Manmarjiyan Season 3 – 95
Manmarjiyan Season 3 – 95

मिश्रा जी लवली को समझाने और सबको सच्चाई बताने आये लेकिन यहाँ तो एक अलग ही भसड़ फ़ैल चुकी थी जिसे फ़ैलाने वाला कोई और नहीं बल्कि गोलू और गुप्ता जी थे। दोनों बाप-बेटे ने मिलकर लवली और लल्लन के पुरे प्लान पर पानी फेर दिया। इस भागमभाग में सबको एक दूसरे से मार पड़ चुकी थी और सब आजाद थे बस गुड्डू और आदर्श फूफा अभी भी पिंजरे में कैद थे। मिश्रा जी ने जब देखा कि लवली खाई में लटका है तो वे उसकी तरफ आये। खाई में लटके लवली को देखकर मिश्रा जी का दिल धड़क उठा। वे घुटनो के बल जमीन पर बैठे और अपना हाथ लवली की तरफ बढाकर कहा,”लवली अपना हाथ दो”
लवली ने जब देखा कि उसे बचाने वाला हाथ किसी और का नहीं बल्कि मिश्रा जी का है तो उसे बड़ी हैरानी हुई। जिन मिश्रा जी को वह अब तक अपना दुश्मन मानकर बदले की आग में जल रहा था उन्ही मिश्रा जी ने उसकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाया।
लवली को सोच डूबा देखकर मिश्रा जी ने घबराहटभरे स्वर में कहा,”लवली सोच का रहे हो हाथ दो हम तुमको ऊपर खींचते है”
भागते भागते गोलू मिश्रा जी के पास चला आया और जब उसने मिश्रा जी को लवली की मदद करते देखा तो कहा,”अरे चचा इह का कर रहे है आप ? जे लबली को काहे बचा रहे है ? अरे मर जाने दीजिये ससुरे को”
मिश्रा जी ने जैसे ही सुना उठे और गोलू को एक थप्पड़ मारकर कहा,”जैसे गुडडु हमरा बेटा है वैसे जे भी हमरा बेटा है खबरदार जो आइंदा ऐसी बात मुँह से निकाले मुँह खोंच देंगे तुम्हरा समझे जाकर गुड्डू को बचाओ”
गोलू ने सुना तो चुपचाप वहा से आगे बढ़ गया और मिश्रा जी लवली को बचाने लगे। मिश्रा जी को अपनी मदद करते देखकर और उनके मुँह से अपने लिए बेटा शब्द सुनकर लवली के मन में उनके लिए जो गुस्सा था वो उसी पल गायब हो गया और लवली ने नम आँखों के साथ अपना हाथ मिश्रा जी की तरफ बढ़ा दिया।
मिश्रा जी से थप्पड़ खाकर गोलू पिंजरे के पास गुड्डू की तरफ चला आया और गुड्डू को बचाने के बजाय पिंजरे के बाहर खड़े होकर गुड्डू से कहने लगा,”जे आपके पिताजी भी पगला गए है गुड्डू भैया। अरे अभी थोड़ी देर पहिले जोन लबली ओह्ह को सबके सामने बेइज्जत कर रहा था ओह्ह से बदला लेने की बाते कर रहा था मिश्रा जी अब उसे ही बचा रहे है। इह तो उह बात हो गयी गुड्डू भैया कि जहरीले साँप को घर में लेकर आये सो आये सर सहलाकर अपने ही हाथो से ओह्ह का दूध भी पिला रहे है और बाद मा अपने ही पिछवाड़े पर काटने को भी कह रहे है।
भक्क साला हम हिया मिश्रा जी की मदद करने आये और उह्ह्ह दुश्मन से ही हाथ मिलाय लिए,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ हाँ देख रहे है कित्ती मदद कर रहे हो तुमहू मिश्रा की”,गुड्डू से पहिले आदर्श फूफा ने कहा
मिश्रा जी से थप्पड़ खाकर गोलू पहले ही किलसा पड़ा था उस पर आदर्श फूफा की बाते आग में घी डालने जैसी थी
उसने पिंजरे में दोनों हाथ डालकर फूफा के लम्बे घने बालों को पकड़ा और उन्हें झुलाकर गुस्से से कहा,”अरे जे सारे फसाद की जड़ ना तुमहि हो फूफा , साला उह्ह रात गुड्डू भैया को सच बता देते तो तुम्हरा का बिगड़ जाता , अभी तक ददिया कि तेहरवी नहीं हुई है पर साला तुम्हरे चक्कर मा 13 सौ थप्पड़ खा चुके है सब से,,,,,,,,,,,तुमको तो हम छोड़ेंगे नाही चाहे भुआ के लिए हमको कोनो और फूफा ढूंढना पड़े पर तुम्हरा मामला आज हम सुलटाय के रहे है”
“गोलू का कर रहे हो छोडो इन्हे पगला गए हो का ?”,गुड्डू ने गोलू के हाथो से फूफा के बालों को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन गोलू तो जैसे आज घर से ठान के आया था कि किसी की नहीं सुनेगा और जैसे ही गुड्डू ने उसे पागल कहा गोलू ने फूफा के बालो को छोडो और उछलते हुए कहा,”हाँ हाँ हाँ पगला गए है हम , तुम सब मिलके पागल कर दिए हो हमका। पागल है हम , पागल है”
कहते हुए गोलू के सामने जो भी आया बौखलाया हुआ गोलू सब पर लात घुसे बरसाने लगा। चाहे लल्लन के आदमी हो , चाहे उसके पिताजी , चाहे मंगल फूफा सबको लात घुसे पड़े गोलू सच में पागल हो गया था और बेचारा होता भी कैसे नहीं बीते 5 दिनों में उसने जो भसड़ देखी थी वो देखकर तो अच्छा खासा इंसान पागल हो जाये। एक पल ऐसा आया जब शर्मा जी गोलू के हाथ लगे और उन्होंने कहा,”अरे होश मा आओ गोलू जी का कर रहे हो अपने ही आदमियों को मार रहे हो का पगला वगला गए का ?”
शर्मा जी के मुँह से पागल सुनकर गोलू का गुस्सा फिर बढ़ गया और उसने शर्मा जी के हाथ पर जोर से काट लिया और शर्मा जी चिल्लाये।
“अब लगेंगे आपको पुरे 14 इंजेक्शन”,गोलू ने गुस्से से कहा
“काहे ?”,शर्मा जी ने अपना हाथ मसलकर कहा
“का है कि हमहू बहुते कुत्ते आदमी है”,गोलू ने बुरा सा मुँह बनाकर कहा
“अरे तुम्हरी ऐसी की तैसी गोलू गुप्ता , आज तुम्हरा कुत्तापन तो हम निकालते है”,कहकर शर्मा जी ने इधर उधर देखा तो उन्हें ईंट का टुकड़ा मिल गया उन्होंने जैसे ही झुककर उसे उठाया गोलू को होश आ गया और वह उनके आगे भागते हुए कहा,”अरे का कर रहे हो ससुर जी , अरे लग जाएगी हमका”
“अरे भाड़ मा गवा तुम्हरा ससुर जी और भाड़ मा गवा हमरा तुम्हरा रिश्ता आज या तो तुम नाही या हम नाही , जे ईंटा मार के आज हमहू तुम्हाओ कपार फोड़ के रहे है , रुको भागते कहा हो ?”,शर्मा जी ने गोलू के पीछे भागते हुए कहा
“अरे काहे अपनी ही बिटिया का सुहाग उजाड़ने की बात कर रहे है ?”,गोलू ने भागते हुए कहा लेकिन गोलू वाला पागलपन अब शर्मा जी पर हावी हो चुका था।
आदर्श फूफा ने देखा तो गुड्डू से कहा,”ए गुड्डू ! ए तुमसे ना एक ठो रिक्वेस्ट है हिया से बचे ना तो सबसे पहिले जे ससुरे गोलू से दोस्ती ख़त्म करो , इह साला सच मा पगला गवा है”,आदर्श फूफा ने कहा
गुड्डू ने गोलू को देखा वह समझ गया कि इतनी भसड़ में गोलू तो क्या वह खुद पागल हो जाता।
गुड्डू थककर नीचे बैठ गया क्योकि अब तक किसी ने गुड्डू और फूफा को उस पिंजरे से बाहर नहीं निकाला और अपनी अपनी भसड़ फैलाये हुए थे। फूफा भी गुड्डू के बगल में बैठ गए।
शर्मा जी से बचने के लिए गोलू पेड़ पर चढ़ गया और शर्मा जी नीचे खड़े उसे गरिया रहे थे लेकिन गोलू नीचे नहीं आया। उधर लल्लन ने अपने आदमियों से सबको पकड़ने को कहा और एक बार फिर सबने गुप्ता जी , शर्मा जी और मंगल फूफा को पकड़ लिया और इस बार तीनो को एक साथ पेड़ से बांध दिया। उधर मिश्रा जी ने लवली को खाई से बाहर निकाला और जैसे ही लवली ऊपर आया लल्लन ने उसे ज़िंदा देखकर कहा,”लवली ! बहुत हुआ इन सबका ड्रामा अब इनको सबक सिखाने का बख्त आ गवा है”
लवली ने सुना तो लल्लन की तरफ चला आया ये देखकर आदर्श फूफा ने गुड्डू से कहा,”ल्यो दिखा दी ना जे लबली ने अपनी असली औकात , तुम्हाये बाप ने उसे बचाया और उह्ह फिर उसी लल्लन के पास चला आया।”
“नहीं फूफा पिताजी कबो गलती नाही कर सकते”,गुड्डू ने विश्वास के साथ कहा।
लल्लन के कहने पर उसके आदमियों ने मिश्रा जी को भी वहा पेड़ से बाँध दिया ताकि इस बार कोई भाग ना पाये। एक गोलू था जो पेड़ पर चढ़ा था और नीचे खड़ा चुंगी उसे उतरने को कह रहा था।
लवली लल्लन के सामने आया और कहा,”सही कहा तुमने लल्लन , सबक सिखाने का बख्त आ चुका है”
लल्लन कुछ समझ पाता इस से पहले लवली ने खींचकर एक थप्पड़ लल्लन को दे मारा। लल्लन का कान और गाल झन्ना गए वह अवाक सा लवली को देखने लगा। पेड़ से बंधे मिश्रा जी ने जब देखा तो ख़ुशी से मुस्कुराये। गोलू ने जब देखा कि लवली ने लल्लन को थप्पड़ मारा है तो जल्दी जल्दी में नीचे कूदा और खुश होकर कहा,”अरे वाह बबली जे की ना तुमने मर्दो वाली बात , अरे हम तो कहते है दुइ चार कंटाप और लगाओ जे विसर्जन को”
लल्लन को थप्पड़ पड़ने की ख़ुशी में गोलू भूल गया कि पेड़ के नीचे लल्लन के आदमी उसका इंतजार कर रहे थे। वह जैसे ही नीचे कूदा चुंगी ने उसे धर लिया और मिश्रा जी के साथ पेड़ से बांध दिया। गोलू ने रोआँसा होकर मिश्रा जी की तरफ देखा तो उन्होंने अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”यार गोलू ! तुम आदमी अच्छे हो बस तुम्हायी टाइमिंग ख़राब है”
“तो अब ?”,गोलू ने कहा
“अब का हमायी तरह तुम भी तमाशा देखो,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
लवली से थप्पड़ खाकर लल्लन ने गुस्से से कहा,”ए लबली ! अबे पगला गये हो का , तुमने हम पर हाथ उठाया जानते नाही हम कौन है ?”
“बहुत अच्छे से जानते है तुम कौन हो , अरे पगला तो हम पहले गए थे जब आँख बंद करके तुम्हरी और शुक्ला की हर बात पर भरोसा करते रहे। तुम दोनों मिश्रा के खिलाफ हमाये मन मा जहर भरते रहे और हम बदले की आग मा जलते रहे,,,,,,,,,अरे जोन आदमी को हम मारना चाहते थे आज उसी ने हमरी जान बचाने से पहिले एक ठो बार भी नाही सोचा,,,,,,,,,तुमने हमको धोखा दिया है लल्लन तुमको हम छोड़ेंगे नाही”,कहते हुए लवली ने लल्लन की कोलर पकड़ ली और गुस्से से उसे घूरने लगा।
वह लल्लन को मारता उस से पहले हवा में गोली की आवाज आयी और सबकी नजर उस तरफ चली गयी। मिश्रा जी ने देखा तो गुस्से से उनकी भँवे तन गयी उन्होंने छूटने की कोशिश की लेकिन वो पेड़ से बंधे थे। लवली का चेहरे गुस्से से भर उठा और लल्लन मुस्कुराया। बाकि लोग उसे जानते नहीं थे इसलिए हैरानी से देखने लगे। सामने से एक हट्टा कट्टा आदमी अपने हाथ में कट्टा थामे अपने कुछ लड़को के साथ चला आ रहा था। मंगल फूफा ने उसे देखा तो गुप्ता जी से कहा,”अब इह कौन है ?”
“तुम्हाये ससुर है , जाओ जाकर आशीर्वाद लेइ ल्यो,,,,,,,,अरे हमे का पता कौन है हम का हिया जनगणना करने बैठे है”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
“जनगणना तो तब करेंगे ना जब पढ़ना लिखना आता हो,,,,,,,,,,कबो स्कूल की शक्ल देखे ?”हो ,शर्मा जी ने गुप्ता जी को ताना मारकर कहा
“नाही देखे ! का है कि स्कूल मा तुम्हाये जैसे चिलगोजे भी तो आते थे,,,,,,,!!”,गुप्ता जी कहा पीछे रहने वाले थे
मंगल फूफा ने देखा दोनों फिर बहस करने लगे है तो उन्होंने बेचारगी से मिश्रा जी की तरफ देखा तो मिश्रा जी ने मंगल फूफा को इशारा करके दोनों को मुक्का मारने को कहा। मंगल फूफा ने खींचकर दोनों की पीठ पर मुक्के मारे और जब दोनों ने मंगल को देखा तो मंगल ने मिश्रा जी की तरफ इशारा कर दिया और दोनों वही शांत हो गए क्योकि मिश्रा जी खा जाने वाली नजरो से दोनों को देखे जा रहे थे।
“आओ शुक्ला आओ , अरे बहुते सही बख्त पर एंट्री मारे हो,,,,,,,,,,,,अरे इह साला लवली इह ससुरा हमरे खिलाफ होके मिश्रा से हाथ मिलाय लिया”,लल्लन ने आदमी से कहा जो कि मंगेश शुक्ला था , बिंदिया के पिताजी और इस कहानी के सबसे अहम् किरदार,,,,,,,,!!”
“का बात है लल्लन तुमने तो हिया पूरी फ़ौज इकट्ठा कर ली , पर अच्छा किया सबको एक साथ सुलटाय के यही से सीधा बृजेशवा के पास पहुंचाय देंगे,,,,,,,,,अरे वैसे ही जैसे बृजेशवा को धक्का दिए थे,,,,,,,,,उह्ह बेचारा तो हिया मिश्रा से अपने किये की माफ़ी मांगने आया था और हमने ओह्ह को दुनिया से ही माफ़ी दे दी”,शुक्ला ने नफरत भरे स्वर में कहा
लवली ने सुना तो उसकी आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी। अब तक जिस आदमी को अपना मानकर वह उस पर विश्वास कर रहा था उसी में उसके पिताजी की जान ली थी ये जानकर लवली ने शुक्ला की कोलर पकड़ ली और गुस्से से कहा,”कमीने तुमने हमरे पिताजी को मारा और इल्जाम लगाया मिश्रा पर , तुमने और लल्लन ने मिलके हमे धोखा दिया हम तुमको छोड़ेंगे नहीं”
शुक्ला के आदमियों ने देखा तो उन्होंने लवली को पकड़कर उस से दूर किया और शुक्ला ने एक घुसा लवली को मारकर कहा,”छोड़ तो तब पाओगे जब इन सबके साथ तुमहू ज़िंदा रहोगे”
जैसे ही लवली को घुसा पड़ा उसका असर गुड्डू पर भी देखने को मिला और पिंजरे में बंद गुड्डू नीचे जा गिरा। फूफा ने देखा तो वे गुड्डू के पास आये और उसे सम्हालकर कहा,”गुड्डू का हुआ तुम नीचे कैसे गिरे ?”
गुड्डू कुछ कहता इस से पहले उधर शुक्ला के आदमियों ने लवली को मारना शुरू कर दिया और उसका असर गुड्डू पर भी पड़ने लगा। जितनी मार लवली को पड़ रही थी उतना ही दर्द गुड्डू को भी हो रहा था और वह पिंजरे में यहाँ वहा गिर रहा था , टकरा रहा था।
लवली अकेला और उसे मारने वाले चार लोग वह कब तक खुद को बचाता , उसके मुँह से खून निकल आया। शुक्ला ने देखा तो उसकी गुद्दी पकड़ी और उसका सर पेड़ के तने पर दे मारा ,उधर गुड्डू का सर भी पिंजरे से टकराया और गुड्डू नीचे गिर पड़ा।
शर्मा जी , गुप्ता जी , मंगल फूफा , आदर्श फूफा और गोलू ये सब हैरानी से देख रहे थे किसी को समझ नहीं आया गुड्डू के साथ ये क्यों हो रहा है लेकिन मिश्रा जी इसकी वजह जानते थे इसलिए आँखों में दर्द लिए गुड्डू और लवली को देखते रहे। नीचे गिरा गुड्डू दर्द से कराह रहा था आदर्श फूफा ने पहले लवली को देखा और फिर गुड्डू को उन्हें समझते देर नहीं लगी कि आखिर मामला क्या है ? वे गुड्डू के पास आये उसे सम्हाला और कहा,”गुड्डू एक काम करो , उठो और हमे मारो”
“जे आप का कह रहे है फूफा ? हम आप पर हाथ काहे उठाएंगे ? अरे आप लाख बुरे सही पर हमाये पिताजी ने हमे जे संस्कार नाही दिए है”,गुड्डू ने दर्द से कराहकर कहा
“गुड्डू , लवली और तुम जुड़वा भाई हो , तुम दोनों ने एक ही माँ के पेट से जन्म लिया है और इह वजह से तुम दोनों एक दूसरे से जुड़े हो। दोनों में से चोट किसी को भी लगे दर्द दोनों को होगा”,फूफा ने गुड्डू को समझाकर कहा
गुड्डू जैसे तैसे करके उठा वह फूफा की बात समझ पाता इस से पहले उधर शुक्ला ने लवली को उठाया और एक घुसा उसके मुंह पर दे मारा और इधर वही घुसा गुड्डू को महसूस हुआ तब उसे समझ आया कि वह और लवली जुड़वा भाई है और दोनों एक दूसरे का दर्द महसूस कर सकते है। फूफा गुड्डू के सामने आये और कहा,”गुड्डू सोचो मत मारो हमे , हुआ लवली को बचाने वाला कोई नहीं है। हमायी परवाह मत करो हम सह लेंगे,,,,,,,,,,मारो हमे”
फूफा की बाते सुनकर पहली बार गुड्डू के मन में उनके लिए प्यार और सम्मान की भावना जागी।
शुक्ला ने जैसे ही दुसरा घुसा मारने के लिए लवली पर हाथ उठाया उधर गुड्डू ने फूफा को घुसा मार दिया। अचानक लवली का हाथ उठा और उसने शुक्ला के मुंह पर एक घुसा दे मारा। लवली ने पहले अपने हाथ को देखा और फिर गुड्डू को तो गुड्डू उसे देखकर मुस्कुराया। लवली समझ गया कि गुड्डू से उसका कोई तो रिश्ता है वह भी मुस्कुराया और उसके बाद जैसे जैसे गुड्डू ने फूफा को मारा वैसे वैसे बाहर लवली शुक्ला , लल्लन और उसके आदमियों को मारने लगा।
गाड़ी में बंद बिंदिया ने जैसे तैसे करके अपने हाथो को खोला , मुँह से पट्टी हटाई और उस जगह पहुंची। बिंदिया ने जब पिंजरे में बंद गुड्डू को देखा तो उसे लवली समझकर उस तरफ आयी और पत्थर उठाकर पिंजरे का ताला तोड़ दिया और गुड्डू को बाहर निकाला।
“बिंदिया हम लवली भैया को बचाते है तुम जाकर उन सबको खोलो”,गुड्डू ने कहा और पिंजरे से बाहर निकलकर लवली की तरफ बढ़ गया।
लवली ने गुड्डू को बाहर देखा तो उसे राहत महसूस हुई और दोनों ने मिलकर सबको मारना शुरू कर दिया।
गुड्डू से मार खाकर फूफा नीचे आ गिरे , उनके मुँह से खून निकल रहा था और चेहरे पर चोट के निशान थे लेकिन फूफा फिर भी मुस्कुरा रहे थे आखिर आज फूफा को हीरो बनने का मौका मिल ही गया।
बिंदिया ने एक एक करके सबको खोल दिया तो सब भागे लल्लन और शुक्ला के आदमियों की तरफ और आपस में गुथम गुत्था हो गए। गोलू तो ईंट लेकर लल्लन के पीछे पड़ गया। गुप्ता जी और शर्मा जी इस बार आपस में ना लड़कर गुंडों से लड़ रहे थे। चुंगी ने जैसे ही एक घुसा शर्मा जी को मारा गुप्ता जी ने उसकी गर्दन अपनी बाँह में दबोची और कहा,”साले तुम्हायी इत्ती हिम्मत हमाये दोस्त को मारो,,,,,,!!”
शर्मा जी ने सुना तो नम आँखों से गुप्ता जी की तरफ देखा तो गुप्ता जी ने कहा,”दोस्त है ना ?”
शर्मा जी मुस्कुराये और कहा,”हाँ पक्के वाले”
गुप्ता जी ने सुना तो मुस्कुरा दिए और दोनों फिर गुंडों को मारने लगे। गोलू से बचते बचाते लल्लन मंगल फूफा के हाथ लग गया और मंगल फूफा उसकी गोद में आ चढ़े और लल्लन की गर्दन पर जो काटा एक बार के लिए लल्लन की तो आत्मा ही जैसे बाहर आ गयी हो। दर्द से कराहते हुए लल्लन ने मंगल को देखा तो मंगल फूफा ने साइड में थूककर कहा,”का कहे थे हम तबाही का दुसरा नाम है मंगल फूफा”
गोलू ने जब लल्लन की गार्डन लहू लुहान देखी तो कहा,”का बात है मंगलू का लब बाईट दिए हो इह सज्जन को मजा आ गवा , घर चलकर फुलवारी का पर्सनल टेलीफोन नंबर देते है तुमको”
कहकर गोलू वहा से चला गया और दर्द से कराहते हुए लल्लन ने मरे हुए स्वर में कहा,”अबे सज्जन नहीं बे , लल्लन , लल्लन नाम है हमाओ”
मिश्रा जी ने आदर्श फूफा को घायल देखा तो उनके पास आये उन्हें सम्हाला और खड़ा किया तो फूफा ने दर्द भरे स्वर में कहा,”चिंता नाही करो मिश्रा जी सब ठीक है , गुड्डू और लवली दोनों को अब कुछ नाही होगा”
“जे आपने का किया आदर्श बाबू ? लवली को बचाने के लिए गुड्डू से मार काहे खा ली ?”,मिश्रा जी ने दुखी स्वर में कहा क्योकि आदर्श फूफा चाहे जैसे भी हो थे तो उनके रिश्तेदार ही।
”अरे हमहू ठीक है मिश्रा जी , और फिर एक रोज आप हमसे कहे थे ना कि जिंदगी एक बार सबको अपने जीवन मा हीरो बनने का मौका देती है,,,,,हमने सबको बहुते परेशान किया है पर आज गुड्डू की मदद करके हमको बहुते ख़ुशी हुई”,फूफा ने कहा
मिश्रा जी ने सुना तो उनकी आँखे नम हो गयी , उन्होंने आदर्श फूफा को गले लगाया और कहा,”जे कहानी के असली हीरो आप ही है आदर्श बाबू”
Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95
Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95Manmarjiyan Season 3 – 95
This Story Continue After 25 oct. 2025
- Continue With Manmarjiyan Season 3 – 96
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On http://instagram.com/sanjanakirodiwal/
संजना किरोड़ीवाल

