Pasandida Aurat – 35

Pasandida Aurat – 35

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सिद्धार्थ को अपनी लिखी किताब देकर अवनि हॉस्टल के अंदर चली आयी। उसने रिसेप्शन पर एंट्री की और अपने कमरे में चली आयी। अवनि ने कबर्ड से कपडे निकाले और बदलकर अपने बालों को समेट लिया। बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धोया और तौलिये से मुँह पोछते हुए बाहर चली आयी। उसने खिड़की पर लगे पर्दो को हटाया तो सर्दी की कुछ सुहावनी धूप कमरे के अंदर चली आयी। अवनि ने टेबल के पास पड़ी कुर्सी को धूप में खिसकाया और उस पर आ बैठी। सुहावनी धूप अवनि के चेहरे पर गिर रही थी

अवनि ने अपनी आँखे मुंद ली और अपना सर पीछे झुका लिया। उसे यहाँ बैठना अच्छा लग रहा था। अवनि ने जैसे ही आँखे मुंदी सिद्धार्थ की बातें उसे याद आने लगी। उसकी गहरी आँखे , उसका बात बात पर मुस्कुराना , उसके बात करने का तरिका , उसका अवनि की आँखों में झांकना , सब अवनि के मन को गुदगुदा रहा था। आज से पहले उसके साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था। आज की मुलाकात के बाद अवनि का मन सिद्धार्थ की तरफ खींचने लगा था , वह सिद्धार्थ से पहली महादेव की नगरी में मिली थी ,

दूसरी बार अपने प्रिय हनुमान जी के मंदिर में और तीसरी मुलाकात भी महादेव के मंदिर हुई थी और तीसरी मुलाकात तो ऐसी थी जिसके बाद अवनि को लगा जैसे महादेव ने खुद सिद्धार्थ को उसकी जिंदगी में भेजा हो। आँखे मूँदे अवनि मंद मंद मुस्कुराने लगी। अवनि काफी देर तक वही बैठी रही। सूरज ढलने लगा था और धूप भी अवनि के चेहरे से ढलने लगी। वह उठी और स्वेटर पहनकर अपनी स्टडी टेबल पर आ बैठी और लेपटॉप ऑन किया।

इन दिनों वह नयी किताब पर काम कर रही थी लेकिन बैंक की नौकरी और बाकि दूसरे कामो में उसे इतना वक्त ही नहीं मिल पाता कि वह अपने सपनो को वक्त दे सके।
अवनि लेपटॉप पर अपना काम कर ही रही थी कि तभी उसका फोन बजा उसने देखा फोन सुरभि का है तो अवनि ने फोन उठाकर कान से लगाया और कहा,”कब पहुंची ?”


“बस थोड़ी देर पहले ही फ्रेश होकर सबसे पहले तुझे ही फोन किया है। तुम ठीक तो हो ना कही मेरे जाने के दुःख में आँसू ही बहाती रहो और मुझे मिस करती रहो”,दूसरी तरफ से सुरभि ने कहा
“अच्छा ! तुमसे किसने कहा मैं तुम्हे मिस करुँगी , बल्कि मैं तो आज बहुत खुश हूँ”,अवनि ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा
“और इस ख़ुशी की क्या वजह है ये बताने कष्ट करेंगी आप अवनि मैडम ?”,सुरभि ने नाटकीय स्वर में कहा तो अवनि हंस पड़ी


“अच्छा सुनो ! तुम्हारे जाने के बाद मैं सिरोही के फेमस शिव मंदिर “सारणेश्वर महादेव मंदिर” गयी थी और पता है वहा मुझे वहा कौन मिला ?”,अवनि ने कहा
“कौन मिला ?”,सुरभि ने पूछा
“अरे वो लड़का जिसके बारे में मैंने तुम्हे बनारस में बताया था , आज अगर उसने सही वक्त पर मुझे नहीं सम्हाला होता तो मैं तो मर ही चुकी होती”,कहकर अवनि ने सुरभि को मंदिर वाली घटना के बारे में बताया तो एक बार के लिए सुरभि का दिल भी बैठ गया और उसने कहा,”महादेव का शुक्रिया अवनि जो तुम सही सलामत हो और भला हो उस लड़के का जिसने तुम्हे बचाया। तुमने उसे थैंक्यू तो कहा ना ?”


“थैंक्यू ! अरे वो मुझे हॉस्टल तक छोड़ने आया था”,अवनि ने अपना लेपटॉप बंद करके कहा
“क्या बात है अवनि एक ही मुलाकात में वो तुम्हारा इतना दीवाना हो गया , वैसे उसका नाम क्या है ? उसकी कोई तस्वीर है तो भेजो ना मुझे भी देखना है तुम्हारी पसंद कैसी है ?”,सुरभि ने ख़ुशी से चहक कर कहा


“वो मेरी कोई पसंद नहीं है बस अच्छा लड़का है और पहली नहीं ये हमारी तीसरी मुलाकात थी और वो कोई मेरा दीवाना नहीं बना। उसने बताया उसका घर इसी तरफ है,,,,,,!!”,अवनि ने झूठ मुठ का नाराज होकर कहा जबकि उसके उसे भी मीठी मीठी चुभन का अहसास हो रहा था
“अच्छा छोडो ये सब उसका नाम क्या है ?”,सुरभि ने पूछा
“सिद्धार्थ,,,,,,,,,सिद्धार्थ माथुर”,अवनि ने एक पोज लेकर कहा जैसे उसका नाम लेते हुए वह उसी के बारे में सोच रही हो

“नाम तो बड़ा प्यारा है पर एक प्रॉब्लम है”,सुरभि ने कहा
“कैसी प्रॉब्लम ?”,अवनि ने पूछा
“अदर कास्ट है , बट नो प्रॉब्लम अंकल को मैं मना लुंगी”,सुरभि ने अवनि को चिढ़ाते हुए कहा
“सुरभि की बच्ची जाओ मुझे तुम से बात नहीं करनी,,,,,,,!!”,अवनि ने गुस्सा होकर कहा
“अच्छा बाबा सॉरी ! मैं बस मजाक कर रही थी। वैसे लड़को का कोई भरोसा नहीं है शुरू शुरू में सब बहुत ज्यादा अच्छे बनने की कोशिश करते। वो तुम्हे हॉस्टल ड्राप करने आया था पक्का रास्ते में उसने तेरे साथ फ्लर्ट किया होगा”,सुरभि ने कहा


“नहीं उसने ऐसा कुछ नहीं किया , वह पुरे रस्ते मुझे अपने काम और अपनी पढ़ाई के बारे में बता रहा था”,अवनि ने कहा
“अच्छा ! हॉस्टल छोड़ने के बाद उसने तुझे कॉफी या लंच पर मिलने के लिए तो जरूर कहा होगा ?”,सुरभि ने पूछा
“नहीं,,,,,,,,!!”,अवनि ने मुस्कुरा कर कहा
“हाह ! क्या सच में ? जाने से पहले तेरा नंबर तो उसने जरूर मांगा होगा , ये मौका तो कोई लड़का नहीं छोड़ेगा”,सुरभि ने आत्मविश्वास से भरकर कहा


“जी नहीं बल्कि उसने मुझे अपना कार्ड दिया और कहा कि जब भी मुझे उसकी जरूरत हो तो मैं उसे फोन कर सकती हूँ”,अवनि ने टेबल पर रखे सिद्धार्थ के कार्ड को उठाकर देखते हुए कहा
“कमाल है ! फिर तो पक्का इस लड़के को महादेव ने ही तुम्हारी जिंदगी में भेजा है अवनि , तो अब तुम क्या करने वाली हो ?”,सुरभि ने पूछा
“क्या करने वाली हो मतलब ?”,अवनि ने पूछा
“अरे मतलब तुम्हे उस से मिलना चाहिए , उसे फोन करो थोड़ी जान पहचान बढ़ाओ यार,,,,,,,,,मुझे तो लग रहा है तुम्हारी जिंदगी में राइट इंसान की एंट्री हो चुकी है अवनि”,सुरभि ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा


“ओह्ह्ह सुरभि बस करो , तुम बहुत आगे की सोच रही हो। फिलहाल मुझे थोड़ा काम है हम इस बारे में बाद में बात करेंगे”,अवनि ने कहा
“हाँ ठीक है मुझे भी बाहर जाना है , आज अनिकेत का बर्थडे है और उसने अपने घर में छोटी सी पार्टी रखी है तो सब दोस्त जा रहे है”,सुरभि ने कहा


“अच्छा बेटा ! इसलिए तुम सिरोही में रुकना नहीं चाह रही थी,,,,,,,,,,,,ठीक है तुम्हारी क्लास तो मैं बाद में लुंगी। अनिकेत को मेरी तरफ से भी विश कर देना , अब मैं रखती हूँ अपना ख्याल रखना”,अवनि ने कहा
“तुम भी अपना ख्याल रखना , बाय”,सुरभि ने कहा और फ़ोन काट दिया  

सुख विलास , सेक्टर 14 , उदयपुर
सुबह के घर से निकले विश्वास जी शाम में घर आये। मीनाक्षी और सीमा रसोईघर में थी और रात का खाना बना रही थी। नितिन और अंशु हॉल में सोफे पर बैठे अपना होमवर्क कर रहे थे। वही सोफे पर बैठी सलोनी भी पढाई कर रही थी। कौशल जी अभी ऑफिस से आये नहीं थे और मयंक इन दिनों देर रात ऑफिस से आता था। विश्वास जी हॉल में आये और नितिन का सर सहलाकर कहा,”कैसी चल रही है तुम्हारी पढाई नितिन ?”
“अच्छी चल रही है ताऊजी , आप कहा गए थे मैं स्कूल से आया तब पुरे घर में आपको ढूंढ लिया लेकिन आप कही मिले ही नहीं”,नितिन ने मासूमियत से कहा


“अच्छा तुम मुझे क्यों ढूंढ रहे थे ?”,विश्वास जी ने पूछा
“अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाने के लिए , आज मुझे पूरी क्लास में सबसे ज्यादा नंबर मिले है”,नितिन ने खुश होकर अपना रिपोर्ट कार्ड बैग से निकाला और विश्वास जी के सामने कर दिया। विश्वास जी ने रिपोर्ट कार्ड लिया और देखकर कहा,”अरे वाह ! तुमने तो कमाल कर दिया , अहम्म्म्म्म ये तुम्हारे लिए चॉकलेट खा लेना”
“थैंक्यू ताऊजी”,नितिन ने विश्वास जी के हाथ से 10 रूपये का नोट लेकर कहा
“और मुझे ?”,छोटी अंशु ने विश्वास जी के सामने आकर कहा


विश्वास जी ने अपनी जेब से एक नोट और निकाला और अंशु को देकर कहा,”ये तुम रखो”
“येहहहह”,अंशु ने दस का नोट लिया और ख़ुशी से सोफे पर कूदने लगी।  विश्वास जी सोफे पर आ बैठे और सलोनी से कहा,”सलोनी बेटा ! जरा मेरे लिए एक कप चाय तो ले आना”
“ताऊजी आप देख रहे है ना मैं पढ़ाई कर रही हूँ , आप मम्मी से कह दीजिये ना”,सलोनी ने किताब में नजरे गड़ाए कहा।

विश्वास जी को सलोनी का इस तरह से जवाब देना अच्छा नहीं लगा लेकिन घर के बच्चो को डाटने का हक़ उन्हें नहीं था। नितिन ने विश्वास जी की तरफ देखा और कहा,”ताऊजी मैं लेकर आता हूँ”
“ठीक है बेटा , मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ वही ले आना”,कहकर विश्वास जी चले गए।

रसोई में खड़ी सीमा और मीनाक्षी ये नजारा देख रही थी और मीनाक्षी ने मुंह बनाकर कहा,”देखा जीजी बच्चो को 10 रूपये का नोट देकर बहला दिया और जब इन्होने दूकान
के लिए पैसे मांगे तो भाईसाहब ने हाथ खड़े कर दिए”
“अरे पिछले महीने इनकी सैलरी नहीं आयी थी तब कार्तिक के कॉलेज की फीस के लिए पैसे माँगे तब भी कहा दिए,,,,,,,,,फिर कहते है जॉइंट फॅमिली है सब मिल जुल कर रहे तो अच्छा है,,,,,,,!!”,सीमा ने कहा


“मम्मी ताऊजी के लिए एक कप चाय बना दो”,नितिन ने रसोई में आकर कहा
“लो , आ गया ताऊजी का चमचा,,,,,,,मीनाक्षी दाल बन गयी हो तो उसे उतार कर गैस पर चाय चढ़ा दो , ये भी ऑफिस से आते ही होंगे दो कप चढ़ा देना”,सीमा ने कहा और सलाद काटने लगी।
“ये भाईसाहब भी ना , वक्त बेवक्त तो इन्हे चाय चाहिए। चढाती हूँ”,कहकर मीनाक्षी ने भगोना गैस पर चढ़ा दिया और चाय बनाने लगी।

विश्वास जी अपने कमरे में चले आये , घर में इतने लोग थे लेकिन उनके कमरे की लाइट किसी ने चालू नहीं की , कमरा अँधेरे में डूबा था। विश्वास जी को याद आया अवनि जब इस घर में थी तब उनका ये कमरा कितना साफ सुथरा और जिंदादिल नजर आता था। शाम होते होते कमरे की लाइट जल जाती और इसके किसी कोने में वह हर शाम सुगंध वाली धूपबत्ती जलाकर छोड़ दिया करती थी जिस से कमरा महक उठता था लेकिन अब ऐसा नहीं होता था। सफाई वाली सुबह आकर पुरे घर के साथ इस कमरे की भी सफाई करके चली जाती थी।

पिछले दो महीने से ना कमरे की बेडशीट बदली गयी थी , न ही परदे , खिड़कियों में धूल जम गयी थी कमरा वीरान नजर आता था। विश्वास जी ने लाइट जलाई तो कमरा रौशनी से भर गया। विश्वास जी आराम कुर्सी पर आ बैठे और चाय का इंतजार करने लगे।  

 कुछ देर बाद कौशल जी हाथ में चाय का कप लिए विश्वास जी के कमरे में आये।
“भाईसाहब ! आपकी चाय”,कौशल ने चाय का कप विश्वास जी के बगल में पड़ी छोटी सी गोल टेबल पर रखकर कहा
“अरे कौशल तुम चाय लेकर आये हो , नितिन से कहा होता वो रख जाता”,विश्वास जी ने आँखों पर लगा चश्मा उतारकर उसी टेबल पर कप से कुछ दूर रखकर कहा और चाय का कप उठाकर पीने लगे।


“मुझे आपसे कुछ बात भी करनी थी इसलिए मैं ही चला आया”,कौशल ने कहा
“हाँ कहो क्या बात है ?”,विश्वास जी ने चाय का घूंठ भरकर कहा
“भाईसाहब आप तो जानते ही है कि अगले साल दीपिका का कॉलेज पूरा हो जाएगा और मैंने अभी से उसकी शादी के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया है। जो पैसे मैंने बचाये है उन्हें दीपिका की शादी के लिए सम्हालकर रखा है।

वही कार्तिक चाहता है कि वह दिल्ली जाकर आई आई टी करे,,,,,,,,,,,!!”,कौशल ने इतना ही कहा तो विश्वास जी उनकी तरफ देखने लगे और कौशल जी ने कहा,”नहीं नहीं मैं आपसे पैसे की मदद नहीं मांग रहा हूँ , मैंने बैंक में बात कर ली है वो मुझे लोन देने के लिए तैयार है बस आप हाँ कर दे तो मेरे लिए आसान हो जाएगा”
“इसमें मेरी हाँ की क्या जरूरत है ? लोन तुम ले रहे हो चुकाना तुम्हे है”,विश्वास जी ने कहा


“हाँ भाईसाहब ! पूरा लोन मैं ही चुकाऊंगा लेकिन लोन इस घर पर,,,,,,,,,!!”,कौशल ने इतना ही कहा कि गुस्से से विश्वास जी की भँवे तन गयी और उन्होंने कहा,”कौशल ! ये क्या कह रहे हो तुम ? पिताजी की जायदाद में जो बटवारा हुआ उसका आधा आधा हिस्सा तुम और मयंक पहले ही ले चुके हो , ये घर मैंने अपनी मेहनत से खड़ा किया है और मेरे बाद ये घर अवनि सिर्फ अवनि का है। मैंने तुम सबको यहाँ रहने दिया क्या वो काफी नहीं है जो अब तुम इस घर पर लोन लेने की बाते कर रहे हो,,,,,,,,,मुझे तुम से ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कौशल”


विश्वास जी की फटकार सुनकर कौशल ने सर झुका लिया और कहा,”आप मुझे गलत समझ रहे है भाईसाहब , मैं तो बस,,,,,,,,,,,,,!!”
“तुम तो बस क्या कौशल ? तुम सरकारी दफ्तर में हो , इस घर का सारा खर्च मैं उठाता हूँ तुम सब से एक पैसा नहीं लेता इसके बाद तुम्हारे पैसे कहा बर्बाद हो रहे है। तुम्हे जो करना है करो लेकिन मैं तुम्हे इस घर पर लोन लेने नहीं दूंगा समझे”,विश्वास जी ने कहा और गुस्से में वहा से निकल गए।

आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
पृथ्वी रात का खाना खाकर सीधा अपने फ्लेट पर चला आया। वह काफी थका हुआ महसूस कर रहा था इसलिए बाथरूम में आया और गीजर ऑन कर दिया। उसने गर्म पानी का एक शॉवर लिया और कमरे में चला आया। उसने शार्ट पहना , उस पर टीशर्ट पहनी और पतला हुड्डी डाल लिया। अपने गीले बालों को पोछते हुए वह अपनी पसंदीदा जगह चला आया। उसके फ्लेट की बालकनी जहा खड़े होकर वह अच्छा महसूस करता था क्योकि वहा से उसे आस पास की सभी बिल्डिंग्स , सामने फैला खुला मैदान

खुला आसमान और उसमे चमकता चाँद जो दिखाई देता था। मुंबई में हलकी ठंड होती है पर आज शाम बारिश हुई थी इसलिए ठंड थोड़ी बढ़ गयी और पृथ्वी को हुड्डी पहननी पड़ी। बारिश के बाद आती सौंधी सौंधी खुशबू , ठंडी हवाएं और रात का वक्त देखकर पृथ्वी को चाय पीने की तलब होने लगी उसने हाथ में पकड़ा गीला तौलिया वही सोफे पर रखा और किचन में चला आया। उसने बढ़िया कड़क अदरक वाली चाय बनाई और मग में लेकर एक बार फिर बालकनी में चला आया। चाय का गर्म घूंठ जैसे ही उसके गले से नीचे उतरा उसने राहत महसूस की।

पृथ्वी वही खड़े होकर चाय पीने लगा तो उसकी नजर बालकनी में फैले सामान पर गयी। उसने नजर पसार कर देखा बालकनी में हर जगह कचरा फैला था , पृथ्वी ने पलटकर घर को देखा तो पूरा घर उसे अस्त व्यस्त नजर आया। दो हफ्ते पहले उसने खुद से कहा था कि वह अपने घर की सफाई करेगा लेकिन उसे टाइम ही नहीं मिला और इस पुरे हफ्ते उसके पास फिर टाइम नहीं था इसलिए उसने फ्लेट की सफाई को इस वीकेंड पर डाल दिया।

चाय पीते हुए पृथ्वी बनरास में बिताये वक्त के बारे में सोचने लगा और अगले ही पल उसे खुद पर हंसी आयी। वह बनारस ना जाने के लिए नकुल पर कितना बिगड़ रहा था और बनारस से आने के बाद वह खुद बनारस की यादों से निकल नहीं पा रहा था। बनारस के साथ ही उसे फिर ख्याल आया अवनि का , ऑफिस में उसने अवनि की तस्वीर की एक झलक देखी थी और लेपटॉप बंद कर दिया था

पृथ्वी ने अपनी चाय खत्म की और कमरे में चला आया। उसने अपना फोन उठाया और गूगल पर “अवनि मलिक” का नाम सर्च किया। एक बार फिर अवनि की लिखी कहानियो का प्रोफइल पृथ्वी की आँखों के सामने था। पृथ्वी के सामने अवनि की लिखी दो लाइन आयी जिन्हे पढ़कर पृथ्वी की नजरे उस पर जम गयी
“कभी जो देखो उसे घर संवारते अपना , तुम चाहोगे वो लड़की तुम्हारी जिंदगी संवार दे”
इन लाइन्स को पढ़कर पृथ्वी की नजर सहसा ही अपने बिखरे घर पर चली गयी वह हैरान था कि किसी के लिखे ख्याल उसकी जिंदगी की हकीकत थे

( क्या सिद्धार्थ जीत पायेगा अवनि का दिल ? क्या विश्वास जी जान पाएंगे अपने भाईयो की हकीकत ? क्या पृथ्वी पढ़ेगा अवनि की लिखी किताबें ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल

Pasandida Aurat
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