Pasandida Aurat – 53

Pasandida Aurat – 53

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
सुबह के सपने की वजह से पृथ्वी कुछ परेशान था। अवनि की जिंदगी में कोई है या नहीं ये बात पृथ्वी नहीं जानता था ना कभी जानने की कोशिश की लेकिन बीती रात नकुल की कही बात ने उसे परेशान जरूर कर दिया था। संडे वह हमेशा अपनी आई , बाबा और लक्षित के साथ बिताता था लेकिन आज पृथ्वी ने ऑफिस के काम का बहाना बना दिया और फ्लेट में ही रुक गया। ना उसका कुछ काम करने का मन था ना ही किसी से मिलने का , लता ने दोपहर के खाने के लिए उसे घर आने को कहा तो पृथ्वी चला आया।

रवि जी , लक्षित और लता डायनिंग पर बैठे पृथ्वी का ही इंतजार कर रहे थे। पृथ्वी आकर उनके साथ बैठ गया तो लता ने उसके लिए भी खाना परोस दिया। पृथ्वी ने चुपचाप खाना शुरू किया वह अभी भी अवनि के बारे में सोच रहा था। लता ने रवि जी से इशारा किया ताकि वे पृथ्वी से बात करे।
रवि जी ने पृथ्वी की तरफ देखा और कहा,”हाँ भई ! कैसा चल रहा है ऑफिस का काम ?”
“ठीक चल रहा है”,पृथ्वी ने जवाब दिया


“अब तुम मैनेजर बन गए हो और तुम्हारी सैलरी भी बढ़ गयी है तो शादी का कुछ सोचा तुमने ?”,रवि जी ने पूछा
शादी का नाम सुनते ही पृथ्वी खाते खाते रुक गया और रवि जी की तरफ देखा तो रवि जी ने कहा,”मुझे क्या देख रहे हो , मैंने कुछ गलत सवाल किया क्या ?”
“ये आपने एकदम से मेरी शादी की बात क्यों की ?”,पृथ्वी ने पूछा


“एकदम से क्या है पृथ्वी 28 के हो चुके हो तुम कुछ महीनो में 29 के हो जाओगे , आखिर कब करोगे शादी ? हिमांशु को बिटिया हो गयी है , मौसी के बेटे रितेश की शादी पिछले साल ही हुई है , कल तुम्हारे चाचा ने बताया कि हिमानी के लिए लड़का देखने जा रहे है और मोहित अगले साल तक उसके लिए भी लड़की देखना शुरू कर देंगे आखिर तुम कब करोगे ?”,इस बार रवि जी से पहले लता ने कहा


“आई ! उन लोगो की शादी से मेरा क्या कनेक्शन है ? हिमांशु भैया ने अपनी पसंद से शादी की है और रितेश लव मैरिज कर रहा है रही हिमानी की बात तो उसे तो शादी करके अपने ससुराल चले जाना है,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने चिढ़कर कहा
“अरे तो तुम शादी करोगे तब भी तो कोई लड़की ससुराल आएगी , क्या तुम जिंदगीभर ऐसे ही रहने वाले हो ? अगर तुम्हे कोई लड़की पसंद है तो तुम बता दो लेकिन तुम तो शादी के नाम पर भाग जाते हो,,,,,,,,,!!”,लता ने फटकार लगाकर कहा


“तुम्हारी आई सही कह रही है,,,,,,,अगर तुम्हे कोई पसंद है तो तुम बता दो लेकिन शादी ना करने का तुम्हारे पास कोई तो रीजन होगा”,अवनि जी ने लता की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा
“अब इन्हे कैसे बताऊ मुझे जो पसंद है वो तो मुझे ठीक से जवाब तक नहीं देती है,,,,,,,,शादी तो दूर की बात है”,पृथ्वी ने मन ही मन खुद से कहा
“जवाब दो चुप क्यों हो ?”,लता ने कहा


“आई ये साल वैसे भी खत्म होने वाला है तो आपके इस शादी के टॉपिक को इस साल ख़त्म करते है और अगले साल मैं शादी कर लूंगा लेकिन,,,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी इतना कहकर रुक गया
“लेकिन क्या ?”,लता और रवि जी ने एक साथ कहा
“लेकिन लड़की मेरी पसंद की होगी”,पृथ्वी ने उठते हुए कहा और हाथ धोने वाशबेसिन की तरफ चला गया क्योकि वह अपना खाना खा चुका था।


“देखा आई मैंने कहा था ना दादा की लाइफ में कोई है तभी तो वो,,,,,,,,,,!!”,लक्षित ने धीमे स्वर में कहा लेकिन पृथ्वी ने सुन लिया और लक्षित के पास आकर उसके सर पर चपत लगाकर कहा,”तुम ना अपना ज्यादा दिमाग मत लगाओ , आई ये जो कह रहा है वैसा कुछ नहीं है”
“दादा ! आज शाम सोसायटी के मैच में आ रहे हो ना आप ?”,लक्षित ने पलटकर कहा


“आ नहीं रहा बल्कि यही से साथ चलेंगे”,कहकर पृथ्वी अपने कमरे की तरफ बढ़ गया और जाकर बिस्तर पर गिर गया। लता ने रवि जी को देखा और राहत की साँस ली , इस साल नही लेकिन अगले साल ही सही पृथ्वी ने कम से कम शादी करने की हामी तो भरी। रवि जी की आज छुट्टी थी इसलिए खाने के बाद लता उन्हें साथ लेकर घर का सामान लेने चल पड़ी,,,,,,,,,,!!

अंबराई घाट , उदयपुर
“तुम पागल हो क्या अनिकेत ? मैं कह रही हु वो लड़का अवनि का दोस्त है और ये बस एक केजुअल मीटिंग थी पर तुम्हारे दिमाग में पता नहीं क्या उलटा सीधा चल रहा है ?”,अंबराई घाट की सीढ़ियों पर खड़ी सुरभि ने गुस्से से लगभग अनिकेत पर चढ़ते हुए कहा
“अवनि का दोस्त है तो फिर तुम्हारे क्लोज होकर फोटो खींचने की क्या जरूरत थी उसे ?”,अनिकेत ने भी चिढ़कर कहा


“हे म्हारा राम जी , अब इह गेल्सप्पा न कीया समझाऊ ?”,झुंझलाहट में सुरभि अपना सर पकड़कर बड़बड़ाई और अनिकेत की तरफ देखकर कहा,”वो एक बहुत ही उलझी हुई कहानी है मैं तुम्हे आराम से बताउंगी अभी के लिए बस इतना समझ लो कि मेरा उस लड़के से कोई रिश्ता नहीं है , उसने उसने ये सब जानबूझकर किया बस”
“जानबूझकर क्यों ?”,अनिकेत ने कहा , वह कॉलेज में लेक्चरर था और उसे बहुत ज्यादा सवाल करने की आदत थी


“ताकि मेरा और अवनि का झगड़ा हो और मैं उसके और अवनि के रास्ते से हट जाऊ,,,,,,,,!!”,सुरभि ने फिर झुँझलाकर कहा
“वेट ! अभी तो तुमने कहा कि वो अवनि का दोस्त है फिर वो क्यों चाहेगा तुम उन दोनों के बीच ना आओ ?”,अनिकेत अभी भी उलझन में था
“अरर तेरो माथो खराब है के ?”,सुरभि ने थोड़ी ऊँची आवाज में कहा


“ये तुम्हे एकदम से क्या हो जाता है ? अच्छा खासा बात करते करते तुम ये राजस्थानी क्यों बोलने लगती हो ? और छोडो ये सब ये बताओ तुम सिरोही क्यों गयी थी ? और गयी तो मुझे बताया क्यों नहीं ?”,अनिकेत ने पूछा
पृथ्वी को जैसे गुस्सा आने पर वह अचानक मराठी बोलने लगता था वैसे ही अवनि के साथ भी ये दिक्कत थी , उसे भी जब गुस्सा आता तो वह अपनी लोकल भाषा में बोल पड़ती।


एक तो सुरभि पहले से ही सिद्धार्थ और अवनि को लेकर परेशान थी उस पर अनिकेत भी उसकी कोई बात समझना नहीं चाह रहा था। सुरभि और अनिकेत पिछले 4 साल से एक दूसरे के साथ थे और दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन छोटी छोटी बातो पर अक्सर दोनों ऐसे ही झगड़ते दिख जाते थे। सुरभि ने जब देखा कि अनिकेत उसकी बात नहीं समझ रहा है तो उसने हताश होकर कहा,”मैं तुम्हे कैसे समझाऊ कि वहा क्या चल रहा है ?”


अनिकेत ने सुना तो ख़ामोशी से सुरभि को देखने लगा , उसे अहसास हुआ कि वह बहुत छोटी सी बात पर बहुत ज्यादा रिएक्ट कर रहा है इसलिए वह सुरभि के पास आया और कहा,”अच्छा ! आई ऍम सॉरी , मैं बस थोड़ा सा जेलेस हो गया था और कुछ नहीं,,,,,,,,चाय पिओगी ?”
“चाय के साथ कचौरी भी चाहिए , मैंने सुबह से कुछ खाया भी नहीं है”,सुरभि ने रोआँसा होकर कहा


“अरे रे रे मेरी शेरनी , तुम यहाँ बैठो मैं अभी लेकर आया”,कहकर अनिकेत सीढ़िया चढ़कर ऊपर चला गया और सुरभि वही एक खाली सी सीढ़ी पर आ बैठी और सामने पानी को देखने लगी। उदयपुर में कई प्रसिद्ध घाट हैं, जिनमें गणगौर घाट, अंबराई घाट, लाल घाट और दूध तलाई घाट प्रमुख हैं। ये घाट कुछ कुछ बनारस के घाटों जैसे ही नजर आते थे और सुरभि कई बार अवनि और अनिकेत के साथ यहाँ आ चुकी है।

सुरभि अवनि को बहुत मिस कर रही थी , उसने अपना फोन निकाला और अवनि का नंबर डायल करके फोन कान से लगा लिया लेकिन रिंग जाने से पहले ही उसने फोन काट दिया और खुद में ही बड़बड़ाई,”नहीं नहीं मुझे अभी उसे फोन नहीं करना चाहिए , आई नो वो मेरी वजह से हर्ट है अभी फोन किया तो शायद उसे और बुरा लग जाए। मैं उदयपुर पहुँचने का एक मैसेज उसे कर देती हूँ,,,,,,,,,!!”
सुरभि ने अवनि को मैसेज किया और ख़ामोशी से पानी को देखने लगी !

पनवेल , मुंबई
शाम के समय पृथ्वी , लक्षित और नकुल सोसायटी के लोन में क्रिकेट खेलने चले आये। हमेशा की तरह आज भी सबका मैच था और पृथ्वी ने देखा आज हिमांशु भैया और मोहित भी आया है तो वह खुश हो गया क्योकि मोहित तो अक्सर आता रहता था लेकिन हिमांशु भैया शादी के बाद जॉब और घर में इतना बिजी हो चुके थे कि उन्हें अब टाइम ही नहीं मिलता था बस फॅमिली मीटिंग में सब से मिल लिया करते थे। पृथ्वी ने देखा लॉन की बेंच पर चाची और साक्षी भाभी भी मौजूद है तो वह उनसे मिलने वहा उनकी तरफ चला आया तब तक हिमांशु भैया बाकि सबके साथ मिलकर आपस में टीम बाँटने लगे।


“अरे पृथ्वी ! कहा गायब रहते हो आजकल ?”,चाची ने कहा
“हाँ पृथ्वी भैया आजकल तो आप दिखाई ही नहीं देते”,साक्षी ने कहा
“ऑफिस में काम ज्यादा रहता है वहिनी बस इसलिए,,,,,,,,,!!!”,पृथ्वी ने धीरे से कहा , वह आज भी साक्षी से शर्माता था। तभी बेंच के पास खेलती मीशू उसके पास आयी और कहा,”चाचू,,,,,,,,,!!”
“हे मीशू ! तुम यहाँ अपने चाचू को सपोर्ट करने आयी हो ना,,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने मीशू को गोद में उठाया और उसके गाल पर किस करते हुए कहा


“ये अपने पापा को सपोर्ट करने आयी है , तुम्हे अगर सपोर्ट करने वाला चाहिए तो शादी कर लो,,,,,,फिर तुम्हारी बाइको भी यहाँ आकर तुम्हे सपोर्ट किया करेगी”,हिमांशु ने आकर पृथ्वी के सर पर चपत लगाकर कहा
“बात तो तेरी सही है हिमांशु,,,,,,,,क्यों पृथ्वी कब ला रहे हो अपनी सपोर्टर को ?”,चाची ने पृथ्वी को छेड़ते हुए कहा
“क्या काकू ( चाची ) आप भी , आप हो न मुझे सपोर्ट करने के लिए,,,,,,!”,पृथ्वी ने कहा तो चाची हंस पड़ी और फिर पृथ्वी हिमांशु के साथ वहा से चला गया।

हिमांशु और कुछ लड़के एक टीम में थे , नकुल और लक्षित भी उनकी टीम में थे। पृथ्वी दूसरी टीम में था जिसमे उसके साथ मोहित और सोसायटी के चार लड़के और थे। नकुल , पृथ्वी , मोहित और लक्षित को छोड़कर सब शादीशुदा थे और कुछ की पत्निया तो यहाँ मौजूद भी थी उन्हें चियर्स करने के लिए। हिमांशु भैया बैटिंग कर रहे थे और पृथ्वी बॉलिंग , उसने जब साक्षी को चियर्स करते देखा तो सहसा ही मुस्कुरा उठा। उस पल उसके जहन में कई खूबसूरत ख्याल एक साथ आ रहे थे और ये ख्याल थे अवनि के , किसी दिन अवनि भी ऐसे ही उसके लिए चियर्स किया करेगी।


हिमांशु भैया और उनकी टीम ने अच्छा खेला , अब बारी थी पृथ्वी की टीम की , अब जिस टीम में पृथ्वी हो वो टीम हार जाए ऐसा भला कैसे हो सकता है ? काफी अच्छा खेलने के बाद अब लास्ट 4 बॉल पर पृथ्वी को 5 रन चाहिए थे। शुरू की तीन बॉल ऐसे ही चली गयी। मोहित ने देखा तो पृथ्वी का होंसला बढ़ाने के लिए चिल्लाया पृथ्वी अवनि के ख्यालो में इतना खोया हुआ था कि उसे मोहित की जगह अवनि दिखाई देने लगी और उसे लगा जैसे अवनि खुद उसे चियर्स कर रही है।


नकुल ने बॉल पृथ्वी की तरफ फेंकी और बॉल सीधा स्टम्प पर क्योकि पृथ्वी तो बैट हाथ में थामे मोहित की तरफ देख रहा था जहा उसे अवनि दिखाई दे रही थी। नकुल लक्षित और हिमांशु भैया ख़ुशी से चिल्ला रहे थे क्योकि वे जीत चुके थे और आज पहली बार पृथ्वी की टीम हार गयी। पृथ्वी की टीम के लड़के आये और उसे सुनाने लगे तो पृथ्वी को होश आया , अब उसे अवनि दिखाई नहीं दे रही थी बल्कि मोहित उसकी तरफ चला आ रहा था।
“क्या यार पृथ्वी ! कितना अच्छा मौका था हम लोग जीतने ही वाले थे और तूने लास्ट बॉल को ही मिस कर दिया,,,,,,,,,,,!!”,मोहित ने कहा


पृथ्वी मुस्कुराया और कहा,”कभी कभी हार जीत से भी ज्यादा खूबसूरत होती है”
टीम के लड़के वहा से चले गए और पृथ्वी बेंच की तरफ चला आया। साक्षी ने पानी का बोतल उसकी तरफ बढ़ा दिया। हिमांशु , नकुल , मोहित और लक्षित भी वहा चले आये और सब कुछ देर वही बैठकर बाते करने लगे। अन्धेरा होते होते सभी घर के लिए निकल गए।

सुरभि के जाने से अवनि उदास थी लेकिन सिद्धार्थ के प्यार और साथ ने उसे फिर सम्हाल लिया। साल का आखरी हफ्ता चल रहा था और इसी के साथ ऑफिस में काम बढ़ने की वजह से पृथ्वी भी व्यस्त रहने लगा उधर सुरभि अनिकेत और दूसरी चीजों में व्यस्त हो गयी। उसकी अब अवनि से ज्यादा बात नहीं होती थी वही अवनि भी सुरभि के साथ किये बर्ताव से शर्मिन्दा थी इसलिए इन दिनों उस से पहले की तरह बात नहीं कर पा रही थी और देखते ही देखते काफी उतार चढाव के साथ ये साल भी खत्म हो गया।

नया साल शुरू हुआ और 1 जनवरी की सुबह सिद्धार्थ गाड़ी लेकर अपार्टमेंट के बाहर खड़ा था। अवनि से उसकी बीती रात ही बात हो चुकी थी इसलिए अवनि पहले से तैयार थी। वह नीचे आयी उसने गरम जैकेट पहना था जो सुरभि उसके लिए लायी थी साथ ही गर्म शॉल भी अपने गले में डाल रखा था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और इतनी ठण्ड में सिद्धार्थ आया था क्योकि नए साल की शुरुआत वह अवनि के साथ करना चाहता था। अवनि गाड़ी में आ बैठी सिद्धार्थ ने उसे गले लगाया और कहा,”नया साल मुबारक हो अवनि ! और मैं चाहता हूँ ये पूरा साल हम साथ रहे,,,,,,,खुश रहे”


“थैंक्यू ! आपको भी नया साल मुबारक हो”,अवनि ने कहा तो सिद्धार्थ उस से दूर हटा और गाडी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी। सिद्धार्थ ने अवनि के गरम हाथ को अपने ठंडे हाथ में थाम लिया और दोनों मंदिर पहुंचे। सिद्धार्थ ने पूजा का कुछ सामान और प्रशाद लिया और अवनि के साथ अंदर चला आया।

अवनि ने भगवान् के दर्शन किये और हाथ जोड़कर मन ही मन कहने लगी,”हे महादेव ! आज इस नए साल की शुरुआत मैं सिद्धार्थ के साथ करने जा रही हूँ और चाहती हूँ इस साल के आखरी दिन तक मैं आपके दर्शन सिद्धार्थ के साथ ही करू ! सिद्धार्थ को मेरी जिंदगी में भेजकर आपने मुझे पर बहुत बड़ा अहसान किया है इन्हे कभी मुझसे दूर मत करना महादेव”


“अरे अवनि चलो दर्शन बंद हो जायेंगे”,कहते हुए सिद्धार्थ ने अवनि का हाथ पकड़ा और लगभग उसे खींचते हुए अपने साथ ले गया जहा उन्हें एक और मंदिर के दर्शन करने थे। अवनि ने पलटकर महादेव की मूर्ति को देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी। सिद्धार्थ ने उसके हाथ को मजबूती से थाम रखा था उस पल उसे अहसास हुआ कि सिद्धार्थ अब उसका ये हाथ कभी नहीं छोड़ेगा।

सिद्धार्थ और अवनि ने कुछ मंदिरो के दर्शन और किये। मौसम काफी अच्छा था इसलिए मंदिर से बाहर आने के बाद सिद्धार्थ ने कहा,”ड्राइव पर चले ?”
अवनि जो सिद्धार्थ से मिलने के बाद शायद ना कहना भूल ही चुकी उसने हामी में गर्दन हिलायी और दोनों गाड़ी में आ बैठे। सिद्धार्थ अवनि को लेकर एक खाली रस्ते पर निकल पड़ा। ढेर सारी बाते और आने वाली जिंदगी के हसींन सपने बुनते हुए दोनों सर्दी की सुबह में चले जा रहे थे।

बाहर कोहरा था और सूरज अभी आसमान में छुपा हुआ था। काफी दूर आने के बाद सिद्धार्थ ने एक छोटे से रेस्त्रो के बगल में अपनी गाड़ी रोकी और अवनि के साथ नीचे उतर गया। सिद्धार्थ अवनि के साथ बाहर लगी बेंच पर आ बैठा। उसने दोनों के लिए दो चाय आर्डर की और फिर अपने फोन में बिजी हो गया। ठण्ड की वजह से अवनि का चेहरा


लाल हो चुका था और वह ठंड से बचने के लिए अपने हाथो को आपस में रगड़ रही थी। चाय आयी और दोनों चाय पीने लगे। चाय पीकर अवनि को थोड़ी राहत मिली और फिर दोनों वापस घर के लिए निकल गए।
रास्तेभर अवनि ही कुछ न कुछ बोलती रही और सिद्धार्थ हाँ हूँ में जवाब देता रहा , सिद्धार्थ बदल रहा था या बदल चुका था ये बात अवनि अभी तक महसूस नहीं कर पायी थी लेकिन सिद्धार्थ के साथ रहते हुए अवनि जरूर बदल चुकी थी।

वह पहले से ज्यादा सिद्धार्थ को पसंद करने लगी थी और अब तो सिद्धार्थ के बिना उसे अपनी जिंदगी अधूरी लगने लगी थी। अवनि ने तय किया कि इस साल वह सिद्धार्थ से अपने दिल की बात कह देगी !
“अच्छा अवनि ! अगले महीने मैं माउन्ट आबू जा रहा हूँ , वहा एक बहुत बड़ा मंदिर है तुम चलोगी ? दो दिन में वापस आ जायेंगे”,सिद्धार्थ ने कहा


“दो दिन में ?”,अवनि ने कहा
“हाँ तुम और मैं ही जा रहे है अब जाने में टाइम लगेगा फिर एक दिन वहा रुकना पड़ेगा और एक नाईट भी तो अगले दिन ही वापस आना हो पायेगा। चलो ना अवनि मेरा वहा जाने का बहुत मन है और मैं अकेला जा नहीं पा रहा , तुम साथ रहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा”,सिद्धार्थ ने कहा


अवनि ने जब सुना कि रात में भी उसे सिद्धार्थ के ही साथ रहना है तो वह सोच में पड़ गयी और कहा,”सिद्धार्थ मुझे गलत मत समझना , तुम अच्छे इंसान हो और मैं तुम पर बहुत भरोसा भी करती हूँ लेकिन मैं हमारी शादी से पहले तुम्हारे साथ रात में एक कमरे में साथ नहीं रह सकती,,,,,,,,,,!!”
सिद्धार्थ ने सुना तो उसके चेहरे के भाव बदल गए और उसने थोड़ा गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा,”मतलब तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं है”


“ऐसी कोई बात नहीं है सिद्धार्थ , भरोसा है लेकिन मैं नहीं जा सकती ,, आई हॉप यू अंडरस्टेंड”,अवनि ने कहा
“हम्म्म्म , इट्स ओके”,सिद्धार्थ ने कहा और फिर अपना ध्यान गाडी चलाने पर लगा लिया

( अवनि को लेकर पृथ्वी जो सपने देख रहा है क्या वो पुरे होंगे ? क्या सुरभि और अवनि के बीच के ये दूरिया मिट पायेगी या सिद्धार्थ इस खाई को और गहरा कर देगा ? आखिर क्या है अवनि को लेकर सिद्धार्थ के इरादे ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल

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Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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