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शाह उमैर की परी – 45

Shah Umair Ki Pari – 45

Shah Umair Ki Pari

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Shah Umair Ki Pari – 45

शहर धनबाद में :- 

परी और आसिफ की शादी को एक हफ्ते हो जाते है, मगर परी उमैर को आसिफ से बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाती है ! आसिफ घर पर नहीं होता है तो परी मौके का फायदा उठा कर घर में चारो तरफ बोतल की तलाश में लग जाती है जिसमे उमैर क़ैद होता है। मगर उसे वो बोतल कंही पर भी नहीं मिलती। थक हार कर वो कमरे में बेड पर बैठ कर अपने हाथ की अँगूठी को नम आँखों से देखती है, जो उसे उमैर ने पहनाई थी। वो प्यार से अँगूठी को चूमती है फिर उसके नग को बार बार अपने उँगलियों से रगड़ कर पोंछती है।

अचानक उस अँगूठी में एक चमक होती देखती है, वो जब ध्यान से अँगूठी को देखती है तो उसे एक पल के लिए अमायरा उसके अगले ही पल नफिशा , हनीफ , शहजादे इरफ़ान बारी बारी दिखते है सिवाय उमैर के परी को सब दिख जाते हैं। परी समझ चुकी होती है की इन सब के पास भी बिलकुल उसकी ही जैसी अंगूठी है और कही ना कही इन अँगूठी के बीच में कोई ना कोई कनेक्शन जरूर है। जिस वजह से रगड़ने पर उसे उन सब की झलक दिखी !

आसिफ कमरे में अचानक से आता है तो देखता है कि परी अकेले में मुस्कुरा रही है। तो वो उसके बगल में बैठते हुए कहता है !

” क्या बात है? आज मेरी जान अकेले बैठ कर के मुस्कुरा रही है। मेरे बारे में सोच रही थी ना तुम?  मुझे पता था कि बहुत जल्द तुम उस जिन को भूल कर मुझसे मोहब्बत करने लगोगी, मेरा प्यार तुम्हारे लिए भरपूर है !”

“हाँ! तुमने सही कहा आसिफ। मैं अब कही ना कही सही और गलत में फ़र्क़ करना सिखने लगी हूँ। बस मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए अपनी लाइफ में अच्छे से एडजस्ट करने के लिए। आई होप तुम समझोगे अपनी परी को?!” परी ने थोड़े प्यार से अँगूठी को छुपाते हुए कहा !

” थोड़ा क्यों तुम्हे जितना वक़्त चाहिए ले लो, मेरी चंदा। बस मैं चाहता हूँ की तुम भी मुझसे प्यार करो जिस तरह मैं तुम्हे करता हूँ !” आसिफ ने कहा !

”अच्छा आसिफ तुमने वो मेरा आईना कहा रखा है? मुझे उसमे खुद को देख कर तैयार होने की आदत सी हो गयी  थी और तुम्हारे घर पर कोई बड़ा आईना  भी तो नहीं है। भला मैं किस्मे देख कर तुम्हारे लिए तैयार होउंगी? ” परी ने आसिफ से कहा !

परी पर आसिफ को थोड़ा थोड़ा शक होता है कि हमेशा मुझे अहमियत ना देने वाली लड़की एक दम से मुझसे मोहब्बत से पेश आ रही है। मगर परी ने उससे इतने प्यार से कहा होता है कि वो पिघल सा जाता है और मना  नही कर पाता। अपने जज्बात दिखाने आसिफ कहता है !

” परी उस आईने को मैंने स्टोर रूम में रखा है, वो तुम्हारे किसी काम का नहीं है। मैं आज ही तुम्हारे लिए एक खूबसूरत सा आईना लेकर आता हूँ मगर उस आईने के पास तुम नहीं जाओगी ठीक है? वादा करो!”

”अच्छा तो आसिफ ने स्टोर रूम में मेरे आईने को छुपा कर रखा है। उधर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया वैसे भी अगर आईना मिल भी गया तो मैं क्या कर सकती हूँ? कोई मेरी आवाज़ सुनेगा ही नहीं !” परी खुद से ख्यालों में कहती है !

”क्या सोचने लगी हो परी कुछ कहो भी ?!” आसिफ ने उसे खामोश देख कहा !

”कुछ नहीं मैं बस कह रही हूँ कि जैसा तुम कहो। जब तक तुम नहीं बोलोगे मैं उस आईने के पास तो क्या, कही भी बिना तुम्हारी इजाजत के नहीं जाऊँगी। अच्छा आसिफ तुमने देखा वेबसाइट पर कुछ दिन से आर्डर ही नहीं मिल रहे है। कही हमारा काम बंद ना हो जाये !” परी ने कहा !

”that’s my girl, वैसे किसने कहा के आर्डर नहीं मिल रहे? आज ही चेक किया मैंने तो दस आर्डर थे। मैं तो आर्डर कुररियर में भी लगा आया !” आसिफ ने परी के गाल खींचते हुए कहा !

”अच्छा ठीक है फिर , आसिफ एक बात कहूँ तुमसे बोलो मानोगे !” परी ने फिर बहुत प्यार जता कर कहा !

”तुम प्यार से जो भी कहो सब मंज़ूर है मुझे। कहो क्या बात है ?” आसिफ ने प्यार से परी को थामते हुए कहा !

”वो मैं कह रही थी के अब जब मैं तुम्हारी हो ही गयी हूँ तो उस जिन उमैर को क़ैद में रख कर क्या फायदा? उसको आज़ाद कर दो और भेज दो हमेशा के लिए उसे उसकी दुनिया में। ताकि कभी कोई हमारी मोहब्बत के बीच न आये। ” परी ने  थोड़ा हकलाते हुए कहा !

आसिफ जोर का थप्पड़ परी को मारता है और कहता है

 ” मुझे पता था इतनी आसानी से तुम्हारे सिर से उस उमैर का भूत नहीं उतरेगा इसलिए तो उस पर ऐसा अमल कर दिया है मैंने कि वो धीरे धीरे कर के कुछ ही दिनों में उस बोतल के अंदर ही मर जायेगा। फिर उसके जिस्म के बचे हुए अंश तुम्हे दे दूंगा तावीज़ बना कर पहन लेना, समझी ! उसे मुझसे कोई भी आज़ाद नहीं करवा सकता है समझी तुम? अब दोबारा उसका नाम मेरे सामने मत लेना परी, वरना मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा और हाँ यहां तुम्हे आराम करने के लिए नहीं लाया हूँ, जाओ जाकर घर के काम करो ! तुम्हारे बाप का घर नहीं है यह !” आसिफ का गुस्सा सातवें आसमान पर था।

”मगर आसिफ उमैर की क्या गलती है इन सब में? छोड़ दो ना उसे !” परी ने रोते हुए कहा तो आसिफ गुस्से में उसका हाथ पकड़ उसे किचन में लेकर जाता है और गैस जला कर परी के हाथ जलते हुए गैस पर रख देता है ! परी का हाथ बूरी तरह जल जाता है पुरे घर में परी के चीखने की आवाज़ गूंजती है। जिसे सुन नदिया जी और हसन जी दौड़ते हुए उसके घर की तरफ आते है !

”आसिफ बेटा यह सब क्या है? परी क्यों चीख रही है ?” नदिया जी ने अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए कहा ! इससे पहले के वो दोनों घर के अंदर आते आसिफ उनको बाहर ही रोकते हुए  कहता है !

 ”कुछ नहीं आंटी बस आप की बेटी को थोड़ा सा जरूरी सबक सिखाया है। अपने शौहर के सामने भला कौन बार बार किसी गैर मरहम का नाम लेता है? लेकिन आपने तो सिर चढ़ा कर रखा है परी को। नाम परी क्या रख दिया खुद को परी ही मान बैठी है। जब देखो उमैर को छोड़ दो की रट लगा देती है , इलसिए जरुरी था इसे सबक सिखाना !

इस बार बस हाथ जलाया है दोबारा कुछ कहा इसने, तो चेहरा, जुबान सब जला दूंगा इसका। आप भी अच्छे से सुन लें ये बहुत बेहतर होगा कि आप लोग मेरे ज्याददति मामले से दूर ही रहे, वरना आपके किये की सज़ा भी अब इसे ही मिलेगी !” 

”तुम्हारा दिमाग तो सही है? तुमने परी का हाथ जला दिया? जान से मार दुंगा तुम्हे। मैंने अपनी बेटी की शादी तुमसे उसे मारने पीटने के लिए नहीं की थी !” हसन जी ने आसिफ को कॉलर से पकड़ते हुए कहा !

”बुड्ढे औकात में रह अपनी। समझा? ज्यादा उड़ मत। मेरे पढ़े एक अमल से तू फिर से लंगड़ा बन जायेगा, इसलिए चुप चाप निकल यहाँ से समझा !” आसिफ ने अपना कॉलर हसन जी के हाथों से छूडाते हुए कहा और उनका एक जोर का धक्का देता है जिससे वो दूर जा गिरते है ! नदिया जी जल्दी से जाकर उनको उठाती है !

”आसिफ तुम्हे मेरे साथ जो करना है करो। मगर कम से कम मेरे मम्मी पापा से तो इज्जत से पेश आओ। मम्मी पापा आप दोनों घर जाओ मैं ठीक हूँ, आप दोनों को कसम है अब आप यंहा नही आओगे!” परी ने कहा !

”मगर बेटा तुम इस कमीने इंसान के जुल्म को आखिर क्यों सह रही हो? चलो हम पुलिस में इसके खिलाफ कम्प्लेन करते है अभी के अभी !” हसन जी ने गुस्से में कहा !

”मैंने कहा ना जाइये आप लोग घर, कुछ भी नहीं करना है !” परी ने गुस्से से चिल्ला कर कहा तो हसन जी और नदिया जी मायूस अपने घर में चले जाते है !

”और तुम और कोई कसर बाकी है तो वो भी पूरी कर लो !” परी ने अपने जले हुए हाथ को दूसरे हाथ से थामे हुए कहा !

“जितना तुमने मुझे तड़पाया है परी, यह सब तो उसके आगे कुछ भी नहीं है। समझी तुम?”

आसिफ परी की बाल को पकड़ते हुए कहता है ! तो परी उसके मुँह पर थूक देती है ! परी की इस हरकत से आसिफ को और भी गुस्सा आता है  एक साथ तीन चार थपड़ पे थप्पड़ परी  को मरता है फिर  आसिफ परी को ले जाकर अँधेरे स्टोर रूम में बंद कर देता है !

Shah Umair Ki Pari – 45

दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-

”दादा अब्बू आप यह आईने को गुलाब के पानी से क्यों नहला रहे हो? !” शाह कौनैन को आईने को धोते देख नफिशा ने कहा !

”अरे बेटा नहला नहीं रहा मैं तो बस इस आईने को पहले की तरह पाक कर रहा हूँ ताकी फिर से इससे आने जाने वाला रास्ता खुल जाये और मैं यह पता कर सकूँ के दूसरे तरफ का आईने आखिर किस के कब्ज़े में है !” शाह कौनैन ने कहा !

‘’क्या कहा आपने दूसरी तरफ का आईने किसी के कब्ज़े में है ? तो क्या परी भाभी किसी मुसीबत में तो नहीं फँसी है?!” नफिशा ने परेशान होते हुए कहा !

”हो सकता है के परी और उमैर दोनों ही किसी साज़िश का शिकार हो चुके हो। मुझे तो ऐसा ही महसूस हो रहा ! नफिशा बेटा इंसान अशरफुल मख़लूक़ात होते है। अल्लाह ने अपने बनाये हुए हर मखलूक में इंसान को आला मुकाम दिया है, इसलिए कभी कभी उनसे सामना करना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। क़दीम ज़माने से यह इंसान अपने अमल के जरिये हम जिनो को अपना गुलाम बनाते आ रहे है। इसलिए जो भी करना है सोच समझ कर करना होगा !” शाह कौनैन ने परेशान होते हुए कहा !

”दादा अब्बू आप कहो तो मैं इंसानी दुनिया में जाकर उमैर भाई को तलाश कर आऊं और साथ में परी भाभी के घर भी हो आऊँगी !” नफिशा ने कहा !

”नहीं मेरी बच्ची तुम यह गलती मत करना वरना मुश्किल में फस सकती हो , किसी भी काम में जल्द बाजी नुकसान पहुंचाती है !” शाह कौनैन ने कहा !

”दादा अब्बू आप खाना खा लेना मैं हनीफ के साथ महल जा रही हूँ अमायरा आपी से मिलने और हो सके तो आप भी चलो मेरे साथ !” नफिशा ने उमैर के बेड पर अपने दादा के लिए खाना लगाते हुए कहा !

”नफिशा मेरी बच्ची तुम जाओ मैं घर पर ही रहूँगा !” शाह कौनैन ने कहा तो नफिशा तैयार हो कर निकल जाती है उसे रास्ते  में हनीफ भी मिल जाता है !

”आ गयी तुम। कहा थी इतने दिनों से? अपने आपी की याद नहीं आयी तुम्हे ?” नफिशा के आते ही अमायरा ने उसके कान खींचते हुए कहा !

”आ। .. आपी  छोड़िये दुःख रहा है , और क्या करती मैं आप की शादी महल में हुई है मेरी नहीं और दादा अब्बू को घर पर अकेले कैसे छोड़ देती? इतने साल बाद उनका साथ नसीब हुआ है मुझे !” नफिशा ने अपने कान छुड़वाते हुए कहा !

”अरे वाह मेरी बहन तो आज बहुत समझदारी वाली बातें कर रही है। हम्म लगता है हनीफ ने सुधार दिया है तुम्हे। वरना तुममे इतनी अक़ल कहा है  !” अमायरा ने हनीफ की तरफ इशारा करते हुए कहा !

”सही कहा आप ने अमायरा आपी इस पागल को अब मैं ही ठीक करूँगा !” हनीफ ने भी मज़े लेते हुए कहा !

”हनीफ मैं देख रही जब से हमारी मंगनी हुई तुम कुछ ज्यादा ही बोलने लगे हो। ज्यादा बकवास की तो शादी भी नहीं करुँगी तुमसे !” नफिशा ने हनीफ को घूरते हुए कहा !

”अरे भाई तुम तो गुस्सा हो गयी। अच्छा ठीक है, आज के बाद यह बात कभी नहीं दोहराऊंगा ठीक है ?” हनीफ ने अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा !

”किस बात की माफ़ी मांगी जा रही है हमारी साली साहिबा से? और तुम सब खड़े ही रहोगे या बैठोगे भी !” शहजादे इरफ़ान ने आते हुए कहा !

”कुछ नहीं शहजादे इरफ़ान बस ऐसे ही नफिशा के नाक पर गुस्सा चढ़ा रहता है उसे ही उतारने की कोशिश में था !” हनीफ ने कहा !

सब एक साथ बैठक कमरे में बैठ कर घंटो एक दूसरे से बातों में लगे रहते है !

”सुनिए खाना लगा दिया है चल कर खा ले और हाँ तुम सब भी चलो नफिशा तुम मरयम को उसके कमरे से बुला ले आओ। सब साथ में खाते है खाना !” अमायरा शहजादे इरफ़ान और बाकी सब को खाने के लिए कहा !

”सुभान अल्लाह आपी, आप के मुँह से सुनिए सुन कर कितना अच्छा लग रहा है , लगता है आप दोनों की बात बन गयी है। तभी आप दोनों हर वक़्त एक दूसरे को देख मुस्कुराते रहते हो !” नफिशा ने अमायरा को छेड़ते हुए कहा !

” चुप कर शैतान अब चल मेरे साथ बावर्ची खाने में थोड़ी मेरी मदद कर देना !” अमायरा ने शर्माकर शहजादे इरफ़ान को एक नज़र देखा फिर नफिशा का हाथ थामे चली जाती है !

सब एक साथ खाने की मेज के पास कुर्सी लगा कर बैठ जाते है , सब खाना खा ही रहे होते है के सब की मंगनी वाली अंगूठी बारी बारी कर के चमकने लगती है !

”अचानक से यह क्या हुआ ? हम सब की अँगूठी में चमक कैसी है यह?”  हनीफ ने कहा ! तो सब बारी बारी से अपनी अँगूठी को ध्यान से देखने लगते है !

”अमायरा आपी इसमें तो परी भाभी दिख रही मुझे जो के परेशान लग रही है मुझे !” नफिशा ने कहा !

”हाँ मुझे भी परी दिखी, आंसू भी हैं आंखों में !” शहजादी मरयम ने कहा !

”हम सब की अँगूठी आपस में जुड़ी हुई है और यह कोई आम अँगूठी नहीं है, अगर हम कभी किसी मुश्किल में हो तो यह रास्ता भी बताती है !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !

”अचानक परी का दिखना हम सब को कुछ गड़बड़ का एहसास नहीं दिलाता है ? इरफ़ान आप को पता चला उमैर भाई के बारे में कुछ कि वो कहा है इंसानी दुनिया में ?” अमायरा ने कहा !

 ”अमायरा उमैर की तलाश मैंने कई बार करवाई है मगर उसका कंही भी, कुछ भी पता नहीं चल रहा है। मगर, तुम कहती हो तो मैं एक बार और उसकी तलाश करवाता हूँ  !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !

”मुझे लगता है हमे पहले परी भाभी के घर चल कर पता करना चाहिए कि आखिर क्या मामला है? मगर जिस आईने से हम उनके घर जाते थे वो रास्ता किसी वजह से बंद हो गया है और दादा अब्बू कह रहे थे की इंसानी दुनिया का वो आइना शायद किसी इंसानी आलिम के हाथों में है और वो आईने से हमारे घर पर भी आया था  !” नफिशा  ने कहा !

”नफिशा यह सब बातें तुम मुझे आज बता रही हो इतनी लापरवाह कैसे हो गयी तुम ?” अमायरा ने गुस्से में उसे डांटते हुए कहा !

”आपि माफ़ कर दीजिये। मुझे ध्यान नहीं रहा। मुझे लगा कि दादा अब्बू ऐसे ही कह रहे। वो क्या है ना बूढ़े भी तो बहुत है वो !” नफिशा ने कहा !

”नफिशा आज दिल कर रहा एक चांटा खींच कर लगाऊं तुम्हे ! बेपरवाह हो तुम तुम्हे पता भी है के अगर सच में कोई आलिम हमारे घर आया था तो परी और उमैर भाई जरूर किसी मुसीबत में है !” अमायरा परेशान होते हुए कहती है !

”शांत हो जाओ अमायरा कुछ नहीं होगा उमैर को और ना ही परी को। चलो सब मिल कर चलते है तुम्हारे घर,जरा मैं भी तो इस आईने का चक्कर देखूँ !” शहजादे इरफ़ान ने समझाते हुए कहा !

इधर शाह कौनैन आईने के सामने खड़े होकर दुआ पढ़कर फूंकते है घंटो की मेहनत के बाद आईना अपनी पहली सी हालत में आ ही जाता है !

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Written by- Shama Khan

इश्क़ के चर्चे है आम हर शहर में ,

कोई पा लेता है महबूब को तो

तन्हाई है किसी के हिस्से  !

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