Sanjana Kirodiwal

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मेरी आख़री मोहब्बत – 22

Meri Aakhari Mohabbat – 22

Meri Aakhari Mohabbat
Meri Aakhari Mohabbat by Sanjana Kirodiwal

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Meri Aakhari Mohabbat – 22

शिव अपने कमरे में चला गया … उसे बस पाखी की परवाह थी अगले दिन वो समय से पहले ही कोचिंग पहुंच पाखी का इन्तजार करने लगा लेकिन पाखी नहीं आयी … शिव उदास हो गया वो दोपहर तक पाखी का इन्तजार करता रहा तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक हुयी उसने बेसब्री से देखा सामने सपना और आकाश खड़े थे

आकाश ने आते ही कहा – क्या बात है किसका इन्तजार हो रहा है

शिव ने कुछ नहीं कहा तो सपना ने उसके चेहरे की उदासी देखकर कहा – क्या हुआ ? शिव भैया आप बड़े परेशान दिखाई दे रहे है

सपना की बात सुनकर शिव ने सारी बाते सपना और आकाश को बता दी .. शिव् आकाश और सपना बैठ बाते कर ही रहे थे की तभी एक लड़का आया और पूछा

– शिव सर कौन है ?

शिव – मैं हु कहिये

– पाखी दी ने आपके लिए ये लिफाफा भिजवाया है — उसने लिफाफा शिव के हाथ में पकड़ाया और चल गया

शिव ने कांपते हाथो से लिफाफा खोला उसमे एक लेटर और कुछ पैसे थे …

शिव ने लेटर पढ़ना शुरू किया

शिव !!

सबसे पहले तो आपसे माफ़ी चाहते है की हम इस तरह आपके घर से चले आये ,, अंकल आंटी को हमारी वजह से दुःख पहुंचा हमे माफ़ कर दीजिये , हम किसी को ठेस पहुंचना नहीं चाहते थे , पर आपके माँ पापा जो चाहते है वो हम नहीं कर सकते ,, और उसकी वजह है हमारा अतीत ,, हम अपना अतीत नहीं भूल सकते ……

आप बहुत अच्छे इंसान है आपने हमारी बहुत मदद की है आपको शुक्रिया बोलकर हम आपकी मेहनत जाया नहीं करना चाहते … आज के बाद हम आपसे पढ़ने नहीं आ सकते ,, हमे गलत मत समझिएगा इतने दिन आपने हमे पढ़ाया हमसे जितना हो पाया हमने आपको आपकी फीस भेजी है उसे स्वीकार कीजिये ,, क्युकी हम आपकी मेहनत को अहसान का नाम देना नहीं चाहते …

पाखी !!

शिव की नम आँखे देख आकाश ने वो लेटर लेकर पढ़ा और शिव से कहा – तू परेशान मत हो मैं पाखी को अच्छे से जानता हु वो बहुत जिद्दी लड़की है , मैं तेरे लिए उस से बात करता हु ,, तुमने उसके लिए इतना सब किया और उसने इनके बदले पैसे भेज दिए

शिव – नहीं आकाश पाखी से अब कुछ कहने की जरुरत नहीं है , ये लेटर पढ़ने के बाद भी शायद तुम उसे समझ नहीं पाए

उसने ये सब कैसे लिखा है मैं जानता हु … सच तो ये है की वो सबको खुश देखना चाहती है , उसके सम्मान को कम नहीं करना चाहता मैं ये पैसे रख लेता हु … मुझे यकींन है एक दिन वो लौटकर जरूर आएगी …………… शिव ने आँखों की नमी को पोछ मुस्कुराते हुए कहा

आकाश – मोहब्बत जो ना कराये वो कम है 5 करोड़ सालाना जिसका टर्न ओवर है उसे आज ये 5000 भी बेशकीमती लग रहे है ,, अपने 25 साल के करियर में मैंने ऐसी मोहब्बत नहीं देखी

शिव खिड़की के बाहर देखने लगा

आकाश ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – सब ठीक हो जाएगा , इतना तो जान गया गया उसे वो भी इस वक्त तुम्हारी तरह परेशान होगी पर देखना जैसे ही डिग्री मिलेगी वो सबसे पहले तुमसे आकर मिलेगी …

थोड़ी देर शिव के पास रुकने के बाद आकाश और सपना घर चले गए … उधर पाखी सब भूल कर अपनी पढ़ाई में लग गयी एग्जाम वाले वो बहुत परेशान थी लेकिन पेपर करके जैसे ही बाहर आयी खुश थी उसका पेपर बहुत अच्छा हुआ ,,, वो घर आयी

कुछ दी बाद उसका रिजल्ट आया उसने इस बार भी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था , डिग्री के साथ साथ उस स्कॉलर शिप भी मिली पाखी बहुत खुश थी सब उसे मुबारकबाद देने के लिए फोन कर रहे थे लेकिन शिव का कोई फोन नहीं आया

कुछ दिन बाद पाखी को एक लेटर मिला पाखी ने उसे खोल कर देखा तो उसमे एक एयर टिकट और एक कागज था पाखी ने पढ़ना शुरू किया

dear पाखी !!

युनिवेर्सिटी टॉप करने के लिए आपको ढेरो शुभकामनाये !!

मुझे आपका रिज्यूम मिला और मुझे ये जानकर बेहद ख़ुशी हुयी की आप एक क्रिमिनल लॉयर बनना चाहती है ..

अगले हफ्ते मैं बंगलोर लॉ कॉलेज आकर अपने साथ काम करने के लिए कुछ लोग चुनना चाहता था पर आपने मेरा काम आसान कर दिया ,, मैं आपको आपकी काबिलियत दिखाने का एक मौका देता हु ,,, आपके शहर में मेरे एक क्लाइंट का केस आपको देता हु , अगर आप उसमें सफल होती है तो मुझे आपके साथ काम करके बहुत ख़ुशी होगी … केस की डिटेल मैंने आपको मेल कर दी …

जितने के बाद आप बंगलौर आकर मुझसे मिल सकती है ..

एडवोकेट एस.आर. गुप्ता

पाखी ने लेटर वापस लिफाफे में रखा उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था , जिस इंसान के साथ वो काम करना चाहती थी वो खुद उसे मौका दे रहा था पाखी ने लेटर उठाया और घर से बाहर आ गयी ,, वो सीधा कोचिंग गयी , शिव ऑफिस में ही थी पाखी को देख उसके चेहरे पर छायी उदास गायब हो गयी पाखी आते ही शिव के गले लग गयी … और कहने लगी

– सब आपकी वजह से हुआ है , आपकी मेहनत ने ही हमे आज इस मुकाम पर पहुंचाया है शिव ,, हमने उस दिन के लिए बहुत शर्मिन्दा है ,,,

उसके बाद शिव से अलग होकर कहा आप जानते है हमे आज क्या मिला ये लेटर – उसने लेटर शिव के हाथो में देते हुए कहा

– हमे एक केस मिला है जानते है किसने दिया है , एडवोकेट एस.आर.गुप्ता ने और उन्होंने मुझे अपने साथ काम करने के लिए बंगलौर आने को कहा है , वो चाहते है मैं ये केस जीतू और अपनी काबिलियत का परिचय दू

पाखी की आँखों में आंसू आ गए उसने कहना जारी रखा – आप जानते है यहाँ तक आने में हमने बहुत कुछ देखा , सूना है लोगो की रुस्वाई , धोखा , तकलीफ सब सहा है ,,, पर मुझे यहां पहुंचाने में सिर्फ आपका हाथ है ,, हम ये हमेशा याद रखेंगे हमारे दिल में आपके लिए एक खास जगह हमेशा रहेगी शिव ….

शिव ने पाखी के गाल पर आये आंसुओ को पोछते हुए कहा – ये तो होना ही था , क्योकि हमे आप पर पूरा भरोसा था ..

पाखी – 2 दिन बाद उस केस की सुनवाई है , इतना साथ दिया थोड़ी दूर और देंगे मेरे साथ चलेंगे

शिव – आपका साथ देने के लिए तो मैं जिंदगीभर तैयार हु

पाखी – शिव , मैं आपकी भावनाओ की कदर करती हु , पर जिस नर्क से मैं एक बार गुजर चुकी हु फिर से नहीं गुजरना चाहती …

शिव – मैं जिंदगीभर इस उम्मीद में इंतजार करूँगा की कभी तो आप आएंगी ,, अगर जीतेजी नहीं तो मरने के ……….

पाखी ने अपना हाथ शिव के मुँह पर रखते हुए कहा – दोबारा ऐसा मत कहियेगा , तकदीर ने हमसे बहुत कुछ छिना है अब आपको नहीं …

शिव पाखी की आँखो में देखता है आज उसे उसमे सिर्फ खुद का अक्स नजर आ रहा था ,, आज उन आँखों में कोई दर्द नहीं था , न ही कुछ पाने की खवाहिश सिर्फ प्यार था , विश्वास था ….

शिव – चलिए आपको घर छोड़ देता हु

पाखी आकर गाड़ी में बैठ गयी , शिव ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ मोड़ दी ,, गाड़ी धीमी रफ़्तार से सड़क पर चल रही थी ,, शिव खुश था पाखी लौट आयी थी

शिव ने म्यूजिक ऑन किया गाना हर बार शिव की कडीशन के हिसाब से ही निकलता था गाना बजा –

“राहो में तनहा हु साथ ले चल यु , संग तेरे सफर पूरा करू

शिव ने पाखी की तरफ देखा आज पहली बार उसने पाखी को अपनी तरफ देखते पाया , शिव मुस्कुरा दिया और सामने देखने लगा …. दोनों खामोश थे पर दिल रोज से तेज धड़क रहा था

कुछ देर बाद घर आ गया पाखी ने गाड़ी से उतरते हुए कहा – आप अंदर नहीं आएंगे

शिव – एक दिन जरूर आऊंगा , पर अभी नहीं

पाखी – मैं उस दिन का इन्तजार करुँगी ….

पाखी को घर छोडकर शिव चला गया

2 दिन बाद पाखी काळा कोट पहने आईने के सामने खड़ी थी आज उसकी आंखों में डर नहीं हिम्मत थी , उसके चेहरे पर बेबसी नहीं आत्मविश्वास था , उसके हाथ आज मजबूरियों से बंधने के बजाय कानूनी कागज पकड़े हुए थे , होठो पर चुप्पी के बजाय थी हर ताकत को हरा देने वाली मुस्कान

पाखी फाइल्स लेकर बाहर आयी तो देखा शिव अपनी गाड़ी लिए पहले से वहा मौजूद था … पाखी ने उसके पास आकर कहा – आप सुबह सुबह यहाँ ?

शिव – कहा था न आपसे , वकील बनते ही आपका असिस्टेंट बना लेना ………….. तो लीजिये आपका असिस्टेंट आपकी खिदमत के लिए हाजिर है – शिव ने गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए कहा

पाखी मुस्कुरा कर शिव के पास आयी और कहा – आप मेरे असिस्टेंट नहीं है

तो फिर क्या हु – शिव ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा

शिव को इस तरह अपनी तरफ देखता देख पाखी ने नजरे झुका ली और कहा – वक्त आने पर बता दूंगी …

कहकर पाखी गाड़ी में बैठ गयी शिव भी आया और गाड़ी स्टार्ट कर शहर की अदालत की तरफ बढ़ा दी …………..

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