Main Teri Heer Season 5 – 49

Main Teri Heer Season 5 – 49

Main Teri Heer - Season 5
Main Teri Heer – Season 5 by Sanjana Kirodiwal

मुरारी का घर , बनारस
शिवम् की गाडी मुरारी के घर के बाहर आकर रुकी। मुन्ना और शिवम् दोनों ही खामोश थे। मुन्ना के बांये हाथ पर पट्टी बंधी थी और ललाट पर बेंडेज लगी थी। शिवम् ने मुन्ना की तरफ देखा और कहा,”घाट पर जो भी हुआ उस बारे में घर पर किसी से चर्चा नाही करना , मुरारी को पता चला तो खामखा वह परेशान होगा”
“हम्म्म,,,,,,हम आगे से ध्यान रखेंगे”,मुन्ना ने सहजता से कहा


“मुन्ना ! जोन राजनीती मा तुमहू कदम रखे हो उह्ह इत्ती आसान और सीधी भी नाही है , तुमको मुरारी से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। हर बार तुमहू सहजता और सरलता की उम्मीद नाही कर सकते तुमको वैसा बनना होगा जैसा राजनीती चाहती है,,,,,,,,बाकि हम समझते है कि तुमहू बहुत समझदार हो जल्दी चीजों को सम्हालना सीख जाओगे,,,,,,,,!!”,शिवम् ने मुन्ना को समझाते हुए कहा
“हम समझ रहे है बड़े पापा,,,,,,”,मुन्ना ने कहा


“रिजल्ट परसो सुबह आएगा तब तक थोड़ा सतर्क रहो , विपक्ष के लड़के तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश जरूर करेंगे,,,,,,,एक बार तुमहू जे इलेक्शन जीत जाओ ओह्ह के बाद अपने तरीके से काम करना बस तब तक थोड़ा शांत रहो”,शिवम् ने कहा
“जी बड़े पापा”,मुन्ना ने कहा
“अब अंदर जाओ और खाना खाकर आराम करो”,शिवम् ने कहा


मुन्ना ने हामी में गर्दन हिलाई और गाड़ी का दरवाजा खोलकर जैसे ही नीचे उतरने को हुआ शिवम् ने कहा,”मुन्ना”
“जी बड़े पापा”,मुन्ना ने कहा
“घबराना मत , कोई भी परेशानी हो तो याद रखना हम है”,शिवम् ने कहा
मुन्ना ने सुना तो हल्का सा मुस्कुरा दिया और हामी में सर हिलाकर चला गया। शिवम् ने गाडी घुमाई और घर के लिए निकल गया।

मुन्ना अंदर आया अनु हॉल में ही थी और डायनिंग पर खाना लगा रही थी। मुन्ना को देखकर अनु ने उसकी तरफ आते हुए कहा,”लो मैं तुम्हे ही फोन करने वाली थी आज खाने में तुम्हारी पसंद की बेसन की कढ़ी बनी है,,,,,,,,,,ये तुम्हे क्या हुआ मुन्ना ? ये चोट कैसे लगी ?”
मुन्ना के हाथ में बंधी पट्टी और माथे पर लगी बेंडेज देखकर अनु परेशान हो गयी।
“बाइक स्लिप हो गयी थी माँ , हम ठीक है बस जरा सी खरोच लगी है,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा


अनु ने मुन्ना का हाथ पकड़ा और उसे लेकर सोफे की तरफ आते हुए कहा,”ये ज़रा सी है , जरा सा खाया-पीया लगता है और तुम फिर कही ना कही चोट लगवा कर आ जाते हो , बहुत खून बहा होगा ना,,,,,,,,,,बहा ही होगा तभी तो हाथ पर पट्टी बंधी है”
अनु को परेशान देखकर मुन्ना ने प्यार से कहा,”माँ ! आप बेवजह इतना परेशान हो रही है देखिये हम बिल्कुल ठीक है,,,,,,,,,,पापा कही नजर नहीं आ रहे , कही बाहर गए है का ?”


“अनु बनारस में सब जरुरी जगह कार्ड दे दिए है कसम से बहुते थक गए है आज तो,,,,,,,,,,किशना जे सब हमाये कमरे में रख दो”,मुरारी ने अंदर हॉल में आते हुए कहा और हाथ में पकडे बचे हुए कार्ड किशना को थमा दिए। किशना मुरारी के कमरे की तरफ बढ़ गया और मुरारी अनु मुन्ना की तरफ आया लेकिन मुन्ना के हाथ में बंधी पट्टी और ललाट पर लगी बेंडेज देखकर मुरारी के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये।
“जे कैसे हुआ मुन्ना ?”,मुरारी ने पूछा


“बाइक स्लिप हो गयी पापा,,,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने धीरे से कहा
 मुरारी मुन्ना के सामने पड़े सोफे पर आ बैठा और कहा,”तुमहू भी यार गजब इंसान हो मुन्ना , अरे बनारस के विधायक बनने वाले हो और बाइक से घूम रहे हो , अरे हमायी जीप किसलिए है कल से तुमहू उह्ह मा घूमे हो समझे,,,,,,बाइक हमाये लिए छोड़ दयो”
अनु ने सुना तो मुरारी की तरफ देखा और कहा,”गजब तो तुम हो मुरारी इसे चोट लगी है और तुम इसे जीप लेकर घूमने को कह रहे हो”


“अरे इत्ती सी चोट से का फर्क पड़ता है , मर्द का बच्चा है इत्ती सी चोट तो बचपन मा हम और शिवम् भैया थूक लगा के ठीक कर लेते थे,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
मुन्ना ने सुना तो मुस्कुरा उठा। अनु उठकर डायनिंग की तरफ चली गयी तो मुरारी मुन्ना की तरफ झुका और धीमे स्वर में कहा,”जे सब विपक्ष पार्टी का काम तो नाही है ना , अगर है तो बताओ ट्रीटमेंट करवा देते है,,,,,,,,,,,का है कि राजनीती मा जे सब होता रहता है बस सामने नाही आता”


“नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है , बड़े पापा ने सही कहा था”,मुन्ना ने गंभीरता से कहा
“का कहे रहे तुम्हाये बड़े पापा ?”,मुरारी ने पीछे हटकर कहा
“यही कि राजनीती में रहने के लिए हमे आपसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है”,मुन्ना ने उसी गंभीरता से कहा तो मुरारी मुस्कुरा उठा
मुरारी को मुस्कुराते देखकर मुन्ना ने कहा,”आप मुस्कुरा क्यों रहे है ?”


मुरारी ने मुन्ना को देखा और कहा,”का है ना मुन्ना जोन राजनीती मा तुमहू अपना कदम रखे हो ना , उह्ह राजनीती के हमहू मास्टर रह चुके है। कल से सिखाते है नियम कायदे तुमको भी,,,,,,,,,हमहू हाथ मुंह धोकर आते है तुमहू चलो खाना खाने”
मुरारी उठकर चला गया और मुन्ना सोफे पर बैठा उसे देखता रहा , धीरे धीरे मुन्ना को समझ आ रहा था कि उसके पापा इतने भी सीधे नहीं थे जितना वह उन्हें समझता था।  

“मुन्ना वहा अकेले क्यों बैठे हो ? चलो आओ ! खाना खा लो”,अनु की आवाज से मुन्ना की तंद्रा टूटी
मुन्ना उठकर वाशबेसिन की तरफ बढ़ा अपने हाथ धोये और खाना खाने डायनिंग टेबल के पास आ बैठा। अनु ने उसकी प्लेट में खाना परोसा और फिर मुरारी के लिए खान परोसने लगी। मुन्ना ने निवाला तोड़ा और खाने लगा। मुन्ना ख़ामोशी से किसी सोच में डूबा खाना खा रहा था। कुछ देर बाद मुरारी भी चला आया और तीनो बातें करते हुए खाना खाने लगे , बाते सिर्फ अनु और मुरारी कर रहे थे वो भी मुन्ना की शादी को लेकर और मुन्ना बस ख़ामोशी से सब सुन रहा था।

प्रताप का घर , बनारस
पूजा के साथ दिनभर घूमने और शाम की गंगा आरती देखने के बाद राजन घर चला आया। पूजा के साथ उसे वक्त का पता ही नहीं चला और वही पूजा भी राजन से मिलकर बहुत खुश थी। राजन घर के अंदर आया तो घर के बरामदे में बैठा प्रताप उसे दिखाई दिया। राजन सीधा बरामदे में चला आया और कहा,”पिताजी ! खाना खा लिया आपने ?”


“नाही बिटवा ! तुम्हरा ही इंतजार कर रहे थे पर तुमहाओ पेट तो आज भरो भरो लाग रहो”,प्रताप ने कहा
“अह्ह्ह्ह हाँ पिताजी ! उह्ह का है ना कि सुबह से शाम तक फैक्ट्री का काम देखने मा इत्ता बिजी रहे कि खाने का याद ही नाही रहा फिर शाम मा बाहिर खा लिए,,,,,,,,,अभी भूख नाही है हमका आप खाय ल्यो”,राजन ने कहा


“दुई चार गोलगप्पे और एक ठो टमाटर चाट से तुम्हरा पेट भर गवा रजनवा,,,,,,,,!!”,प्रताप ने राजन की तरफ देखकर कहा तो राजन के चेहरे पर 12 बज गए उसने डरते डरते प्रताप की तरफ देखा और अनजान बनते हुए कहा,”का पिताजी ? गोलगप्पे , टमाटर चाट का कह रहे है आप ?”
“वही कह रहे है बिटवा जोन आज शाम बाजार मा देखे रहे,,,,,,,,,आँखों में आँखे डाल के अपने हाथो से टमाटर चाट खिलाई जा रही थी जिनको उह तुम्हायी बहिन तो होगी नाही , का है कि तुम्हरे बाद कोनो और औलाद पैदा नहीं ना किये हम,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा


राजन ने सुना तो समझ गया कि प्रताप क्या कहना चाहता है ? तभी घर के नौकर ने राजन के बगल से निकलते हुए धीमे स्वर में कहा,”मालिक आज बाजार मा पूजा जी के साथ चाट खाते देख लिए थे”
अब राजन समझ गया कि उसका झूठ प्रताप के सामने आ गया है इसलिए उसने कहा,”पिताजी वो हम , हम तो सीधा फैक्ट्री ही जा रहे थे कि फिर पूजा जी ने कहा कि उनको बनारस घूमना है तो हमहू,,,,,,,,,ओह्ह के साथ बख्त का पता नाही चला,,,,,,,,,हमहू कल से जाते है ना फैक्ट्री,,,,,!!”


“नाही भैया ! अभी कुछ दिनों के लिए फैक्ट्री जाने की कोनो जरूरत नाही है , अभी तुमहू ताजा ताजा पिरेम मा पड़े हो हमहू नाही चाहते डेबिट को क्रेडिट और क्रेडिट को डेबिट लिखकर हमायी फैक्ट्री बंद करवाय दयो का है कि पिरेम मा पड़ने के बाद आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है। फैक्ट्री हमहू सम्हाल लेंगे तुमहू अपना जे नवा नवा पिरेम सम्हालो”,प्रताप ने कहा
प्रताप की बातें सुनकर राजन का चेहरा शर्म से लाल हो उठा और उसने अपना सर खुजाते हुए कहा,”का पिताजी आप भी,,,,,,,,,,!!”


“अब जे दुल्हिन के जैसे शर्माना बंद करो और बइठो खाना खाओ”,प्रताप ने कहा और खाने की टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर आ बैठा , राजन भी चला आया और खाना खाने आ बैठा क्योकि प्रताप ने सच ही कहा था दुई गोलगप्पे और एक टमाटर चाट से भला पेट भरता है का ?

गौरी का घर , इंदौर
गौरी ने जय पर हाथ उठा दिया और इस बात का गौरी को बहुत दुःख था। मुन्ना ने गौरी को समझाया और उसे जय से माफ़ी मांगने को कहा। गौरी अपने कमरे से बाहर आयी उसने देखा जय के कमरे का दरवाजा बंद है , उसकी अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी फिर उसे कुछ याद आया और वह नीचे चली आयी। नंदिता जी हॉल में ही बैठी अपना काम कर रही थी उन्होंने गौरी को देखा तो कहा,”अरे गौरी ! कुछ चाहिए था तुम्हे ?”


“अहह नहीं मम्मा ! मैग्गी खाने का मन हो रहा है मैं खुद बना लुंगी,,,,,,,!!”,गौरी ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
“गौरी शादी तक तुम्हे ये सब खाना नहीं खाना चाहिए , तुम्हारे फेस पर पिम्पल हो जायेंगे और तुम्हे तो शादी वाले दिन सबसे सुन्दर दिखना है ना,,,,,,,”,नंदिता ने कहा तो गौरी ने किचन से झांककर कहा,”उसकी टेंशन नहीं है मम्मा वो पार्लर वाली अपने आप बना देगी और वैसे भी मैं जैसी भी हु आपके होने वाले दामाद को बहुत पसंद हु,,,,,,,,!!


नंदिता ने सुना तो मुस्कुरा उठी और अपना काम करने लगी। गौरी ने मैग्गी बनाई और तीन कटोरी में डाली , एक को सिम्पल रखा और दूसरी पर थोड़ा एक्स्ट्रा मसाला और भर भर कर चीज डाली और लेकर किचन से बाहर चली आयी। उसने फ्रीज में रखी कोल्ड ड्रिंक भी निकाली और ट्रे में रख ली। नंदिता के सामने से गुजरते हुए उसने सिंपल वाली मैग्गी उनके सामने रखी और बाकि लेकर ऊपर चली आयी।  

गौरी जय के सामने आयी और दरवाजा खटखटाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया उसने देखा दरवाजा खुला है। गौरी अंदर आयी तो उसने देखा जय अपने कमरे की खिड़की के पास उदास बैठा बाहर देख रहा है। गौरी ने ट्रे टेबल पर रखा और जय की तरफ चली आयी। जय ने गौरी को अपने कमरे में देख कर कहा,”आप यहाँ क्यों आयी है ?”
गौरी कुछ देर ख़ामोशी से जय को देखते रही और फिर कहा,”एक्चुली आई रियलाइज कि मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था , आई ऍम सॉरी मैं थोड़ा पेनिक हो गयी थी,,,,,,,आई ऍम सॉरी जय मुझे माफ़ कर दो”


जय ने सुना तो हैरानी से गौरी की तरफ देखा क्योकि आज से पहले गौरी ने कितनी ही बार उसे लात घुसे थप्पड़ मारे थे और जय ने गौरी के बाल खींचे थे लेकिन गौरी ने कभी सामने से आकर जय को सॉरी नहीं कहा फिर आज ये चमत्कार कैसे ? जय को खामोश देखकर गौरी को लगा जय शायद उस से कुछ ज्यादा ही नाराज होगा तो उसने अपने दोनों कान पकडे और कहा,” लो मैंने अपने कान पकड़ लिए अब तो माफ़ कर दो,,,,,,,,,,,,,प्लीजजजजजज”
“ठीक है माफ़ किया , अब जाओ यहाँ से,,,,,,,!!”,जय ने कहा और खिड़की से बाहर देखने लगा


“मैंने तुम्हारे लिए चीज मैगी बनायीं है , क्या तुम खाना चाहोगे ?”,गौरी ने कहा
चीज मैग्गी का नाम सुनकर जय के मुंह में पानी आ गया लेकिन वह गौरी से नाराज था इसलिए कहा,”पहले थप्पड़ खाओ और फिर मैग्गी खाओ , नहीं चाहिए मुझे आप ले जाईये इसे”
गौरी ने सुना तो जय को देखा और कहा,”हम्म्म्म ठीक है , वैसे भी कुछ दिन बाद मैं हमेशा के लिए इस घर से चली जाउंगी सोचा जाने से पहले तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिता लू पर लगता है तुम मुझसे कुछ ज्यादा ही नाराज हो,,,,,,,,,मैं इसे वापस ले जाती हूँ,,,,,,!!”


गौरी के जाने की बात सुनकर जय के दिल में एक चुभन का अहसास हुआ वह उठा और गौरी के ट्रे उठाने से पहले खुद आकर कुर्सी पर बैठा और कटोरी उठा ली। गौरी ने देखा तो मुस्कुरा उठी और अपनी कटोरी लेकर जय के सामने सोफे पर आ बैठी।
गौरी को मैग्गी खाते देखकर जय ने कहा,”बनारस जाकर क्या आप मान जीजू को भी यही सब खिलाने वाली है ?”
“उसके घर में किशना भैया है बेस्ट पार्ट ये है कि मुझे कभी उसके घर में खाना बनाना ही नहीं पडेगा,,,,,,,,!!”,गौरी ने खुश होकर कहा

“और अगर कभी जीजू ने या अनु आंटी ने कहा तब , तब तो बनाओगी ना ?”,जय ने कहा
“हाँ तो मुझे आता है ना , मुझे सब बनाना आता है , सब , आह्ह्ह्ह मुझे तो बस मैग्गी बनानी आती है”,कहते कहते गौरी रोआँसा हो गयी
जय को गौरी की बात सुनकर हंसी आ गयी और उसने कहा,”इसलिए मम्मा कहती थी गौरी बेटा खाना बनाना सीख लो”


जय को चिढ़ाते देखकर गौरी ने पास पड़ा कुशन उठाकर जय की तरफ फेंका और कहा,”ज्यादा बकवास मत करो समझे , मान बहुत अंडरस्टेंडिंग है वो मेरी मैग्गी खाकर भी खुश हो जाएगा,,,,,,,,,!!”
“हाँ बेचारा मना भी तो नहीं कर सकता,,,,,,,,,,,मुझे तो अभी से उनके लिए हमदर्दी हो रही है वो कैसे झेलेंगे तुम्हे ?”,जय ने गौरी का मजाक उड़ाते हुए कहा


“एक्चुली मैंने गलती की तुम्हारे लिए ये मैग्गी बनाकर तुम , तुम इसके लायक ही नहीं हो,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“मजाक कर रहा हूँ बाबा , आई नो आप बेस्ट वाइफ बनोगे,,,,,,,!!”,जय ने कहा
गौरी मुस्कुरा दी और मैग्गी खाने लगी , उसके बाद शुरू हुई उसके और जय के बीच बाते जो खत्म ही नहीं हो रही थी।

सुमित सबके साथ बस से मुंबई के लिए निकल गया। बारिश की वजह से रास्ते जाम थे और जगह जगह ट्रेफिक होने की वजह से उन्हें काफी वक्त लग रहा था। आधे रास्ते आकर बस बंद हो गयी पूछने पर सुमित के पापा ने कहा कि बस का इंजन गर्म होने की वजह से जाम हो गया है। सुमित ने सबको बस में रहने को कहा और खुद नीचे उतर गया। रास्ता काफी सुनसान था और यहाँ इतनी रात में किसी मेकेनिक का मिलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन था। सबने मिलकर फैसला किया कि आज रात सभी यहाँ रुकेंगे और सुबह मेकेनिक के आने के बाद मुंबई जायेंगे।


गनीमत था बस में पीने का पानी और स्नेक्स रखे थे जिस से आज की रात बितायी जा सकती थी। सुमित के अलावा बस में 20-22 लोग और थे उसने सबसे नीचे उतरने को कहा और सामने मैदान में चले आये जहा रौशनी का नामो निशान तक नहीं था बस दूर खम्बे से आती हलकी रौशनी में सब आगे बढ़ रहे थे। मैदान में आकर वंश ने कहा,”हम लोग यहाँ रहेंगे ?”
“वंश सर आप कहे तो आपके लिए 5 स्टार होटल बुक कर दे ?”,सुमित ने कहा


“अह्ह्ह नहीं ये जगह वैसे इतनी बुरी भी नहीं है,,,,,,बस हमे थोड़ी आग जलाने की जरूरत है वरना सुबह तक हम सबकी कुल्फी जम जाएगी”,वंश ने अपनी हथेलियों को रगड़ते हुए कहा
“बस की डिग्गी में कुछ लकडिया पड़ी है तुम जाकर वो ले आओ मैं तब तक पापा से कहकर पेट्रोल का इंतजाम करता हूँ”,सुमित ने कहा और वहा से चला गया


वंश बस की तरफ जाने के लिए जैसे ही पलटा उसकी नजरे बस के बाहर खड़ी निशि पर जाकर ठहर गयी। बस से उतरने के बाद निशि अंगडाई ले रही थी और इस वक्त हलकी रौशनी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वंश के कानो में बहुत ही रोमांटिक सी धुन बजने लगी जो इस वक्त मेरे कानो में भी बज रही है

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संजना किरोड़ीवाल  

Main Teri Heer - Season 5

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