Manmarjiyan Season 3 – 72
Manmarjiyan Season 3 – 72

गुप्ता जी का घर , कानपूर
मंगल फूफा गोलू के पीछे पीछे अंदर आये तभी गोलू ने गुस्से से थोड़ा तेज आवाज में कहा,”पिताजी,,,!!”
“का है बे ?”,गुप्ता जी ने भी उतने ही गुस्से से पलटकर कहा तो गोलू सहमकर पीछे हटा और कहा,”अह्ह्ह्ह कुछ नहीं जे फूफा फुलवारी के घर की तरफ ताका झांकी कर रहे थे,,,,,,बस जे ही बताने आये थे”
गोलू ने मंगल को फंसा दिया , गुप्ता जी ने गुस्से से मंगल को देखा और कहा,”का झांक रहे थे बे ?”
“जे कुछ भी झांके आप बाप बेटा काहे इत्ता दिलचस्पी ले रहे है उह्ह फुलवारी मा ?”,गुप्ताइन ने कहा
“ए गुप्ताइन हमहू ना तुम्हाये आगे हाथ जोड़ते है यार जे फुलवारी का मेटर ना अब क्लोज करो तुम ,नहीं तो एक ठो ईंटा ल्यो और हिया दे मारो हमाये कपार पर और किस्सा ही खत्म करो हमारा”,गुप्ता जी ने गुप्ताइन के सामने हाथ जोड़कर कहा
गुप्ता जी की बात सुनकर गुप्ताइन ने मुँह बना लिया और साइड हो गयी।
गुप्ता जी की बात सुनकर गोलू में भी हिम्मत आ गयी और उसने कहा,”हाँ और हमाओ नाम तो जोड़ो भी नाही उह मोटकी फुलवारी से अरे उसमे हमहू अपने जीवन मा कबो इंट्रेस्ट ना ले”
गुप्ताइन गुप्ता जी की बात सुन सकती थी लेकिन गोलू की कैसे सुन ले उठा के एक मुक्का दे मारा उसके टकले पर और कहा,”जे हमाये पति है दुइ बात कह भी देंगे , तुमहू का सोच के हमसे जबान लड़ा रहे हो ? मुंह खोंच देंगे तुम्हारा समझे”
गोलू की बात सुनकर गुप्ता जी ने उसकी कोलर पकड़ कर उसे पीछे खींचा और कहा,”पहिले से इत्ता चरस बो चुके हो अपनी जिंदगी मा अब बैठकर उह्ह मा कीटनाशक काहे डाल रहे हो,,,,,,,,जे मामला तुम्हाये बस का नाही है हमे निपटने दयो”
गोलू समझ गया कि अब उसे ये सब गुप्ता जी पर ही छोड़ देना चाहिए इसलिए वह चुपचाप आकर सीढ़ियों पर बैठ गया।
“ए गोलू की अम्मा,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
“का है ?”,गुप्ताइन ने चिढ़कर कहा
“तुमको जे ही शक है ना कि हमाओ फुलवारी के साथ कोनो चक्कर चल रहो है ?”,गुप्ता जी ने कहा
“शक का हमे पुरो यकीन है”,गुप्ताइन ने कहा
“हाँ तो फिर बुलवाओ फुलवारी को हिया अभी दूध का दूध पानी का पानी कर देते है”,गुप्ता जी ने कहा
“हाँ तो बुला लेते है हमहू भी कोनो से डरते है का , ए गोलुआ जरा उह्ह फुलवारी को आवाज देओ”,गुप्ताइन ने कहा और रसोई की तरफ चली गयी
“गोलू को काहे परेशान करती हो हमहू बुला लाते है फूल को,,,,,,,,,,!!”,मंगल फूफा ने कहा और जैसे ही जाने लगे गुप्ता जी ने उनकी गुद्दी पकड़कर उन रोक लिया और पीछे करते हुए कहा,”काहे ? तुम्हायी रिश्तेदार लगती है उह्ह ?”
“रिश्तेदार तो नाही लगती पर रिश्ता बनाने का सोच रहे है,,,,,,!!”,मंगल फूफा ने शर्माते हुए कहा
“ओह्ह्ह नए जमाने के बिगड़े हुए फैशन , तुमहू जोन सोच रहे हो ना उह्ह अगर यादववा को पता चला ना तो अपनी भैंसिया के नीचे दबा देंगे , जे साढ़े चार फुट जो है ना ढाई कर देगा उह्ह आदमी , दूध के साथ साथ तुमको भी बेच देगा मंगल बाजार में,,,,,,,,,,और एक बात बताओ तुमहू हिया हमाओ मामला सुलटाने आये थे ना फिर हिया आकर जे छिनरई काहे कर रहे हो ? फूफा जात का नाम डुबो रहे हो”,गुप्ता जी ने मंगल को लताड़ते हुए कहा
“अरे फूफा हमहू खाली सरनेम से है बाकि दिल से तो हमहू अभी भी छैल-छबीले है,,,,,,!!”,मंगल फूफा ने सर पर बचे चार बालों में से हाथ घुमाकर कहा
“छबीले नाही तुम्हाये सारे पेज ढीले हो चुके है , हमहू साला अब तक तुम से डर रहे थे पर तुमहू तो हमायी लुंगी से भी छोटे निकले,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“ए,,,,,,,,,,,!!”,मंगल फूफा ने गुप्ता जी को ऊँगली दिखाकर कहा तो गुप्ता जी ने एक हाथ से मंगल की कोलर पकड़ी और दूसरे हाथ से थप्पड़ पे थप्पड़ बरसाते हुए कहा,”का बे ?”
“ऐ,,,,,,,!!”,मंगल ने फिर कहा और फिर उसे थप्पड़ पड़ा और गुप्ता जी ने कहा,”ए के आगे बी , सी , डी , ई , एफ भी आता है उह्ह नाही सीखे,,,,,,,,डाकू मंगल फूफा , दो झापड़ में तुम्हरा मंगल कर देंगे साले तुम्हायी फू और फा ऐसे फाड़ेंगे जिंदगीभर कोनो टेलर सिल नाही पायेगा,,,,,,,,,,हमहू चुप थे अपनी पत्नी की वजह से तुमहू साले हमायी छाती पर चढ़कर तांडव किये जा रहे हो,,,,,,,,हमरा बैकग्राउंड भूल गए का ? तुम्हाये जैसे डाकू तो अपनी बांयी जेब मा रखते थे हम और मिश्रा तुम साले हमाये सामने गुंडई करोगे तुम्हायी ऐसी की तैसी,,,,,,,!!”
उसके बाद गुप्ता जी ने गुप्ताइन के वापस आने से पहले फूफा को थप्पड़ पे थप्पड़ बरसा दिए , बेचारा फूफा गुप्ता जी का ये रूप देखकर थर थर काँप रहा था। गुप्ता जी ने देखा गुप्ताइन चाय लेकर आ रही है तो जल्दी से फूफा के बाल सही किये , कोलर सीधी की और दबी आवाज में कहा,”अगर गोलू की अम्मा से कुछो कहा तो याद रखना अभी सिर्फ ट्रेलर दिखाया है पूरी फिल्म भी दिखा देंगे”
“मंगल फूफा आईये चाय पी लीजिये जे बाप बेटे के ड्रामे मा आपको चाय पानी तक नाही पूछे”,गुप्ताइन ने ट्रे टेबल पर रखकर कहा।
पिंकी किचन में थी और खाना बना रही थी उसने इन सब मामलो से दूर रहना ही बेहतर समझा।
फूफा ने बेचारगी से गुप्ता जी की तरफ देखा तो गुप्ता जी ने हामी में गर्दन हिला दी। फूफा ने चाय का कप उठाया और जैसे ही पीने लगे गुप्ताइन ने कहा,”अरे फूफा बिस्कुट ल्यो आप तो कुछो खा ही नाही रहे”
“अभी अभी बहुत कुछ खाये है,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी धीरे से बड़बड़ाये तो गुप्ताइन ने उनकी तरफ देखा , गुप्ता जी ने तुरंत अपनी बात बदली और कहा,”अरे हमारा मतलब बेचारे खाएंगे तो तब ना जब फुर्सत से बैठेंगे , जबसे आये है तब से तो भाग ही रहे है बेचारे,,,,,,अरे खड़े काहे हो बैठ कर चाय पीओ”
मंगल फूफा डरते डरते सोफे पर आ बैठे और चाय पीने लगे।
लल्लन अपने आदमियों के साथ गुड्डू को लेकर एक सुनसान जगह पर बने घर में पहुंचा। गुड्डू अभी तक बेहोश था इसलिए लल्लन के आदमियों ने उसे उठाया और अंदर ले आये। अंदर लेकर गुड्डू को एक कुर्सी पर बैठाया और रस्सी से बांध दिया , हालाँकि की उसके मुंह में ठूसा कपड़ा भी निकाल दिया क्योकि गुड्डू अगर यहाँ चिल्लाये भी तो किसी को सुनाई नहीं देगा।
लल्लन गुड्डू के सामने कुछ ही दूर पड़े सोफे पर आ बैठा और अपने आदमी से चाय-नाश्ता लेकर आने को कहा। कुछ देर बाद चाय समोसे आये और लल्लन खाने लगा। एक आदमी ने बाकी सबको भी एक एक समोसा फेंककर दिया और सबने कैच कर लिया और मजे से खाने लगे।
“लल्लन भैया आज जे समोसे किस ख़ुशी में ?”,एक आदमी ने कहा
“जे लवली को पकड़ने की ख़ुशी में का है कि समोसे के पैसे भी हम इसी से वसूल करेंगे”,लल्लन ने कहा
गुड्डू को धीरे धीरे होश आ रहा था लल्लन ने चाय का गिलास उठाया और गुड्डू को देखते हुए पीने लगा। गुड्डू ने धीरे धीरे आँखे खोली खुद को एक अनजान जगह देखकर गुड्डू ने जैसे ही भागना चाहा वह कुर्सी से उठ ही नहीं पाया , उसने देखा वह कुर्सी पर बंधा हुआ है। उसने सामने देखा लल्लन चाय पी रहा था और उसके साथ खड़े आदमी समोसा खा रहे थे।
“अबे कौन हो तुम लोग और हमका हिया काहे लेकर आये हो ?”,गुड्डू चिल्लाया
“घर घर खेलने के लिए , अबे दिखाई नाही देता तुमको बंदी बनाये है हम ,, तुमको का लगा बे लबली हमको दुइ लाख का चुना लगाय के भाग जाओगे और हम तुमको जाने देंगे,,,,,याद रखो तुम्हायी खाली उधेड़ के भी दुइ लाख निकलवा लेंगे पर अपना पैसा नाही छोड़ेंगे समझे”,लल्लन ने चाय का गिलास साइड में फेंककर गुस्से से कहा
“अरे हम तुम्हे कैसे समझाए हम किसी लवली को नहीं जानते हमारा नाम गुड्डू है और हमने तुमने कोई पैसे उधार नहीं लिए है हमारा विश्वास करो यार”,गुड्डू ने रोआँसा होकर कहा
गुड्डू की बात सुनकर लल्लन गुस्से से उसके सामने आया और उसका मुंह पकड़कर भींचते हुए कहा,”हमाये माथे पर का चूतिया लिखा है ? तुमको लगता है तुमहू जो कहोगे हमहू यकीन कर लेंगे,,,,,,,एक ठो बार यकीन कर चुके अब नाही करेंगे , साला जब तुम्हरा बाप मरा तब गाँव मा कोनो तुमको पैसा नाही दिया पर तुम्हरे ऊपर दया खाकर हमहू पैसा दिए और तुमहू साले हमको ही ऐटिटूड दिखा रहे हो”
कहकर लल्लन ने पाजामे में दबा कट्टा निकाला और उसकी नली गुड्डू के मुंह में फंसाकर कहा,”हमाये साथ जियादा होशियार बनने की कोशिश की ना तो जे की सारी गोलिया तुम्हाये गले मा उतार देंगे समझे,,,,,,,!!”
गुड्डू बुरी तरह डर गया उसे समझ ही नहीं आ रहा था आखिर ये लोग उसके साथ ऐसा क्यों कर रहे थे और ये लबली कौन था जिसकी वजह से इन्होने गुड्डू को पकड़ा था। गुड्डू को खामोश देखकर लल्लन ने बन्दुक उसके मुंह से निकाली और पीछे हटकर अपने आदमियों से कहा,”ए तुम में से दो लोग चंदौली चकिया जाओ रे और इह साले के घर मा जो कुछ भी हो उह्ह उठाकर लाओ हिया”
लल्लन का आदेश पाकर दो आदमी वहा से चले गए। गुड्डू ने जैसे ही लल्लन के मुंह से चंदौली सुना उसे गोलू की कही बात याद आयी जब गोलू ने गुड्डू के हमशकल को चंदौली की बस में चढ़ते देखा थे।
गुड्डू का दिमाग चला और उसे सब समझ आ गया , लवली कोई और नहीं बल्कि उसका हमशकल था और उसी के भरोसे लल्लन उसे उठा लाया था। गुड्डू ने लल्लन की तरफ देखा और कहा,”तुमको लबली चाहिए ना ?”
“चाहिए का मतलब ? तुमहू हमाये सामने ही तो हो,,,,,,,,!!”,लल्लन ने कहा
“हम लवली नाही गुड्डू मिश्रा है , हमारी शकल लबली से मिलती है , उह्ह हमारी जगह लेना चाहता था इहलिये कानपूर चला आया।
उसे ढूंढते हुए आप लोग कानपूर आये और हम से टकरा गए और हमे लबली समझकर हिया ले आये। हम सच कह रहे है हम गुड्डू है लबली बाहर आराम से घूम रहा है , अगर आपकी दुश्मनी लबली से है तो आप लोग जाकर उसे पकड़िए हमे बंदी काहे बनाया है ? चार दिन पहिले हमायी दादिया खत्म हुई है घर मा पहिले ही इत्ता तनाव है पिताजी ने अगर हमे घर मा नाही देखा तो उह्ह्ह और परेशान हो जायेंगे,,,,,,,,,,हमका जाय दयो हमहू सच कह रहे है हम लबली नाही है , लबली बाहर है और गुड्डू बनकर सबकी आँखों मा धूल झोंक रहा है”,गुड्डू ने दुखी स्वर में कहा
गुड्डू की बात सुनकर लल्लन ख़ामोशी से गुड्डू को देखने लगा। लल्लन का खास लड़का उसके पास आया और कहा,”लल्लन भैया हमको लगता है जे लड़का सही कह रहा है , अगर जे लबली होता तो अब तक इत्ता शांत बैठता का , हमहू तो कहते है कि एक ठो बार जे लड़के के घर पर जाकर देख लेते है अगर जे सच कह रहा है तो जे के घरवाले इह का घर मा नाही पाकर परेशान होंगे,,,,,,,!!!”
“हमहू सोच रहे है घर का वाई-फाई उखाड़ दे”,;लल्लन ने कहा
“काहे ?”,लड़के ने हैरानी से कहा
“का है कि दिमाग तुम्हरा साला 5 जी से भी जियादा तेज चलता है , इह का घर का एड्रेस पूछो और दो लड़को को इह का घर भेजो अभी पता चल जाएगा सच का है और अगर जे की बात झूठ हुई तो याद रखना चुंगी वाई फाई का तार तुम्हरी नाक मा डालकर कहा से निकालेंगे तुमहू सोच भी नाही सकते”,लल्लन ने अपने लड़के चुंगी को धमकी भरे स्वर में कहा
“अरे नाही नाही लल्लन भैया हमहू कभी गलत हो ही नाही सकते,,,,,,,,हमहू अभी लड़को को भेजते है”,कहते हुए चुंगी गुड्डू की तरफ आया उस से घर का पता पूछा और दो लड़को को उसके घर भेज दिया।
गुड्डू को एक उम्मीद नजर आयी क्योकि उसके हिसाब से लवली तो कानपूर से भाग चुका था और उसके घर पर ना होने की वजह से घरवाले परेशान होंगे। गुड्डू की नजर सामने टेबल पर रखे समोसो पर पड़ी तो उसे भूख लगने लगी उसने लल्लन की तरफ देखा और कहा,”ए भैया ! जब तक उह्ह लोग सच जानकर वापस नाही आते तब तक कम से कम एक ठो समोसा ही देइ दओ हमका , बहुते भूख लगी है”
“ए चुंगी ! चाय समोसा खिला दे इह का”,लल्लन ने कहा और वहा से चला गया
मिश्रा जी का घर , कानपूर
“हम बताय रहे है मिश्रा जी जे गुड्डू और गोलू जब तक साथ साथ रहेंगे अपनी जिंदगी मा तो चरस बोयेंगे ही दुसरो के जीवन मा भी चरस बो देंगे , अरे हिया सबके सामने हमाओ पजामा खोल दिए रहय गोलुआ , बताओ बहू बेटियों के सामने हमायी इज्जत की छीछा लेदर कर दी उह्ह दोनों मिल के , गुड्डू शादी के बाद फिर भी थोड़ा सुधर गवा पर उह गोलुआ ओह्ह के तो जैसे चमगादड़ वाले पर निकल आये है ,
अरे मिश्रा जी मुसीबत गोलू के जीवन मा नाही आती बल्कि गोलुआ खुद लाली पोडर लगा के खुद ठुमक ठुमक करता मुसीबत के पास जाता है , खुद तो मुसीबत मा फंसता है अपने साथ साथ चार लोगो को और डाल देता है”,केशव पंडित ने मिश्रा जी के सामने गुड्डू और गोलू की तारीफो के पुल बांधते हुए कहा
मिश्रा जी ख़ामोशी से सब सुन रहे थे साथ ही गुड्डू और गोलू के लिए उनका गुस्सा बढ़ रहा था हालाँकि गोलू के लिए गुस्सा मिश्रा जी बनारस से लेकर आये ही थे और केशव पंडित ने उसे और बढ़ा दिया था।
“पापाजी चाय , नमस्ते पंडित जी चाय लीजिये”,शगुन ने आकर कहा
“खुश रहो बिटिया”,केशव पंडित ने चाय लेकर शगुन से कहा और फिर मिश्रा जी की तरफ पलटकर बोले,”आपको अगर हमरी बात पर यकीन नहीं है ना तो शगुन बिटिया से पूछ लीजिये जे भी यही थी,,,,,,,,,,,!!”
मिश्रा जी ने शगुन की तरफ देखा और कहा,”शगुन ! बिटिया हमाये जाने के बाद गुड्डू और गोलू ने मिलकर कोनो तमाशा किया था का घर मा ?”
शगुन ने सुना तो खामोश हो गयी क्योकि झूठ वह बोलना नहीं चाहती थी और सच वह मिश्रा जी के सामने बोल नहीं सकती थी। शगुन को चुप देखकर मिश्रा जी ने कहा,”तुमहू अंदर जाओ शगुन जे गुड्डू और गोलू का भूत हम उतारते है”
शगुन ने सुना तो परेशान सी अंदर चली गयी क्योकि मिश्रा जी का गुस्सा अब तक वह जान ही चुकी थी। गोलू ने काम ही मार खाने वाले किये है लेकिन गुड्डू , गुड्डू की तो इन सब में कोई गलती भी नहीं थी और यही सोचकर शगुन को गुड्डू के लिए टेंशन हो रही थी।
“हमहू आपकी बहुते इज्जत करते है मिश्रा जी बस इहलीये गुड्डू और गोलू की बदतमीजियां बर्दास्त कर लेते है लेकिन इह बार तो हद हो गयी,,,,,!!”,शगुन के जाने के बाद पंडित जी ने कहा
“उह्ह दोनों नालायको की तरफ से हम आपसे माफ़ी चाहते है पंडित जी , अम्मा के दिन चल रहे है इहलिये जियादा कुछो बोल भी नाही सकते , आप परेशान मत होईये और अम्मा के 11-12 का सभी काम आपको ही देखना है”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे हाँ हाँ मिश्रा जी जे भी भला कोई कहने की बात है हम आ जायेंगे अभी चलते है”,कहते हुए केशव पंडित ने चाय का खाली कप रखा और उठकर चले गए
केशव पंडित के जाने के बाद मिश्रा जी उठे और बड़बड़ाये,”जे गुड्डू और गोलू ने कुछो जियादा ही नाक मा दम किया हुआ है इह बार , लगता है एक बार इनकी फील्डिंग लगानी पड़ेगी”
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संजना किरोड़ीवाल

