Manmarjiyan Season 3 – 71

Manmarjiyan Season 3 – 71

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

कहानी में लल्लन के रूप में नया ट्विस्ट आ चुका था। लल्लन के कहने पर उसके आदमी गुड्डू को लवली समझकर उसके पीछे भागे और स्टेशन के बाहर आकर उसे पकड़ लिया। अचानक अनजान लोगो को अपने सामने देखकर गुड्डू असमझ में पड़ गया और कहा,”अबे कौन हो तुम लोग और हमाओ रस्ता काहे रोके हो बे ?”
लल्लन वह आ पहुंचा और कहा,”अच्छा तो तुम इन लोगन का नाही जानते ?”
“इन्हे का हमहु तो तुमको भी नाही जानते , हो कौन और हम से का चाहते हो ?”,गुड्डू ने कहा


“अच्छा तो तुमहू अब हमका भी नाही जानते , हमे दुई लाख का चुना लगाकर हमसे कह रहे हो की हमे नाही जानते , हम है लल्लन , लल्लन चकिया वाले”,लल्लन ने गुड्डू को घूरकर कहा
गुड्डू इस नाम के आदमी से पहली बार मिल रहा था और चकिया तो वह कभी गया ही नहीं था उसने कहा,”अबे का भांग वांग खाये हो ? हमहू तुमसे पैसे काहे लेंगे बे ? और तुमहू लल्लन चकिया से हो चाहे खटिया से हमहु तुमको नाही जानते”


“ए लबली ! का बक रहे हो लल्लन भैया को नाही जानते”,लल्लन के बगल में खड़े आदमी ने कहा
“लबली ? अरे हम लबली बबली नहीं है भाई हमाओ नाम गुड्डू मिश्रा है हम यही के रहने वाले है,,,,,,हमरा विश्वास करो”,गुड्डू ने कहा
“का बे ठिकाना बदला तो नाम भी बदल लिए , अगर तुमहू गुड्डू हो तो हमहू है कालीन भैया मिर्जापुर वाले,,,,ए गाड़ी मा डालो इसको , इस से सच कैसे बुलवाना है जे हमको पता है,,,,,,,,!!”,लल्लन ने कहा और आँखों पर चश्मा लगाकर गाडी के आगे वाली सीट पर बैठ गया


लल्लन के आदमियों ने गुड्डू को पकड़ा और गाड़ी में डाल दिया। गुड्डू कुछ बोल ना पाए इसलिए उसके मुंह में कपड़ा ठूँस दिया और हाथ भी बांध दिए। गाड़ी के सभी शीशे चढ़ाये और गाड़ी वहा से निकल गयी

गुड्डू एक बार फिर नयी मुसीबत में फंस चुका था और इस बार तो वह ऐसे लोगो के बीच फंसा था जिन्हे जानता भी नहीं था ना ही उसके आस पास उसकी मदद करने वाला कोई था। गाड़ी ट्रेफिक में आकर रुकी गुड्डू को यहाँ मदद की उम्मीद दिखी लेकिन उसके हाथ बंधे थे और मुंह में कपड़ा फिर भी उसने लल्लन के आदमियों से छूटने की कोशिश की , ये देखकर आगे बैठे लल्लन ने हाथ में पकडे कट्टे के पिछले हिस्से से गुड्डू के मुंह पर मारा

गुड्डू शांत हो गया क्योकि चोट बहुत जोर से लगी थी और गाल के साथ साथ होंठ पर भी लगी थी जिस से होंठ से खून निकल आया। गुड्डू समझ गया कि वह बुरी तरह फंस चुका है। गाडी ट्रेफिक में ही थी और इत्तेफाक से मिश्रा जी जी रिक्शा में थे वह गाड़ी के बांयी तरफ आकर रुका गुड्डू की नजर जैसे ही रिक्शा में बैठे अपने पिताजी पर पड़ी गुड्डू की आँखों में दर्द उभर आया , मुंह में कपड़ा ठूंसे होने के बाद भी गुड्डू चिल्लाया लेकिन उसकी आवाज गाडी के बाहर नहीं गयी।

रिक्शा में बैठे लवली की नजर अचानक अपने बगल में खड़ी गाड़ी के आगे वाली सीट पर बैठे लल्लन पर पड़ी। लल्लन को देखते ही लवली के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये उसने मुंह घुमा लिया और शर्ट की कोलर से चेहरा छुपाने लगा। मिश्रा जी ने देखा तो कहा,”गुड्डू ! का हुआ मुंह काहे छुपा रहे हो ?”
“कुछ नहीं पिताजी उह्ह जे गाड़ियों के धुएं से साँस लेने मा दिक्कत होय रही है तो मुंह ढक रहे है बस”,लवली ने बहना बना दिया


मिश्रा जी ने अपने गले में पड़ा गमछा निकाला और लवली की तरफ बढाकर कहा,”एक ठो काम करो जे हमाओ गमछा लपेट लेओ,,,,,,,!!”
मिश्रा जी ने लवली का काम और आसान कर दिया उसने गमछा लिया और उसे अपने मुंह के चारो ओर लपेट लिया अब उसे किसी का डर नहीं था क्योकि इस हाल में लल्लन तो क्या खुद गुड्डू उसे नहीं पहचान पाए। वह आराम से सीधा बैठकर ट्रेफिक क्लियर होने का इंतजार करने लगा।

गुड्डू ने बहुत कोशिश की लेकिन मिश्रा जी ने उसकी तरफ देखा ही नहीं हताश होकर गुड्डू ने दांयी तरफ देखा गुड्डू की आँखे चमक उठी , गाडी के दांयी तरफ जो रिक्शा खड़ा था उसमे गोलू अपने परिवार के साथ था गुड्डू को फिर उम्मीद की एक किरण नजर आयी इस बार वह जैसे ही चिल्लाया लल्लन के आदमियों में से एक ने उसकी जांघ पर जोर का घुसा मार दिया। गुड्डू दर्द से बिलबिला उठा लेकिन उसके चिल्लाने की आवाज गले में दबकर रह गयी। ट्रेफिक क्लियर हुआ गुड्डू की आँखों के सामने से गोलू वाला रिक्शा आगे बढ़ गया ,

गुड्डू ने दूसरी तरफ देखा मिश्रा जी वाला रिक्शा भी उसकी आँखों के सामने से आगे निकल गया। गुड्डू की आँखों से दो बूंद आंसू गालों पर बह गए इस वक्त उसे जो तकलीफ हो रही थी उसकी आँखों में साफ़ नजर आ रही थी।
लल्लन के ड्राइवर ने गाडी दूसरे रास्ते की ओर मोड़ दी गुड्डू फिर झटपटाया और इस बार लल्लन के आदमी ने उसे बेहोशी की दवा वाला रुमाल सुंघाया और कुछ ही देर में गुड्डू बेहोश हो गया। गाडी ने स्पीड पकड़ ली और कहा जा रही थी ये गुड्डू को नहीं पता था।

गोलू सबको लेकर अपने घर पहुंचा। सभी नीचे उतरे और चुपचाप अंदर चले गए लेकिन मंगल फूफा गेट पर ही रुक गए और यादव जी के घर की तरफ देखकर झाँकने लगे। गोलू ऑटोवाले को किराया देकर आया तो देखा मंगल फूफा यादव जी के घर की तरफ झांक रहे है। फिर से कोई कांड ना हो जाए सोचकर गोलू मंगल फूफा के पास आया और कहा,”जे यादववा के घर मा का ताका झांकी कर रहे हो फूफा ? अम्मा की भुआ को पता चला ना तो जे साढ़े चार फुट में से ढाई फुट और कम कर देंगी उह्ह्ह”


“अरे तुम किस भुआ की बात कर रहे हो गोलू ? हमयी तो अभी तक सादी भी नाही हुई है”,मंगल फूफा ने कहा
गोलू ने मंगल की बांह में अपनी बांह डालकर उसे अंदर ले जाते हुए कहा,”सादी नहीं हुई है तो का दुसरो की पिरोपर्टी पर नजर डालोगे , और अब शादी होगी भी नाही तुम्हायी”
“काहे ?”,फूफा ने हैरानी से पूछा


“का है कि तुम्हायी सादी की उम्र तो दो बार निकल चुकी है , अब मेहँदी हाथो मा नाही बालों मा लगाना शुरू करो”,गोलू ने कहा तो मंगल उसे घूरने लगा और कहा,”इमारत भले पुरानी हो नींव अभी भी मजबूत है”
“हमको साला पहिले ही पता था तुम्हरी जवानी ना सीमेंट बजरी मा गुजरी है”,गोलू ने कहा
“तुमको कैसे पता ?”,मंगल फूफा ने कहा


“शक्ल से ही मजदुर लगते हो,,,,,,,हमायी अम्मा भी का सोच कर तुमको अपना फूफा रखी पता नाही , ए फूफा हमको एक ठो बात बताओ तुम कह रहे तुम्हायी शादी नाही हुई तो फिर अम्मा तुमको फूफा फूफा कह के काहे बुलाय रही है ? अम्मा की कौनसी भुआ के साथ बचपन मा घर घर खेले रहे तुमहू ?”,गोलू ने कहा
“हमाओ सरनेम है फूफा”,मंगल ने कहा


गोलू ने सुना तो उसका सर चकराने लगा वह बड़बड़ाया,”साला किसी का सरनेम फूफा कैसे हो सकता है ? हमहू गुप्ता सुने है , मिश्रा सुने है , यादव , प्रजापत , शुक्ला , पंडित सुने है पर फूफा , साला जे कानपूर के सारे फुफाओ ने मिलकर अपना कोनो पर्सनल सरनेम तो ना ही बनाय लिया ?”
“ए फूफा जे का बकवास कर रहे हो , हमहू तो आज तक ऐसा कोनो सरनेम नाही सुने”,गोलू ने चिढ़कर कहा


“अरे हमाओ नाम मंगल रहो माँ पिताजी बचपन मा गुजर गए तो हमहू खुद ही जे रख लिए हमायी पर्सनालिटी को सूट भी करता है फु माने फुल फा माने फाइनल , मंगल फुल एंड फाइनल,,,,,,,,,हमहू एक बार कोनो काम अपने हाथ मा ले ले तो मामला फुल एंड फाइनल समझो”,मंगल फूफा ने अपनी तारीफ में कहा
गोलू ने सुना तो अपना सर पकड़ लिया और कहा,”ए फूफा ! जे सब सुनके ना हमको चक्कर आ रहा है,,,,,,,!!


गोलू अपना सर पकडे अंदर चला गया और फूफा ने अपने आदमियों को देखकर कहा,”लगता है हमरा इंट्रो सुनकर घबरा गवा”
फूफा जैसे ही अंदर जाने के लिए आगे बढ़ा , लड़खड़ाया और पलटकर कहा,” अह्ह्ह्ह कुछ नहीं हुआ हम ज़रा मामला निपटाकर आते है तुमहू बाहर ध्यान रखो और उह्ह्ह फुल का आदमी यहाँ आये ना तो हड्डी पसली एक कर देना उसकी”
“यस बॉस”,आदमी ने कहा और फूफा अंदर चला आया

मिश्रा जी का घर , कानपूर
रिक्शा मिश्रा जी के घर के सामने आकर रुका। सभी नीचे उतरे लवली गुड्डू बनने का नाटक कर रहा था इसलिए अब पैसे भी उसे अपनी जेब से ही देने पड़े। लवली ने पैसे दिए और सबके साथ अंदर चला आया। अंदर आकर मिश्रा जी तख्ते पर आ बैठे।


“पापा जी पानी”,शगुन ने पानी का गिलास मिश्रा जी की ओर बढाकर कहा
“खुश रहो बिटिया , हमाये जाने के बाद हिया कोनो परेशानी तो नाही हुई ?”,मिश्रा जी ने गिलास लेकर कहा
“पापाजी मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है”,शगुन ने कहा


शगुन के मुंह से जरुरी बात सुनकर लवली को लगा शगुन कही गुड्डू के हमशक्ल के बारे में ना बोल दे इसलिए शगुन के बोलने से पहले ही वह बोल पड़ा,”अह्ह्ह पिताजी हमहू आज शोरूम गए थे जोन नया लड़का आप रखे है अकाउंट्स डिपार्टमेंट मा ओह्ह को हम निकाल दिए है , चचा बताय रहे एक हफ्ते से हिसाब में बहुते गड़बड़ कर रहा था फिर हमहू भी हिसाब देखे रहे तो सच मा बहुते उलट फेर था इसलिए हमहू कह दिए कल से मत आना”


“हम्म्म ठीक है अच्छा किया , हाँ शगुन बिटिया तुमहू कुछो कह रही थी कहो का बात है ?”,मिश्रा जी ने लवली से कहा और फिर शगुन की तरफ देखकर बोले
शगुन ने जैसे ही बोलने के लिए मुंह खोला लवली फिर बोल पड़ा,”पिताजी वो शुक्ला जी ने 20 हजार का एडवांस दिया है , माल उनको दो दिन में चाहिए था तो हमने पैक करवा के कुरियर लगवा दिया”


मिश्रा जी ने देखा की गुड्डू ने दूसरी बार बीच में बोला है तो उन्होंने लवली को देखा और कहा,”ठीक है उह पैसे अपने पास रखो शगुन को कोनो चीज की जरूरत हो तो लाकर दे देना और कुछ अपने खर्च के लिए रख लेना”
“हाँ बिटिया कहो,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने बड़े प्यार से शगुन से कहा


“पिताजी वो गोलू कह रहा था कि,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू फिर बीच में बोला और शगुन को बोलने नहीं दिया तो मिश्रा गुस्से से उसकी तरफ पलटे और चिढ़ते हुए कहा,”अबे बोलन दोगे के नाही बहू का ? एक ठो बार और बीच मा बोले ना तो बाटा की चप्पल से मुँह लाल कर देंगे तुम्हरा समझे,,,,,,,!!!”
बेचारा लवली सहमकर चार कदम पीछे हट गया। गुड्डू के पिताजी गुड्डू से इस तरह बात करते है लवली पहली बार देख रहा था।  

 शगुन कुछ कहती इस से पहले केशव पंडित वहा आ धमके और कहा,”हर हर महादेव मिश्रा जी”
मिश्रा जी केशव पंडित की तरफ पलटे और कहा,”हर हर महादेव पंडित , आईये”
केशव पंडित को आया देखकर शगुन वहा से चली गयी उनके सामने भला वह मिश्रा जी से क्या बात करती ? फूफा भी अंदर चले गए , मिश्राइन और वेदी भी कपडे बदलने अपने कमरे में चली गयी। लवली शगुन के पीछे आया और कहा,”शगुन”


“हाँ,,,,,,,,,!!”,शगुन ने पलटकर कहा हालाँकि लवली ने पहले ही उस से दूरी बना ली थी ताकि शगुन को शक ना हो कि वह गुड्डू नहीं लवली है और शगुन भी इस बार लवली को पहचान नहीं पायी
“तुम पिताजी से का कहने वाली थी ?”,लवली ने पूछा
“गुड्डू जी मैं पापाजी को आपके उस हमशक्ल के बारे में बताने वाली थी , आप जैसा दिखने वाला कोई अनजान आदमी इतनी आसानी से घर में घुस गया ये किसी खतरे से कम नहीं है,,,,,,,इसलिए मैंने सोचा,,,,,,,!”,शगुन ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“शगुन तुमहू पागल हो का ? अरे पिताजी को उसके बारे में बताने से पहिले जे जानना जरुरी है कि उह्ह आखिर असल मा है कौन और जे घर मा काहे आया ?
अरे उह्ह तो बस एक ठो चोर था जे कि शकल हमाये से मिलती जुलती थी , हमायी जगह इह घर मा आकर सब चोरी करके भागने वाला था उह्ह लेकिन सुबह जब हमहू शोरूम गए थे न तो उह्ह हमका मार्किट मा दिखा और हमहू ओह्ह का धर लिए गोलू भी था हमाये साथ , हमने और गोलू ने मिल के जो मारा है ओह्ह का कि का बताये ?”,लवली ने शगुन को बातो में लपेटते हुए कहा


“तो फिर वो अब कहा है ?”,शगुन ने हैरानी से पूछा  
“कहा होगा ? थाने मा है हमहू पुलिस कंप्लेंट कर दिए रहय ओह्ह के खिलाफ,,,,,!”.लवली ने कहा
शगुन ने लवली की बात मान ली और राहत भरे स्वर में कहा,”ये तो अच्छा हुआ गुड्डू जी जो वो पकड़ा गया वरना मैं तो घबरा ही गयी थी , पापाजी को पता चलता तो बेचारे खामखा परेशान हो जाते”


“अरे वही तो हमहू कह रहे है शगुन कि पिताजी को अभी जे सब के बारे मा नाही बताओ , सफर मा थककर आये है जे सब बातें सुनेंगे तो और परेशान हो जायेंगे , वैसे भी जबसे दादी गुजरी है पिताजी के चेहरे से उदासी जाने का नाम नाही ले रही , हमे उन्हें और टेंशन नाही देनी चाहिए,,,,,,,,,,!!”,लवली ने गंभीरता से कहा हालाँकि बातो बातो में उसने गुड्डू की बूढ़ा को दादी कहा लेकिन शगुन का ध्यान इस बात पर नहीं गया


शगुन को सोच में डुबा देखकर लवली ने कहा,”अच्छा हमायी बात सुनो पिताजी और सब लोग बाहर से आये है थके हारे है रसोईये से कहकर सबके लिए चाय बनवाय दयो,,,,,,,हमहू जाते है”
“ठीक है,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा और किचन की तरफ बढ़ गयी।
शगुन को अपनी बातो में उलझाकर लवली मिश्रा जी से बचने के लिए चुपचाप सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया ताकि गुड्डू कमरे में जा सके। मिश्रा जी ने भी लवली पर ध्यान नहीं दिया और केशव पंडित के साथ बातो में लगे रहे।

फूफा अंदर आया और राजकुमारी के पास आकर चिढ़े हुए स्वर में कहा,”जे गोलू नाम के प्राणी ने हमायी आँखों में जो धूल झोंकी है उह्ह साले को हमहू छोड़ेंगे नाही , एक ठो बार उह्ह बस हमाये हाथ लग जाए”
“अब का किया बेचारे गोलू ने ?”,भुआ ने भी गुस्से से कहा


“बेचारा गोलू , अरे बेचारा नहीं बहुत बड़ा तिकड़मबाज है उह्ह , हमको जान बूझकर मिश्रवा के साथ बनारस भेजे रहे ताकि मिश्रा वहा हमायी बत्ती बनाय दे ,  हमको यहाँ से भगाने के चक्कर में उसने हमाये सामने अपना बनने का ढोंग किया और हमको अपनी मीठी मीठी बातो मा फंसाकर तुम्हरे भाई के साथ अकेले बनारस भेज दिया ओह्ह का सब पिलान समझ गए हमहू , आन दयो जे घर मा मार मार गोलू का ढोलक नहीं ना बनाये हमाओ नाम भी आदर्श बाबू नाही”,फूफा ने फुंफकारते हुए कहा  


“तो जे मा गोलू की का गलती है ? तुम्हरी बुद्धि पर का ताला लगा था काहे आये ओह्ह्ह की बातो मा ? अरे बातों मा तो हमहू आये रहे तुम्हरी बातो मा आकर अपने देवता जैसे भाई का दिल दुखाये रहे , तुम्हरी बातो मा आकर अपनी देवी जइसन भाभी का अपमान किये रहय , अरे फुल से बच्चे गुड्डू शगुन को नीचा दिखाए रहय और तुमहू गोलुआ को दोष दे रहे , अरे उसी ने तो हमायी आँखों पर बंधी तुम्हरे झूठे पिरेम की पट्टी खोली है,,,,,,,,,गोलुआ के बारे में कुछो गलत बोले ना तो जबान खींच लेंगे तुम्हायी समझे”,भुआ ने गुस्से से कहा और वहा से चली गयी


फूफा ने सुना तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया। एक ही रात में राजकुमारी इतना कैसे बदल गयी ? फूफा ने राजकुमारी को जाते देखा और अपने दाँत पीसते हुए कहा,”जे साले की वजह से पहिले हमायी कमाई गई और अब हमायी लुगाई भी गयी,,,,,,,,,,तुमको तो हम छोड़ेंगे नाही गोलू,,,,,,!!”

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संजना किरोड़ीवाल

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