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मैं तेरी हीर – 8

Main Teri Heer – 8

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 8

शक्ति काशी को अपने साथ लेकर इंदौर के विजय नगर में आया। गाड़ी साइड में लगाकर शक्ति नीचे उतरा और काशी भी उतरकर उसके पास चली आयी। काशी इस जगह पहली बार आयी थी आस पास कुछ घर बने हुए थे और कुछ बनकर तैयार भी थे। काशी ने शक्ति की ओर देखा और कहा,”हम यहाँ क्यों आये है ?”
“आओ बताता हूँ,,,,,,,!!”,कहते हुए शक्ति ने काशी का हाथ पकड़ा और सामने बने घर की तरफ बढ़ गया। शक्ति ने घर का मेन गेट खोला और अंदर चला आया।  

शक्ति काशी को लेकर घर के मुख्य दरवाजे पर आया और दरवाजा खोलकर उसे वही रुकने को कहकर खुद अंदर चला गया। काशी बस समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर शक्ति कर क्या रहा है ?
कुछ देर बाद शक्ति वापस आया उसके हाथ में एक पीतल की थाली थी जिसमे लाल रंग था उसने उसे दरवाजे पर नीचे रखा बिल्कुल काशी के सामने और फिर अपने जेब से सफ़ेद रुमाल निकालकर थाली से कुछ आगे बिछा दिया। काशी हैरानी से कभी शक्ति तो कभी उस थाली को देख रही थी।

शक्ति वापस काशी के बगल में आया और कहा,”चलो पहले अब अपना दाया पैर थाली में रखो और फिर बांया,,,,,,,,!!”
“शक्ति,,,,,,,,,!”,काशी ने कहना चाहा लेकिन शक्ति ने उसे रोकते हुए कहा,”हमने जो कहा वो करो,,,,,,,,!!”
काशी मुस्कुराई और अपना दाहिना पैर थाली में रखा जिस से उसके पैर का तलवा लाल रंग से रंग गया , साथ ही उसने अपना बांया पैर भी थाली में रखा और उसके बाद शक्ति के कहने पर दोनों पैर सफ़ेद रुमाल पर रखे जिस से काशी के प्यारे प्यारे पैर उस रुमाल पर छप गए।

शक्ति ने उस रुमाल को उठाया और देखकर मुस्कुराया , शक्ति ने उसे पास ही पड़े टेबल पर रख दिया और काशी की तरफ देखा काशी उसे ही देख रही थी ये देखकर शक्ति ने अपनी भँवे उचकाई
“क्या तुम हमे बताओगे ये सब क्या है ? और ये घर किसका है ?”,काशी ने पूछा
शक्ति मुस्कुराया और कहा,”ये घर हमारा है यानि हम दोनों का , शादी के बाद तुम हमारे साथ इस घर में रहोगी। ये घर हमे कल ही मिला है और हम चाहते थे इस घर में सबसे पहले किसी लड़की का पैर अगर पड़े तो वो सिर्फ तुम हो,,,,,,,,!!”


“वाओ कोन्ग्रेचुलेशन,,,,,,,,और ये घर तो बहुत सुन्दर है लेकिन तुमने हमारे पैरो की छाप अपने रुमाल पर क्यों लिया ?”,काशी ने असमझ की स्तिथि में कहा
“क्योकि तुम हमारे घर की लक्ष्मी हो,,,,,,,,!!”,शक्ति ने कहा  
शक्ति की बात सुनकर काशी की आँखों में नमी तैर गयी और वह एकटक शक्ति को देखने लगी। शक्ति ने काशी को अपनी ओर देखता पाया तो उसके दोनों हाथो को थामा और कहने लगा,”काशी माँ-पापा के जाने के बाद हमारा कोई परिवार नहीं बचा

हम हमेशा अकेले रहे पर अब तुम हमारी जिंदगी में आयी हो इसलिए तुम ही हमारा परिवार और सब कुछ हो , हम जानते है तुम्हारे पैर इस घर के लिए शुभ है और आज से ये घर हमारे साथ साथ तुम्हारा भी है,,,,,,,,,,!!”
“देखो अब ऐसी बातें करके तुम हमे इमोशनल कर रहे हो।”,काशी ने फिर अपनी आँखे नम करते हुए कहा
शक्ति ने काशी के हाथो को छोड़ उसके मासूम से चेहरे को अपने हाथो में थाम लिया और उसके सर को अपने होंठो से छूकर कहा,”तुम बहुत अच्छी हो काशी,,,!!”


“अच्छा ! क्या सच में ?”,काशी ने मुस्कुराते हुए कहा
“हम्म्म !”,शक्ति ने कहा और जैसे ही उसके होंठ काशी के गाल की तरफ बढे काशी ने उसकी बाँह पकड़ी और उसे वहा से ले जाते हुए कहा,”तो चलो फिर इस घर को ज़माने में हमारी मदद करो।”
शक्ति काशी के साथ चला आया और घर को व्यवस्तिथ करने में उसकी मदद करने लगा। दोनों ने साथ मिलकर बैडरूम को सेट किया , फिर हॉल में सब सामान जमाया और किचन भी सेट कर दिया।

ये सब करते करते दोपहर हो चुकी थी। शक्ति ने और काशी दोनों ही काफी थक चुके थे और दोनों ही आकर सोफे पर पसर गए। शक्ति ने अपने बगल में बैठी काशी को देखा उसके माथे पर आयी पसीने की बूंदो को फूंक मार दी जिस से एक ठंडा सा अहसास काशी को छूकर गुजरा और उसने अपनी आँखे मूँद ली। शक्ति एकटक काशी के मासूम चेहरे को देखता रहा और फिर उठते हुए कहा,”तुम्हे भूख लगी होगी ना चलो बाहर चलकर कुछ खाते है।”


“ओह्ह्ह्ह शक्ति इतना सारा काम करने के बाद हम में अब इतनी हिम्मत नहीं है कि हम उठकर बाहर जाये ,,,,,,,!!”,काशी ने आँखे मूंदे सोफे के हत्थे से अपना सर लगाए कहा
“तो फिर मैं बाहर से कुछ आर्डर कर देता हूँ , बताओ क्या खाओगी ?”,शक्ति ने कहा
“कुछ ऐसा जो 5 मिनिट में बन जाये,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा


“काशी कोई भी आर्डर आने में 30 मिनिट तो लग जाएगा ना,,,,,,,,,,!!”,शक्ति ने अपना फोन चेक करते हुए कहा
“उम्म्म्म लेकिन हमे बहुत भूख लगी है,,,,,,,!”,काशी ने कहा
“हम्म्म्म समझ गया , तुम बैठो हम कुछ लेकर आते है।”,शक्ति ने कहा और किचन की तरफ चला आया।

किचन में आकर शक्ति ने चेक किया तो उसे एक बड़ा मैग्गी का पैकेट मिल गया। शक्ति ने उसे उठाया और वही बनाने लगा। उसने सामान आज ही शिफ्ट किया था इसलिए किचन में ज्यादा सामान भी नहीं था। शक्ति ने उसे ही बनाने लगा। काशी ने अपनी आँखे खोली शक्ति को हॉल में ना देखकर वह भी किचन में चली आयी और शक्ति को किचन में देखकर हैरान भी थी।
“क्या तुम्हे खाना बनाना भी आता है ?”,काशी ने शक्ति की तरफ आते हुए कहा


“हाँ हम बहुत अच्छा तो नहीं पर हाँ ठीक ठाक खाना बना लेते है।”,शक्ति ने कहा
काशी ने सूना तो मुस्कुराये बिना न रह सकी , वह गैस से कुछ दूर किचन प्लेटफॉर्म पर बैठ गयी और बड़े प्यार से शक्ति को मैग्गी बनाते देखने लगी
शक्ति काशी से बातें करते हुए मैग्गी बनाने लगा। सादी सी उबली हुई मैग्गी में उसने मसाला मिलाया और प्लेट में निकालकर एक चम्मच काशी को खिलाया तो काशी ने कहा,”उम्म्म्म बहुत टेस्टी बना है।”


शक्ति ने सूना तो एक चम्मच खुद खाया और काशी को देखकर मुस्कुरा दिया क्योकि वो मैग्गी बस सामान्य थी लेकिन काशी के मुंह से तारीफ सुनकर शक्ति को अच्छा लगा और ये काशी का प्यार ही तो था जिसने एक सामान्य खाने को खास बना दिया।
दोनों किचन से बाहर चले आये और साथ साथ मैग्गी खाने लगे , शक्ति कभी काशी को अपने हाथ से खिलाता तो कभी चिढ़ाते हुए खुद खा जाता , दोनों साथ साथ बहुत खुश थे।

उसी दोपहर मुंबई शहर
निशि अपनी कोचिंग क्लास में बैठी कही खोयी हुयी थी उसे पता भी नहीं चला कब उसकी दोस्त पूर्वी आकर उसके बगल में बैठ गयी। निशि को खोया हुआ देखकर पूर्वी ने कहा,”ओह्ह्ह हेलो मैडम ! कहा खोयी हो ? तुम्हे पता भी है क्लास खत्म हुए 10 मिनिट हो चुके और तुम अभी तक यही हो , चलो उठो चलो यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
पूर्वी की आवाज सुनकर निशि की तंद्रा टूटी उसने अपना सर झटका और कहा,”हाँ मुझे पता है क्लास खत्म हो चुकी , मैं बस शांत बैठकर अपना रिवीजन कर रही थी।”


“वाह वाह वाह क्या बात है , तुम कब से रिवीजन करने लगी,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो ये सब चलो चलते है।”पूर्वी ने उठते हुए कहा तो निशि अपना बैग उठाकर उसके साथ चल पड़ी। दोनों कोचिंग से बाहर आयी निशि ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और पूर्वी उसके पीछे आ बैठी। दोनों वहा से निकल गयी। धुप काफी तेज थी और थोड़ी देर बाद ही दोनों को प्यास लगने लगी तो निशि ने एक जूस सेंटर देखकर अपनी स्कूटी उसके बगल में रोक दी।


“अह्ह्ह ये बहुत अच्छा किया तुमने मुझे ना बहुत प्यास लगी थी बाय गॉड,,,,,,,,,,,चल कुछ पीते है।”,पूर्वी ने अपना स्कार्फ़ हटाते हुए कहा
“हाँ चलो !”,निशि ने कहा और दोनों जूस वाले के पास चली आयी
“भैया दो ऑरेंज जूस”,निशि ने जूस वाले से कहा जहा कुछ और लोग भी खड़े होकर जूस पी रहे थे।
लड़के ने दोनों को फ्रेश ऑरेंज जूस दिया और वापस अपने काम में लग गया। निशि और पूर्वी दोनों ने गिलास लिया और जूस पीने लगी।

जूस पीते हुए पूर्वी की नजर वही पास ही बने फिल्म सिटी के सेट पर गयी जहा नए ऑडिशन को लेकर बोर्ड लगा था। वह बोर्ड देखकर पूर्वी एकदम से एक्साइटेड हो गयी और निशि के कंधे पर मारकर कहा,”ए निशि वो देख,,,,,,,,,,!!”
निशि की बुरी किस्मत उसके हाथ में पकड़ा जूस थोड़ा उसके कपड़ो और बाकि नीचे जा गिरा उसने गुस्से से घूरते हुए पूर्वी को देखा तो पूर्वी ने दाँत दिखाते हुए कहा,”हीहीहीहीही सॉरी ! पर ज़रा वो देख वहा किसी शॉ का ऑडिशन चल रहा है चल ना चलते है।”


“तू ना ये ऑडिशन का चक्कर छोड़ दे खामखा अपना वक्त बर्बाद कर रही है।”,निशि ने कहा
“कैसी दोस्त है तू मुझे मोटिवेट करने के बजाय डिमोटिवेट कर रही है , इस से अच्छा तो मैं बेचारे उस वंश को बोल देती वो अपने डायरेक्टर के पास मेरी शिफारिश कर देता तो उसकी सीरीज में मुझे रोल मिल ही जाता”,पूर्वी ने मुंह बनाते हुए कहा


 वंश का नाम सुनते ही निशि की खुन्नस और बढ़ गयी और उसने पूर्वी की तरफ देखकर कहा,”ओह्ह्ह रियली ? और तुम्हे लगता है वो अपने डायरेक्टर से तुम्हारी शिफारिश करेगा , बिल्कुल नहीं वो एक नंबर का सेल्फिश और,,,,,,,,,,,,,,,,,,और बकवास लड़का है समझी”
“पर तुम तो सेल्फिश नहीं हो ना और तुम तो मेरी दोस्त भी हो , तो तुम तो मेरे साथ चलो प्लीज , प्लीज प्लीज प्लीज,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए पूर्वी निशि का बैग पकड़कर उस से रिक्वेस्ट करने लगी और एकदम से उसकी नजर निशि के सफ़ेद कुर्ते पर भी चली गयी

जिस पर जूस गिरा था उसे देखकर पूर्वी ने कहा,”वहा वाशरूम भी होगा तो तुम अपना ये दाग भी धो लेना,,,,,,,,,,वैसे भी ये जूस का दाग है बाद में जाएगा नहीं , चलो जल्दी चलो।”
“कितनी अजीब हो ना तुम भी पूर्वी , आओ चलो।”,निशि ने कहा तो पूर्वी ने ख़ुशी से उसे साइड हग किया और उसके साथ ऑडिशन वाले ऑफिस की तरफ बढ़ गयी।

अंदर आकर पूर्वी ने रिसेप्शन पर अपना इंट्रो दिया और बताया की वह ऑडिशन के लिए आयी है।  पूर्वी को एक्टिंग का इतना शौक था कि अपना पोर्टफोलियो वह हमेशा अपने बैग में ही रखती थी और आज उसका ये पोर्टफोलियो यहाँ काम आ गया। रिसेप्शन पर खड़े लड़के ने उसे बैठने को कहा और कुछ देर इंतजार करने का कहकर अपने काम में लग गया। निशि को वाशरूम जाना था इसलिए उसने लड़के से पूछा,”एक्सक्यूज मी , यहाँ वाशरूम कहा है ?”


“आगे से सीधा जाकर लेफ्ट मेम”,लड़के ने कहा और वापस अपने काम में लग गया
“थैंक्यू , मैं ज़रा वाशरूम होकर आती हूँ।”,निशि ने पूर्वी से कहा और वहा से चली गयी। वाशरूम में आकर निशि ने पानी लिया और अपने कुर्ते पर लगे दाग को साफ करने लगी लेकिन वो दाग तो जाने का नाम ही नहीं ले रहा था उलटा पानी की वजह से उसका कुर्ता और गीला हो गया जो की देखने में अब ज्यादा भद्दा लग रहा था।
निशि ने कुछ टिशू उठाये और उनसे अपने गीले कुर्ते को धीरे धीरे सुखाने लगी।

तभी वाशरूम के दरवाजे के सामने से गुजरते एक लड़के ने कहा,”ऐसा करोगी तो ये टिशू तुम्हारे कपड़ो में ही चिपक जाएगा बेटर होगा थोड़ी देर यहाँ कूलर के सामने खड़े हो जाओ।”
निशि ने अपने गर्दन उठाकर सामने देखा वाशरूम के बाहर कूलर के सामने खड़ा लड़का बार बार अपने गीले बालों में से हाथ घुमाते हुए उन्हें सूखा रहा था।


निशि ने हाथ में पकडे गीले टिशूज को डस्टबिन में डाला और बाहर चली आयी। उसे देखकर लड़का कूलर के सामने से हट गया और फिर अपने बालों को सुखाने लगा।
जैसा की लड़के ने कहा था कूलर के सामने निशि का कुर्ता कुछ ही देर में लगभग सुख गया था और दाग भी काफी हल्का हो गया था। निशि वहा से हटी और लड़के के सामने आकर कहा,”एडवाइज के लिये थैंक्यू।”


“मेंशन नॉट , वैसे यहाँ का स्टाफ काफी बद्तमीज है मैं जैसे ही ऑडिशन देने अंदर गया किसी ने जग उठाकर पानी मेरे सर में ही डाल दिया,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे साथ भी शायद ऐसा ही कुछ,,,,,,,,,,!!”,लड़के ने कहा
“अरे नहीं नहीं ये बाहर गलती से मेरी दोस्त ने जूस गिरा दिया था।”,निशि ने कहा तो जवाब में लड़का मुस्कुरा उठा , उसकी मुस्कराहट काफी प्यारी थी। निशि अपना बैग लेकर वहा से चली गयी लड़के ने एक नजर जाती हुई निशि पर डाली और फिर वापस अपने बाल सुखाने लगा।


निशि वापस आयी तो देखा पूर्वी वहा नहीं थी। वह सोफे पर बैठकर पूर्वी के आने का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद पूर्वी बाहर आयी वह काफी खुश और एक्साइटेड लग रही थी। निशि ने देखा तो उठते हुए पूछा,”क्या हुआ ?”
“गेस व्हाट ?”,पूर्वी ने खुश होकर पूछा
“क्या तू फिर से रिजेक्ट हो गयी ?”,निशि ने असमझ की स्तिथि में कहा
“स्टुपिड मैं सेलेक्ट हो गयी हूँ , मुझे एक सीरीज में हीरो की माँ का रोल मिला है।”,पूर्वी ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा


“क्या ? अब तू क्या इस उम्र में माँ के रोल करेगी ?”,निशि ने थोड़ा जोर से कहा तो सब उसे देखने लगे ये देखकर पूर्वी ने अपना और निशि का बैग उठाया और उसे खींचते हुए बाहर ले गयी। वह निशि को लेकर उसकी स्कूटी के पास आयी और कहा,”तुम इतना ओवर रिएक्ट क्यों कर रही हो ? मुझे रोल मिल गया और ये मेरा पहला शॉ है तुम्हे तो मेरे लिए खुश होना चाहिए।”
“हाँ मैं खुश हूँ लेकिन माँ का रोल ? आर यू स्योर पूर्वी ?”,निशि ने पूछा


“हाँ मैं स्योर हूँ और देख मेरी जान कही ना कही तो शुरुआत करनी पड़ेगी ना,,,,,,,,,,,!!”,पूर्वी ने कहा  
“अच्छा बाबा ठीक है मैं खुश हूँ।”,निशि ने पूर्वी को गले लगाते हुए कहा और फिर दोनों सहेलिया वहा से निकल गयी।

उसी शाम बनारस शहर में ,
शाम की गंगा आरती में मुरारी अस्सी घाट पर आया हुआ था साथ में उसके कुछ पुराने दोस्त भी थे जिनसे मिलना कम ही हो पाता था। विधायकी छोड़ने के बाद आज भी मुरारी की बनारस में इतनी इज्जत थी कि लोग उसके आगे पीछे नजर आते थे। अस्सी घाट पर भी यही हाल था मुरारी अपने दोस्तों के साथ घाट पर मौजूद था और उसके चाहने वाले उसकी खातिरदारी में लगे थे। अस्सी घाट पर मुरारी को काफी अच्छा लग रहा था।

आज कितने दिनों बाद मुरारी घाट की गंगा आरती में शामिल हुआ था पूरी श्रद्धा से वह माँ गंगा की आरती तालियों के साथ गा रहा था। सीढ़ियों पर काफी भीड़ थी और मुरारी सीढ़ियों के बिल्कुल सामने नीचे मिटटी में खड़ा था। सफ़ेद रंग के कुर्ते और जींस में वह आज भी किसी से कम नहीं लग रहा था उस पर शरीर भी अब पहले से काफी भर गया था और चेहरे पर मुछे भी जांचने लगी थी।

सब गंगा आरती में डूबे थे पर एक जोड़ी आँखे थे जो मुरारी की आँखों में डूबी जा रही थी। सीढ़ियों से अदा के साथ उतरती उस महिला की कजरारी आँखे जैसे मुरारी के चेहरे पर जम सी गयी। लाल रंग की साड़ी , उस पर स्लीवलेस ब्लाउज जो की पीछे पीठ पर बस एक इंच की पट्टी पर टिका था। आँखों में गहरा काजल , होंठो पर लाली , चेहरे पर एक चमक जो हर किसी को अपनी और खींचने के लिए काफी थी।

उसे देखकर वहा मौजूद नोजवानो का दिल उछलकर बाहर आने लगा , हर कोई बस इसी आस में था कि एक बार तो ये क़यामत उन्हें नजर भर देख ले पर मजाल है वह किसी को देखे उसकी नजरे तो बस मुरारी पर टिकी थी। ये वही महिला थी जिन्हे देखकर उस शाम हमारे मिश्रा जी भी लड़खड़ा गए थे। महिला मुरारी की तरफ आती इस से पहले ही मुरारी आरती लेने पुजारी की तरफ चला गया।
“हर हर महादेव पंडित जी , कैसे है ?”,मुरारी ने पंडित जी को देखकर हाथ जोड़ते हुए कहा


“अरे आईये विधायक जी , बहुते दिनों बाद दर्शन दिए रहय , हमहू ठीक है आप कैसे है ?”,पंडित जी ने मुरारी को तिलक करते हुए कहा
“का पंडित जी ? अमा काहे धोती खींच रहे हो हमाई ? अब हम कोई बिधायक-विधायक नाही रहे ,, अब हमहू फिर से वही मुरारी है जोन रात रात भर घाटों पर पड़े रहते थे और आपकी डांट खाते थे कि घर काहे नहीं जाते,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने आरती से हाथो को घुमाकर सर से लगाते हुए कहा


“बस तुम्हरा जे ही स्वाभाव पुरे बनारस का दिल जीत लेता है मुरारी , तुमहू पहिले भी ऐसे ही थे , आज भी ऐसे ही हो और रही विधायकी की बात तो फिर खड़े हो जाओ चुनाव मा , अरे बनारस की जनता तुमको हारने थोड़े देगी।”,पंडित जी ने सबको प्रशाद देते हुए कहा
“अरे नहीं पंडित जी अब ना पड़ेंगे इह बिधायकी के चक्कर में , बस अब अपनी बाकी की जिंदगी परिवार और बनारस के नाम , अच्छा चलते है जल्दी आएंगे”,मुरारी ने कहा और अपने दोस्तों के साथ वहा से निकल गया।


वह महिला वही घाट पर घूमने लगी लेकिन उसकी आँखे बार बार मुरारी को ही ढूंढ रही थी और वहा मौजूद कुछ मनचले ललचाई आँखों से बस अपनी आँखे सेक रहे थे।

घाट से निकलकर मुरारी ने अपने दोस्तों के साथ कुछ जलपान किया और फिर सब अपने अपने घरो की ओर निकल गए। मुरारी की जीप भी सड़क के उस पार खड़ी थी। मुरारी जीप की तरफ जाता इस से पहले ही उसका फोन बजा मुरारी ने फ़ोन उठाया और कहा,”हाँ मिश्राइन कहो कैसे फोन किया ?”
“मुरारी तुम फिर भूल गए ना ? आज तुम जल्दी घर आने वाले थे और हमे दीदी के घर जाना था।”,दूसरी तरफ से अनु ने नाराज होकर कहा


“अरे अरे माफ़ करना मैग्गी उह का है हमरे कुछो दोस्त मिल गए थे कॉलेज वाले तो उनके साथ हम घाट चले आये गंगा आरती देखने , अब घूमते फिर वक्त का कुछो अंदाजा ही नहीं लगा और देर हो गयी। एक काम करते है कल सुबह चलते है भैया के घर हैं”,मुरारी ने मक्खन लगाते हुए कहा
“कॉलेज के दोस्त ? मुरारी तुमने कभी कॉलेज की शक्ल भी देखी है ?”,अनु ने गुस्से से कहा


“अरे का मल्लब कॉलेज नहीं गए तो का हमरे कॉलेज के दोस्त नहीं हो सकते , और तुमहू न आजकल यार बात बात पर गुस्सा हो जाती हो ,, अच्छा छोडो जे बताओ पान खाओगी ?”,मुरारी ने अनु को मनाते हुए कहा
“दो खाएंगे और मीठा एक्स्ट्रा चाहिए हमको,,,,,,,,,,!”,अनु ने बच्चो की तरह कुनमुनाते हुए कहा तो मुरारी मुस्कुरा उठा और कहा,”ठीक है लाते है।”
दूसरी तरफ से अनु ने फोन काट दिया तो मुरारी ने अपना फोन जेब में रखते हुए कहा,”साला जे बनाने वाले ने भी बहुते सोच के पान जैसी बवाल चीज बनाई होगी,,,,,,,,,,,,,,हैं,,,,,,,,,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल  

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