Sanjana Kirodiwal

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Shah Umair Ki Pari-31

शाह उमैर की परी – 31 

Shah Umair Ki Pari

Shah Umair Ki Pari-31

दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-

“दादा अब्बू, क्या सच मे आप…… आप ज़िंदा हो ?” उमैर चौंकते हुए कहता है !

“हाँ मेरे बच्चे बदकिस्मती से ज़िंदा हूँ मैं !” शाह कौनेन ने कहा !

“मगर अब्बा ने तो कहा था कि आप…… आप नही रहे… मेरा मतलब है कि मर चुके हो ?” उमैर फिर एक बार सवाल करता है !

“तेरा बाप तो बुजदिल है, जो डरता है शंहशाह और उसके बनाये हुए क़ानून से। इस कमबख्त को इतना भी इल्म नहीं की जब दिल किसी से लग जा,ए तो खुद पर भी खुद  का इख़्तियार नहीं होता। इसे तो सब फ़िज़ूल की बातें लगती है !” शाह कौनेन शाह ज़ैद को घूरते हुए गुस्से से कहते है !

”अब्बा मैं  शर्मिन्दा हूँ के मैं आप को रिहा नहीं करवा पाया ! मैंने बहुत कोशिश की शाहंशाह फरहान का दिल जितने की , और वो शायद मान भी जाते।  अगर उनके बच्चो की शादी हमारे बच्चो से हो जाती, मगर इस उमैर के बच्चे ने सारे काम बिगाड़ दिए !” शाह ज़ैद ने शर्मिंदगी और गुस्से से उमैर को देखते हुए कहा !

“अरे वाह यह तो मज़े की बात है कि मेरा अब्बू भी अपने अब्बू से डरते  है ! अब मज़ा आएगा जब दादा अब्बू, अब्बा की क्लास लगाएंगे। दादा अब्बू से कह कर सारे बदले लूंगा, जितना भी इन्होने मुझे मारा है !” उमैर ख्यालों में सोचते हुए खुश होता है !

“दादा अब्बू आप से एक बात पूछूं? अगर आप ज़िंदा हो तो आप को मरा हुआ, हमें गलत क्यों बताया गया ? और आप को किस बात की सजा मिली है ?” नफिशा ने पूछा !

“हम्म्म तुम्हारा सवाल पूछना लाजमी है मेरी बच्ची।  मैं सब बताऊँगा पहले यह बताओ तुम सब को किस बात की सजा मिली जो तुम सब भी यहाँ आ गये ?” शाह कौनैन ने कहा !

“वही जो आप ने किया था। इस नालायक को भी किसी इंसान से इश्क़ हुआ है। जिसकी वजह से आज हम सब यहाँ  है !” शाह ज़ैद उमैर के सर पर मारते हुए कहते है !

“कहने का क्या मतलब है तुम्हारा? हम नालायक है,जो हमे इश्क़ हुआ ? खबरदार शाह जैद जो दोबारा मेरे सामने मेरे पोते को मारा तो। ठीक नहीं होगा। ” शाह कौनैन ने घूरते हुए कहा !

“नहीं… नहीं… अब्बा मैं बस इसे नालायक कह रहा।  मेरी आपके सामने क्या मज़ाल के आप को कुछ कहूँ ?” शाह ज़ैद ने कहा !

“दादा अब्बू आप ने कहा था ना के आप के दिए हुए आईने में मुझे जो भी लड़की दिखेगी, वही मेरी हमसफ़र बनेगी? तो एक दफा मुझे उसमे एक परी नाम की लड़की दिखी। जैसा आईना हमारे पास है बिलकुल दूसरा उसके पास है, जो उसकी दादी का था !” उमैर ने कहा !

“क्या कहा तुमने वो आईना उस लड़की के दादी का था ?” शाह कौनैन ने कहा !

“हाँ दादा अब्बू सब से पहले मैंने उसे देखा था, फिर उमैर भाई को बताया था !” अमायरा ने कहा !

“मेरे बच्चे मैंने तो मज़ाक में कहा था अगर उस आईने के जरिए तुम्हे कोई मिल गयी है, तो यह तो अच्छी बात है मेरे बच्चे। इंसान हो या जिन इश्क़ किसी से भी हो सकता है। मैं नहीं मानता किसी भी दुनिया के नियमों को के हम जिन है तो इंसान से मोहब्बत नहीं कर सकते ! वैसे तुम्हारी परी की दादी ही वो इंसान थी जिससे इश्क़ करने की सज़ा में मुझे इस काल कोठरी में उम्र क़ैद मिली है।  जहाँ हर तरफ बदबू और अँधेरे का राज है खैर छोड़ो, ख़ुशी की बात तो यह है के भले ही मेरी मोहब्बत अधूरी रह गयी मगर तुम्हारी तो मैं पूरी करवा के ही रहूँगा !” शाह कौनैन कहते है !

“दादा अब्बू अब हमे भी यही रहना है, आप के साथ ही हमारे पास बहुत वक़्त है। क्या आप हमे  अपनी कहानी सुनाओगे ?”  अमायरा ने कहा !

“बिलकुल इतने सालों बाद मेरे बच्चों मैं तुम सब से मिल रहा हूँ, खूब बातें करूँगा तुम सब से और ऐसा मत कहो के तुम सब को हमेेशा यहाँ रहना होगा !खुदा कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल देगा ! ” शाह कौनैन ने कहा !

अपने दादा के ज़िन्दा होने की ख़ुशी इन तीनो को इतनी रहती है के यह भूल जाते है इनको कड़ी सजा मिली है ! अब यह बाहर अपनी दुनिया की हरयाली नहीं देख पायेंगे ! ना ही किसी अपने अजीज़ से मिल पाएंगे !

तीनो अपने दादा के पास आकर बैठ जाते है ! शाह ज़ैद मुँह बनाये एक तरफ बैठे रहते है ! अपने दादा को देख कर उमैर का डर अपने अब्बा से खतम हो जाता है उसे पता रहता है के अब उसके पास उसके दादा है जो उसके अब्बू की खबर लेंगे !

”तो बच्चो बात उन दिनों की है जब मैं शहंशाह के काम से अक्सर इंसानी दुनिया में जाया करता था। तब मेरी शादी नहीं हुई थी मेरी उमैर करीब 27 साल रही होगी ! एक रोज मैं काम से फारिग हो कर आम के पेड़ पर आराम कर रहा था तभी एक पत्थर आकर मेरे सर को लगा। मैं नींद में बौखलाता हुआ उठ बैठा , गुस्सा तो मुझे बहुत आया जी चाह  रहा था जिसने भी मुझे पत्थर मारा है उसकी जान ले लूं। मगर जैसे ही मैं पेड़ से नीचे उतरा एक निहायत ही खूबसूरत लड़की खड़ी थी जो कच्चे आम को बड़े ही शौक़ से खा रही थी। मैं तो बस उसे एक टक देखता रह गया !”

”नुरैन.. नुरैन… जल्दी चल माली काका डंडा लेकर आ रहे है !” उसकी सहेलियाँ उसे नूरैन कह कर बुला रही होती है ! तब मुझे पता चला के उस खूबसूरत परी का नाम नुरैन है !

”तुम सब कहा जा रही हो रुक जाओ, मुझे आम तो चुन लेने दो इतनी मेहनत से तोड़े है ऐसे कैसे छोड़ दूँ ?” नूरैन अपनी सहेलियों से कहती है मगर वो सब माली को आता देख उसे आम के बाग़ में अकेला छोड़ कर भाग जाती है !

“मैं पल भर में सारे आम को चुन कर उसके टोकरियों में रख देता हूँ, तो वो डर जाती है और कहती है !

” कौन है यहाँ ?” डरकर आम छोड़ कर भागने लगती है ! तब मैं उसे आवाज़ देकर कहता हूँ !

” रुको मत जाओ और तुम्हे मुझसे डरने की जरुरत नहीं  है मैं तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा !”

”पर तुम हो कौन और तुम मुझे दिख क्यों नहीं रहे हो !” नुरैन ने कहा !

“मैं एक जिन हूँ और मैं इस आम के पेड़ पर सोया हुआ था तुमने जो पत्थर मारा वो मुझे जा लगा जब मैं उठा तो मुझे तुम दिखी तुम बहुत ही प्यारी हो और मैं तुम्हे पसंद करने लगा हूँ !” शाह कौनैन ने कहा !

” मगर जिन का नाम सुनते ही वो बेहोश हो गयी ! फिर बगीचे का  माली उसे उसके घर कुछ लोगों के मदद से छोड़ आया साथ में उसके घर वालों को धमका भी आया के अगर उनकी बच्ची दोबारा आम के बाग़ में दिखी तो वो पुलिस में कम्प्लेन कर देगा चोरी करने की ! मैं भी कम थोड़ी था मैंने भी आम की टोकरियाँ उठा कर उसके घर पहुँचा दी ! मुझे लगा के होश में आयेगी तो मेरे बारे में बता देगी सब को मगर उसने बस यही कहा सब से के उसे चक्कर आ गये थे ! बस उस रोज से मैं शहंशाह के दिये काम को भूल कर बस दिन रात नूरैन के साथ रहने लगा ! मुझे दिन रात उसे देखना अच्छा लगने लगा था वो बेचारी तो मेरी मौजूदगी से बेखबर थी ! मगर कभी कभी उसे मैं अपनी मौजूदगी का एहसास भी दिलाता जैसे जब अगर उसका मन मिठाई खाने का करता मैं उसके कमरे में कई तरह की मिठाई लाकर रख देता ! उसे किसी चीज़ की ख्वाहिश होती वो उसके सामने मौजूद होती ! इस तरह जब मैंने कई दफा उसकी मदद की तो उसे मुझ पर यक़ीन होने लगा !

“फिर किया हुआ दादा अब्बू ?” नफिशा ने पूछा !

“नफिशा तुम बीच में मत बोलो दादा अब्बू सुना तो रहे अपनी कहानी।  दादा अब्बू आप सुनाये आगे की कहानी !”  उमैर ने कहा !

“हम्म … धीरे धीरे नुरैन ने तो मेरा प्यार क़ुबूल कर लिया था, हम अक्सर आम के बाग़ में बैठ कर घंटो बातें किया करते थे ! मगर एक रोज शहंशाह के कुछ गुलाम ने मेरी खबर शहंशाह तक पहुँचा दी ! फिर मुझे वापस अपनी दुनिया में आने का हुक्म हुआ। ना चाहते हुए भी मुझे वापस आना पड़ा और मुझे अच्छे से पता था कि शायद अब मैं अपनी नुरैन को कभी भी देख नही पाऊँगा ! जब मैं यहाँ वापस आया तो शहंशाह ने मेरी ताकतें कुछ साल के लिए मुझसे छीन ली !” दादा अब्बू ने गहरी सांस ली और फिर बोले।

“और मुझे यह धमकी दी के अगर मैं अपने क़बिले की किसी जिन ज़ादी से शादी नहीं करूँगा तो वो मेरी नुरैन को मार देंगे। बस उसकी ज़िन्दगी के लिए मैंने तुम्हारी दादी से शादी कर ली, मैं नुरैन को भूल नहीं पा रहा था ! मगर मैं मरने से पहले एक बार नुरैन से मिलना चाहता था, तो पहले मैं कई साल शहंशाह को भरोसा दिलाता रहा कि अब मैं नुरैन को मोहब्बत नहीं करता हूँ। वो मुझे मेरी ताक़तें वापस कर दे करीब 15 साल बाद मुझे मेरी ताक़तें वापस मिली !”

दादा अब्बू के चेहरे पर थोड़ी खुशी थी।

 “फिर मैं छुपते हुए इंसानी दुनिया में नुरैन से मिलने गया था ! वो मुझे अपने माँ बाप के घर पर नहीं मिली  मैंने  अपने इल्म से पता किया। तब मुझे पता चला की उसकी शादी शहर धनबाद  में हो गयी है, तो मैं फिर उससे मिलने उसके ससुराल गया। जहां वो मुझे अपनी खिड़की पर खामोश बैठी मिली। मेरी खुश्बूं उसके नाक से टकराते ही वो खुश होकर खड़ी हो गयी और कहने लगी !

” कौनैन यह तुम हो ना? मेरे सामने आओ  मैंने कितना इंतज़ार किया है तुम्हारा। तुम्हे पता है तुम्हारे जाने के बाद मेरे साथ क्या-क्या हुआ था ?”

” तुम्हे पता है मेरे साथ क्या हुआ है ? मैं मजबूर था ! ” शाह कौनैन ने नुरैन के सामने आते हुए कहा !

“मेरे बच्चो वो पल कितना दिल को चीर देने वाला था, मैं क्या बताऊं तुम सब को जब दो प्यार करने वाले एक दूसरे को सालों बाद इस हाल में मिलते है, जब वो दोनों किसी और के हो गये हो ! ” शाह कौनैन कहते है ! उस पल को याद करके शाह कौनैन की आँखों से आंसू बहने लगते है !

उमैर , अमायरा और नफिशा भी उनके साथ गमगीन हो जाते है !

“मेरे तीनो बच्चे इन पर ही चले गए है। बाप नहीं बल्कि नौटंकी का खेल है। इतनी उम्र हो गई पर नाटक अब भी वही!” शाह ज़ैद खुद में ही बुदबुदाते है !

शहर धनबाद :-

“आ गये दोनों पापा बेटी? तब कितने पैसे दोनों ने मिल कर बर्बाद किये ? ” नदिया जी ने दोनों को आते ही कहा !

“अरे क्या मम्मी आप फिर शुरू हो गयी ?” परी ने शॉपिंग बैग चेयर पर रखते हुए कहा !

“और नहीं तो क्या? चार पैसे कमाए नहीं के खर्चे होने लगे तुम दोनों के हाथों से!” नदिया जी ने नाक चढ़ाते हुए कहा !

“परी बेटा नहीं सुधरेगी तेरी माँ। छोड़ इसे उधर देख ऑटो वाला LED लेकर आ गया है जा जाकर रिसीव कर ले !” हसन जी ने कहा !

“ठीक है पापा आती हूँ अभी !” परी ने कहा फिर टीवी ऑटो वाले से रिसीव कर के सर्विस सेंटर में इंस्टालेशन करने के लिए कॉल कर देती है !

“पापा जब तक टीवी सेट होता है आओ, मैं आप के नये मोबाइल का फंक्शन आप को बता देती हूँ। मम्मी आप शॉपिंग बैग चेक करो, उसमे आप के लिए कपड़े है !” परी ने मोबाइल को बॉक्स से निकालते हुए कहा !

“वो तो मैंने आते ही देख लिए अच्छे है कपड़े। बस तुम्हे पैसे को इस तरह बर्बाद नहीं करने चाहिए  !” नदिया जी ने हलका सा मुस्कुरा कर कहा !

“मेरी प्यारी मम्मी बहुत नखरे करती हो आप। दिल तो आप का भी  करता है नए कपड़े पहनने का !” परी नदिया जी के गाल खिंचते हुए कहती है !

“बेटा जब पास में पैसे हो तो शौक पूरा करने का दिल भी होता है, बिना पैसों के सब बेरंग सा ही लगता है !” नदिया जी ने चेयर पर बैठते हुए कहा !

“मम्मी अब आप की यह बेटी सारे शौक पुरे करेगी आपके और आप को पता है जितने भी कपड़ों के आर्डर मिले थे सब के पैसे मेरे अकाउंट में आ गये है। बस थोड़ी देर में आसिफ को भी उसके हिस्से के पैसे दे दूंगी !” परी ने कहा !

“मैडम इनस्टॉल हो गया है आप का टीवी। आप एक बार चेक कर लो मुझे दूसरी जगह भी जाना है !” सर्विस बॉय ने कहा !

“ठीक है अभी चेक करती हूँ लो पापा आप का मोबाइल चलाओ आप अब !” परी कहती है फिर टीवी के रिमोट लेकर सारे चैनल चेक करती है !

“हाँ भैया सब ठीक है आप जा सकते हो !” परी कहती है तो वो सर्विस वाला लड़का चला जाता है !

“मम्मी आप चाय बना दो मैं फ्रेश होकर चाय पियूँगी। शाम में आसिफ को पैसे यह एक मिठाई का डिब्बा दे आउंगी खुश हो जाएगा वो !” परी ने कहा ! फिर वो अपने कमरे में फ्रेश होकर आती है और आईने के सामने आकर अमायरा और नफिशा को आवाज़ लगाती है ! जब उन् दोनो में से किसी का भी जवाब नहीं मिलता है तब वो उमैर को आवाज़ लगाती है इस बार भी उसे मायूसी मिलती है ! फिर वो आईने को छू कर देखती है जो उस वक़्त एक आम आईने के तरह होता है !

“आखिर यह सब किधर है कोई मुझे आवज़ क्यों नहीं दे रहा है? या अल्लाह मेरा तो मन घबरा रहा है। अब मैं भी कितनी पागल हूँ अपनी ख़ुशी में इतनी मगन थी के एक बार भी उमैर का ख्याल नहीं आया। ना जाने कहा है सब के सब? कही शाहशाह को पता तो नहीं चल गया मेरे और उमैर के बारे में ?” परी बेचैनी से टहलते हुए खुद से कहती है ! वो शाम तक इस तरह आईने के सामने अमायरा , नफिशा और उमैर से बात करने में लगी होती है मगर उनका कोई भी जवाब नहीं मिलता है !

“परी बेटा जा जाकर आसिफ को मिठाई दे आ वरना  खराब हो जायेगी और तुम इतना परेशान क्यों हो ?!” नदिया जी ने कहा !

“कुछ नहीं मम्मी वो बस मैं थोड़ा थक गयी हूँ। जाती हूँ,आसिफ के पास !” परी कहती है फिर भारी मन लिए, अपने भारी कदमों से मिठाई का डब्बा और आसिफ के हिस्से के पैसे लेकर उसके घर के तरफ निकल जाती है ! आसिफ के घर का दरवाज़ा पहले से ही खुला होता है !

“क्या बात है आज रफ़ीक चाचा भी नहीं दिख रहे ना ही आसिफ ?” परी खुद में कहती हुयी घर के अंदर आती है चारो तरफ देखती है मगर सिवाए सनाटे और अँधेरे के अलावा कोई नहीं दिखता वो हिम्मत करते हुए आसिफ के कमरे की तरफ बढ़ती है जैसे ही वो आसिफ के कमरे के पास पहुँचती है उसे आसिफ के कमरे से कुछ पढ़ने की आवाज़ आती है ! वो धीरे धीरे कदमे बढ़ती हुई अंदर आती है तो देखती है के आसिफ आलती पालती मारे खुले बदन बैठे होता है उसके सामने एक दिया रौशन रहता है और वो कसरत से  कुछ  पढ़ रहा होता है उसके कमरे में चारो तरफ लोबान की खुश्बू फैली हुई रहती है ! परी डर कर उलटे पैर बिना कुछ कहे वापस अपने घर के लिए जैसे पलटती है उसे सामने से रफ़ीक चाचा आते हुए दिखाई देते है !

“अरे परी बेटा तुम कब आयी? आओ बैठो !” रफ़ीक चाचा ने कहा !

“वो चाचा वो मैं आसिफ को ढूंढ रही थी !” परी थोड़ा घबराते हुए कहती है !

“तुम मुझे ढूंढ रही मगर मैं तो कब से यही पर हूँ !” आसिफ पीछे से आकर कहता है !

“वो बस मैं अभी तुरंत ही आयी हूँ यह लो मिठाई और यह तुम्हारे मेहनत के पैसे !” परी उसकी तरफ पैसे और मिठाई का डब्बा बढ़ाते हुए कहती है !

“परी तुम मुझे कुछ परेशान नज़र आ रही हो ? सब ठीक है न?” आसिफ ने मिठाई का डब्बा परी से लेते हुए कहा !

“नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। अच्छा तो मैं अब चलती हूँ कुछ काम है मुझे !” परी कहती हुई अपने घर की तरफ उठ कर चल देती है !

“लगता है बेटा इसने तुम्हे अमल करते हुए देख लिया है !” रफ़ीक चाचा ने कहा !

“देखने दो पापा यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है और जिस जिन के दम पर यह आज इतना उड़ रही है ना? इसके और उसके पर तो मैं काटूँगा। आप बस मेरी और परी की शादी की तैयारियाँ करिए !” आसिफ शैतानी मुस्कराहट के साथ कहता है !

 क्रमशः shah-umair-ki-pari-32

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Written By – Shama Khan

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“दो दुनिया खुद  में हज़ारों राज़ समेटें है

हर एक की अपनी अलग कहानी है !

कहने को तो यह जिन वा इंसान है मगर

मोहब्बत में दोनों ने ही जख्म खायी है !”

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