साक़ीनामा – स्पेशल पार्ट
Sakinama – Special Part
साक़ीनामा कहानी 80 भागो के साथ खत्म हो चुकी है लेकिन अपने अंत के साथ ये कहानी कई सवाल छोड़ जाती है। हालाँकि इन सवालो का जवाब कहानी में ही मौजूद है लेकिन पाठको ने इतना ध्यान नहीं दिया और ध्यान देंगे भी नहीं क्यों मेरे बार बार कहने के बाद भी पाठको ने मेरी कल्पना को भी हकीकत ही समझ लिया है और अब अपने ही सवालो के साथ उलझे हुए है।
खैर बात करते है कहानी की तो ये कहानी मेरे जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है जिसने मेरे जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। इस कहानी में सागर मेरी कल्पना है , कल्पना का मतलब समझते होंगे आप लोग जो हकीकत में नहीं होता सिर्फ हमारे दिमाग का एक भरम होता है वो जिसे हक असल जिंदगी में महसूस करते है
और सागर को जो किताब मिलती है “साक़ीनामा” वो हकीकत है उसमे जरा सी भी कल्पना नहीं हैं। सागर के हाथो में जो किताब है उस किताब के अंत में मृणाल यानि मैं बनारस के किसी घाट पर खड़ी होकर अपनी असल दुनिया को देख रही है ,, हकीकत बस वही खत्म हो जाती है।
उसके बाद सागर का मृणाल को ढूंढना , बनारस में मिलना , उसे घर लेकर आना , राघव से मिलना , मृणाल का इस दुनिया से चले जाना , राघव का पश्चाताप सब कल्पना है ,, और पाठको को इसे स्वीकार करना ही होगा।
सागर मेरी कल्पना है और उसका मृणाल के जीवन में आना भी मेरी ही रची कल्पना है , उसकी भावनाये उसका प्यार सब मेरी कल्पना है।
सबसे पहला सवाल जो हर पाठक के जहन में आता है वो ये कि “राघव ने मृणाल के साथ ऐसा क्यों किया ?”
इस सवाल का जवाब तो आज तक मुझे भी नहीं मिला है कि उसने ऐसा क्यों किया लेकिन कुछ मर्दो की सोच और समझ बस इतनी ही होती है कि उन्हें लगता है औरत घर में काम करने और समाज में उनसे दबकर रहने के लिये है।
राघव का पहले अच्छे से पेश आना और बाद में एकदम से बदल जाना इसलिए था क्योकि अगर वह शुरू से अपने असली किरदार में रहता तो शायद मृणाल उस से कभी शादी नहीं करती इसलिए सिर्फ उसे फंसाने के लिये राघव ने अच्छे बनने का दिखावा किया लेकिन शादी के बाद उस दिखावे को कायम ना रख सका। राघव और उसके परिवार की पिछड़ी सोच थी कि उन्हें लगता था समाज
और परिवार की इज्जत के नाम पर किसी भी औरत को दबाया जा सकता है इसलिए वो मृणाल को अपने काबू में करने के लिये जितना कर सकते थे उन्होंने किया लेकिन एक वक्त के बाद असफल हुए।
दूसरा सवाल ये आता है कि “मृणाल पढ़ी लिखी थी , Writer थी , बेबाक और मजबूत थी फिर उसने इतना सब क्यों सहन किया ?”
बिल्कुल अपनी असल जिंदगी में मृणाल बेबाक और मजबूत थी ,, लेकिन राघव से शादी करने के बाद सबसे पहले उसकी इसी खूबी को दबाया गया। आज पाठको में लड़किया या औरते बड़ी बड़ी बातें कहते हुए नजर आती है कि मृणाल को ये करना चाहिए था , हम उसकी जगह होते तो ये करते , वो करते,,,,,,,,,,,,,तो मैं कहूँगी Bullshit
ये सब बातें कहने में तब अच्छी लगती है जब कहानी किसी और पर बीत रही है जब इंसान खुद उस परिस्तिथि में होता है तब वह कुछ नहीं कर पाता,,,,,,,,,,,,,,i said कुछ भी नहीं ,, आप मुझे एक ऐसी लड़की या औरत का उदाहरण दे दे जिसने अपनी शादीशुदा जिंदगी में मृणाल जैसा दौर देखकर तुरंत कोई प्रतिक्रया दी हो,,,,,,,,,,,,
आपके खुद के घर में आपकी माँ , बहने , भाभियाँ , चाची-ताई सब एडजस्टमेंट के नाम पर उस जिंदगी को स्वीकार करती दिख जाएगी तो जब आप लोग अपने आस पास के उस माहौल को नहीं सुधार पा रहे तो आपका किसी मृणाल को सलाह देना बेकार है,,,,,,,,,,,,,,,और जहा तक मैं गलत नहीं हूँ एडजस्टमेंट के नाम पर आपकी शादीशुदा जिंदगी भी उतनी अच्छी नहीं चल रही जितना आप लोग दिखावा कर रहे , बात थोड़ी कड़वी है और मुझे ये कहने में कोई झिझक या डर नहीं,,,,,,,,,,!!
मृणाल ने सब सहा क्योकि उसके पीछे कई कारण थे। कोई इंसान जिस पर आप बहुत भरोसा करते है वो इंसान एकदम से आपको धोखा दे दे आप क्या करेंगे ? आप खुद को सम्हाल ही नहीं पाएंगे ,, मृणाल को ये समझते समझते २ महीने लग गए कि ये शादी सिर्फ एक धोखा थी,,,,,,,,,,,,,,!!
मैं आज एक सच्चाई यहाँ आप सबको बताना चाहूंगी , हम लड़कियों की जिंदगी ना इतनी आसान नहीं होती है , हमारे पैदा होते ही हमे ये सुनने को मिलता है कि शादी करके अगले घर जाना है ,
तुम हमारे घर की इज्जत हो , समाज में कभी हमारी नाक मत कटवा देना , मुझे आज तक ये समझ नहीं आया वो घर जिसे बचपन से हमारा पराया घर बताया जाता है उस घर की इज्जत सिर्फ एक लड़की के कंधो पर किसने रख दी ? लेकिन समाज,,,,,,,,,,,,,,,,,,,समाज ऐसा कहता है इसलिए हम आँख बंद करके इस बात का अनुसरण करते है।
मृणाल के साथ भी ऐसा ही था , वो उस परिवार का विरोध नहीं कर पायी जो समाज के बनाये नियमो के आधार पर उसका था ,
परिवार की इज्जत , समाज में माँ-बाप का नाम , लोगो के तानो से बचने के लिये ही तो उसने उस शादी को निभाने की हर कोशिश की,,,,,,,,,,,,और सबसे आखिर में आता है प्रेम , प्रेम जो ना कराये वो कम है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब यहाँ भी कुछ बुद्धिजीवी कहेंगे कि वो प्रेम एकतरफा था,,,,,,,,,,,बिल्कुल एकतरफा था लेकिन इसका अहसास भी मृणाल को बेइज्जत होने , अपना आत्मसम्मान खोने के बाद ही समझ आया। एक अनजान शहर में , अनजान लोगो के बीच ऐसी जिंदगी जी रही मृणाल से समाज अच्छे की उम्मीद कैसे कर सकता है ?
मृणाल में सब्र और इंतजार इतना था की सब सहते हुए भी उसने कभी अपनी हिम्मत नहीं हारी वो आखिर तक लड़ रही थी। मृणाल गलत हो सकती है कि उसने अपने लिये कोई स्टेण्ड नहीं लिया लेकिन हम जिस समाज में रहते है वहा हर लड़की औरत को सहते और रिश्ते निभाते देखती है और यही सब दिखाकर लड़कियों का ब्रेन वाश किया जाता है कि हालत कैसे भी हो सहना सीखो एक दिन सब ठीक हो जायेगा। मृणाल ने भी यही किया तो इसमें मृणाल कैसे गलत हुयी ? वह तो समाज के बनाये उन्ही नियमो का पालन कर रही थी न ?
और मुझे नहीं लगता कि मुझे इसके लिये उन चंद लोगो को जवाब देने की जरूरत है जो अपनी जो असल जिंदगी में जिल्लत भरी जिंदगी जीकर सोशल मीडिआ पर लोगो को सलाह देने का काम करते है। मृणाल कल भी मजबूत थी और आज और ज्यादा मजबूत है हाँ बीच में एक वक्त ऐसा आया जब उसका आत्मविश्वास कम हुआ और चीजे उसकी सोच के विपरीत थी,,,,,,,,,,,,,, लेकिन हाँ उसने खुद को सम्हाल लिया
सवाल ये कि मैंने अपनी ही मौत क्यों दिखाई है ? मै चाहती तो सागर के साथ मृणाल की अच्छी जिंदगी शुरू करके इस कहानी का सुखद अंत कर सकती थी। एक तो मुझे आज तक ये बात समझ नही आयी क्या हर कहानी का सुखद अंत करना जरुरी होता है ? अगर आप कहनी को समझते तो आपको समझ आता कि मृणाल ने मोहब्बत के नाम पर जो देखा वो उस दौर को दोबारा अपनी जिंदगी में देखना नहीं चाहती थी।
वो अपने दर्द से इतना जुड़ चुकी थी कि कभी उस से बाहर निकल ही नहीं पायी उसके लिये मोहब्बत के मायने बदल चुके थे इसलिए उसने काल्पनिक सागर की मोहब्बत को स्वीकार ना कर मौत को चुना ,, मृणाल इस पूरी कहानी में एक अपराधबोध में जीती रही कि वो ऐसी नहीं थी फिर राघव के लिये उसने अपने आप को क्यों बदल दिया ?
इस कहानी में मैंने मृणाल को नहीं मारा बल्कि अपने उस किरदार को , अपनी उस पर्सनालिटी को मारा जो कभी मेरी थी ही नहीं और उसका मरना बहुत जरुरी था क्योकि अगर वो ना मरती तो आज शायद “संजना किरोड़ीवाल” बनारस के किसी अस्स्सी घाट की सीढ़ियों पर नजर आती जिसे ढूंढने कोई सागर तो बिल्कुल नहीं जाता।
मैंने मृणाल के रूप में अपनी उस पर्सनालिटी को खत्म किया जो मेरे दुःख का कारण बनी , मैंने मृणाल के रूप में उस दर्द को खत्म किया जिसने मुझे कमजोर बना दिया। संजना को फिर से संजना बनाने के लिये मृणाल का मरना बहुत जरुरी था ताकि मैं हमेशा हमेशा के लिये अपनी जिंदगी से उस दर्द और तकलीफ को निकाल फेंक दू। मृणाल का जाना इसलिए भी जरुरी था क्योकि असल जिंदगी में मृणाल उस दर्द के साथ कभी नहीं जी पाती,,,,,,,,,,,,,और मैं अपने अंदर की मृणाल को दर्द में नहीं देख सकती।”
सागर मेरी कल्पना है उसके साथ जिंदगी जीना या इस कहानी को आगे बढ़ाना मेरी मूर्खता कहलाएगी और मैं कभी चाहूंगी भी नहीं कि कोई सागर मेरी जिंदगी में आये। मेरी कल्पना के सागर को मेरी कल्पना ही रहने दिया जाये। “साक़ीनामा” ये दौर 2 साल पहले मेरी जिंदगी से गुजर चुका है और मैं इस से बाहर निकल चुकी हूँ। मैं पहले से ज्यादा मजबूत और निर्भर हो चुकी हूँ। मैंने जो वक्त अपनी जिंदगी में देखा उसे हार नहीं बल्कि अपनी जीत के रूप में लिया है जिसने मुझे जिंदगी को समझने का एक अनुभव दिया।
हाँ एक बदलाव हुआ इस घटना के बाद कि मैं पहले से काफी शांत हो गयी हूँ , चीजों को समझने लगी हूँ और जीवन को सहज और सरल बनाने में लगी हूँ और मैं इसमें खुश हूँ।
एक आखिरी सवाल कि “राघव को अपनी गलती का अहसास हुआ या नहीं वो वापस लौटकर आया या नहीं ?”
जब रिश्ता ही खत्म हो चुका है और उस रिश्ते के अहसास ही खत्म हो चुके है तो किसी का लौटकर आना या उसे गलती का अहसास होना मैटर नहीं करता। मैं कभी नहीं चाहूंगी कि राघव लौटकर आये , मैं कभी नहीं चाहूंगी उसे अपनी गलती के लिये पछतावा हो ,
मैं चाहूंगी वो हमेशा इस खुशफहमी में रहे कि उसने एक औरत के साथ ऐसा किया और औरत ने पलटकर उस से एक शब्द नहीं कहा,,,,,,,,,,,,,,,वो जिंदगीभर इस ख्याल में रहे कि मैंने उसे जवाब क्यों नहीं दिया ? और मेरे हिसाब से उसके लिये सबसे बड़ी सजा यही है “मेरा मौन”
बाकि मेरे महादेव् मुझे बेहतर जानते है मुझे उम्मीद है उन्होंने मेरे लिये इस से बेहतर कुछ लिखा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
“साक़ीनामा” लिखने और इसे आप सबके बीच लाने का कोई खास मकसद नहीं था ये बस मेरी खुद से एक जिद थी कि मैं लोगो के सामने अपनी जिंदगी का एक हिस्सा कहानी के रूप में सामने रखू ताकि वो समझ पाए असल जिंदगी काल्पनिक कहानियो जैसी नहीं होती है। साक़ीनामा एक पहल थी उन लड़कियों और औरतो के लिये जो आज भी दुनिया के किसी कोने में मृणाल जैसी जिंदगी ख़ामोशी से जी रही है और वजह है ये समाज,,,,,,,,,,,,,,,
समाज जिसने उन लड़कियों को नियमो और बंधनो में बांध रखा है लेकिन उन सब लड़कियों से मैं बस यही कहूँगी कि बेशक तुम मृणाल हो लेकिन एक वक्त के बाद मृणाल ने भी अपने लिये कठोर फैसला लिया था और उसके बाद कभी पलटकर नहीं देखा तो जिंदगी में कभी ऐसा दौर आये तो रुकना , सोचना और कठोर बन जाना अपने लिये क्योकि ये समाज तुम्हे सिर्फ सहना सिखायेगा ,, अपने हक़ के लिये लड़ना नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,लड़ना तुम्हे खुद पडेगा
मुझे उम्मीद है कि इसे पढ़ने के बाद आपको आपके सवालो का जवाब मिल गया होगा और इसके बाद भी अगर आपका कोई सवाल है तो माफ़ कीजियेगा उनका जवाब देने के लिये मैं बाध्य नहीं हूँ। ”साक़ीनामा” मेरा अतीत था और मैं उस अतीत को छोड़कर आगे बढ़ चुकी हूँ , अपनी नयी दुनिया में अपने नए सपनो के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मैं शुक्रगुजार हूँ आप सभी पाठको की जिन्होंने इस कहानी को इतना समय और इतना प्यार दिया ,
इसके साथ ही आपने मृणाल यानि मेरे लिये जो मोहब्बत जताई उसके लिये तहे दिल से आप सभी का शुक्रिया,,,,,,,,,,,,,,,,अपना साथ और प्यार यू ही बनाये रखे ,, असल जिंदगी की मृणाल के जीवन में आप पाठक ही मेरे लिए “सागर” है जो मुझसे इतनी मोहब्बत करते है “निस्वार्थ” और “अनन्त”
फ़िलहाल के लिये “साक़ीनामा” की यादों से बाहर आईये और पढ़ते रहिये आपकी पसंदीदा कहानी “हाँ ये मोहब्बत है” Season 3
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हर हर महादेव
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Maam apne itna kuch jhela aur isse jab kahani ke roop me dene chaha tab aap firse voh sab yaad karke is tarah likh payi hogi humme se koi kalpana bi nahi kar sakta aapne sahi kaha hum samaj ke naam per sab seh jati hai aur jab hum sehna chod deti hai toh fir hum piche mudkar kabhi nahi dekh de..
Mahadev ki kripa aap par humesha bani rahe aur apke hisse ki sari khushiya aap ko mil jay💕♥️
Love you mam😁😁
So proud of you mam 👏👏 bilkul sahi kiya apne jo dard humhe andar hi andar khaye jaye us dard ko hi khatam kr dena chahiye. Sach me kehna bahut asaan hai ki brave bano, stand lo per jab khud per bitati hai tab pata chalta hai ki kitna mushkil hota hai un halaton aur bhavnao se ladna lekin jab vo stand leti hai tab use kisi ka darr nhi rehta samaj ka bhi nahi. Baki Samaj ko to na kal humari fikr thi na aaj 😒
So proud of you mam 👏👏. Bilkul sahi kiya apne jo dard humhe andar hi andar khaye jaye us dard ko humesha ke liye khatam kr dena chahiye. Sach me kehna asaan hai brave bano, stand lo per jab khud per bitati hai to pata chalta hai ki kitna mushkil hota hai un halaton aur bhavnao se ladna lekin jab vo stand leti hai to use kisi ka darr nhi rehta samaj ka bhi nahi. Baki Samaj ko to na kal humari fikr thi na aaj hai 😒
So proud of you mam 👏👏 . Bilkul sahi kiya apne jo dard humhe andar hi andar khaye jaye us dard ko humesa ke liye khatam kr dena chahiye. Sach me kehna asaan hai per jab khud per bitati hai to pata chalta hai ki kitna mushkil hota hai un halaton aur bhavnao se ladna lekin jab vo stand leti hai to use kisi ka darr nhi rehta samaj ka bhi nahi. Baki Samaj ko to kal bhi humari fikr nhi thi aaj bhi nhi 😒
Nice mem .apne liye jo stand liya vo bhohat acha lage .ane move on karne ke liye thanks.
Love uh dear. Stay strong and blessed… loads of ❤️
Phle to congratulations aap is chij se nilk gyi h aur behtr ho gyi h
Story pd k lg hi rha h tha ki ye aap hi h sakinama aapki hi story h pr chah rhi thi ye kabhi aapki story na nikle ye kalpna se bhi bahar tha isme itna dukh takhlif thi pdne ka mn krta tha mtlb aapki sabhi story pyar pe bindas freedom pe base rhti so fhir bhi pdi h kya kya jela aapne h but aap se sb se nikl gyi mai bhut khush nach bhi rhi hu proud u mam 💜 u mam intra me to mai ni hu but aapki wo choti choti shayari meko bhut psnd h all the best your future aapke lia sirf pyar h mere Lia
Story me comment ni kri qki ki inta dukhd ant tha ki kuch bolte ni bna kya boli
👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻
I am proud of you mam………….Aap bahut brave hai ……………..I am speechless….. really samjh nahi aa raha kya kehna chahiye…………….God always bless you 🙏🙏🙏 Aap hamesha khush raho aur hamen achhi achhi stories padhane ko milti rahe
Speechless …🙏
For you ❤️😊