Haan Ye Mohabbat Hai – 96
Haan Ye Mohabbat Hai – 96
सोमित जीजू मीरा को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर ने नर्स से मीरा को इमरजेंसी वार्ड लेकर आने को कहा। सोमित जीजू बाहर ही रुक गए। डॉक्टर ने मीरा का ट्रीटमेंट किया और मीरा के हाथ में ड्रिप लगाकर उसे वही आराम करने को कहा। डॉक्टर बाहर आया तो सोमित जीजू उनके पास आये और कहा,”डॉक्टर साहब ! मीरा अब कैसी है ?”
“वो ठीक है थोड़ी चोटे आयी है , मैंने पट्टी कर दी है अभी उन्हें ड्रिप लगी है और आराम की सख्त जरूरत है। आज रात उन्हें यही रखना पडेगा,,,,,,,,,,,,थोड़ी देर में उन्हें रूम में शिफ्ट कर देंगे तब आप उनसे मिल सकते है।”,डॉक्टर ने कहा
“थैंक्यू डॉक्टर !”,सोमित जीजू ने कहा
“एक्सक्यूज मी प्लीज,,,,,,,,!!”,कहकर डॉक्टर वहा से चले गए और सोमित जीजू बाहर पड़ी बेंच पर आ बैठे।
जीजू ने अपने हाथो की उंगलियों को आपस में फंसाया और होंठो से लगा लिया। कितनी मुश्किलों से सब सही हुआ था और अचानक से फिर मुसीबत के बादल अक्षत मीरा पर मंडराने लगे। कही ना कही जो हो रहा था वो सही भी हो रहा था एक एक करके अक्षत मीरा के सभी दुश्मनो का असली चेहरा उनके सामने आ रहा था जो कि उन दोनों के लिये बहुत जरुरी था।
सोमित जीजू ने घर पर किसी को इस बारे में नहीं बताया घर पर बताकर वे सबको परेशान करना नहीं चाहते थे।
आदमी की बात सुनकर अक्षत के दिमाग में कई विचार एक साथ चलने लगे। वह जितनी तेज गाड़ी चला सकता था उसने चलाई और बदहवास सी हालत में मीरा के नये घर पहुंचा। वह जल्दी से गाड़ी से उतरा और भागते हुए घर के दरवाजे तक आया। उसने दरवाजे खोले और चिल्लाते हुए अंदर आया,”पापा,,,,,,,,,,!!”
लेकिन अक्षत जैसे ही अंदर आया हैरान रह गया। अमर जी हॉल में अपनी व्हील चेयर पर बैठे थे और उनके बगल में सोफे पर अर्जुन बैठा था। अक्षत ने दोनों को साथ देखा तो राहत की साँस ली लेकिन अक्षत को ऐसे देखकर अर्जुन ने कहा,”क्या बात है ? तुम ऐसे चिल्लाये क्यों और इतना परेशान क्यों हो ?”
“अह्ह्ह क कुछ नहीं , कुछ नहीं,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने हड़बड़ाते हुए कहा
“तुम ठीक हो ?”,अर्जुन ने पूछा
“हाँ हाँ मैं ठीक हूँ , भाई बिना कोई सवाल पूछे , आप मेरा एक काम करेंगे ?”,अक्षत ने कहा
“हाँ बोलो ना क्या बात है ?”,अर्जुन ने पूछा
“आप पापा को लेकर व्यास हॉउस चले जाईये,,,,,,,,,,ध्यान रहे 48 घंटो से पहले कोई घर से बाहर ना निकले,,,,,,,,,,,प्लीज मैं रिक्वेस्ट करता हूँ।”,अक्षत ने गंभीरता से कहा
“ये सब क्या है और मीरा कहा है ?”,अर्जुन ने पूछा
“पिछले 8 महीनो जो खेल चल रहा है समझ लीजिये वो अब जल्दी ही खत्म होने वाला है , मीरा घर आ जाएगी उसकी चिंता आप मत कीजिये ,, आप पापा को घर लेकर जाईये और सबका ख्याल रखिये”, अक्षत ने कहा
“और तुम ?”,अर्जुन ने पूछा
“मेरी फ़िक्र मत कीजिये भाई , ये सब मुझसे जुड़ा है मुझे इसे खत्म करना होगा,,,,,,,आप जाईये”,अक्षत ने टेबल पर रखी पानी की बोतल उठाते हुए कहा
अर्जुन कुछ देर सोच में डूबा रहा और फिर कहा,”ठीक है , आई ट्रस्ट यू लेकिन अगर कुछ जरूरत लगी तो तुम मुझे फोन करोगे,,,,,,!!”
“ठीक है मैं याद रखूंगा,,,,,,,,,घर में अगर कोई मेरे बारे में पूछे तो उनसे कहियेगा मैं 2 दिन के लिये शहर से बाहर हूँ !!”,अक्षत ने कहा
अक्षत की बातें अमर जी सुन रहे थे लेकिन कुछ बोल ना पाने के कारण खामोश रहे अर्जुन उन्हें वहा से लेकर निकल गया।
अर्जुन के जाने के बाद अक्षत ने घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद किये और हॉल के सोफे पर आकर बैठ गया। उसका फोन सामने टेबल पर रखा था अगले ही पल फोन बजा अक्षत ने फोन उठाकर स्पीकर पर डाल दिया। दूसरी तरफ से वही आवाज उभरी और उसने कहा,”क्या हुआ मिस्टर व्यास , तुम तो डर गए,,,,,,,,,,,,तुम्हारे साथ खेलने में मजा तो आ रहा है 7 घंटे बीत चुके है,,,,,,,,,,,,17 घंटे और उसके बाद,,,,,,,,,,,,,,,,,हहहहहह हरि अप मिस्टर व्यास ये खेल जिंदगी का है फुटबाल का नहीं”
“खेल जिंदगी का हो या फुटबाल का जीतता वही है जिसने गेम समझ लिया,,,,,,,तुम मेरी चिंता मत करो बस ये वक्त अपने लिये गिनना शुरू कर दो,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कठोरता से कहा
“उफ्फ्फ तुम्हारी ये आदर्शो वाली बातें वैसे मेरे पास तुम्हारे लिये एक सरप्राइज है,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी बेटी को जिसने मारा है वो 17 घंटो के अंदर ये देश छोड़कर जा रहा है,,,,,,,,,,,,रोक सकते हो तो रोक लो , बेस्ट ऑफ लक मिस्टर व्यास,,,,,,!!”,कहकर आदमी ने फोन काट दिया
“हेलो , हेलो , हेलो यू बास्टर्ड,,,,,,,,हेलो,,,,,,,,,,!!”,अक्षत चिल्लाया लेकिन फोन कट चूका था। अक्षत ने हाथ पर बंधी घडी में समय देखा शाम के 5.30 बज रहे थे। अक्षत उठा और घर से निकल गया। वह गाड़ी में आ बैठा और गाडी स्टार्ट कर वहा से निकल गया। उसे कहा जाना है कही समझ नहीं आ रहा था। अक्षत के सामने इस वक्त बहुत सारी मुसीबते एक साथ थी,,,,,,उसे मीरा से मिलना था , उस आदमी को ढूंढना था , मीरा के कातिल को विदेश जाने से रोकना था , अमर जी और अपनी फॅमिली को सुरक्षित रखना था लेकिन वह साथ ये सब नहीं कर सकता था।
अक्षत की गाड़ी ट्रेफिक में आकर रुकी अक्षत ने उंगलिया होंठो से लगा ली और सोच में पड़ गया। अक्षत की नजर कुछ ही दूर लगे बोर्ड पर पड़ी जिस पर लिखा था “स्टार्ट फ्रॉम द बिगिनिंग”
अक्षत ने देखा तो बड़बड़ाने लगा,”कुछ तो है जो तुम मिस कर रहे हो अक्षत , इस गेम का स्टार्ट वो नहीं है जो तुम समझ रहे हो,,,,,,,सोचो , दिमाग लगाओ ,, ये सब कहा से शुरू हुआ,,,,,,,,,,
किडनेपर कहा से आया उसने अमायरा को किडनेप किसी के कहने पर तो किया है। कही सिंघानिया के कहने पर,,,,,,,,,,,,,,शीट मैं ये कैसे भूल सकता हूँ ? विक्की को केस से निकालने के लिये सिंघानिया भी तो ये सब करवा सकता है,,,,,,,,,,,,,,,वो उस किडनेपर के बारे में जरूर कुछ जानते होंगे,,,,,,,,,,,,,वहा से मुझे उसके बारे में जानकारी मिल सकती है मुझे उनसे मिलना चाहिए।”
अक्षत ने गाडी घुमाई और सिंघानिया जी के घर पहुंचा। अक्षत गाड़ी से बाहर निकला और गुस्से से अंदर चला आया। इत्तेफाक से चोपड़ा जी भी वही मिल गए। अक्षत हॉल में आया और कहा,”कौन था वो आदमी ?”
“कौन आदमी ? तुम किसकी बात कर रहे हो ?”,सिंघानिया जी ने पूछा
“आप अच्छी तरह जानते है मैं किसकी बात कर रहा हूँ ? विक्की को बचाने के लिए जिस आदमी से आपने डील की थी मुझे वो आदमी चाहिए वरना मैं किसी को नहीं छोडूंगा”,अक्षत ने सिंघानिया जी को घूरते हुए गुस्से से कहा
“अक्षत ये क्या बदतमीजी है ? कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी है विक्की बेकसूर है तो फिर अब तुम यहाँ क्या लेने आये हो ?”,चोपड़ा जी ने अक्षत को पीछे करके कहा
“कोर्ट ने भले ही अपना फैसला सुना दिया हो लेकिन मेरी अदालत में ये केस अभी बंद नहीं हुआ है,,,,,,,,,,,,मुझे वो आदमी किसी भी हाल में चाहिए”,अक्षत ने गुस्से से कहा और गुस्से में आकर एक लात हॉल में रखी सेंटर टेबल पर मारी टेबल साइड हो गयी।
अक्षत को गुस्से में देखकर सिंघानिया जी घबरा गए और अक्षत के पास आकर कहा,”मैं सब बताता हूँ , मैंने विक्की को बचाने के लिये एक आदमी से डील की थी लेकिन मैं उसका नाम पता नहीं जानता , उस रात मैंने ठीक से उसे देखा तक नहीं,,,,,,,,,,,उसने कहा वो तुम्हे ये केस लड़ने से रोक देगा और विक्की बच जायेगा,,,,,,,,,बदले में उसने मुझसे बस जमीन का एक टुकड़ा माँगा था ,, मुझे नहीं पता था वो तुम्हारी बेटी को किडनेप कर तुम्हे ब्लेकमेल करेगा और फिर उसे मार देगा,,,,,,,,,,मैं सच में कुछ नहीं जानता मैंने उसे तुम्हारी बेटी को मारने के लिये नहीं कहा था। मेरा यकीन करो मैं सच कह रहा हूँ,,,,,,,,,!!”
“वो पेपर्स कहा है ?”,अक्षत ने गुस्से से कहा
“उनकी कॉपी मेरे पास है मैं मैं तुम्हे देता हूँ”,कहते हुए सिंघानिया जी अपनी स्टडी टेबल के तरफ गए और पेपर्स लेकर अक्षत के पास चले आये। अक्षत ने पेपर्स देखे लेकिन उनमें कही भी उस आदमी नाम नहीं लिखा था। अक्षत ने पेपर मोड़कर अपने कोट में रखे और वहा से चला गया।
बाहर आकर अक्षत ने पेपर्स एक बार फिर देखे उनमे सिर्फ जगह का पता लिखा था। अक्षत गाड़ी में आ बैठा और उस जगह पहुंचा जो सिंघानिया जी ने उस आदमी को दी थी। गाडी एक खंडरनुमा जगह के पास आकर रुकी अक्षत ने देखा ये जगह उसके कॉलेज के पीछे थी। अक्षत को समझ नहीं आया आखिर कोई ऐसी जगह क्यों लेना चाहेगा ? अक्षत ने उस जगह को देखा लेकिन उसे वहा कुछ नहीं मिला।
सूरज डूबने लगा था थककर अक्षत वापस गाड़ी की तरफ जाने लगा तो उसकी नजर वहा लगे एक बोर्ड पर पड़ी। अक्षत बोर्ड के पास आया वहा बोर्ड पर अपना नाम देखकर अक्षत की हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा। जगह अक्षत के नाम है ये देखकर अक्षत का सर घूमने लगा। अक्षत के नाम के नीचे छोटे अक्षरों में एक नाम और लिखा था लेकिन अक्षत ने उस पर ध्यान ही नहीं दिया और गाड़ी की तरफ चला आया।
अक्षत गाड़ी में आकर बैठा वह अभी भी बोर्ड पर लिखे उस नाम के बारे में सोच रहा था कि तभी उसका फोन बजा। अक्षत ने फोन उठाया और कान से लगा लिया दूसरी तरफ से अक्षत के जख्मो पर नमक छिड़कने वाली आवाज उसके कानों में पड़ी,”कैसा लगा मेरा सरप्राइज ? किडनेपर ने जिस जगह को डील के बदले में लिया वो जगह दरअसल तुम्हारे नाम है ,, इसका मतलब कही तुम्ही ने तो अपनी बेटी का किडनेप,,,,,,,,,,,!!”
“बकवास बंद करो , तुम्हे लगता है ये सब करके तुम बच जाओगे ,, ये मत भूलो मैं तुम्हे ढूंढकर रहूंगा,,,,,,,!!”,अक्षत ने दाँत पीसते हुए कहा
“ओह्ह्ह्ह मैं तो बस तुम्हारा टाइम वेस्ट कर रहा हूँ,,,,,,,,,अब सिर्फ 13 घंटे बचे है तुम्हारे पास और टाइम भी 7.30 हुआ है ,, वैसे तुम्हे बता दू आज की आखरी फ्लाइट 8.30 की है और क्या पता उसमें अमायरा की कातिल भी हो,,,,,,,,वैसे अगर तुम 120 की स्पीड से जाओगे तब भी एयरपोर्ट नहीं पहुँच सकते,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने कहा और फोन काट दिया
अक्षत को समझ नहीं आ रहा था ये आदमी उसकी मदद कर रहा था या फिर उसके साथ खेल रहा था लेकिन अक्षत किसी भी कीमत पर अमायरा के कातिल को हाथ से जाने देना नहीं चाहता था। उसने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया
अक्षत गाडी चलाते हुए बार बार घडी देख रहा था। वह जानता था कि वह कितनी भी तेज गाड़ी चलाये एयरपोर्ट नहीं पहुँच पायेगा। अक्षत को कुछ याद आया और उसने अपने फोन से सोमित जीजू का नंबर डॉयल किया। अगले ही पल सोमित जीजू ने फोन उठाया और कहा,”आशु तुम कहा हो ?”
“जीजू मीरा कैसी है ? और उसके साथ कौन है ?”,अक्षत ने कहा
“मीरा ठीक है सो रही है मैंने मौसीजी और मौसाजी को बुला लिया था। दोनों अभी मीरा के पास ही है लेकिन तुम कहा हो ?”,सोमित जीजू ने चिंतित स्वर में पूछा
“मैं आपको सब बाद में बताऊंगा आप मेरी बात ध्यान से सुनिए,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर अक्षत ने सोमित जीजू से कुछ कहा और उन्होंने कहा,”ठीक है मुझे वहा तक पहुँचने में 40 मिनिट लगेंगे मैं अभी निकलता हूँ।”
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा और फोन काट दिया। उसके दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी और आँखों में एक बेचैनी साफ़ नजर आ रही थी। जैसे जैसे वक्त बीत रहा था अक्षत की उलझने भी बढती जा रही थी।
अक्षत ने इंस्पेकटर कदम्ब को भी फोन किया और उन्हें एयरपोर्ट आने को कहा। घंटेभर बाद ही अक्षत एयरपोर्ट पहुंचा अगले ही पल प्लेन उसके सर के ऊपर से गुजरा और इसी के साथ अक्षत का दिल भी बैठ गया। निराश होकर वह घुटनो के बल आ गिरा और जाते हुए प्लेन को देखता रहा तभी इंस्पेकटर कदम्ब की आवाज उसके कानो में पड़ी वे जोर से चिल्लाये,”अक्षत ! अंदर आ जाओ”
अक्षत उठा और भागकर अंदर आया , अक्षत ने देखा सोमित जीजू जख्मी हालत में बैठे थे तो अक्षत भागकर उनके पास आया और कहा,”जीजू ये सब कैसे हुआ ?”
“अरे ये तो मामूली सी चोट है , मैंने तुम्हारे लिये फ्लाइट रुकवा दी,,,,,,,,उसी चक्कर में ये सब लेकिन तू चिंता मत कर मैं ठीक हूँ”,सोमित जीजू ने दर्द से कराहते हुए कहा
अक्षत को कुछ समझ नहीं आया तभी इंस्पेकटर कदम्ब ने आकर कहा,”फ्लाइट टेक ऑफ कर चुकी थी उसे रुकवाने के लिये इन्होने इंक्वायरी में फेक कॉल करके कहा कि फ्लाइट में बम है और इसलिए फ्लाइट को रोकना पड़ा,,,,,,,,,,,,,एयरपोर्ट पुलिस को इन पर शक हुआ और ये पकडे गए इन्होने भागने की कोशिश की उसी चक्कर में ये सब,,,,,,,,,,,,मैं उनसे बात की है लेकिन अभी इन्हे पूछताछ के लिये ले जाया जाएगा और शायद इन्हे कुछ घंटे यहाँ रुकना पड़े।”
अक्षत ने सुना तो उसने सोमित जीजू की तरफ देखा और कहा,”जीजू,,,,,,,,,,यार , आपने इतना रिस्क क्यों लिया ?”
“तूने कहा फ्लाइट रुकवानी है तो मैंने बस,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा
“मैंने कहा तो क्या ऐसे फ्लाइट रोकेंगे आप झूठ बोलकर , खुद को परेशानी में डालकर,,,,,,,,मैं कहूंगा तो क्या कुए में कूद जायेंगे आप ?”,अक्षत ने थोड़ा गुस्से से कहा
“तुम कहोगे तो कूद जाऊंगा,,,,,,,,,,,,,!”,सोमित जीजू ने मासूमियत से कहा अक्षत ने सूना तो उसकी आँखों में नमी तैर गयी और उसने सोमित के गले लगते हुए कहा,”आई ऍम सॉरी,,,,,,,,!!”
सोमित जीजू ने कुछ नहीं कहा बस दर्द में भी मुस्कुरा उठे,,,,,,,,,!!
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संजना किरोड़ीवाल
Akshat sahi soch ki yeh call krne wala aadmi hai, yeh iska dost hai ya dushman…sab update de rha to uske jale pr namak bhi cidak rha hai…khar kuch ghante baki hai…lakin amayra k katil ka kuch pta nhi chala hai…umeed hai ki Akshat usko time khatam hone se pehle dhoond lenge
Yaar somit jiju mtlb sachme kuch bhi kar jate hai Akshat ke liye jail chale gye uske liye pitai bhi kha li apni jaan chidakte hai. Shuru se shuru karo kahi iska mtlb college se to nahi start from the beginning mtlb ye bhi to ho skta hai na Meera jab se. Vo aadmi Akshat ke college ke piche ki zameen kyu lega? Kon hai katil alag hai vo aadmi alag hai. Akshat ka naam board par hai ye Akshat nhi janta tha yane usko uss zameen ke bare me kuch nhi pata phir kon hai katil alag kidnapper alag.
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Uff somit jiju aap kyu karte hain aisa matlab Akshat k liye apka pyar sab hadde paar kar gya hai asal me to akshat apka sala nhi apka beta hi hai jise ap jaan se jyada pyar karte hai. Har baar apne ye sabit kiya hai .
Akshat ko call karna wale kojo Akshat itna pareshan kar raha hai aur Akshat kaise bi karke is khel khatam karna chahata hai per Akshat ke bar kehne per Jiju ne Akshat ki help karne ke liye khud ko chod paunchali sach Jiju Akshat se bahut pyaar karte hai kehne ke liye waqt padne per voh sach me apni jaan bi de sakte hai Akshat ke liye..i hope Akshat usse main person tak paunch jaye…interesting part maam♥♥♥♥♥ Akshat ki har moment ki khaber akhir yeah hai kaun