Manmarjiyan – 8
Manmarjiyan – 8

गोलू ख़ुशी के मारे इतनी जोर से अपने पिताजी के गले लगा कि उनकी जेब में रखी “देसाई बण्डल” की बीड़ी तक तोड़ दी। गोलू हक्का बक्का सा अपने पिताजी को देखने लगा। गुप्ता जी माथ पकड़कर बैठ गए और अपनी टूटी हुई बिडियो का शोक मनाने लगे। गोलू ने उन्हें दुखी देखकर कहा,”अरे पिताजी का एक बीड़ी के बण्डल के लिए रो रहे है आप ?”
“20 रूपये का आता है एक बण्डल,,,,,,,,,,बिना बीडी के सुबह हल्का होने कैसे जायेंगे हम ?”,गुप्ता जी ने चिल्ला कर कहा
“साला जे कौनसा नशा है ? हमहू पहली बार सुन रहे है पिताजी,,,,,,,,,लोग दारू का नशा करते है , गांजा का नशा करते है आप जे कुछो यूनिक नशा बताय दिए,,,,,,,,,,मतलब किसी दिन आपको बीड़ी ना मिले आप तो हगने नहीं जाओगे”,गोलू ने बकैती करते हुए कहा
गुप्ता जी ने बगल में पड़ी चप्पल उठाकर गोलू की तरफ फेंकी लेकिन उसी पल गोलू नीचे झुक गया और चप्पल जाकर लगी घर के सामने से गुजरते “केशव पंडित” को , गोलू ने देखा तो दीदे फाड़ फाड़ कर हसने लगा और कहा,”अरे रख ल्यो पंडित जी , हमाई कुंडली बनाने की दक्षिणा है,,,,,,,,,!!”
” सत्यानाश हो तुम्हरा गोलू ! इह का पाप करवाए दिए हम से ? अरे एक पंडित पर चप्पल फिकवाय दिए,,,,,,,,,,,अरे जे पाप कैसे उतरी है हमाये सर से ?”,गुप्ता जी ने उठकर गोलू की तरफ आते हुए कहा और सामने खड़े केशव पंडित से हाथ जोड़कर कहा,”माफ़ कर दीजिये पंडित हमहू देखे नाही और गलती से आपको चप्पल लग गवा , अरे हम इह ससुरा गोलू को लतिया रहे थे कि आप बीच में आ गए,,,,,,,!!”
“कोनो बात नाही गज्जू अनजाने में हो गवा पर अगर गोलू को लतिया ही रहे हो तो दुइ चार चपेड हमरी तरफ से मार दीजियेगा , का है कि आजकल कानपूर मा जियादा ही गुंडे बन रहे है जे,,,,,,,,,,,!!”,केशव पंडित ने गोलू को घूरकर देखते हुए कहा
गोलू ने देखा केशव पंडित उसके सामने ही उसके पिताजी को उकसा रहे है तो उसने केशव पंडित की तरफ जाते हुए कहा,”जियादा सरपंच ना बनो पंडित , हमरी कुंडली में एक ठो खून लिखा है कही तुम्हरा ही ना कर दे,,,,,,,,,,,,!!”
“हर हर महादेव गज्जू”,कहते हुए पंडित जी वहा से आगे बढ़ गए। गोलू ने देखा की उसने कदम तो आगे बढ़ाये लेकिन आगे गया ही नहीं। असमझ की स्तिथि में गोलू खुद में ही बड़बड़ाया,”साला जे का हमहू आगे काहे नहीं जा रहे ?”
गोलू आगे कैसे जाता उसका कोलर गुप्ता जी ने जो पकड़ रखा था। गुप्ता जी ने गोलू को पीछे खींचकर अपने सामने किया और कहा,”अरे लाज सरम टेंट के साथ साथ मिश्रा जी के घर छोड़ आये हो का ? हमरे सामने सामने तुमहू केशव पंडित को धमकाय रहे हो,,,,,,,,,,,, दोबारा जे रंगबाजी करते देखे ना तुमको एक रेपटे में धरती चाटते फिरोगे गोलू,,,,,,,,!!”
गोलू जिसे गुप्ता जी की डांट से कोई खास फर्क नहीं पड़ता था उसने खुश होकर कहा,”वाह पिताजी का डायलॉग मारा है,,,,,,,,,तुमहू तो असली रंगबाज,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने इतना ही कहा कि एक थप्पड़ आकर गोलू को लगा और गोलू की बोलती बंद हो गयी। गुप्ता ने गोलु को देखा और कहा,”कैसा लगा ?”
“बहुते जोर का लगा पिताजी,,,,,,,,!!”,गोलू ने अपना गाल सहलाते हुए कहा
“एक तो हमरी बीड़ी तोड़ देइ ऊपर से हमे ही रंगबाज कह रहे हो,,,,,,,,,सम्हल जाओ गोलुआ वरना किसी दिन अपनी जे जबान की वजह से ना मुसीबत को गले लगा लोगे,,,,,,,,,,
पाजामे का नाड़ा और मर्द की जबान दोनों में सही गांठ लगना बहुते जरुरी है वरना इज्जत उतरते देर नाही लगती,,,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा और एक बार फिर अपनी टूटी हुई बिडियो के सामने जा बैठे। वे उन्हें जोड़ने की कोशिश कर रहे थे लेकिन टूटे हुए लोग और टूटा हुआ सामान अगर जुड़ भी जाए तो उनमे दरारें रह ही जाती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वाह क्या बात कही मैंने,,,,,,,,,,
खैर गोलू ने अपने पिताजी को टूटी हुई बिडियो के लिए परेशान देखा तो उनके पास आया और अपनी जेब से सिगरेट का डिब्बा निकालकर अपने पिताजी की तरफ बढ़ाकर कहा,”का पिताजी ? का तबसे एक ठो बंडल के लिए रो रहे है आप ,, जे लीजिये जे रखिये,,,,,,,,गोल्ड फ्लेग”
गोलू के पिताजी गोलू के हाथ में पकड़े सिगरेट के डिब्बे को ख़ामोशी से देखने लगे।
अब यहाँ 2 मिनिट की साइलेंस गोलू के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गोलू को थोड़ा देर से समझ आया कि उसने क्या किया है ? कहा वह अपने पिताजी को गले लगाने आया था और कहा वह सिगरेट का डिब्बा लेकर गुप्ता जी के सामने खड़ा था।
अब देखो कानपूर के लौंडे चाहे जितने रंगबाज हो लेकिन बाप के सामने शरीफ बनकर रहने की पूरी कोशिश करते थे लेकिन यहाँ तो गोलू महाराज ने खुद ही अपने पर्चे खोल दिए। गुप्ता जी उठे और अपनी दूसरी चप्पल ढूंढने लगे। कोने में पड़ी चप्पल उठाकर गुप्ता जी ने जैसे ही गोलू को मारने के लिए हाथ उठाया गोलू उनके सामने से गायब था। गुप्ता जी ने इधर उधर देखा गोलू बंदर बना सामने छज्जे पर बैठा काँप रहा था।
गुप्ता जी उसके सामने आये और कहा,”नीचे उतरो,,,,,,,,,,,!!”
“नहीं नहीं हम नहीं उतर रहे , आप पेल देंगे हमे,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने डरते हुए कहा
“अरे नहीं नहीं हमहू तो तुम्हरी आरती उतारेंगे,,,,,,,,,,,,जे बताओ कब से चल रहा है इह सब ?”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
“का कब से चल रहा है ? अभी अभी तो आपके सामने चढ़े है,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“अबे भंड आदमी हमहू सिगरेट की बात कर रहे है ,, कब से फेफड़े जलाय रहे हो जे सब करके ?”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे पिताजी जे हमरा नहीं है जे तो गुड्डू भैया,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू कहना कुछ और चाहता था लेकिन बोलते बोलते अचानक रुक गया और अपने साथ साथ बेचारे गुड्डू को भी फंसा दिया। गुप्ता जी ने सुना तो कहा,”तुमहू तो बैल थे ही उह गुड्डूआ को भी अपने साथ कर लिए,,,,,,,,मिलने दो उसकी भी खबर लेते है। साला हमरे जीते जी और का का देखना बाकी रह गया है गोलुआ , इह से अच्छा तुम्हे पैदा होने से पहिले नसबंदी करवा लेती तो तुम्हरे जैसी औलाद पैदा न होती ,,,,,,,,,,,सरकार उह बख्त नसबंदी के बदले में रेडिओ भी दे रही थी,,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो तुरंत छज्जे से नीचे कूदा और गुप्ता जी के सामने आकर कहा,”मतलब आज रेडियो के लिए आप इत्ते बढ़िया , स्मार्ट , खूबसूरत , जवान लौंडे को दुनिया में आने से रोकने वाले थे,,,,,,,,,,!!”
“अरे थू ! स्मार्ट खूबसूरत जवान लौंडा,,,,,,,,,बाहर निकलो तो गली के कुत्ते बिल्ली भी तुमरा मुंह ना चाटे,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने चिढ़ते हुए कहा
गोलू गुप्ता जी के थोड़ा करीब आया और धीमे स्वर में कहा,”फिर भी मोहल्ले की सबसे सुन्दर लड़की हमरे पियार मा पड़ गयी,,,,,,,,,,,,!!”
“हां हां बहुते बड़ो काम कर दिओ , पाकिस्तान पोछकर हिंदुस्तान बनाय दिओ गोलुआ,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने गोलू का मजाक उड़ाते हुए कहा
“ए यार पिताजी कभी कभी तो हमे आप हमरी और पिंकिया की पिरेम कहानी के बीच में उह पाकिस्तान वाले असरफ अली लगते हो,,,,,,,,,,,,असरफ अली , असरफ अली , असरफ अली,,,,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने बात करते करते गदर फिल्म का तारा सिंह बन गया और ऊँगली दिखाकर चिल्लाते हुए अपने पिताजी से कहा
गोलू की आवाज सुनकर रसोई में काम कर रही गोलू की अम्मा और पिंकी भागकर बाहर आयी।
आज गोलू ने अपनी किस्मत खुद लिखी थी शायद इसलिए गुप्ता जी ने एक थप्पड़ और उसके गाल पर मारा और कहा,”इसमें चिल्लाने की का जरूरत है ? एक बार में सुन गवा और जे असरफ अली कौन है ? तुम्हरा फूफा कि तुम्हरा मामा ?”
गोलू बौखलाया हुआ सा गुप्ता जी को देखने लगा तभी गोलू की अम्मा ने कहा,”जे बाप बेटे झगड़े में हमरे भाई को काहे ला रहे है ?”
“का है कि गुप्ताइन उनहीन ने कहे रहो , जीजा एक ठो बउआ कर ल्यो घर मा चहल पहल बढ़ जाही,,,,,,,,,,,,पर जे नमूना पैदा हओ “,कहकर गुप्ता जी बाहर की ओर जाने लगे
“अब आप कहा चल दिए ?”,गोलू की अम्मा ने पूछा
“जे गोलू महाराज के पैदा होने की मन्नत में जो सेंकडो धागे बांधे थे ना अमिया के पेड़ पे उही खोलने जा रहे है,,,,,,,,!!”,कहते हुए गुप्ता जी वहा से चले गए।
बेचारा गोलू उतरा हुआ मुंह लेकर अपनी अम्मा के पास आया और कहा,”का यार अम्मा सुनी ना कैसी मनहूस बात कर रहे है ?”
“तुम उन्हें काहे परेसान करते हो गोलुआ ?”,गोलू की अम्मा ने कहा
“अरे परेसान कहा हम तो उन्हें हग करने गए थे,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने मायूस होकर कहा
“का हगने ? तुम्हारा पेट खराब है का गोलू ?”,गोलू की अम्मा ने हग को कुछ और ही समझकर कहा ‘
“छी छी कैसी बातें कर रही अम्मा , हम हगने,,,,,,,,हमरा मतलब पिताजी को गले लगाने गए थे पर उह तो हमे ही पेल दिए,,,,,,,,,!!”,गोलू ने फिर मायूस होकर कहा , पिंकी वही खड़ी चुपचाप सब सुन रही थी और मन ही मन गोलू की किस्मत पर अफ़सोस भी जता रही थी
“अरे सादी के बाद तुम्हरे पिताजी कभी हमे नहीं हगे,,,,,,,,,तुमहू भी ना गोलू गलत आदमी से उम्मीद बहुत रखते हो,,,,,,,,,!!”,गोलू की अम्मा ने कहा
“अरे तो फिर हम का डाउनलोड हुए है इह धरती पर,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
गोलू की अम्मा ने सुना तो गुस्से से गोलू को देखा और दाँत पीसते हुए,”कैसी अपमानजनक बाते कर रहे हो गोलू ? जबान काट देंगे तुम्हायी,,,,,,,,,,कोनो लाज सरम है की नाही अम्मा के सामने ऐसी बातेँ करते हो,,,,,,,,,,,ए बहुरिया ! तुमहू तो पढ़ी लिखी हो कुछ अच्छा सिखाओ इह का,,,,,,,,!!”
कहकर गोलू की अम्मा वहा से चली गयी। उनके जाने के बाद पिंकी गोलू की बाँह पकड़कर उसे साइड में लेकर आयी और धीमे स्वर में कहा,”गोलू ! ये कैसी बाते कर रहे थे तुम अम्मा के सामने ?”
“हमहू कुछो गलत कहे का पिंकिया ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में कहा
“छोडो ! जे बताओ पिताजी को हग किये की नाही ? और उह तुम पर इतना भड़के हुए काहे थे ? फिर से कुछो किये का तुम ?”,पिंकी ने पूछा
“पिंकिया ! हमहू तुम्हरे सामने अपने दोनों हाथ जोड़कर बिनती करते है आइंदा जे से खतरों के खिलाडी हमरे साथ ना खेलना,,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने पिंकी के सामने कोहनी तक अपने हाथ जोड़ते हुए कहा
“मतलब ?”,पिंकी को कुछ समझ नहीं आया गोलू क्या कहना चाहता है
“मतलब जे पिंकिया कि तुमहू कहोगी ना गोलू जाकर अजगर की चुम्मी लेकर आओ तो हम उह कर लेंगे पर पिताजी को हग इह जन्म तो का आने वाले 14 जन्मो में नाही कर पाएंगे”,गोलू ने कहा
“गोलू जन्म 7 ही होते है,,,,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“अरे 7 जन्म पिताजी के भी तो जोड़े ना हमने,,,,,,,,,,,,,,,,पिंकिया एक हग के नाम पर हमहू इतना पेले गए है तुम नहीं समझोगी , उह बाप नहीं उह सांप है जो हमरा पिछवाड़ा देखते ही काटने के लिए अपना फन उठा लेते है,,,,,,,,,,,,,ना पिंकिया ना हमसे ना हो पायेगा , हमको अभी ददिया की तिये की बैठक में भी बैठना है”,गोलू ने हाथ जोड़कर कहा
“पिताजी सच में तुम्हे बहुत प्यार करते है गोलू,,,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने हताश होकर कहा
“पिंकिया इक ठो काम करो , 500 रूपये का इक ठो बढ़िया स्टाम्प पेपर लेकर आओ और उह पर जे सब लिखकर पिताजी का हस्ताक्षर करवाय दयो,,,,,,,,,,,,,,,साला इतना पेले जाने के बाद तो इसी से मानेंगे कि पिताजी हमसे प्यार करते है,,,,,,,,,,,!”,गोलू ने कहा और वहा से चला गया। पिंकी बेचारी सोचते ही रह गयी कि गोलू उसे ये क्या कहकर चला गया।
गुड्डू का घर , बनारस
दादी के गुजर जाने की वजह से आज मिश्रा जी के घर चूल्हा नहीं जला था। सामने रहने वाली रौशनी के घर से सबके लिए खाना आया। शगुन और वेदी ने मिलकर सबको खाना खिलाया। मिश्रा जी ने मुश्किल से दो निवाले खाये और उठकर चले गए। आज उन्हें अपनी अम्मा की कमी महसुस हो रही थी। गुड्डू खाना खाने जा ही रहा था कि मिश्राइन ने गुड्डू को कुछ जरुरी सामान की लिस्ट देकर सामान ले आने को कहा। गुड्डू को ज्यादा भूख नहीं थी और बची खुची मिश्रा जी को उदास देखकर मर गयी। गुड्डू ने बाइक की चाबी ली और घर से निकल गया।
ठेके के बाहर पड़ी बेंच पर बैठे आदर्श बाबू अपने किसी दोस्त के साथ शराब पी रहे थे। भुआजी का ससुराल कानपुर से बाहर एक छोटे से गाँव में था जो कि मुश्किल से कानपूर से 20km की दूरी पर था। आदर्श बाबू अब तक दो बोतल खाली कर चुके थे उन्होंने तीसरी भरी हुई बोतल उठायी और जैसे ही खोलने को हुए उनके दोस्त ने कहा,”अरे बस करो आदरसवा , का जान देने का इरादा है का आज ?”
“मत पूछो सजनवा , आज चोट ना हिया लगी है दिल पे,,,,,,,,,,,,,उह हमरा साला मिश्रा हमसे , हमसे ऊँची आवाज में बात किये रहा ,, अरे जोन अब तक हमरे सामने सर झुकाये , हाथ बांधकर खड़े रहता था उह मिश्रा आज हम पर हाथ उठाय दिए रहा,,,,,,,,,,,,,जे सब का बदला हमहू ओह से लेकर रहेंगे सजनवा”,आदर्श बाबू ने बोतल का ढक्कन खोलकर शराब गिलास में डालते हुए कहा
“अरे आदर्श बाबू जाय दयो,,,,,,,,तुम्हरी मेहरारू के छोटे भाई है उह”,आदर्श बाबू के दोस्त सज्जन ने कहा
“अरे भाई हैं तो का हमरे सर पर मूतेंगे,,,,,,,,,,,,,,,मिश्रा को ना घमंड हो गवा है सजनवा , उह अपने लौंडे के पीछे जोन उड़ रहा है ओह की सच्चाई तो हमका पता है ना,,,,,,,,,,लेकिन उड़ने दो कितना उड़ेंगे , आएंगे तो धरती पर ही ना,,,,,,,,,,उह दिन सारे पंख काट देंगे मिश्रा के”,आदर्श बाबू ने नशे में चूर होकर कहा
“कैसी सच्चाई आदर्श बाबू ?”,सज्जन ने अपने गिलास में शराब डालकर पूछा
”अरे हमरे पास हुकुम का उह इक्का है जिह दिन अपने पत्ते खोले ना फ़ट जाही है मिश्रा की,,,,,,,,,,,,!!”,आदर्श बाबू ने लड़खड़ाती जबान में कहा
इत्तेफाक से गुड्डू बाइक लेकर उसी ठेके के सामने से गुजरा जब उसने आदर्श बाबू को वहा बैठे देखा तो बाइक रोककर मन ही मन कहा,”जे फूफा इत्ती रात में हिया का कर रहे है ?”
गुड्डू ने बाइक को साइड लगाया और आदर्श बाबू के पास चला आया। गुड्डू उनके पीछे आ खड़ा हुआ और उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”फूफा,,,,,,,,,!!”
“कौन ? ओह्ह्ह तुम हो गुड्डू , जरूर उह साला मिश्रा तुमको हिया भेजे रहे हमका बुलाये के वास्ते,,,,,,,,,,,,कह दो उस से हम नहीं आएंगे”,आदर्श बाबू ने शराब के नशे में बदतमीजी से कहा
अपने पिताजी के लिए ऐसी बाते सुनकर गुड्डू के चेहरे पर गुस्से के भाव झिलमिलाने लगे और हाथ की मुट्ठी कस गयी। गुड्डू चाहता तो एक थप्पड़ में फूफा को
सबक सीखा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और खुद को बहुत शांत रखकर कहा,”फूफा अभी आप होश मा नाही है , हमरे साथ घर चलिए घर चलकर बात करते है,,,,,,,,,!!”
आदर्श बाबू लड़खड़ाते हुए उठे और गुड्डू की तरफ पलटकर कहा,”ए गुडडुआ जाकर कही दयो अपने बाप से तुम्हे बुलाने से नहीं आएंगे हम,,,,,,,,,,उनका अगर हमको बुलाना है ना तो हिया आये और हमरी जुत्ती पे अपनी नाक रगड़ के माफ़ी मांगे हमसे,,,,,,,,,,,,तब आएंगे समझे”
गुड्डू ने अब तक खुद को रोक के रखा लेकिन यहाँ नहीं रोक पाया उसने फूफा की कॉलर पकड़ ली और गुस्से से कहा,”बस फूफा ! एक शब्द और कहे ना तो यही ज़िंदा गाड़ देंगे जमीन में,,,,,,,,,हमाये पिताजी तुम्हरे सामने नाक रगड़ेंगे साला इत्ती औकात है तुम्हायी,,,,,,,,!!”
गुड्डू को गुस्से में देखकर आदर्श बाबू भी टेश में आ गए और अपनी कोलर छुड़वाकर गुड्डू को पीछे धकेलते हुए कहा,”अरे जिस पिताजी के श्रवण कुमार बने घूम रहे हो गुडडुआ एक बार जाकर ओह से जे तो पता कर लेओ कि उह तुम्हरे बाप है भी कि नाही,,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने सुना तो अवाक् सा फूफा को देखने लगा
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संजना किरोड़ीवाल

