Pasandida Aurat – 33

Pasandida Aurat – 33

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सुरभि की ट्रेन सिरोही स्टेशन से निकल गयी। सीट पर बैठी सुरभि की आँखों में आँसु थे और वह मन ही मन खुद से कहने लगी,”कौशल चाचा की मदद लेने से मैंने तुम्हे मन किया अवनि क्योकि तुम उनकी सच्चाई नहीं जानती , बाकि सब घरवालो की तरह वो भी तुम से नफरत करते है और तुम से पीछा छुड़ाना चाहते थे इसलिए तो उन्होंने तुम्हारी उस घर से निकलने में मदद की , बनारस से लौटने के बाद तुम कितना खुश हो अवनि और मैं तुम्हे ये सब बताकर तुम्हारी खुशिया छीनना नहीं चाहती।

मुझे माफ़ करना अवनि पहली बार मैंने तुम से से कुछ छुपाया है। मैं चाहती भी नहीं ये सच कभी तुम्हारे सामने आये वरना फिर तुम्हारा दिल टूट जाएगा और अब मैं फिर से तुम्हरा दिल टूटते नहीं देख सकती। तुमने बनारस में महादेव से चाहे जो मांगा हो पर इस बार हर मंदिर हर घाट पर मैंने बस एक ही प्रार्थना की है अवनि कि तुम्हारी जिंदगी में अब कोई ऐसा आये जो तुम्हे इन झूठ , फरेब , धोखेबाज लोगो से दूर ले जाए। जो तुम्हे इतना प्यार दे कि तुम अपनी जिंदगी का हर दर्द भूल जाओ ,

 वो एक अकेला इंसान तुम्हारी जिंदगी उस हर इंसान की कमी पूरी कर दे जो अपने मतलब के लिए तुम से जुड़े है। मुझे यकीन है अवनि महादेव तुम्हारी जिंदगी में ऐसे इंसान को जरूर भेजेंगे,,,,,,,!”
सोचते हुए सुरभि की आँखों में भरे आँसू कब उसके गालों पर लुढ़क आये उसे पता ही नहीं चला। सामने बैठे लोगो को जब उसने अपनी ओर देखते पाया तो उसकी तन्द्रा टूटी और उसने अपने आँसू पोछ लिये , अपना ध्यान इन सब बातो पर से हटाने के लिए सुरभि ने अपने फोन में कोई सीरीज चलाई और ईयर फ़ोन कानो में लगाकर देखने लगी।

सुख विलास , उदयपुर
कौशल , मयंक , सीमा और मीनाक्षी चारो कौशल के कमरे में बैठे चाय पीते हुए बाते कर रहे थे। दीपिका अपने कॉलेज तो सलोनी अपने कोचिंग में थी। अंशु और नितिन अपने अपने स्कूल और कार्तिक आज कॉलेज ना जाकर घर पर ही था और अपने कमरे में था। विश्वास जी अपने कमरे में थे और सुबह से 4 बार वे बाहर आकर देख चुके थे लेकिन ना तो डायनिंग पर अभी तक नाश्ता लगा था ना ही कोई उन्हें नाश्ते के लिए कहने आया। भूख से विश्वास जी का पेट कुलबुला रहा था।

घर के बड़े होने और सीमा मीनाक्षी के जेठ होने की वजह से वे खुद भी रसोईघर में नहीं जा सकते थे।
जब तक अवनि इस घर में थी विश्वास का हर काम वह कर दिया करती थी , उनके खाने से लेकर उनकी दवाईयों तक सब ख्याल रखती थी लेकिन अब अवनि यहाँ नहीं थी और विश्वास जी को घर के बाकी लोगो पर निर्भर रहना पड़ता था और घर के बाकि लोग अवनि नहीं थे , वे जब उन्हें याद आता तब विश्वास जी का नाश्ता , खाना उनके कमरे में भिजवा देते। अवनि का ख्याल आते ही उनका मन भारी हो गया और वे अपने कमरे में चले आये।

उन्होंने जग से गिलास में पानी भरा और एक घुठ पीया लेकिन पानी से भला भूख कम होती है क्या ? भूख से बेहाल विश्वास जी से जब रहा नहीं गया तो वे हॉल में आये और थोड़ा ऊँची आवाज में कहा,”नितिन , नितिन , अरे भई ज़रा अपनी माँ से पूछना आज नाश्ता मिलेगा या नहीं ?”
“ये भाईसाहब क्यों चिल्ला रहे है ? सीमा क्या उन्हें आज नाश्ता नहीं मिला ?”,कौशल ने पूछा
“मैंने तो मीनाक्षी से कहा था”,सीमा ने कहा


“मीनाक्षी ?”,कौशल ने मीनाक्षी की तरफ देखकर कहा
“मैं भूल गयी , सुबह सुबह बच्चो का टिफिन बनाने के चलते याद नहीं रहा”,मीनाक्षी ने टका सा जवाब दे दिया
“हद करती हो मीनाक्षी , भाईसाहब ने सुबह से कुछ खाया नहीं है और हम सब यहाँ बैठकर चाय-नाश्ता कर रहे है”,मयंक ने कहा
“तो क्या हुआ ? एक दिन थोड़ा देर से खा लेंगे तो मर नहीं जायेंगे,,,,,,,,अरे घर में इतने सारे काम होते है अब क्या दिनभर उनकी खातिरदारी में लगे रहे”,मीनाक्षी ने गुस्से से कहा,

उसकी आवाज इतनी तेज थी कि बाहर हॉल में खड़े विश्वास जी के कानो में जब ये बात पड़ी तो वे चुपचाप वहा से बाहर चले गए।
“मीनाक्षी,,,,,,,,,!!”,मयंक ने गुस्से से कहा
“मयंक ! क्या गलत कहा मीनाक्षी ने ? घर में इतने काम होते है भूल गयी होगी और भाईसाहब को तो शुगर की वजह से हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाने की आदत है। सीमा जाओ जाकर उन्हें नाश्ता दे दो”,कौशल चाचा ने कहा तो सीमा वहा से चली गयी।

मीनाक्षी पर जैसे किसी बात का कोई असर ही नहीं हुआ उसने सामने पड़ा बिस्किट उठाया और खाने लगी। मयंक ने एक नजर उसे देखा और अपने बड़े भाई से कहा,”भैया ! आपने इस घर को लेकर भाईसाहब से बात की ? मैं एक हफ्ते बाद नौकरी छोड़ रहा हूँ और उसके बाद मैं फैक्ट्री डालूंगा उसके लिए कम से 20 लाख की जरूरत पड़ेगी। मेरे पास कुछ सेविंग्स है लेकिन एक साथ इतनी बड़ी रकम कहा से लाऊंगा अगर भाईसाहब इस घर पर लॉन लेने के लिए राजी हो जाये तो मेरा काम बन जाएगा”


“भूलो मत मयंक भाईसाहब इसके लिए कभी नहीं मानेंगे ! ये घर उन्होंने अपनी मेहनत से बनाया है। उनके जीते जी इस घर पर सिर्फ उनका अधिकार है और उनके मरने के बाद “अवनि” का , इस घर की एक ईंट पर भी हमारा अधिकार नहीं है”,कौशल ने मयंक का भरम दूर करके कहा
“भाईसाहब ये घर अवनि के नाम कैसे कर सकते है ?”,मयंक ने गुस्से से कहा


“क्योकि ये घर भाईसाहब का है , याद है तुम्हारी शादी के एक साल बाद जब इस घर में बटवारे की बात हुई थी तब तुमने और सीमा ने कहा कि तुम्हे इस घर में से हिस्सा नहीं चाहिए बल्कि शहर के बाहर वाली 500 गज जमीन में से आधा हिस्सा चाहिए”,कौशल ने कहा


“तो आपने भी तो अपने हिस्से में जमीन ली थी , मुझे क्या पता था भाईसाहब इसके बदले ये घर अवनि के नाम कर देंगे,,,,,,,,,,!!”,मयंक ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा तो मीनाक्षी बोल पड़ी,”अरे इसीलिए तो मैं अपने भाई की शादी अवनि से करवाना चाहती थी ताकि अवनि से के साथ ये घर हमे मिल जाए लेकिन उस नकचढ़ी अवनि ने सब बर्बाद कर दिया”
“बर्बाद अवनि ने नहीं तुम्हारी इस जबान ने किया है , अरे प्यार से उसे बहलाती फुसलाती तो क्या वह तुम्हारी बात नहीं मानती लेकिन नहीं,,,,,,अब बैठकर मातम मनाओ उसके जाने का”,मयंक ने कहा


“चुप हो जाओ तुम दोनों , नीलेश से शादी करवाकर ये घर तुम दोनों अकेल हड़पना चाहते हो,,,,,,,,!!”,कौशल जी ने गुस्से से दबी आवाज में कहा तो मयंक और मीनाक्षी बगले झाँकने लगे। कौशल जी ने मीनाक्षी की तरफ देखा और कहा,”और तुम क्या अपने भाई को नहीं जानती मीनाक्षी , वो एक नंबर आवारा लड़का है अवनि से शादी के बाद अवनि की जायदाद पर भी उसका हक़ होता समझे तुम लोग,,,,,,,,,!!”
कौशल की बातें कड़वी थी लेकिन सच थी और इसीलिए मयंक और मीनाक्षी ने चुप रहना ही बेहतर समझा


“भाईसाहब तो अपने कमरे में नहीं है , मैं उनके लिए नाश्ता लेकर गयी थी पर वो तो पुरे घर में कही नहीं है,,,,,,हो सकता है बाहर गए हो”,सीमा ने कमरे में आकर कहा  
“मैं देखकर आता हूँ और तुम मयंक अपने गुस्से और अपनी सोच को थोड़ा काबू में रखो,,,,,,,,,भाईसाहब से बात मैं करके देखता हूँ और मनाता हूँ ताकि वे इस घर पर लॉन लेंने के लिए मान जाए”,कहते हुए कौशल कमरे से बाहर चले गए और सीमा ने मयंक को एक नजर देखा और खुद भी उनके पीछे वहा से चली गयी 

स्टेशन से बाहर आकर अवनि का मन भारी हो गया। आज उसके बैंक की छुट्टी थी इसलिए अवनि ने शिव मंदिर जाने का मन बनाया उसने कैब बुक की और सिरोही के प्रमुख मंदिर “सारणेश्वर महादेव मंदिर” के लिए निकल गयी जो कि रेलवे स्टेशन से 25 किलोमीटर दूर था और कैब से जाने में बस आधा घंटा लगने वाला था। अवनि की जिंदगी में बस एक महादेव ही थे जिनके सामने जाकर उसका अशांत मन भी शांत हो जाया करता था। जहा बैठकर वह अपना मन हल्का कर लिया करती करती थी।

कैब मंदिर से कुछ दूर आकर रुकी और अवनि गाडी से नीचे उतरी। उसने लाल रंग का फुल स्लीवस का अनारकली सूट और  चूड़ीदार पहना था साथ में गले में लाल रंग का दुपट्टा था। अवनि को साड़ी और सूट पहनना ज्यादा पसंद था। बहुत कम ऐसा होता था जब वह जींस कुर्ती या दूसरे कपडे पहना करती थी। अवनि ने कैब वाले को पैसे दिए और मंदिर की तरफ बढ़ गयी


सारणेश्वर महादेव मंदिर, सिरोही, राजस्थान में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो सिरणवा पहाड़ियों की तलहटी में शहर के केंद्र में बसा है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर सिरोही के देवड़ा चौहान राजवंश का कुलदेवता स्थल है और स्थानीय समुदाय की आस्था का प्रमुख केंद्र है। गर्भगृह में शक्ति (दुर्गा) की मूर्ति भी स्थापित है, जो शिव के साथ पूजनीय है। मंदिर के पास ही एक पवित्र तीर्थ स्थल है जिसे शुक्ल तीर्थ के नाम से जाना जाता है

पास में एक बहुत सुन्दर तालाब है जिसे मन्दाकिनी तालाब के नाम से भी जाना जाता है। आस पास कई छोटे छोटे तालाब और एक गाय के मुंह वाला तालाब भी बना हुआ था। अवनि इस जगह को पहली बार देख रही थी और ये सच में बहुत खूबसूरत , पहाड़ो के बीच सफ़ेद पत्थरो से बना महादेव का ये मंदिर किसी दुर्ग जैसा प्रतीत हो रहा था। सीढ़ियों पर दोनों तरफ काले रंग के पत्थर से बने हाथी थे जिन पर सुनहरे रंग की कलाकारी की गयी थी। ये बिल्कुल वैसा ही था जैसे उदयपुर में महाकालेश्वर मंदिर की सीढिया ,,

अवनि मंदिर के अंदर चली आयी। उसने महादेव के दर्शन किये , उन्हें जल अर्पित किया। मंदिर के अंदर ही “चामुंडा माता का मंदिर” था साथ ही मंदिर में 108 शिवलिंग स्थापित थे। अवनि ने माता के दर्शन किये और शिवलिंग की तरफ चली आयी।

इत्तेफाक से सिद्धार्थ भी आज दर्शन करने इसी मंदिर चला आया। वह अंदर आया और महादेव के दर्शन करके उन्हें जल अर्पित करने लगा। महादेव को जल अर्पित कर सिद्धार्थ भी “चामुंडा माता” के दर्शन करने चला आया। वह दर्शन कर शिवलिंग की तरफ चला आया हालाँकि अभी तक उसने अवनि को देखा नहीं था वह शिवलिंग के दर्शन कर आगे बढ़ गया। चलते चलते अवनि का सर चकराया वह गिरने को हुई और उसी वक्त सिद्धार्थ ने आगे बढ़कर उसे थाम लिया। अवनि का दिल जोरो से धड़कने लगा।

अगर सिद्धार्थ उसे इस वक्त नहीं थामता तो अवनि की गर्दन वहा रखे त्रिशूल पर जा गिरती। अवनि एकटक सिद्धार्थ को देखती रही और सिद्धार्थ अवनि को उनके सामने था महादेव का मंदिर जहा कुछ देर पहले दोनों ने जल अर्पित किया था।  

मौर्या Pvt Ltd कम्पनी , नवी मुंबई
पृथ्वी अपनी डेस्क पर सर लगाए सो रहा था , पृथ्वी इतना थका हुआ था कि बैठे बैठे ही गहरी नींद में सो गया। लंच का टाइम हुआ तो अंकित ने उसे उठाया। पृथ्वी उठा और मुंह धोने चला गया। बाथरूम में आकर उसने हाथ मुँह धोया। सोने के बाद उसे अब थोड़ा अच्छा लग रहा था। पृथ्वी अपने टीम मेंबर के साथ भले ही ज्यादा फ्रेंडली ना हो लेकिन लंच वह हमेशा उनके साथ बैठकर किया करता था। पृथ्वी आया तब तक सब अपने अपने टिफिन के साथ केबिन में रखी गोल वाली टेबल के इर्द गिर्द बैठ चुके थे और एक कुर्सी पृथ्वी के लिए खाली थी।

पृथ्वी अपना टिफिन लेकर सबके साथ आ बैठा लेकिन जैसे ही उसने अपना टिफिन खोला उसका मुँह बन गया।
अंकित ने देखा तो कहा,”लगता है आज आंटी ने फिर टिंडे भेजे है”
“हम्म्म्म,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने हताश होकर कहा
“कोई बात नहीं सर आप ये खा लीजिये , ये मैं खा लेती हूँ”,तान्या ने अपना टिफिन पृथ्वी की तरफ बढ़ाकर कहा जिसमे गंवार फली थी


“हाह ! ये भी कोई खाने की चीज है , ये दुनिया की आखरी सब्जी हुई तब भी मैं इसे नहीं खाऊंगा”,पृथ्वी ने बच्चो की तरह कहा
“सर आप ये खा लीजिये मेरी वहिनी ( भाभी ) ने बनाया है , मेरी वहिनी आलू गोभी बहुत अच्छा बनाती है”,मनीष ने अपना टिफीन पृथ्वी की तरफ करके कहा


पृथ्वी के खाने में बहुत नखरे थे उसने गंवार फली को साइड किया और आलू गोभी खाने लगा हालाँकि उसके लाये टिंडे बाकि सबने मिलकर खाये।
खाना खाने के बाद पृथ्वी ने जयदीप से कहकर अपना सामान वापस पुराने केबिन में ही मंगवा लिया और ये देखकर तान्या , कशिश , मनीष और अंकित मुस्कुरा उठे क्योकि मैनेजर बनने के बाद भी पृथ्वी में कोई बदलाव नहीं आया था।

पृथ्वी अपनी कुर्सी पर आ बैठा और काम करने लगा। लेपटॉप पर काम करते करते एकदम से पृथ्वी को बनारस का ख्याल आया और उसी के याद आयी वो किताब , पृथ्वी ने कुर्सी घुमाई और बैग से उस किताब को निकाला उसकी नजरें “अवनि मलिक” पर पड़ी। उस नाम को देखकर ना जाने पृथ्वी को क्या सुझा वह वापस लेपटॉप के सामने आया और गूगल पर “अवनि मलिक” सर्च किया। जैसे ही पेज खुला पृथ्वी हैरान रह गया , अवनि मलिक की लिखी किताबे , अनगिनत कहानिया , कविताएं सामने थी

पृथ्वी जिसे मामूली समझ रहा था वो काफी अच्छी Writer थी , पृथ्वी का दिल धड़कने लगा उसने इमेज पर क्लिक किया और उसके सामने अवनि की कुछ तस्वीरें थी। पृथ्वी ने एक तस्वीर पर क्लिक किया 
गहरे भूरे रंग का सूट पहने एक अवनि सादगी की मूरत लग रही थी। वह स्टडी टेबल के सामने बैठी थी और उसके सामने टेबल पर दो खुली किताबे रखी थी। खुले बाल , ललाट पर छोटी काली बिंदी , झुकी पलकें , सुर्ख होंठ जिनपर हलकी सी मुस्कान थी ,

उंगलियों में थामी कलम के साथ उंगलियों को होंठो से लगाए अवनि किसी सोच में गुम थी। पृथ्वी ने जैसे ही अवनि को देखा उसका दिल धड़कने लगा वो भी इतना तेज कि जैसे अभी बाहर आ गिरेगा। घबराकर पृथ्वी ने लेपटॉप बंद कर दिया , उसकी आँखों के सामने वो पल आ गया जब अस्सी घाट की गंगा आरती के उस पार उसने अवनि को देखा था।

( क्या कौशल और मयंक करने वाले है विश्वास जी के साथ विश्वासघात ? क्या अवनि सिद्धार्थ को मान बैठेगी महादेव का आशीर्वाद ? क्या पृथ्वी की जिंदगी में अवनि का आना है इत्तेफाक या पृथ्वी बनाएगा इसे हकीकत ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल

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स्टेशन से बाहर आकर अवनि का मन भारी हो गया। आज उसके बैंक की छुट्टी थी इसलिए अवनि ने शिव मंदिर जाने का मन बनाया उसने कैब बुक की और सिरोही के प्रमुख मंदिर “सारणेश्वर महादेव मंदिर” के लिए निकल गयी जो कि रेलवे स्टेशन से 25 किलोमीटर दूर था और कैब से जाने में बस आधा घंटा लगने वाला था। अवनि की जिंदगी में बस एक महादेव ही थे जिनके सामने जाकर उसका अशांत मन भी शांत हो जाया करता था। जहा बैठकर वह अपना मन हल्का कर लिया करती करती थी।

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