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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 20

Pakizah – 20

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 20

अम्माजी के बुलाने पर पाकिजा सर झुकाये उनके सामने आकर खड़ी हो गयी l अम्माजी ने साथ बैठे अधेड़ उम्र के आदमी से कहा,”देख लीजिए ! एकदम नया पीस है अभी तक इसकी मुंह दिखाई भी नही हुई है”
“लड़की तो मुझे भा गयी है , आप बस रकम बोलो”,आदमी ने पाकिजा को घूरकर देखते हुए कहा


“रकम एक रात का पूरे 2000 लगेंगे सेठ आप पहचान वाले है इसलिए इतना कम वरना इसके लिए तो पूरे 2500 रेट है”,अम्माजी ने पान का बीड़ा मुंह मे दबाते हुए कहा
“अम्माजी 2000 क्या इसके लिए तो आप जो कीमत बोलो वो मंजूर है”,आदमी ने लार टपकाते हुए कहा l
दूर खड़ी पाकिजा ने जब सुना तो उसका दिल बैठ गया l कलेजा धड़ धड़ करने लगा l

उसकी हिम्मत नही हुई गर्दन उठाकर सामने बैठे उस सख्स को देख सके l हाथ पांव फूलने लगे ओर होठ कांपने लगे l एक बार फिर उसे वही खेल खेलना होगा जो युवान के खरीददार ने किया l
“ए पाकिजा साब को अपने कमरे में लेकर जा”,अम्माजी ने लगभग ऑर्डर देते हुए कहा l


पाकिजा बूत बनी वही खड़ी रही आदमी ने अम्माजी को रुपये पकड़ाए ओर पाकिजा की तरफ बढ़ा पाकिजा के पास आया ओर अपने सख्त हाथो में उसका मुंह पिचका कर उसकी तरफ़ खा जाने वाली नजरो से देखते हुए बोला,”तेरे से खूबसूरत लड़की आज तक नही देखी मैंने l अब अंदर चलके तेरी खूबसूरती के ओर नजारे भी दिखा दे”


आवाज पाकिजा के हलक में जम सी गयी वह कुछ बोल पाती इस से पहले ही आदमी ने उनकी कलाई पकड़ी ओर उसे घसीटता हुआ गलियारे से होता हुआ कमरे में ले गया l
कमरे में लाकर आदमी ने पाकिजा को बिस्तर पर धकेला ओर दरवाजा अंदर से बंद करके पाकिजा के सामने आ खड़ा हुआ l


“खुदा के वास्ते मुझे छोड़ दीजिए”,पाकिजा ने आंखों में आंसू भरकर कहा l
“ऐसी खूबसूरत बला को भला कोई खुदा के लिए छोड़ता है , आज तो मैं तेरे इस खूबसूरत जिस्म से जीभरकर खेलूंगा”,कहते हुए आदमी ने पाकिजा को अपनी मजबूत बांहो में जकड़ लिया l
पाकिजा ने बहुत मिन्नते की लेकिन उस आदमी ने उसकी एक न सुनी और उसके जिस्म को नोचने लगा l वह रोती रही रहम की भीख मांगती रही पर आदमी ने उसकी एक न सुनी l


जिस्म के साथ साथ लहू लुहान हो चुका था उसका जमीर l घाव जितने जिस्म पर थे उतने ही आत्मा पर लगे l आदमी इंसान से हैवान बन चुका था l उसने पाकिजा की इज्जत तार तार कर दी एक बार फिर l पाकिजा निर्जीव वस्तु की तरह बिस्तर पर नंग धड़ंग पड़ी रही l चेहरे पर कोई भाव नही था आंखों से आंसू बहने लगे लेकिन मुंह से सिसक ना निकली l


सारी रात वह आदमी पाकिजा के साथ जानवरो से भी बदतर सुलूक करता रहा l सुबह जल्दी ही वह पाकिजा को छोडकर कमरे से बाहर निकल गया l
दर्द और डर की भावना से भरी पाकिजा को होश कहा था उसकी आंखें बंद हो गयी l
जब आंख खुली तो खुद को चद्दर में लिपटा पाया पास ही सिरहाने सोनाली बैठी थी

उसे देखते ही पाकिजा उस से लिपट गयी और रोने लगी,”मुझे यहां से जाना है बाजी , कल रात फिर मेरे साथ गलत हुआ वो आदमी मेरे साथ जानवरो जैसा बर्ताव करता रहा l मुझे यहां से भेज दो बाजी मैं मर जाउंगी l”
“चुप हो जा पाकिजा , ये तो सिर्फ शुरुआत थी l अबसे ये रोज़ होना है , हर रात होना है , हर मर्द के साथ होना है”,सोनाली ने उसके बालो को सहलाते हुए कहा l


“नही बाजी !मुझसे ये सब नही होगा मैं मर जाउंगी बाजी l बहुत दर्द होता है बाजी , बहुत गंदा लगता है वो सब “,कहते हुए पाकिजा फूट फूट कर रोने लगी
सोनाली ने उसे अपनी बांहो में कस लिया पाकिजा के दर्द को वह अच्छी तरह महसूस कर सकती थी वह चाहती थी पाकिजा जितनी जल्दी हो सके इस सच को अपना ले l उसने धीरे से कहा – धीरे धीरे इन सबकी आदत हो जाएगी पाकिजा l तू जाकर नहा ले आज शाम फिर तुझे अपनी सेज सजानी है ये अम्माजी का आर्डर है “


सोनाली की बात सुनकर पाकिजा एक झटके में उस से दूर हो गयी और कहा,”ये आप क्या कह रही है बाजी ?”
“मैं सच कह रही हु पाकिजा l तुम्हारे लिए लोग 5000 तक देने को तैयार है और अम्माजी आती हुई लक्ष्मी को ना नही कहेगी”,सोनाली ने कहा
“नही मैं नही करूँगी”,पहली बार पाकिजा चिल्लाई l


”तुझे ये सब करना ही होगा पाकिजा वरना अम्माजी तुम्हारी खाल उधेड़ देगी l तुम्हारी खूबसूरती के चर्चे पूरी गली में होने लगे है l हर कोई अब तुम्हे पाना चाहता है l”,सोनाली ने कहा
“इन सब के पीछे वजह खुबसूरत चेहरा है ना तो इसे मैं अभी खत्म कर देती हूं”,कहते हुए पाकिजा उठी और टेबल पर रखी छुरी उठाकर जैसे ही अपने चेहरे पर चलाने लगी सोनाली ने उसे रोक लिया और एक थप्पड़ मारा छुरी नीचे जा गिरी


“पागल हो गयी हो तुम ये क्या करने जा रही थी”,सोनाली ने चिल्लाकर कहा
“मत रोकिये मुझे बाजी ये चेहरा ही मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है”,पाकिजा ने रोते हुए कहा l
“तुम्हे क्या लगता है ये सब करने से अम्माजी तुम्हे छोड़ देगी l जीना हराम कर देगी वो तेरा ओर तेरे साथ साथ तेरे घरवालो का भी l अम्माजी की पहुंच बहुत दूर तक है पाकिजा”,सोनाली ने पाकिजा को समझाते हुए कहा l


पाकिजा वही बैठकर रोने लगी l सोनाली देर तक उसे समझाती रही l शाम होते ही सोनाली उसे तैयार करने लगी और पाकिजा निस्तेज से जाकर लड़कियों के बीच खड़ी हो गयी एक बार फिर नोचे जाने के लिए l चेहरे पर कोई भाव नही था आंखे बिल्कुल खाली कुछ देर बाद पाकिजा की रकम चुकाकर वह आदमी उसका हाथ पकड़ कमरे में ले गया l

पाकिजा निर्जीव सी उसके साथ चल पड़ी l आदमी ने कमरा अंदर से बंद किया और पाकिजा को दबोच लिया l आज उसने मिन्नते नही की ना ही रहम की भीख मांगी l
जो कुछ हो रहा था उसे अपनी किस्मत समझकर वह एक लाश की भांति बिस्तर पर पड़ी रही l अपने औरत होने की उसे ये कीमत चुकानी पड़ेगी उसने कभी सोचा नही था l

रुद्र ने किताब बंद कर दी l आगे पढ़ने की उसकी हिम्मत नही हुई आंखों से आंसू बहकर किताब पर गिरने लगे l पाकिजा का दर्द उसकी आँखों मे उतर आया l उसने देखा घड़ी रात के 12 बजा रही है कुछ देर बाद ट्रेन आगे जाकर एक स्टेशन पर रुकी रुद्र ने किताब बेग में रखी और ट्रेन से नीचे उतर गया l पानी की टंकी के पास आकर पानी पिया ओर मुंह धोया l

स्टेशन पर इक्का दुक्का लोग थे जो की नींद की वजह से उघ रहे रहे l स्टेशन पर बनी एक मात्र चाय की दुकान भी खाली पड़ी थी दुकान का मालिक वही बैठा झपकियां ले रहा था l ट्रेन आधे घंटे के लिये रुकी थी आगे एक ऑक्सीडेंट होने की वजह से ट्रेन को रोक दिया गया l रुद्र पानी की टंकी से हटकर चाय की दुकान की तरफ बढ़ गया l


रुद्र ने दुकान वाले से एक चाय देने को कहा l दुकान वाला अलसाया सा उठ खड़ा हुआ और चाय बनाने लगा l रुद्र वही खड़ा स्टेशन को देखने लगा l एक अजीब सा अहसास ऐसे जैसे वह पहले भी यहां आ चुका हों l ये स्टेशन , ये पटरियां , ये ट्रेन , ये बेंचे ओर ये दुकान ऐसा लग रहा था जैसे रुद्र पहले भी यहां आ चुका है l
“साबजी चाय”,दुकान वाले ने चाय का ग्लास रुद्र की तरफ बढ़ाते हुए कहा


दुकानदार की आवाज से रुद्र की तंद्रा टूटी l उसने चाय का ग्लास लिया और पैसे देकर सामने खाली पड़ी बेंच की तरफ बढ़ गया l बेग रखकर रुद्र बेंच पर बैठ गया चाय पीते हुये पाकिजा के बारे मे सोचने लगा l
“इतना दर्द पाकिजा की ही जिंदगी में क्यों लिख दिया उस खुदा ने ! आखिर उस मासूम की गलती ही क्या थी l हर एक ने उसे दर्द दिया आंसू दिए , उसकी कहानी आगे पढ़ने की भी हिम्मत नही है l

इतना सब होने के बाद अगर पाकिजा को इंसाफ नही दिला पाया तो मुझे मर्द कहलाने का हक नही l जो जो जुल्म उस पर हुए है उन सबका इंसाफ मिलेगा उसे l”

रुद्र बैठकर सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजने लगा l रुद्र ने देखा नम्बर जाना पहचाना है उसने फोन उठाया दूसरी तरफ से एक लड़की की प्यारी सी आवाज उभरी,” हेलो रुद्र
रुद्र – हा भावना ! इतनी रात को फोन किया सब ठीक तो है l
भावना – हा सब ठीक है , इतने दिनों से आपका कोई फोन नही आया ना ही मेरठ से आने के बाद आपने कोई खबर दी


रुद्र – काम में इतना बिजी था कि वक्त ही नही मिला
भावना – हममम , पापा ने दो महीने बाद कि डेट फिक्स की है
रुद्र – तुम देख लो जो तुम्हे ठीक लगे मुझे बता देना
भावना – आप परेशान हो रहे होंगे मैं बाद में करती हूं
रुद्र – अभी स्टेशन हु


भावना – इस वक्त ?
रुद्र – किसी जरूरी काम से मुंबई जा रहा हु
भावना – आपकी तबियत तो ठीक है ना ?
रुद्र – हा मैं बिल्कुल ठीक हु तुम चिन्ता मत करो l जल्दी ही आजाऊँगा
भावना – अपना ख्याल रखना
रुद्र – ह्म्म्म अभी मैं रखता हूं


भावना – रुद्र
रुद्र – हां
भावना – i love you
रुद्र – हम्म्म्म
भावना – बाय
रुद्र – बाय

रुद्र ने फोन काट दिया और साइड में रखा l भावना से बात करते हुए रुद्र के चेहरे पर कोई भाव नही था ऐसा लगा जैसे वह जबरदस्ती बात करने की कोशिश कर रहा है l रुद्र खुद नही जानता था कि उसे इन दिनों क्या हो गया है पाकिजा के अलावा उसे ओर किसी का ख्याल नही था l रुद्र ने अपनी आंखें बंद की ओर चेहरे को अपने हाथों में रख लिया l


दिमाग बिल्कुल सुन्न था l रूद्र ने फोन उठाया और एक नम्बर डायल किया कुछ देर रिंग बजती रही और फिर किसी ने फोन उठाया
“हेलो महेश सर मैं रूद्र प्रताप , क्या मैं पाकिजा से बात कर सकता हु ?”,रुद्र ने बैचैनी से कहा
“रुद्र ! समय देखा है तुमने रात के 12:25 हो रहे है और इस वक्त तो मैं घर पर हु “,महेश जो कि सेंट्रल जेल का जेलर था ने अलसायी हुई आवाज में कहा l


“सॉरी सर ! सर एक रिक्वेस्ट है क्या आप मुझे पाकिजा की कोई तस्वीर अभी सेंड कर सकते है प्लीज़ सर”,रुद्र की बेचैनी बरकरार थी l
“सॉरी रुद्र इस वक्त तो मेरे पास कोई तस्वीर नही है कल सुबह जेल जाकर मैं तुम्हे तस्वीर भेज दूंगा”,महेश ने कहा
“ठीक है सर , सॉरी आपको डिस्टर्ब किया “,रुद्र ने उदास होकर कहा
“इट्स ओके रुद्र ! गुड़ नाईट”,कहकर महेश ने फोन काट दिया l

रुद्र ने फोन जेब मे रख लिया और खुद से कहने लगा ,”ये क्या हो गया है तुझे रूद्र ? ऐसी हरकतें क्यों कर रहा है ? पाकिजा को लेकर इटना बैचैन क्यो है तू ? पाकिजा से इतना जुड़ा हुआ महसूस क्यों कर रहा है जबकि तू जानता है 2 महीने बाद भावना से तेरी शादी होने वाली है उसके बाद भी पाकिजा के लिए ये फीलिंग्स कैसे ?


रुद्र एक बार फिर अपने ही ख्यालो में उलझकर रह गया l ट्रेन ने हार्न दिया तो रुद्र अपने ख्यालो से बाहर तैयार बैग उठाकर ट्रेन की तरफ़ बढ़ गया l अंदर आकर रुद्र अपनी सीट पर बैठा बैग को सर के नीचे लगाकर लेट गया और जल्दी ही नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया l

सुबह जब आंख खुली तो गाड़ी मुम्बई रेलवे स्टेशन पर थी रुद्र अपना बैग सम्हाले गाड़ी से उतरा और स्टेशन से बाहर आ गया बाहर आकर उसने टेक्सी वाले से लाइफ केअर हॉस्पिटल छोड़ने को कहा l
लाइफ केयर हॉस्पिटल पहुंचकर रुद्र सीधा डॉक्टर राजीव खन्ना के केबिन में पहुंचा l
“आईये रुद्र प्रताप सिंह आप ही का इंतजार हो रहा है”,खन्ना जी ने मुस्कुराते हुए कहा


रूद्र ने आगे बढ़कर राजीव से हाथ मिलाया ओर फिर बैठकर बाते करने लगा l
“रुद्र तुम्हारे कुछ रूटीन चेकअप कर लूं ओर साथ ही कुछ टेस्ट भी जिससे तुम्हारी प्रेजेंट रिपोर्ट्स जान सकू”,राजीव ने कहा
“स्योर डॉक्टर”,रुद्र ने कहा l
रुद्र को केबिन में ही बैठने को बोलकर राजीव केबिन से बाहर निकल गया l

रुद्र एक अजीब सी बैचैनी से घिरा हुआ था तभी उसके व्हाट्सप्प पर एक मैसेज आया रुद्र ने मेसेज ओपन किया तो उदासी भरे चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गयी l
महेश ने रुद्र को पाकिजा की तस्वीर जो भेजी थी l रुद्र तस्वीर देखने मे इतना खो गया कि राजीव कब आया उसे पता ही नही चला l


“क्या बात है बड़ा मुस्कुरा रहे है आप मिस्टर रुद्र”,राजीव ने रुद्र से कहा l
रुद्र सकपका गया और फोन जल्दी से जेब मे रख लिया वह नही चाहता था कि कोई और पाकिजा को देखे l
“टेस्ट शुरू करे ?”,राजीव ने पूछा
“ह्म्म्म”,रुद्र ने कहा ओर फिर राजीव के साथ केबिन से बाहर निकल गया l
टेस्ट रूम में लाकर राजीव में रुद्र के टेस्ट शुरू किए l 2 घंटे के लंबे प्रोसीजर के बाद राजीव ने कहा ,”रिपोर्ट्स अभी सब ओके है l

आप शर्ट पहनकर मेरे केबिन में आ जाईये आगे का ट्रीटमेंट मैं आपको वही बता दूंगा”
“ठीक है , आप चलिए मैं आता हूं”,रुद्र ने कहा
राजीव वहां से चला गया रुद्र अपना शर्ट उठाकर शीशे के सामने आकर खड़ा हो गया उसने खुद को शीशे में देखा बांयी तरफ एक बड़े जखम का निशान था जो कि अब भर चुका था उसे देखते ही रूद्र अपने अतीत में चला गया

भावना आंखों में आंसू लिए उसके सामने खड़ी थी l रुद्र उसे किसी बात पर समझा रहा था कि तभी वह लड़का जिससे भावना प्यार करती थी बदहवास सी हालत में वहां आ पहुंचा ओर भावना से किसी बात पर बहस करने लगा l बहस ने झगड़े का रूप ले लिया रुद्र ने दोनों को समझाने की कोशिश की लेकिन दोनों ने ही उसकी एक बात नही सुनी l ओर आखिर में लड़के ने बंदूक निकाल कर भावना की तरफ़ तान दी l जैसे ही लड़के ने ट्रिगर दबाया रुद्र बीच मे आ गया और गोली सीधा जाकर रुद्र के सीने में लगी l
रुद्र वही गिर पड़ा l

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Continue With Part Pakizah – 21

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