Sanjana Kirodiwal

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“रांझणा” – 1

Ranjhana – 1

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 1

मुंबई शहर , वर्सोवा , शर्मा मल्टीनेशनल कंपनी -:

बड़ी सी बिल्डिंग के 4th फ्लोर पर बने अपने केबिन के ऑफिस में बैठी “सारिका” फाइल्स देखने में व्यस्त थी l सारिका शर्मा , अधिराज शर्मा की बड़ी बेटी और इस कम्पनी की ऍम.डी. l सारिका इस कम्पनी को सम्हालने का काम कर रही थी l 26 साल की सारिका कम्पनी के हित में बड़े से बड़ा फैसला अपनी सूझ बुझ से चुटकियो में ले लिया करती थी l ये हुनर उसे अपने पापा से विरासत में मिला था बचपन से उसका शौक था की वह बड़ी होकर एक सफल बिजनेस वीमेन बने और यही वजह थी की उम्र के साथ साथ उसकी इस काम में दिलचस्पी बढ़ती गयी और आज वह एक अच्छे खासे मुकाम पर थी l

सारिका दिखने में काफी आकर्षक थी उसकी बड़ी बड़ी गहरी आँखे जिनमे एक खालीपन पसरा हुआ रहता था , सुन्दर नाक नक्स , सांचे में ढला शरीर और उसका सांवला रंग किसी को भी पहली नजर में उसका दीवाना बनाने के लिए काफी था l काम का असर था या कोई और वजह थी की सारिका हमेशा ऑफिस में सबसे बहुत कम बात किया करती थी l

वह बहुत कम मुस्कुराती थी और कई कई बार वह काम को लेकर स्टाफ को डांट भी लगा दिया करती थी l ऑफिस के सभी लोग उसे देखते ही अपने अपने काम में लग जाते थे l किसी में भी सारिका से सीधे बात करने की हिम्मत नहीं होती थी !

रोजाना की भांति सारिका आज भी अपने तय समय पर ऑफिस आयी l जैसे ही उसने अपने ऑफिस में कदम रखा उसे देखते ही सब अपनी अपनी जगहों पर शालीनता से खड़े हो गए l ऐसा नजारा अक्सर देखने को मिलता था जैसे टीचर के आते ही क्लास के सभी बच्चे शांत हो जाते है वैसे ही सारिका को देखकर सारा स्टाफ खुद-ब-खुद अनुसाशन में आ जाता l सारिका ने सबको गुड़ मॉर्निग कहा और अपने केबिन की और बढ़ गयी l जैसे ही केबिन का दरवाजा बंद हुआ सबने चैन की साँस ली l सभी अपने अपने कामो में लग गए l

“यार ये सारिका मेम कितनी खड़ूस है”,महिमा ने पास बैठी पूजा से कहा

“घमंड ही इतना है उसे अपने रूप का और अपने पेसो का”,पूजा ने महिमा की और पलटकर कहा

“इन्हे देखकर तो लगता है अभी तक सिंगल ही है”,महिमा ने कहा

“हमे क्या पता यार ? बड़े लोग है कब सिंगल कब रिलेशनशिप में कुछ कह नहीं सकते इनका भी”,पूजा ने कहा

“पर ऑफिस का सारा स्टाफ इनके सामने चुप हो जाता है , सब कितना डरते है यार इनसे”,महिमा ने धीरे से कहा

“हां यार , जब देखो तब रूल्स और डिसिप्लिन ! रौब तो ऐसे दिखाती है जैसे किसी रियासत की राजकुमारी हो”,पूजा ने मुंह बनाते हुए कहा

“वो किसी राजकुमारी से कम भी नहीं है”,एक सहज लेकिन मर्दाना आवाज उभरी l दोनों ने पलटकर देखा पीछे मैनेजर नवीन खड़ा था , उसे देखते ही दोनों लड़किया तुरंत अपनी जगह पर उठ खड़ी हुई पूजा ने सकपकाते हुए कहा,”सर आप यहाँ ?

“हां इधर से गुजर रहा था मैडम का नाम सुना तो रुक गया , वैसे क्या बाते हो रही थी”,नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा

“सॉरी सर , हम लोग तो बस यु ही , प्लीज़ सर आप सारिका मेम से कुछ मत कहना वरना सुबह सुबह हमारी क्लास लग जाएँगी”,महिमा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा

“जिस उम्र में तुम दोनों यहाँ बैठकर मैडम के बारे में चुगली कर रही हो उस उम्र में वो इस कम्पनी को चला रही है”,नवीन ने दोनों पर तंज कसते हुए कहा.

“i am sorry सर !”,दोनों ने नजरे झुकाते हुए साथ साथ कहा

“its ok , किसी भी इंसान के लिए बाते बनाना है आसान है पर उन जैसा बन पाना मुश्किल है l लड़की होकर दूसरी लड़की के बारे में गलत बात करना शोभा नहीं देता , थिंक पॉजिटिव”,कहकर नवीन आगे बढ़ गया

दोनों लड़कियों ने चैन की साँस ली l महिमा ने कहा,”कौन था ये ? जो सुबह सुबह इतना भारी भरकम लेक्चर देकर चला गया”

“तू इन्हे नहीं जानती , ये नवीन सर है कम्पनी के मैनेजर”,पूजा ने हैरानी से कहा

महिमा को ऑफिस ज्वाइन किये अभी दो दिन ही हुए थे और नवीन भी 2 दिन से आज ऑफिस आया था इसलिए महिमा उसे पहचान नहीं पाई और फिर घबराते हुए कहा,”यार नवीन सर सारिका मेम से अपनी शिकायत तो नहीं करेंगे ना ?”

“अरे नहीं ! वो ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे , चिल कर”,पूजा ने कहा और फिर दोनों अपने अपने काम में लग गयी l l

“नवीन कुमार मिश्रा” शर्मा कम्पनी के मैनेजर और साथ ही साथ सारिका का अच्छा दोस्त भी है l सारिका जब उलझन में होती है या उसे किसी सलाह की जरूरत होती है तो नवीन हमेशा उसके लिए हाजिर रहता है l पिछले 4 साल से वह इसी कम्पनी में सारिका के साथ काम कर रहा है और यही वजह है की वह किसी से सारिका के बारे में गलत नहीं सुन सकता l फाइल उठाये हुए नवीन ने सारिका के केबिन का दरवाजा धीरे से खोला और कहा,”मे आई कम इन मेम ?

सारिका जो की किसी फाइल को देखने में बिजी थी उसने सामने देखे बिना ही कहा,”यस कम इन “

नवीन अंदर आ गया और आकर सारिका के सामने खड़ा हो गया l सारिका उस फाइल को देखने में इतना बिजी थी की उसे नवीन के वहा होने का पता नहीं चला l 10 मिनिट से नवीन मुस्कुराता हुआ सारिका के चेहरे को देखे जा रहा था जिस पर कुछ परेशानी के भावो के साथ साथ ढेर सारा सुकून भी था l 10 मिनिट बीतने के बाद भी जब सारिका ने नहीं देखा तो नवीन ने खांसने का नाटक किया l

“अरे ! आप कब आये ?”,सारिका ने नवीन की और देखकर फाइल रखते हुए कहा l

“कुछ देर पहले जब आप इत्मीनान से फाइल देखने में बिजी थी”,नवीन ने मुस्कुराते हुए कहा

“बैठिये !!”,सारिका ने हाथ से बैठने का इशारा करते हुए कहा l

नवीन सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया l उसने हाथ में पकड़ी फाइल्स सारिका की और बढ़ा दी और कहा,”ये इस साल के जो टेंडर्स है उनकी फाइल्स है , मैंने सब पेपर्स रेडी करवा दिए है”

“हम्म्म !”,सारिका ने कुछ सोचते हुए कहा

“आप कुछ परेशान दिख रही है ? सब ठीक तो है ना ?”,नवीन ने कहा

“हां वो कल रात देर तक काम कर रही थी तो उस वजह से सर में थोड़ा सा………………”,सारिका ने कहा

“और आते ही आपने फिर से काम शुरू कर दिया”,नवीन ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा !

“काम नहीं करेंगे तो ये कम्पनी कैसे चलेगी ?’,सारिका ने सहज भाव से कहा

“और अगर आराम नहीं करेंगी तो ये दिमाग कैसे चलेगा ?”,नवीन ने उलटा सवाल किया

नवीन की बात से सारिका खामोश हो गयी तो नवीन कहने लगा,”इस शहर के लोगो के लिए प्रेरणा हो आप , इतनी कम उम्र में आपने जो ये मुकाम हासिल किया है वो हर किसी के बस की बात नहीं है सारिका जी l सबकी परवाह करने वाली अगर आप अपना ख्याल नहीं रखेंगी तो ये सही नहीं है न”

“आपकी ये बड़ी बड़ी बातें मुझे समझ नहीं आती”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा l

“वो इसलिए क्योकि छोटी छोटी बातो को आप बहुत गहरे से समझ लेती है”,नवीन ने सारिका की आँखों में लगभग झांकते हुए कहा l

“वो गुप्ता जी वाले टेंडर का क्या हुआ ?”,सारिका ने बात बदलते हुए कहा l

“उसके लिए उन्होंने आपके साथ शाम की मीटिंग रखी है वही डिस्कस कर लेंगे”,नवीन ने कहा

“हम्म्म ठीक है , अभी मैं ये फाइल्स देख लेती हु”,सारिका ने सामने पड़ी फाइल्स उठाते हुए कहा

“ये सब बाद में हालात देखिए पहले अपनी , आंखे कितनी थकी हुई है ओर चेहरा कैसे मुरझाया हुआ है आप एक काम कीजिये थोड़ी देर आराम कीजिये मैं आपके लिए अभी एक स्ट्रांग कॉफी भिजवाता हु , काम करने के लिए पूरा दिन पड़ा है l”,नवीन ने सारिका के हाथ से फाइल्स लेकर उन्हें साइड में रखते हुए कहा l

सारिका को नवीन का इस तरह परवाह करना अच्छा लगा तो उसने सर सीट से लगा लिया l नवीन उठा और केबिन से बाहर निकल गया l सारिका ने अपनी आँखे मूंद ली कुछ देर बाद पियोन आकर कॉफी रखकर चला गया l सारिका सीट से उठी और कोफ़ी का कप हाथ में पकडे खिड़की के पास आकर खड़ी हो गयी l सामने दूर तक फैले उस समंदर को देखते हुए कॉफी पिने लगी l

ये पल उसके लिए सुकूनभरा पल होता था जब वह यु समंदर को देखते हुए अपनी पसंदीदा कॉफी पीया करती थी वक्त कुछ पल के लिए ठहर सा जाया करता था उसके लिए पर समंदर की शांत लहरे अक्सर उसके दिल में तूफान उठा दिया करती थी l उतरती चढ़ती लहरों को देखकर अक्सर खुद से एक ही सवाल करती थी क्या वह उस से कभी मिल पायेगी ?

हलकी सुनहरी धुप में समंदर का पानी और भी खूबसूरत और सुनहरा लगता था इस वक्त l पानी से सारिका का कुछ खास रिश्ता जो रहा है , एक अनदेखा , अनजाना सा रिश्ता जिसे वह आज तक नहीं समझ पाई थी l समंदर की लहरों में डूबे हुए उसने अपनी कॉफी खत्म की और आकर वापस अपनी सीट पर बैठ गयी l मन पहले से भी ज्यादा बैचैन हो उठा l

उसने टेबल का ड्रावर खोला उसमे से चैन निकाली जिसमे पेन्डेन्ट की जगह लोहे से बनी एक पते का निशान था l उसे देखते ही सारिका के चेहरे का नूर वापस लौट आया l आँखों में फिर से सुकून दिखाई देने लगा l उसे हाथ में लिए वह टकटकी उसे देखती रही और फिर समेटकर वापस अपनी ड्रावर में रख दिया l

सारिका ने बीती यादो से अपना ध्यान हटाने के लिए लेपटॉप ऑन किया और आये हुए मेल्स देखने लगी l काम में जो एक बार डूबी तो फिर बाहर निकल ही नहीं पाई l माँ के फोन से तन्द्रा टूटी तो उसने फोन उठाकर कहा,”जानते है अब आप पूछेगी हमने खाना खाया या नही ?

“जानती है हम बार बार आपको फोन क्यों करते है ?”,दूसरी तरफ से बेहद प्यारी आवाज उभरी

“आप ही बता दीजिये”,सारिका ने सधी हुई आवाज में कहा

“ताकि हम आपकी आवाज सुन सके , जानती हो सरु आपकी आवाज सुनकर हमे जो सुकून मिलता है वो हम आपको बता नहीं सकते”,फोन के दूसरी तरफ से वही आवाज उभरी l

“कैसी है आप ?”,सारिका ने धीरे से पूछा

“हम ठीक है आप कैसी है ? 1 साल होने को आया पर आप हमसे मिलने तक नहीं आई “,इस बार आवाज में थोड़ा दर्द था l

“ऐसी बात नहीं है , काम ज्यादा होने की वजह से आना नहीं हुआ , जल्दी ही आएंगे l अभी रखते है”,सारिका ने कहा और बिना सुने ही फोन काट दिया l सारिका ने लेपटॉप बंद किया और उठकर बाथरूम की और बढ़ गयी l

फोन के दूसरी और सारिका की माँ थी “अम्बिका शर्मा” जो की अधिराज शर्मा के साथ इंदौर में अपने पुश्तैनी मकान में रहती थी l अधिराज जी का इंदौर में खुद का कपड़ो का बड़ा काम था l सारिका उनकी बड़ी बेटी थी और सारिका से 5 छोटी एक बेटी और थी जो की लंदन रहकर अपनी पढाई पूरी कर रही थी l सारिका ने 7 साल कि कड़ी मेहनत से शर्मा कम्पनी को इस मुकाम तक पहुंचाया था और वह वर्तमान में मुंबई में थी l

मालाबार हिल में उनका खुद का अपना बड़ा सा घर था जिसमे वह अकेले ही रहती थी l साल में दो चार बार वह इंदौर जाकर आ जाया करती थी पर इस बार उसने वहा जाने में काफी वक्त लगा दिया शायद बीते वक्त की कड़वी यादो ने उसे वहा जाने से रोक दिया हो l बाथरूम से निकलकर सारिका जैसे ही बाहर आयी सामने सोफे पर बैठी उसकी दोस्त रश्मि गुप्ता बैठकर किसी मैगजीन के पन्ने पलट रही थी l

मुंबई जैसे शहर में जहा चाहने वालो की कमी नहीं होती वहा रश्मि सारिका की इकलौती खास दोस्त थी , रश्मि यही मुंबई में ही अपने परिवार के साथ रहती थी l एक रश्मि ही थी जिस से सारिका अपना सुख दुःख कभी कभार बाँट लिया करती थी

“अरे , तुम कब आई ?”,सारिका ने रश्मि को देखकर चौंकते हुए कहा

“जी हां मैडम मैं यहाँ , अब आप ना तो फोन उठाती है ना ही मेसेज के रिप्लाई करती है तो सोचा खुद ही आकर मिल लू ! ज़िंदा हो ?”,रश्मि ने सारिका को ताना मारते हुए कहा

“क्या रेशु तुम भी ? इन दिनों मीटिंग्स में बहुत बीजी थी”,सारिका ने उसके सामने बैठते हुए कहा

“हां हा जानती हु बहुत काम है लेकिन दोस्तों को भी याद रखना पड़ता है और ये बताओ इतना पैसा कमाकर क्या करने का इरादा है तुम्हारा ?”,रश्मि ने सारिका को घूरते हुए कहा

“पापा से किया वादा जो पूरा करना है”,सारिका ने सहजता से कहा

“अच्छा वो सब छोडो , ये देखो कल रात उन्होंने फिर से एक गजल पोस्ट की है”,रश्मि ने चहकते हुए कहा

“किसने ?”,सारिका ने हैरानी से पूछा तो रश्मि आकर उसकी बगल में बैठ गयी और कहा,”वही हमारी पसंदीदा लेखिका”

“ओह्ह्ह वो बिना नाम पते वाली राइटर”,सारिका ने कहा

“देखो तुम ना ज्यादा बकवास न करो , और वैसे भी महान राइटर सेक्सपियर ने लिखा है नाम में क्या रखा है ?”,रश्मि ने चिढ़ते हुए कहा

“हम्म्म और ये बात लिखने के बाद उन्होंने निचे अपना नाम भी लिखा है , जब नाम में कुछ नहीं रखा तो फिर अपना नाम क्यों लिखा”,सारिका ने कहा

“तुमसे तो ना बहस करना ही बेकार है पर जो भी हो यार ये लिखती बहुत अच्छा है तभी तो लाखो दीवाने है इनके”,रश्मि ने आँखों में चमक भरते हुए कहा l

सारिका खामोश हो गयी तो रश्मि ने कहा,”तुम्हे सुनाते है कल रात उन्होंने क्या लिखा था ?”

“हमे नहीं सुनना , हमे कोई शौक नहीं है ये सब सुनने का”,सारिका ने उठते हुए कहा तो रश्मि ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस बैठाते हुए कहा,”सुन भी लो

“अच्छा बको”,सारिका ने कहा l रश्मि ने पढ़ना शुरू किया

“आ चल चलते है एक बार फिर उन बनारस की गलियों में

जहा गंगा के घाट पर बैठकर साथ साथ देखते थे मैं और तुम डूबते सूरज को

मुझे एक बार फिर तुम्हारे साथ वही घाट देखने है !!

शाम की आरती में गूंजता वो शंख नाद तुम्हारी मधुर आवाज के सामने कितना फीका सा लगता है

तुम्हारी वो मीठी सी बातें अक्सर ही घोल जाती थी मेरे कानो में मिश्री और मैं खो सी जाती थी

मुझे फिर से एक बार वही आवाज सुननी है !

बनारस की उन तंग गलियों में तुम्हारे पीछे भागते हुए !

रंगना है अपने बदन को तुम्हारे इश्क़ की भस्म से

घाट से घाट घूमते हुए , गली गली की खाक छानकर अंत में हर शाम मिल ही जाना है हमे

फिर इश्क़ से भरी उन शामो में तुम्हारे कांधे पर रखकर सर

घाट के पानी में बहते उन टिमटिमाते दियो की रौशनी को देखना है

ये मेरी कोरी कल्पना ही तो है जो अक्सर मुझे अहसास दिला देती है

तुम्हारे आस पास होने का

वो चेहरा जो लड़कपन में देखा था कभी ,

इन आँखों में इस कदर बस चुका है की अब कुछ नजर ही नहीं आता

एक बार फिर आना है बनारस और देखना है

उन एक जोड़ी आँखों में डूबकर की क्या उन्हें भी इंतजार रहता है मेरे लौट आने का !!

मैं एक बार फिर उन आँखों में अपने लिए ढेर सारा प्यार देखना चाहती हु !! .

मैं इश्क़ से लबालब फिर से बनारस देखना चाहती हु !!”

रश्मि चुप हो गयी l उसने सारिका की तरफ देखा तो पाया जैसे सारिका वहा होकर भी वहा नहीं थी वह किसी और ही दुनिया में थी l रश्मि ने उसके कान के पास जाकर धीरे से कहा,”क्यों ? खो गयी न l

रश्मि की बात सुनकर सारिका की तंद्रा टूटी तो उसने अपनी चोरी पकड़े जाने के डर से कहा,”वो मैं कुछ और सोच रही थी”

“हां मालूम है हमसे कुछ छुपा नहीं है , आँखे सब बयां कर देती है तुम्हारी”,रश्मि ने चुटकी लेते हुए कहा

“क्या किसी की आँखे पढ़ना इतना आसान है ?”,सारिका ने मन ही मन खुद से सवाल किया उसे खोया हुआ देखकर रश्मि ने कहा,”अब कहा खो गयी ?

“कही नहीं”,सारिका ने खुद को सम्हालते हुए कहा l

“अच्छा सुनो वो मैं ये बताने आयी थी की कल मम्मी पापा की एनिवर्सरी है और तुमको आना है”,रश्मि ने एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा l

“हम्म्म ठीक है”,सारिका ने कहा

सारिका ने दोनों के लिए कॉफी मंगवाई और फिर कॉफी पीते हुए दोनों बाते करने लगी l कुछ देर बाद रश्मि वहा से चली गई सारिका ने घडी में समय देखा और फाइल्स उठाकर मीटिंग रूम की और बढ़ गयी l नवीन और कुछ सीनियर स्टाफ पहले से वहा मौजूद थे और सारिका का इंतजार कर रहे थे कुछ देर बाद गुप्ता जी भी अपने मैनेजर के साथ आये और 45 मिनिट की मीटिंग के बाद टेंडर शर्मा कम्पनी को मिल गया l

मीटिंग के बाद सभी उठकर रूम से बाहर चले गए l सारिका खोयी हुई सी अभी भी वही बैठी रश्मि की सुनाई उस कविता के बारे में सोच रही थी वह खुद को उस कविता से जुड़ा हुआ महसूस कर रही थी l फोन की रिंग से उसकी तंद्रा टूटी वह उठकर बाहर आ गई l

रोज सारिका देर तक ऑफिस में रूकती थी पर ना जाने आज क्या हुआ वह जल्दी ही वहा से निकल गयी l ऑफिस से बाहर आकर उसने ड्राइवर से गाड़ी निकालने को कहा ड्राइवर गाड़ी ले आया और सारिका उसमे आकर बैठ गयी l

“कहां चलना है मैडम ?”,ड्राइवर ने धीरे से पूछा

“मरीन ड्राइव”,कहते हुए सारिका ने आँखे मूंदकर सर सीट से लगा लिया l

ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी l आँखे बंद करते ही सारिका अपने बीते कल में चली गयी सब चीजे धुंधली ही सही पर एक एक करके आँखों के आगे घूमने लगी l

“12 साल की थी सारिका जब वह अपने माँ और पापा के साथ पहली बार इंदौर से बनारस घूमने गयी थी l उसे बहुत अच्छा लग रहा था और वह खुश भी बहुत थी l सभी शाम को होटल में ठहर कर अगले दिन सुबह सुबह ही घाट देखने निकल पड़े l कितना खूबसूरत नजारा था उगते सूरज की किरणे जब घाट के पानी पर गिरती तो पानी सोने की भांति चमक उठता l सारा वातावरण सुगंधमय था ,

अधिराज और अम्बिका वही सीढ़ियों पर बैठकर उस खूबसूरत नज़ारे को देखने लगे l सारिका और उसकी छोटी बहन वही साथ में ही खेल रही थी l बचपन में सारिका काफी शरारती रही थी इसलिए अम्बिका और अधिराज जी से नजरे बचाकर वह घाट की सीढिया उतरकर कुछ निचे चली गयी l

“सरु , वहा क्या कर रही हो ? निचे मत जाओ”,अम्बिका ने आवाज दी

माँ की आवाज सुनकर सारिका जैसे ही पलटी उसका संतुलन बिगड़ा और वो सीधा पानी में जा गिरी l अम्बिका और अधिराज जी का तो कलेजा मुंह को आ गया l दोनों उस और दौड़े और सारिका को बचाने के लिए चिल्लाने लगे l नन्ही सी सारिका पानी में हाथ पांव मारने लगी l

अम्बिका का तो रो रोकर बुरा हाल था l सुबह का वक्त था और घाट पर इक्का दुक्का लोग ही थे l अधिराज जी तैरना नहीं जानते थे l सभी घबरा उठे l सारिका क सांसे उखड़ने लगी थी वह पानी में डूबती चली जा रही थी तभी 15 -16 साल का लड़का दौड़ता हुआ आया और बिना एक पल गवाए पानी में कूद गया l

सभी हक्के बक्के रह गए लड़के ने सारिका का हाथ पकड़ा और तैरता हुआ उसे किनारे ले आया l अधिराज जी और अम्बिका ने सारिका को सम्हाला l वहा खडे सभी लोग उस बच्चे की तारीफ करने लगे l सारिका को ठीक पाकर अधिराज जी उस लड़के की और पलटे और कहा,”बहुत बहुत शुक्रिया बेटा , तुमने इसकी जान बचा ली तुम्हारा ये अहसान हम कभी नहीं भूलेंगे”

लड़का मुस्कुराया और कहा,”अहसान कैसा ? किसी की जान बचाना तो पुण्य का काम होता है और वैसे भी भोलेनाथ कहते है की किसी की जान बचाने के लिए ज्यादा सोचना नहीं चाहिए”

“बड़ी अच्छी बातें करते हो , नाम क्या है तुम्हारा ?”,अधिराज जी ने लड़के से प्रभावित होकर पूछा !

“नाम में क्या रखा है साहब जी , वैसे इह बनारस वाले हमको भोलेनाथ के नाम से ही जानते है”,लड़के ने आँखों में चमक भरते हुए कहा l

“शिवा……………वहा क्या कर रहा है चलना नहीं है क्या ?”,सीढ़ियों से ऊपर खड़े दूसरे लड़के ने जोर से आवाज दी और सारिका को बचाने वाला लड़का भागता हुआ वहा से चला गया l

अधिराज जी उसे जाते हुए देखते रहे l लड़का जब आँखों से ओझल हो गया तो अधिराज जी अम्बिका की तरफ पलटे सारिका अब ठीक थी लेकिन घबराई हुयी थी l अधिराज जी ने उसे गोद में उठाया और सबके साथ वहा से चले गए l शाम को मंदिर में होने वाली आरती में अधिराज जी को वह लड़का दिख गया l लड़का पक्का शिव भक्त था और उसके चेहरे के नूर को देखकर लगता भी था की उस पर भोलेनाथ की बड़ी कृपा रही है l

अधिराज जी बड़े प्यार से लड़के की तरफ देख रहे थे जब लड़के की नजर उन पर पड़ी तो वह उनके पास चला आया l सारिका ने लड़के को देखा तो उसकी आँखे उन छोटी छोटी दो आँखों पर ठहर गयी l कितनी गहरी और शांत थी वो आँखे l आँखों की पुतलिया घाट के पानी में जलने वाले दो दियो की भांति चमक रही थी l

“अरे ऐसे काहे देख रही हो हमको खा जाओगी क्या ?”,लड़के ने सारिका से कहा

सारिका झेंप गयी और इधर उधर देखने लगी l

आरती के बाद अधिराज जी ने लड़के से कहा,”आओ खाना खाते है “

“अरे नहीं नहीं आप खाइये , घर पर आई इंतजार कर रही है”,लड़के ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा

“शरमाओ मत , आओ”,अधिराज जी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो वह मना नहीं कर पाया और उनके साथ आकर बैठ गया l अधिराज जी ने सबके लिए खाना मंगवाया और सब साथ मिलकर खाने लगे l खाना खाते हुए अधिराज जी ने लड़के के घर परिवार के बारे में पूछा और वह बताता गया l सारिका नजरे बचाकर बार बार उसकी और देख लेती अब तो लड़के को भी सारिका का बार बार यु छुपकर देखना अच्छा लगने लगा था l वह मुस्कुरा उठा l

दोनों की नजरे मिली तो दोनों इधर उधर देखने लगे l उस शाम लड़का अधिराज जी के परिवार के साथ ही घूमता रहा और सारिका से उसकी दोस्ती भी हो गयी l लड़का चला गया और अधिराज जी सबके साथ होटल आ गए l अम्बिका के कहने पर वे दो दिन और रुक गए लड़का रोज किसी ना किसी घाट पर उन्हें मिल ही जाता और फिर वे साथ बैठकर कभी चाय पि लिया करते और कभी खाना खाते

अगली सुबह उन्हें वापस इंदौर के लिए वापस निकलना था l अम्बिका ने बेग पैक किये और अधिराज जी और बच्चो के साथ होटल से बाहर निकल गयी l अम्बिका ने सारिका का हाथ पकड़ा हुआ था वह चलते हुए बार बार पलट कर देख रही थी

शायद उसे उस लड़के के आने का इंतजार था जिस से उसका एक अनजाना रिश्ता बन चुका था l पर लड़का नहीं आया सारिका उदास हो गयी l अधिराज जी ने सामान गाड़ी में रखवाया और सभी आकर गाड़ी में बैठ गए l सारिका भी आकर गर्दन झुकाकर बैठ गयी l सारिका ने एक आखरी बार आसभरी नजरो से गर्दन उठाकर देखा l गाड़ी से कुछ ही दूर खड़ा वह लड़का सारिका को देखकर मुस्कुरा रहा था l

सारिका की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा l ये कैसा अहसास था वह नहीं समझ पाई पर इस वक्त उसे वहा देखकर उसे सुकून मिल रहा था l उसने अम्बिका की और देखा तो अम्बिका ने उसे जाने का इशारा किया l सारिका जल्दी से उतरकर दौड़ते हुए उसके सामने गयी और जाते ही शिकायती लहजे में कहा,”तुम इतनी देर से क्यों आये ?

“तुम्हारे लिए ये लेने गया था”,कहते हुए लड़के ने एक सफ़ेद चमचमाती चैन सारिका के सामने कर दी l

सारिका ने चैन ली उस चैन में एक लोहे से बने पत्ते का टुकड़ा था l सारिका को वो बहुत पसंद आया उसने झट से उसे अपने गले में पहन लिया और कहा,”थैंक्यू !! अब हम लोग वापस इंदौर जा रहे है”

“फिर क्या अब तुम कभी नहीं आओगी ?”,पहली बार लड़के की आवाज में उदासी थी

“अरे आएंगे , हम तुमसे मिलने हर साल आएंगे l”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा

“भूल तो नहीं जाओगी हमे ?”,लड़का मुस्कुरा उठा

“तुमने हमे डूबने से बचाया , हम तुम्हे कभी नहीं भूलेंगे”,सारिका भी मुस्कुरा दी l

“हम भूलने वाली चीज नहीं है , तुम्हारे गले जो पड़ गए चाहकर भी भूल नहीं पाओगी”,लड़के ने विश्वास से कहा

“गले पड़े हो ?”,सारिका हैरानी से बोली

“अरे यार तुम ना सच्ची में बुद्धू हो , गले पड़े है मतलब हम उस चैन की बात कर रहे है जो तुमने पहना है”,कहकर लड़का जोर जोर से हसने लगा

हँसते हुए वह इतना प्यारा लग रहा था की सारिका की नजरे ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर जम सी गयी l सारिका को अपनी और देखता पाकर लड़के ने धीरे से कहा,”अगर ऐसे ही देखती रही ना , तो एक दिन तुमको प्यार हो जायेगा हमसे”

“प्यार ऐसे ही थोड़े हो जाता है”,सारिका ने कहा

लड़का मुस्कुराया और कहा,”बनारस की हवा में भी इश्क़ बहता है मेमसाहब , एक बार जो यहाँ आता है वो बस यही का होकर रह जाता है”

सारिका मुस्कुराई और कहा,”पापा सच कहते है तुम बाते बहुत अच्छी करते हो , अच्छा अब हम चलते है l”

सारिका लड़के को अलविदा कहकर वापस आकर गाड़ी में बैठ गयी l ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की तो सारिका ने खिड़की से गर्दन निकालकर लड़के से कहा,”अगली बार आएंगे तो तुम्हे कहा ढूंढेंगे ?

लड़के ने चिल्लाकर कहा,”ये बनारस हमारा घर है , इसके किसी ना किसी घाट पर मिल जायेंगे”

हवा से बातें करती गाड़ी वहा से गुजर गयी l लड़का उदास चेहरे के साथ हाथ हिलाता वही खड़ा रह गया l l

“मैडम !!”,ड्राइवर ने गाड़ी रोककर कहा

ड्राइवर की आवाज से सारिका की तंद्रा टूटी और वह अपने अतीत से बाहर आई l उसने आँखे खोलकर देखा गाड़ी मरीन ड्राइव के पास ही थी l सारिका ने बेग से अपनी डायरी और पेन निकाला और उसे लेकर समंदर किनारे पड़े उन पत्थरो पर जाकर बैठ गयी l मन अशांत था समंदर में आती जाती लहरे उसके मन की बेचैनी को और बढ़ा रही थी l

शाम का वक्त था और मौसम भी सुहाना था सारिका काफी देर तक वही बैठे पानी को देखती रही l अतीत की वो यादे जिन्हे वह आज भी खुद से दूर नहीं कर पाई उसे वह यादें एक सुकून दे जाया करती थी l सारिका ने डायरी खोली और उसमे लिखने लगी l

“आज फिर तुम्हारे ख्याल ने हमे यहाँ आने पर मजबूर कर दिया l उस दिन के बाद से हम कभी तुमसे दूर हो ही नहीं पाये l सच कहे तो हम खुद होना भी नहीं चाहते l तुम्हे सोचने भर से जो सुकून मिलता है वो शायद दुनिया के किसी कोने में नहीं है l हमारी जिंदगी का एक खूबसूरत हिस्सा हमने सिर्फ तुम्हारे लिए बचा रखा है l तुम कहा हो ये हम नहीं जानते ? तुमसे कभी मिल पाएंगे भी या नहीं ये भी नहीं जानते l

लेकिन हम कभी तुम्हे भूल नहीं पायेंगे l तुम्हारा दिया वो बेशकीमती तोहफा हमने आज भी सम्हाल कर रखा है l 14 साल हो चुके है उस वक्त को गुजरे लेकिन हम आज भी वही ठहरे है बनारस के उस घाट की सीढ़ियों पर जहा हमने तुम्हे आखरी बार देखा था l उसके बाद जिंदगी की डोर में ऐसे उलझे की लौटकर वापस ना आ सके l

14 साल हमारे लिए बनवास काटंने जैसा ही है ,, और अब इस बनवास को खत्म हो जाना चाहिए l हम एक बार फिर बनारस आना चाहते है और तुम्हे इंतजार करते हुए देखना चाहते है l

“इन्तजार है जो इधर , क्या ये इंतजार उधर भी रहता होगा

मेरे शहर के समंदर का पानी , तेरे शहर के घाटों में भी बहता तो होगा

मैं मान बैठी हु जिन खामोश आँखों की मोहब्बत को अपना

‘मैं सिर्फ उसकी हु’ क्या ये बात वो भी किसी से कहता होगा”

अन्धेरा होने लगा था l सारिका ने डायरी बंद की और उठकर गाड़ी की तरफ बढ़ गयी l ड्राइवर से घर चलने को कहा और उदास आँखों से पीछे छूटते समंदर को देखती रही !

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संजना किरोड़ीवाल

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