Manmarjiyan Season 3 – 73
Manmarjiyan Season 3 – 73

गुप्ता जी का नया रूप देखकर मंगल फूफा तो बेचारे शांत ही हो गए और चुपचाप चाय पीने लगे। फूफा ने चाय पीकर कप रखा ही था कि इतने में गोलू फुलवारी को लेकर आ धमका। फुलवारी को देखते ही मंगल फूफा अपने बालों को सही करने लगे। गुप्ता जी फुलवारी के सामने आये और कहा,”फुलवारी हमका जे बताओ हमने कबो तुमको बुरी नजर से देखा ?”
“नाही,,,,,,,,,,!!”,फुलवारी ने कहा
“कबो राह चलते तुमसे बात करने की कोशिश की ?”
“नाही , कबो नाही,,,,,,!!
“अरे कबो जानबूझकर या अनजाने मा ही सही , कबो तुम्हरे घर की तरफ झांके है ?”
“नहीं झांके,,,,,,!!
“कल रात हमाये घर का तुम हमसे मिलने आयी थी ?”
“अरे हम तो बिट्टी के पिताजी को देखने आये थे,,,,,,हम काहे आधी रात को आपसे मिलने आएंगे ?”
“और सुबह तुमहू घर काहे आयी थी ?”
“अरे हमहू तो इंसानियत के नाते आपको बचाने आये रहय जब आपकी धोती दरवाजे मा फंस गयी और आप उलटा लटक गये थे”,फुलवारी ने कहा
इतने में गोलू फूफा की तरफ आया और चाय का कप उठा लिया तो फूफा ने कहा,”फूल कह रही तुम्हाये पिताजी दरवाजे पर उलटा लटक गए , का आदमी है के चमगादड़,,,,,,,,,!”
“ए फूफा ! हमाये पिताजी के बारे मा कुछो बोले ना तो इह गरम गरम चाय तुम्हरे गले मा उतार देंगे समझे , बाद में हमसे ना कहना सिकुड़ के पौने चार हो जाओ तो,,,,,,,!!”,गोलू ने चाय पीते हुए कहा
“बाप तो बाप ससुरा बेटा भी दुइ कदम आगे है बकैती मा”,मंगल फूफा बड़बड़ाये
फुलवारी का जवाब सुनकर गुप्ता जी गुप्ताइन की तरफ पलटे और कहा,”हो गयी तसल्ली , मिल गयी तुम्हरे कलेजे को ठंडक , अरे हमहू साला कल से कह रहे है कि हमाओ जे के साथ कोनो चक्कर नाही पर नाही कलेश करना है इनको तो,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी की बात सुनकर गुप्ताइन को अपनी गलती का अहसास हुआ लेकिन इतनी जल्दी वे सबके सामने इसे स्वीकार कैसे कर ले इसलिए मुंह बनाकर कहा,”हाँ तो पहिले ही बता देते तो इतना सब ड्रामा नाही होता”
“भाईसाहब ! का औरत है जे , मतलब हमहू कल से अपना फाड़ फाड़ के कह रहे है और तुमको समझ नाही पड़ा,,,,,,,,,,,जे खड़ी फुलवारी तुम्हाये सामने और कोनो शक है मन मा हमका लेकर तो उह्ह भी पूछ ल्यो हमको रोज रोज जे तमाशा नाही चाहिए घर मा , साला पति ना हो गए मट्ठा हो गए कल से बिलोये जा रही हो,,,,,,,,,!”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर फुलवारी गुप्ताइन के पास आयी और कहा,”का जीजी ? ऐसा गलत ख्याल तुम्हरे दिमाग में काहे आया ? अरे हमायी मत मारी गयी है का जो हम इनके साथ चक्कर चलाएंगे , अरे हमहू तो इनकी इतनी इज्जत करते है जितनी हमहू यादव जी की भी नाही करते , हम इनके बारे में ऐसा सोचेंगे छी छी , का सोच लेही तुमहू भी,,,,,,,,!!!”
सच जानने के बाद गुप्ताइन को पछतावा होने लगा वे ख़ामोशी से गुप्ता जी को देखने लगी।
फुलवारी को समझाते देखकर फूफा ने दबी आवाज में गोलू से कहा,”का मस्त समझाती है ना जे , ए गोलुआ जे को हमाओ भी थोड़ो परिचय देओ यार,,,,,,,,!!”
गोलू ने फूफा को देखा और कहा,”खोपड़ी मा 17 बाल है और परिचय चाहिए , रुको करवाते है तुमहू भी का याद रखे हो,,,,,,,,!!”
“अरे ठंकु गोलू ! हमहू सोचे नहीं थे तुम इत्ती जल्दी मान जाओगे,,,,,,,,!!”,फूफा ने खुश होकर गोलू की बांह दबाते हुए कहा
“हमको तुम्हरा घर बसाने में कोनो दिलचस्पी नाही है फूफा उह्ह तो यादववा और ओह्ह की भैंसिया के साथ थोड़ा पर्सनल मेटर हओ हमाओ बस जे खातिर , बस एक बार तुमहू यादववा की फुलवारी को लेकर भाग जाओ फिर देखो”,गोलू ने बीते दिनों की यादें सोचते हुए खुन्नस भरे स्वर में कहा
“अरे तुमहू चिंता नाही करो गोलू , ऐसा भागेंगे ना फूल को लेकर कि उह्ह साला यादववा तो का कानपूर की पुलिस भी हमका पकड़ ना पाई है”,मंगल ने गोलू की बांह दबाते हुए कहा गोलू ने एकदम से बांह छुड़ाई और फूफा के दूसरी तरफ चला आया तो हैरान परेशान फूफा ने कहा,”का हुआ आइडिया पसंद नाही आया ?”
“जे वाला दबाओ”,गोलू ने दूसरी बांह थपथपाते हुए कहा तो मंगल उसकी दूसरी बांह दबाने लगा।
देखो ऐसे पलटती है इंसान की किस्मत जो मंगल फूफा कुछ देर पहले गोलू की पिटाई कर रहा था अब वही मंगल उसकी बाँहे दबा रहा था।
गुप्ताइन को चुप देखकर फुलवारी ने कहा,”अरे जीजी का इत्ता सोच रही हो , हम सच कह रहे है और आपको भी जे उम्र मा इन पर ऐसे शक नाही करना चाहिए वरना घर टूटते देर नाही लगती,,यकीन नाही तो उह्ह भाईसाहब से पूछ ल्यो , ए भैया तुमहू बताओ अपने पति पर ऐसे शक करना का ठीक बात है ?”
फुलवारी के मुंह से भैया सुनकर मंगल के सीने में दर्द उठा और उसका तो हाथ ही अपने सीने के बांयी तरफ चला गया और उन्होंने फुलवारी को नजरअंदाज करके गोलू से कहा,”लगता है तुमको भैया कहकर बुला रही है”
“हमहू ओह्ह के बेटे की उम्र के है , आपको कहा है जाईये जाईये”,गोलू ने मंगल को फुलवारी के सामने धकियाते हुए कहा और बेचारे फूफा फुलवारी के सामने
“ए भैया ! तुम हमका बताओ तुमहू इत्ते बख्त से यहाँ हो का हमने तुमको कोनो गलत सिग्नल दिया , कोनो गलत अटेंशन से देखा”,फुलवारी नहीं कहा
एक बार फिर फुलवारी के मुंह से अपने लिए भैया सुनकर मंगल का ऐसे मुंह बन गया जैसे किसी ने उन्हें सुई चुभो दी हो। पीछे खड़ा गोलू दाँत कुरेदते हुए बड़बड़ाया,”गलत अटेंशन , अरे इह तो यादववा की छाती पर पैर रख के तुमको अपने साथ जे जाने के सपने देख चुका फुलवारी चाची”
मंगल ने फुलवारी को देखा और कहा,”देखिये आपकी बात बिल्कुल सही है पर जे भैया ना बुलाओ हमे”
“तो का डार्लिंग कहे ? ए जीजी जे कैसे फूफा है तुम्हाये जब से आये है फैलते ही जा रहे है,,,,,,,,,,और तुम , कान खोलकर सुन ल्यो जो सपने तुमहू एक टाँग पर खड़े होकर देख रहे हो ना हमाये यादव जी को पता चला ना तो दोनों टाँगे काट देंगे तुम्हायी समझे,,,,,,!!”,कहकर फुलवारी बेचारे मंगल का बचा खुचा दिल तोड़कर भी चली गयी।
गुप्ताइन ने सुना तो उन्हें फुलवारी पर नहीं बल्कि इस बार मंगल पर गुस्सा आया और उन्होंने कहा,”का हो मंगल फूफा इश्क़ लड़ाने के लिए आपको जे फुलवारी ही मिली,,,,,,,,,अरे जे कि वजह से हमाये घर मा इत्तो हो रहो ओह्ह ना दिखे तोह पे,,,,,,,,!!”
“और बुलाओ जे दंगल का घर पे , तुम्हाये लाल ने हमाओ घर से निकलनो बंद करवाय देओ , जे तुम्हाये फूफा मोहल्ला मा निकलना बंद करवा देंगे”,गुप्ता जी ने कहा तो मंगल ने पलटकर बहुत ही प्यार से कहा,”दंगल नाही मंगल”
“अरे तुमहू कोई भी जंगल हो हमको घंटा फर्क नाही पड़ता , अपने उन भाड़े के गुंडों को उठाओ और भाग जाओ हिया से,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
इतने में गोलू उछलकर आया और कहा,”ए पिताजी जे बार बार हमाओ नाम काहे ले आते हो बीच मा , हम का किये”
“इह जो सारा ड्रामा है न गोलू उह सब तुम्हरी वजह से हुआ है , कल अगर बिना कोनो नाटक किये एक ठो लोटा खाय लेते तो कुछो बिगड़ जाता तुम्हरा , दिनभर जूता चप्पल भी तो खाते हो ना हमसे लेकिन नाही तब तो जेम्स बांड बन रहे थे तुम्हाये कारण जे सब कांड हुआ है”,गुप्ता जी ने गोलू पर लगभग चढ़ते हुए कहा
गोलू समझ गया कि अब चुप रहने में ही भलाई है इसलिए चुपचाप साइड में चला गया। मंगल फूफा जैसे ही कुछ कहने को हुए गुप्ता जी ने गुस्से से कहा,”अब का बाकी रह गओ”
“बस कीजिये ना गोलुआ के पिताजी अब का बेचारे पर चढ़ जायेंगे , ए मंगल फूफा आप छोड़िये उनको हम आपके लिए खीर बनाये है , दम आलू बनाये है आओ बइठो हमहू थाली लगवाते है”,गुप्ताइन ने कहा तो गुप्ता जी सोफे की तरफ चले गए।
गुप्ताइन की एक बड़ी गलतफहमी दूर हो चुकी थी। गुप्ताइन ने आँगन में ही सबके लिए खाना लगा दिया। गुप्ता जी , मंगल फूफा , गोलू आ बैठे , गुप्ताइन ने मंगल के दोनों आदमियों को भी बुला लिया और उनके लिए भी खाना लगा दिया। थाली में परोसा गर्मागर्म खाना देखकर गुप्ता जी का गुस्सा भी थोड़ा शांत हो गया और वे भी चुपचाप खाना खाने लगे।
मिश्रा जी घर , कानपुर
केशव पंडित मिश्रा जी के सामने गुड्डू और गोलू की तारीफों के पूल बांधकर चले गए। मिश्रा जी गोलू को लेकर थोड़ा गुस्सा पहले ही थे अब केशव पंडित की बातो ने उसे और बढ़ा दिया। गोलू के साथ साथ गुड्डू भी लपेटे में आ गया लेकिन मिश्रा जी के घर में मौजूद ये शख्स गुड्डू नहीं बल्कि लवली है ये बात किसी को भी नहीं पता थी सिवाय लवली के,,,,,,,,,,,,!!
लवली गुड्डू बनकर एक बार फिर मिश्रा जी के घर में आ चुका था। शगुन को एक बार फिर उसने अपनी बातों में फंसा लिया। घर में किसी को उस पर शक ना हो जाये सोचकर लवली ऊपर गुड्डू के कमरे में चला आया। मैनेजर से उसे जो 20 हजार मिले थे वह भी मिश्रा जी ने गुड्डू समझकर उसे ही वापस दे दिए। लवली ने अपने हाथो को फैलाया और मुस्कुराते हुए पीठ के बल बिस्तर पर आ गिरा। लवली को रहने के लिए घर भी मिल गया , लल्लन से भी पीछा छूट गया , अब उसके हाथ में पैसे भी थे और गुड्डू नाम का कांटा भी उसकी जिंदगी से निकल गया।
लवली सुकून से आँखे मूँदे बिस्तर पर लेटा ही था कि उसका फोन बजा , लवली ने आँखे खोली और फोन देखा तो उस पर अनजान नंबर देखकर लवली ने फ़ोन उठाया और कान से लगा लिया।
“हेलो लवली कहा है तू ? लल्लन के आदमी पुरे गाँव में तुझे ढूंढ रहे है मुझसे भी पूछ रहे थे ,, लल्लन बहुते गुस्से में है तू तू बचकर रहना उस से,,,,,,,,,!!”,दूसरी तरफ से लवली के एक पहचान वाले ने कहा
लवली हंसा और कहा,”अरे तुमहू काहे चिंता करते हो ? उह्ह ललनवा हमाओ कुछो ना बिगाड़ सके है”
“हमहू सुने रहे लल्लन अभी आदमियों ले साथ कानपूर मा है लवली , ओह्ह से थोड़ा सावधान ही रहना तुम,,,,,,,हम रखते है फिर फोन करेंगे”,आदमी ने कहा और फोन काट दिया
लवली ने फोन साइड में रखा और बड़बड़ाया,”लल्लन की समस्या तो हमाये लिए हमाये प्यारे गुड्डू ने पहिले ही हल कर दी है लवली बनकर,,,,,लवली बनकर हमने जो दिन देखे है अब गुड्डू भी तो जरा ओह्ह का स्वाद चखे”
लवली एक बार फिर अपनी आँखे मूंदकर लेट गया। अगले ही पल उसके कानो में मिश्रा जी की आवाज पड़ी और लवली चौंककर उठा। उसने सुना मिश्रा जी गुड्डू को आवाज लगा रहे है तो वह वापस लेट गया और अगले ही पल उसे याद आया कि वही तो गुड्डू है। लवली जल्दी से उठा गिरते पड़ते नीचे भागा। लवली नीचे आया और मिश्रा जी के सामने आकर कहा,”आपने हमे बुलाया पिताजी,,,,,,,,,!!
“तुम्हाये अलावा जे घर मा कोनो और का नाम भी गुड्डू है का ?”,मिश्रा जी ने लवली को एकटक देखकर कठोर स्वर में कहा
“हाँ , नहीं नहीं पिताजी,,,,,,,,!!”,लवली ने लड़खड़ाकर कहा
मिश्रा जी तख्ते पर आ बैठे और भँवे चढ़ाकर लवली को देखने लगे। लवली की जगह अब तक गुड्डू होता तो मिश्रा जी को देखकर समझ जाता कि जरूर उस से कोई गलती हुई है और मिश्रा जी गुस्से में है लेकिन लवली ये बात नहीं समझ पाया और वही खड़ा मिश्रा जी को देखता रहा। मिश्रा जी ने लवली को देखा और कहा,”का बेटा ! का कसम खा लिए हो कि हमाओ नाम डुबोकर माने हो जे शहर मा ?
घर , बाहिर , मोहल्ला तक मा रंगबाजी किये रहय अरे कम से कम पंडित को तो छोड़ देते मालिक,,,,,,,अरे हम साला तुम लोगन की गलतियों पर पर्दा डालते डालते थक गए है पर तुम लोगन के सर पर एक जू तक ना रेंगती
हमे जे बताओ तुम्हाये और गोलू का भेजा मा उह्ह कौनसा कीड़ा है जोन हर एक दो दिन में तुम्हाये अंदर फड़फड़ाता है और तुम लोग रंगबाजी करने निकल पडते हो , का शांति से जीवन जीने मा कोनो दिक्कत है तुम लोगन को ? और उह्ह तुम्हरा भँड दोस्त कहा बुलाओ जरा ओह्ह्ह का हिया ओह्ह से भी पूछ ही लेते है कि उह्ह चाहते का है ?”
मिश्रा जी की बाते सुनकर लवली समझ गया कि आज उसकी और गोलू की बेंड बजने वाली है लेकिन लवली को लगा कि मिश्रा जी बस उसे और गोलू को दो चार ताने मारेंगे , थोड़ा गरियायेंगे और छोड़ देंगे इसलिए उसने थोड़ा चौडाते हुए कहा,”लेकिन पिताजी हमायी और गोलू की जे मा कोई गलती नाही है,,,,,,,,,,,,!!”
“हमाये पिताजी का नाम गुड्डू मिश्रा तो नाही है,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने लवली की तरफ देखकर कहा
“मतलब ?”,लवली ने पूछा
“मतलब जे कि हमाये बाप बनने की कोशिश नाही करो तुम , जित्ता कहे है उतना करो गोलुआ को फोन लगाओ और हिया बुलाओ,,,,,,,,,,,जब पंजीरी बटने ही वाली है तो थोड़ी गोलू को भी चखाई जाये”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा
“वो हमारा फोन ऊपर है हम लेकर आते है,,,,,,,,,,!!”,लवली ने बहाना बनाकर भागने का सोचा लेकिन मिश्रा जी भी है तो गुड्डू के बाप ही उसकी रग रग से वाकिफ थे इसलिए कहा,”ठहरो हम करते है,,,,,,और तुमहू अगर जे सोच रहे हो कि हमको पागल बनाकर भाग जाओगे तो बेटा एक ठो बात सुन ल्यो इत्ती आसानी से तो हम तुमको जाने नहीं देंगे , खड़े रहे हो चुपचाप”
आखरी शब्द मिश्रा जी ने थोड़ा गुस्से से लवली को घुड़ककर कहा तो बेचारा लवली सहम गया और मन ही मन भगवान् से प्रार्थना करने लगा की गोलू फोन ना उठाये।
मिश्रा जी ने गोलू को फोन लगाया लेकिन गोलू बेचारे का फोन तो गुप्ता जी पहले ही तोड़ चुके थे बजता कहा से , गोलू का फोन नहीं लगा तो मिश्रा जी ने लवली की तरफ देखा तो लवली ने कहा,”जाने दीजिये ना पिताजी,,,,,कल गोलू घर आये तब बात कर लीजियेगा”
“अरे ऐसे कैसे जाने दे गुड्डू , मिश्रा जी बुलाइये गोलू को हमको भी थोड़ा हिसाब किताब करना है,,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी से पहले आदर्श फूफा ने आकर कहा
“अब जे फूफा को गोलू से का दिक्कत है ? जे साला गोलू भी ना पता नहीं किस किस का भला करके बैठा है जे के चक्कर में हम भी लपेटे जायेंगे,,,,,!!”,लवली मन ही मन बड़बड़ाया
“आपको गोलू के साथ कौनसा हिसाब किताब करना है ?”,मिश्रा जी ने फूफा से पूछा
“अरे हमरा तो बिल्कुल छोटा सा हिसाब है , बनारस जाने से पहिले 500 रूपये उधर दिए थे ओह्ह का वही वापस लेना है,,,,,,,,,,!!”,फूफा ने खींसे निपोरते हुए कहा तो मिश्रा जी पलटे और बड़बड़ाये,”कुकुर का दुम कितना भी सीधा करो रहेगा उह टेढ़ा ही,,,,,,,,,!!”
“कुछो कहे का ?”,फूफा ने तख्ते के पर बैठते हुए कहा
“नाही कुछो नाही,,,,,,,,गोलू का फोन तो लग नाही रहा एक बार गुप्ता जी को फोन करके पूछते है उह्ह घर पर है कि नाही”,कहते हुए मिश्रा जी ने अपने फ़ोन से गुप्ता जी का नंबर डॉयल किया। लवली बुरी तरह फंस चुका था , ना वह वहा से भाग सकता था ना अपनी सच्चाई बता सकता था ऊपर से मिश्रा जी गोलू को और बुला रहे थे। गोलू मतलब मुसीबत , पुरे खानदान में वह इकलौता ऐसा इंसान था जो मुसीबत को अपने साथ लेकर चलता था।
एक दो रिंग जाने के बाद ही गुप्ता जी ने फोन उठा लिया तो मिश्रा जी ने कहा,”हेलो ! गुप्ता जी , गोलू है का आसपास ? ज़रा बात करवाईये ओह्ह से,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने फोन गोलू को दे दिया तो गोलू ने बिना नंबर देखे ही खाते हुए कहा,”कौन बोल रहा है बे ?”
“तुम्हाये बाप बोल रहे है आनंद मिश्रा”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा तो निवाला गोलू के गले में अटक गया और वह खांसने लगा।
जल्दी से पानी पीया और कहा,”अरे चचा आप , आप बनारस से कब आये ?”
“कुछ देर पहिले ही आये है तुमहू घर मा दिखाई नाही दिए तो सोचा खैर खबर ले ले तुम्हारी ,का कर रहे हो ?”,मिश्रा जी ने अपने शब्दों में चाशनी लपेटते हुए कहा
“अरे कुछ नहीं चचा उह्ह अम्मा खीर पूड़ी बनाय रही तो बस वही सुलटाय रहे है”,गोलू ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा
“जे का गोलू हमहू हिया तुम्हाये लिए 56 भोग सजा के बैठे है और तुमहू खीर पूड़ी खा रहे हो , अरे तुम खीर पूड़ी से पेट भर लोगे तो जे छप्पन भोग कौन खाये है ?”,मिश्रा जी ने कहा
56 भोग का नाम सुनकर ही गोलू की तो लार टपकने लगी उसने खीर पूड़ी की थाली साइड में खिसकाई और उठते हुए कहा,”अरे कौन का खाये है हम खाये है चाचा , आप तैयारी करके रखो हमहू अभी आते है,,,,,,,,!!”
“हाँ गोलू सब तैयार है बस सरसो का तेल भी रखे है”,मिश्रा जी ने कहा
“सरसो का तेल ? 56 भोग मा ओह्ह का का काम ?”,गोलू ने चप्पल पहनते हुए कहा
“जे कोई ऐसा वैसा 56 भोग नाही है गोलू तुम्हरे लिए रसोईये से कहकर ख़ास बनवाये है , अब इत्ता मीठा एक साथ खाकर मन खराब हो जाएगा ना इहलिये साथ मा तुम्हाये लिए लिट्टी चोखा भी बनवाये है , अब सरसो के तेल के बिना चोखा कैसे बनेगा ? तुमहू बस जल्दी से चले आओ”,मिश्रा जी आज फुल मूड में थे इसलिए गोलू के फालतू सवालो का भी बहुत शांति से जवाब दे रहे थे।
“अरे बस अभी आया”,गोलू ने कहा और फोन काटकर जैसे ही जाने लगा गुप्ता जी ने कहा,”ओह्ह्ह भागते भूत हमाओ फोन देकर जाओ”
गोलू ने गुप्ता जी का फोन उनको दिया और जाने लगा तो गुप्ता जी ने फिर टोका,”जे खीर पूड़ी छोड़कर कहा जा रहे हो उह्ह भी इत्ती जल्दी मा ?”
गोलू पलटा और चिढ़ते हुए कहा,”ए पिताजी ! ए यार एक तो ना जे जाते बख्त टोका ना करो , हुआ मिश्रा जी हमाये लिए 56 भोग सजा के बैठे है जे 4 रूपये की खीर मंगल फूफा को खिलाईये आप,,,,,,,!!!”
कहकर गोलू भाग गया लेकिन गुप्ता जी मुस्कुराने लगे क्योकि मिश्रा जी के 56 भोग का राज गुप्ता जी जानते थे और आज गोलू ने जिस तरह से गुप्ता जी की नाक में दम किया था गुप्ता जी भी चाहते थे कि गोलू आज 56 भोग चख ही ले।
Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73
Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73Manmarjiyan Season 3 – 73
- Continue With Manmarjiyan Season 3 – 74
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On http://instagram.com/sanjanakirodiwal/
संजना किरोड़ीवाल

