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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 23

Pakizah – 23

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 23


पाकीजा की बात सुनकर शिवेन के सर में एक साथ सैकड़ो प्रहार हुए l एक पल के लिए वह खामोश हो गया l पाकिजा ने आखिर में जो कहा वह शिवेन के सीने में तीर की तरह घुसा ! उसके सामने खड़ी वह लड़की एक वेश्या थी l शिवेन बिना एक शब्द कहे चुपचाप वहा से बाहर निकल गया l जिस रस्ते वह आया था उसी रस्ते से वापस चल पड़ा पाकीजा दौड़कर उसके पीछे आयी लेकिन शिवेन ने एक बार भी पलटकर नहीं देखा वह बस चलता जा रहा था l

सड़क के उस पार कुछ ही दूरी पर खड़े राघव और मयंक शिवेन का इंतजार कर रहे थे l शिवेन थके कदमो से उनकी और बढ़ने लगा उसके दिमाग में वो एक शब्द बार बार हथोड़े की तरह प्रहार कर रहा था l शिवेन उन दोनों के पास आया उसका चेहरा देखकर राघव ने कहा ,”क्या हुआ नहीं मिली ?

“घर चल !!”,शिवेन ने धीमी आवाज में कहा

“पर हुआ क्या ?”,राघव ने कहा

“भाई बता तो सही क्या बात है इतना परेशान क्यों है तू ?”,मयंक ने शिवेन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा l

“राघव प्लीज़ घर चल !”,शिवेन ने उसी लहजे में कहा

“पर हुआ क्या ?”,राघव ने फिर पूछा

“मैंने कहा ना घर चल………………..!! “,शिवेन ने चिल्लाकर कहा तो मयंक और राघव दोनों सहम गए l

पहली बार उन्होंने शिवेन को इतने गुस्से में देखा था l दोनों में किसी ने कुछ नहीं कहा राघव ने जेब से चाबी निकाली और बाइक स्टार्ट करके शिवेन और मयंक से बैठने को कहा l

रास्ते भर तीनो खामोश रहे l शिवेन कुछ बोल नहीं रहा था , मयंक और राघव में इतनी हिम्मत नहीं थी की वह उस से कुछ पूछ सके l राघव चुपचाप बाइक चलाता रहा l शिवेन का फ्लेट जिस कॉम्प्लेक्स में था राघव ने वहा बाइक रोकी शिवेन बाइक से उतरकर बिना कुछ कहे जाने लगा तो राघव ने कहा,”शिवेन आर यु ओके ? मैं आउ तेरे साथ ?

“तुम लोग घर जाओ गाईज ! “,कहकर शिवेन बिना किसी जवाब का इंतजार किये वहा से चला गया l

“इसे क्या हो गया ?”,राघव ने मयंक को देखते हुए कहा

“भाई ये रात में वहा गया था ना , लगता है इसपे भुत आ गया है”,मयंक ने सोचते हुए कहा

मयंक की बात सुनकर राघव ने उसे घूरते हुए कहा ,”भुत प्रेत के नॉवेल पढ़ पढ़ कर ना तेरा दिमाग ख़राब हो गया है l कुछ भी बोलता है”

“तेरे लिखे नॉवेल ही पढता हु”,मयंक ने मुंह बनाकर कहा l

“मैं इतना बकवास भी नहीं लिखता”,राघव ने आँखे तरेरते हुए कहा

“अच्छा बाबा सॉरी , घर तक छोड़ दे !”,मयंक ने मिन्नत करते हुए कहा

“भगवान ने दो पैर दिए है ना इनका इस्तेमाल कर और पैदल ही जा”,कहकर शिवेन ने बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी l

“अरे ! भाई भाई भाई मैं तो बस मजाक कर रहा था , सुन ना इतनी रात को तो कोई ऑटो भी नहीं मिलेगा l सुन ना यार”,मयंक ने पीछे दौड़ते हुए कहा

राघव ने कुछ दूर जाकर बाइक रोकी और फिर पलटकर कहा ,”आजा !!

मयंक आकर बाइक पर बैठा और फिर राघव ने बाइक आगे बढ़ा दी l मयंक किसी बात को गंभीरता से नहीं लेता था वह मस्त मौला किस्म का इंसान था जो हर परिस्तिथि में खुश रहता था वही राघव एक गंभीर और बात की गंभीरता को समझने वाला इंसान था बचपन से उसे आपने आस पास घटित होती चीजों को कहानियो का रूप देना पसंद था और उसके इसी शौक ने उसे इतना गंभीर बना दिया की वह हर बात पर बहुत गहरे तक विचार करता था l

शिवेन के अचनाक बदले व्यवहार को देखकर राघव भी कुछ परेशान हो गया था l शिवेन को वह 5 साल से जानता था , आज से पहले उसने शिवेन का ये रूप नहीं देखा था l खैर सुबह शिवेन से मिलने का इरादा करके राघव ने मयंक को उसके घर के सामने छोड़ा और अपने घर चला गया l

शिवेन कॉम्प्लेक्स में दाखिल हुआ l रात के 12 बज रहे थे l गार्ड अपनी कुर्सी पर बैठा उघ रहा था l शिवेन लिफ्ट की तरफ बढ़ा और अंदर आकर खड़ा हो गया l दिमाग बिल्कुल सुन्न था l लिफ्ट ऊपर जाकर खुली शिवेन अपने फ्लेट में आया और सीधा बाथरूम की तरफ बढ़ गया l

वाशबेसिन के सामने आकर शिवेन ने नल चालू किया और मुंह धोने लगा l शिवेन ने दो तीन बार मुंह धोया और फिर शीशे में खुद को देखने लगा l आईने में उसे अपनी जगह पाकीजा का वही मासूम चेहरा नजर आ रहा था जो उसने आखरी बार देखा था l

शिवेन बाथरूम से बाहर आया और फ्रीज़ से पानी की बोतल निकाल कर सारा पानी एक साँस में पी गया l कुछ पानी गिरकर शर्ट को भिगो रहा था l शिवेन ने खाली बोतल टेबल पर रखी और आकर सोफे पर बैठ गया l दिमाग में अभी भी पाकीजा ही चल रही थी l शिवेन सर झुकाकर बैठ गया और अपना चेहरा हाथो में थामकर सोचने लगा

“ये वही लड़की थी जो पहली बार मुझसे मुंबई स्टेशन पर टकराई थी l उन आँखों को भला मैं कैसे भूल सकता हु ? वो बाली भी उसी लड़की की थी जिस बाली को मैंने अब तक अपने सीने से लगाकर रखा था अपना सुकून समझ के l बार में अँधेरे में जो लड़की मेरे साथ खड़ी थी वो भी यही लड़की ही थी l

उसका यु बार बार मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता…………….. पर उसने कहा की वो एक वेश्………नहीं नहीं वो नहीं हो सकती !! भले उसने खुद ये बात कही हो पर मेरा दिल नहीं मानता की वो एक वेश………..!! , ये तुझे क्या हो गया है शिवेन तू उसे इस नाम से कैसे पुकार सकता है ?

नहीं आज के बाद मेरी जुबान पर उसका ये नाम कभी नहीं आएगा………………….पर पर फिर मैं उसे क्या कहकर पुकारू मैं तो उसका नाम तक नहीं जानता ? उफ्फ्फ …………….!! ये कैसी उलझन है ,, मैं उस से मिला भी ऐसे हाल में की उसका नाम तक नहीं पूछ पाया !!

पर वो ऐसी जगह कैसे आयी ? नहीं वो खुद से तो यहाँ कभी नही आ सकती ,,,, कितनी मासूम दिखती है भला वो ऐसी जगह आने का क्यों सोचेगी ? फिर , फिर ऐसा क्या हुआ जो उसे इस दलदल में आना पड़ा l मेरे सवालों का जवाब सिर्फ एक इंसान के पास है और वह है वो खुद !! सिर्फ वही बता सकती है की वह यहाँ तक कैसे आयी ?

शिवेन……………………..!! ये तू क्या सोच रहा है ?

उस लड़की का सच जानने के बाद भी तू फिर से वहा जाने की सोच रहा है ?

नहीं शिवेन तुझे जाना ही होगा……………..आखिर एक मासूम सी लड़की वहा क्यों है ? तुझे इसका पता लगाना ही होगा

शिवेन अपने ही अंतर्मन से लड़ने लगा l ये ऐसी लड़ाई थी जो कभी खत्म ना होने वाली थी l सारी रात सोफे पर बैठा शिवेन पाकीजा के बारे में सोचता रहा l सवाल बहुत थे पर शिवेन के उन सवालों का जवाब सिर्फ पाकीजा के पास था l सुबह के 4 बजते बजते शिवेन निढाल सा वही सोफे पर गिर पड़ा और नींद के आगोश में चला गया l अगली सुबह डोरबेल बजने से उसकी आंख खुली l

नींद में अलसाया हुआ सा शिवेन उठा और दरवाजे की तरफ बढ़ा उसने दरवाजा खोला सामने राघव खड़ा था l शिवेन दरवाजे से हट गया तो राघव अंदर आ गया l शिवेन ने दरवाजा वापस बंद कर दिया l शिवेन नींद में अलसा रह था उबासी लेता हुआ वह सोफे पर आ बैठा l राघव भी उसके बगल में ही बैठा था उसने शिवेन की तरफ देखकर कहा

“तेरी तबियत तो ठीक है , तेरी आँखे देखकर लगता है तू रातभर से सोया नहीं है”

“एक कप कॉफी मिलेगी ?”,शिवेन ने कहा l

“हम्म्म मैं बनाता हु”,कहकर राघव किचन की तरफ बढ़ गया l

शिवेन उठा और वशबेसीन में मुंह धोने चला गया वापस आया तब तक राघव कॉफी लेकर आ चुका था l राघव ने एक कप शिवेन की तरफ बढ़ाया और दुसरा खुद लेकर शिवेन के सामने पड़े बीन बैग पर बैठ गया और कॉफी पिने लगा l

“इतनी सुबह तू यहाँ क्या कर रहा है ?”,शिवेन ने कॉफी पीते हुए कहा l

“तुझे कल रात परेशान देखा तो रहा नहीं गया इसलिए चला आया , मयंक को साथ नहीं लाया क्योकि मुझे तुझसे अकेले में कुछ बात करनी थी”,राघव ने कहा

“हम्म कहो “,शिवेन ने कहा

राघव – सबसे पहले तो तू मुझे ये बता की कल रात तुझे हो क्या गया था ?

शिवेन – पता नहीं यार ! पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था उस वक्त इसलिए गुस्से में कुछ भी बोल दिया i am sorry

राघव – its ok लेकिन तू तो वहा अपना सामान ढूंढने गया था क्या हुआ मिला ?

शिवेन – वो बाली अपने असली हकदार के पास पहुंच गई है l

राघव – मतलब वो लड़की ? वो लड़की तुझे मिल गयी (खुशी से)

शिवेन – हा

राघव – कैसी थी ?

शिवेन – बहुत खूबसूरत , अगर तुम देखोगे तो तुम्हे भी उस से प्यार हो जाएगा

राघव – तो क्या तुझे उस से प्यार हो गया है ?

शिवेन – शायद ?

राघव – शायद क्या ? रहती कहा है वो ?

राघव के इस सवाल पर शिवेन चुप हो गया और राघव की तरफ देखने लगा उसे अपनी ओर देखता पाकर राघव ने कहा,”देख क्या रहा है बता ना ? कहा रहती है वो ?

“जीबी रोड , गली नम्बर 2 में ऊपर मकान मे”,शिवेन ने धीरे से कहा

राघव ने सुना तो चौक गया l ओर शिवेन के पास आकर कहा ,”तेरे कहने का मतलब है वो प्रोस्टीट्यूट है”

शिवेन खामोशी से नीचे देखने लगा l

“तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या शिवेन ? तू एक वैश्या से प्यार करने की बात कर रहा है”,राघव ने गुस्से से कहा l

“वैश्या नही है वो ओर खबरदार जो तूने उसे एक ओर बार इस नाम से पुकारा तो”,शिवेन ने चिल्लाकर कहा l

“शिवेन हेव यू लोस्टेड ? तू जानता भी है वहा रहने वाली लडकिया किस किस्म की होती है l उनकी हर रात एक नए मर्द के साथ गुजरती हैं l चंद रुपयों के लिए कितनी बार वो खुद को परोस देती है l तू ऐसी लड़की से प्यार करता है जो अब तक ना जाने कितनों के साथ सो चुकी है l वे बदनाम गालियां है शिवेन वहां जाकर तेरी कोई इज्जत नही रह जायेगी”,राघव ने शिवेन को समझाते हुए कहा

“तो क्या एक लड़की से प्यार सिर्फ ये देखकर किया जाता है कि वो वर्जिन है या नही , मुझे नही फर्क पड़ता वो क्या है ? मुझे फर्क पड़ता है सिर्फ इस बात से की सबसे पहले वो इंसान है तुम्हारी ओर मेरी तरह l वो इस नर्क में क्यों है ये ना तू जानता है ना मैं फिर हम ये फैसला करने वाले कौन होते है कि वो क्या है ?”,शिवेन ने चिल्लाकर कहा

“शिवेन तू समझ नही रहा है , तू गलत कर रहा है l उस से प्यार करके सिवाय परेशानियों के कुछ हासिल नही होगा तुझे ! ये समाज , तेरे पापा , तेरे रिश्तेदार ओर ये दुनिया कोई नही अपनाएगा उसे l”,राघव ने कहा l

“मैं अपनाऊंगा , मैं उसे उस नरक से निकालूंगा मैंने देखा है उसकी आँखों मे वो वो गलती से या फिर किसी धोखे का शिकार होकर इस नरक में आई है l उसकी जिंदगी मैं बर्बाद नही होने दूंगा”,शिवेन ने कहा

“तू एक वैश्या के लिए इतना सब क्यों कर रहा है लड़कियों की कमी है क्या इस शहर में”,राघव ने चिल्लाकर कहा

“राघव उसके लिए ये नाम इस्तेमाल मत कर “,शिवेन ने दांत पिसते हुए कहा

“क्यों ना लू ! वो वैश्या है और तू भी इस सच्चाई को जितनी जल्दी अपना ले अच्छा है l उसके पीछे अपनी लाइफ अपना करियर बर्बाद मत कर”,राघव ने कहा

“गेट आउट”,शिवेन ने गुस्से से कहा

“तू मुझे जाने को कह रहा है अपने दोस्त को वो भी उस लड़की के लिए जिसके तुम जैसे कितने ही पति होंगे”,राघव ने नफरत से कहा

“मैंने कहा जा यहां से”,शिवेन ने गुस्से से कहा

राघव वहां से चला गया और जाते जाते दरवाजे को जोर से बंद करता हुआ गया l

गुस्से में शिवेन ने अपना हाथ दीवार पर दे मारा l अपने कमरे में आया और बिस्तर पर औंधा गिर पड़ा l ये उसका प्यार था या उसकी कमजोरी वह पाकिजा के लिए किसी के मुंह से एक शब्द भी नही सुन पा रहा था l हा प्यार तो उसे हो चुका था पर ये प्यार अब क्या क्या रंग दिखायेगा कोई नही जानता था l

जीबी रोड , अम्माजी का कोठा , शाम का समय

अम्माजी ने पाकिजा को बुलावा भेजा l
पाकिजा बाहर आई और एक तरफ खडी हो गयी अम्माजी के पास कोई आदमी बैठा था l आदमी पाकिजा को खा जाने वाली नजरो से देखने लगा l

“पाकिजा साहब को अपने कमरे में ले जा”,अम्माजी में मुंह मे पान रखते हुये कहा l

“अम्माजी आज रहने दीजिए , महीने का तीसरा दिन है पेट मे भी दर्द है l आप किसी ओर को……
…..!!! “,पाकिजा इतना ही कह पाई

“नही नही अम्माजी दाम दिया है इसका तो दूसरी क्यों ले जाऊंगा मुझे तो यही चाहिए”,आदमी ने कहा

“सुन पाकिजा कस्टमर के सामने ज्यादा मच मच नही चाहिए मेरे को , चुपचाप साहब को अपने कमरे में लेकर जा l तुम लोगो के रोज रोज के नाटक से तंग आ गयी हु मैं……….चल जा अब यहां से “,अम्माजी ने पाकिजा को घुड़क दिया l

पाकिजा ने कुछ नही कहा l उसकी आँखों मे आंसू भर आये उसके जज्बातों की यहा कोई कदर नही थी l उसने अपने आंसू पोछे ओर आदमी को साथ लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l
आदमी जानवर था उसने पाकिजा का बुरा हाल किया महीने का तीसरा दिन ओर उस पर उसका जानवरो जैसा सुलूक l कुछ घंटों बाद आदमी कमरे से बाहर निकल गया l

पाकिजा लहूलुहान बिस्तर पर पड़ी थी बेडशीट पर लगे खून के धब्बे पाकिजा को चिढ़ाने लगे l पाकिजा ने खुद को सम्हाला ओर लड़खड़ाती हुई बाथरूम की तरफ बढ़ गयी l
बाथरूम में आकर पाकिजा ने नल चलाया ओर उसके नीचे बैठकर फफक पड़ी l उसका दर्द सुनने वाला कोई नही था l उसके आंसू पानी के साथ बहकर उस गंदे नाले में बह गए l


पाकिजा बाहर आई उसने घड़ी में देखा रात के 11 बज रहे थे पाकिजा आकर बिस्तर पर बैठ गयी नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी l चारो तरफ सन्नाटा फैला हुआ था घड़ी की टिक टिक पाकिजा की धड़कनो की गति चलने लगी l
सारी रात वह दर्द से करवटे बदलती रही l कभी कभी डरकर उठकर बैठ जाती और सिसक पड़ती l रात दर्द में गुजरी l


अगली सुबह के इंतजार में पाकिजा सो गई l
सुबह से ज्यादा पाकिजा को राते डराती थी शाम होते ही उसका दिल धड़कने लगता l
हफ्ता गुजर गया l ना पाकिजा की हालत बदली ना हो उसके हालात l
उधर शिवेन पाकिजा के बारे में सोच सोच कर परेशान था पाकिजा को वहां से बाहर कैसे निकाले वह नही समझ पा रहा था

इस एक हफ्ते में वह कई लोगो से मिला और पाकिजा के लिए मदद मांगी पर अम्माजी की पहुंच बहुत दूर तक थी किसी ने भी उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नही की l l
एक शाम जब शिवेन से नही रहा गया तो वह फ्लेट से बाहर निकला और बाइक स्टार्ट कर गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी l


उधर पकीजा ने जब अम्माजी की किसी बात को नही माना तो उन्होंने चमड़े के बेल्ट से उसके बदन को उधेड़ कर रख दिया l दर्द से तड़पडती पाकिजा जल बिन मछली जैसे पड़ी सिसकती रही l आंसू फुट पड़े आंखों से ओर दिल अंदर ही अंदर चीखते हुए रोने लगा l पर किसी को उस पर दया नही आई आज सोनाली भी वहां नही थी जो उसे बचाती वह अपने किसी कस्टमर के साथ दो दिन के लिए बाहर जो गयी हुई थी l


शिवेन ने बाइक रोकी सामने अम्माजी का कोठा था l पहली बार था जब शिवेन ऐसी जगह आया था l इस से पहले वह दो बार यहां आ चुका था पर सिर्फ किसी काम से जिस्म का सौदा करने नही l
शिवेन ऊपर आया अम्माजी के पास आकर खड़ा हो गया l
“क्या चाहिए ?”,अम्माजी ने शिवेन को घुरते हुए कहा


“जी जी वो मुझे………….!!”,शिवेन बोलते बोलते रुक गया
“सीधा सीधा बोल लड़की चाहिए l बोल इनमे से कौनसी अच्छी लगी बिमला , सीमा , सोनिया , रोजी परी l जो अच्छी लगी उसपे उँगली रख ओर ले जा”,अम्माजी ने कहा l
अम्माजी के मुंह से अपना नाम सुनकर लडकिया आगे आयी और अदाएं दिखाकर शिवेन को रिझाने लगी l लेकिन शिवेन ने किसी को नजर भर कर देखा तक नही ओर अम्माजी से कहा ,”इनमे से कोई नही चाहिए “


शिवेन की बात सुनकर सभी लडकिया मुंह बनाकर वहां से वापस अपनी अपनी जगह जाकर खड़ी हो गयी l
“तो फिर कौन चाहिए ?”,अम्माजी ने कहा
“वो !”,शिवेन ने कोने में सर झुकाए खड़ी पाकिजा की तरफ उंगली का इशारा करके कहा l
मार की वजह से पाकिजा ठीक से खड़ी भी नही हो पा रही थी l

उसने अपनी गर्दन झुका रखी थी उसने सर उठाकर देखा तक नही की सामने कौन खड़ा है l
“उसका तो डबल पैसा लगेगा बहुत डिमांड में है वो”,अम्माजी ने कहा
“जितना चाहिए ले सकती हो “,शिवेन ने पाकिजा की तरफ देखते हुए कहा
“कितने वक्त के लिए चाहिए ? “,अम्माजी ने शिवेन को ऊपर से नीचे तक घुरते हुए कहा


“पूरी रात”,शिवेन ने शब्दो पर दबाव डालते हुए कहा
दूर खड़ी पाकिजा के कानो में जब ये बात पड़ी तो वह अंदर तक सहम गई लेकिन अपने डर को चेहरे पर आने नही दिया l
“ठीक है 3000 लगेगा मंजूर हो तो बोलो”,शिवेन की पकीजा में दिलचस्पी देखते हुए रुपये बढ़ाकर बताये


शिवेन ने बिना कुछ कहे जेब से पर्स निकाला और रुपये निकालकर अम्माजी की तरफ बढा दिया l
“ए पाकिजा साहब को अपने कमरे में ले जा ओर ध्यान रहे इन्हें कोई तकलीफ ना हो “

पाकिजा बरामदे की तरफ बढ़ गई शिवेन भी उसके पीछे पिछे चलने लगा कमरे में आकर शिवेन ने कमरा अंदर से बंद किया और पकिजा की तरफ पलटा l पाकिजा अब भी अपनी गर्दन झुकाए खड़ी थी शिवेन उसके सामने आकर खड़ा हो गया l पाकिजा ने अपना दुपट्टा उतार कर जमीन पर फेंक दिया
“एक बार मुझे देख तो लो”,शिवेन ने प्यार से कहा

“यहां हर नया मर्द इस जिस्म को नोचने आता है तो फिर देखकर चेहरा याद रखने का क्या फायदा l होते तो सब इंसानी भेष में भेड़िये ही है”,पाकिजा ने नफरत से कहा

“तुम एक बार अपनी पलके उठाकर मुझे देखो तो सही मैं दावे के साथ कह सकता हु ये चेहरा तुम जिंदगीभर नही भूल पाओगी”,शिवेन में अपने दोनों हाथों को समेटते हुए कहा

पाकिजा ने जैसे ही पलके उठाकर सामने देखा शिवेन को अपने सामने देखकर चौंक गई लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे पर दर्द उभर आया और उसने नफरत से कहा

“ओह्ह तो आपको भी याद आ गया कि आप एक मर्द है”

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