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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 32

Pakizah – 32

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 32

पाकीजा की कहानी में अपना नाम पढ़कर रूद्र एकदम से चौंक गया l उसने किताब बंद कर दी l घडी की तरफ देखा जो की सुबह के 5 बजा रही थी l पाकीजा की कहानी पढ़ने में वह इतना खो चूका था की उसे समय का कुछ ध्यान ही नहीं रहा l रूद्र उठा और दरवाजा खोलकर बाहर लॉन में टहलने लगा l बार बार दिमाग में एक ही बात चल रही थी और वो थी शिवेन की फाइल पर अपना नाम ?


उसने दिमाग पर जोर डाला तो उसे याद आया “जिस वक्त उसने शिवेन की मदद की थी उस दिन वह किसी जरुरी काम से दिल्ली आया था l रस्ते से गुजरते हुए जब उसने शिवेन को खून से लथपथ देखा तो उसे हॉस्पिटल पहुंचाया लेकिन जल्दी की वजह से उसे वहा से निकलना पड़ा l”


“इसका मतलब जिस लड़के की उस दिन मैंने मदद की थी वो वही लड़का था जिससे पाकीजा प्यार करती थी……………शिट ! काश उस वक्त मैं वहां रुक जाता तो शायद इस कहानी को बदल पाता , पाकीजा को जेल जाने से बचा पाता , काश मैं वहा रुकता”,रूद्र लॉन में टहलते हुए सोचने लगा l उसे बहुत बुरा लग रहा था साथ ही इस बात का अफ़सोस भी था की शिवेन के पास होकर भी वह उसे और पाकीजा को जान नहीं पाया l


पाकीजा की कहानी अब कुछ कुछ रूद्र को समझ आने लगी थी l बीते दो सालो में जो जो घटा वो सब रूद्र , पाकीजा or शिवेन से जुड़ा हुआ था l
सूरज निकल आया था l रूद्र को उबासियाँ आने लगी तो चाय पिने के बहाने वह घर के अंदर जाने लगा तभी उसके कानो में एक जानी पहचानी सी आवाज पड़ी ,”गुड़ मॉर्निंग सर !!
रूद्र ने पलटकर देखा पीछे असलम खड़ा था l


“गुड़ मॉर्निंग असलम , कैसे हो ?”,रूद्र ने मुस्कुराते हुए कहा
“मैं बिल्कुल बढ़िया आ बताईये आप कैसे है सर ?”,असलम ने रूद्र के नजदीक आते हुए कहा
“मैं बिलकुल ठीक हु , आओ अंदर आओ चाय बना रहा हु , साथ बैठकर पीते है”,रूद्र ने असलम के कंधे पर हाथ रखा और दोनों अंदर आ गए l
“तुम बैठो मैं चाय बनाकर लाता हु”,कहते हुए रूद्र किचन की तरफ बढ़ गया l


असलम कुर्सी पर आकर बैठ गया सामने पड़े मैगजीन को उठाकर उसके पन्ने पलटने लगा
डोरबेल बजी तो असलम उठकर गया और दरवाजा खोला सामने धोबन कपड़ो का बण्डल लिए खड़ी थी l उसने असलम को कपडे दिए और कहा ,”साहब 230 रूपये ! “
असलम ने उसे रुकने का कहा और कपडे लाकर टेबल पर रखते हुए रूद्र से कहा ,”सर आपके कपडे आये है !”


“असलम सामने रूम में टेबल पर मेरा पर्स रखा है उसमे से पैसे लेकर उन्हें दे दोगे प्लीज़”,रूद्र ने चाय छानते हुए कहा
“जी सर “,कहकर असलम कमरे में गया उसने टेबल पर रखा पर्स उठाया और रूपये निकालकर जैसे ही रखने लगा उसकी नजर पर्स मे रखे id कार्ड पर गयी जिसे देखते ही असलम की आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी l उसने पर्स वापस रखा और रूपये लेजाकर धोबन को दे दिए l असलम वापस अंदर आया तब तक रूद्र भी हाथ में चाय के कप लिए हुए आया और टेबल पर रख दी


“कौन हो आप ?”,असलम ने सख्त लहजे से रूद्र की तरफ देखकर पूछा l
“ये कैसा सवाल है असलम ?”,रूद्र ने कहा
“मैं अभी अभी आपके पर्स में आपका आई कार्ड देखकर आया हु , वो तो कुछ और ही सच्चाई बयां कर रहा है”,असलम ने सधी हुई आवाज में कहा l


रूद्र उठकर असलम के पास आया और उसके कंधो को दोनों हाथो से पकड़कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”तुमने जो देखा वो सच है l ये बात मैंने तुम सब से छुपाई क्योकि मैं मजबूर हु और नियमो में बंधा हुआ हु l यहाँ मैं किसी खास मकसद से आया हु l जब तक वो पुरा नहीं हो जाता मुझे अपनी पहचान छुपानी ही होगी”
“लेकिन सर पुलिस सर्विस ही क्यों ?”,असलम ने असमझ की स्तिथि में कहा


“क्योकि पुलिस का एक आदमी उस षड्यंत्र में शामिल है l देखो असलम तुम मेरे अच्छे दोस्त हो भरोसा रखो l इस वक्त मैं तुम्हे अपने मकसद के बारे में नहीं बता सकता लेकिन जल्दी ही सब राजो से पर्दा उठने वाला है”,रूद्र ने सोचते हुए कहा l
“मैं आपके साथ हु सर , लेकिन आप मुझे इस बारे में बताते तो शायद मैं आपकी मदद कर पाता”,असलम ने आँखों में विश्वास भरते हुए कहा l


“तुमने मेरी बहु मदद की है असलम , वैसे भी एक खास कड़ी मुझे मिल चुकी है अब बस कड़ी से कड़ी जोड़ना बाकि है l खैर ये सब छोडो पहले चाय पीओ बातो बातो में ठंडी हो जाएगी”,रूद्र ने हसंते हुए कहा l
असलम ने चाय का कप उठाया और पिने लगा l रूद्र ने उसे बैठने का इशारा किया और खुद भी चाय का कप लेकर सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठा l चाय पीते हुए रूद्र ने कहा ,”अच्छा ये बताओ ? तुम्हारा और रागिनी का रिश्ता आगे बढ़ा ?


असलम चाय पीते पीते रुक गया और कहा ,”सर रागिनी ने नौकरी छोड़ दी है और हमेशा हमेशा के लिए यहाँ से चली गयी l
“व्हाट ? पर क्यों ?”,रूद्र ने चौंकते हुए कहा
“क्या उसने आपको कुछ नहीं बताया ?”,असलम ने उल्टा सवाल किया


“नहीं उस शाम जब हम सब मिले थे उसके बाद मेरी उस से कोई बात नही हुई थी , पर उसने ऐसा किया क्यों ?”,रूद्र ने सहज भाव से कहा
“सर रागिनी आपको चाहती थी !”,असलम ने बिना किसी भाव के कहा
“व्हाट ? आर यू सीरियस ? तुम्हे जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है”,रूद्र ने एक बार फिर चौंकते हुए कहा l
“मैं सच कह रहा हु सर , रागिनी ने खुद मुझे बताया l

उस शाम उसने आपको वहां अपने मम्मी पापा से मिलवाने के लिए बुलाया था l लेकिन उसके कुछ कहने से पहले ही आपने उसे मेरे बारे में बता दिया l आपके प्रति अपना एक तरफ़ा प्यार जानकर उसे बुरा लगा l आपके सामने रहेगी तो आपको भूल नहीं पायेगी ये कहकर उसने नौकरी छोड़ दी और बिना किसी को कुछ बताये यहाँ से चली गयी”,असलम ने रूद्र को सारी बात बताते हुए कहा l
“पर तुमने उसे अपने दिल की बात क्यों नहीं बताई ?”,रूद्र ने असलम की आँखो में देखते हुए कहा l


“कैसे बताता सर ? उसके दिल में आप बसते हो , अब एक ही दिल में दो लोग साथ तो नहीं रह सकते ना”.असलम ने मुस्कुरा कर कहा पर आँखों में रागिनी को खो देने का गम भी था l
“आई ऍम सॉरी असलम , मेरी वजह से ये सब…………………..!! “,रूद्र ने उदासी से कहते हुए बात अधूरी छोड़ दी l
“आप क्यों सॉरी बोल रहे है सर ? प्यार पर भला किसका जोर है ? मुझे रागिनी से था और रागिनी को आपसे l अब हो सकता है आपको किसी और से हो “,असलम ने कहा


“हाँ मुझे पा……………………………..!! “,कहते कहते अचानक रूद्र रुक गया और पाकीजा का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया
“सर पा मतलब ?”,असलम ने असमझ की स्तिथि में कहा
“पा मतलब पागल हो तुम , रागिनी को रोक लेना चाहिए था तुम्हे , मैं उसे समझाता शायद वो समझती”,रूद्र ने कहा


“छोड़िये ना सर ! वो जहा कही भी रहे बस खुश रहे ,, अभी चलता हु मिनिस्टर साहब की रैली में जाना है”,असलम ने खाली कप टेबल पर रखा और उठते हुए कहा
“ठीक है जब भी मेरी कोई जरूरत हो जरूर बताना और हां दोस्त समझकर सीनियर समझकर नहीं”,रूद्र ने असलम के कंधे पर हाथ रखकर प्यार से कहा l
असलम ने रूद्र को सेल्यूट किया तो रूद्र ने हँसते हुए कहा ,”एक ससपेंड ऑफिसर को सेल्युट कौन करता है भला ?


“सर लोगो की नजर में आप भले ही एक ससपेंड ऑफिसर है लेकिन ड्यूटी आप अभी भी कर रहे है”,असलम ने एक रहस्य्मयी मुस्कान बिखेरते हुए कहा
रूद्र उसे बाहर दरवाजे तक छोड़ने आया और फिर अंदर आकर नहाने चला गया l तैयार होकर कबर्ड से कपडे निकालने लगा कुछ समझ नहीं आ रहा था आखरी कोने में टंगी नीली शर्ट हाथ लगी l

रूद्र को नीला रंग कुछ खास पसंद नहीं था पर आज ना जाने क्यों उसे वह रंग बहुत अच्छा लगा और उसने पहन लिया l तैयार होकेर घर से बाहर आया और बाइक लेकर निकल गया l भूख का अहसास होने लगा तो रूद्र पहले होटल गया l
“क्या लेंगे सर ?”,वेटर ने पास आकर रूद्र से पूछा
“फूल मील”,रूद्र ने कहा l


कुछ देर बाद वेटर एक फुल थाली खाना ले आया और रूद्र के सामने रखकर चला गया l रूद्र ने देखा थाली में एक कटोरी में दाल , दो अलग अलग कटोरियो में सब्जी , चटनी , अचार , पापड़ , सलाद , रायता , चपाती और एक प्लेट चावल अलग से रखा हुआ था l
रूद्र ने खाना शुरू किया l

जैसे ही उसने चम्मच में चावल लेकर मुंह की तरफ बढ़ाया उसे पाकीजा की लिखी बात याद आ गयी जो उसने शिवेन से कही थी “ये खाने का सही तरीका नहीं है” रूद्र ने चम्मच साइड में रखा दाल की कटोरी को चावल में उड़ेला और मिक्स करके हाथ से एक निवाला बनाकर जैसे ही मुंह में रखा l उसकी आंखों में चमक आ गयी
“पाकिजा ने सही कहा था”,सोचकर रूद्र मजे से खाना खाने लगा l


खाना खाकर रूद्र वहा से निकलकर सायबर कैफे की और निकल गया l वहा पहुंचकर रूद्र ने कंप्यूटर के जरिये शिवेन के बारे में पता लगाने की कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चला l रूद्र ने फेसबुक id ओपन की और शिवेन के नाम से सर्च किया जब रिजल्ट आया तो उसने अपना सर पकड़ लिया स्क्रीन पर 340 शिवेन थे इनमें से पाकीजा के शिवेन को ढूंढना बहुत मुश्किल था l

रूद्र ने अपने ईश्वर का नाम लिया और काम में जुट गया
घंटेभर की मेहनत के बाद उसे शिवेन की id मिल गयी l रूद्र ने id ओपन की और शिवेन की तस्वीर निकाल ली l शिवेन की तस्वीर देखते ही रूद्र एक बार फिर हैरान था शिवेन की शक्ल कुछ कुछ रूद्र से मिलती जुलती थी l रूद्र ने प्रिंट आउट जेब में डाला और वहा से निकल गया l घर आकर उसने शिवेन की तस्वीर को गौर से देखा और फिर खुद को शीशे में देखा l रूद्र ने महसूस किया शिवेन उस से भी ज्यादा खूबसूरत था l

वह अपने कमरे की उस दिवार के पास आया जहा उसने पाकीजा से जुडी चीजे लिखी हुयी थी शिवेन की तस्वीर उसने वहा लगा दी l
रातभर जागने की वजह से रूद्र को नींद आने लगी वह जाकर बिस्तर पर लेट गया l
आँख खुली तो शाम हो चुकी थी l रूद्र उठा मुंह धोया और चाय बनाने किचन की तरफ चला गया l चाय पिने के बाद भी उसकी नींद नहीं उडी उबासियाँ लेता हुआ वह आकर स्टडी टेबल के सामने बैठ गया और एक बार फिर पाकीजा की किताब खोल कर पढ़ने लगा


उसी शाम अम्माजी के कोठे पर -:

बेहोश पड़ी पाकीजा को जब होश आया तो उसने खुद को अँधेरे कमरे में कैद पाया l उसने दरवाजा पीटा , आवाज दी पर सबने सुनकर भी अनसुना कर दिया क्योकि अम्माजी का खौफ था l थक हारकर पाकीजा गिर पड़ी l दर्द और बेबसी में आँखो से आंसू बहने लगे l पाकीजा को शिवेन का ख्याल आया तो तड़प उठी लेकिन वह क्या कर सकती थी l


दर्दभरी स्तिथि में भी वह घुटनो के बल बैठी और अपने खुदा को याद करके नमाज करने लगी l हर पल में वह सिर्फ शिवेन की सलामती की दुआ मांग रही थी l
भूख प्यास से बेहाल पाकीजा निढाल सी जमीन पर गिर पड़ी लेकिन किसी को उस पर दया नहीं आयी सोनाली ने पाकीजा से मिलने की कोशिश की तो अम्माजी ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया l

सोनाली भी पाकीजा की उस वक्त कोई मदद नहीं कर पायी l अगले दिन भी पाकीजा बिना कुछ खाये पिए कमरे में बंद रही l शाम को अम्माजी ने अपने आदमी को भेजकर पाकीजा को अपने कमरे में लाने को कहा l
आदमी पाकीजा को लेकर अम्माजी के कमरे में आया l पाकीजा के जिस्म में जान बिल्कुल नहीं थी वह घसीटती हुई चल रही थी l अम्माजी ने आदमी से बाहर जाने का इशारा किया l

सबके जाने के बाद अम्माजी ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया l उस बंद कमरे में क्या चल रहा था कोई नहीं जानता था l बाहर खड़ी सभी लड़किया और सोनाली डर से काँप रही थी पता नहीं अम्माजी अब उस मासूम के साथ क्या जुल्म करेगी l


घण्टेभर बाद पाकीजा बाहर आयी चेहरे पर कोई भाव नहीं था l सोनाली ने उस से बात करने की कोशिश की लेकिन पाक़िजा बिना जवाब दिए अपने कमरे की और बढ़ गयी l उसने दरवाजा बंद किया और जाकर बिस्तर पर गिर पड़ी l

धीरे धीरे वक्त गुजरने लगा l शिवेन ने पाकिजा से मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन अविनाश ने उसे बाहर जाने नहीं दिया दिया l हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होते ही अविनाश जी उसे सीधा अपने घर ले गए l नीलम दिन रात शिवेन की देखभाल में लगी रहती लेकिन शिवेन उसे सिर्फ पाकीजा की चिंता था l धीरे धीरे शिवेन की हालत में सुधार होने लगा l राघव मयंक भी उस से मिलने आते लेकिन पाकीजा के बारे में किसी को कोई खबर नहीं थी l


दूसरी तरफ पाकीजा ख़ामोशी से जीने लगी l ना वह पहले की तरह किसी से बात करती न ही किसी के पास बैठती l हर वक्त खुदको कमरे में बंद रखती l उसे खामोश देखकर सोनाली भी परेशान रहने लगी पर पाकीजा ने उसे भी भुला दिया l उदासी और बेबसी ने जैसे उसके चेहरे को ही अपना घर बना लिया हो l मुस्कुराना तो जैसे भूल चुकी थी l उसकी खाली आँखों में सिवाय दर्द के अब कुछ नजर नहीं आता था l
महीना गुजर गया l शिवेन जैसे ही ठीक हुआ उसने पाकीजा से मिलने की जिद की l

शिवेन की जिद के आगे राघव को झुकना पड़ा l अविनाश जी को बिना बताये राघव , शिवेन और मयंक गाड़ी लेकर घर से निकल गए l गाड़ी जीबी रोड जाने वाले रास्ते पर दौड़ रही थी तभी शिवेन ने राघव से गाड़ी रोकने को कहा और यु टर्न लेने को कहा
“पर हम जा कहा रहे है ? कुछ बताएगा तू l”,राघव ने यु टर्न लेते हुए कहा


“पुलिस स्टेशन l”,शिवेन ने बिना किस भाव के कहा
“पुलिस स्टेशन ? पर क्यों ?”,राघव ने गाड़ी को ब्रेक लगाकर कहा l
“सीधे तरीके से अम्माजी पाकीजा को नहीं छोड़ेगी”,शिवेन ने सहज भाव से कहा
“तू जानता है ये सब करके हम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस सकते है , वे लोग बहुत खतरनाक लोग है”,राघव ने समझाते हुए कहा l


“कब तक मैं उनसे ऐसे ही डरता रहूंगा l मेरी वजह से पाकीजा आज फिर से उस दलदल में है l”,शिवेन ने दर्दभरे स्वर में कहा
“तो क्या एक लड़की के लिए तू फिर से अपनी जान जोखिम में डालेगा”,राघव ने गुस्से से कहा
“सिर्फ एक लड़की नहीं है वो , मेरी जिंदगी है वो …………….. वो मुझे मिले या ना मिले लेकिन उसे उस दलदल में नहीं छोड़ सकता मैं l

अब बिना किसी सवाल जवाब के गाड़ी को सीधा पुलिस स्टेशन ले “,शिवेन ने गुस्से से कहा
शिवेन का गुस्सा देखकर राघव ने आगे बात करना सही नहीं समझा or गाड़ी आगे बढ़ा दी
पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिवेन ने कॉन्स्टेबल से एफ.आई.आर. लिखने को कहा l कॉन्स्टेबल शिवेन को यहाँ से वहा घुमाने लगा l

शिवेन को पाकीजा की परवाह हो रह थी इसलिए उसे कॉन्स्टेबल के इस बर्ताव से गुस्सा आने लगा उसने चिल्लाकर कहा ,”आप मेरे साथ चलेंगे या नहीं ?कमिशनर साहब उस वक्त दौरे पर थे उन्होंने जैसे ही शिवेन की आवाज सुनी बाहर आकर कहा ,”क्या बात है ? ये क्या तमाशा लगा रखा है यहाँ ये पुलिस स्टेशन है तुम्हारा घर नहीं”


कमिशनर साहब को देखकर कॉन्स्टेबल घबरा गया और कहा ,”कुछ नहीं साहब कोई लड़की का मेटर है”
“थाने से दो आदमी इसके साथ भेजो और देखो क्या बात है ?”, कहकर कमिशनर वहा से चला गया l
थाने से दो कॉन्स्टेबल रूद्र और राघव के साथ जीप में सवार होकर निकल गए l पीछे मयंक शिवेन की गाड़ी लिए आ गया l

जीबी रोड पहुंचकर शिवेन पुलिसवालो के साथ अम्माजी के कोठे पर पहुंचा l
कॉन्स्टेबल ने अम्माजी को सारी बात बतायी तो अम्माजी ने बिना कोई नाटक किये पाकीजा के कमरे की तरफ इशारा कर दिया कॉन्स्टेबल ने पाकीजा के कमरे का दरवाजा खटखटाया l पाकिजा ने दरवाजा खोला सामने खड़ी पुलिस और शिवेन को देखकर भी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे l

“ए लड़की इस लड़के को जानती है ?”,कॉन्स्टेबल ने कहा
“जी , मेरे कस्टमर है “,कहकर पाकीजा ने अपनी गर्दन झुका ली
पाकीजा का जवाब शिवेन को अंदर तक छलनी कर गया पर वह चुप रहा और पाकिजा की तरफ देखता रहा l
“इसने बताया की तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो l तुम्हे यहाँ धोखे से लाया गया है , इस कोठे की मालकिन ने तुम्हारे साथ बुरा व्यवहार किया है”,कॉन्सटेबल ने पूछा


“प्यार………………….मैं इस से प्यार क्यों करुँगी l मेरे जरा से हसने बोलने को इन्होने प्यार समझ लिया l ये सिर्फ मेरे कस्टमर है इसके अलावा हमारा इनसे कोई रिश्ता नही है “,पाकीजा ने कहा
शिवेन ने सुना तो उसका कलेजा धक् से रह गया ये क्या कह रही थी पाकीजा l
“सुन लिया खामखा टाइम खोटी किया”,कहकर कॉन्स्टेबल वहा से चला गया


“पाकीजा ये सब क्या है ? हम एक दूसरे से प्यार करते है “,शिवेन ने कहा
“कैसा प्यार ? मैं आपसे कोई प्यार व्यार नहीं करती l जाईये यहाँ से और आज के बाद यहाँ कभी मत आना”,कहकर पाकीजा ने शिवेन के मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया l


पाकीजा से उसे ये उम्मीद नहीं थी l थके कदमो से वह वापस मुड़ गया और जाने लगा l
निचे कॉन्स्टेबल खड़ा था शिवेन जैसे ही उसके पास आया उसने मुंह में चबाते हुए गुटखे की पीक थूकी और कहा

“एक धंधे वाली औरत कभी किसी एक मर्द की नहीं होती है”

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Continue With Part Pakizah – 33

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