उन्होंने बात नहीं की। देर रात सोमित सोने चला गया।
सुबह अक्षत उठा तनु ने उसके लिए नाश्ता बना दिया। सोमित को देखकर अक्षत ने बैठते हुए कहा,”जीजू आप ऑफिस नहीं जा रहे आज ?”
“हां हां वो मुझे थोड़ा काम है इसलिए लेट जाऊंगा”,जीजू ने अक्षत से नजरे चुराते हुए कहा
“ओके , दी नाश्ता”,अक्षत ने तनु की और देखकर कहा
“हां अभी लायी”,कहकर तनु किचन की और चली गयी और अक्षत सोमित के लिए नाश्ता ले आयी। अक्षत ने नाश्ता किया और फिर अपनी गाड़ी लेकर वहा से चला गया। अक्षत ने कोर्ट आकर अपना ट्रांसफर इंदौर करवाने की बात कही , कोर्ट ने उसे 2 हफ्ते का टाइम दे दिया। दोपहर बाद अक्षत कोर्ट से निकला रस्ते में वो कैफे पड़ा जहा अक्षत ने कभी काम किया था। अक्षत ने गाड़ी वहा रोक दी और अंदर चला आया। दो साल में वहा काफी कुछ बदल चुका था , रिसेप्शन पर चेतन बैठा हुआ था उसे देखकर अक्षत ने कहा,”वन कॉफी विदाउट शुगर”
चेतन किसी काम में लगा था जैसे ही अक्षत की आवाज उसके कान में पड़ी उसने सामने देखा। चेतन अक्षत को देखते ही पहचान गया और बाहर आकर कहा,”अरे वकील साहब”
“यहाँ से गुजर रहा था सोचा आपसे मिलता चलू , कैसे हो सर ?”,अक्षत ने मुस्कुरा कर कहा
“मैं ठीक हूँ तुम बताओ वो लड़की मिली बाद में तुम्हे या नहीं , यहाँ से जाने के बाद तुमने तो एक फोन भी नहीं किया”,चेतन ने कहा
“चलिए कॉफी पीते हुए बताता हूँ”,अक्षत ने कहा तो चेतन ने लड़के को दो कप कॉफी देने को कहा और फिर आकर अक्षत के साथ बैठकर बातें करने लगा। दिल्ली से जाने के बाद क्या क्या हुआ अक्षत ने उसे सबा बताया। अक्षत को उसकी मीरा मिल चुकी है ये जानकर चेतन बहुत खुश हुआ। दोनों ने कॉफी पि और कुछ देर वहा रुकने के बाद अक्षत वहा से निकल गया। अक्षत अपनी गाड़ी के पास आया और जैसे ही दरवाजा खोलने लगा एक छोटा सा लड़का मैले कुचैले कपडे पहने वहा आया और कहा,”सुबह से कुछ नहीं खाया भैया कुछ खाने को दो न”
अक्षत को उस लड़के पर दया आ गयी वह उस लड़के को लेकर वापस चेतन के कैफे में आया और उसे बैठने का इशारा करके खुद रिसेप्शन की और चला गया। वह से उसने लड़के के लिए एक ग्लास दूध और सेंडविच लिए और ट्रे लेकर टेबल की और चला आया। लड़के ने खाना देखा तो उसके चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी। अक्षत ने उसे खाने को कहा और पैसे चुकाकर वहा से चला गया। ये सब गुण अक्षत में मीरा के साथ रहते हुए आये थे। गाड़ी लेकर अक्षत घर जाने के लिए निकल पड़ा। शाम के 5 बज रहे थे अक्षत जैसे ही घर पहुंचा देखा घर के बाहर एक गाड़ी खड़ी है , अक्षत अंदर आया उसे देखते ही काव्य दौड़कर आयी और अक्षत से लिपटते हुए कहा,”मामू देखो ना ये सब लोग,,,,,,,,,,,!!” डर के मारे बाकी के सब शब्द काव्या के मुंह में ही अटक गए। अक्षत ने काव्या को साइड किया और आगे आया एक आदमी जो जीजू को धमका रहा था अक्षत ने उसके कंधे पर हाथ रखा तो आदमी गुस्से से पलटा और अक्षत को धकियाते हुए कहा,”कौन है बे तू ? ये हमारा आपस का मामला है बीच में मत पड़ समझा”
“जीजू कौन है ये लोग ? और ऐसे घर में कैसे घुस आये ?”,अक्षत ने सोमित से पूछा
“ए समझ में नहीं आया तेरे को , चल निकल यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने जैसे ही अक्षत के कंधे पर हाथ रखा अक्षत ने गुस्से से एक घुसा उसके गाल पर मारा , एक ही वार में उछलकर आदमी नीचे जा गिरा।
“दी काव्या को अंदर लेकर जाईये”,अक्षत ने गुस्से से अपनी शर्ट की बाजु को फोल्ड करते हुए कहा। तनु काव्या को लेकर वहा से चली गयी। अक्षत अभी बाजु फोल्ड कर ही रहा था की तभी दुसरे लड़के ने उसे मारने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया अक्षत ने उसे भी पीटना शुरू कर दिया , फिर क्या था एक के बाद एक करके अक्षत ने उन्हें मारना शुरू किया
“अबे तू है कौन और क्यों मार रहा है हम सबको ?”,पीटने वालो में से एक जन ने कहा
लेकिन अक्षत ने कोई जवाब नहीं दिया और सबको पीटते हुए घर से बाहर ला पटका अपनी जान बचाने के चक्कर में सारे वहा से भाग गए। अक्षत आकर घर के दरवाजे के समाने की सीधी पर बैठ गया , गुस्सा उसकी आँखों से साफ झलक रहा था। सोमित जीजू बाहर आये उन्होंने जैसे ही अक्षत के कंधे पर हाथ रखा अक्षत ने अपना कन्धा झटक दिया और कहा,”कौन थे ये लोग ?”
“आशु मेरे ऑफिस के लोग,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,सोमित ने जैसे ही कहना चाहा अक्षत गुस्से में उठा और जीजू का हाथ पकड़कर उन्हें अंदर ले आया। अंदर तनु और काव्या भी थे। अक्षत ने जीजू का हाथ छोड़कर गुस्से से कहा,”ऑफिस के लोग नहीं है वो , और ये मेटर ऑफिस का नहीं है जीजू पर्सनल है”
सोमित ने कुछ नहीं कहा तो अक्षत ने उनकी और देखकर कहा,”आज आपके ऑफिस जाकर आया था मैं , आप वहा नहीं थे जीजू,,,,,,,,,,,,,,,क्या मामला है एटलीस्ट मुझे तो बता सकते है न
अक्षत की बातें सुनकर जीजू कहने लगे,”दिल्ली का कोई बड़ा कॉन्ट्रेक्टर है , अपनी किसी बिल्डिंग के लिए वो अपने पेपर लेकर मेरे ऑफिस आया था। मेरी सभी साथियो ने उस पर साईन कर दिया लेकिन मैंने नहीं क्योकि वो इलीगल था। उसी फाइल की वजह से मुझे डराया धमकाया जा रहा है। ऑफिस में मैंने पेपर्स की हेरा फेरी की है ऐसा इल्जाम लगा कर नौकरी से निकाल दिया है। जो लोग आये थे ये उसी कॉन्ट्रेक्टर के आदमी है , ये घर खाली करवाने आये है,,,,,,,,,,,,,,,,,उन पेपर्स पर साइन करने के अलावा मेरे पास और कोई चारा नहीं है”
“ये सब आप मुझे अब बता रहे है , क्या सच में इतना पराया समझ लिया आपने मुझे ? पिछले एक महीने से आप ये सब टेंशन झेल रहे है एक बार भी बताना जरुरी नहीं समझा अापने”,अक्षत ने दुखी होकर कहा
जीजू उसके पास आये और कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”कितनी परेशानियों के बाद तुम और मीरा एक हुए थे मैं नहीं चाहता था तुम्हारी जिंदगी में कोई और परेशानी आये”
“आपने उस कॉन्ट्रेक्टर की कंप्लेंट क्यों नहीं की ?”,अक्षत ने कहा
“सब पुलिसवाले उसकी मुट्ठी में है आशु , मैंने सब कोशिश की लेकिन सबने मुझे ही झुकने को कहा”,सोमित ने कहा
अक्षत आकर सोफे पर बैठ गया , उसके दिमाग में सेंकडो चीजे एक साथ चलने लगी। कुछ देर बाद काव्या अक्षत के पास आयी और आँखों में आंसू भरकर कहा,”ये लोग हमे घर से निकाल देंगे मामू”
अक्षत ने सूना तो उसने काव्या को अपने पास बुलाया और उसे गले लगाकर कहा,”डरो मत काव्या मैं हूँ ना , मैं सब ठीक कर दूंगा”
काव्या अक्षत की गोद में दुबकी रही। उस रात किसी ने खाना नहीं खाया , काव्या को अक्षत ने थोड़ा बहुत खिला दिया और अपने पास ही सुला लिया। काव्या का सर सहलाते हुए अक्षत सोच में डूबा हुआ था। देर रात मीरा के फोन से अक्षत की तंद्रा टूटी अक्षत ने फोन उठाया और कहा – हां मीरा कहो
“हमने आपको डिस्टर्ब तो नहीं किया ?”,मीरा ने पूछा
“नहीं मैं जाग रहा था”,अक्षत ने कहा
“कैसे है आप ? सुबह से आपने कोई फोन नहीं किया , मैसेज नहीं किया सब ठीक तो है ना वहा ?”,मीरा ने चिंता जताते हुए पूछा
“हां मीरा सब ठीक है , थोड़ा सा काम में बिजी था इसलिए फोन नहीं कर पाया।”,अक्षत ने मीरा से झूठ कह दिया
“जानते ही थे हम की वहा जाने के बाद आप थोड़ा बिजी हो जायेंगे”,मीरा ने कहा
“ऐसी बात नहीं है मीरा बस काम के सिलसिले में थोड़ा सा , मैं जल्दी ही वापस आऊंगा”,अक्षत ने कहा
“हम आपसे शिकायत नहीं कर रहे है अक्षत जी , अच्छा ये बताईये खाना खाया आपने ?”,मीरा ने पूछा
“हां ! तुमने ?”,अक्षत ने पूछा
“हमने खा लिया , आप कुछ परेशान लग रहे है हमे”,अक्षत की बातो से मीरा ने भाँप लिया
“नहीं मैं ठीक हूँ थोड़ा थक गया हूँ , मीरा मैं तुमसे सुबह बात करू प्लीज”,अक्षत ने कहा
“हां , आप सो जाईये ,,, गुड़ नाईट”,कहकर मीरा ने फोन काट दिया। ना चाहते हुए भी अक्षत को मीरा से झूठ बोलना पड़ा वह नहीं चाहता था की मीरा परेशान हो। अक्षत ने कुछ फोन कॉल्स किये और कुछ डिटेल्स मांगी। देर रात अक्षत सोने चला गया। अगली सुबह अक्षत उठा और सुबह सुबह ही गाड़ी लेकर निकल गया। वह क्या कर रहा था किसी को नहीं पता था , ना ही वह किसी को बताना चाहता था। हफ्ते भर में अपने अच्छे कॉंटेक्टक्स की वजह से अक्षत ने उस कॉन्ट्रक्टर और उन सभी लोगो का कच्चा चिटठा निकाल लिया जो इस खेल में शामिल थे। अक्षत ने कॉन्ट्रक्टर के खिलाफ एक फाइल तैयार की और कमिशनर को सौंप दी। चार दिन के अंदर ही उस कॉन्ट्रेक्टर को रिमांड पर ले लिया गया और एक अच्छा खासा केस उस पर बना। अक्षत का ट्रांसफर इंदौर होने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। सोमित का घर जिसके पास गिरवी रखा था अक्षत ने उसे भी छुड़वा लिया। लेकिन इन सब में सोमित की जॉब चली गयी , काव्या का स्कूल छूट गया और तनु , तनु डिप्रेशन में आ गयी। इन सबको सम्हालने वाला सिर्फ अक्षत था और वो सम्हाल रहा था।
इंदौर जाने के एक दिन पहले अक्षत ने तनु से अपना , काव्या और सोमित का जरुरी सामान पैक करने को कहा। उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये सिर्फ अक्षत ही जानता था। जीजू ने देखा तो कहा,”तनु तुम सामान क्यों पैक कर रही हो ?”
“आप सब मेरे साथ इंदौर जा रहे है , आज से आप लोग वही रहेंगे”,अक्षत ने अपने फोन में देखते हुए कहा
“ये कैसी बाते कर रहे हो तुम आशु ? हम लोग वहा कैसे रह सकते है ? और तनु तुम तुम ये पैकिंग करना बंद करो”,सोमित ने तनु को रोकते हुए कहा
अक्षत ने सोमित की बांह पकड़ कर उन्हें अपनी और किया और कहने लगा,”आप सब इंदौर जायेंगे ये मेरा फैसला है दी का नहीं , मैं यहाँ आप सबको अकेले नहीं छोड़ सकता , दी की हालत देखिये , काव्या अभी बच्ची है और आप,,,,,,,,,,,,,,,आप भले किसी को कुछ ना कहे लेकिन आपके चेहरे से साफ नजर आता है जीजू ,, जब मुझे जरूरत थी तब आपने बिना एक पल भी सोचे अपना ये घर गिरवी रख कर मेरे कॉलेज की फीस भरी , मुझे अपने घर में रखा मेरी सारी जरुरतो का ख्याल रखा और आज जब आपको जरूरत है तो आप चाहते है मैं आपको आपके हाल छोड़ दू , बिल्कुल नहीं जीजू आप सब लोग मेरे साथ चलेंगे , वो घर भी आप ही का है वहा आपसे कोई कुछ नहीं कहेगा”
“पागल मत बनो आशु , मैं तनु को वहा नहीं जा सकता”,सोमित ने परेशान होकर कहा
“पागल आप बन रहे है जीजू ,, आप चाहते है तनु दी ऐसे ही डिप्रेशन में रहे , काव्या ऐसे ही घर बैठी रहे,,,,,,,,,,,,,,,,आप मुझसे भी ज्यादा समझदार है जीजू फिर आप मेरी बात क्यों नहीं समझ रहे है ?”,अक्षत ने झुंझलाते हुए कहा
“मैं यही रहकर दूसरी नौकरी ढूंढ लूंगा आशु”,सोमित ने कहा
“बात नौकरी की होती तो मैं आपसे कभी कुछ नहीं कहता जीजू , बात आप लोगो की सेफ्टी की है जिसके खिलाफ मैंने केस किया है मैं नहीं चाहता वे लोग आपको दी और काव्या को कोई नुकसान पहुंचाए इसलिए प्लीज मेरी बात मानिये और चलिए यहाँ से”,अक्षत ने कहा
“तो तू चाहता है की मैं ऐसे मुंह छिपाकर यहां से भाग जाऊ”,सोमित ने गुस्से से कहा
“नहीं जीजू मैं सिर्फ आप लोगो को खुश देखना चाहता हूँ , ऐसे घुट घुट कर जीते देखना नहीं चाहता , इंदौर चलिए वहा आप मेरे साथ मेरे ऑफिस में काम कर सकते है। तनु और काव्या को घर मिल जाएगा वहा पापा माँ मीरा सब है , समझने की कोशिश करो जीजू”,अक्षत ने कहा
“हम लोग वहा नहीं जायेंगे आशु”,सोमित ने कठोर होकर कहा
“तो फिर समझ लीजिये की आज से आपका ये साला मर गया”,अक्षत ने जैसे ही कहा सोमित ने खींचकर एक थप्पड़ अक्षत को मारा और कहा,”खबरदार जो ऐसा कुछ कहा तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत की आँखो में आंसू छलक आये पहली बार जीजू ने उस पर हाथ जो उठाया था लेकिन ये दुःख के आंसू नहीं थे , अक्षत की आँखों में आंसू देखकर सोमित ने आगे बढकर उसे गले लगाते हुए कहा,”मुझे माफ़ कर दे आशु मैंने तुझपर हाथ उठाया , मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा यार की मैं क्या करू,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!
“मुझे बुरा नहीं लगा जीजू आप मुझे एक नहीं 100 थप्पड़ मार सकते है बस एक बार मेरी बात मान लीजिये”,अक्षत ने कहा
“पापा पापा आप क्यों रो रहे हो पापा , मामू को आपने क्यों मारा ?”,सोमित के पैर से लिपटकर काव्या ने रोते हुए कहा। सोमित घुटनो के बल बैठा और कहा,”चुप हो जाओ बेटा पापा नहीं रो रहे , तुम्हारे पापा तो स्ट्रांग है ना”
“हम्म्म्म , मत रोईए पापा”,काव्या ने अपने नन्हे नन्हे हाथो से सोमित के आंसू पोछते हुए कहा यहाँ सोमित का दिल पिघल गया उन्होंने काव्या को गले लगा लिया। सामने खड़ी तनु को भी अपने पास आने का इशारा किया और गले लगा लिया। ये देखकर अक्षत मुस्कुरा उठा सोमित ने देखा तो उसे भी अपने पास बुला लिया। सोमित की जिंदगी में ये दुःख की घडी थी जिसमे अक्षत उसके साथ था
Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12 Haan Ye Mohabbat Hai – 12
क्रमश – हाँ ये मोहब्बत है – 13
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संजना किरोड़ीवाल
Very emotional part,jb dukh mein apni ka sath ho to vo waqt bhi hadi Khushi nikal hi jaata hai
Bhut hi emotional part tha maam
Aaj ke part me Akshat ka apne jiju ke prati Jo pyar aur aadar h vo bhut accha lga 🥰🥰🥰🥰 nice part👍👍👍👍
💕💕💕💕💕💕💕💕💕
Bhut emotional part tha, akshat ne sahi faisla liya hai sabko indore le jane ka, very good akshat
Nice part…👍🏻👍🏻
❤️❤️❤️💗💗💕💕💕💕 heart touching nd very emotional part dear
Bahut sahi faisla liya akshat ne .
Akshat ne sab thik krne ki kosish to ki h… Umeed h ki sab thik he rhe
Yrri se akshat enhe indore le jaye aor akshat aor Meera v jaldi jaldi parents ban jaye
I just love akshat bht samjhadari se sab kuch sambhal liya