Manmarjiyan Season 3 – 89
Manmarjiyan Season 3 – 89

इन सब घटनाओ से बेखबर गुड्डू चंदौली की बस के पास खड़ा गोलू के आने का इंतजार कर रहा था लेकिन गोलू नहीं आया। परेशान सा गुड्डू इधर उधर उसे देखने भी गया लेकिन गोलू दूर दूर तक उसे कही दिखाई नहीं दिया। थक-हार कर गुड्डू वापस बस के पास चला आया तभी एक आदमी उसके पास आया और कहा,”लवली ! तुम हिया का कर रहे हो ? हम फोन पर बताये थे ना तुमको कि लल्लन के आदमी तुमको पकड़ने के लिए ढूंढ रहे है”
“देखिये आपको कुछ,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू कहने ही वाला था कि रुक गया और मन ही मन खुद से कहा,”इह हमका लवली समझ रहा है और लल्लन का नाम ले रहा है जे आ मतलब इह लवली और लल्लन दोनों को जानता है। हमे लवली बनकर जे से और जानकारी लेनी चाहिए,,,,,,,,,,!!”
“तुम हिया का कर रहे हो ?”,गुड्डू ने लवली बनने का नाटक करके कहा
“अरे हम तुम्हे ही ढूंढ रहे थे , फोन किये पर तुम फोन नाही उठाये ओह्ह के बाद मिश्रा के घर भी गए थे पर तुम वहा भी नहीं मिले,,,,,,तुम्हरे चक्कर मा उह्ह लल्लन मिश्रा के लौंडे को पकड़ लिया है कही उह्ह्ह ओह्ह के साथ कुछ गलत,,,,,,,,,!!”,आदमी ने घबराये हुए स्वर में कहा
गुड्डू ने सुना तो उसने अंदाजा लगाया कि लल्लन ने इस बार असली लवली को पकड़ लिया है वह मन ही मन खुश हुआ और कहा,”अरे अच्छा हुआ , और गलत करता है तो करे हमे का ?”
“तुम जे सब इहलीये बोल रहे हो लवली क्योकि तुमहू सच्चाई नाही जानते , पर हम जानते है तुमको ढूंढते ढूंढते हम गुप्ता के घर गए थे वहा हमने खुद अपने कानो से मिश्रा को जे कहते सुना है कि,,,,,,,,,,!!”,आदमी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“का सुना तुमने ?”,गुड्डू ने धड़कते दिल के साथ कहा
“जे कि गुड्डू तुम्हरा छोटा भाई है , हाँ लवली तुम और मिश्रा का लौंडा दोनों सगे भाई हो और गुड्डू तुम्हरा छोटा भाई है,,,,,,,,,!!”,आदमी ने कहा
गुड्डू ने जैसे ही सुना उसका दिल एक पल के लिए ठहर सा गया उसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ और वह अवाक सा आदमी को देखते हुए धीरे से बड़बड़ाया,”तो जे का मतलब लवली हमारा बड़ा भाई है”
“का हुआ लवली कहा खो गए ?”,आदमी ने गुड्डू को बड़बड़ाते देखकर कहा
“लल्लन कहा मिलेगा ?”,गुड्डू ने आदमी से पूछा
“इह शहर के श्मशान से कुछो आगे उसका अड्डा है , तुम तो सब जानते हो,,,,,,,,,वैसे भी हमरा काम था तुम्हे सच बताना अब हमहू चलते है और हाँ लवली थोड़ा ध्यान से ,, मिश्रा को लेकर तुम्हरे मन मा जहर भरने वाला कोई और नहीं उह्ह्ह साला लल्लन ही है,,,,,,,,जाकर बचा लो अपने भाई को”,आदमी ने कहा और वहा से चला गया
गुड्डू ने सुना तो परेशान हो गया और लवली के बारे में सोचने लगा। अगर लवली उसका बड़ा भाई है तो फिर वे दोनों किसके बेटे है मिश्रा जी के ये यादव के ? दोनों को एक दूसरे से दूर क्यों किया गया ? गुड्डू के पास सवाल बहुत थे और इनका जवाब या तो मिश्रा जी के पास था या फिर लवली के पास,,,,,,,,,फिलहाल गुड्डू को अपने भाई लवली को बचाना था इसलिए वह चंदौली की बस में ना चढ़कर लल्लन के अड्डे की तरफ निकल गया।
गुड्डू के जाने के कुछ देर बाद ही मिश्रा जी अपने स्कूटर से बस स्टेण्ड पहुंचे लेकिन गुड्डू उन्हें वहा नहीं था। उन्होंने आस पास के लोगो से पूछताछ की , खुद भी हर जगह देखा लेकिन गुड्डू उन्हें कही नजर नहीं आया। मिश्रा जी परेशान हो गए और बस स्टेण्ड से जैसे ही वापस जाने लगे। गोलू और गुप्ता जी बाइक लेकर मिश्रा जी के सामने आ धमके।
“का चचा ! मिले गुड्डू भैया ?”,गोलू ने परेशानी भरे स्वर में पूछा
“नाही गोलू ! गुड्डू तो हिया नाही है,,,,उसने तुम्हे कही और मिलने को तो नहीं कहा था ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“नहीं चचा ! गुड्डू भैया ने कहा वो यही मिलेंगे , हम और गुड्डू भैया चंदौली जाने वाले थे”,उलझन में गोलू ने सच्चाई मिश्रा जी के सामने उगल दी। मिश्रा जी ने गोलू की तरफ देखा और कहा,”तुम दोनों चंदौली काहे जाने वाले थे ?”
“अरे आपके कांड के बारे में पता लगाने”,अनजाने में गोलू के मुंह से निकल गया
मिश्रा जी ने सुना तो खा जाने वाली नजरो से गोलू को देखा और कहा,”तुमको का लगता है हमरे कांड की वजह से इह सब हो रहा है ? और हमे इक ठो बात बताओ तुम्हरे और गुड्डू के भेजा मा इस सब बाते आती कहा से है ? जे तुम दोनों के जियादा दिमाग चलाने का ही नतीजा है समझे”
गोलू को तो जैसे सांप सूंघ गया वह मिश्रा जी को नजरअंदाज कर दूसरी तरफ देखने लगा। गुप्ता जी ने सुना और कहा,”अरे मिश्रा जी इसे बाद में देख लेना पहिले गुड्डू को ढूंढते है कही उह्ह लवली के चक्कर मा किसी मुसीबत में ना फंस जाए”
“बाद में देख लेना से का मतलब है आपका ? का हमायी बत्ती बनाने का आइडिआ दे रहे हो का ओह्ह का ?”,गोलू ने पलटकर गुप्ता जी से कहा
“अगर गुड्डू सही सलामत नहीं मिला ना , तो बेटा मिश्रा से पहिले हम तुम्हायी रॉकेट बनाय देंगे और ऐसी जगह आग लगाएंगे हफ्ता भर संडास जाने को तरसोगे,,,,,,समझे”, गुप्ता जी ने गोलू की हरकतों से तंग आकर कहा
गोलू ने सुना तो समझ गया कि आज उसकी फील्डिंग सेट है। मिश्रा जी ने गुप्ता जी को देखा और कहा,”लेकिन गुड्डू को ढूंढे कहा ?”
“का पता उह्ह्ह घर चला गवा हो ? एक बार घर चलकर देख लेते है”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे गुड्डू भैया घर नहीं जायेंगे , हमको तो लगता है गुड्डू भैया पकडे गए है,,,,,,लवली के साथ लल्लन ने गुड्डू भैया को भी धर लिया है ,, अब तो गुड्डू भैया एक ही जगह मिल सकते है,,,,,,,,और उह्ह है लल्लन का अड्डा”,गोलू ने विश्वास के साथ कहा
“तुम जानते हो ओह्ह्ह का अड्डा ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“हाँ जानते है कल वही थे आज सुबह ही तो भागकर आये है वहा से,,,,,,,,शहर के बाहर वाला श्मशान है ना हुआ से दुइ किलोमीटर आगे है”,गोलू ने कहा
“ठीक है फिर वही चलते है पर याद रखना गोलू अगर गुड्डू वहा नहीं मिला ना तो उही शमशान मा तुम्हरी जगह तैयार कर देंगे हम , साला नाक मा दम कर रखे हो”,मिश्रा जी ने अपना स्कूटर स्टार्ट करके कहा
“अरे हमहू तो कहते है मिश्रा जी एक बार गुड्डू मिल जाये ना ओह्ह के बाद बढ़िया नीम की संटी से दोनों की खातिरदारी कर देओ सब काण्ड भूल जाही है दोनु लोग”,गुप्ता जी ने कहा
मिश्रा जी गोलू से एक तो पहले ही नाराज थे ऊपर से गुप्ता जी आग में घी डालकर आग को और भड़का रहे थे उसने गुप्ता जी से कहा,”पिताजी ! ज़रा नीचे उतरिये”
“काहे ?”,गुप्ता जी ने पूछा
“अरे उतरिये ना बताते है”,गोलू ने बड़े प्यार से कहा
गुप्ता जी नीचे उतर गए तो गोलू ने बाइक घुमाई और कहा,”जीवन मा कबो चुनाव मा खड़े होने का मौका मिले तो मत होना”
“काहे ?”,गुप्ता जी ने कहा
“का है कि बिपक्ष पार्टी का साइड लेने की आदत जो है आपको , अपनी पार्टी मा खुद आग लगा देंगे। हमहू अकेले जा रहे है मिश्रा जी के साथ आ जाना”,कहकर गोलू चला गया
“ए गोलू ! अबे तुम्हायी ऐसी की तैसी अबे रुक जाओ बे”,गुप्ता जी चिल्लाते रह गए लेकिन गोलू नहीं रुका।
गुप्ता जी मिश्रा जी के पीछे आ बैठे और कहा,”इह साला गोलुआ आजकल बहुते सर पर चढ़कर मूत रहा है जे का इलाज करे का पड़ी”
मिश्रा जी समझ गए कि गोलू और गुप्ता जी दोनों का कुछ नहीं हो सकता इसलिए अपना स्कूटर गोलू की बाइक के पीछे दौड़ा दिया।
लल्लन का अड्डा , कानपूर
लल्लन और उसके आदमी एक बार फिर लवली के सामने चले आये और लल्लन ने कहा,”अब इह बताओ हमरा पैसा कौन देगा ?”
“तो पहिले कहा होता ना कि चन्दा मांगने वाले हो तुम लोग,,,,,,,,,ए गोलू के दोस्त 10-20 रुपया देओ जे लोगन का और मामला सुलटाओ यार , जे हवा मा लटके लटके हमाये हाथ दर्द करने लगे है”,मंगल फूफा ने कहा
लल्लन ने सुना तो मंगल के पास आया और उसके दोनों कान अपने दोनों हाथो में पकडे और गुस्से से दाँत पीसकर कहा,”तुमको हमहू चंदा मांगने वाले दिखते है,,,,,,,अभी इतना मारेंगे ना समझ नाही पाओगे”
मंगल फूफा बेचारा घबरा गया और लवली ने अफ़सोस भरी नजरो से मंगल फूफा को देखा क्योकि बकैती करने में मंगल गोलू से भी दो कदम आगे था। मंगल फूफा ने बेचारे लवली की तरफ देखा और फिर लल्लन की तरफ देखकर बोला,”ए गुंडे भैया ! हमरी बात सुनो , अगर जे का पैसा हमहू दे तो का तुम इह का और हमका छोड़ देही हो”
“तू पैसा देगा ?”,लल्लन ने पूछा
“अरे हमरे पास बहुत पैसा है हम दे देंगे,,,,,,,,,काहे पैसे के लिए सबको तकलीफ दे रहे हो यार,,,उह्ह्ह बेचारी लड़की को भी खामखा पीट दिए”,लल्लन ने बिंदिया पर तरस खाकर कहा
लल्लन ने सुना तो उसका गुस्सा थोड़ा कम हुआ और उसने अपने आदमी से कहा,”ए चुंगी ! नीचे उतारो बे इह का,,,,,,,,,हमको पैसे से मतलब उह्ह लवली दे चाहे कोनो और बस पैसा पूरा चाहिए”
लल्लन के आदमियों ने फूफा को खोल दिया फूफा धरती पर आ गिरा और उठकर लल्लन के सामने आकर कहा,”हाँ छगन भैया बोलो कितना रुपया है तुम्हरा पांच हजार , दस हजार , जियादा से जियादा बीस हजार होगा अरे बोलो कित्ता है अभी दे देते,,,,,,,,,,,,,देखो आदमी हमहू साढ़े चार फुट के है लेकिन दिल बहुते बड़ा है,,,,,,,अरे बोलो न कितना पैसा है ?”
मंगल फूफा ने लल्लन को ओवरकॉन्फिडेंस में देखकर कहा,”पक्का तुम ही दोगे ?”
“अरे कह तो रहे है हम देंगे अब का लिख के दे”,मंगल ने अकड़कर कहा
“2 लाख रकम और 10 टका ब्याज के हिसाब से टोटल 4 लाख 40 हजार”,लल्लन ने मंगल की तरफ देखकर कहा
मंगल फूफा ने जैसे ही सुना उनकी साँस ही अटक गयी उन्होंने कहा,”जे मेटर मा बैठकर बात नाही हो सकती ?”
“ए वापस टाँगो रे इह का,,,,,,,,,!!”,लल्लन ने कहा और उसके आदमियों ने मंगल फूफा को पकड़ लिए वे उसे वापस लटकाते उस से पहले लवली बोल पड़ा,”हम तुम्हरे पैसे दे देंगे लल्लन , बिंदिया और जे का छोड़ दयो”
“तू कहा से देगा बे ?”,लल्लन ने लवली के पास आकर कहा
“हम नहीं पैसा मिश्रा देगा,,,,,ओह्ह के पास पैसे की कमी नाही है तुमको तुम्हरा पैसा चाहिए और हमको अपना बदला लेना है , अगर तुम हम से हाथ मिलाय ल्यो तो 4 लाख का हम तुमको 10 लाख दिलवाएंगे”,लवली ने कहा
“का का का का का चूतिया समझ लिए हो हमका ? मिश्रा तुमको 10 लाख काहे देगा बे ?”,लल्लन ने हैरानी भरे स्वर में कहा
“हमे नहीं देगा लेकिन गुड्डू के बदले में देगा,,,,!”,लवली ने कहा
“अबे जे का चक्कर है गुड्डू लवली लवली गुड्डू,,,,,,,,ए लवली देख हमको बेवकूफ बनाने की कोशिश नाही करो तुम समझे , एक बार तुम्हरी बातों मा आ चुके है फिर से नाही आएंगे,,,,,,,,अरे जोन मिश्रा तुम्हरे बाप की बर्बादी का जिम्मेदार है उह तुमको पैसा काहे देगा बे ? और हमसे बचने के लिए कुछ देर पहिले तुम्ही खुद को गुड्डू बता रहे थे,,,,,,!!”,लल्लन ने कहा
“हमने झूठ कहा हम लवली है लेकिन गुड्डू भी है जो बिल्कुल हमाये जैसा दिखता है,,,,,,,,,गुड्डू और लवली एक नहीं बल्कि दो आदमी है। एक बार गुड्डू तुम्हरे हाथ आ गवा ना फिर ओह्ह के बदले मा मिश्रा से जित्ता चाहे उत्ता पैसा मांग सकते हो और उह्ह देगा क्योकि गुड्डू ओह्ह का बेटा है”,लवली ने लल्लन को समझाते हुए कहा
“और हम कैसे मान ले कि तुमहू सच कह रहे हो ?”,लल्लन को अब भी लवली पर थोड़ा थोड़ा शक था
लवली को याद आया कि घर से निकलते वक्त मिश्रा जी ने उसे पैसो का एक लिफाफा दिया था उसने कहा,”हमरी जेब मा नोटों की एक गड्डी है जो आज सुबह हमे मिश्रा से मिली है , यकीन नाही तो हमरी जेब चेक कर लेओ”
लल्लन ने चुंगी से लवली की जेब चेक करने का इशारा किया। चुंगी को लवली की जेब से 50 हजार की नोटों की गड्डी मिली तो वह खुश होकर लल्लन के पास आया और कहा,”लल्लन भैया इह तो सच कह रहा है”
मंगल फूफा हैरानी से सब देख रहा था उसे अब तक लग रहा था लवली गुड्डू है और गोलू का दोस्त है लेकिन यहाँ तो मामला कुछ और था। लल्लन ने पैसे देखे तो खुश हो गया वह लवली से कुछ कहता इस से पहले दरवाजा खुला और गुड्डू एकदम से अंदर चला आया।
गुड्डू को वहा देखकर लवली हैरान था लेकिन मंगल के होंठो पर मुस्कान तैर गयी आखिर सोने का अंडा देने वाली मुर्गी खुद उसके पास चलकर जो आयी थी।
“ए पकड़ लो उसे”,लल्लन ने अपने आदमियों से कहा तो वे गुड्डू की तरफ लपके लेकिन गुड्डू ने उन्हें दो तीन घूंसे मारकर नीचे गिरा दिया ये देखर मंगल फूफा में भी जान आयी और उन्होंने भी आदमियों को मारना शुरू किया ये देखकर लल्लन शांत था और ख़ामोशी से सब देख रहा था।
आदमी नीचे गिरकर कराह ही रहे थे कि गुड्डू लवली की तरफ आया और उसे खोलते हुए कहा,”आप , आप ठीक तो है ना , उह्ह आदमी हमका बताये रहा कि आप हमाये बड़े भाई है,,,,,,,,,,हमहू तो कबो सोचे भी नाही थे कि हमरा कोनो भाई भी है। इह सब का हो रहा है हम नाही जानते शायद पिताजी जानते हो पर जब सुने कि आप लल्लन की कैद मा है तो हमहू आपको बचाने चले आये”
लवली आजाद हुआ और गुड्डू के सामने आ खड़ा हुआ , दोनों की कद काठी एक जैसी , एक जैसा रंग , एक जैसी शक्लें , एक जैसे नैन नक्श , गुड्डू सजल आँखों से लवली को देखे जा रहा था। ये सच था कि गुड्डू के मन में कोई छल कपट नहीं था , वह आज भी पानी सा साफ़ और बच्चे सा मासूम था। उसने एक अनजान आदमी की बात मानकर लवली को अपना बड़ा भाई मान लिया लेकिन जैसे ही उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोला लवली ने एक घुसा उसके मुंह पर दे मारा। गुड्डू नीचे जा गिरा , बिंदिया और मंगल फूफा ये देखकर हैरान थे और लल्लन मुस्कुरा उठा।
“आप हमे मार काहे रहे है ? हम तो आपके छोटे भाई है”,गुड्डू ने उठकर कहा
“भाई नाही तुमहू हो हमाये दुश्मन”,कहकर लवली ने गुड्डू को पीटना शुरू किया लेकिन जितनी मार गुड्डू को पड़ रही थी उसका दर्द लवली को भी महसूस हो रहा था और ऐसा क्यों हो रहा था वह नहीं समझ पाया। गुड्डू और लवली जुड़वाँ भाई है ये सच और जुड़वा होने की वजह से ही उनके बीच एक ऐसा कनेक्शन था कि जब भी दोनों एक दूसरे के आस पास होते थे उन्हें एक जैसी भावना महसूस होती थी और दूर जाने पर दोनों सामान्य,,,,,,,,!!”
लवली ने लल्लन के आदमियों से गुड्डू को कुर्सी से बांधने को कहा और फिर लल्लन की तरफ आया तो लल्लन ने उसका कंधा थपथपाकर कहा,”वाह लवली ! मान गए तुम्हायी दुश्मनी को , अब आएगा मजा जब तुमहू मिश्रा से अपना बदला लोगे”
गुड्डू ने सुना तो कहा,”पिताजी ने कुछो नाही किया है भैया , ओह्ह्ह की कोनो गलती नाही है। हमहू जानते है पिताजी कबो किसी के साथ गलत नाही करेंगे,,,,,,,,,आप उन्हें गलत समझ रहे है”
लवली ने सुना तो गुस्से से गुड्डू के पास आया और उसका मुंह अपने हाथ में पकड़ कर गुस्से से कहा,”हमरी बर्बादी की वजह है तुम्हरे बाप आनंद मिश्रा और तुम कह रहे हो हम उन्हें गलत ना समझे,,,,,,,,,,हमरे जीवन का एक ठो मकसद है और उह्ह है ओह्ह्ह की बर्बादी,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो उसकी आँखों में आँसू भर आये। जिस पिताजी को वह पूजता था आखिर कोई उन से इतनी नफरत कैसे कर सकता है ?
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संजना किरोड़ीवाल