Manmarjiyan Season 3 – 59
Manmarjiyan Season 3 – 59

गुप्ता जी लवली को गुड्डू समझकर अपने घर ले आये। गोलू शगुन की तरह वे भी नहीं जान पाए कि उनके सामने बैठा ये आदमी गुड्डू नहीं बल्कि उसका हमशक्ल है उल्टा वे उसे चाय बिस्कुट खिला रहे थे। गुप्ता जी के कहने पर लवली ने एक बिस्कुट उठाया और जैसे ही चाय में डुबोया गुप्ता जी ने कहा,”लो गोलू भी आ गवा”
लवली ने जैसे ही गोलू का नाम सुना उसके हाथ में पकड़ा बिस्कुट टूटकर चाय में गिर गया। उसने चाय का कप नीचे रखा और कहा,”हमहू बाथरूम होकर आते है,,,,,,,,!!”
“बाथरूम ? अरे चाय तो पीओ”,गुप्ता जी ने कहा
“हम बाद में आकर पीते है ना , एमर्जेन्सी है”,कहकर लवली अंदर की तरफ भाग गया। गुप्ता जी ने देखा तो कहा,”अरे गुड्डू वहा कहा जा रहे हो बाथरूम हिया बांयी तरफ है”
लवली वापस आया और बाथरूम की तरफ चला गया इतने में गोलू वहा आया लेकिन वह लवली को देख नहीं पाया। गुप्ता जी ने चाय उठायी और एक घूंठ भरकर कहा,”चाय तो ठीक ही है लगता है गुड्डू का पेट खराब है,,,,,,,,!!”
गोलू ने देखा गुप्ता जी अकेले अकेले चाय पी रहे है तो उनके पास आया और ताली पीटकर कहा,”वाह पिताजी वाह , चाय बिस्कुट सही है इह नाही कि कबो हमसे भी पूछे ले”
“इह मा ताली पीटने की का जरूरत है इह लयो तुमहू पी ल्यो”,गुप्ता जी ने कप गोलू की ओर बढाकर कहा
गोलू ने कप लिया और एक घूंठ भरका कर कहा,”चाय तो बढ़िया है , अरे बिस्कुट भी है,,,,,,,,,!!” कहते हुए गोलू ने ट्रे में रखे बिस्कुट में से एक बिस्कुट उठाकर चाय में डुबोया और आधा खाकर कहा,”वैसे पिताजी आप हिया बैठकर जे चाय बिस्कुट काहे खा रहे है ? अम्मा ने खाना नाही दिया का ?”
“अरे हमहू कहा खा रहे है जे तो हमहू गुड्डू के लिए लेकर आये थे”,गुप्ता जी ने कहा
गुड्डू का नाम सुनते ही गोलू के मुंह में भरी चाय का फनवारा गुप्ता जी के मुंह पर क्योकि गुड्डू को तो गोलू खुद शोरूम भेजकर आया था फिर गुड्डू यहाँ कैसे ? इस सवाल का जवाब तो गोलू को नहीं मिला लेकिन एक करारा थप्पड़ जरूर उसके गाल पर पड़ा और गुप्ता जी ने कहा,”जे हमाओ मुँह है कोनो डस्टबिन नाही जो थूक दे रहे हो,,,,,,,,,,,अरे नहीं पीनी तो नाही पीओ हमाये मुंह पर काहे थूक रहे हो ?”
गोलू को होश में आने में थोड़ा वक्त लगा और उसने कहा,”अभी का कहा आपने किसने लिए बनायीं जे चाय ?”
“गुड्डू के लिए और किसके लिए ?”,गुप्ता जी ने कहा
“गुड्डू भैया आपको कहा मिल गए ?”,गोलू ने हैरानी से कहा
“कहा मिल गए मतलब ? अरे उह्ह मंगल जल्लाद के लिए हरी सब्जिया लेने गए रहय तो वही चौक मा मिल गवा हमहू मदद के वास्ते घर ले आये”,गुप्ता जी ने कहा
“हिया तो दिखाई नाही दे रहे”,गोलू ने कहा
“अरे उह्ह्ह संडास गए है,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने मुंह बनाकर कहा
“संडास मा का कर रहे है ?”,गोलू ने कहा
“जलेबिया बना रहे होंगे,,,,,,,,,,अरे हमे का पता का कर रह है ? चाय का एक घूंठ भरा और कहा कि एमर्जेन्सी है”,गुप्ता जी ने चिढ़कर कहा
“जे घटिया चाय पीकर तो किसी को भी एमर्जेन्सी की जरूरत पडेगी”,गोलू ने कहा
“हाँ तो इधर दयो और खुद बनाय के पी ल्यो”,कहते हुए गुप्ता जी ने गोलू के हाथ से कप छीन लिया
“जल्लाद मंगल फूफा नाही आप है पिताजी , बच्चे के मुंह से निवाला छीन लिए”,गोलू ने गुप्ता जी को घूरते हुए कहा
“अपनी अम्मा की साइड लिए ना तो यही खोलती चाय तुम्हायी पेंट मा डाल देंगे समझे”,गुप्ता जी ने कहा
“साइड हटो हमका संडास देखन दयो”,गोलू ने गुप्ता जी को साइड करके कहा
“छी छी गोलुआ गुड्डू जोन कार्यकर्म किया है तुमहू उह्ह देखने जा रहे हो ? जे कैसे कैसे शौक है तुम्हाये ?”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे पिताजी जिसको आप गुड्डू भैया समझ रहे है ना उह्ह्ह गुड्डू भैया नाहीं बल्कि ओह्ह का हमशक्ल है,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“का बात कर रहे हो गोलू ?”,गुप्ता जी ने बहुत ही हैरानी भरे स्वर में कहा
“यही बात कर रहे है”,गोलू ने उतने ही आराम से कहा
“ए साला तुमहू हमको चुना तो नाही लगा रहे ना ?”,गुप्ता जी को गोलू की बात पर विश्वास नहीं हुआ
“आप पान का पत्ता है जो हमहू चुना लगाएंगे ? अरे यार पिताजी हटो , अरे उह्ह्ह रहा , ए पिताजी पकड़ो साला भाग ना जाए”,चिल्लाते हुए गोलू संडास की तरफ भागा लेकिन तब तक लवली दिवार पर चढ़कर गली में कूद गया। गोलू ने चढ़ने की कोशिश की लेकिन हाइट कम होने की वजह से चढ़ नहीं पाया। गुप्ता जी ने दिमाग लगाया वे गुड्डू के हमशक्ल को रोकने के लिए मेन गेट की तरफ भागे लेकिन गेट खोलने के बजाय हड़बड़ी में वे गेट पर ही चढ़ गए। गोलू भागकर आया और गेट खोल बाहर भागते हुए कहा,”अरे गेट पर काहे चढ़े है उह्ह्ह कोनो पतंग है जो लूट लेंगे”
“अरे हमहू तो तुम्हायी मदद”,गुप्ता जी कहते ही रह गए और गोलू वहा से भाग गया उसके लिए गुप्ता जी से बहस करने से ज्यादा जरुरी इस वक्त गुड्डू के हमशक्ल को पकड़ना था।
गुप्ता जी गेट पर चढ़ने को तो चढ़ गए लेकिन जैसे ही उतरने लगे उनकी धोती गेट में फंस गयी और गुप्ता जी लटक गए या यू कह लीजिये गुप्ता जी की दुनिया पलट गयी। गुप्ता जी की तो सांसे ही अटक गयी उसी वक्त यादव जी की पत्नी किसी काम से बाहर आयी उन्होंने जब गुप्ता जी को गेट पर उलटा लटका देखा तो दौड़कर उनके पास आयी और कहा,”अरे जे का हो गवा गुप्ता जी ?”
“अरे हमायी धोती फंस गयी है दरवाजे में”,गुप्ता जी ने मिमियाते हुए कहा
“रुकिए हम निकाल देते है,,,,,,,,!!”,कहते हुए यादव की पत्नी फुलवारी ने गुप्ता जी की धोती गेट से निकाल दी और गुप्ता जी सही सलामत नीचे जमी पर आ गए लेकिन इस चक्कर में गुप्ता जी की धोती खुलकर उनके हाथ में आ चुकी थी और वो उसे सम्हालते हुए सिर्फ कच्छे में थे। धोती का एक सिरा गलती से फुलवारी के हाथ में भी था। तभी गुप्ताइन किसी काम से आँगन में आयी
उन्होंने जब गुप्ता जी को धोती सम्हाले देखा तो अपनी छाती पीटते हुए कहा,”हे भगवान् बस जे ही देखना बाकी रह गया था,,,,,,,,,,,अरे कुछ तो शर्म कर लेते , अब तो दिन दहाड़े खुद को नंगा करना शुरू कर दिया,,,,,,,,जे देखने से पहिले हमायी आँखे काहे नाही फुट गयी , नाही नाही हमहू जे ना देख पायी है,,,,,,,,!!”
बेचारे गुप्ता जी गोलू की अम्मा को अपनी स्तिथि समझाते इस से पहले गुप्ताइन फिर उन्हें गलत समझकर अंदर चली गयी और बिस्तर पर गिरकर रोने लगी।
गुप्ता जी ने मायूसी से अपना सर झुका लिया ये देखकर फुलवारी ने कहा,”लगता है उन्होंने गलत समझ लिया हमहू आपकी कुछो मदद कर दे ?”
गुप्ता जी ने फुलवारी को देखा और अपने दोनों हाथो को जोड़कर कहा,”तुमहु पहिले ही हमायी बहुते मदद कर चुकी हो देवी अब का इह उम्र मा हमाओ तलाक करवाके मानी हो”
“भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा एक तो मदद करो ऊपर से”,फुलवारी मुंह बनाकर कहा और वहा से चली गयी
गुप्ता जी भी अपनी धोती सम्हाले सीढ़ियों पर आ बैठे , नजर बगल में पड़ी ट्रे पर पड़ी तो उसमे बचे 2 बिस्कुट में से एक उठाया और खाते हुए कहा,”हमको तो लगता है जे साला गोलू ही पनोती है , जब भी हमसे मिलता है हमाये साथ बुरा होता ही है,,,,,,,,,,,!!”
शोरूम का हिसाब किताब देखते देखते गुड्डू को भूख लगने लगी क्योकि वह घर से सिर्फ मार खाकर आया था। उसने सभी बिल और रजिस्टर समेटकर रखे और मैनेजर से कहा,”हमहू जरा कुछ खाकर आते है तब तक आप ओह्ह लड़के से कहिये पिछले हफ्ते का हिसाब बनाकर रखे हमहू आकर देख्नेगे”
“अरे गुड्डू बाबा आप कहो तो यही कुछो मंगवा दे आपके लिए”,मैनेजर ने कहा
“अरे नहीं चचा , हमे कुछो काम भी है बाहर तो हम खा लेंगे आप परेशान ना होईये”,गुड्डू ने मुस्कुरा कर कहा और वहा से चला गया
शोरूम से बाहर आकर गुड्डू अपनी बाइक लेकर वहा से निकल गया।
लवली आगे और गोलू उसके पीछे आज तो गोलू हाथ धोकर लवली के पीछे पड़ गया था। गोलू और लवली के बीच सिर्फ दो हाथ का ही फर्क रहा होगा। अच्छा लवली को पकड़ने में कोई गोलू की कोई मदद भी नहीं कर रहा क्योकि सब लवली को गुड्डू समझ रहे थे और महीने में एक आध बार ये नजारा मोहल्ले वालो को देखने को मिल जाता था जिसमे कभी गोलू गुड्डू के पीछे भागता तो कभी गुड्डू गोलू के , गली मोहल्ले से निकलकर दोनों अब सड़क पर आ गए और भागे जा रहे थे।
भागते हुए लवली ने सड़क किनारे तार पर सूख रही साड़ी को खींचा और गोलू पर फेंक दिया और गोलू उसमे उलझकर रह गया 10 सेकेण्ड बाद साड़ी गोलू के चारो तरफ लिपट चुकी थी तभी पीछे से आते सब्जी का ठेला गोलू की टाँगो पर लगा और गोलू उछलकर सीधा ठेले पर और साड़ी का पल्लू गोलू के सर पर , गोलू भी उसे सर पर सम्हाले हुए ऐसे बैठा था जैसे रास्ते में उसके जेठ ससुर मिलेंगे। सड़क पर ढलान होने की वजह से ठेला भी अपने आप ही लवली के पीछे भाग रहा था।
आगे लवली पीछे ठेले पर गोलू और ठेले के पीछे ठेले का मालिक
गोलू ने अपने बगल में पड़ी गाजर उठायी और खाते हुए कहा,”भागो भागो गुड्डू भैया के हमशक्ल कहा तक भागोगे ?”
कहते हुए गोलू ने बची हुई गाजर लवली को फेंक के मारी जो की सीधा जाकर उसके सर पर लगी। लवली ने गुस्से से गोलू को देखा तो गोलू ने सर पर रखे पल्लू को मुंह में दबाकर शर्माने की एक्टिंग की।
लवली ने सामने देखा और भागते भागते बांयी ओर मुड़ गया , अब बेचारे ठेले को थोड़ी पता है कि राइट लेफ्ट टर्न नाम की भी कोई चीज होती है वह जाकर सीधा लगा सामने पड़े कचरे के बड़े से डिब्बे को और गोलू उछलकर डिब्बे में। ठेले की सब्जिया कुछ गोलू के साथ डिब्बे में , कुछ नीचे कचरे के ढेर पर तो कुछ ठेले पर पसर गयी।
लवली तब तक वहा से भाग गया। गोलू जैसे तैसे डिब्बे से बाहर निकला एक तो सुबह से वैसे भी नहीं नहाया था ऊपर से और गंदा हो गया। गोलू ने खुद को झाड़ा और साड़ी को उतारकर साइड फेंका वह जैसे ही जाने लगा ठेले वाले ने कहा,”ए बाबू हमायी सब्जी का पैसा दो ?”
“काहे के पैसे बे ?”,गोलू ने हड़काते हुए कहा
“इह जो हमायी इत्ती सब्जी बर्बाद की है ओह्ह के पैसे”,सब्जी वाले ने भी अकड़कर कहा
“काहे की बर्बादी ? जे सब्जी है जे गाजर इत्ती फीकी है कि इह का रातभर चाशनी मा डुबोकर रखे तब जाके मीठी होई है , जे कद्दू है अरे इह से जियादा तो घर मा भुआ का मुंह फुला रहता है , जे जे आलू है इत्ते छोटे छोटे , जे टमाटर हाथ लगाओ तो साला अभी सॉस बन जाए हाथ मा , जे लौकी है इत्ती पतली का बचपन मा पोलियो वोलियो हो गवा था का ?
और जे गोभी है साला इह मा जितने कीड़े है ना इतने कीड़े तो हमाये फूफा की,,,,,,,,,सब्जी के नाम पर कानपूर वालो को बीमारी बेच रहे हो साले एक कंप्लेंट की ना तुम्हायी तो ठेला भी जायेगा और तुमहू भी अंदर जाओगे फिर वहा चिल्लाते रहना ये ले सब्जी,,,,,,,,हमसे पैसा मांगेंगे,,,,,,,,,मुंह खोंच देंगे अभी एक तो तुम्हाये चक्कर मा इत्ता बड़ा मौका मिस कर दिए,,,,,,,!!”,गोलू एक साँस में बोलता चला गया और ठेलेवाला चुपचाप सुनता रहा
गोलू ने देखा ठेलेवाले पर उसकी बातो का कोई असर नहीं हो रहा तो उसने कहा,”का बे हम बकत रहे तुम सुनत रहे , हमायी बात से तुम्हाये कान पर जू तक नाही रेंगी,,,,,,,,,,!!”
“तुमहू गज्जू गुप्ता के लड़के हो ना ?”,सब्जीवाले ने कहा
“हाँ है तो,,,,,,,!!”, अकड़कर कहा
“तो जे सब्जियों का पैसा हमहू ओह्ह से ले लेंगे”,सब्जीवाले ने कहा
गज्जू गुप्ता का नाम सुनकर ही गोलू को चप्पलो से लेकर लात घुसे सब याद आ गए। उसने जेब से रूपये निकाले और ठेले पर रखते हुए कहा,”साले देख लेंगे तुमको”
“का भैया हमहू इत्ते सुन्दर दिखते है का?”,लड़के ने ख़ुशी ख़ुशी पैसे उठाते हुए कहा
गोलू ने सब्जी वाले को देखा और कहा,”अबे ओह्ह्ह शाहरुख़ खान की 10 वी कॉपी साले यही पटक के पेल देंगे , साले निकलो हिया से”
गोलू को गुस्से में देखकर लड़के ने अपनी सब्जिया समेटी और वहा से निकल गया
गोलू वहा से निकलकर लवली को ढूंढते हुए आगे बढ़ गया। ये कानपूर एक छोटा चौक बाजार था जहा सब्जियों के ठेलो , दुकानों के साथ खाने पीने की कई रेहड़ी वहा लगी थी। गोलू से बचते बचाते लवली गलियों से निकला और घूमफिरकर वही आ पहुंचा और देखा गोलू ठीक सामने ही खड़ा है तो घबराकर लवली जल्दी से पलट गया और सामने रेहड़ी पर जाकर एक प्लेट छोले भटूरे लगाने को कहा।
गोलू यहाँ वह लवली को देख रहा था तभी उसकी नजर बांयी तरफ ठेले के पास खड़े लवली पर पड़ी। गोलू का गुस्सा सातवे आसमान पर वह ठेले की तरफ बढ़ा और लवली के बगल में आकर कहा,”कुलचा मा बटर कम है थोड़ा और डलवाय दे ?”
गोलू के बगल में खड़ा वह लड़का गुड्डू था या लवली ये तो आगे ही पता चलेगा ?
Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59
Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59Manmarjiyan Season 3 – 59
- Continue With Manmarjiyan Season 3 – 60
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On http://sanjanakirodiwal,com
संजना किरोड़ीवाल


लवली आगे और गोलू उसके पीछे आज तो गोलू हाथ धोकर लवली के पीछे पड़ गया था। गोलू और लवली के बीच सिर्फ दो हाथ का ही फर्क रहा होगा। अच्छा लवली को पकड़ने में कोई गोलू की कोई मदद भी नहीं कर रहा क्योकि सब लवली को गुड्डू समझ रहे थे और महीने में एक आध बार ये नजारा मोहल्ले वालो को देखने को मिल जाता था जिसमे कभी गोलू गुड्डू के पीछे भागता तो कभी गुड्डू गोलू के , गली मोहल्ले से निकलकर दोनों अब सड़क पर आ गए और भागे जा रहे थे।
लवली आगे और गोलू उसके पीछे आज तो गोलू हाथ धोकर लवली के पीछे पड़ गया था। गोलू और लवली के बीच सिर्फ दो हाथ का ही फर्क रहा होगा। अच्छा लवली को पकड़ने में कोई गोलू की कोई मदद भी नहीं कर रहा क्योकि सब लवली को गुड्डू समझ रहे थे और महीने में एक आध बार ये नजारा मोहल्ले वालो को देखने को मिल जाता था जिसमे कभी गोलू गुड्डू के पीछे भागता तो कभी गुड्डू गोलू के , गली मोहल्ले से निकलकर दोनों अब सड़क पर आ गए और भागे जा रहे थे।
लवली आगे और गोलू उसके पीछे आज तो गोलू हाथ धोकर लवली के पीछे पड़ गया था। गोलू और लवली के बीच सिर्फ दो हाथ का ही फर्क रहा होगा। अच्छा लवली को पकड़ने में कोई गोलू की कोई मदद भी नहीं कर रहा क्योकि सब लवली को गुड्डू समझ रहे थे और महीने में एक आध बार ये नजारा मोहल्ले वालो को देखने को मिल जाता था जिसमे कभी गोलू गुड्डू के पीछे भागता तो कभी गुड्डू गोलू के , गली मोहल्ले से निकलकर दोनों अब सड़क पर आ गए और भागे जा रहे थे।