Sanjana Kirodiwal

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Who Is Next ? – 3

Who Is Next ? – 3

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Who Is Next ? – 3

आशुतोष के क्लिनिक से निकलकर अश्विनी और शालिनी बाहर आये। अश्विनी ने अपनी बाइक स्टार्ट की और शालिनी से कहा,”बैठो तुम्हे घर छोड़ देता हूँ”
शालिनी अश्विनी के पीछे आ बैठी। अश्विनी ने बाइक आगे बढ़ा दी। शालिनी ने अपना सर अश्विनी की पीठ से लगा लिया उसे को भी अब लगने लगा था की शायद वह इन सब बातो को लेकर ओवररिएक्ट कर रही है।

हल्का अँधेरा हो चुका था अश्विनी ने बाइक घर के सामने लाकर रोकी। दरवाजे पर निधि खड़ी थी अश्विनी को वहा देखते ही उसने चहक कर कहा,”हाय अश्विनी !”
अश्विनी निधि को जवाब देता इस से पहले शालिनी उसके गले आ लगी और कहा,”आई ऍम सॉरी मैंने तुम्हे बहुत परेशान किया , शायद वो सब मेरा वहम था”


“इट्स ओके बेबी , मई चलता हूँ मुझे आज शाम शहर से बाहर जाना है किसी जरुरी काम से 2 दिन में लौटूंगा। तब तक तुम अपना ख्याल रखना”,अश्विनी ने शालिनी के माथे पर किस करते हुए कहा निधि दूर खड़ी सब देख रही थी और फिर अंदर चली गयी।
अश्विनी वहा से चला गया शालिनी का मन अब पहले से ठीक था वह गुनगुनाते हुए घर के अंदर आयी और नहाने चली गयी। बाथरूम में आकर शालिनी ने कपडे उतारे और शॉवर चला लिया।

हल्का गुनगुना पानी जब शरीर पर पड़ा तो उसे थोड़ी राहत महसूस हुई उसने अपनी आँखे बंद कर ली। कुछ देर बाद ही शालिनी ने जैसे ही अपने चेहरे पर हाथ घुमाया उसे कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ। शालिनी ने आँखे खोलकर अपने हाथो को देखा तो हथेलियों पर गाड़ा लाल खून लगा हुआ था। ये देखकर शालिनी के हाथ काँपने लगे उसने डरते डरते शॉवर की और देखा शॉवर बंद था और फिर अचानक से उसमे से खून का फनवारा छूटने लगा और शालिनी को भिगाने लगा शालिनी चीख उठी। वह आँखे नहीं खोल पा रही थी

बाथरूम बदबू से भभकने लगा। उसका दम घुटने लगा था बंद आँखों से दिवार टटोलते हुए उसने दरवाजा खोला और उसी हालत में दौड़कर बाहर आयी। शालिनी की चीखे सुनकर निधि अपने कमरे से बाहर आयी और शालिनी को उस हालत में देखकर कहा,”शालिनी शालिनी क्या हुआ तुम्हे पागल हो गयी हो , ऐसे चिल्ला क्यों रही हो ?”


निधि की आवाज सुनकर शालिनी ने अपनी आँखे खोली और घबराई हुई आवाज में कहा,”खून खून , बाथरूम का पानी खून में बदल गया और मुझ पर गिरने लगा” कहते हुए शालिनी ने जैसे ही निधि को अपना हाथ दिखाया

खुद हैरान रह गयी उसका हाथ बिल्कुल साफ था। निधि भी उसकी बातें सुनकर हैरान थी उसने कहा,”ये क्या बक रही हो तुम ? कुछ भी तो नहीं हुआ है ,,चलो आओ मेरे साथ” कहते हुए निधि उसे बाथरूम में लेकर आयी। शालिनी ने देखा बाथरूम बिल्कुल साफ है। शालिनी का सर चकराने लगा निधि ने उसे गाउन पहनने को दिया और बेड पर बैठाते हुए कहा,”तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कॉफी लेकर आती हूँ”


निधि किचन में आकर कॉफी बनाने लगी उधर शालिनी को समझ नहीं आ रहा था की आखिर उसके साथ हो क्या रहा है ? वह शालिनी का वहम तो नहीं था शालिनी के बालो से पानी झर रहा था। बदहवास सी वह उठी और आईने के सामने आकर खड़ी हो गयी उसने आईने में खुद को देखा तो दुःख से भर गयी ! दो दिन में उसका चेहरा मुरझा चुका था , आँखों के निचे काले घेरे हो चुके थे और होंठ सफ़ेद पड़ चुके थे। अपनी ऐसी हालत देखकर शालिनी को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था !

शालिनी आईने में देखते हुए खुद को ही घूरती रही और फिर वहा से हट कर दूसरी और चली गयी लेकिन आईने में उसका घूरता वह अक्स अब भी नजर आ रहा था और उसकी आँखों से खून के आंसू बहने लगे। खिड़की के पास खड़ी शालिनी इन सब चीजों को समझने की नाकाम कोशिश कर रही थी। कुछ देर बाद निधि उसके लिए कॉफी ले आयी और शालिनी को देकर कहा,”शालिनी तुम बहुत ज्यादा सोच रही हो , कॉफी पीकर दवा लो और थोड़ा रेस्ट कर लो।”


शालिनी ने कॉफी पि और दवा लेकर लेट गयी कुछ देर बाद ही उसे नींद आ गयी। उसे सोया देखकर निधि के होंठो पर एक रहस्य्मयी मुस्कान तैर गयी। रात के खाने के बाद वह अपने कमरे में आयी। निधि के कमरे में एक दरवाजा और था जो पीछे बगीचे की तरफ खुलता था निधि ने बिस्तर के निचे रखा वो बॉक्स उठाया और उसे लेकर दरवाजे से बाहर निकल गयी। बगीचे में घुप अँधेरा था एक पेड़ के निचे आकर निधि रुक गयी और हाथ में पकड़ी टोर्च जलाकर वहा रख दी

उसने डिब्बे में से कपडे का बना एक सफ़ेद पुतला निकाला और उसे जमीन पर रखकर खुद उसके सामने घुटनो के बल बैठ गयी उसकी आँखे फैली हुई थी और चेहरे से भय टपक रहा था। निधि ने डिब्बे से कुछ किले निकाली और एक एक करके चार किलों को उस पुतले के हाथ-पैर पर चुभा दिया और कागज में लिखा मंत्र पढ़ने लगी। देखते ही देखते पुतले का रंग बदलने लगा और वह लाल हो गया , निधि ने उसे गर्दन से पकड़कर उठाया तो उसमे से खून टपकने लगा।

निधि ने खून की उन कुछ बूंदो को अपनी हथेली पर लिया और चाटने लगी। उसकी आँखे लाल हो चुकी थी और बहुत ही भयावह लग रही थी। निधि ने हाथ से ही मिटटी में गड्ढा खोदना शुरू किया और फिर उस कागज को रखकर पुतले का सारा खून उस गड्डे में निचोड़ दिया। शालिनी अब तक इन सब बातो से अनजान थी और गहरी नींद में सो रही थी। रात के 12 बज रहे थे निधि वापस अपने कमरे में चली आयी और अलमारी का ड्रावर खोला उसमे पड़ी तस्वीर निकाली और कहा,”तुम सिर्फ मेरे हो बेबी , दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हे मुझसे नहीं छीन सकती”

सुबह के 3 बजे
शालिनी आशुतोष के क्लिनिक के बाहर खड़ी थी। क्लिनिक बंद होने वाला था सारा स्टाफ जा चुका था आशुतोष भी अपना सामान समेटकर बैग में रख ही रहा था की दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। आशुतोष ने पलटकर देखा दरवाजे पर शालिनी खड़ी थी उसे देखकर आशुतोष ने कहा,”अरे शालिनी तुम इस वक्त यहाँ अभी तो क्लिनिक बंद होने का समय हो गया है” आशुतोष ने घड़ी की और देखकर कहा।

शालिनी ने कुछ नहीं कहा बस वह खा जाने वाली नजरो से आशुतोष को देख रही थी। आशुतोष को थोड़ा अजीब लगा तो वह वापस अपना सामान समेटने में लग गया शालिनी अंदर आयी उसने साइड टेबल पर रखी ट्रे से सीजर उठायी और टेबल पर रखे आशुतोष के हाथ में भौंक दी। आशुतोष की दर्द से चीख निकल गयी लेकिन उस वक्त उसकी चीख सुनने वाला वहा कोई नहीं था।

शालिनी भूखी शेरनी की तरह उसे घूरते हुए उसके दांये बांये घूम रही थी। उसे देखकर आशुतोष का दिल धड़कने लगा और उसने दर्द से तड़पते हुए कहा,”शालिनी ये क्या कर रही हो तुम ? तुम तुम ठीक तो हो ना शालिनी ?”
शालिनी ने इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया और टेबल पर रखे सारे सामान को हाथ से निचे गिरा दिया। उसने आशुतोष की कॉलर पकड़ कर उसे हवा में उठाया और टेबल पर ला पटका।

उसका एक हाथ पहले से सीजर और टेबल की कैद में था और दूसरे हाथ को भी शालिनी ने टेबल पर रखा और पास पड़ी दूसरी नुकीली सर्जिकल सीजर उठा ली। ये देखकर आशुतोष घबरा गया और कहा,”नहीं नहीं शालिनी नहीं , ऐसा कुछ मत करना”
शालिनी पर जैसे किसी बात का असर ही नहीं हो रहा था उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसने दूसरे हाथ में भी सीजर भोंक दी। खून का एक फंवारा आशुतोष के हाथ से निकला और शालिनी के चेहरे पर जा लगा जिस से वह और भयानक नजर आ रही थी।

आशुतोष दर्द से बिलख रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था की शालिनी उसके साथ ये सब क्यों कर रही है ? उसके दोनों हाथ टेबल से लगे थे। दर्द के मारे वह हिल भी नहीं पा रहा था। शालिनी ने उसके शर्ट को खींचकर उसके जिस्म से दूर कर दिया। आशुतोष की सांसे ऊपर निचे होते साफ दिखाई दे रही थी।

शालिनी ने ट्रे से एक सर्जिकल ब्लेड उठाया और आशुतोष के सीने में जगह जगह कट्स लगाने लगी। आशुतोष चीखता रहा चिल्लाता रहा लेकिन उसकी चीखे जैसे उस क्लिनिक में ही सिमट कर रह गयी हो। क्लिनिक के बाहर सब सामान्य था

लेकिन अंदर एक भयंकर नजारा था। आशुतोष की अब कुछ ही सांसे बची थी , वह टेबल पर पड़ा तड़प रहा था और शालिनी उस पर कोई रहम नहीं दिखा रही थी बड़ी बेरहमी से उसने आशुतोष को मार डाला था। अंत में शालिनी ने उसकी दोनों आँखों की पुतलिया निकालकर हवा में उछाल दी और एक रहस्य्मयी मुस्कराहट शालिनी के होंठो पर तैर गयी , वह जाने के लिए आगे बढ़ी तो उसका पैर आँख की एक पुतली पर पड़ा और फच्चच्च करके उसमे से आवाज आयी।

आशुतोष की लाश टेबल पर पड़ी थी और शालिनी क्लिनिक से बाहर निकल गयी खून से सना चेहरा लेकर वह सड़क पर चले जा रही थी की ट्रक के हॉर्न की आवाज उसके कानो में पड़ी।
शालिनी नींद से उठकर बैठ गयी। पसीने से तरबतर शालिनी ने लैम्प जलाना चाहा लेकिन लाइट नहीं थी। इतना भयावह सपना देखकर शालिनी का दिल तेजी से धड़कने लगा उसे अपना गला सूखता सा महसूस हुआ।

उसने टेबल पर रखा पानी पीया पानी पीते हुए उसकी नजर खिड़की के बाहर गयी उसके कमरे की खिड़की पीछे वाले बगीचे की और खुलती थी शालिनी ने वहा कुछ रौशनी देखी। वह उठी और कमरे का दरवाजा खोलकर पीछे बगीचे में आयी। उसके माथे से पसीने की बुँदे टपक रही थी। रात का सन्नाटा इतना खामोश था की शालिनी को अपनी सांसो की आवाज भी साफ सुनाई दे रही थी।

धड़कते दिल के साथ उस पेड़ के पास आयी जहा उसे रौशनी दिखाई दी थी। शालिनी ने देखा वहा एक जली हुयी टोर्च पड़ी थी जिसकी रौशनी अब धीमी पड़ चुकी थी। लेकिन ये टोर्च यहाँ
कैसे आयी शालिनी को कुछ समझ नहीं आया। शालिनी ने टोर्च बंद की और जैसे ही जाने को मुड़ी उसका पैर स्लिप होने से वह निचे आ गिरी उसका हाथ किसी गीली जगह पर जा लगा शालिनी ने जैसे ही देखा उसकी चीख निकल गयी , उसके हाथ के निचे खून से सना कपडे का पुतला पड़ा था।

शालिनी उठी और जितना तेज भाग सकती थी कमरे की और भागी लेकिन जैसे ही दरवाजे के पास पहुंची दरवाजा बंद हो गया। शालिनी ये देखकर और घबरा गयी वह मेन गेट की और भागी और वहा से बरामदे की और आयी लेकिन एक एक करके कमरे और खिड़कियों के सारे दरवाजे बंद होते गए। शालिनी रोने लगी और चीखते हुए कहा,”कौन हो तुम ? क्या चाहते हो मुझसे ? क्यों कर रहे हो मेरे साथ ऐसा ? बोलो क्यों ?”


शालिनी की चीखों से उसके डर का साफ पता चल रहा था। वह दरवाजा पीटती रही लेकिन निधि ने दरवाजा नहीं खोला शालिनी ने खुद कोशिश की तो एक जोर का धक्का उसे लगा और वह दूर जा गिरी। उसमे दोबारा उठने की हिम्मत नहीं बची थी वह वही बेहोश हो गयी। …

सुबह शालिनी की आँख खुली तो उसने देखा वह घर के मैन गेट के पास पड़ी थी। उसके गालों पर आंसुओ की लकीरे छप चुकी थी , होंठो पर सफेद पपड़ी जम गयी थी। हाथ पैर ठंड की वजह से सुन्न पड़ गए थे। वह खामोश थी उसका सर भारी था और बदन दर्द कर रहा था ऐसा लग रहा था जैसे उसने बहुत मेहनत वाला काम किया हो। दिवार का सहारा लेकर वह उठी और दरवाजे के सामने आकर उसने दरवाजे को खोला तो वह खुल गया।

शालिनी अंदर आयी निधि अपने कमरे में सो रही थी। रात में जो कुछ भी हुआ था उसके बाद से शालिनी को यकीन हो चुका था की ये सब हकीकत थी उसका वहम नहीं था। उसने निधि को नहीं जगाया और नहाने चली गयी। नहाने के बाद उसने कपडे पहने और अपना बैग लेकर निधि को बिना बताये ही घर से निकल गयी। सुबह के 9 बज रहे थे शालिनी ऑफिस ना जाकर शालिनी सीधा आशुतोष के क्लिनिक की और चली आयी ,

आज वह अपने इन सपनो की सच्चाई को जानना चाहती थी और इसके लिए उसे इन सब को समझना बहुत जरुरी था। सपने के हिसाब से अब तक आशुतोष की मौत हो चुकी होगी ऐसा शालिनी सोच रही थी। क्लिनिक से सामने आकर उसके कदम रुक गए क्लिनिक के बाहर कुछ लोग घूम रहे थे शालिनी का दिल धड़क रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह अंदर जाये या नहीं जाये। उसने अपना दिल मजबूत किया और अंदर चली आयी।

क्लिनिक में कुछ पेशेंट्स बैठे थे , रिसेप्शन पर बैठा लड़का अपने काम में लगा हुआ था शालिनी सीधा आशुतोष के केबिन की और आयी और धड़कते दिल के साथ दरवाजा खोला सामने कुर्सी पर आशुतोष बैठा फोन पर किसी से बात कर रहा था। शालिनी की जान में जान आयी शालिनी को दरवाजे पर देखकर आशुतोष ने कहा,”अरे शालिनी तुम ! आओ अंदर आओ ना”


शालिनी अंदर आयी तो आशुतोष ने उसे बैठने को कहा। शालिनी की नजर आशुतोष के हाथ की पहली ऊँगली पर गयी जिसमे S वर्ड की रिंग थी। दिखने में वह रिंग किसी लड़की की लग रही थी और आशुतोष की ऊँगली में फिट भी नहीं आ रही थी। शालिनी को ये थोड़ा अजीब लगा। शालिनी सामने पड़ी कुर्सी पर बैठी और कहा,”डॉक्टर मुझे आपको कुछ बताना है”
“हां कहो ना”,आशुतोष ने कहा तो शालिनी ने उसे रात वाले सपने के बारे में बताया।

शालिनी की बात सुनकर आशुतोष हसने लगा और कहा,”अश्विनी ने सही कहा था सच में तुम बहुत सोचने लगी हो , ऐसा कुछ भी नहीं है शालिनी दरअसल तुम इन दिनों होने वाली घटनाओ के बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रही हो और वो तुम्हे सपना बनकर दिखाई दे रही है। देखो मैं तुम्हारे सामने बैठा हूँ बिल्कुल सही सलामत”
शालिनी को समझ नहीं आ रहा था की आशुतोष ने जो कहा वो सच था या फिर उसके वो सपने जिन्होंने उसकी जिंदगी को बदलकर रख दिया था।

जिस डर के साये में शालिनी जी रही थी उसका सच जानना उसके लिए बहुत जरुरी था। शालिनी ने आशुतोष को समझना चाहा लेकिन आशुतोष ने उसे घर जाकर आराम करने को कहा। शालिनी वहा से उठकर बाहर आ गयी चलते हुए शालिनी सोचने लगी,”शायद आशुतोष सही कर रहा है , अगर रात वाला सपना सच होता तो अब तक आशुतोष की भी मौत हो चुकी होती लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। शालिनी ने घडी में टाइम देखा और ऑफिस चली गयी।

ऑफिस आकर शालिनी ने नाश्ता किया और अपना काम करने लगी। दिनभर काम में बिजी रहने से शालिनी को ये फायदा हुआ की वह कुछ देर के लिए बीती बातें भूल गयी। शाम 5 बजे घर जाने के लिए शालिनी ने जैसे ही अपनी स्कूटी स्टार्ट करनी चाही उसे उसका पिछला टायर पंचर मिला उसने ऑफिस के गार्ड को पैसे देकर स्कूटी ठीक करवाने को कहा और खुद पैदल ही घर के लिए निकल गयी। चलते चलते उसकी नजर एक नए रेस्टोरेंट पर गयी ,,

शालिनी को भूख लगी थी वह उसमे चली आयी वहा ज्यादा भीड़ नहीं थी बस कुछ कपल्स बैठे थे और एक दो लड़के और शालिनी एक खाली सी कुर्सी देखकर बैठ गयी। लड़का आर्डर लेने आया तो शालिनी ने अपने लिए एक प्लेट नूडल्स और एक कोल्ड ड्रिंक लाने को कहा। शालिनी बैठकर अपना फोन देखने लगे आर्डर दिए आधा घंटा हो चुका था लेकिन शालिनी का आर्डर नहीं आया था

उसने फोन से नजरे हटाकर देखा तो वहा पुरे रेस्टोरेंट में उसके अलावा कोई नहीं था। शालिनी को थोड़ा अजीब लगा उसने पलटकर काऊंटर पर खड़े लड़के से कहा,”एक्सक्यूज मी , मेरा आर्डर अभी तक नहीं आया”
“बस मेम रेडी है , अभी भिजवाता हूँ”,लड़के ने मुस्कुराकर कहा
जो लड़का शालिनी का आर्डर लेकर गया था कुछ देर बाद वह ट्रे लेकर आया उसने नूडल्स की प्लेट और सॉफ्ट ड्रिंक शालिनी के सामने रखी और कहा,”हेव अ नाइस इवनिंग मेम”


“थैंक्यू !”,शालिनी ने कहा नूडल्स दिखने में काफी अच्छे लग रहे थे। शालिनी ने कांटा उठाया और खाने लगी उसने महसूस किया आर्डर लेकर आने वाला लड़का वही खड़ा है शालिनी ने उसकी और देखा तो वह रहस्य्मयी तरीके से मुस्कुराया और कहा,”एन्जॉय योर मील मेम”
शालिनी ने जैसे ही कांटे से नूडल्स उठाये उसकी चीख़ निकल गयी नूडल्स के बिच किसी इंसान की कटी हुई ऊँगली पड़ी थी।

शालिनी का कलेजा मुंह को आ गया उसके हाथ काँपने लगे और कांटा छूटकर निचे गिर गया। वह फ़टी आँखों से प्लेट में रखी उस ऊँगली को देखती रही जिसमे वही अंगूठी फंसी थी जो सुबह उसने आशुतोष की ऊँगली में देखी थी। शालिनी चीखते हुए उठी और अपना बैग लेकर वहा से भाग खड़ी हुई। रेस्टोरेंट में मौजूद सारा स्टाफ एक दूसरे को देखकर रहस्य्मयी तरीके से मुस्कुरा दिया।


बाहर आकर शालिनी उल्टियां करने लगी। उसे आशुतोष का ख्याल आया उसने ऑटो रोका और उसमे बैठकर उसे क्लिनिक चलने को कहा।रास्ते भर शालिनी डर से भयभीत बैठी रही। उसकी आँखे खौफ से सिमटी जा रही थी। ऑटो क्लिनिक के सामने आकर रुका शालिनी ने देखा वहा काफी भीड़ लगी हुई थी और पुलिस वाले भी खड़े थे। शालिनी निचे उतरी ऑटोवाले को पैसे दिए और क्लिनिक की और बढ़ी लेकिन पुलिस वालो ने उसे रोकते हुए कहा,”ए लड़की रुको ! अंदर मर्डर हुआ है”


“किसका ?”,शालिनी ने काँपते होंठो से कहा
“कोई है डॉक्टर , डॉक्टर आशुतोष ,, तुम लोग साइड हटो पुलिस वालो को इन्वेस्टिगेशन करने दो”,कहते हुए उस पुलिस वाले ने शालिनी को पीछे कर दिया शालिनी ने जैसे ही सूना उसका कलेजा मुंह को आ गया। उसका हर सपना सच हो रहा था। मतलब अब तक जो कुछ वह देख रही थी महसूस कर रही थी सब सच था।

शाम के 6 बज रहे थे शालिनी बदहवास सी क्लिनिक के बाहर खड़ी थी तभी उसे पास खड़ी दो औरतो की बातें सुनाई दी। उनमे से एक ने कहा,”सूना है बड़ी बेरहमी से मारा है किसी ने उन्हें , उनकी दोनों आँखे निकाल ली और पुरे जिस्म को नोच डाला है।”
“मैंने तो सूना है की उनकी ऊँगली तक काट डाली है , बहुत बुरा हुआ उनके साथ”,दूसरी औरत ने कहा शालिनी ने जैसे ही सूना उसकी आँखों के आगे सपने वाला भयावह मंजर आ गया।

शालिनी ने सामने से आते ऑटो को रुकवाया और उसमे बैठकर पुलिस स्टेशन चलने को कहा। पुलिस स्टेशन पहुंचकर शालिनी को पता चला की इंस्पेक्टर बाहर गए है वह वही बैठकर उनके आने का इंतजार करने लगी। शालिनी के घर नहीं आने से निधि ने उसे फोन किया तो शालिनी ने ऑफिस में काम है देर से आउंगी कहकर फोन काट दिया। रात 8 बजे इंस्पेक्टर अपनी टीम के साथ स्टेशन आया।


इंस्पेक्टर अपने केबिन में चला आया तो हवलदार ने आकर उसे शालिनी के बारे में बताया। इंस्पेक्टर ने उसे अंदर भेजने को कहा। शालिनी अंदर आयी तो इंस्पेक्टर ने उसे बैठने के लिए कहा। इंस्पेक्टर के अलावा वह स्टाफ के तीन लोग और थे शालिनी ने इंस्पेक्टर को सारी बात बताई और अपने सपनो और शहर में हुए दोनों मर्डर के बारे में बताया तो वहा खड़ा स्टाफ हसने लगा।

इंस्पेक्टर ने उन्हें घुरा तो सभी चुप हो गए इंस्पेक्टर शालिनी की और मुड़ा और कहने लगा,”देखो तुमने जो कहा है अगर वो सही है तो मर्डर का सीधा शक तुम पर जाता है , तुम बुरी तरह इन सब में फंस सकती हो। किसी मर्डर से पहले तुम्हे सपना आता है और वह मर्डर अगले दिन उसी तरीके से होता है सुनकर थोड़ा अजीब लगता है।”


“मेरा यकीन कीजिये सर मैं सच कह रही हूँ , वो ऑटो ड्राइवर और डॉक्टर आशुतोष की मौत मैंने अपने सपने में देखी है और उनकी हत्या वैसे ही हुई है। आप लोग मेरा यकीन कीजिये प्लीज”,शालिनी ने परेशान होकर कहा
“सर ये बेवजह हम सबका वक्त खराब कर रही है। या तो ये पागल है या फिर पुलिस के साथ कोई मजाक कर रही है ,, कोई कातिल खुद ये बताने क्यों आएगा की खून उसने किया है”,वहा खड़े स्टाफ ने कहा


“मैं मजाक नहीं कर रही हूँ , मैंने जो कुछ भी कहा वो सच है। इन दोनों की मौत का सच मेरे सपनो से जुड़ा है आप लोग मेरा विश्वास क्यों नहीं करते ?”,शालिनी ने चिल्लाकर कहा तो इंस्पेक्टर राघव को गुस्सा आ गया और उसने टेबल पर हाथ मारकर शालिनी को घूरते हुए कहा,”शट अप , तुम्हे क्या लगता है तुम हवा में कुछ भी बेसर पैर की बातें करोगी और मैं मान लूंगा। पुलिस वालो को और भी बहुत काम होते है मैडम , आप यहाँ से जाईये प्लीज”


शालिनी रोते हुए वहा से चली गयी। राघव को ना जाने क्यों उसकी आँखों में आंसू देखकर अच्छा नहीं लगा उसने स्टाफ के लोगो से कहा,”रात बहुत हो गयी है मैं उसे घर छोड़कर आता हूँ”
राघव ने अपनी जीप निकाली और शालिनी के सामने रोककर कहा,”सुनो ! रात का वक्त है बैठो मैं तुम्हे घर तक छोड़ देता हूँ”


शालिनी अब तक बुरी तरह थक चुकी थी उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था वह राघव के बगल में बैठ गयी। राघव ने जीप आगे बढ़ा दी रास्ते भर दोनों खामोश रहे। शालिनी खामोश आँखों से बस सामने देखे जा रही थी। राघव के पूछने पर उसने घर का पता बताया। कुछ देर बाद जीप आकर घर के सामने रुकी शालिनी के साथ राघव भी निचे उतरा तो शालिनी उसके पास आयी और कहा,”,मेरा विश्वास कीजिये सर मैं सच कह रही हूँ।”


राघव को न जाने क्यों उस से हमदर्दी होने लगी थी ? उसने कहा,”कानून ऐसी बातों को नहीं मानता है , तुम्हारे पास इसका कोई एविडेंस नहीं है। अगर पुलिस तुम्हारा साथ देती भी है तो मर्डर का शक तुम पर जाएगा और हो सकता है तुम्हे सजा हो। ऐसे में तुम्हारी पूरी लाइफ खराब हो जाएगी। एक पुलिस इंस्पेक्टर होने के नाते नहीं बल्कि इंसानियत के नाते मैं तुम्हे सलाह दे रहा हूँ इन सबसे दूर रहो”


शालिनी की आँखो में आंसू भर आये और उसने कहा,”ये सपने मुझे फिर डराएंगे सर , जब तक मैं इन सपनो का राज न जान लू मैं चैन से नहीं सो सकती”
शालिनी को रोता देखकर राघव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”सब ठीक हो जाएगा”
शालिनी वहा से चली गयी और राघव भी अपनी जीप लेकर वापस स्टेशन चला आया !

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संजना किरोड़ीवाल

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