Manmarjiyan Season 3 – 54
Manmarjiyan Season 3 – 54

केशव पंडित जी गोलू पर चिल्लाते रह गए और गोलू ने उनके नाड़े से गुड्डू के हाथो को बांध दिया। गोलू ने देखा गुड्डू का हमशक्ल अब चिल्लाना बंद कर चूका है , चिल्लाये तो बेचारा तब न जब ठीक से साँस ले पाए। गोलू भुआ के पास आया और उन्हें गुड्डू के ऊपर से हटाते हुए कहा,”अरे का जान ले लोगी भुआ , उठो इसको सांस तो लेन दयो”
भुआ गुड्डू से उठी तो गुड्डू को साँस आयी और उसने मरे हुए स्वर में कहा,”अबे गोलू ! जे कौनसी दोस्ती निभा रहे हो बे हमाये साथ ?”
“दोस्ती ? अरे थू तुमहू से साला हमहू दुश्मनी ना रखे,,,,,,,,तुम्हायी जे हिम्मत कि तुमहू हमाये गुड्डू भैया की जगह लेने हिया चले आये , अब देखो बेटा तुम्हायी जिंदगी मा कैसे चरस बोते है हमहू,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू के हाथ रस्सी लगी और उस ने गुड्डू के पैरो को भी बांध दिया अब गुड्डू बस उलटा तख्ते पर पड़ा था। बेचारा गुड्डू ना गोलू को यकीन दिला पा रहा था ना उसके चंगुल से निकल पा रहा था।
केशव पंडित का नाडा खींचकर गोलू ने सुबह सुबह उन्हें बेइज्जत कर दिया और केशव पंडित अब तक गोलू की हरकतों से तंग आ चुके थे वे गोलू के पास आये और खींचकर एक मुक्का गोलू की पीठ पर दे मारा , मुक्का पड़ते ही गोलू सीधा हो गया और दर्द से उसका मुंह बन गया , वह पलटा और गुस्से से केशव पंडित को चांटा दे मारा लेकिन पंडित जी झुक गए और चांटा पड़ा बगल में खड़ी भुआ पर ,
चांटा पड़ते ही भुआ गुस्से से तिलमिला उठी और केशव पंडित गोलू की नाकामयाबी पर हसने लगे लेकिन अगले ही पल पंडित जी की हंसी बंद हो गयी क्योकि भुआ का हाथ था और पंडित जी का गाल था। ये देखकर गोलू जोर जोर से हसने लगा , इसके बाद शुरू हुआ एक ऐसा युद्ध जिसमे बस थप्पड़ थे। गोलू ने केशव पंडित को , केशव पंडित ने भुआ को और भुआ ने गोलू को परसादी देनी शुरू कर दी। उधर बेचारा गुड्डू अपने हाथो को खोलने की नाकाम कोशिश कर रहा था। कही से कोमल आयी और उसने जब गुड्डू को बंधा देखा तो उसके पास आयी और कहा,”गुड्डू भैया जे का आपको किसने बाँध दिया ?
और जे अम्मा गोलू भैया का कर रहे है और जे कौन है कुर्ते के नीचे कच्छा पहिने है बेशर्म,,,,,,कानपूर में जे का नवा फैशन आया है ?”
“अरे ओह्ह्ह देवी , जे सवाल जवाब बाद में करना पहिले हमाये हाथ खोल दयो,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
“हाथ तो हमहू खोल देते गुड्डू भैया अगर कल हमायी बेइज्जती नाही किये होते,,,,,,,,जिसने भी आपके हाथ बांधे है ना बहुते अच्छा किया , हमहू तो उसको धन्यवाद देंगे,,,,,,,,,,,!!”,कोमल ने तुनककर कहा
गोलू जो की थप्पड़ थप्पड़ खेल रहा था एकदम से छाती पीटते हुए कोमल के सामने आया और कहा,”हम , हमहू पकडे है जे बहरूपिये को लाओ दयो धन्यवाद”
“बहरूपिया ?”,कोमल ने पूछा
“हाँ बहरूपिया गुड्डू भैया का हमशक्ल,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“का बात कर रहे हो ?”,कोमल ने गोलू के कंधे पर मारकर कहा और गोलू का बेलेंस बिगड़ा वह भुआ से टकराया और भुआ केशव पंडित की बांहो में , गोलू नीचे गिरा और उसकी हाय निकल गयी लेकिन साथ ही उसका फोन बजा और उसके फोन की वो अजीबो गरीब रिंगटोन जिसे गोलू ने अभी तक नहीं बदला था
“देखा है पहली बार , साजन की आँखों में प्यार
अब जाके आया मेरे बैचैन दिल को करार”
ज़रा सोचो क्या ही सीन होगा 120 किलो की भारी भरकम भुआ , 55 किलो के दुबले पतले केशव पंडित की बांहो में , दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे है उस पर गोलू के फोन में बजता रिंगटोन और सबसे अजीब बात केशव पंडित का कुर्ते और कच्छे में,,,,,,,,,,,!!
गुड्डू ने देखा तो अफ़सोस से सर झुका लिया। कोमल आँखे फाडे दोनों को देख रही थी और गोलू अपनी कमर पकड़ कर उठ खड़ा हुआ और चिल्लाया,”भुआआआआआ , हमे छोड़ के जे केशव पंडित के साथ का कर रही हो तुमहू,,,,,,,,,,,फूफा को ऑन द स्पॉट धोखा,,,,,,,,,,एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर,,,,,,,,,!!!”
गोलू के चिल्लाने से भुआ ने होश सम्हाला और पंडित से दूर होकर कहा,”छी छी छी गोलू का बक रहे हो ?”
गोलू भुआ के पास आया और कहा,”पंडित को छोडो और इसको उठाने में हमायी मदद करो , आज हमहू इह का ग्राईंडर मा डालकर चटनी बनाएंगे”
“अबे पगला गए हो का गोलू ? अबे हम है गुड्डू , भाई का बुरा किये थे हमहू तुम्हरा काहे हमायी जान के दुश्मन बन गए,,,,,,,,,!!,गुड्डू ने रोते हुए कहा
“अबे चुप ! कबसे एक ही रट लगाए हो , तुमको का हमहू चूतिया दिखते है कि तुमहू कुछो कहोगे और हमहू मान लेंगे,,,,,,,,गुड्डू भैया से मिलकर ही आये है और बेटा तुम्हायी जे मासूम बनने की एक्टिंग ना हमाये साथ ना चली है,,,,,,,,,,गुड्डू भैया जैसे दिखते हो तो का खा जाओगे मिश्रा जी की जायदाद,,,,,,,हमहू है इहलीये थोड़ा कम मारे है मिश्रा जी होते ना तो ऐसा बेंड बजाते तुम्हरा की जिंदगीभर याद रखते,,,,,,,ए भुआ”,गुड्डू से कहते कहते गोलू एकदम से भुआ की तरफ पलटा तो भुआ ने भी चिल्लाकर कहा,”का है ?”
“अरे हमहू जे कह रहे है कि इह बहरूपिये को ना अम्मा के कमरे मा बंद कर देते है , मिश्रा जी आने के बाद वही करेंगे जो करना है इसके साथ का कहती हो ?”,गोलू ने कहा
भुआ ने एक नजर थके हुए गुड्डू को देखा,”गोलू हमको तो लग रहा है जे गुड्डू ही है,,,,,,,,,,,!!”
“पहली बार गुड्डू को भुआ से हमदर्दी हुई और उसने आसभरी नजरो से भुआ को देखा लेकिन अगले ही पल भुआ ने गुड्डू का ये भरम भी दूर कर दिया और कहा,”पर तुम्हायी बात पर हमको जियादा भरोसा है , तुम कह रहे हो जे गुड्डू का बहरूपिया है तो फिर वही होगा,,,,,,,!!”
गोलू ने अपनी पांचो उंगलियों को अपने होंठो से लगाकर उनपर एक चुम्मा दिया और फिर भुआ के गाल पर लगाकर कहा,”हाये हमायी क्यूटी , पता नहीं उह चांडाल फूफा के चक्कर मा कैसे पड़ गयी ? अरे तुमहू तो अपने ज़माने मा धर्मेंद्र डिजर्व करती थी”
गोलू के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर भुआ ने झूठ मुठ का नाराज होते हुए कहा,”अरे जाओ गोलू मसखरी ना करो,,,,,,,,,,,!!”
गोलू भुआ के साथ गुड्डू को लेकर अम्मा की तरफ बढ़ा और गाने लगा
“कोई हसीना जब रूठ जाती है तो , और भी हसीन हो जाती है”
कोमल ने सुना तो पास खड़े पंडित जी से कहा,”जे गोलू भैया अम्मा को देख के गाना काहे गा रहे है ?”
केशव पंडित ने गुस्से से गोलू को देखा और कहा,”अरे बहुते बकचोद आदमी है जे , हमयी मति भ्रष्ट हुयी रही जो हमहू इह गधे की कुंडली मा राजयोग लिखे रहे,,,,,
इह के कर्म ऐसे है इह खुद तो नर्क मा जाही जाही दुई चार को और साथ ले जाही है,,,,,,,,,,,महादेव बिटिया , मिश्रा जी आये तो कहना हमहू आये थे”
कहकर केशव पंडित बिना कोमल का जवाब सुने वहा से चले गए।
“अरे लेकिन मामाजी से का कहे कौन आया था ? अरे पंडित जी सुनिए”,कोमल ने आवाज दी लेकिन केशव पंडीत सर पर पांव रखकर जाता रहा
गोलू भुआ के साथ मिलकर गुड्डू को अम्मा के कमरे में लेकर आया और एक कोने में बैठा दिया। गुड्डू ने देखा गोलू उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं है तो उसने गुस्से से कहा,”एक ठो बात कहे गोलू , तुमहू साले बहुते पछताने वाले हो,,,,,,,,हम पर भरोसा नाही कर रहे , एक बार हमको हिया से निकलने दो तुम्हाई बत्ती नहीं ना बनायीं हमाओ नाम बदल देना”
“का , का , ऐटिटूड दिखा रहे हो हमका,,,,,,,तुम्हायी ऐसी की तैसी , हमाये सामने हीरो बन रहे हो”,कहते हुए गोलू ने गुड्डू को दो चार थप्पड़ जमा दिए। हर बार गोलू गुड्डू से थप्पड़ खाता था आज पहली बार गुड्डू गोलू के हाथो थप्पड़ खा रहा था। गुड्डू के पास अब एक ही रास्ता था , उसने गोलू को एक नजर देखा और फिर जोर से चिल्लाया , लेकिन गुड्डू की आवाज कमरे से बाहर जाती इस से पहले गोलू ने गुड्डू का मुंह बंद करते हुए कहा,”ए भुआ जल्दी से कोनो कपड़ा देओ , सबसे पहिले जे का मुंह बंद करे हमहू”
भुआ को कुछ नहीं सुझा तो अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर दे दिया , गोलू ने हैरानी से भुआ को देखा तो भुआ को देखा और कहा,”अब तुम्हाये लिए एक ठो साड़ी की क़ुरबानी तो दे ही सकते है,,,,,,,!!”
“माँ कसम भुआ ! एक ही दिल था हमाये पास उह हमहू पिंकिया को दे दिए एक और होता ना कसम से आपको दे देते जे बलिदान पर,,,,!!”,गोलू ने नौटंकी करते हुए कहा।
दोनों ने गुड्डू को अम्मा के कमरे में बांधकर बंद कर दिया और बाहर आकर कमरे का दरवाजा बंद करके आँगन में चले आये। गोलू ने ललाट पर आया पसीना पोछकर छटकते हुए कहा,”नाक मा दम कर दिया था जे गुड्डू भैया के हमशक्ल ने,,,,,,,,,,अब आय दयो मिश्रा जी का साला हमहू भी पूछे आखिर जे मसला का है,,,,,,!!”
“ए गोलू सच मा ऐसा होता है का कि एक शक्ल के दो आदमी हो ?”,भुआ ने हैरानी से पूछा
“अरे होता है भुआ , जिसको अभी बंद करके आये है ना उह गुड्डू भैया का हमशक्ल ही तो है , पर जे साला हिया गुड्डू भैया बनकर काहे आया है ?”,गोलू ने कहा
“ए गोलू चुप काहे हो बताओ ना”,भुआ ने गोलू को हिलाकर पूछा तो गोलू की तंद्रा टूटी और कहा,”हमहू गुड्डू भैया से पूछकर आते है”
“का मतलब ? ए गोलू सुनो”,भुआ कहते ही रह गयी और गोलू सीढ़ियों की तरफ भाग गया
अम्मा के कमरे में बंद गुड्डू अपने हाथ पैर खोलने की कोशिश करने लगा , उसपर उसका मुंह भी बंद , गुड्डू बेबस तो था ही गोलू ने उसे यहाँ बंद करके लाचार और बना दिया। गोलू अपने गुड्डू भैया को पहचान ही नहीं पाया और उसे यहाँ बंद कर दिया इस बात से गुड्डू गोलू से बहुत गुस्सा भी था लेकिन बेचारा कर भी क्या सकता था ? जैसे तैसे करके गुड्डू खड़ा हुआ लेकिन अँधेरे में सामने रखा बक्सा दिखा नहीं और गुड्डू लड़खड़ाया जिस से उसका सर जाकर दिवार से टकराया और गुड्डू बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा।
अब चूँकि गुड्डू और लवली में कोई कनेक्शन तो था इसलिए जब गुड्डू का सर दिवार से टकराया तो नार्मल खड़े लवली ने भी अपना सर जोर से कबर्ड पर पटका। कमरे में आते गोलू ने देखा तो गुड्डू को रोककर कहा,”अरे अरे गुड्डू भैया अपना माथा काहे पटक रहे है ?”
गोलू को वहा देखकर लवली के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये और उसने गोलू को अपनी बातों में फंसाते हुए कहा,”जे सब हमायी वजह से हो रहा है गोलू बस इहलीये हमहू खुद को सजा दे रहे थे,,,,,,,,!!”
“अरे काहे गुड्डू भैया ? जे सब मा आपकी का गलती है और आप चिंता नाही करो हमहू आपके हमशक्ल को धर लिए है , बांधकर अम्मा के कमरे मा बंद कर दिए है अब तो मिश्रा जी ही आकर सच उगलवाए है ओह्ह से,,,,,,हमाये सामने बहुते चालाक बन रहा था हमहू भी दिए दुइ चार कंटाप,,,,,,,,
एक तो आपके हमशकल ऊपर से हमसे चालाकी,,,,,,,,,,शगुन भाभी कहा गयी दिखाई नाही दे रही ?”,लवली को गुड्डू समझकर गोलू ने कहा और शगुन को वहा ना पाकर पूछा
शगुन का नाम सुनकर लवली थोड़ा परेशान हो गया और फिर जल्दी से कहा,”कौन शगुन , शगुन तो ऊपर छत पर गयी है मिर्च सुखाने”
“लयो जे भाभी भी ना बिल्कुल मिश्राइन हो गयी है गुड्डू भैया , घर मा इत्ती बड़ी टेंशन है और इनको मिर्चा सुखानी है,,,,,,!!”,गोलू ने हाथो को नचाते हुए कहा
“अब आगे का गोलू ?”,लवली ने गोलू का ध्यान शगुन से हटाने के लिए पूछा
“आगे का ? सुखी हुई मिर्चो को नीचे लाकर पिसेंगी और का ?”,गोलू ने ड्रेसिंग की तरफ पड़ी पानी की बोतल उठाते हुए कहा
लवली ने खीजते हुए गोलू को मारने के लिए मुंह बनाते हुए हवा में मुक्का उठाया लेकिन अगले ही पल गोलू पलटा और कहा,”लेकिन घर मा पीसने से अच्छा है बाहिर पिसवाय ले , का घर मा प्रॉपर नाही पिसती”
गोलू ने इतनी मासूमियत से ये बात कही कि लवली का हाथ हवा में ही रह गया। गोलू ऐसा इंसान था जिस पर किसी को भी गुस्सा आ जाए और अगले ही पल वो कुछ ऐसा कहता कि बंदा पिघल जाए।
“का हुआ हाथ मा दर्द है का ?”,गोलू ने पानी पीते हुए कहा
“अगर हमे इस घर में गुड्डू की जगह लेनी है तो सबसे पहले इस घर से भुआ और उसके परिवार को भगाना होगा और इस बेवकूफ गोलू को अपनी बातो में फ़साना होगा “,लवली ने मन ही मन खुद से कहा और गोलू के बगल में आकर उसके कंधे पर अपनी बांह रख कमरे के बाहर चला आया
“हम जे पूछ रहे थे कि अब आगे का का सोचा है गुड्डू के बारे में ? हमारा मतलब हमाये हमशक्ल के बारे में ?”,लवली ने अपनी लड़खड़ाई जबान को सम्हाल कर कहा
“का करना है ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में पूछा
लवली ने गोलू की तरफ देखा और कहा,”भुआ को पटाओ”
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संजना किरोड़ीवाल


गोलू को वहा देखकर लवली के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये और उसने गोलू को अपनी बातों में फंसाते हुए कहा,”जे सब हमायी वजह से हो रहा है गोलू बस इहलीये हमहू खुद को सजा दे रहे थे,,,,,,,,!!”
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