Pasandida Aurat – 48

Pasandida Aurat – 48

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सुरभि ने अवनि के लेपटॉप से अनुज सर को मेल भेजा और इसी के साथ यूट्यूब पर एक प्यारा सा गाना चला दिया और सुनते हुए वही बैठकर चाय पीने लगी। अवनि अपना लंच बनाने किचन में चली आयी। अवनि सुरभि से कभी कुछ छुपाती नहीं थी इसलिए सुरभि ने लेपटॉप पर अवनि का इंस्टा खोला और देखा अवनि ने कल रात जो QNA पोस्ट किया था उस पर कई सवाल आये हुए थे और अवनि उनका जवाब देना ही भूल गयी थी। सुरभि ने उसे खोला और अंदर से ही चिल्लाकर कहा,”अवनि तुम्हारी QNA पोस्ट पर ढेर सारे सवाल आये हुए है”


“एक काम करो तुम सबको जवाब दे दो”,अवनि ने भी बाहर से चिल्लाकर कहा
“ठीक है”,सुरभि ने कहा और फिर एक एक करके सवाल देखती और अवनि के हिसाब से उनको जवाब देने लगी। कुछ सवालो के बाद ही सुरभि के सामने “पृथ्वी उपाध्याय” नाम की ID से एक सवाल आया “अगर आपको किसी से प्यार हो जाए तो उसे कैसे बताये ?”
सुरभि ने कुछ देर सोचा और फिर लिखकर भेजा “प्यार तुम्हे हुआ है ये तुम्हारा प्रॉब्लम है तुम डिसाइड करो”


सुरभि ने जैसे ही लिखकर भेजा पृथ्वी का मैसेज बॉक्स उसके सामने ओपन हुआ और सुरभि ने देखा इस से पहले भी पृथ्वी अवनि से सवाल पूछ चुका था और अवनि का जवाब पढ़कर सुरभि हसने लगी।
“क्या हुआ , हंस क्यों रही हो ? देखो तुम किसी को उलटे सीधे जवाब मत देना”,अवनि ने सुरभि को हँसते पाकर कमरे के दरवाजे से अंदर झांककर कहा


“अरे नहीं नहीं मैं तो बस इन लोगो के अजीबो गरीब सवाल पढ़कर हंस रही हूँ”,सुरभि ने कहा तो अवनि वापस किचन की तरफ जाकर अपना काम करने लगी। सुरभि ने अपना एक पैर मोड़कर कुर्सी पर रखा और पृथ्वी का प्रोफाइल खोला।
“हाह ! प्राइवेट अकाउंट , ये लड़के अपना अकाउंट प्राइवेट कबसे रखने लगे ?”,कहते हुए सुरभि ने पृथ्वी का प्रोफाइल पिक्चर खोलकर देखा।


सोसायटी की किसी सड़क पर रात के वक्त खींची गयी तस्वीर थी जिसमे पृथ्वी खड़ा दूसरी तरफ देख रहा था। उसके चेहरे में एक आकर्षण था , सांवला रंग , गहरी लेकिन उदास आँखे , सुर्ख होंठ , गले की हड्डी और उभरे हुए कंधे देखकर समझ आ रहा था कि लड़का जिम जाने का शौकीन है , अच्छी कद काठी और लेकिन सुरभि का ध्यान खींचा पृथ्वी की टीशर्ट पर लिखे शब्दों ने  “Never Give Up”
सुरभि कुछ देर उसे देखती रही और बड़बड़ाई,”इस लड़के को मैंने कही तो देखा है पर कहा ?”


सुरभि भूल गयी कि बनारस में वह इसी लड़के से तो टकराई थी जिसने उसे नीचे गिरा दिया था। गनीमत था कि बहुत याद करने के बाद भी सुरभि को याद नहीं आया वरना आज तो पृथ्वी को ब्लॉक होने से कोई नहीं रोक सकता था। सुरभि पृथ्वी का प्रोफाइल खोलकर बैठी ही थी कि तभी अवनि वहा आयी और सुरभि ने प्रोफाइल बंद करने के बजाय लेपटॉप ही बंद कर दिया।


“तुम यहाँ अकेले क्या करोगी ? तुम भी मेरे साथ बैंक चलो यहाँ अकेले बोर हो जाओगी ?”,अवनि ने अपना जरुरी सामान अपने बैग में रखते हुए कहा
“किसने कहा मैं यहाँ बोर होने वाली हूँ बल्कि मैं तो सिद्धार्थ के साथ शॉपिंग पर जाने वाली हूँ”,सुरभि ने कुर्सी घुमाई और अवनि की तरफ पलटकर कहा
अवनि ने सुना तो हैरानी से सुरभि को देखा और कहा,”Are you sure ?”


“हाँ ! वैसे वो इतना बुरा भी नहीं है,,,,,उसको टेक्स्ट कर देना वो मुझे पिक कर लेगा”,सुरभि ने कहा तो अवनि का चेहरा ख़ुशी से खिल गया। अवनि को लगा सुरभि को सिद्धार्थ अच्छा लगा पर यहाँ सुरभि के दिमाग में तो कोई और ही खिचड़ी पक रही थी।
“ठीक है मैं उसे फोन कर दूंगी अब मैं चलती हूँ , अपना ख्याल रखना मैं जल्दी आउंगी”,अवनि ने सुरभि का गाल छूकर प्यार से कहा और वहा से चली गयी।


“ख्याल तो मैं तुम्हारे सिद्धार्थ का रखूंगी अवनि वो भी बहुत अच्छे से,,,,,,,,,!!”,सुरभि ने मुस्कुराते हुए मन ही मन कहा और कुर्सी घुमाकर एक बार फिर लेपटॉप की तरफ पलट गयी। उसने लेपटॉप खोला पृथ्वी की तस्वीर एक बार फिर सुरभि के सामने थी।

पृथ्वी को देखते हुए सुरभि बड़बड़ाई,”वैसे ये लड़का भी बुरा नहीं है ! पृथ्वी उपाध्याय , कितना अच्छा हो अगर इसे अवनि से ही प्यार हो जाये और ये अवनि की जिंदगी में आ जाये,,,,,,,, वैसे ये रहता भी मुंबई में है और अवनि की मंजिल भी मुंबई है,,,,,,,हाह कितना अच्छा होगा,,,,,,,,,अह्ह्ह्हह ये तू क्या सोचने लगी सुरभि पहले उस चिलगोजे सिद्धार्थ को अवनि से दूर कैसे करना है ये सोच ?”


अवनि के लिए पृथ्वी को लेकर दिन में सपने देखते हुए सुरभि को एकदम से होश आया और उसने पृथ्वी का प्रोफाइल बंद कर दिया और साथ ही लेपटॉप भी,,,उसे सिद्धार्थ के साथ शॉपिंग पर जाना था इसलिए वह तैयार होने लगी।

पृथ्वी अपना बैग कंधे पर डाले ऑफिस जाने के लिए घर से निकला ! सोसायटी की सड़क पर वह पैदल चल रहा था कि तभी उसका फोन बजा। पृथ्वी ने जल्दी से जेब से अपना फोन निकाला क्योकि ये इंस्टाग्राम मैसेज का रिंग था और कल शाम से पृथ्वी अवनि के जवाब का इंतजार कर रहा था। स्क्रीन पर अवनि का नाम देखकर पृथ्वी का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और वह मुस्कुराने लगा। सामने से आते नकुल ने पृथ्वी को कई दिनों बाद ऐसे मुस्कुराते देखा था वजह जानने के लिए वह पृथ्वी की तरफ बढ़ गया।

पृथ्वी ने धड़कते दिल के साथ मैसेज खोलकर देखा और जवाब पढ़कर उसकी मुस्कुराहट एकदम से गायब हो गयी और चेहरे से ख़ुशी के भाव भी,,,,,,,,,जो कि नकुल के लिए हैरानीभरा था।
मायूस होकर पृथ्वी ने अपना फोन जेब में रख लिया और जैसे ही सामने देखा नकुल खड़ा था। नकुल को देखकर पृथ्वी ने कहा,”तुम आज ऑफिस नहीं गए ?”


“मेरी कम्पनी तुम्हारी कम्पनी जैसी बोरिंग नहीं है , वहा वीक में 5 दिन काम होता है दो दिन मजे करो,,,,,,,मेरी छोडो ये बताओ तुम्हे क्या हुआ है ?”,नकुल ने पृथ्वी के चेहरे की तरफ देखकर कहा
“मुझे क्या होगा ? ऑफिस जा रहा हूँ”,पृथ्वी ने शांत स्वर में कहा
“मैंने अभी थोड़ी देर पहले देखा तू बहुत खुश था और फिर एकदम से मायूस हो गया , ऐसा क्या देख लिया तूने अपने फ़ोन में ?”,नकुल ने कहा
“कुछ भी नहीं,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा


“ये चुना ना तू पान पर लगाना , अब बता बात क्या है ? मैं देख रहा हूँ आजकल तू ज्यादा ही खोया खोया रहने लगा है। ना मिलने आता है , ना बाहर घूमने जाता है , देख कुछ तो चल रहा है जो तू मुझसे छुपा रहा है। अब बता भी बात क्या है ?”,नकुल ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“शाम में चाय पे मिल बताता हूँ,,,,,,,,अभी ऑफिस के लिए लेट हो रहा है”,पृथ्वी ने कहा
“वो तो तू वैसे भी हो चुका ये ले मेरी बाइक की चाबी , पार्किंग में खड़ी है ले जा टाइम से पहुँच जाएगा”,नकुल ने बाइक की चाबी पृथ्वी की तरफ बढाकर कहा

पृथ्वी ने चाबी ली और कहा,”थैंक्स,,,,,,!!”
“मैं शाम को टपरी पर तेरा इंतजार करूंगा”,नकुल ने कहा
“हाँ मिलता हूँ”,कहकर पृथ्वी वहा से चला गया। उसने पार्किंग से नकुल की बाइक निकाली और ऑफिस के लिए निकल गया। नकुल पृथ्वी का दोस्त था लेकिन वह पृथ्वी को अपने भाई की तरह मानता था और मानता भी क्यों नहीं पृथ्वी हमेशा उसके अच्छे बुरे वक्त में उसके साथ जो था।

सिरोही , राजस्थान
अवनि सुरभि को फ्लेट पर छोड़कर बैंक चली आयी। उसने सिद्धार्थ से फोन करके सुरभि को शॉपिंग पर ले जाने की बात कही तो अवनि से भी ज्यादा सिद्धार्थ को हैरानी हुई क्योकि पिछली मुलाकात के बाद सिद्धार्थ इतना तो समझ चुका था कि सुरभि उसे पसंद नहीं करती ! अवनि के सामने अपने विश्वास को मजबूत करने के लिए सिद्धार्थ ने हामी भर दी और सुरभि को लेने घर से निकल गया।


सिद्धार्थ अपनी गाडी लेकर अपार्टमेंट के बाहर पहुंचा , सुरभि पहले ही अपनी पीठ पर छोटा बैग टाँगे अपार्टमेंट के बाहर खड़ी थी। सिद्धार्थ ने हॉर्न मारा तो सुरभि गाड़ी की तरफ आयी और सिद्धार्थ ने अपने बगल वाला दरवाजा सुरभि के लिए खोल दिया लेकिन सुरभि ने उसे बंद किया और पीछे का दरवाजा खोलकर पीछे आ बैठी।

सिद्धार्थ को बहुत अजीब लगा और चिढ भी मची लेकिन वह एकदम से सुरभि के सामने अपना गुस्सा जाहिर नहीं कर सकता था इसलिए सुरभि की तरफ देखकर जैसे ही कुछ कहना चाहा सुरभि पहले ही बोल पड़ी,”अह्ह्हह मुझे लगा ये जगह सिर्फ अवनि की है , अब वो तुम्हारे लिए इतनी स्पेशल है तो उसकी जगह कोई और बैठे तो तुम्हे अच्छा थोड़े ना लगेगा,,,,,,,,,,इसलिए मैं खुद ही पीछे बैठ गयी”


सिद्धार्थ ने सुना तो झेंपते हुए कहा,”अह्ह्ह हां हां अच्छा तो नहीं लगेगा , यहाँ हमेशा अवनि ही बैठती है वैसे भी मेरी मम्मी के बाद यहाँ अवनि ही बैठी है”
“हाउ स्वीट,,,,,,,,,अब चले ?”,सुरभि ने ऐसे कहा जैसे बेचारे सिद्धार्थ को ताना मार रही हो।
“जी मैडम,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने भी अपने गुस्से को काबू रखकर कहा और गाडी आगे बढ़ा दी  


पीछे बैठी सुरभि अपने फोन की स्क्रीन स्क्रॉल करते हुए कभी मुंह बना रही थी कभी मुस्कुरा रही थी और कभी जोर से हंस पड़ती और ये सब सिद्धार्थ को गाड़ी के अंदर लगे मिरर में साफ दिखाई दे रहा था। उसने शीशे में सुरभि को देखते हुए मन ही मन कहा,”एक बार मेरी अवनि से शादी हो जाये उसके बाद सबसे पहले तुम्हे उसकी जिंदगी से बाहर निकालकर फेंकूँगा सुरभि शर्मा,,,,,,,,,!!”


सुरभि को देखने के चक्कर में सिद्धार्थ ने सामने ध्यान नहीं दिया और ब्रेकर पर गाडी थोड़ी सी उछल गयी ये देखकर सुरभि ने कहा,”तुम क्या पहले बैलगाड़ी चलाते थे ? अरे देखकर चलाओ ना वरना शॉपिंग की जगह कही और ही पहुचं जायेंगे हम लोग”
सिद्धार्थ का मन तो हुआ अभी पलटकर सुरभि को चार बाते सुना दे पर बेचारा अवनि की वजह से चुप था। वह सुरभि के सामने ऐसी कोई हरकत नहीं करना चाहता था जिस से सुरभि के सामने उसकी गलत इमेज बने और वह घर जाकर अवनि को उसके खिलाफ कर दे।

उसने मिरर से अपना ध्यान हटाया और सामने लगा लिया। सिद्धार्थ ने सुरभि से बात करने की कोशिश की लेकिन जैसे ही वह कहने के लिए पलटा देखा सुरभि दोनों कानो में ईयर फोन लगाए आँखे बंद किये गाने सुन रही है। सिद्धार्थ ने अफ़सोस में अपना सर झटका और पलट गया।

सिद्धार्थ सुरभि को लेकर मॉल पहुंचा। सुरभि उसके साथ अंदर चली आयी उसने एक शोरूम से अपने लिए कुछ कपडे लिए , दो जोड़ी अच्छे और महंगे वाले जूते लिए , एक बढ़िया पर्स और अवनि के लिए एक बढ़िया जैकेट,,,,,,,,,,सब लेकर 2 घंटे बाद सुरभि बिलिंग सेक्शन में आयी तो सिद्धार्थ भी वहा चला आया। सुरभि ने जान बूझकर अपना वो कार्ड दिया जिसकी लिमिट खत्म हो चुकी थी।

उसने ऑनलाइन पेमेंट करने का नाटक किया और सर्वर डाउन होने की बात की , उसने बहुत ही मासूम सा चेहरा बनाकर मुस्कुराते हुए सिद्धार्थ की तरफ देखा तो सिद्धार्थ ने कहा,”मैं कर देता हूँ,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह्ह सो स्वीट ऑफ़ यू सिद्धार्थ,,,,,,थैंक्यू सो मच”,सुरभि ने अपने हाथो को ठुड्डी से लगाकार अपनी पलकों को झपकाते हुए कहा


 सिद्धार्थ ने अपना क्रेडिट कार्ड लड़के की तरफ बढ़ा दिया। लड़के ने कार्ड मशीन पर स्वाइप किया और शॉपिंग बैग्स सिद्धार्थ की तरफ बढ़ा दिए। सिद्धार्थ ने बैग्स सुरभि की तरफ बढ़ाने के लिए जैसे ही सामने देखा पाया सुरभि पहले ही आगे बढ़ चुकी है।  

सिद्धार्थ को अकेले ही सारे शॉपिंग बैग्स उठाने पड़े और जैसे ही आगे बढ़ा लड़के ने कहा,”सर योर बिल”
“थैंक्यू,,,,,,,!!”,बैग उठाये हाथो से सिद्धार्थ ने बिल लिया और उसे देखते हुए आगे बढ़ा। बिल का टोटल देखकर सिद्धार्थ को हार्ट अटैक आते आते बचा और उसने हैरानी से कहा,”12370,,,,,,,,,!!!”
“अह्ह्ह तुमने कुछ कहा ?”,सुरभि ने पलटकर पूछा
“अह्ह्ह नहीं कुछ नहीं , शॉपिंग हो चुकी अब ?”,सिद्धार्थ ने दिल पर पत्थर रखकर पूछा


“अब क्या ? मुझे भूख लगी है कुछ खाने चलो , हाह ! तुम में ज़रा भी मैनर्स और कॉमन सेन्स नहीं है,,,,,,,अह्ह्ह्ह वहा चलते है”,कहते हुए सुरभि एक आलिशान रेस्त्रो की तरफ बढ़ गयी जो कि इसी शॉपिंग मॉल में था। सिद्धार्थ ने देखा ये रेस्त्रो इस शॉपिंग मॉल का सबसे महंगा रेस्त्रो था , एक सिंगल कॉफी की प्राइस यहाँ 350 से शुरू थी। सिद्धार्थ पहले ही अपने खर्चे का हिसाब लगाने लगा।


“क्या हुआ , तुम रुक क्यों गए ? चलो ना”,सुरभि सिद्धार्थ के पास आयी और उसकी बाँह पकड़कर उसे रेस्त्रो के अंदर ले आयी। सिद्धार्थ ने खाली टेबल के पास आकर बैग सोफे पर रखे और वही बगल में बैठ गया।
“मैं ज़रा हैंड वाश करके आती हूँ तब तक तुम कुछ आर्डर करो”,सुरभि ने कहा और वहा से चली गयी। सिद्धार्थ ने राहत की साँस ली कहा वह सुरभि को इम्प्रेस करना चाहता था और कहा सुरभि उसे डिप्रेस करने में लगी थी। वेटर के आने पर सिद्धार्थ ने एक मीडियम पिज्जा और दो कॉफी आर्डर की। वेटर वहा से चला गया और सिद्धार्थ ने अवनि का नंबर डॉयल करके फोन कान से लगा लिया।  


अपने हाथ धोते हुए सुरभि शीशे में देखकर बड़बड़ाई,”हाह ! उस गधे सिद्धार्थ को लग रहा होगा मैं हैंड वाश इसलिए कर रही हूँ कि मुझे उसके साथ बैठकर खाना खाना है पुअर सिद्धार्थ , उसे छुने के बाद तो मुझे चार बार हाथ धोने की जरूरत है। अगर अवनि का मामला नहीं होता ना तो अब तक तो तुम्हे अच्छा सबक सीखा चुकी होती , हाहाहा पर सबक तो तुम्हे आज मिल ही जाएगा , ऐसी शॉपिंग करवाउंगी कि जिंदगी में कभी किसी को शॉपिंग पर ले जाने से पहले 10 बार सोचोगे”

सुरभि हाथ धोकर सिद्धार्थ की तरफ चली आयी और उसके सामने खाली पड़े सोफे पर आ बैठी और कहा,”क्या आर्डर किया ?”
“कॉफी और पिज्जा”,सिद्धार्थ ने अवनि का फोन काटकर टेबल पर रखते हुए कहा
“एक कॉफी और पिज्जा से हम दोनों का क्या होगा ? वैसे भी मुझे बहुत भूख लगी है , तुम से मिलने की एक्साइटमेंट में मैंने सुबह नाश्ता भी नहीं किया,,,,,,,,एक मिनिट मैं कुछ और भी आर्डर कर देती हूँ,,,,,,,वेटर”,सुरभि ने कहा


सिद्धार्थ सुरभि को रोक पाता इस से पहले वेटर वहा चला आया और सुरभि ने उसे एक साथ 5-7 डिशेज का आर्डर दे दिया। सिद्धार्थ जैसे जैसे डिश के नाम सुनते जा रहा था उसके दिल की धड़कने बढ़ रही थी क्योकि ये सब इस रेस्त्रो की सबसे महंगी डिश थी। उसने मन ही मन सुरभि को कोसते हुए कहा,”ये लड़की पागल है क्या ? आर्डर करने से पहले प्राइस तो देख ले बेवकूफ,,,,,,,,!!”


सुरभि ने सिद्धार्थ की तरफ देखा तो सिद्धार्थ मुस्कुरा दिया। वेटर आर्डर लेकर चला गया और कुछ देर बाद टेबल पर कुल 8 डिशेस और 2 कॉफी थी। सुरभि ने एक खाली प्लेट उठाई और थोड़ा थोड़ा उसमे लेकर खाना शुरू किया। बेचारा सिद्धार्थ वह तो बस कॉफी पीते हुए मन ही मन हिसाब लगा रहा था। सुरभि ने थोड़ा सा खाया और बाकि सब ऐसे ही छोड़ दिया ये देखकर सिद्धार्थ को गुस्सा आया लेकिन उसने खुद को सामान्य दिखाते हुए कहा,”देखा मैंने कहा था न इतना सब आर्डर मत करो नहीं खाया जाएगा तुम से,,,,,,,,,,,अब ये सारा खाना वेस्ट हो जाएगा”


“किसने कहा वेस्ट हो जायेगा”,कहकर सुरभि ने एक बार फिर वेटर को आवाज दी और बचा हुआ सारा खाना पैक करने को कहा जो कि जूठा नहीं था। सिद्धार्थ का तो ये सब देखकर सर ही चकरा गया। सिद्धार्थ ने बिल चुकाया जो कि 2700 था और दोनों रेस्त्रो से बाहर चले आये। खाने का बैग सुरभि के हाथ में था और शॉपिंग के बैग सिद्धार्थ के हाथो में ,, इतना तो उसने अवनि के लिए नहीं किया था जितना सुरभि ने उस से 4 घंटो में करवा दिया।

मॉल से बाहर आकर सिद्धार्थ ने सामान गाड़ी की पिछली सीट पर रखा और इस बार सुरभि आगे आ बैठी। सिद्धार्थ ने गाडी स्टार्ट की और वहा से निकल गया। सिद्धार्थ जो कि बहुत सोच समझकर अपने पैसे खर्च किया करता था आज सुरभि ने एक साथ उसका इतना खर्चा करवा दिया और इसी बात से उसका मूड खराब था लेकिन सुरभि को तो उसके साथ ये सब करके बड़ा मजा आ रहा था।

गाडी ट्रेफिक में आकर रुकी तो सुरभि नीचे उतरी और पीछे रखा खाना फुटपाथ पर बैठे बच्चो को दे दिया ये देखकर तो सिद्धार्थ का मूड और खराब हो गया , उसके पैसो का खाना सुरभि फुटपाथ के लोगो को खिला रही थी। सुरभि वापस आकर गाडी में बैठी तो सिद्धार्थ ने कहा,”तुमने वो खाना उन्हें क्यों दे दिया ?”
“इतने खाने का मैं क्या करुँगी ? वैसे भी मुझसे ज्यादा उन्हें इस खाने की जरूरत है”,सुरभि ने कहा
“उन लोगो की औकात है इतना महंगा खाना खाने की ?”,सिद्धार्थ ने थोड़ा गुस्से से कहा


सुरभि ने सुना तो उसकी भँवे तन गयी और उसने सिद्धार्थ की तरफ देखकर कहा,”खाना कभी औकात नहीं देखता भूख देखता है और इस मेरा पेट इस वक्त भरा हुआ हुआ है,,,,,,अब चले ?”
सिद्धार्थ ने एक नजर फुटपाथ के उन बच्चो को देखा और गाडी आगे बढ़ा दी।

( सिद्धार्थ को इतना परेशान करने के पीछे आखिर क्या वजह है ? क्या सिद्धार्थ करेगा अवनि से सुरभि की मनमानियों का जिक्र ? क्या सुरभि के सामने आ चुका है सिद्धार्थ का असली चेहरा ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल 

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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