Pasandida Aurat – 38
Pasandida Aurat – 38

सुरभि के कहने पर अवनि ने सिद्धार्थ से मदद लेने का सोचकर उसे फोन किया और जब सिद्धार्थ ने कहा कि वह कल से अवनि के ही फोन का इंतजार कर रहा है तो उसे और ज्यादा हैरानी हुई। अवनि को हैरान पाकर सिद्धार्थ ने कहा,”हेलो हेलो अवनि तुम मुझे सुन रही हो न ?”
सिद्धार्थ को इतने अपनेपन से अपना नाम लेते देखकर अवनि को अच्छा लगा साथ ही महसूस हुआ कि उसे सिद्धार्थ पर भरोसा कर उसे अपनी समस्या बता देनी चाहिए।
“हाँ मैं सुन रही हूँ”,अवनि ने अपनी धड़कनो को सामान्य करके कहा
“कैसी हो ?”,सिद्धार्थ ने पूछा
“मैं ठीक हूँ , आप कैसे है ?”,अवनि ने पूछा
“अब ठीक हूँ,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने एक ठंडी आह भरकर कहा
अवनि एक बार फिर खामोश हो गयी तो सिद्धार्थ ने कहा,”वैसे तुमने इस वक्त फोन किया , सब ठीक है ना ?”
सिद्धार्थ अवनि को आप बुलाते बुलाते तुम पर आ गया क्योकि उसका मानना था इस से दो लोग एक दूसरे से बेझिझक सब कह सकते है “आप” बोलने की फॉर्मेलिटी नहीं करनी पड़ती।
अवनि ने सिद्धार्थ को सब बताया और तीन दिन में हॉस्टल का कमरा खाली करने की बात बतायी तो सिद्धार्थ ने कहा,”और तुम मुझे ये अब बता रही हो , अवनि मैंने फॉर्मेलिटी के लिए तुम से नहीं कहा कि जरूरत हो तो फोन करना। सच कहु तो तुम से मिलने के बाद मैं बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा हूँ”
“मेरे बारे में ?”,अवनि ने पूछा
“हाँ तुम्हारे बारे में , तुमने अपने बारे में जो बताया आई फील तुम सच में इस शहर में अकेली हो और इसलिए मैंने तुम्हे अपना कार्ड दिया ताकि तुम्हे कोई भी हेल्प की जरूरत हो तो तुम मुझसे कह सको”,सिद्धार्थ ने कहा
“मैं आपको परेशान करना नहीं चाहती थी”,अवनि ने कहा
“परेशान तो तुम मुझे अब कर रही हो ये सब कहकर , अवनि मैं ये नहीं कह रहा कि तुम्हे मुझ पर आँख बंद करके भरोसा कर लेना चाहिए लेकिन तुम एक दोस्त समझकर अपनी परेशानी मुझसे शेयर कर सकती हो”,सिद्धार्थ ने अपनेपन से कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“ठीक है फिर कल सुबह मैं तुम्हारे हॉस्टल आता हूँ और साथ में घर देखने चलते है,,,,,,,,,अगर तुम कम्फर्टेलब हो तो ?”,सिद्धार्थ ने कहा
“आपका ऑफिस होगा , अगर आपकी जानकारी में कोई घर है तो आप मुझे बता दीजिये मैं जाकर पता कर लुंगी”,अवनि ने कहा
“मेरा ऑफिस शाम में होता है , यू नो फॉरेन आई टी कम्पनी , तो मैं कल दिनभर फ्री हूँ मैं सुबह आ जाऊंगा एंड डोंट वरी मैं हूँ तुम्हारे साथ,,,,!!”,सिद्धार्थ ने कहा
अवनि ने सुना तो उसे अच्छा लगा साथ ही सिद्धार्थ के रूप में उसे उम्मीद की एक किरण दिखाई दी।
“थैंक्यू सो मच,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“थैंक्यू घर मिलने के बाद,,,,,,,कल मिलते है”,सिद्धार्थ ने कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,हर हर महादेव”,अवनि ने कहा
सिद्धार्थ ने सुना तो मुस्कुराया और कहा,”हर हर महादेव”
अवनि ने फोन काट दिया और उधर सिद्धार्थ भी अपने काम में बिजी हो गया। सिद्धार्थ से बात करके अवनि को काफी हल्का महसूस हो रहा था। उसने फोन साइलेंट किया और सोने चली गयी।
सुख विलास , उदयपुर
विश्वास जी लोन में बैठे विचारो में खोये हुए थे तभी हाथ में चाय का कप लिए कार्तिक आया और उनके बगल में बैठकर चाय का को विश्वास जी की तरफ बढाकर कहा,”ताऊजी चाय”
कार्तिक की आवाज से विश्वास जी की तंद्रा टूटी और उन्होंने चाय का कप लेकर कहा,”इस वक्त चाय”
“अवनि दीदी कहती है जब इंसान बहुत ज्यादा सोचने लगे तो उसे एक कप अदरक वाली कड़क चाय पी लेनी चाहिए जिसमे दो पत्ते तुलसी के भी हो,,,,,,!!”,कार्तिक ने कहा
कार्तिक के मुंह से अवनि का नाम सुनकर विश्वास जी उदास हो गए और अपनी उदासी को छुपाकर कहा,”ये चाय तुम्हारी माँ ने बनाई है ?”
“बिल्कुल नहीं ! बल्कि ये चाय मैं खुद आपके लिए बनाकर लाया हूँ वो भी अपने हाथो से,,,,,,,,पीकर बताईये ना कैसी बनी है ?”,कार्तिक ने बच्चो की तरह मचलकर कहा
विश्वास जी मुस्कुराये और चाय का एक घूंठ भरकर कहा,”हम्म्म अच्छी बनी है,,,,,,,!!”
“थैंक्यू ! वैसे आप ठंड में यहां क्या कर रहे है आप बीमार पड़ जायेंगे”,कार्तिक ने कहा
“बस ऐसे ही घर के अंदर थोड़ी घुटन महसूस हो रही थी तो बाहर चला आया”,विश्वास जी ने कहा
“आपकी घुटन की वजह उन सबकी बातें है ना ?”,कार्तिक ने गंभीर होकर कहा तो विश्वास जी उसकी तरफ देखने लगे
कार्तिक ने सामने देखा और कहने लगा,”मैं जानता हूँ ताऊजी , जब से अवनि दीदी इस घर से गयी है घर के बड़ो का आपके प्रति बर्ताव बुरा हो चुका है।
मम्मी पापा और चाचा-चाची अपने स्वार्थ के लिए इस घर को गिरवी रखना चाहते है पर आप उनकी बात मत मानना ताऊजी ये घर अवनि दी की अमानत है और मुझे यकीन एक दिन आप उन्हें माफ़ कर और वो यहाँ जरूर आएगी बस तब तक इस घर को सम्हालकर रखिये। आपने पहले ही हम सब के लिए बहुत कुछ किया है अब उन लोगो की ख़ुशी के लिए इस घर को दांव पर मत लगाइये”
कार्तिक की बातें सुनकर विश्वास जी हैरान थे। घर के बड़े जिस बात को नहीं समझ रहे थे उस बात को कार्तिक इतनी कम उम्र में समझ रहा था लेकिन वे उसकी बातो पर सहमति जताकर उसे उसके माँ बाप के खिलाफ नहीं करना चाहते थे इसलिए उसकी बात का कोई जवाब ना देकर उठे और कहा,”रात बहुत हो चुकी है चलो अंदर चलते है”
कार्तिक समझ गया कि विश्वास जी अवनि के बारे में बात करना नहीं चाहते इसलिए वह उठा और उनके साथ अंदर चला आया।
अंदर आकर कार्तिक ऊपर अपने कमरे में चला गया और विश्वास जी अपने कमरे में चले आये। इस उम्र में इतनी जल्दी नींद कहा आती है इसलिए उन्होंने बुकशेल्फ में से एक किताब उठाई और आराम कुर्सी पर आ बैठे और पढ़ने लगे। कमरे की लाइट उन्होंने बंद कर दी और आराम कुर्सी के पास पड़ी टेबल पर रखे लेम्प को जला लिया। पढ़ते पढ़ते काफी वक्त हो गया और सहसा ही अवनि की यादों ने उन्हें घेर लिया।
विश्वास जी ने कोशिश की लेकिन वे किताब में अपना ध्यान नहीं लगा पाए और आख़िरकार उन्होंने किताब बंद कर दी। वे उठे कमरे की लाइट जलाई और बिस्तर के बगल में टेबल पर रखे अपने फोन को उठाया।
विश्वास जी आज भी अवनि से उतना ही प्यार करते थे और इस बात का सबूत थी उनके फोन की स्क्रीन पर लगी उनकी और अवनि की तस्वीर , विश्वास जी ने फोन में अवनि का नंबर निकाला और काँपते हाथो से उसका नंबर डायल कर दिया रिंग जाती रही लेकिन अवनि ने फोन नहीं उठाया। उठाती भी कैसे वह तो अपना फोन साइलेंट पर रखकर सो चुकी थी। अवनि ने फोन नहीं उठाया तो विश्वास जी ने उदास होकर फोन साइड में रख दिया और बिस्तर पर आकर लेट गए। थोड़ी देर में उन्हें भी नींद आ गयी और कमरे की लाइट जलती ही रह गयी।
आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
रातभर बैठकर पृथ्वी अवनि की किताब को जोड़ता रहा और उसके बाद वही सोफे पर सो गया। डोरबेल बजी तो उसकी आँख खुली वह उठा और आकर दरवाजा खोला। अपने सामने खड़े नकुल को देखकर अलसाये स्वर में कहा,”तुम सुबह सुबह यहाँ क्या कर रहे हो ?”
“लगता है तुम्हारी नींद अभी उडी नहीं है , तुमने ही रात में फ़ोन करके सुबह मुझसे घर आने को कहा था , बताओ मुझे क्यों बुलाया ?”,नकुल ने गुस्से से कहा
“अह्ह्ह्ह हां ! तुम बाहर क्यों खड़े हो अंदर आओ ना”,कहते हुए पृथ्वी नकुल को अंदर ले आया और पैर मारकर दरवाजा भी बंद कर दिया
“तुम्हे तुम्हारी वो किताब मिल गयी ?”,पृथ्वी ने पूछा
“कहा यार ? सब जगह ढूंढ ली लगता है मैंने उसे खो दिया,,,,,,,,,!!”,नकुल ने उदास होकर कहा
“मैं तुम्हे बता सकता हूँ वो किताब कहा है ?”,पृथ्वी ने कहा
“सच ? बताओ ना कहा है ? इसका मतलब तुमने उसे देखा है , क्या वो तुम्हारे पास है ?”,नकुल ने खुश होकर कहा
“एक मिनिट मैंने ये नहीं कहा वो मेरे पास है , मैंने उसे देखा है और ये मैं तुम्हे बता सकता हूँ लेकिन,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने बात अधूरी छोड़ दी
“लेकिन ?”,नकुल ने हैरानी से पूछा क्योकि उसे पृथ्वी के लेकिन में गड़बड़ लग रही थी
“लेकिन उस से पहले तुम्हे ये घर साफ करना होगा”,पृथ्वी ने कहा
“तू वेडा आहेस का? मी ते करणार नाही ( तुम पागल हो गए हो क्या ? मैं ऐसा नहीं करूँगा )”,नकुल ने चिढ़े हुए स्वर में कहा
“तो फिर उस किताब को भूल जाओ”,पृथ्वी ने टका सा जवाब दे दिया
“तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो और ये घर तुम्हारा है तुम इसे साफ़ क्यों नहीं करते ?”,नकुल ने कहा
“क्योकि मुझे बोरिंग लगता है , झाड़ू वहा रखा है शुरू हो जाओ तब तक मैं तुम्हारे और अपने लिए बढ़िया चाय बनाकर लाता हूँ”,पृथ्वी ने कहा
“तुम्हे लगता है तुम मुझसे ये करवा लोगे ?”,नकुल ने चिल्लाकर गुस्से से कहा क्योकि तब तक पृथ्वी किचन में जा चुका था।
पृथ्वी किचन से बाहर झांका और कहा,”ठीक है फिर मैं रिया को फोन करके कह देता हूँ कि तुम किसी फीमेल राइटर की किताब के पीछे कुछ ज्यादा ही पागल हो रहे हो और उसे इंटरनेट पर ढूंढने की बाते कर रहे हो , साथ ही मैं उसे ये भी बता देता हूँ कि बनारस में तुम किसी लड़की की तारीफ भी कर रहे थे”
नकुल ने गुस्से से पृथ्वी को देखा तो पृथ्वी मुस्कुराया और कहा,”अब जल्दी करो आई किसी भी वक्त यहाँ आती होगी”
नकुल फंस चुका था उसके पास पृथ्वी की बात मानने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं था , उसने झाड़ू उठाई और सफाई करने लगा।
पृथ्वी दोनों के लिए चाय और ब्रेड बटर लेकर आया तो हॉल को साफ़ सुथरा देखकर हैरान रह गया। उसने चाय के कप और प्लेट टेबल पर रखा। नकुल सब साफ़ सफाई करके पृथ्वी की तरफ आया तो पृथ्वी ने कहा,”भाई क्या सफाई की है तूने , अगर तू लड़की होता ना मैं पक्का तुझ से ही शादी करता”
नकुल ने सुना तो कहा,”अब बताओ वो किताब कहा है ?”
“मैंने उस किताब को 2nd AC की सीट नंबर 13 पर देखा था,,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने ब्रेड उठाकर खाते हुए कहा
“ओह्ह्ह हाँ थैंक्स,,,,,,,!!”,कहकर नकुल जैसे ही आगे बढ़ा उसे कुछ याद आया और उसने पृथ्वी की तरफ पलटकर कहा,”लेकिन ये तो ट्रेन का सीट नंबर है”
“हाँ तो मैंने उसे वही देखा था”,पृथ्वी ने दुसरा ब्रेड नकुल की तरफ बढाकर कहा। नकुल गुस्से से पृथ्वी को घूरने लगा तो पृथ्वी ने कहा,”जाने दे ना एक किताब के लिए क्या इतना परेशान होना,,,,,,,,,तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है”
नकुल ने ये सोचकर सब्र कर लिया कि वह किताब उसके हाथ से जा चुकी है , उसने ब्रेड का एक टुकड़ा खाया और चाय का कप उठाकर पीने लगा। चाय पीते हुए उसने कहा,”इस संडे मैच है तू आएगा ना ?”
“हाँ आ जाऊंगा , वैसे भी आज शाम मैं नया बेट लेने जा रहा हूँ संडे को उसी से मैच खेलेंगे”,पृथ्वी ने खुश होकर कहा
“तुझे क्रिकेट इतना पसंद है , तूने कभी अकेडमी ज्वाइन करने का क्यों नहीं सोचा ?”,नकुल ने पूछा
“अह्ह्ह्ह बस ऐसे ही,,,,,,,,,,पृथ्वी ने कहा जबकि सिर्फ वह जानता था कि छोटी सी उम्र में उसने जिम्मेदारियों का हाथ थाम लिया था। अब तो वह बस शौक के लिए क्रिकेट खेलता था।
पृथ्वी ने दरवाजा लॉक नहीं किया था इसलिए लता अंदर आयी और उनके पीछे लक्षित भी , और ये साफ़ था कि पृथ्वी के साथ मांडवली करने के बाद भी लक्षित ने उसकी शिकायत लता से कर दी लेकिन यहाँ मुसीबत लक्षित ही पर ही आ पड़ी जब लता ने साफ सुथरा घर देखकर उसका कान पकड़ा और मरोड़कर कहा,”तुम्हे कहा से ये घर गंदा लग रहा है बताना जरा”
“क्या हुआ आई आप यहाँ ?”,पृथ्वी ने लता के सामने मासूम बनकर कहा
“कुछ नहीं पृथ्वी मैं तो बस ऐसे ही,,,,,,तुम रात में घर नहीं आये तो तुम्हे देखने चली आयी। तुम घर आ रहे हो ना ? मैं चलकर तुम्हारे लिए टिफिन बना देती हूँ”,कहते हुए लता लक्षित का कान पकडे पकडे ही उसे वहा से ले गयी। लक्षित ने पलटकर पृथ्वी को घुरा तो हाथ ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ अपना हाथ हिला दिया साथ ही नकुल ने भी क्योकि आखिर वो पृथ्वी का अच्छा दोस्त जो था।
वीमेन हॉस्टल , सिरोही
सुबह अवनि जल्दी उठ गयी। उसने अपना फोन देखा तो विश्वास जी का मिस्डकॉल देखकर ख़ुशी से उसका दिल धड़कने लगा। अवनि ने जल्दी से विश्वास जी का नंबर डायल किया और कान से लगा लिया। उसके हाथ काँप रहे थे और होंठो पर हंसी के साथ आँखों में नमी थी। पुरे दो महीने बाद विश्वास जी ने उसे फोन किया था। जैसे जैसे रिंग जा रही थी अवनि का दिल धड़क रहा था। कुछ देर बाद विश्वास जी ने फोन उठाया तो अवनि ने काँपती आवाज में कहा,”हेलो हेलो पापा , आपने , आपने कार रात मुझे फ़ोन किया था।
फ़ोन साइलेंट पर था और मैं सो गयी थी इसलिए आपका फोन नहीं उठा पायी। आपने मुझे फोन किया था”
अवनि की बात सुनकर विश्वास जी ने कठोरता से कहा,”गलती से लग गया था”
अवनि ने सुना तो उसका दिल टूट गया। विश्वास जी का फोन आया देखकर वह खुश हो रही थी और उनके इतना कहते ही उसकी आँखों में भरे आँसू गालों पर बह गए। अवनि कुछ कहती इस से पहले विश्वास जी ने फोन काट दिया और अवनि फफक कर रो पड़ी।
( क्या विश्वास जी ने जान-बूझकर किया है अवनि को खुद से दूर ? क्या पृथ्वी के मन में जागने लगी है अवनि के लिए भावनाये ? क्या विश्वास जी के इस फोन कॉल के बाद अवनि सम्हाल पायेगी खुद को ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल


सुबह अवनि जल्दी उठ गयी। उसने अपना फोन देखा तो विश्वास जी का मिस्डकॉल देखकर ख़ुशी से उसका दिल धड़कने लगा। अवनि ने जल्दी से विश्वास जी का नंबर डायल किया और कान से लगा लिया। उसके हाथ काँप रहे थे और होंठो पर हंसी के साथ आँखों में नमी थी। पुरे दो महीने बाद विश्वास जी ने उसे फोन किया था। जैसे जैसे रिंग जा रही थी अवनि का दिल धड़क रहा था। कुछ देर बाद विश्वास जी ने फोन उठाया तो अवनि ने काँपती आवाज में कहा,”हेलो हेलो पापा , आपने , आपने कार रात मुझे फ़ोन किया था। फ़ोन साइलेंट पर था और मैं सो गयी थी इसलिए आपका फोन नहीं उठा पायी। आपने मुझे फोन किया था”
सुबह अवनि जल्दी उठ गयी। उसने अपना फोन देखा तो विश्वास जी का मिस्डकॉल देखकर ख़ुशी से उसका दिल धड़कने लगा। अवनि ने जल्दी से विश्वास जी का नंबर डायल किया और कान से लगा लिया। उसके हाथ काँप रहे थे और होंठो पर हंसी के साथ आँखों में नमी थी। पुरे दो महीने बाद विश्वास जी ने उसे फोन किया था। जैसे जैसे रिंग जा रही थी अवनि का दिल धड़क रहा था। कुछ देर बाद विश्वास जी ने फोन उठाया तो अवनि ने काँपती आवाज में कहा,”हेलो हेलो पापा , आपने , आपने कार रात मुझे फ़ोन किया था। फ़ोन साइलेंट पर था और मैं सो गयी थी इसलिए आपका फोन नहीं उठा पायी। आपने मुझे फोन किया था”
सुबह अवनि जल्दी उठ गयी। उसने अपना फोन देखा तो विश्वास जी का मिस्डकॉल देखकर ख़ुशी से उसका दिल धड़कने लगा। अवनि ने जल्दी से विश्वास जी का नंबर डायल किया और कान से लगा लिया। उसके हाथ काँप रहे थे और होंठो पर हंसी के साथ आँखों में नमी थी। पुरे दो महीने बाद विश्वास जी ने उसे फोन किया था। जैसे जैसे रिंग जा रही थी अवनि का दिल धड़क रहा था। कुछ देर बाद विश्वास जी ने फोन उठाया तो अवनि ने काँपती आवाज में कहा,”हेलो हेलो पापा , आपने , आपने कार रात मुझे फ़ोन किया था। फ़ोन साइलेंट पर था और मैं सो गयी थी इसलिए आपका फोन नहीं उठा पायी। आपने मुझे फोन किया था”
Vishwas ji ko esa nhi Krna chahiye tha….ek pal ki khushi mili thi ko, jo dusre hee pal uske papa ne usse cheen lee … mujhe lagta hai ki Vishwas ji ne janbujhkar ohi kaata, jis se Avni unki udass aawaz na sun le…khar aaj Avni pure din udaas rhegi…lakin Siddharth usko jaldi khush kar dega… ghar kiraye pe dilwakar…aur shayad yahi se suru ho Avni aur Siddarth ki love story… waiting for Prithvi…